Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions Set 5 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 5 with Solutions
निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और ‘ख’। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/ वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘क’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 49 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘ख’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘क’
वस्तुपरक/बहुविकल्पीय प्रश्न (अंक : 40)
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 5 = 5)
सुबुद्ध वक्ता अपार जनसमूह का मन मोह लेता है, मित्रों के बीच सम्मान और प्रेम का केन्द्रबिन्दु बन जाता है। बोलने का विवेक, बोलने की कला और पटुता व्यक्ति की शोभा है, उसका आकर्षण है। जो लोग अपनी बात को राई का पहाड़ बनाकर उपस्थित करते हैं, वे एक
ओर जहाँ सुनने वाले के धैर्य की परीक्षा लिया करते हैं, वहीं अपना और दूसरे का समय भी अकारण नष्ट किया करते हैं। विषय से हटकर बोलने वालों से, अपनी बात को अकारण खींचते चले जाने वालों से तथा ऐसे मुहावरों और कहावतों का प्रयोग करने वालों से, जो उस प्रसंग में ठीक ही न बैठ रहे हों, लोग ऊब जाते हैं। वाणी का अनुशासन, वाणी का संयम और संतुलन तथा वाणी की मिठास ऐसी शक्ति है जो हर कठिन स्थिति में हमारे अनुकूल ही रहती है, तो मरने के पश्चात् भी लोगों को स्मृतियों में हमें अमर बनाए रहती है। हाँ, बहुत कम बोलना या सदैव चुप लगाकर बैठे रहना भी बुरा है। यह हमारी प्रतिभा और तेज को कुंद कर देता है। अतएव कम बोलो, सार्थक और हितकर बोलो। यही वाणी का तप है।
(क) व्यक्ति की शोभा और आकर्षण किसे बताया गया है?
(i) बोलने की पटुता
(ii) सुनने की पटुता
(iii) पढ़ने की पटुता
(iv) कहने की पटुता
उत्तर:
(i) बोलने की पटुता।
व्याख्यात्मक हल:
बोलने की पटुता को व्यक्ति की शोभा और आकर्षण बताया गया है क्योंकि ऐसा व्यक्ति ही अपनी विशेषताओं से लोगों का मन मोह लेता है।
(ख) किस प्रकार के व्यक्तियों से लोग ऊब जाते हैं?
(i) अपनी बात अकारण खींचने वाले से
(ii) विषय से हटकर बोलने वाले से
(iii) दोनों विकल्प सही हैं
(iv) अपनी बात अकारण न खींचने वाले से
उत्तर:
(iii) दोनों विकल्प सही हैं।
व्याख्यात्मक हल:
अपनी बात अकारण खींचने वाले और विषय से हटकर बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति लोगों के मन में कोई उत्साह नहीं रहता इसलिए इस प्रकार के व्यक्तियों से लोग ऊब जाते हैं।
(ग) वाणी में अनुशासन और संयम बनाए रखने को क्या कहा गया है?
(i) वाणी का संतुलन
(ii) वाणी की मिठास
(iii) वाणी की सार्थकता
(iv) वाणी का तप
उत्तर:
(iv) वाणी का तप।
(घ) बहुत कम बोलने का क्या दुष्परिणाम होता है?
(i) हमारी प्रतिभा और तेज़ कुंद हो जाता है।
(ii) हमारी वाणी असंतुलित हो जाती है।
(iii) वाणी की मिठास अधिक हो जाती है।
(iv) व्यक्ति वाचाल हो जाता है।
उत्तर:
(i) हमारी प्रतिभा और तेज कुंद हो जाता है।
(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए
कथन (A) : बोलने की कला और बोलने का विवेक व्यक्ति की शोभा है।
कारण (R) : जो व्यक्ति सुबुद्ध वक्ता होता है, वही सम्मानित होता है।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
व्याख्यात्मक हल:
जो व्यक्ति सुबुद्ध वक्ता होगा वह बोलने की कला में निपुण होगा। ऐसा व्यक्ति बोलते समय अपने विवेक का पूर्ण प्रयोग करेगा, अतः वह समाज में सम्मानित होता है।
प्रश्न 2.
नीचे 2 पद्यांश दिए गए हैं। किसी 1 पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 5 = 5)
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं। क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत घन-नर्तन, मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन। मैं अविराम पथिक अलबेला, रुके न मेरे कभी चरण, शूलों के बदले फूलों का, किया न मैंने मित्र चयन। मैं विपदाओं में मुस्काता, नव आशा के दीप लिए, फिर मुझको क्या रोक सकेंगे, जीवन के उत्थान-पतन। मैं अटका कब-कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल, रोक सकी पगले कब मुझको, यह युग की प्राचीर निबल। आंधी हो, ओले वर्षा हो, राह सुपरिचित है मेरी, फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये जग के खंडन मंडन। मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन, मुझे पथिक कब रोक सके हैं, अग्निशिखाओं के नर्तन। मैं बढ़ता अविराम निरंतर, तन-मन में उन्माद लिए, फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।
(क) ‘क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये’ पंक्ति में मेघ किसका प्रतीक हैं ?
(I) जीवन में आने वाली बाधाओं का
(II) जीवन के विघ्नों का
(III) पथ से डिगाने वाली कठिनाइयों का
(IV) सागर की गर्जना का
विकल्प
(i) कथन (II) सही है
(ii) कथन (I), (II) व (III) सही हैं
(iii) कथन (I), (II) व (IV) सही हैं
(iv) कथन (I), (II), (III) व (IV) सही हैं
उत्तर:
(ii) कथन (1), (II) व (III) सही हैं।
(ख) पद्यांश के अनुसार कवि ने हमेशा कौन-से रास्ते को चुना?
(i) आसान रास्ते को
(ii) संघर्षशील रास्ते को
(iii) पर्वतीय रास्ते को
(iv) रेतीले रास्ते को
उत्तर:
(ii) संघर्षशील रास्ते को।
(ग) युग की प्राचीर किसे कहा गया है?
