CBSE Class 9 Hindi B लेखन कौशल संवाद लेखन

संवाद शब्द ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से बना है। संवाद का अर्थ है वार्तालाप या बातचीत। अर्थात् दो व्यक्तियों के बीच किसी विषय पर हुई बातचीत को संवाद कहते हैं। उनके मध्य हुई बातचीत को लिपिबद्ध करना ही संवाद-लेखन कहलाता है। अच्छा संवाद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • संवाद सुनने वाले की उम्र, रुचि को ध्यान में रखना चाहिए।
  • वाक्यों का स्पष्ट, शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। रोचकता और सहजता होनी चाहिए।
  • विषय पर पकड़ एवं संबद्धता होनी चाहिए।
  • मनोभावों को स्पष्ट करने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग आवश्यक है।

आइए संवाद लेखन के कुछ उदाहरण देखते हैं

प्रश्नः 1.
आजकल महँगाई बढ़ती ही जा रही है। इससे परेशान दो महिलाओं की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
रचना – अलका बहन नमस्ते! कैसी हो?
अलका – नमस्ते रचना, मैं ठीक हूँ पर महँगाई ने दुखी कर दिया है।
रचना – ठीक कहती हो बहन, अब तो हर वस्तु के दाम आसमान छूने लगे हैं।
अलका – मेरे घर में तो नौकरी की बँधी-बधाई तनख्वाह आती है। इससे सारा बजट खराब हो गया है।
रचना – नौकरी क्या रोज़गार क्या, सभी परेशान हैं।
अलका – हद हो गई है कोई भी दाल एक सौ बीस रुपये किलो से नीचे नहीं है।
रचना – अब तो दाल-रोटी भी खाने को नहीं मिलने वाली।
अलका – बहन कल अस्सी रुपये किलो तोरी और साठ रुपये किलो टमाटर खरीदकर लाई। आटा, चीनी, दाल, चावल मसाले दूध सभी में आग लगी है।
रचना – फल ही कौन से सस्ते हैं। सौ रुपये प्रति किलो से कम कोई भी फल नहीं हैं। अब तो लगता है कि डाक टर जब लिखेगा तभी फल खाने को मिलेगा।
अलका – सरकार भी कुछ नहीं करती महँगाई कम करने के लिए। वैसे जनता की भलाई के दावे करती है। जमाखोरों पर कार्यवाही भी नहीं करती है।
रचना – नेतागण व्यापारियों से चुनाव में मोटा चंदा लेते हैं फिर सरकार बनाने पर कार्यवाही कैसे करे।
अलका – गरीबों को तो ऐसे ही पिसना होगा। इनके बारे में कोई नहीं सोचता।

प्रश्नः 2.
यमुना की दुर्दशा पर दो मित्रों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
अजय – नमस्कार भाई साहब, शायद आप दिल्ली के बाहर से आए हैं।
प्रताप – नमस्कार भाई, ठीक पहचाना तुमने, मैं हरियाणा से आया हूँ।
अजय – मैं भी अलवर से आया हूँ। तुम यहाँ कैसे?
प्रताप – दिल्ली आया था। सोचा सवेरे-सवेरे यमुना में स्नान कर लेता हूँ पर
अजय – कल मेरा यहाँ साक्षात्कार था और आज कुछ और काम था। मैं भी यहाँ स्नान के लिए आया था।
प्रताप – इतनी गंदी नदी में कैसे नहाया जाए?
अजय – मैंने भी यमुना का बड़ा नाम सुना था, पर यहाँ ती उसका उल्टा निकला।
प्रताप – इसका पानी तो काला पड़ गया है।
अजय – फैक्ट्रियों और घरों का पानी लाने वाले कई नाले इसमें मिल जाते हैं न।
प्रताप – देखो, वे सज्जन फूल मालाएँ और राख फेंककर पुण्य कमा रहे हैं।
अजय – इनके जैसे लोग ही तो नदियों को गंदा करते हैं।
प्रताप – सरकार को नदियों की सफ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
अजय – केवल सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला। हमें खुद सुधरना होगा।
प्रताप – ठीक कहते हो। यदि सभी ऐसा सोचें तब न।
अजय – यहाँ की शीतल हवा से मन प्रसन्न हो गया। अब चलते हैं।
प्रताप – ठीक कहते हो। अब हमें चलना चाहिए।

