Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions Set 10 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 10 with Solutions
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और ‘ख’। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/ वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘क’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 49 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘ख’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘क’
वस्तुपरक/बहुविकल्पीय प्रश्न (अंक : 40)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 x 5 = 5)
लोकतंत्र शासन-पद्धति में लोक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लोकतंत्र को जनता का जनता द्वारा जनता के लिए निर्मित तंत्र माना जाता है। इस पद्धति में जनता जितनी अधिक जागरूक होगी, लोकतंत्र उतना ही अधिक मज़बूत होगा। जनता अपने आस-पास की दुनिया के विषय में जानकर जागरूक रह सकती है और इस कार्य के लिए समाचार-पत्र सर्वसुलभ, सबसे सस्ता और उपयोगी साधन है। तभी अठारहवीं शताब्दी के अंत में एडमंड वर्क ने समाचार-पत्रों को ‘फ़ोर्थ स्टेट’ की संज्ञा दी थी। उसके अनुसार शासन को संचालित करने वाली शक्तियों में ‘किंग’, ‘पार्लियामेंट’ तथा ‘चर्च’ के बाद समाचार-पत्रों का ही स्थान था। भारत में हम कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के बाद समाचार-पत्रों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कह सकते हैं। समाचार-पत्र लोकतंत्र के प्रहरी होते हैं। लोकतंत्र में जनमत की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
समाचार-पत्र जनमत तैयार भी करते हैं और जनमत को वाणी भी देते हैं। समाचार-पत्रों के संपादकीय और अग्रलेख राष्ट्र और समाज की समसामयिक आवश्यकताओं और समस्याओं पर केंद्रित होते हैं। वे उन्हें सही रूप में सामने ही नहीं लाते, उनका विश्लेषण-विवेचन भी करते हैं और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। ‘अपनी बातें, ‘लोकवाणी’, ‘पाठकों के पत्रों से’ आदि शीर्षकों से पाठकों के विचारों को भी प्रकाशित करते हैं। पाठक इन सबसे गुज़रकर इन समस्याओं पर अपना मत बना लेता है। यदि पाठक को यह विश्वास हो कि समाचार-पत्र किसी विचारधारा विशेष से बँधा हुआ नहीं है, सत्यान्वेषण में तटस्थ दृष्टि रखता है और तर्कसंगत बात कहता है तो पाठक उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। रेडियो, दूरदर्शन भी यह काम करते हैं किंतु समाचार-पत्र इन सबसे सस्ता और सुलभ साधन है।
समाचार-पत्र जनता को जागरूक बनाते हैं। वे देश-विदेश की महत्वपूर्ण घटनाओं, समस्याओं, खबरों से उसे अवगत रखते हैं। वे जनता और शासन के बीच कड़ी का काम करते हैं। समाचार-पत्र देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, शोषण, अन्याय, नौकरशाही, अंधविश्वास, पाखंड आदि का पता लगाते हैं और इस प्रकार जीवन की शुचिता बनाए रखने में सहायक सिद्ध होते हैं। वे जनता के दुःख-दर्द को सरकार के सामने लाते हैं और शासक उन्हें दूर करने का प्रयत्न करता है। अखबारों में प्रायः ऐसी किसी-न-किसी समस्या का विवरण मिल जाता है, जिसकी ओर से शासन अनभिज्ञ होता है। अखबार में छपने पर शासन को गतिशील होते देखा जाता है। इसी कारण गलत काम करने वाले, चाहे वे जनता में हों अथवा शासन में, अखबार में खबर छपने से डरते हैं। नेपोलियन ने उचित ही लिखा था-‘मैं लाखों विरोधियों की अपेक्षा तीन विरोधी समाचार-पत्रों से अधिक भयभीत रहता हूँ।’
(क) किस पद्धति में लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती
(i) लोकतंत्र की शासन पद्धति में
(ii) लोकमत की शासन पद्धति में
(iii) राजतंत्र की शासन पद्धति में
(iv) राजमत की
उत्तरः
(i) लोकतंत्र की शासन पद्धति में
(ख) समाचार पत्र को लोकतंत्र का प्रहरी क्यों कहा जाता
(i) क्योंकि वे लोकतंत्र की रक्षा करते हैं।
(ii) क्योंकि वे जनमत को वाणी देते हैं।
(iii) क्योंकि वे सर्वसुलभ होते हैं।
(iv) क्योंकि वे सबके पास होते हैं।
उत्तरः
(ii) क्योंकि वे जनमत को वाणी देते हैं।
(ग) लोकतंत्र के प्रहरी कौन होते हैं?
(i) पहरेदार
(ii) सैनिक
(iii) समाचार पत्र
(iv) संसद
उत्तरः
(iii) समाचार पत्र
(घ) समाचार पत्र जनता को क्या बनाते हैं?
(i) जागरूक
(ii) जनक
(ii) सच्चा नागरिक
(iv) नागरिक
उत्तरः
(i) जागरूक
(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए
कथन (A): समाचार-पत्र का कार्य जनता को जागरूक करना होता है।
कारण (R): समाचार-पत्र जनता और शासन के बीच कड़ी का काम करते हुए जनता की समस्याओं को शासन के सामने लाते हैं।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही है
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत है
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तरः
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसी एक पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-I पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
सच हम नहीं सच तुम नहीं,
सच है सतत संघर्ष ही।
संघर्ष से हट कर जिये तो क्या जिये हम या कि तुम।
जो नत हुआ वह मृत हुआ, ज्यों वृन्त से झर कर कुसुम।
जो लक्ष्य भूल रुका नहीं।
जो हार देख झुका नहीं।
जिसने प्रणय पाथेय माना, जीत उसकी ही रही।
सच हम नहीं सच तम नहीं।
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे।
जो है जहाँ चुपचाप अपने-आप से लड़ता रहे।
जो भी परिस्थितियाँ मिलें,
कांटे चुभे, कलियां खिलें,
हारे नहीं इन्सान, है संदेश जीवन का यही,
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
(क) मनुष्य के लिए संघर्ष ही सच क्यों है?