(i) युग की दीवारों को
(ii) सागर की गर्जना को
(iii) संसार की बाधाओं को
(iv) सांसारिक सुखों को
उत्तर:
(iii) संसार की बाधाओं को।
व्याख्यात्मक हल:
जिस प्रकार दीवार मार्ग में रुकावट बन जाती है उसी प्रकार संसार की बाधाएँ व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकती हैं।
(घ) पद्यांश में कवि की कौन-सी विशेषता पता चलती
(i) कवि साहसी और संघर्षशील है।
(ii) कवि बाधाओं से घबरा जाता है।
(iii) कवि मुसीबत से भागता है।
(iv) कवि लक्ष्य से भटक जाता है।
उत्तर:
(i) कवि साहसी और संघर्षशील है।
(ङ) ‘उत्थान-पतन’ में कौन-सा समास है?
(i) द्विगु समास
(ii) द्वंद्व समास
(iii) अव्ययीभाव समास
(iv) तत्पुरुष समास
उत्तर:
(ii) द्वंद्व समास
अथवा
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-II पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
क्या करोगे अब?
समय का
जब प्यार नहीं रहा
सर्वसहा पृथ्वी का
आधार नहीं रहा
न वाणी साथ है
न पानी साथ है
न कही प्रकाश है स्वच्छ
जब सब कुछ मैला है आसमान
गंदगी बरसाने वाले
एक अछोर फैला है
कही चले जाओ
विनती नहीं है
वायु प्राणप्रद
आदमकद आदमी
सब जग से गायब है
(क) कवि ने धरती को कैसा बताया है?
(i) रत्नगर्भा
(ii) आधारशिला
(iii) सर्वसहा
(iv) माँ
उत्तर:
(ii) सर्वसहा।
व्याख्यात्मक हल:
धरती अत्यंत सहनशील है। वह बिना कुछ कहे सब कुछ सहती रहती है इसलिए उसे सर्वसहा कहा गया है।
(ख) ‘आदमकद आदमी’ से क्या तात्पर्य है?
(i) मानवीयता से भरपूर आदमी
(ii) ऊँचे कद का आदमी
(iii) सम्पूर्ण मनुष्य
(iv) सामान्य आदमी
उत्तर:
(i) मानवीयता से भरपूर आदमी।
(ग) आसमान की तुलना किससे की गयी है?
(i) समुद्र से
(ii) नीली झील से
(iii) पतंग से
(iv) गंदगी बरसाने वाले थैले से
उत्तर:
(iv) गंदगी बरसाने वाले थैले से।
(घ) प्राणदान का क्या तात्पर्य है?
(i) प्राणों को पूर्ण करने वाला
(ii) प्राण प्रदान करने वाला
(iii) प्राणों को प्रणाम करने वाला
(iv) प्राणों को छीन लेने वाला
उत्तर:
(ii) प्राण प्रदान करने वाला।
(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए
कथन (A): आज किसी को प्यार का समय नहीं है।
कथन (R): ऐसे में व्यक्ति समय से कतराने लगता है।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तर:
(ii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) अध्यापिका ने छात्रा की प्रशंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया-वाक्य का मिश्र वाक्य में रूप होगा
(i) जब अध्यापिका ने छात्रा की प्रशंसा की तब उसका उत्साह बढ़ गया।
(ii) अध्यापिका के प्रशंसा करने पर छात्रा का उत्साह बढ़ गया।
(iii) अध्यापिका ने छात्रा की प्रशंसा की इसलिए उसका उत्साह बढ़ गया।
(iv) अध्यापिका के द्वारा छात्रा की प्रशंसा करने पर उसका उत्साह बढ़ गया।
उत्तर:
(i) जब अध्यापिका ने छात्रा की प्रशंसा की तब उसका उत्साह बढ़ गया।
व्याख्यात्मक हल:
मिश्र वाक्य में एक वाक्य प्रधान और दूसरा आश्रित उपवाक्य होता है। इस वाक्य में ‘उसका उत्साह बढ़ गया’ प्रधान वाक्य है।
(ख) जो ईमानदार है वही सम्मान का सच्चा अधिकारी है-रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए।
(i) सरल वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य
(iii) संयुक्त वाक्य
(iv) संज्ञा उपवाक्य
उत्तर:
(ii) मिश्र वाक्य।
व्याख्यात्मक हल:
मिश्र वाक्य में एक वाक्य प्रधान और दूसरा आश्रित उपवाक्य होता है। इस वाक्य में ‘जो ईमानदार है’ उपवाक्य है।
(ग) ज्यों ही घंटी बजी छात्र अंदर चले गए-वाक्य का सरल वाक्य में रूप होगा
(i) घंटी बजी और छात्र अंदर चले गए।
(ii) छात्र अंदर चले गए और घंटी बज गई।
(iii) घंटी बजते ही छात्र अंदर चले गए।
(iv) जैसे ही घंटी बजी वैसे ही छात्र अंदर चले गए।
उत्तर:
(iii) घंटी बजते ही छात्र अंदर चले गए।
व्याख्यात्मक हल:
सरल वाक्य में एक उद्देश्य और एक क्रिया होते हैं। अतः यही सही उत्तर है।
(घ) आश्रित उपवाक्य के कितने भेद हैं?
(i) एक
(ii) दो
(iii) तीन
(iv) चार
उत्तर:
(iii) तीन।
व्याख्यात्मक हल:
आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं-संज्ञा उपवाक्य, विशेषण उपवाक्य और क्रियाविशेषण उपवाक्य।
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल पाओगे। | (I) संज्ञा आश्रित उपवाक्य |
2. उसने कहा कि वह कल नहीं आएगा। | (II) क्रियाविशेषण उपवाक्य |
3. जल्दी चलो अन्यथा ट्रेन | (III) विशेषण उपवाक्य छूट जाएगी। |
विकल्प :
(i) 1.(III), 2.(I), 3.(II)
(ii) 1.(II), 2.(III), 3.(1)
(iii) 1.(I), 2.(II), 3.(III)
(iv) 1.(III), 2.(II), 3.(I)
उत्तर:
(i) 1.(III), 2.(I), 3.(II)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) हम रातभर कैसे जागेंगे? वाक्य का भाववाच्य में रूप होगा
(i) हमसे रातभर कैसे जागा जाएगा?