प्रश्नः 3.
बढ़ती गरमी और कम होती वर्षा के बारे में दो मित्रों की बातचीत का संवाद-लेखन कीजिए।
उत्तर:
रवि – रमन, कैसे हो?
रमन – मत पूछ यार गरमी से बुरा हाल है।
रवि – गरमी इसलिए बढ़ गई है क्योंकि वर्षा भी तो नहीं हो रही है।
रमन – 24 जुलाई भी बीतने को है पर बादलों का नामोनिशान भी नहीं है।
रवि – मेरे दादा जी कह रहे थे, पहले इतनी गरमी नहीं पड़ती थी और तब वर्षा भी खूब हुआ करती थी।
रमन – ठीक कह रहे थे तुम्हारे दादा जी। तब धरती पर आबादी कम थी परंतु पेड़-पौधों की कमी न थी।
रवि – वर्षा और पेड़ पौधों का क्या संबंध?
रमन – पेड़-पौधे वर्षा लाने में बहुत सहायक हैं। जहाँ अधिक वन हैं वहाँ वर्षा भी खूब होती है। इससे गरमी अपने आप कम हो जाती है।
रवि – फिर तो हमें भी अपने आसपास खूब सारे पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
रमन – और हरे-भरे पेड़ों को कटने से बचाना भी चाहिए।
रवि – इस गरमी के बाद वर्षा ऋतु में खूब पौधे लगाएँगे।
रमन – यही ठीक रहेगा।

प्रश्नः 4.
कक्षा-IX में प्रवेश लेने आए छात्र और प्रधानाचार्य के मध्य बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
छात्र – नमस्ते सर। क्या मैं अंदर आ सकता हूँ।
प्रधानाचार्य – नमस्ते। आ जाओ। क्या बात है?
छात्र – जी, मुझे नौवीं कक्षा में प्रवेश चाहिए।
प्रधानाचार्य – आठवीं कक्षा तुमने कौन-से विद्यालय से उत्तीर्ण की है?
छात्र – जी, राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय ………………. से।
प्रधानाचार्य – क्या तुम अपना अंक-पत्र लाए हो?
छात्र – जी हाँ, यह रहा मेरा अंक-पत्र।
प्रधानाचार्य – तुम्हारे ग्रेड तो अच्छे हैं, पर तुम यहाँ प्रवेश क्यों लेना चाहते हो?
छात्र – मेरे पिता जी का स्थानांतरण अभी यहीं हुआ है। यह विद्यालय मेरे आवास से सबसे निकट है।
प्रधानाचार्य – कोई और कारण?
छात्र – जी मुझे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करनी है ताकि मैं ग्यारवीं में विज्ञान वर्ग में प्रवेश ले सकूँ।
प्रधानाचार्य – यह फार्म भरो और मिस्टर वर्मा से मिलो। वे तुम्हारा टेस्ट लेंगे।
छात्र – जी धन्यवाद।

प्रश्नः 5.
परीक्षा भवन में जाने से आधा घंटा पहले दो सहपाठियों में हुई बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
अमर – अरे विनय! सारी तैयारी कर लिया?
विनय – हाँ अमर मैंने तो सारा पाठ्यक्रम दोहरा लिया है।
अमर – मैंने तो रात में देर तक जगकर पढ़ाई की परंतु पाठ्यक्रम पूरा न हो सका।
विनय – तूने पाइथागोरस प्रमेय के सवाल किए हैं?
अमर – नहीं विनय, मेरा तो मन घबरा रहा है। कहीं प्रश्न पत्र पूरा हल न कर पाया तो।
विनय – इस तरह दिल छोटा नहीं करते। चल जल्दी से देख, यह रहा सूत्र और इस पर आधारित सवाल।
अमर – यार एक बार और समझा दे।
विनय – ठीक है। अच्छा कुछ और?
अमर – एक बार मुझे हीरोन के सूत्र के बारे में बता दे।
विनय – यह भी आसान है। यह रहा हीरोन का सूत्र।
अमर – इस पर आधारित कोई सवाल समझा दे न।
विनय – यह देख सवाल। ऐसे करते हैं।
अमर – धन्यवाद विनय। चल अब अंदर चलते हैं। घंटी बज रही है।
विनय – बेस्ट आफ लक।

प्रश्नः 6.
शोर के कारण पढ़ाई में उत्पन्न हो रही बाधा पर दो छात्रों के मध्य हुए संवाद का लेखन कीजिए।
उत्तर:
नमन – नमस्कार अजय! कैसे हो?
रमन – नमस्कार नमन ! मैं ठीक हूँ। परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है?
नमन – रमन तैयारी कर तो रहा हूँ, पर अच्छी तरह नहीं हो पा रही है।
रमन – क्या बात है, तबीयत तो ठीक है ना।
नमन – तबीयत तो एक दम ठीक है पर ……………….
रमन – पर क्या?
नमन – मेरी कॉलोनी में दो धार्मिक स्थल है जिससे वहाँ शोर होता रहता है।
रमन – क्या लोगों की ज़्यादा भीड़-भाड़ होती है वहाँ ?
नमन – लोगों की भीड़ तो कम पर वहाँ तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकर बजता रहता है।
रमन – इस बारे में सोसायटी के लोग मिलकर पुजारी से बात क्यों नहीं करते हैं।
नमन – कई बार बात की पर लगता है, दोनों पुजारियों में जैसे लाउडस्पीकर बजाने की प्रतियोगिता हो रही है।
रमन – उन्हें बताओ कि रात दस बजे के बाद लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध है।
नमन – अब तो लगता है कि उनके विरुद्ध थाने में शिकायत करनी पड़ेगी क्योंकि इसमें हमें नींद नहीं आती है और हमारे काम प्रभावित हो रहे हैं।
रमन – अवश्य, क्योंकि इसका संबंध सभी के स्वास्थ्य से है।