(i) क्योंकि उसके द्वारा किया गया संघर्ष हमेशा याद किया जाएगा।
(ii) क्योंकि उसका जीवन नश्वर है।
(iii) क्योंकि वह ऐसा ही चाहता है।
(iv) क्योंकि यही सच है।
उत्तरः
(i) क्योंकि उसके द्वारा किया गया संघर्ष हमेशा याद किया जाएगा।
(ख) किस व्यक्ति को जीत मिलती है?
(i) जो हमेशा खेलता है
(ii) जो हमेशा जीतता है
(iii) जो कभी हार नहीं मानता
(iv) हारे हुए व्यक्ति को
उत्तरः
(ii) जो हमेशा जीतता है
(ग) मनुष्य के जीवन का क्या लक्ष्य बताया गया है?
(i) जीवन जीना
(ii) हार मान जाना
(iii) निराश होना
(iv) निरंतर प्रगति करना
उत्तरः
(iv) निरंतर प्रगति करना
(घ) हारा हुआ व्यक्ति किसके समान है?
(i) निराश व्यक्ति के समान
(ii) उदास व्यक्ति के समान
(iii) पेड़ से टूटे हुए फूल के समान
(iv) फूल के
उत्तरः
(iii) पेड़ से टूटे हुए फूल के समान
(ङ) पद्यांश के अनुसार मनुष्य का व्यक्तित्व कब निखरता
(I) संघर्ष से तपकर
(II) हार से जीतकर
(III) निराशा में डूबकर
(IV) आशावान बनकर
विकल्प
(i) कथन (II) सही है
(ii) कथन (I), (II) व (III) सही हैं
(iii) कथन (I), (II) व (IV) सही हैं
(iv) कथन (1), (II), (III) व (IV) सही हैं
उत्तरः
(iii) कथन (I), (II) व (IV) सही हैं
अथवा
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-I पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम।
पीला हुए हैं झूल-झूल कर
पलनों में हम एक पवन के।
रंग-रंग के रूप हमारे
अलग-अलग हैं क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब
रहते नीचे एक गगन के।
(क) पद्यांश में ‘हम सब’ किसके लिए कहा गया है?
(i) जनता के लिए
(ii) बाग की तितली के लिए
(iii) भारतवासियों के लिए
(iv) बाग के पक्षी के लिए
उत्तरः
(iii) भारतवासियों के लिए
(ख) अलग-अलग क्यारी किसे कहा गया है?
(i) भारत को
(ii) विभिन्न प्रान्तों को
(iii) पेड़ को
(iv) घर को
उत्तरः
(ii) विभिन्न प्रान्तों को
(ग) हम सब मिलकर किसकी शोभा बढ़ा रहे हैं?
(i) विश्व की
(ii) विदेश की
(iii) भारत की
(iv) मन्दिर की
उत्तरः
(iii) भारत की
(घ) हमारा माली कौन है?
(i) सैनिक
(ii) ईश्वर
(iii) देश का नेता
(iv) पुजारी
उत्तरः
(ii) ईश्वर
(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए
कथन (A): सब सुमन विभिन्न धर्म और जाति के लोगों को कहा गया है।
कारण (R) : भारत में सब धर्मों को मानने वाले लोग एक-साथ मिलजुलकर रहते है।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तरः
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) यह वही बालक है जो कल चौराहे पर मिला था। रेखांकित उपवाक्य का भेद बताइए
(i) संज्ञा उपवाक्य
(ii) विशेषण उपवाक्य
(iii) क्रियाविशेषण उपवाक्य
(iv) प्रधान उपवाक्य
उत्तरः
(ii) विशेषण उपवा
(ख) उसने परिश्रम नहीं किया इसलिए वह असफल हो गया। वाक्य का सरल वाक्य में रूप होगा
(i) परिश्रम नहीं करने के कारण वह असफल हो गया।
(ii) वह असफल हो गया क्योंकि उसने परिश्रम नहीं किया।
(iii) उसने परिश्रम नहीं किया इसलिए ही तो वह असफल हो गया।
(iv) असफल हो गया वह परिश्रम नहीं किया उसने।
उत्तरः
(i) परिश्रम नहीं करने के कारण वह असफल हो गया।
व्याख्यात्मक हल: सरल वाक्य में एक उद्देश्य और एक क्रिया होते हैं। अतः यही सही उत्तर है।
(ग) वह नाश्ता करके पढ़ने बैठ गया। वाक्य का संयुक्त वाक्य में रूप होगा-
(i) वह पढ़ने बैठ गया और नाश्ता भी कर लिया।
(ii) उसने पढ़ने से पहले नाश्ता कर लिया।
(iii) उसने नाश्ता किया और पढ़ने बैठ गया।
(iv) उसने नाश्ता किया क्योंकि उसे पढ़ना था।
उत्तरः
(ग) (iii) उसने नाश्ता किया और पढ़ने बैठ गया।
व्याख्यात्मक हल: संयुक्त वाक्य में दो सरल वाक्य होते हैं जो अपनेआप में पूर्ण अर्थ को व्यक्त करते हैं।
(घ) परिश्रम करने वाले सदा सफल होते हैं। वाक्य का मिश्र वाक्य में रूप होगा
(i) जो परिश्रम करते हैं वे सदा सफल होते हैं।
(ii) सदा परिश्रम करने वाले ही सफल होते हैं।
(iii) सदा सफल होने वाले ही परिश्रम करते हैं।
(iv) सफल होता है सदा परिश्रम करता है जो।
उत्तरः
(घ) (i) जो परिश्रम करते हैं वे सदा सफल होते
व्याख्यात्मक हल: मिश्र वाक्य में एक वाक्य दूसरे पर आश्रित होता है। प्रधान उपवाक्य और आश्रित उपवाक्य समुच्चयबोधक अव्यय द्वारा जुड़े हुए होते
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. जो राजा पहले प्रतापी था, अब निरंकुश हो गया। | (I) मिश्र वाक्य |
2. उसे फल खरीदने थे इसलिए बाजार गया। | (II) सरल उपवाक्य |
3. बादल घिरने पर वर्षा होने लगी | (III) संयुक्त वाक्य |
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ii) 1-(II), 2-(III), 3-(I)
(iii) 1-(I), 2-(II), 3-(III)
