CBSE Class 11 Sanskrit सामान्य-वाच्य परिवर्तनम्

परिभाषा तथा भेद

संस्कृत वाक्य में क्रिया द्वारा जो कहा जाता है, वही क्रिया का वाच्य होता है। संस्कृत भाषा में तीन वाच्य होते हैं(1) कर्तृवाच्य (2) कर्मवाच्य (3) भाववाच्य।

1. कर्तृवाच्य

कर्तवाच्य में क्रिया द्वारा प्रधान रूप से कर्ता वाच्य होता है तथा कर्ता और क्रिया का पुरुष और वचन समान होते हैं। अकर्मक तथा सकर्मक सभी धातुओं के दसों गणों में, दसों लकारों के रूप कर्तृवाच्य में होते हैं। अकर्मक क्रिया के होने पर कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे-रामः हसति (अकर्मक), रामः पुस्तकं पठति (सकर्मक), छात्रा हसन्ति (बहुवचन), यूयं ग्रामं गच्छथ (मध्यम पुरुष, बहुवचन), आवाम् याचावः (उत्तम पुरुष, द्विवचन), बालिका लज्जते (प्रथम पुरुष, एकवचन) इत्यादि वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार हैं। कर्ता में सब जगह प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है। अतः इन क्रियाओं को कर्तृवाच्य की क्रिया कहते हैं।

2. कर्मवाच्य

कर्मवाच्य में क्रिया द्वारा प्रधान रूप से कर्म ही वाच्य होता है। यहाँ वाक्य में कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है, कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है तथा क्रिया का पुरुष और वचन कर्म के अनुसार होता है। यह वाच्य केवल सकर्मक धातुओं का ही होता है। जैसे-बालकेन पुस्तकं पठ्यते, छात्रेण वृक्षाः दृश्यन्ते, युष्माभिः वयं ताड्यामहे, पशुना पक्षिणौ दृश्येते इत्यादि वाक्यों में बालकेन, छात्रेण, युष्माभिः तथा पशुना आदि कर्ताओं में तृतीया विभक्ति है। पुस्तकं, वृक्षाः, वयं, पक्षिणौ आदि कर्म में प्रथमा विभक्ति है तथा इन्हीं के अनुसार पठ्यते, दृश्यन्ते, ताड्यामहे तथा दृष्येते आदि क्रियाओं में पुरुष और वचन का प्रयोग हुआ है। कर्मवाच्य की क्रियाओं में क्रिया का रूप आत्मनेपद में चलता है। लट्, लोट्, लङ् और विधिलिङ् में धातु के बाद ‘य’ लग जाता है तथा शेष लकारों में बिना ‘य’ के रूप चलता है।

3. भाववाच्य

जब अकर्मक क्रियाओं वाले वाक्य में कर्ता की प्रधानता न होकर भाव (क्रिया) की प्रधानता होती है तो वह भाववाच्य कहलाता है। यहाँ कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। भाववाच्य में क्रिया में सदा प्रथम पुरुष एकवचन का रूप रहता है। क्रिया में शेष परिवर्तन वैसे ही होते हैं, जैसे कर्मवाच्य की क्रिया में होते हैं अर्थात् लट्, लोट्, लङ् और विधिलिङ् में ‘य’ लगता है तथा सभी लकारों में आत्मनेपद में रूप चलता है। जैसे-छात्रेण हस्यते, तेन भूयते, मया भूयते, त्वया भूयते इत्यादि में कर्ता में तृतीया विभक्ति है तथा क्रिया में आत्मनेपद का प्रथम पुरुष, एकवचन का ‘य’ के साथ बना हुआ रूप है।