प्रश्नः 7.
अध्यापिका और गृहकार्य न करके आने वाले छात्र के बीच हुई बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
अध्यापिका – मोनू, अब तुम अपनी कॉपी निकालकर तैयार रहो।
मोनू,- जी मैम।
अध्यापिका – जल्दी ढूढों, तुम्हारा नंबर आ गया है।
मोनू – मैम! लगता है कॉपी तो घर रह गई।
अध्यापिका – तुमने काम किया ही न होगा।
मोनू – नहीं मैम, काम तो किया था।
अध्यापिका – पिछले सप्ताह भी तो तुमने यही बहाना किया था।
मोनू – ध्यान आ गया मैम, कल मैं घरवालों के साथ एक विवाह-पार्टी में चला गया और रात में देर से लौटा था।
अध्यापिका – तो काम पूरा करके पार्टी में जाना था।
मोनू – सोचा था, मैम कि आकर कर लूँगा पर समय ही नहीं मिला।
अध्यापिका – तुम झूठ बोलना भी सीखते जा रहे हो। यह अच्छी बात नहीं। कल अपने पिता या माँ को साथ लेकर आना।
मोनू – मैम एक आखिरी मौका दे दीजिए, प्लीज!

प्रश्नः 8.
वनों की अंधाधुंध कटाई पर चिंता प्रकट करते हुए दो मित्रों के मध्य हुए संवाद (बातचीत) को लिखिए।
उत्तर:
पुनीत – नमस्ते सुमित! कहाँ थे छुट्टियों में?
सुमित – नमस्ते पुनीत! इन छुट्टियों में मैं अपने नाना जी से मिलने चला गया था।
पुनीत – तुम्हारे नाना जी गाँव में रहते हैं क्या?
सुमित – हाँ पुनीत! वहाँ का हरा-भरा वातावरण छोड़कर आने को मन ही नहीं कर रहा था।
पुनीत – अच्छा रहा तुम हरे-भरे वातावरण का आनंद उठा आए।
सुमित – पुनीत, तुम दिल्ली में ही थे या कहीं गए थे।
पुनीत – मैं भी अपने चाचा के पास आगरा गया था।
सुमित – वहाँ ताजमहल देखकर बड़ा आनंद आया होगा न?
पुनीत – ताजमहल देखने के आनंद से अधिक दुख वहाँ कटते पेड़ों को देखकर हुआ। जहाँ कभी हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे अब घर बनते जा रहे हैं।
सुमित – यहाँ दिल्ली से तो जैसे हरियाली गायब ही हो गई है।
पुनीत – कुछ लोग वनों को काटकर अब वहाँ रेत, सीमेंट, कंकरीट और लोहे के मकानों के जंगल खड़े करते जा रहे
सुमित – जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गरमी, बाढ़ आना ये सब वनों के कटने के दुष्परिणाम हैं।
पुनीत – हमें लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होगा ताकि वनों की कटाई रुक सके।
सुमित – तुम्हारे इस अभियान में मैं और मेरे मित्र भी साथ देंगे।

प्रश्नः 9.
गरमी की ऋतु में पानी की कमी से उत्पन्न समस्या से परेशान दो महिलाओं की बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
गीता – अरे सीमा! क्या बात है कुछ परेशान-सी दिख रही हो।
सीमा – क्या बताऊँ, गीता, न कल दिन में पानी और न रात में।
गीता – गरमी आते ही बिजली की तरह ही पानी का संकट शुरू हो जाता है।
सीमा – बिजली न आने पर जैसे-तैसे झेल भी लेते हैं परंतु पानी के बिना बड़ी परेशानी होती है।
गीता – आखिर परेशानी क्यों न हो नहाना, धोना, खाना बनाना आदि काम पानी से ही तो होते हैं।
सीमा – अब तो गरमी भी अधिक पड़ने लगी है! इससे नदियाँ तक सूख जाने लगी हैं। आखिर इन्हीं नदियों का पानी शुद्ध करके शहरों में घर-घर भेजा जाता है।
गीता – पिछले सप्ताह मैंने देखा था कि मजदूरों की बस्ती में कई नल खुले थे, दो-तीन की टोटियाँ टूटी थी, जिनसे पानी बहता जा रहा था।
सीमा. – पानी की यही बरबादी तो जल संकट को जन्म दे रही है। हमें पानी की बरबादी अविलंब बंद कर देना चाहिए।