(iv) 1-(III), 2-(II), 3-(I)
उत्तरः
(ङ) (i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) कहानीकार के द्वारा कहानी सुनाई जा रही है। वाक्य का कर्तृवाच्य में रूप होगा
(i) कहानीकार कहानी सुना रहा है।
(ii) कहानी सुना रहा है कहानीकार।
(iii) कहानीकार के द्वारा सुनाई जा रही है कहानी।
(iv) कहानीकार से कहानी सुनाई जा रही है।
उत्तरः
(i) कहानीकार कहानी सुना रहा है।
(ख) मरीज़ उठ नहीं सकता। वाक्य का भाववाच्य में रूप होगा
(i) उठ नहीं सकता मरीज़।
(ii) मरीज़ से उठा नहीं जा सकता।
(iii) उठा नहीं जा सकता मरीज़ से।
(iv) नहीं उठ सकता मरीज़।
उत्तरः
(ii) मरीज़ से उठा नहीं जा सकता।
(ग) ड्राइवर ने ब्रेक लगाए। वाक्य का कर्मवाच्य में रूप होगा
(i) ब्रेक लगाए गए ड्राइवर के द्वारा।
(ii) ब्रेक लगाए गए ड्राइवर से।
(iii) ड्राइवर के द्वारा ब्रेक लगाए गए।
(iv) ब्रेक लगाए ड्राइवर ने।
उत्तरः
(iii) ड्राइवर के द्वारा ब्रेक लगाए गए।
(घ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. क्या तुम्हारे द्वारा इन्द्रधनुष देखा गया ? | (I) कर्तृवाच्य |
2. सर्दियों में गर्म पानी से नहाते हैं। | (II) भाववाच्य |
3. तुमसे चुप नहीं रहा जाता। | (III) कर्मवाच्य |
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ii) 1-(II), 2-(III), 3-(I)
(iii) 1-(I), 2-(II), 3-(III)
(iv) 1-(III), 2-(II), 3-(I)
उत्तरः
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ङ) बच्चे बर्गर चाव से खाते हैं। वाच्य बताइए
(i) कृतवाच्य
(ii) कर्मवाच्य
(iii) भाववाच्य
(iv) वाच्य
उत्तरः
(i) कृतवाच्य
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) दिल्ली भारत की राजधानी है। वाक्य में रेखांकित पद का परिचय होगा
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, सम्बन्ध कारक।
(ii) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
(iii) समूहवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, करण कारक।
(iv) द्रव्यवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक।
उत्तरः
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, सम्बन्ध कारक।
(ख) वे बच्चे कभी-कभी बहुत शरारत करते हैं। वाक्य में रेखांकित पद का परिचय होगा
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(iii) संज्ञा, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, सार्वनामिक, पुल्लिंग, बहुवचन।
उत्तरः
(iv) विशेषण, सार्वनामिक, पुल्लिंग, बहुवचन।
(ग) उसने दावत में खूब खाया। वाक्य में रेखांकित पद का परिचय होगा
(i) कालवाचक क्रियाविशेषण
(ii) स्थानवाचक क्रियाविशेषण
(iii) रीतिवाचक क्रियाविशेषण
(iv) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
उत्तरः
(iv) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
(घ) दयालु व्यक्ति ने घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया। वाक्य में रेखांकित पद का परिचय होगा
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(iii) संज्ञा, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन।
उत्तरः
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ङ) सुरेश ईमानदार है – वाक्य में रेखांकित पद का परिचय होगा
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
(ii) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
(iii) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, करण कारक।
(iv) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक।
उत्तरः
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘माया महाठगनी हम जानी, त्रिगुण फांस लिए कर डोले बोले मधुर वाणी’-पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है-
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(i) श्लेष
व्याख्यात्मक हल: यहाँ ‘त्रिगुण’ के अर्थ हैं-सत, रज और तम। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।
(ख) ‘उन्नत हिमालय के धवल, वह सुरसरि यों टूटती, मानो पयोधर से धारा के, दुग्ध धारा छूटती’ पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(ii) उत्प्रेक्षा
व्याख्यात्मक हल: यहाँ हिमालय से निकलती हुई गंगा को पृथ्वी की छाती से निकलती हुई दूध की धारा के जैसे होने की संभावना की जा रही है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ग) ‘मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के’-पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(iii) मानवीकरण
व्याख्यात्मक हल: यहाँ बादलों को मानव के समान सज-संवर कर व्यवहार करते हुए बताया गया है। अतः मानवीकरण अलंकार है।