(ii) हम रातभर किस प्रकार जागेंगे?
(iii) रातभर जागेंगे हम कैसे?
(iv) रातभर कैसे जागेंगे हम?
उत्तर:
(i) हमसे रातभर कैसे जागा जाएगा?
व्याख्यात्मक हल:
भाववाच्य में परिवर्तित करते समय क्रिया को एकवचन, पुल्लिंग में परिवर्तित कर दिया जाता है और भाव की प्रधानता रखी जाती है।
(ख) निम्नलिखित में से कर्तृवाच्य का वाक्य होगा
(i) तानसेन संगीत सम्राट कहे जाते हैं।
(ii) तानसेन संगीत सम्राट कहलाते हैं।
(iii) संगीत सम्राट तानसेन कहे जाते हैं।
(iv) संगीत सम्राट तानसेन कहलाये जाते हैं।
उत्तर:
(ii) तानसेन संगीत सम्राट कहलाते हैं।
(ग) उनके द्वारा कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया गया-वाक्य का कर्तृवाच्य में उचित रूप होगा।
(i) उनके द्वारा कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया।
(ii) उनसे कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया।
(iii) उन्होंने कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया।
(iv) उन्होंने सम्मान किया कैप्टन की देशभक्ति का।
उत्तर:
(iii) उन्होंने कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया।
व्याख्यात्मक हल:
कृतवाच्य में वाक्य की क्रिया कर्ता के अनुसार परिवर्तित होती है और यहाँ कर्ता के साथ लगे हुए ‘द्वारा’ को हटा दिया जाता है।
(घ) माँ ने अवनि को पढ़ाया-वाक्य का कर्मवाच्य में रूप होगा
(i) माँ अवनि को पढ़ाती हैं।
(ii) अवनि माँ द्वारा पढ़ती है।
(iii) माँ द्वारा अवनि को पढ़ाया गया।
(iv) पढ़ाया माँ ने अवनि को।
उत्तर:
(iii) माँ द्वारा अवनि को पढ़ाया गया।
व्याख्यात्मक हल:
कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय कर्ता के साथ ‘से’ या ‘द्वारा’ लगाया जाता है और क्रिया को कर्म के अनुसार परिवर्तित किया जाता है।
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. उसके द्वारा नीतिवचन कहे गए। | (I) कर्तृवाच्य |
2. मैंने पौधों को पानी दिया। | (II) भाववाच्य |
3. उससे चला नहीं जा सकता। | (III) कर्मवाच्य |
विकल्प :
(i) 1.(III), 2.(I), 3.(II)
(ii) 1.(II), 2.(III), 3.(I)
(iii) 1.(I), 2.(II), 3.(III)
(iv) 1.(III), 2.(II), 3.(I)
उत्तर:
(i) 1.(III), 2.(I), 3.(II)
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) आज समाज में विभीषणों की कमी नहीं है-वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद-परिचय होगा
(i) जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक।
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक।
(iii) भाववाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक।
(iv) समूहवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक।
उत्तर:
(i) जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक।
(ख) रात में देर तक बारिश होती रही- वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद-परिचय होगा
(i) स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘होती रही’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
(ii) कालवाचक क्रियाविशेषण, ‘होती रही’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
(iii) रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘होती रही’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
(iv) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण, ‘होती रही’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
उत्तर:
(ii) कालवाचक क्रियाविशेषण, ‘होती रही’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
(ग) हर्षिता निबंध लिख रही है-वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद-परिचय होगा
(i) अकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल।
(ii) द्विकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल।
(iii) सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल।
(iv) प्रेरणार्थक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल।
उत्तर:
(iii) सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल।
(घ) इस पुस्तक में अनेक चित्र हैं – वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद-परिचय होगा
(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘चित्र’-विशेष्य का विशेषण।
(ii) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘चित्र’-विशेष्य का विशेषण।
(iii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘चित्र’-विशेष्य का विशेषण।
(iv) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘चित्र’-विशेष्य का विशेषण।
उत्तर:
(iv) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘चित्र’-विशेष्य का विशेषण।
(ङ) उसने कहा कि वह कल जाएगा – वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद-परिचय होगा
(i) सर्वनाम, प्रथमपुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
(ii) सर्वनाम, मध्यमपुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
(iii) सर्वनाम, निजवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
(iv) सर्वनाम, अन्यपुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
उत्तर:
(i) सर्वनाम, प्रथमपुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) “रो-रो कर सिसक-सिसक कर कहता मैं करुण कहानी। तुम सुमन नोचते, सुनते, करते, जानी अनजानी।” इन काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा ।
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(i) श्लेष।
व्याख्यात्मक हल:
यहाँ ‘सुमन’ शब्द का एक अर्थ है ‘फूल’ और दूसरा अर्थ है ‘सुंदर मन’, ‘सुमन’ का खंडन सु + मन करने पर ‘सुंदर + मन’ अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।
(ख) “सोहत ओढ़े पीत पट,स्याम सलौने गात। मानहुँ नीलमणि सैल पर, आतप पर्यो प्रभात ॥” -इन काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ii) उत्प्रेक्षा
(ग) “हनुमान की पूँछ में, लगन न पाई आग। सारी लंका जरि गई, गए निशाचर भाग।” -इन काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(iv) अतिशयोक्ति
व्याख्यात्मक हल:
यहाँ हनुमान की पूंछ में आग लगने के पहले ही सारी लंका का जलना और राक्षसों के भागने का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन होने से अतिशयोक्ति अलंकार है।
(घ) “पट-पीत मानहुँ तड़ित रुचि, सुचि नौमि जनक सुतावरं।” -पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ii) उत्प्रेक्षा।
(ङ) “फूल हँसे, कलियाँ मुसकाई” -पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(iii) मानवीकरण।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
पाँच भाई-बहिनों में सबसे छोटी मैं। सबसे बड़ी बहिन की शादी के समय मैं शायद सात साल की थी और उसकी एक धुंधली-सी याद ही मेरे मन में है, लेकिन अपने से दो साल बड़ी बहिन सुशीला और मैंने घर के बड़े से आँगन में बचपन के सारे खेल खेले-सतोलिया, लँगड़ी-टाँग, पकड़म-पकड़ाई, काली-टीलो…. तो कमरों में गुड्डे-गुड़ियों के ब्याह भी रचाए, पास-पड़ोस की सहेलियों के साथ। यों खेलने को हमने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा भी खेला और पतंग उड़ाने, काँच पीसकर माँजा सूतने का काम भी किया, लेकिन उनकी गतिविधियों का दायरा घर के बाहर ही अधिक रहता था और हमारी सीमा थी घर। हाँ, इतना ज़रूर था कि उस ज़माने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी, बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। आज तो मुझे बड़ी शिद्दत के साथ यह महसूस होता है कि अपनी ज़िदगी खुद जीने के इस आधुनिक दबाव ने महानगरों के फ्लैट में रहने वालों को हमारे इस परंपरागत ‘पड़ोस-कल्चर’ से विच्छिन्न करके हमें कितना संकुचित, असहाय और असुरक्षित बना दिया है। मेरी कम-से-कम एक दर्जन आरंभिक कहानियों के पात्र इसी मोहल्ले के हैं जहाँ मैंने अपनी किशोरावस्था गुज़ार अपनी युवावस्था का आरंभ किया था। एक-दो को छोड़कर उनमें से कोई भी पात्र मेरे परिवार का नहीं
(क) पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी मैं-यहाँ ‘मैं’ शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है?