प्रश्नः 10.
नोटबंदी से उत्पन्न समस्या से परेशान दो लोगों की बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर:
मोहन – नमस्ते गोपी! लगता है काफ़ी पहले लाइन में लगने आ गए थे।
गोपी – कल दस बजे के बाद आया था। दिन भर लाइन में लगा रहा और शाम को खाली हाथ जाना पड़ा।
मोहन – इस नोटबंदी ने हम जैसों की कमर तोड़ दी है। जानते हो सब्जियाँ खरीदने वाली सौ रुपये की सब्जी खरीदकर पाँच सौ का पुराना नोट तुड़ाना चाहती है।
गोपी – मेरी तो कल दिहाड़ी मारी गई थी। लाइन में लगने से काम पर न जा सका था और आज तो भगवान ही मालिक है।
मोहन – अब तो फेरी लगाने पर रोटी भर के लिए भी पैसे कमाना मुश्किल हा गया है।
गोपी – ठेकेदार तो नोटबंदी का बहाना करके न पिछली मज़दूरी दे रहा है और न नया काम करवा रही है।
मोहन – पर सरकार कहती है कि इसका फायदा बाद में मिलेगा।
गोपी – ऐसे तो भुखमरी की स्थिति आ जाएगी।
मोहन – हमारे कई जाननेवाले मजदूर यहाँ से गाँव जा चुके हैं।
गोपी – सरकार ने हम गरीबों का तनिक भी ध्यान नहीं रखा। वह तो अच्छे दिनों का वाब दिखा रही है।
मोहन – उम्मीद रखो, कुछ दिन में शायद हालात ठीक हो जाएँ।
गोपी – इसी उम्मीद पर तो जिंदा हूँ।

प्रश्नः 11.
बस अड्डे पर टिकट विक्रेता और यात्री के मध्य संवाद का लेखन कीजिए।
उत्तर:
यात्री – नमस्ते, बाबू जी।
क्लर्क – नमस्कार। बताइए, क्या चाहिए आपको?
यात्री – जी, मुझे लखनऊ के लिए दो टिकट चाहिए।
क्लर्क – आप मुझे आठ सौ रुपए दीजिए।
यात्री – आप तो बहुत ज़्यादा किराया बता रहे हैं। इतना तो रेलगाड़ी का भी नहीं है।
क्लर्क – यह बस भी तो ए.सी. वाली है न।।
यात्री – मुझे बिना ए.सी. वाली बस का टिकट दे दीजिए।
क्लर्क – बिना ए.सी. वाली बस अभी एक घंटे पहले गई है। अब आज लखनऊ जाने वाली ऐसी कोई बस नहीं है।
यात्री – पर इसका किराया भी तो बहुत अधिक है।
क्लर्क – थोड़ी ही दूर पर रेलवे स्टेशन है। आप ट्रेन के बारे में पता करके चले जाइए।
यात्री – वहीं से तो लौटकर आया हूँ। लखनऊ जाने के लिए आज कोई रेलगाडी नहीं है।
क्लर्क – जल्दी बताओ, टिकट दूँ। तुम्हारे पीछे दूसरा यात्री आ गया है।
यात्री – आप दो टिकट दे दीजिए। ये लीजिए हज़ार का नोट।
क्लर्क – ये रहे आपके दो टिकट और शेष दो सौ रुपए।

प्रश्नः 12.
कुछ छोटे बच्चे अधिकांश समय टी.वी. देखते रहते हैं। इसका दुष्परिणाम उन्हें भुगतना पड़ता है। इसी विषय पर दो महिलाओं के बीच हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
रचना – अरे सरिता! बेटो को लेकर बाज़ार गई थी क्या?
सरिता – नहीं रचना, मैं इसे लेकर डॉक्टर के पास गई थी।
रचना – डॉक्टर के पास! क्यों, क्या हुआ इसे? यह तो स्वस्थ दिखाई पड़ रहा है।
सरिता – इसकी आँखें चेक करवानी थी। इसकी मैम कहती है कि छोटे अक्षर पढ़ने में परेशानी होती है।
रचना – पर ऐसा क्यों?
सरिता – यह स्कूल से आते ही बैग फेंककर कार्टून देखने लगता है। यह कई-कई घंटे टीवी देखता रहता है।
रचना – अधिक टीवी देखने का आँखों पर बुरा असर पड़ता है।
सरिता – डॉक्टर ने इसका वजन भी अधिक बताया है।
रचना – टीवी देखने से मोटापा तो बढ़ता ही है।
सरिता – अब इसके साथ कड़ाई से पेश आना होगा।
रचना – कड़ाई नहीं प्यार से इसे समझाओ और डॉक्टर की राय मानो।
सरिता – धन्यवाद रचना।