कर्मवाच्य या भाववाच्य में धातु-रूप के नियम –

  1. जिन धातुओं के अंत में दीर्घ ‘आ’ होता है (जैसे-दा, धा, पा, स्था, मा आदि) तथा गै, दे, धे आदि धातुओं के अंतिम स्वर के स्थान पर दीर्घ ई हो जाता है। जैसे-दीयते, धीयते, पीयते, स्थीयते, मीयते, गीयते इत्यादि।
  2. ऋकारान्त धातुओं (मृ, ह, कृ, भृ, धृ, वृ, दृ आदि) के अंतिम ऋकार को ‘य’ परे होने पर ‘रि’ आदेश हो जाता है; जैसे – म्रियते, ह्रियते, क्रियते, भ्रियते, ध्रियते, वियते, द्रियते आदि।
  3. जिन धातुओं के अंत में हस्व इ तथा उ होते हैं, ‘य’ परे होने पर उनके ह्रस्व इकार तथा उकार के स्थान पर दीर्घ स्वर (ई तथा ऊ) हो जाता है। जैसे-जि से जीयते, चि से चीयते, स्तु से स्तूयते, श्रु से श्रूयते, द्वे से हूयते, सु से सूयते इत्यादि।
  4. √वद्, √वच्, √वस्, √वप् तथा वह स्वप् आदि धातुओं के व को उ सम्प्रसारण हो जाता है। यथा – उद्यते, उच्यते, उष्यते, उह्यते, उष्यते, सुप्यते आदि।
  5. √यज्, √व्यध् आदि धातुओं के ‘य’ का सम्प्रसारण (इ) होकर इज्यते, विध्यते आदि रूप बनते हैं।
  6. प्रच्छ्, √ग्रह आदि धातुओं के र् को सम्प्रसारण (ऋ) होने पर पृच्छ्यते, गृह्यते आदि रूप बनते हैं।
  7. धातु के उपधा के अनुनासिक का लोप हो जाता है। जैसे – भञ् से भज्यते, रञ् से रज्यते, गिन्थ् से ग्रथ्यते, स्तम्भ से स्तभ्यते।
  8. √खन्, √जन् और √तन् धातुओं के ‘न’ को विकल्प से आ हो जाता है। जैसे – जन् से जायते; तन् से तायते, तन्यते; खन् से खायते, खन्यते।
  9. लृट् लकार में कर्तृवाच्य के समान रूप बनते हैं, केवल प्रत्यय आत्मनेपद के लगाए जाते हैं, जैसे – भविष्यते, पठिष्यते आदि।

विशेष – कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के क्रिया रूपों में गणों के विकरण का प्रयोग नहीं होता।

कर्मवाच्य व भाववाच्य के अनुसार प्रमुख धातु-रूप
1. भू धातु (होना)

लट् लकार
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कुछ अकर्मक धातुओं के लट् लकार में एक-एक रूप –
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कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय निम्न परिवर्तन किए जाते हैं –

  1. कर्तृवाच्य के कर्ता की प्रथमा विभक्ति के स्थान पर कर्मवाच्य में तृतीया विभक्ति हो जाती है।
  2. कर्तृवाच्य के कर्म को द्वितीया विभक्ति के स्थान पर कर्मवाच्य में प्रथमा विभक्ति हो जाती है।
  3. कर्मवाच्य में क्रिया का पुरुष और वचन कर्म के पुरुष और वचन के अनुसार हो जाता है।
  4. कर्तृवाच्य में क्तवतु (तवत्) प्रत्यय के स्थान पर कर्मवाच्य में क्त (त) प्रत्यय हो जाता है।

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य करते समय उपर्युक्त नियम बदल जाते हैं। जैसे –

  1. कर्मवाच्य में कर्ता के स्थान पर आई हुई तृतीया विभक्ति कर्तृवाच्य में प्रथमा विभक्ति हो जाती है।
  2. कर्मवाच्य में कर्म के स्थान पर प्रयुक्त प्रथमा विभक्ति कर्तृवाच्य में द्वितीया विभक्ति हो जाती है।
  3. क्रिया के पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार हो जाते हैं।
  4. कर्मवाच्य में प्रयुक्त क्त (त) के स्थान पर कर्तृवाच्य में क्तवतु (तवत्) प्रत्यय हो जाती है।
  5. कर्मवाच्य में प्रयुक्त ‘तव्य’ प्रत्यय के स्थान पर कर्तृवाच्य में विधिलिङ् का प्रयोग कर दिया जाता है।