(i) लेखिका मन्नू भंडारी के लिए
(ii) लेखिका की बड़ी बहिन के लिए
(iii) सुशीला के लिए
(iv) पड़ोस के लोगों के लिए
उत्तर:
(i) लेखिका मन्नू भंडारी के लिए।
(ख) लेखिका और सुशीला के मध्य कितने वर्ष का अन्तराल था ?
(i) एक वर्ष का
(ii) दो वर्ष का
(iii) तीन वर्ष का
(iv) चार वर्ष का
उत्तर:
(ii) दो वर्ष का
(ग) हमारी सीमा थी घर-यहाँ घर की सीमा को किस प्रकार परिभाषित किया गया है?
(i) पूरा मोहल्ला एक ही परिवार था
(ii) घर के अंदर ही रहना
(iii) अपने परिवार के साथ रहना
(iv) दूसरे परिवार को अपना न मानना
उत्तर:
(i) पूरा मोहल्ला एक ही परिवार था।
(घ) महानगरीय संस्कृति ने आज व्यक्ति को कैसा बना दिया है?
(i) संकुचित, असुरक्षित और असहाय
(ii) संकुचित, परोपकारी और असहाय
(iii) विस्तृत, विच्छिन्न और असहाय
(iv) विस्तृत, समर्थवान और विच्छिन्न
उत्तर:
(i) संकुचित, असुरक्षित और असहाय।
(ङ) किसकी गतिविधियों का दायरा घर के बाहर ही अधिक रहता था-गद्यांश के आधार पर उचित विकल्प का चयन कीजिए
(i) लेखिका का
(ii) सुशीला का
(iii) लेखिका के भाइयों का
(iv) लेखिका की बड़ी बहिन का
उत्तर:
(iii) लेखिका के भाइयों का।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए (1 × 2 = 2)
(क) पानवाले के द्वारा कैप्टन को लंगड़ा कहना हालदार साहब को बुरा क्यों लगा?
(i) क्योंकि अपंग होते हुए भी वह देशभक्ति की भावना रखता था।
(ii) क्योंकि उन्हें मजाक पसंद था।
(iii) क्योंकि उसे मूर्ति पर चश्मा लगाना अच्छा नहीं लगता था।
(iv) क्योंकि उन्हें मजाक पसंद था।
उत्तर:
(i) क्योंकि अपंग होते हुए भी वह देशभक्ति की भावना रखता था।
(ख) नवाब साहब ने खीरा क्यों खरीदा होगा?
(i) खाने के लिए
(ii) अपनी रईसी दिखाने के लिए
(iii) सफ़र काटने के लिए
(iv) लेखक को खिलाने के लिए
उत्तर:
(iii) सफ़र काटने के लिए।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥
पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूकि पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥
देखि कुठारू सरासन बाना मैं कछु कहा सहित अभिमाना।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी॥
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई॥
बधे पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारें।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा॥
(क) काव्यांश के रचयिता कौन हैं?
(i) सूरदास
(ii) तुलसीदास
(iii) नरहरिदास
(iv) यशपाल
उत्तर:
(ii) तुलसीदास।
व्याख्यात्मक हल:
काव्यांश तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस से लिया गया है।
(ख) लक्ष्मण हँसते हुए किस पर व्यंग्य बाण कस रहे हैं?
(i) राजाओं पर
(ii) स्वयं पर
(iii) परशुराम पर
(iv) जनक पर
उत्तर:
(iii) परशुराम पर।
व्याख्यात्मक हल:
श्रीराम द्वारा शिवधनुष टूटने पर परशुराम अत्यंत क्रोधित होते हैं उन्हें देखकर लक्ष्मण उन पर व्यंग्य बाण कस रहे हैं।
(ग) काव्यांश में ‘कुम्हड़बतिया’ शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है?
(i) लक्ष्मण के लिए
(ii) राम के लिए
(iii) परशुराम के लिए
(iv) निर्बल के लिए
उत्तर:
(iv) निर्बल के लिए।
(घ) परशुराम बार-बार लक्ष्मण को क्या दिखा कर डरा रहे थे?
(i) धनुष
(ii) फरसा
(iii) क्रोध
(iv) रौद्र
उत्तर:
(ii) फरसा।
(ङ) ‘अहो मुनीसु महाभट मानी’-पंक्ति में महाभट का प्रयोग किस सन्दर्भ में किया गया है?