(घ) ‘जिस दिन जनम लियो आल्हा ने, धरती धंसी अढ़ाई हाथ’-पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(iv) अतिशयोक्ति
व्याख्यात्मक हल: आल्हा के जन्म लेने मात्र से धरती का ढाई हाथ नीचे धंसना अतिशयोक्तिपूर्ण है। अतः अतिशयोक्ति अलंकार है।
(ङ) ‘कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान’-पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(iv) अतिशयोक्ति
व्याख्यात्मक हल: यहाँ म्यान से निकलते ही शत्रुओं के प्राण निकलना अतिशयोक्तिपूर्ण है अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
उस समय तक हमारे परिवार में लड़की के विवाह के लिए अनिवार्य योग्यता थी-उम्र में सोलह वर्ष और शिक्षा में मैट्रिक। सन् 44 में सुशीला ने यह योग्यता प्राप्त की और शादी करके कोलकाता चली गई। दोनों बड़े भाई भी आगे पढ़ाई के लिए बाहर चले गए। इन लोगों की छत्र-छाया के हटते ही पहली बार मुझे नए सिरे से अपने वजूद का एहसास हुआ। पिता जी का ध्यान भी पहली बार मुझ पर केंद्रित हुआ। लड़कियों को जिस उम्र में स्कूली शिक्षा के साथ-साथ सुघड़ गृहिणी और कुशल पाक-शास्त्री बनाने के नुस्खे जुटाए जाते थे, पिता जी का आग्रह रहता था कि मैं रसोई से दूर ही रहँ। रसोई को वे भटियारखाना कहते थे और उनके हिसाब से वहाँ रहना अपनी क्षमता और प्रतिभा को भट्टी में झोंकना था। घर में आए दिन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के जमावड़े होते थे और जमकर बहसें होती थीं।
(क) लड़की की वैवाहिक योग्यता से सिद्ध होती है, उस परिवार की
(i) स्वतंत्र विचारधारा
(ii) परंपरावादी विचारधारा
(iii) पाश्चात्य विचारधारा
(iv) अत्याधुनिक विचारधारा
उत्तरः
(ii) परंपरावादी विचारधारा
(ख) बड़े बहिन-भाई के परिवार से जाने के बाद-
(i) परिवार में लेखिका का महत्व बढ़ गया
(ii) माता-पिता से अधिक प्यार मिलने लगा
(iii) लेखिका को अपने अस्तित्व का बोध हो गया
(iv) लेखिका को पाक-शास्त्र पढ़ाया जाने लगा
उत्तरः
(iii) लेखिका को अपने अस्तित्व का बोध हो गया
(ग) लेखिका के पाक-शास्त्री बनने के विषय में पिताजी का क्या मानना था?
(i) पाक-क्रिया की कुशलता से लड़की सुघड़ गृहिणी बनती है
(ii) विवाह के उपरांत ससुराल में उसकी सराहना होती है
(iii) उसका गृहस्थ जीवन सुखी होता है
(iv) रसोई के काम से उसकी प्रतिभा और योग्यता कुंद हो जाती है
उत्तरः
(iv) रसोई के काम से उसकी प्रतिभा और योग्यता कुंद हो जाती है
(घ) ‘पिताजी का आग्रह था कि मैं रसोई से दूर ही रहूँ’-यहाँ ‘मैं’ शब्द से किसकी ओर संकेत किया गया है?
(i) लेखिका की ओर
(ii) सुशीला की ओर
(iii) पिताजी की ओर
(iv) माँ की ओर
उत्तरः
(i) लेखिका की ओर
(ङ) ‘इन लोगों की छत्र-छाया हटते ही’-कथन में किन लोगों की ओर संकेत किया गया है
(i) क्षमता और प्रतिभा
(ii) भाई-बहिन
(iii) माता-पिता
(iv) सखी-सहेली
उत्तरः
(ii) भाई-बहिन
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 2 = 2)
(क) काशी को किसकी पाठशाला कहा जाता है ?
(i) संस्कृति की
(ii) संगीत की
(iii) बिस्मिल्ला खाँ की
(iv) शहनाई की
उत्तरः
(i) संस्कृति की
(ख) लेखक ने दूसरी बार खीरा खाने से क्यों मना किया?
(i) उन्हें खीरा पसंद नहीं था
(ii) खीरा पेट पर बोझ डाल देता है
(iii) उन्हें आत्मसम्मान को बचाना था
(iv) क्योंकि वे सो रहे थे
उत्तरः
(iii) उन्हें आत्मसम्मान को बचाना था
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
ऊधौ, तुम हो अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तै, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यों जल माह तेल की गागरि, बंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी में पाऊँ न बौरयो, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चांटी ज्यों पागी।
(क) गोपियाँ किसे बड़भागी कहती हैं?
(i) स्वयं को
(ii) उद्धव को
(iii) श्रीकृष्ण को
(iv) कवि को
उत्तरः
(ii) उद्धव को
(ख) गोपियों के अनुसार उद्धव किससे दूर रहे?
(i) प्रेम रूपी धागे से
(ii) गोपियों से
(iii) कमल के पत्ते से
(iv) तेल की गगरी से
उत्तरः
(i) प्रेम रूपी धागे से
(ग) गोपियों ने स्वयं के प्रेम को किसके समान बताया है?
(i) कमल के पत्ते के
(ii) तेल लगी हुई गगरी के
(iii) गुड़ से चिपकी हुई चींटियों के
(iv) उद्धव के
उत्तरः
(iii) गुड़ से चिपकी हुई चींटियों के
(घ) उद्धव के मन में किसके प्रति अनुराग नहीं है?
(i) गोपियों के प्रति
(ii) श्रीकृष्ण के प्रति
(iii) स्वयं के प्रति
(iv) कवि के प्रति
उत्तरः
(ii) श्रीकृष्ण के प्रति
(ङ) गोपियों के अनुसार उद्धव ने किसमें अपने पैरों को नहीं डुबोया?