उदाहरण – कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य कर्तृवाच्य कर्मवाच्य कर्तृवाच्य
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भाववाच्य के कर्ता में तीसरी विभक्ति होती है और क्रिया सदा प्रथम पुरुष एकवचन में होती है। जैसे –
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बारह द्विकर्मक धातुओं (दुह्, याच्, पच्, दण्ड्, रुध्, प्रच्छ्, चि, ब्रू, शास्, जि, मथ्, मुष्) के कर्मवाच्य बनाने पर गौण कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे –
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इसके विपरित नी, ह, कृष् तथा वह धातुओं के मुख्य कर्म में कर्मवाच्य करते समय प्रथमा विभक्ति आती है तथा गौण कर्म में द्वितीया विभक्ति ही रहती है। जैसे –
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विशेष – ज्ञानार्थक तथा भक्षणार्थक धातुओं से कर्मवाच्य बनाते समय अपनी इच्छानुसार दोनों कर्मों में प्रथमा या द्वितीया विभक्ति करनी चाहिए।

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अन्य गति, अकर्मक धातु (ह, कृ), णिजन्त, द्विकर्मक धातुओं से कर्मवाच्य बनाने से प्रयोज्य कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है जैसे –
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कुछ अन्य उदाहरण –
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मिश्रित-अभ्यासः

(1). कोष्ठकात् समुचित-पदानिचित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत

  1. ………………….. गृहं गम्यते। (त्वं, त्वया)
  2. ………………….. पुस्तकं पठ्यते। (तेन, सः)
  3. ………………. ग्रन्थः पठ्यते। (अहं, मया)
  4. ………………… शत्रुः हन्यते। (वीरः, वीरेण)
  5. …………….. पत्रं लिख्यते। (रमया, रमा)
  6. तेन चौरौ ………………..। (मुच्यते, मुच्येते)
  7. नृपेण वस्त्राणि ………………..। (दीयते, दीयन्ते)
  8. रमया …………. चीयन्ते। (पुष्पं, पुष्पाणि)
  9. ……………….. शत्रवः जीयन्ते। (वयं, अस्माभिः)
  10. छात्रैः ………………… स्मर्यन्यते। (पाठः, पाठा:)
  11. मया त्वं …………………। (कथ्यते, कथ्यसे) 1
  12. …………………….. अहं त्यज्ये। (तेन, स:)
  13. तेन …………………. (तिष्ठति, स्थीयते)
  14. तैः …………………….। (स्थीयते, स्थीयन्ते)
  15. देवैः गीतानि …………………..। (गीयते, गीयन्ते)
  16. ……………. मे पतिः ह्रियते। (त्वं, त्वया)
  17. नरैः वस्त्राणि ………………..। (धार्यते, धार्यन्ते)
  18. रामेण पाठः (पठ्यते, पठ्येते)
  19. …………………… चन्द्रः दृश्यते। (अहं, मया)
  20. तेन रुप्यकाणि (गण्यन्ते, गणयते)
  21. …………………… ज्ञानं प्राप्यते। (वयं, अस्माभिः)
  22. गुरुभिः किं न ………………….? (ज्ञायन्ते, ज्ञायते)
  23. उद्याने ……………… पुष्यते। (पुष्पाणि, पुष्पैः)
  24. तेन किं …………………? (खाद्यते, खादति)
  25. ………………. फलानि खाद्यन्ते। (सीता, सीतया)