प्रश्नः 13.
पुत्र अपने जन्मदिन पर उपहारस्वरूप मोबाइल फ़ोन चाहता है। इस संबंध में पिता-पुत्र के मध्य संवाद लिखिए।
उत्तर:
पुत्र – पिता जी, आने वाली पंद्रह तारीख को मेरा जन्मदिन है। याद है न आपको?
पिता – अरे! मैं अपने बेटे का जन्मदिन कैसे भूल सकता हूँ।
पुत्र – पिता जी, इस बार मैं अपने दो-तीन नए दोस्तों को भी बुलाऊँगा।
पिता – यह तो और भी अच्छा रहेगा। अरे हाँ! जानते हो, इस बार मैंने उपहार में देने के लिए क्या सोचा है?
पुत्र – नहीं मुझे कैसे पता?
पिता – मैं तुम्हें ‘हमारे वैज्ञानिक’ नामक पुस्तक देना चाहता हूँ।
पुत्र – पर पिता जी, इस बार मुझे अच्छे किस्म वाला मोबाइल फ़ोन चाहिए।
पिता – बेटा, मोबाइल फ़ोन से तुम्हारी पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होगा। इसके अलावा तुम इसका दुरुपयोग भी कर सकते हो।
पुत्र – मेरे और मित्र तो फ़ोन लाते हैं।
पिता – विद्यालयों में विद्यार्थियों को फ़ोन लाने पर रोक है। ज़रा सोचो, अध्यापिका पढ़ा रही हो और फ़ोन की अलग-अलग ध्वनियाँ आने लगें, तो कैसा रहेगा?
पुत्र – आप ठीक कह रहे हैं। इससे पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होगा। आप मुझे उपहार में पुस्तक ही दीजिएगा।
पिता – ये हुई न राजा बेटे वाली बात।

प्रश्नः 14.
बिना हेलमेट के पहने बाइक चला रहे युवक और ट्रैफिक इंस्पेक्टर के बीच हुई बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
इंस्पेक्टर – इधर … इधर रोको अपनी बाइक को।
युवक – बताइए क्या बात है?
इंस्पेक्टर – बताइए! अच्छा, तुम्हारा हेलमेट कहाँ है? ।
युवक – मुझे ज्यादा दूर नहीं जाना था, सो बिना हेलमेट के निकल आया।
इंस्पेक्टर – तुम लाल बत्ती की परवाह किए बिना क्यों चले आ रहे हो?
युवक – मुझे थोड़ा जल्दी पहुँचना था।
इंस्पेक्टर – सड़क सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन करना कहाँ तक उचित है। चलो डी.एल. दिखाओ।
युवक – वह तो मैं घर भूल आया।
इंस्पेक्टर – फिर तो तुम्हारा चालान ज़रूर का,गा। निकालो 1200 रुपये।
युवक – आज छोड़ दीजिए भविष्य में ऐसा नहीं करूँगा।
इंस्पेक्टर – यह रहा तुम्हारा चालान।
युवक – थोड़ी-सी लापरवाही तो भारी पड़ गई। लीजिए ये रुपये।

प्रश्नः 15.
‘कार्टून फ़िल्मों का बच्चों पर प्रभाव’ विषय पर दो महिलाओं के मध्य हुए संवाद को लिखिए।
उत्तर:
रमा – नमस्ते सुमन! आज काफ़ी दिन बाद पार्क में आई हो?
सुमन – नमस्ते रमा! आना तो मैं रोज़ चाहती हूँ पर ……………….
रमा – पर क्या? आलस्य रोक लेता है?
सुमन – नहीं वो बात नहीं है? वो मेरा बेटा काव्य है न ………………
रमा – पहले तो तुम उसके साथ शाम को ज़रूर ही आ जाती थी, पर अब काव्य ने क्या कर दिया?
सुमन – आजकल वह स्कूल से आते ही टेलीविजन से चिपक जाता है। वह कार्टून देखते हुए ही नाश्ता करता है, अपनी पढ़ाई का काम करता है।
रमा – आजकल यह प्रवृत्ति बच्चों में तो बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है।
सुमन – इन कार्टून कार्यक्रमों के कारण बच्चों में लड़ने-झगड़ने और हिंसक प्रवृत्ति अपनाने की दुष्प्रवृत्ति पनप रही है।
रमा – ठीक कहती हो, अमेरिका में एक बच्चे ने अपने छोटे भाई के साथ ही हिंसक व्यवहार किया था।
सुमन – काव्य को भी मार-धाड़ वाले कार्टून ही अच्छे लगते हैं। समझ में नहीं आता क्या करूँ? मन तो करता है कि टी.वी. ही बेच दूँ।
रमा – अरे नहीं। सारे कार्टून बुरे नहीं होते हैं। बहुत-सी कार्टून फिल्में शिक्षाप्रद एवं मनोरंजक होती हैं। तुम उसे ऐसे कार्टून देखने के लिए प्रेरित करो।
सुमन – धन्यवाद! अच्छा अब चलते हैं।