(i) व्यंग्य के
(ii) हास्य के
(iii) क्रोध के
(iv) दुःख के
उत्तर:
(i) व्यंग्य के।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 x 2 = 2)
(क) ‘कन्यादान’ कविता में किसके दान की बात हो रही है?
(i) कन्या के
(ii) माता के
(iii) धन के
(iv) आभूषण के
उत्तर:
(i) कन्या के।
(ख) ‘थकी सोई है मेरी मौन व्यथा’-पंक्ति का आशय
(i) वेदना का अतीत बन जाना
(ii) वेदना का मुखर हो जाना
(iii) वेदना का सो जाना
(iv) वेदना का थक जाना
उत्तर:
(i) वेदना का अतीत बन जाना।
व्याख्यात्मक हल:
कवि की वेदना अब अतीत बन गई है जिसे कुरेद कर वह दुखी नहीं होना चाहता।
खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (अंक : 40)
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) काशी के इतिहास में किसे विशेष महत्व दिया गया और क्यों?
उत्तर:
काशी के इतिहास में प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां, पंडित कंठे महाराज विद्याधरी, बड़े रामदास जी तथा मौजरीन खान को विशेष महत्व दिया गया था। इन विशिष्ट लोगों द्वारा काशी अपनी सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण ‘ रखने में सफल हुई है। काशी की इसी सांस्कृतिक विरासत ने विश्व भर में उसे पहचान दिलाई है।
(ख) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है?
उत्तर:
‘नेताजी का चश्मा’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक ने देशवासियों विशेषकर युवा पीढ़ी को राष्ट्र प्रेम एवं देशभक्ति की भावना मजबूत बनाए रखने के साथ-साथ शहीदों का सम्मान करने का भी संदेश दिया है। देशभक्ति का प्रदर्शन देश के सभी नागरिक अपने-अपने ढंग से कार्य-व्यवहार से कर सकते हैं।
(ग) बालगोंबिन भगत की पुत्रवधू की ऐसी कौन-सी इच्छा थी जिसे वे पूरा न कर सके? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बालगोबिन भगत की पुत्रवधू की इच्छा थी कि वह अपने पति की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत के पास ही रहे, क्योंकि वह बुढ़ापे में उनकी सेवा करना चाहती थी, किन्तु भगत स्वार्थी नहीं थे कि पुत्रवधू को अपनी सेवा के लिए अपने पास रोके रखते। वे अपनी पुत्रवधू का पुनर्विवाह कराने के पक्ष में थे। उन्हें पुत्रवधू के भविष्य की चिंता थी।
(घ) नवाब साहब द्वारा लेखक से बातचीत की उत्सुकता न दिखाने पर लेखक ने क्या किया?
उत्तर:
नवाब साहब ने लेखक से बातचीत की उत्सुकता उस समय नहीं दिखायी जब वह डिब्बे में आया। लेखक ने इस उपेक्षा का बदला उपेक्षा से दिया। उसने भी नवाब साहब से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखाई और नवाब साहब की ओर से आँखें फेर ली। यह लेखक के स्वाभिमान का प्रश्न था, जिसे वह बनाए रखना चाहता था।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए- (2 × 3 = 6)
(क) ‘संगतकार’ कविता में चित्रित संगतकार को क्या एक आदर्श मित्र कहा जा सकता है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संगतकार को एक आदर्श मित्र कहा जा सकता है, क्योंकि वह उसी की भाँति सदैव साथ देता है। जब कभी मुख्य गायक का स्वर ऊँचे सुर लगाते हुए बिखरने लगता है, तो संगतकार उसका साथ देकर उसके बिखराव को सँभालता है। आदर्श मित्र का भी यह एक गुण है कि वह अपने मित्र को भटकने से बचाता है। संगतकार मुख्य गायक का आत्मविश्वास भी ठीक एक आदर्श मित्र की भाँति जगाता है। कभी-कभी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है, तो उसका मित्र ही उसकी प्रेरणा बनता है। अतः सहयोग, निश्छलता, मानवता एवं प्रेरणा जैसी विशेषताएँ समान होने के कारण संगतकार एक आदर्श मित्र का समानार्थी सिद्ध होता है।
(ख) ‘सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित कविता ‘उत्साह’ के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि निराला ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसलिए रखा है क्योंकि यह शीर्षक बादलों की गर्जना से मेल खाता है। यह हमारे मन में उत्साह का संचार करता है। ‘उत्साह’ शीर्षक के माध्यम से नई कविता का सृजन करने की प्रेरणा दी गई है। बादलों का आह्वान किया गया है कि वे उत्साहपूर्वक बरसकर जन-जन की व्याकुलता को हर लें। लोक कल्याण की भावना को प्रस्तुत किया गया है। अतः यह शीर्षक पूर्णतः सार्थक है।
(ग) स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का क्या आशय है? ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम इसलिए कहा गया है क्योंकि इन्हीं के बल पर स्त्री को भ्रमित किया जाता है। इनका आकर्षण ही स्त्री का शोषण करवाता है। स्त्री को इनके आकर्षण से बचना चाहिए। कवि का मानना है कि शब्दों के भ्रम की तरह नारी जीवन भर वस्त्र और आभूषणों के मोह में बँधी रहती है। इसलिए कवि ने वस्त्राभूषण को ‘शाब्दिक भ्रम’ कहकर उन्हें नारी जीवन का बंधन माना है।