(i) सूरदास ने
(ii) श्रीकृष्ण ने
(iii) गोपियों ने
(iv) उद्धव ने
उत्तरः
(iv) उद्धव ने
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘आत्मकथ्य’ में कवि ने अपने जीवन की सुखद स्मृतियों को किस रूप में देखा है?
(i) पाथेय के रूप में
(ii) दुखी करने वाले के रूप में
(iii) अपनी पत्नी के रूप में
(iv) अपनी प्रेयसी के रूप में
उत्तरः
(i) पाथेय के रूप में
(ख) परशुराम के क्रोधित होने का क्या कारण था?
(i) राम का जनक सभा में आना
(ii) शिवधनुष का टूटना
(iii) लक्ष्मण का परशुराम से बात करना
(iv) विश्वामित्र का बोलना
उत्तरः
(ii) शिवधनुष का टूटना
खंड ‘ब’
दर्णनाल्कक प्रश्न (अंक : 40)
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) नवाब साहब का कौन-सा भाव परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों?
उत्तरः
लेखक जब डिब्बे में चढ़े तब नवाब साहब के चेहरे पर असन्तोष के भाव स्पष्टतया नजर आ रहे थे। उन्होंने संगति के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाया और अचानक से खीरे खाने के लिए पूछना लेखक को अच्छा नहीं लगा। एक ओर तो उन्हें लेखक से बात करना भी गँवारा नहीं था और अब अचानक खीरे के लिए पूछना उन्हें अच्छा नहीं लगा।
(ख) लेखिका के मन में हीनता की ग्रन्थि कैसे पनप गयी थी? उसका क्या दुष्परिणाम हुआ?
उत्तरः
लेखिका के पिता उसकी बड़ी बहिन सुशीला को उसके स्वस्थ शरीर, हँसमुख स्वभाव और गोरे रंग-रूप के कारण बहुत प्यार करते थे। वे हर बात में उसकी प्रशंसा और उससे लेखिका की तुलना करते थे। इससे लेखिका के मन में अपने-आप हीनता की ग्रन्थि पनप गयी थी। इस हीन-ग्रन्थि ने उसे हमेशा के लिए दबा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि वह अपनी उपलब्धियों पर भरोसा नहीं कर पाती थी। खण्डित विश्वास के कारण अपनी उपलब्धि को वह तुक्का समझने लगी, उसे वह अपनी योग्यता का प्रतिफल नहीं मानती थी।
(ग) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है?
उत्तरः
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के माध्यम से लेखक ने यह सन्देश देने का प्रयास किया है कि आजकल लोगों के मन में देशभक्ति की भावना कम होती जा रही है। चश्माविहीन मूर्ति इसी बात का प्रतीक है, लेकिन उस पर कैप्टन द्वारा चश्मा लगाना और अन्त में सरकंडे का चश्मा लगाना इस बात का प्रतीक है कि समाज में आज भी इस प्रकार के लोग हैं जिनके मन में देशभक्तों के प्रति श्रद्धा के भाव हैं।
(घ) ‘पूरब में लोही लग गई थी। पंक्ति का आशय ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर स्पष्ट ीजिए।
उत्तरः
जब सूर्योदय से पूर्व आकाश में तारे झिलमिला रहे होते हैं और कुहरे से आवृत्त धरती रहस्यमयी सी लगती है , उस समय पूर्व दिशा में सूर्य की हल्की सी लाली सूर्य के उदय होने की सूचना देती हुई सी प्रतीत होती है। ‘लोही लगने’ का तात्पर्य सूर्य के पूरी तरह से निकलने से पहले आसमान में छाई हुई लालिमा से है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) दिखावा प्रधान आधुनिक समाज में क्या संगतकार जैसे व्यक्ति की कोई उपयोगिता है? इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
आज के दिखावा प्रधान आधुनिक समाज में संगतकार जैसे व्यक्तियों की उपयोगिता घटती जा रही है। आज पहले जैसे सहायक और नि:स्वार्थ व सच्चे संगतकार कम ही होते हैं। आज के समय में तो लोग मुख्य व्यक्ति का फायदा उठाकर या उसे गिराकर स्वयं आगे बढ़ने की होड़ में लगे रहते हैं। संगतकार जैसे अन्य क्षेत्रों में सहायक की भूमिका निभाने वाले सच्चे लोगों में नैतिक मूल्य कम होते जा रहे हैं। आजकल लोग अवसरवादी हो गए हैं। दूसरों की टांग खींचने में उन्हें बड़ा आनंद आता है। परंतु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। आज भी ये दुनिया ऐसे सच्चे और परोपकारी संगतकारों व सहायकों पर टिकी हुई है। जो अपना सहारा देकर मुख्य व्यक्ति को सफल बनाने में जी-जान लगा देते हैं।
(ख) लक्ष्मण ने धनुष टूटने के सम्बन्ध में क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तरः
लक्ष्मण ने धनुष टूटने के निम्नलिखित तर्क दिए
(i) धनुष पुराना और जीर्ण-शीर्ण था।
(ii) राम ने तो इसे देखा भर था, उनके छूते ही यह टूट गया तो इसमें राम का क्या दोष?