प्रश्नः 16.
गरमी की छुट्टी बिताकर लौटे दो मित्रों की बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
शरद – नमस्ते अमर! कैसे हो?
अमर – नमस्ते! शरद मैं तो ठीक हूँ। कहो इस बार कहाँ घूमने गए थे।
शरद – मैं अपने दादा-दादी के पास इलाहाबाद घूमने गया था।
अमर – तुम्हारे दादा-दादी शहर में ही रहते हैं क्या?
शरद – नहीं शरद वहाँ से आठ किलोमीटर दूर एक गाँव में।
अमर – फिर तो गाँव में बड़ा मज़ा आया होगा!
शरद – ताज़ी हवा, खुला वातावरण, गंगा नदी का किनारा, कलरव करते पक्षी, ताजे फल और सब्जियाँ सब कुछ बहुत अच्छा था वहाँ।
अमर – प्रकृति के करीब जाने का अपना अलग ही आनंद है।
शरद – पर अमर तुम कहाँ गए थे, इन छुट्टियों में?
अमर – मैं देहरादून गया था।
शरद – इलाहाबाद में तो बड़ी गरमी थी, पर देहरादून में इतनी गरमी न रही होगी।
अमर – असली मज़ा तो मसूरी में आया। वहाँ गरमी न थी।
शरद – यही तो अपने देश का मज़ा है, कही गरमी है तो कहीं सरदी।
अमर – तभी तो अपना भारत महान है।

प्रश्नः 17.
बूढ़ा किसान अपने खेतों के पास की खाली ज़मीन में पौधे लगा रहा था। उसके और बालक अक्षय के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर:
अक्षय – राम-राम काका। इस धूप में आप यहाँ क्या कर रहे हैं।
किसान – बेटा राम-राम। आज इन फ़सलों को पानी लगाना है तो …।
अक्षय – पर आप तो खेत के किनारे गड्ढे क्यों खोद रहे हैं ?
किसान – इन गड्ढों में पौधे लगाऊँगा और फ़सलों के साथ-साथ इन्हें भी पानी दे दूंगा।
अक्षय – ये कौन-कौन से पौधे हैं ?
किसान – इनमें नीम शीशम बरगद, आम, जामुन आदि के पेड़ हैं।
अक्षय – इससे तुम्हारे खेत के किनारे छाया रहेगी और तुम्हें धूप नहीं लगेगी न।
किसान – हाँ बेटा और आने-जाने का फल भी मिलेगा।
अक्षय – पर आप तो बूढ़े हो गए हो। आप तो इन पेड़ों के फल खाने के लिए शायद ही जिंदा रहें।
किसान – बेटा मैंने तो दूसरों के लगाए पेड़ों के फल खाए हैं। अब मेरे लगाए पेड़ों से दूसरों को फल मिलेंगे।
अक्षय – मैं भी बड़ा होकर परोपकार करूँगा।
किसान – यह तो बहुत अच्छा होगा बेटा! जुग जुग जियो।

प्रश्नः 18.
बढ़ती रिश्वतखोरी के संबंध में दो मित्रों के मध्य संवाद लिखिए।
उत्तर:
केशव – नमस्ते अनुज! क्या हालचाल है?
अनुज – नमस्ते केशव! सब ठीक-ठाक है।
केशव – इस धूप में कहाँ से चले आ रहे हो? अनुज
अनुज – बिजली के दफ्तर से।
केशव – क्या समस्या आ गई?
अनुज – केशव पिछले चार बार से दफ़्तर वाले तीन-चार गुना तक बिल भेज रहे हैं। जब भी जाओ, कह देते हैं कि इस बार जमा करा दो, अगली बार ठीक हो जाएगा।
केशव – उन्होंने बिल ठीक कर दिया?
अनुज – नहीं केशव। कल कार्यालय से एक आदमी आया था। उसने कुछ कागज, पुराने बिलों की फोटोप्रति ली और ऑफिस आने को कहा।
केशव – क्या आज वह मिला फिर?
अनुज – फिर क्या, आज वही व्यक्ति दफ्तर में मिला और बिल ठीक करने के पाँच हजार रुपए रिश्वत माँग रहा है।
केशव – अनुज हर दफ़्तर का यही हाल है। बिना कुछ दिए कोई काम होता ही नहीं।
अनुज – मैं तो रिश्वत दूंगा नहीं। मैं इसकी शिकायत करूँगा।
केशव – तुमने ठीक ही सोचा है। मैं भी तुम्हारा साथ दूंगा।
अनुज – जी धन्यवाद।