(घ) ‘यह दंतुरित मुसकान’ के आधार पर बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता के आधार पर बच्चे की मुसकान प्रफुल्लता से परिपूर्ण है। उसकी मुसकान इतनी मधुर है कि मृतक में भी जान डाल देती है। उसकी मुसकान का सौंदर्य अनुपम है जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कमल-पुष्प तालाब छोड़कर झोंपड़ी में खिल गए हों। पाषाण पिघलकर जल बन गया हो तथा बबूल और बाँस से भी शेफालिका के फूल झरने लगे हों।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में कहा गया है कि कटाओ पर किसी दुकान का न होना वरदान है। ऐसा क्यों? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में नवयुवकों की क्या भूमिका हो सकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में बताया गया है कि ‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना एक वरदान ही है। वहाँ दुकान खुलने पर गन्दगी बढ़ती और कटाओ का प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो जाता। कटाओ को हिंदुस्तान का स्विट्जरलैण्ड कहा जाता है, बल्कि यह दो मायनों में उससे भी बढ़कर है। कटाओ स्विट्जरलैण्ड से अधिक ऊँचाई पर है और उससे अधिक सुन्दर है। यह स्थान अभी तक ‘पर्यटन स्थल’ नहीं बन पाया है। अतः यहाँ दुकानें नहीं खुली हैं। यह स्थिति कटाओ के लिए वरदान से कम नहीं है। भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में नवयुवकों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है- नवयुवक प्राकृतिक स्थलों की स्वच्छता के लिए जन-चेतना को जागरूक कर सकते हैं। – इन स्थलों पर खाने-पीने की चीजें ले जाने से स्वयं बचें तथा अन्य पर्यटकों को भी ऐसा करने से रोकें, गन्दगी न फैलायें। हमें ‘कटाओ’ जैसे प्राकृतिक स्थलों के महत्त्व को समझना चाहिए तथा उनके सौन्दर्य को हानि नहीं पहुँचानी चाहिए।
(ख) ‘माता का अंचल’ पाठ में वर्णित तत्कालीन विद्यालयों के अनुशासन से वर्तमान युग के विद्यालयों के अनुशासन की तुलना करते हुए बताइए कि आप किस अनुशासन व्यवस्था को अच्छा मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
माता का अंचल’ पाठ में जिस विद्यालय का वर्णन है वहाँ अध्यापक बच्चों की पिटाई करके, उन्हें शारीरिक दण्ड देकर अनुशासन में रखते थे। आज की शिक्षा व्यवस्था के अनुसार शारीरिक दण्ड देना वर्जित है। आजकल विद्यार्थियों को समझा-बुझाकर अनुशासन में रखने का प्रयास किया जाता है। विद्यालय में सलाहकार की नियुक्ति की जाती है। सलाहकार या बाल मनोवैज्ञानिक शैक्षिक मार्गदर्शन देकर छात्रों को आत्म-समायोजन तथा सामाजिक समायोजन में सहायता प्रदान करते हैं। आज के विद्यालयों में जो अनुशासन व्यवस्था है वह पुराने तरीके से बेहतर है। हम आज की अनुशासन व्यवस्था को अच्छा मानते हैं। इसमें बच्चे को डराया नहीं जाता, बल्कि बच्चा आत्मानुशासन सीखता है। डण्डे के जोर से स्थापित किए गए अनुशासन में बच्चे का पूर्ण विकास नहीं हो पाता। बच्चे को अपने मन से नियमों का पालन करना आना चाहिए, नियमों का आदर करना आना चाहिए।
(ग) ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ इस प्रश्न के उत्तर में अज्ञेय ने क्या तर्क दिए हैं?
उत्तर:
लेखक ‘अज्ञेय’ जी ने ‘मैं क्यों लिखता हूँ? के उत्तर में कहा है कि वह अपने मन की विवशता को पहचानते हैं। अत: वह लिखकर उससे मुक्ति पाना चाहते हैं। वह इसलिए भी लिखना चाहते हैं, ताकि स्वयं को जान और पहचान सकें। उनके मन में जो विचारों की छटपटाहट व बेचैनी होती है। उससे मुक्ति पाने के लिए वे लिखना चाहते हैं। वे यह भी जानते हैं कि कई बार व्यक्ति प्रसिद्धि पाने, धन अर्जन करने व संपादक की विवशता या दवाब के कारण भी लिखता है। पर वे स्वयं की पहचान करके व अपने विचारों को तटस्थ रखकर सबके समक्ष प्रस्तुत करने व आत्मसंतुष्टि के लिए लिखते हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (6)
(क) स्वच्छ भारत-एक कदम स्वच्छता की ओर
- प्रस्तावना
- स्वच्छता का महत्व
- भारत.की स्थिति
- उपसंहार
अथवा
(ख) ऊर्जा की बढ़ती माँग-समस्या और समाधान
- प्रस्तावना
- ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों का समाप्त होना
- ऊर्जा पर निर्भरता
- उपसंहार
अथवा
(ग) सामाजिक संजाल (सोशल नेटवर्किंग)-वरदान या अभिशाप
- प्रस्तावना
- नेटवर्किंग के लाभ
- नेटवर्किंग की हानि
- उपसंहार
उत्तर:
(क) स्वच्छ भारत:
एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छता स्वास्थ्य की जननी है। स्वच्छ भारत अभियान गत कुछ वर्षों से चलाया गया है। भारत में सर्वत्र गंदगी ही देखने को मिलती थी। अब उसे साफ किया जा रहा है। अनेक प्रमुख व्यक्तियों व संस्थाओं को स्वच्छ भारत अभियान को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी दी गई है। अब इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। अधिकांश गांवों में शौचालय बनाए गए हैं, देश में बनाए जा रहे हैं और स्कूलों में भी शौचालयों की व्यवस्था अंतिम चरण में है। स्वच्छता का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से है। यदि हम स्वच्छता के नियमों का पालन करेंगे तो हमारा जीवन स्वस्थ बनेगा। जहाँ गंदगी होगी वहाँ बीमारी होगी। स्वस्थ पर्यावरण निर्माण के लिए स्वच्छता को जीवन का अनिवार्य अंग बनाना होगा। इस दिशा में अपर्याप्त चेतना तो जाग्रत हो गई है पर आवश्यकता है अपनी आदतों को बदलने की। बच्चों तक को इसकी पूरी समझ है। वे बड़ों को स्वच्छ करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमारी एक गंदी आदत है कि हम अपना घर तो साफ रखते हैं पर घर के बाहर गली सड़क पर गंदगी फैला देते हैं। हमें अपने आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ रखना होगा। स्वच्छ रहकर हम स्वच्छता का पालन शरीर से लेकर पर्यावरण के सभी स्तरों पर कर सकते हैं। हमें भारत को स्वच्छ बनाकर विश्व में इसकी छवि को सुधारना है। इसके लिए लोगों में जनचेतना जगानी होगी तभी ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ का संकल्प पूरा हो सकेगा। हमारे दृढ़ निश्चय से अवश्य पूरा होकर रहेगा। भारत सरकार देश के प्रत्येक भाग को स्वच्छ बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। हमारा कर्तव्य है कि हम गंदगी को दूर करें और अधिक मात्रा में पेड़ लगाएँ व प्रदूषण मुक्ति की ओर बढ़ते जाएँ।
अथवा
(ख) ऊर्जा की बढ़ती माँग:
समस्या और समाधान आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ऊर्जा की माँग बढ़ रही है। ऊर्जा काम करने की क्षमता है और यह जीवन प्रक्रियाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है। ऊर्जा संसाधन कुछ ऐसा होता है जो गर्म शक्ति जीवन वस्तुओं को स्थानांतरित कर सकता है या बिजली उत्पन्न कर सकता है। ऊर्जा भंडार को ईंधन भी कहा जाता है। एक ओर संसाधनों के रूप में ऊर्जा की खपत बढ़ रही है तो दूसरी ओर मानवीय ऊर्जा भी बहुतायत में इस्तेमाल हो रही है। मानव इतिहास के प्रारंभिक दौर में इंसानों की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताएँ खाना पकाने तक ही सीमित थी। आज के समाज में मनुष्य 110 गुना ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है। आज की अधिकांश ऊर्जा जीवाश्म ईंधन से आती है लेकिन जीवाश्म ईंधन में इसका नुकसान होता है कि वे मानव समय के पैमाने पर अपरिवर्तनीय होते हैं और पर्यावरण पर अन्य हानिकारक प्रभाव डालते हैं। किसी घटना में सभी ऊर्जा स्रोतों के शोषण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रत्येक सौर ऊर्जा के संभावित अपवाद के साथ सामग्रियों पर भरोसा करते हैं। अनवीकरणीय संसाधन की बात करें तो पहले हम विभिन्न संसाधनों के भंडार को देखते हैं। पूरा ध्यान दें कि यूरेनियम और कोयला प्रचुर मात्रा में दिखाई देते हैं। पूर्ण वर्तमान काल में ज्ञात तेल भंडार की संभावना 2050 और 2150 के बीच कभी भी खत्म हो सकती है। भविष्य में ऊर्जा संसाधनों में विशाल पर्यावरण राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव हैं, जो विश्व व्यवस्था को बदल सकते हैं, फिर भी ऊर्जा संसाधनों के भूगर्भिक पहलू एक बड़ी भूमिका निभाएंगे। ऊर्जा के साधन सीमित नहीं हैं। इसलिए इनका प्रयोग विवेकपूर्ण होना अति आवश्यक है।
अथवा
(ग) सामाजिक संजाल (सोशल नेटवर्किंग):
वरदान या अभिशाप व्यक्तियों अथवा संगठनों को जोड़ने वाली संरचना ‘सामाजिक संजाल या सोशल नेटवर्किंग कहलाती है। सोशल नेटवर्किंग एक सामाजिक ढांचा है जिसके नोट व्यक्ति या संगठन होते हैं। यह नोट आपस में एक या अनेक प्रकार के संबंधों से जुड़े. होते हैं। आज सामाजिक संजाल से संपूर्ण मानव जाति प्रभावित है। मित्र बनाना, मित्रता वापस लेना, पसंद करना, ना पसंद करना, अनुसरण करना, अनुसरण बंद करना, समूह बनाना, आर्थिक लेन-देन और खरीदारी जैसे अनेक कार्य हैं जो सामाजिक नेटवर्क पर अधिकतर किए जाते हैं। अनेक क्षेत्रों में हुए अनुसंधान से यह बात सिद्ध हो गई है कि सामाजिक नेटवर्क परिवार से लेकर आज तक के अनेक स्तरों पर काम करता है। जिन समस्याओं को हल करना है, संस्थाएँ चलानी हैं, अपने लक्ष्यों को पाने की दिशा में आगे बढ़ना है आदि में सामाजिक नेटवर्किंग का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। अपने सरलतम रूप में सामाजिक नेटवर्किंग अध्ययन की जा रही सभी नोडों के बीच उपस्थित सभी संबंधों का प्रति चित्रण है। इसमें ज्ञान बंधन के सारे कार्य आते हैं जो संस्थाओं द्वारा ज्ञान को पहचानने, उसे एक रूप से प्रदर्शित करने तथा उसके वितरण से संबंध रखते हैं। सोशल नेटवर्किंग के जहाँ अनेक लाभ हैं वहीं कुछ खामियाँ भी हैं। हमारा समाज उन्हें महसूस कर ही रहा है। किसी व्यक्ति को धमकाना, पोस्ट करना, पीड़ित व्यक्तियों की व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करने आदि की घटनाएं हो रही हैं। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। सामाजिक संजाल अपने आप में जितना खूबसूरत है उतना ही हानिकारक है इसलिए हमें इसका विवेकपूर्ण प्रयोग करना चाहिए
प्रश्न 15.