(ग) फागुन की आभा कैसी है और ‘अट नहीं रही है’ कविता में उसकी स्थिति कैसी वर्णित हुई है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन मास में वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन है। फागुन की शोभा सर्वव्यापक है। चहुँओर वह इस प्रकार व्याप्त है कि प्रकृति के तन-मन में वह समा नहीं पा रही है। नए-नए पेड़, फूल और पत्तियों से सारा वातावरण सुगन्धित है। फागुन की शोभा सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है।
(घ) ‘अभी समय नहीं है’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तरः
‘अभी समय नहीं है’ से कवि का आशय है कि
(i) अभी कवि के जीवन में ऐसा कोई महान अवसर नहीं आया, जिसे लोगों में बाँटा जा सके। अभी उसने ऐसी कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं की जिसके बारे में जानकर लोगों को कोई प्रेरणा मिले।
(ii) अभी उसके मन की व्यथाएँ सोई पड़ी हैं। चित्त शांत है। अतः यह आत्मकथा लिखने का उचित अवसर नहीं है। जब व्यथाएँ व्यक्त होने के लिए व्याकुल होंगी, तब आत्मकथा लिखने का उचित अवसर आएगा।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?
उत्तरः
लोंग स्टॉक में एक कुटिया में घूमता हुआ चक्र था जिसके बारे में जितेन नार्गे ने लेखिका को बताया कि यह धर्म चक्र यानि प्रेयर ह्वील है। यहाँ के लोगों की मान्यता है कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। जब लेखिका ने यह सुना तो उन्हें लगा कि चाहे मैदान हो या पहाड़, तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद भी इस देश की आत्मा एक-सी है। धर्म के बारे में लोगों की आस्था और विश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणा और कल्पना सारे देश में एक समान ही है।
(ख) आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तरः
शिशु को अपने हमउम्र बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगता है। उनके साथ वह जितनी रुचि लेकर खेलता है उतना आनन्द तो उसे कहीं भी नहीं आता। इसके अतिरिक्त बच्चों को अपने साथियों के सामने रोने में हीनता का अनुभव होता है। इन्हीं कारणों से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।
(ग) ‘मैं क्यों लिखता हूँ?’ पाठ के आधार पर बताइए कि कुछ आलसी लेखक कब लिखते हैं?
उत्तरः
‘मैं क्यों लिखता हूँ?’ पाठ के आधार पर लेखक बतलाता है कि कुछ आलसी लेखक बिना बाहरी दबाव के नहीं लिख पाते। उन पर संपादकों, प्रकाशकों का दबाव पड़ता है, तभी वे लिखते हैं या धन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपना लेखन कार्य करते हैं। ऐसा लेखक केवल बाहरी दबाव के कारण ही लिखता है, परन्तु वह उसके प्रति पूर्ण समर्पित नहीं हो पाता है। वह उसे केवल एक सहायक यंत्र की तरह ही काम में लेता है, जिससे भौतिक यथार्थ के साथ उसका संबंध बना रहे।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए(क) यदि मैं वित्त मंत्री होता/होती
- वित्त मंत्री की जिम्मेदारियाँ
- उनका निर्वाह
- सुझाव।
उत्तरः
यदि मैं वित्त मंत्री होता/होती
महीने का जेबखर्च मिले या महीने भर का वेतन आए तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं कि कितना और कैसे खर्च करें व कैसे बचत करें कि सब काम भी हो जायें व भविष्य भी सुरक्षित रहे। सोचिए, जिसे पूरे देश के वित्त का समायोजन करना है, उसके सामने कितनी दुविधा, कितनी चुनौतियाँ होती होंगी। वित्त कहाँ से व कैसे एकत्रित किया जाए व उसका सदुपयोग कैसे किया जाए कि देश का विकास भी हो तथा समाज के सभी वर्ग भी सन्तुष्ट हो सकें। यदि मैं वित्त मंत्री होता तो वित्त एकत्र करने के लिए कर इस प्रकार लगाता कि उसका बोझ किसी एक वर्ग को न झेलना पड़े तथा जो भी वित्त एकत्रित हो, उसका लाभ सभी को बराबर मिल सके। देश के समुचित विकास में उसका प्रयोग हो व सारा हिसाब-किताब जनता के साथ पारदर्शी रखता। सबको हक होता कि वे किसी एक साइट पर जाकर जाँच कर सकें कि जनता का पैसा कहाँ और कैसे खर्च किया जा रहा है। ऐसा करने से जनता का शासन व्यवस्था पर विश्वास कायम रहता तथा उनके अन्दर भी सहयोग व समर्पण का भाव पैदा होता। यदि मैं वित्त मंत्री होता तो देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत करने के लिए इस प्रकार योजना बनाता जिससे उसका लाभ प्रत्येक वर्ग को मिल सके। देश के करों की चोरी रोकने के लिए कानून बनाता और उनको कठोरता से लागू करता तथा इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखता कि किसी वर्ग विशेष को ही इसका लाभ न मिले। अपने देश की आर्थिक व्यवस्था को दृढ़ता प्रदान करने के लिए समुचित कदम उठाता और हर व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध करवाता। व्यर्थ के करों को हटा देता। देश में बनी हुई वस्तु पर जनता के लिए कम कर देय होते और विदेश से आने वाली वस्तु पर अधिक। इससे स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री को बढ़ावा मिलता।
अथवा
(ख) मानव जीवन में त्योहारों की भूमिका
- मानव जीवन पर प्रकाश
- त्योहारों के प्रकार
- उनका महत्व
उत्तरः
मानव जीवन में त्योहारों की भूमिका