(2). कोष्ठगत-पदैः वाच्यानुसार-पदानि निर्माय रिक्तस्थानानि पूरयत –

  1. त्वया (युष्मद्) अजा ग्रामं नीयते।
  2. भृत्येन भारः गृहम् उह्यते (वह)।
  3. चौरेण (चौर) कृपणः धनं ह्रियते।
  4. क्षेत्रपतिना शृगालः हन्यते (हन्)।
  5. दुष्टबुद्धिना (दुष्टबुद्धि) पिता याच्यते।
  6. मया (अस्मद्) रामायणस्य कथा श्रूयते।
  7. खगेन पाशबंध: न दृश्यते (दृश)।
  8. व्याघ्रण (व्याघ्र) अजा नीयते।
  9. पुत्रेण पिता सेव्यते (सेव्)।
  10. नारदेन (नारदः) वेदाः श्रूयन्ते।
  11. मया वार्ता श्रूयते (श्रु)।
  12. बालिकाभिः (बालिका) गानं गीयते।
  13. सर्वैः ईश्वरः ………………….. (पूज)।
  14. ………………. (युष्मद्) कार्य क्रियते।
  15. त्वया कुत्र ………….. (गम्)?
  16. …………………… (छात्र) ग्रन्थाः पठ्यन्ते।
  17. किं त्वया अहं न ……….. (दृश्)।
  18. …………………… (अस्मद्) सत्यम् उद्यते।
  19. मया मित्रं विना सुखं न ………………….. (लभ)।
  20. तेन कदा ………………….. (आगम्, लुट)?
  21. ………………. (बालिका) भूषणानि धार्यन्ते।
  22. ताभ्यां किं ……………… (कृ)?
  23. मया कार्यं न …………….. (कृ, लुट्)।
  24. ………………….. (तत्) पत्रं लिख्यते।
  25. वृक्षैः फलानि ………………. (दा)।

(3). प्रदत्तेषु उत्तरेषु यत् उत्तरम् शुद्धम् अस्ति तत् चित्वा रिक्त स्थाने लिखत।

1. त्वया पिता कथम् ………………….?
(क) स्मर्यते (ख) स्मर्यामहे (ग) स्मरसि (घ) स्मर्यसे।

2. मया चन्द्रः
(क) दृश्यते (ख) पश्यते (ग) पश्यानि (घ) पश्यामि।

3. युष्माभिः विद्यालयः ……………………
(क) स्थीयति (ख) स्थीयते (ग) तिष्ठथः (घ) तिष्ठसि।

4. कन्याः फलानि ……………………
(क) खाद्यन्ते (ख) खादति (ग) खाद्यते (घ) खादन्ति।

5. श्रोतृभिः कथा ………………………
(क) शृणोति (ख) श्रूयते (ग) शृण्वन्ति (घ) श्रूयन्ते।

6. बालकाः फलानि ……………………
(क) खादति (ख) खादन्ति (ग) खाद्यन्ते (घ) खादन्ते।

7. सः …………………… लिखति।
(क) लेखम् (ख) लेखाम् (ग) लेख: (घ) लेखाः।

8. सर्वैः विद्वान् ……………………….
(क) पूज्यन्ते (ख) पूज्यते (ग) पूजयन्ति (घ) पूजन्ति।

9. …………………. अधुना गीता पठ्यते।
(क) भक्तः (ख) भक्तेन (ग) भक्ताः (घ) भक्तेभ्यः।

10. ………………… पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।
(क) मूढः (ख) मूढाः (ग) मूढः (घ) मूढान्।

11. सर्वैः जनैः सम्प्रति ……………………. श्रूयते।
(क) कथाः (ख) कथा (ग) कथाम् (घ) कथान्।

12. तेन चलचित्रम् ………………….
(क) दृश्यन्ते (ख) दृश्यते (ग) पश्यति (घ) दृश्य।

13. बालकेन ……………………
(क) कथयति (ख) कथ्यते (ग) कथयते (घ) कथयन्ति।

14. शिष्यैः ………………….
(क) नम्यते (ख) नम्यन्ते (ग) नमन्ति (घ) नमयते।

15. किं …………………. व्याकरणं न भुज्यते?
(क) बुभुक्षिताः (ख) बुभुक्षितैः (ग) बुभुक्षितः (घ) बुभुक्षितेन।

16. जनैः व्यायामः कदा ………………………?
(क) क्रियते (ख) कुर्वन्ति (ग) करोति (घ) क्रियन्ते।