आपकी कक्षा के कुछ छात्र छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों को सताते हैं। इस समस्या के बारे में प्रधानाचार्य जी को पत्र लिखकर बताइए और कोई उपाय भी सुझाइए।
अथवा
आज दिन-प्रतिदिन सूचना और संचार माध्यम लोगों के बीच लोकप्रिय होते जा रहे हैं। ऐसे में पत्र-लेखन पीछे छूटता जा रहा है। पत्र-लेखन का महत्त्व बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए। (5)
उत्तर:
प्रधानाचार्य महोदय,
क ख ग विद्यालय
नई दिल्ली।
विषय-छात्रों के आपत्तिजनक व्यवहार की सूचना।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपका ध्यान छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों की प्रमुख समस्या की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। हमारे विद्यालय की बड़ी कक्षाओं (नवीं से बारहवीं) के कुछ विद्यार्थी छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों को प्रायः सताते रहते हैं। ये छोटे बच्चे उनके अन्याय एवं गलत व्यवहार का विरोध नहीं कर पाते हैं। स्वयं को बड़ा कहने वाले ये विद्यार्थी छोटे बच्चों से उनके पैसे छीन लेते हैं, उनका खाना खा जाते हैं तथा उनसे मनमाना व्यवहार करवाते हैं। अधिकांश शिक्षक उनके विरुद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाही भी नहीं करते। इससे उनके हौंसले बढ़े हुए हैं। मुझे यह बात बहुत कचोटती है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप ऐसे उद्दण्ड विद्यार्थियों का पता लगायें तथा उन्हें पहले समझाने का प्रयास करें अन्यथा सख्ती से पेश आयें। अभिभावकों को भी विद्यालय में बलवाया जाये. ताकि उन्हें इनकी हरकतों से अवगत कराया जा सके। आशा है आप इस दिशा में उचित कदम उठायेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क, ख, ग
कक्षा-दसवीं
(सचिव, छात्रसंघ)
दिनांक……………
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक……………
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। समाचार ज्ञात हुए। जानकर खुशी हुई कि तुम सपरिवार कुशल हो। ये बातें पत्र में पढ़कर अलग ही अहसास हुआ। अब तो पत्र लिखने की बात पुरानी होती चली जा रही है। अब नित्य नये-नये सूचना और संचार माध्यम लोगों के बीच लोकप्रिय होते चले जा रहे हैं और पत्र लिखना पीछे छूटता जा रहा है। एक छोटा-सा मैसेज या ई-मेल भेजकर काम चला लिया जाता है। पर यह भावनाशून्य लगता है, व्यावसायिक प्रतीत होता है। इसमें सिर्फ मतलब की कामकाजी भाषा का प्रयोग होता है। इन माध्यमों में पत्र-लेखन जैसी सन्तुष्टि की अनुभूति नहीं होती। पत्र लिखने में आत्मीयता झलकती है। पत्र पाकर जो सुखानुभूति होती है वह किसी अन्य साधन से नहीं हो सकती। पत्र-लेखन एक स्थायी माध्यम भी है। अनेक महापुरुषों के पत्र अभी तक सुरक्षित हैं तथा वे प्रेरणादायक भी हैं। मुझे तो पत्र लिखना ही अच्छा लगता है। मैं तुम्हें बराबर पत्र लिखता रहूँगा और आशा करता हूँ कि तुम भी पत्र लिखकर जवाब दोगे।
तुम्हारा शुभचिंतक
क ख ग।
प्रश्न 16.
विद्युत विभाग में लिपिक के पद के लिए लगभग 80 शब्दों में स्ववृत्त तैयार कीजिए।
अथवा
आप पिछले दो दिनों से विद्यालय नहीं गए हैं। अपनी अनुपस्थिति का कारण बताते हुए प्रधानाचार्य को ई मेल लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
जयपुर विद्युत् वितरण निगम,
जे.वी.वी.ई.एल. कार्यालय,
जे.एल.एन.मार्ग, जयपुर
विषय-लिपिक पद के लिए आवेदन पत्र।
महोदय
आज दिनांक 13 जून, 2022 के दैनिक नवज्योति के प्रातः संस्करण में प्रकाशित विज्ञापन से पता चला कि विद्यत विभाग में लिपिक की आवश्यकता है। इस पद के लिए मैं अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा स्ववृत्त इस आवेदन पत्र के साथ संलग्न है। आपके विज्ञापन में वर्णित सभी अभिलषित योग्यताओं और अहर्ताओं को मैं पूरा करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपना कार्य पूर्ण निष्ठा से करूँगा। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
नाम : मनीष गुप्ता
पिता का नाम : रवि गुप्ता
माता का नाम : कनिका गुप्ता
जन्मतिथि : 14 जुलाई 1992
वर्तमान पता : 130, दुर्गापुरा, जयपुर
मोबाइल : 200005XXXX
ईमेल : [email protected]
शैक्षणिक योग्यता
अन्य योग्यताएँ
- कंप्यूटर में द्विवर्षीय डिप्लोमा
- हिंदी अंग्रेजी भाषा की जानकारी।
कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ
- तीन माह तक शिक्षा विभाग में अवकाशकालीन अस्थाई लिपिक पद पर कार्य का अनुभव
- पाँच माह तक नगर निगम में अस्थाई लिपिक पद पर कार्य का अनुभव
आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेरे आवेदन पत्र पर सकारात्मक विचार किया जाए। यदि मेरी अस्थाई लिपिक के पद पर नियुक्ति की जाती है तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं ईमानदारी से कार्य करूँगा और अपने कार्य व्यवहार से सभी को संतुष्ट रखूगा।
धन्यवाद
भवदीय
हस्ताक्षर
मनीष गुप्ता
दिनांक: X/XX/XXXX
अथवा
From : suraj-gupta@rediffmail-com
To : [email protected]
Cc : ——–
Bcc : ——-
विषयः विद्यालय में अनुपस्थिति से संबंधित
महोदय
मैं कक्षा दस ‘अ’ का छात्र हूँ। दिनांक 16 व 17 सितम्बर को मैं विद्यालय में अनुपस्थित था क्योंकि मुझे अचानक शहर से बाहर जाना पड़ गया था क्योंकि मेरे दादाजी का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया था। मैं पहले सूचना देने की स्थिति में नहीं था। इन दो दिनों में हुई पढ़ाई को मैं स्वयं पूरी कर लूँगा।
आशा है कि आप इस कार्य में मेरा उचित मार्गदर्शन करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
प्रश्न 17.
किसी राज्य के पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 60 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों के नाम लगभग 60 शब्दों में शुभकामना सन्देश लिखिए।
उत्तर:
अथवा
स्वतंत्रता दिवस हेतु शुभकामना संदेश दिनांक ………… सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हर्दिक शुभकामनाएँ। आओ इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी देशवासी भारत कोउन्नत और समृद्धिशाली बनाने का प्रण लें और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने का दायित्व उठाएँ। शुभकामनाओं सहित |