मानव जीवन विविधताओं से परिपूर्ण है। उसे अपने जीवन में अनेक कर्त्तव्यों व दायित्वों का निर्वाह करना पड़ता है। इन सबको निभाते-निभाते वह इतना अधिक व्यस्त हो जाता है कि उसके लिए खुद के मनोरंजन के लिए भी समय निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में त्योहार उसे नई आशा, नवीन उत्साह से भर देते हैं। प्रत्येक व्यक्ति इन त्योहारों के आगमन से प्रसन्नचित्त होता है और पूर्ण हर्ष व उल्लास से इन्हें मनाता है। भारतीय पर्वो के मूल में आनन्द व उल्लास का भाव है। हमारी संस्कृति में जीवन के प्रत्येक पल को उत्सव की तरह जीने का भाव रहा है, अतः विभिन्न प्रकार के त्योहारों का विधान किया गया, जिनके बहाने से हमें जीवन में हर्ष, उल्लास, नवीनता का अहसास होता रहे। आज के व्यस्त जीवन में तो पर्वो का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि अपनी दिनचर्या में हम अपने को, अपने परिवार को समय नहीं दे पाते। मानव जीवन में रोज तरह-तरह की कठिनाइयाँ दस्तक देती रहती हैं। ऐसे में तनाव से मुक्ति पाने के लिए परिवार व समाज के साथ समय व्यतीत करना, सामंजस्य पैदा करना बहुत आवश्यक है और यह कार्य पर्यों-त्योहारों के माध्यम से भली-भाँति हो जाता है। त्योहार हमें एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बाँटने का अवसर तो देते ही हैं, साथ ही जीवन की एकरसता को समाप्त करके हमें नई ऊर्जा और ताजगी के साथ अपने दायित्व निभाने को तैयार कर देते हैं। आज की पीढ़ी जो इन पर्व-त्योहारों को दकियानूसी मानने लगी है, उन्हें इनके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है अन्यथा इस मशीनी युग में उनका जीवन भी भावनाशून्य होकर रह जाएगा।
अथवा
(ग) आत्मनिर्भरता
- अर्थ
- विभिन्न स्तरों पर आत्मनिर्भरता
- लाभ।
उत्तरः
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता का अर्थ है ‘अपने ऊपर निर्भर होना’ अर्थात् अपने कार्यों के लिए दूसरों का मुँह न ताकना। किसी की सहायता की प्रतीक्षा न करके स्वयं, अपने बल पर अपने कार्यों को सिद्ध करना। जिस व्यक्ति को दूसरों की मदद लेने की आदत हो जाती है, फिर धीरे-धीरे वे आत्मविश्वास खोने लगते हैं, स्वयं को अपंग बना लेते हैं। परिणामस्वरूप उनकी खुशी, उनका सुख दूसरों के वश में हो जाता है। कोई उनका काम कर दे तो ठीक, अन्यथा वे दुखी रहेंगे। ऐसे में रिश्तों में भी कड़वाहट आने लगती है, क्योंकि जिन पर हम निर्भर रहने लगे हैं, यदि किसी कारणवश उनसे मदद नहीं मिलती तो हम उनके प्रति नकारात्मक भाव पैदा करते हैं। दूसरों पर निर्भरता, भले ही शारीरिक हो या मानसिक, व्यक्तिगत स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर; वह हमारे विकास की गति धीमा कर देती है, जबकि आत्मनिर्भरता हमें समय व परिस्थितियों के अनुकूल कार्य करना सिखाती है तथा हम पर्याप्त गति से आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं। आत्मविश्वासी व्यक्ति वीर और संकल्पी होता है। इसके विपरीत दूसरों पर आश्रित व्यक्ति उपहास का पात्र होता है। लोग उसे घृणा की दृष्टि से देखते हैं। वह परजीवी बन जाता है। आत्मनिर्भर व्यक्ति के मुकाबले कोई भी तेजस्वी और दृढ़-प्रतिज्ञ नहीं होता। अभ्यास और परिश्रम से सहूलियत तो उत्पन्न हो सकती है, परन्तु यदि हम अपने मस्तिष्क को उसके अनुरूप ही क्रियाशील बनायेंगे तो निश्चित ही हमारे अन्दर शक्ति का संचार होगा और हम स्वनिर्भर हो जायेंगे। आत्मनिर्भर व्यक्ति पहाड़ों का सीना चीरने की ताकत रखता है। अतः मनुष्य को आत्म-सहायता रूपी मूल सिद्धान्त को अपनाकर आदर्श जीवन जीना चाहिए। दूसरों पर आश्रित व्यक्ति जीवन में कभी भी उन्नति नहीं कर सकता, क्योंकि उसका मार्ग अवरुद्ध होता है। उसकी तो उन्नति भी दूसरों पर आश्रित हो जाती है।
प्रश्न 15.
आपको परीक्षा में बहुत कम अंक मिले हैं जबकि आपके अनुसार पेपर अच्छे हुए थे। प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उत्तर-पुस्तिकाएँ दिखाए जाने की प्रार्थना कीजिए।
अथवा
प्रातःकाल भ्रमण का महत्त्व बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रधानाचार्य महोदय,
सर्वोदय विद्यालय,
जनकपुरी, बी.1
नई दिल्ली -110019
विषय-उत्तर-पुस्तिकाएँ दिखाने की प्रार्थना।
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं की छात्रा आपसे प्रार्थना करना चाहती हूँ कि मुझे मेरी पूर्व बोर्ड की परीक्षाओं की उत्तर-पुस्तिकाएँ दिखाई जायें। मैंने इन परीक्षाओं के लिए बहुत मेहनत की थी और मेरे पेपर भी अच्छे ही हुए थे, जबकि अंक बहुत कम आए हैं। मैं और मेरे परिवार वाले बहुत असन्तुष्ट हैं।
मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे अपनी उत्तर-पुस्तिकाएँ देखने दी जायें ताकि मुझे अपनी गलतियों का पता चले व आगे आने वाली परीक्षाओं के लिए मैं उसी के अनुसार तैयारी कर सकूँ। मुझे आशा है आप जल्द ही मेरी प्रार्थना पर गौर करके मुझे उत्तर-पुस्तिकाएँ दिखाने का आदेश देंगे। मैं आपकी आभारी रहूँगी।
धन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारिणी छात्रा,
क ख ग
दिनांक :……………………………
अथवा
24ए अर्जुन नगर,
रानी का बाग,
सीकर।
दिनांक : ………………………….