17. परोपकारी सदैव ……………………. करोति।
(क) परोपकारं (ख) परोपकारः (ग) परोपकारेण (घ) परोपकाराः।

18. आचार्यः …………………. पाठयन्ति।
(क) छात्रान् (ख) छात्रः (ग) छात्राः (घ) छात्रैः।

19. छात्राः ……………………
(क) वदन्ति (ख) उद्यते (ग) वद्यन्ते (घ) वदति।

20. पिता विद्याधनं बाल्ये पुत्राय ………………..।
(क) ददति (ख) दीयते (ग) ददते (घ) यच्छति।

21. ………………… सम्प्रति आपणं गम्यते।
(क) वयम् (ख) अस्माभिः (ग) अहम् (घ) अस्मभ्यम्।

22. ………………… कविताः श्रूयन्ते।
(क) त्वया (ख) त्वम् (ग) यूयम् (घ) युवाम्।

23. अहम् यशस्वी …………….
(क) भूयते (ख) भवामि (ग) भूये (घ) भूयन्ते।

24. …………. प्रजा पाल्यते।
(क) राज्ञा (ख) राज्ञाः (ग) राजा (घ) राजानः।

25. अधुना अहम् स्वगृह ………………
(क) गम्यते (ख) गच्छामि (ग) गम्यन्ते (घ) गच्छामः।

26. सैनिकैः देशः ………………
(क) रक्षति (ख) रक्ष्यन्ते (ग) रक्ष्यते (घ) रक्षन्ति।

27. अस्माभिः पयः ……………..
(क) पीयन्ते (ख) पिबति (ग) (घ) पिबन्ति।

28. सैनिकैः शिविरेषु …………………।
(क) उष्यन्ते (ख) वस्यते (ग) उष्यते (घ) वसन्ति।

29. जनाः ………………….. पश्यन्ति।
(क) प्रदर्शनी (ख) प्रदर्शनीम् (ग) प्रदर्शनीन् (घ) प्रदर्शनीः।

30. सः ……………… दुर्वचनं कथयति।
(क) रामः (ख) रामम् (ग) रामाय (घ) रामेण।

(4). दत्तानि वाक्यानि दृष्ट्वा तदाधारिते रिक्तस्थानपूर्तिः प्रदत्तेषु उचितं पदं चित्वा क्रियताम्।

1. सः भोजनं खादति जलं च पिबति। …………….. भोजनं खाद्यते जलं च पीयते।
(क) तेन (ख) तैः (ग) ते (घ) ताभ्याम्।

2. पिता पुत्र मार्ग दर्शयति। पित्रा …………………… मार्ग दर्शयते।
(क) पुत्रान् (ख) पुत्राः (ग) पुत्रैः (घ) पुत्रः।

3. सः पापं करोति। तेन पापं ……………………
(क) कृयते (ख) क्रियते (ग) क्रियन्ते (घ) क्रियेते।

4. परोपकारी परोपकारम् करोति। परोपकारिणा परोपकारः …………….।
(क) क्रिये (ख) क्रियन्ते (ग) क्रियते (घ) कुर्वन्ति।

5. वृक्षाः फलानि यच्छन्ति। वृक्षैः ………………… दीयन्ते।
(क) फलाः (ख) फलान् (ग) फलानि (घ) फलानी।

6. छात्राः गुरून् नमन्ति। ……………………… गुरवः नम्यन्ते।
(क) छात्रेण (ख) छात्रया (ग) छात्राभ्याम् (घ) छात्राभिः।

7. त्वम् कथां शृणोषि। त्वया ………………….. श्रूयते।
(क) कथा (ख) कथाम् (ग) कथया (घ) कथा।

8. अहं मोहं त्यजामि। ………………………………. मोहं त्यज्यते।
(क) मया (ख) आवाभ्याम् (ग) अस्माभिः (घ) मह्यम्।

9. राज्यपाल: शिक्षकान् सम्मानयति। ……………… शिक्षकाः सम्मानीयन्ते।
(क) राज्यपालेन (ख) राज्यपालं (ग) राज्यपालैः (घ) राज्यपालाः।