प्रश्नः 19.
परीक्षा भवन से निकले दो छात्रों की बातचीत का संवाद-लेखन कीजिए।
उत्तर:
विजय – अरे संजय! कैसे हुआ तुम्हारा पेपर?
संजय – मज़ा आ गया। पेपर तो बहुत अच्छा था।
विजय – पर इस बार अपठित अंश में बहुविकल्पी प्रश्नःःः तो थे ही नहीं।
संजय – अब प्रश्नःःःों के उत्तर देने का तरीका बदल जा गया है।
विजय – कब से हुआ यह सब?
संजय – लगता है कि जब अध्यापक ने हमें बताया और समझाया था तब तुम नहीं थे कक्षा में।
विजय – तभी तो मैं कहूँ ये पेपर कैसे उल्टा-सीधा आ गया।
संजय – याद है उन दिनों तुम खूब छुट्टियाँ करके घर बैठ जाया करते थे।
विजय – उसका परिणाम अब भुगतना पड़ रहा है। यह तो अच्छा रहा कि पाठ्यपुस्तकें मैं ढंग से पढ़कर आया था वरना पास होने के भी लाले पड़ जाते।
संजय – इस परीक्षा के बाद अब नए सिरे से पढ़ाई में जुट जाओ और सभी तरह के बदलावों को अध्यापक एवं सहपाठियों से समझ लो ताकि ऐसी स्थिति न आए।
विजय – संजय अब ऐसा ही करूँगा।

प्रश्नः 20.
मिलावट की समस्या पर दो महिलाओं के मध्य हुए संवाद को लिखिए।
उत्तर:
विभा – नमस्ते उमा बहन! कहाँ से आ रही हो?
उमा – नमस्ते विभा! मैं बाज़ार से आ रही हूँ।
विभा – अरे हाँ! आज तो तुमने कुछ ज़्यादा ही खरीदारी कर रखी है।
उमा – खरीदारी नहीं विभा, कल नौकर को बाज़ार भेज दिया सामान लाने। उस दुकानदार ने रेट तो पूरे लिए पर नौकर को मिलावटी सामान पकड़ा दिए।
विभा – फिर क्या तुमने?
उमा – पहले तो चावलों से कंकड़-पत्थर, चने से गेहूँ, मटर कुछ साफ़ करने की कोशिश की, पर मिलावट के कारण साफ़ करना मुश्किल हो रहा था।
विभा – तुम्हें सामान को वापस कर देना चाहिए था। ये दुकानदार ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में चावल में कंकड़, अरहर में खेसारी की दाल, धनिया में बुरादा, घी में डालडा आदि मिलाते हैं।
उमा – उसी सामान को वापस करने गई थी। मैंने जब उपभोक्ता फोरम जाने की धमकी दी, तब उसने सामान वापस किया।
विभा – फिर ये सामान?
उमा – ये सामान में सरकारी केंद्रीय भंडार से ला रही हूँ।
विभा – यह समझदारी वाली बात हुई।
उमा – धन्यवाद! अच्छा अब चल जाए।

प्रश्नः 21.
बढ़ती बेरोजगारी से दुखी दो मित्रों की बातचीत का संवाद-लेखन कीजिए।
उत्तर:
अनिल – अरे अमित! यह थैला लटकाए कहाँ से आ रहे हो?
अमित – अनिल, मैं रोज़गार दफ़्तर से आ रहा हूँ।
अनिल – क्या नौकरी के रोज़गार दफ्तर से बुलावा आ गया है?
अमित – नहीं अनिल, अपना रजिस्ट्रेशन करवाने गया था, पर लाइन इतनी लंबी थी कि लौट आना पड़ा।
अनिल – यह लाइन वाली समस्या तो हर जगह की होती जा रही है।
अमित – जनसंख्या जो इतनी ज़्यादा होती जा रही है। इससे बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है।
अनिल – माँ-बाप इतनी महँगी फ़ीस देकर पढ़ाई करवाते हैं और फिर काम न मिलने पर कितनी निराशा होती है।
अमित – बेरोज़गारी के कारण युवाशक्ति अवांछित गतिविधियों में शामिल होने लगती है।
अनिल – भूखा व्यक्ति आखिर हर काम करने पर उतार आता है।
अमित – मैं तो नौकरी करने के बजाय अपना रोज़गार लगाऊँगा ताकि कुछ और लोगों को भी काम दे सकूँ।
अनिल – काश ऐसा हर नवयुवक सोचता तो स्थिति ही कुछ और होती।