प्रिय अनुज,
शुभाशीर्वाद।
कल तुम्हारे मित्र का पत्र प्राप्त हुआ। उसको पढ़कर ज्ञात हुआ कि तुम अस्वस्थ हो। जानकर मन चिंतित हो गया। तुमने डॉक्टर को दिखा दिया है और तुम दवाई समय पर ले रहे हो ? भाई, मुझे पता लगा कि तुमने सुबह घूमना बिल्कुल बन्द कर दिया है और तुम सुबह देर से उठते हो। मैं यह कहना चाहता हूँ कि तुम सुबह जल्दी उठकर घूमने जाया करो। इससे तुम्हें कुछ दिनों में ही अपने स्वास्थ्य में फर्क दिखने लगेगा और तुम खुद को हृष्ट-पुष्ट और स्वस्थ महसूस करोगे। डॉक्टर ने भी तुम्हें सुबह घूमने की सलाह दी है।
मेरे प्यारे भाई यदि तुम इसे मानोगे तो इसमें तुम्हें ही लाभ होगा। प्रातः भ्रमण से मन और तन दोनों ही स्वस्थ और तन्दुरुस्त रहते हैं और हम खुद को नितान्त ही प्रफुल्लित महसूस करते हैं।
आशा है कि तुम मेरी बात मानकर इस पर अमल करोगे। अपना ध्यान रखना और मन लगाकर पढ़ना। शैक्षणिक योग्यता
तुम्हारा अग्रज,
अ ब स।
प्रश्न 16.
आप गोमती नगर, लखनऊ के निवासी रंजीत कुमार हैं। कोरोना के कारण आपकी नौकरी छूट गई है। खेतान पब्लिक स्कूल में विज्ञान के अध्यापक का पद रिक्त है। इसके लिए स्ववृत्त लिखिए।
अथवा
आपके विद्यालय में 28 नवंबर, 20XX को अंतर्विद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता होनी है। आप चाहते हैं कि आनंद पब्लिक स्कूल की टीम भी इसमें भाग ले। इसके लिए विद्यालय की प्रधानाचार्या ई मेल लिखिए।
उत्तरः
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
खेतान पब्लिक स्कूल, इंदिरा नगर, लखनऊ
विषय : विज्ञान अध्यापक पद के लिए आवेदन पत्र।
महोदय,
दिनांक 23 मई, 2022 के दैनिक भास्कर में प्रकाशित विज्ञप्ति से ज्ञात हुआ कि आपके विद्यालय में विज्ञान के अध्यापक की आवश्यकता है। इस पद के लिए मैं अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा स्ववृत्त इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न है। आपके विज्ञापन में वर्णित सभी योग्यताओं को मैं पूरा करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपना कार्य पूर्ण निष्ठा
से करूँगा। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
नाम: रंजीत कुमार
पिता का नाम: पुरुषोत्तम कुमार
माता का नाम: पूनम कुमार
जन्मतिथि: 12 अगस्त 20XX
वर्तमान पता: 24, गोमती नगर, लखनऊ
मोबाइल: 63124XXXX4
ईमेल: [email protected]
शैक्षणिक योग्यता:
अन्य योग्यताएँ व कार्यानुभव
- कंप्यूटर में छमाही डिप्लोमा
- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में दो वर्ष का विज्ञान पढ़ाने का अनुभव
- हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा की जानकारी।
उपलब्धियाँ
- राज्य स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
- राज्य स्तरीय नृत्य नाटिका प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
- विज्ञान प्रदर्शनी में जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार
कार्येत्तर गतिविधियां और अभिरुचियाँ
- • इन्टरनेट और समाचार-पत्र के लिए विभिन्न विज्ञान संबंधित लेख लिखना
- शिक्षा से संबंधित पत्रिकाएँ पढ़ना आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेरे आवेदन-पत्र पर सकारात्मक
- विचार किया जाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं ईमानदारी से कार्य करूँगा और अपने कार्य व्यवहार से सभी को संतुष्ट रलूँगा।
धन्यवाद
भवदीय
हस्ताक्षर
रंजीत कुमार
दिनांक: X/XX/XXXX
अथवा
From : [email protected]
To : [email protected]
Cc : ………….
Bcc :…………
विषय : क्रिकेट खेलने के लिए आमंत्रित करने हेतु
महोदया
निवेदन है कि 28 नवंबर, 20XX को हमारे विद्यालय में अंतर्विद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन होना है। विभिन्न विद्यालयों की टीम इस प्रतियोगिता में भाग लेने और अपना हुनर दिखाने के लिए नामांकन करवा चुकी हैं। हम चाहते हैं कि आपके विद्यालय की टीम भी इस अवसर का लाभ उठाएँ।
अतः आपसे निवेदन है कि आप अपने विद्यालय की टीम को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करें।
धन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
प्रश्न 17.
आपकी बड़ी बहिन ने हॉबी क्लास शुरू की है, उसके लिए लगभग 60 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
वर्मा अंकल के आने की सूचना देते हुए अपनी माँ को लगभग 80 शब्दों में एक सन्देश लिखिए।
उत्तरः
श्रेष्ठा हॉबी क्लासेज |
अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा विभिन्न प्रकार के अल्पावधि कोर्स, जैसे-
इत्यादि कराये जा रहे हैं। |
अथवा
माँ,
आपके बाज़ार जाने के बाद घर पर वर्मा अंकल आए थे। उन्हें आपसे बहुत जरूरी काम है। आप घर पर आकर उन्हें तुरंत फोन कर लें।
मैं ट्यूशन जा रहा हूँ।
रोहित