10. आचार्यः प्रदर्शनी पश्यन्ति। ……………….. प्रदर्शनी दृश्यते।
(क) आचार्येण (ख) आचार्यैः (ग) आचार्याभ्याम् (घ) राष्ट्रान्।

11. राष्ट्रपतिः राष्ट्र सम्बोधयति। राष्ट्रपतिना ……………… सम्बोध्यते।
(क) राष्ट्रः (ख) राष्ट्र (ग) राष्ट्राः (घ) राष्ट्रान्।

12. सेवकः नृपम् सेवते। ………………….. नृपः सेव्यते।
(क) सेवकैः (ख) सेवकाः (ग) सेवकेन (घ) सेवकाभयाम्।

13. त्वं पुरस्कारं गृह्णासि। त्वया …………… गृह्यते।
(क) पुरस्काराः (ख) पुरस्कार (ग) पुरस्कारः (घ) पुरस्कारान्।

14. छायाकारः छायाचित्रं रचयति। छायाकारेण …………………… रच्यते।
(क) छायाचित्रान् (ख) छायाचित्राणि (ग) छायाचित्रं (घ) छायाचित्राः।

15. अहं लेखम् लिखामि। मया …………….. लिख्यते।
(क) लेखः (ख) लेखाः (ग) लेखान् (घ) लेखम्।

16. रामः कथयति। रामेण …………………
(क) कथयते (ख) कथ्यन्ते (ग) कथयन्ते (घ) कथ्यते।

17. सैनिकाः रक्षन्ति …………………. रक्ष्यते।
(क) सैनिकेन (ख) सैनिकाभ्याम् (ग) सैनिकैः (घ) सैनिकान्।

18. बालक: खेलति। ………………….. खेल्यते।
(क) बालकेन (ख) बालकैः (ग) बालकाभिः (घ) बालकम्।

19. शिशुः स्वपिति। शिशुना ……………….
(क) स्वपते (ख) सुप्यते (ग) स्वप्यते (घ) सुपते।

20. छात्राः तिष्ठन्ति। ……………….. स्थीयते।
(क) छात्राभिः (ख) छात्रया (ग) छात्रेण (घ) छात्रान्।

21. बालिकाः हसन्ति। बालिकाभिः …………………….।
(क) हसन्ते (ख) हसयन्ते (ग) हस्यन्ते (घ) हस्यते।

22. धावकाः धावन्ति। धावकैः ……………
(क) धावन्ते (ख) धाव्यते (ग) धावते (घ) धाव्येते।

23. विद्याहीनाः न शोभन्ते। ……………… न शुभ्यते।
(क) विद्याहीनैः (ख) विद्याहीनेन (ग) विद्याहीनया (घ) विद्याहीनाभिः।

24. स: आचार्यः अस्ति। तेन …………………… भूयते।
(क) आचार्यः (ख) आचार्येण (ग) आचार्यम् (घ) आचार्यैः।

25. नायिका नृत्यति। …………………. नृत्यते।
(क) नायिकया (ख) नायिकाभिः (ग) नायिकाः (घ) नायिकान्।

26. मालाकारः सिञ्चति। ……………………… सिञ्च्यते।
(क) मालाकारैः (ख) मालाकाराभिः (ग) मालाकारेण (घ) मालाकारया।

27. ते पश्यन्ति। तैः ………….
(क) दृश्यते (ख) पश्यते (ग) पश्यन्ते (घ) दृश्यन्ते।

28. पुष्पाणि विकसन्ति। …………………………… विकस्यते।।
(क) पुष्पैः (ख) पुष्पाणि (ग) पुष्पेण (घ) पुष्पया।

29. रामः हन्ति। …………………. हन्यते।
(क) रामैः (ख) रामाभ्याम् (ग) रामया (घ) रामेण।

30. सः लभते। …………. लभ्यते।
(क) तेन (ख) तैः (ग) ताभ्याम् (घ) ताभिः।

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