प्रश्नः 22.
शहरों में बढ़ते प्रदूषण के संबंध में दो मित्रों के मध्य संवाद को लिखिए।
उत्तर:
अंकुर – नमस्ते! क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?
प्रताप – जी, मेरा नाम प्रताप है।
अंकुर – लगता है कहीं बाहर से दिल्ली आए हो।
प्रताप – जी, मैं शिमला के एक छोटे-से गाँव से आया हूँ, यहाँ परीक्षा देने।
अंकुर – फिर तो तुम्हारा गाँव हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त होगा।
प्रताप – ठीक कहा आपने। यहाँ दिल्ली की हवा और वहाँ की हवा में भी बहुत अंतर है।
अंकुर – वहाँ खूब सारे पेड़ हैं और यहाँ ज़हर उगलती फैक्ट्रियाँ, ईंट, सीमेंट और कंक्रीट के जंगल हैं।
प्रताप – वहाँ की नदियों का पानी निर्मल है, जिसे देखते ही पीने का मन होता है।
अंकुर – तुम यहाँ की यमुना को देखो। कितनी गंदी हो चुकी है। इसके पानी को पीना तो दूर नहाने का भी मन नहीं करता।
प्रताप – आखिर ऐसा क्यों?
अंकुर – यहाँ नालों और फैक्ट्रियों का दूषित जल नदी में मिल जाता है।
प्रताप – यहाँ शोर-शराबा भी तो है?
अंकुर – यहाँ मोटर-गाड़ियों के हॉर्न, उनका शोर कभी-कभी कान बंद करने को विवश कर देता है।
प्रताप – इसका कारण क्या हो सकता है?
अंकुर – इसका कारण स्पष्ट रूप से बढ़ती जनसंख्या है।

प्रश्नः 23.
दुकान पर सामान खरीदने आए ग्राहक और दुकानदार के मध्य हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर:
ग्राहक – लाला जी राम-राम!
दुकानदार – बताइए क्या-क्या आपको?
ग्राहक – अभी तो आप 250 ग्राम वाली चाय का एक पैकेट दे दीजिए।
दुकानदार – यह लो बहुत ही अच्छी चाय है। पीकर याद करोगे।
ग्राहक – कितने रुपये दूं?
दुकानदार – जी अस्सी रुपये।
ग्राहक – पर इसका असली दाम तो आपने खुरचकर मिटा दिया है। यह स्टिकर क्यों लगा है।
दुकानदार – अब यही इसका नया दाम है। लेना हो लो … ।
ग्राहक – दाम तो नया है पर चाय तो पुरानी वाली है। इसका दाम भी पुराना वाला ही आपको लेना चाहिए। लेते हैं पुराना दाम या करूँ सौ नंबर पर फोन?
दुकानदार – फ़ोन मत कीजिए। मुझे पैंसठ रुपये दे दीजिए।
ग्राहक – अब आप भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे।
दुकानदार – जी ठीक है।

प्रश्नः 24.
गांधी आश्रम पर कपड़ा खरीदने आए युवक से विक्रेता की जो बातचीत हुई होगी, उसका संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर:
युवक – नमस्ते सर, मुझे अपने लिए कपड़ा चाहिए। किस काउंटर पर जाऊँ?
कर्मचारी – आप दाहिनी ओर के काउंटर-7 पर जाएँ।
युवक – मुझे शर्ट के लिए कपड़ा चाहिए।
कर्मचारी – यहाँ उत्तम कोटि के खादी वस्त्र मिलेंगे।
युवक – वह चेकवाला कपड़ा दिखाएँ और दाम बताए।
कर्मचारी – यह बहुत अच्छा कपड़ा है। इसका दाम चार सौ रुपये प्रति मीटर है।
युवक – चार सौ रुपये प्रति मीटर यानी दो मीटर के ₹ 800। यह तो बहुत महँगा है।
कर्मचारी – पर इन कपड़ों को पहनने का आनंद अलग है। इनकी क्वालिटी उत्तम है।
युवक – मैं कोई और कपड़ा खरीद लूँगा।
कर्मचारी – पर खादी का यह कपड़ा हमारे मन में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना बढ़ाता है। यह हमारे देश में ही बना है।
युवक – फिर तो आप दो कमीजों का कपड़ा दे दीजिए।
कर्मचारी – जी धन्यवाद। देश को आप जैसे युवाओं की ज़रूरत है।

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