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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 7 with Solutions

निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और ‘ख’। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/ वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
  • प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
  • खंड ‘क’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 49 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • खंड ‘ख’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खंड ‘क’
वस्तुपरक/बहुविकल्पीय प्रश्न (अंक : 40)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सिद्धि अपने अहं के सम्पूर्ण त्याग में है। जहाँ वह शुद्ध समर्पण के उदात्त भाव से प्रेरित होकर अपने ‘स्व’ का त्याग करने को प्रस्तुत होता है वहीं उसके व्यक्तित्व की महानता परिलक्षित होती है। साहित्यानुरागी जब उच्च साहित्य का रसास्वादन करते समय स्वयं की सत्ता को भुलाकर पात्रों के मनोभावों के साथ एकत्व स्थापित कर लेता है तभी उसे साहित्यानन्द की दुर्लभ मुक्तामणि प्राप्त होती है। भक्त जब अपने आराध्य देव के चरणों में अपने ‘आप’ को अर्पित कर देता है और पूर्णतः प्रभु की इच्छा में अपनी इच्छा को लय कर देता है तभी उसे प्रभु-भक्ति की अलभ्य पूँजी मिलती है। यह विचित्र विरोधाभास है कि कुछ और प्राप्त करने के लिए स्वयं को भूल जाना ही एकमात्र सरल और सुनिश्चित उपाय है। यह अत्यन्त सरल दिखने वाला उपाय अत्यन्त कठिन भी है। भौतिक जगत में अपनी क्षुद्रता को समझते हुए भी मानव-हृदय अपने अस्तित्व के झूठे अहंकार में डूबा रहता है उसका त्याग कर पाना उसकी सबसे कठिन परीक्षा है। किन्तु यही उसके व्यक्तित्व की चरम उपलब्धि भी है। दूसरे का नि:स्वार्थ प्रेम प्राप्त करने के लिए अपनी इच्छा-आकांक्षाओं और लाभ-हानि को भूलकर उसके प्रति सर्वस्व समर्पण ही एकमात्र माध्यम है। इस प्राप्ति का अनिर्वचनीय सुख वही चख सकता है जिसने स्वयं को देना-लुटाना जाना हो। इस सर्वस्व समर्पण से उपजी नैतिक और चारित्रिक दृढ़ता, अपूर्व समृद्धि और परमानन्द का सुख वह अनुरागी चित्त ही समझ सकता है जो– ‘ज्यों-ज्यों बूड़े श्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय।’

(क) मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सिद्धि किसमें है?
(i) अपने अहं के सम्पूर्ण त्याग में
(ii) अपनी संतुष्टि में
(iii) अपने अहं को अपनाने में
(iv) समृद्धि में
उत्तरः
(i) अपने अहं के सम्पूर्ण त्याग में

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(ख) व्यक्ति के व्यक्तित्व की महानता कब परिलक्षित होती है?
(i) जब वह महान बनता है।
(ii) जब वह अपने ‘स्व’ का त्याग करता है।
(iii) जब वह दूसरे के ‘स्व’ का त्याग करता
(iv) जब वह संतुष्टि को त्याग देता है।
उत्तरः
(ii) जब वह अपने ‘स्व’ का त्याग करता है।

(ग) भक्त जब अपने आराध्य देव के चरणों में स्वयं को अर्पित कर देता है तो उसे क्या प्राप्त होता है?
(i) सर्वस्व की प्राप्ति
(ii) अपनों की प्राप्ति
(iii) प्रभु भक्ति की अलभ्य पूँजी
(iv) लाभ
उत्तरः
(iii) प्रभु भक्ति की अलभ्य पूँजी

(घ) दूसरे का निस्वार्थ प्रेम प्राप्त करने के लिए क्या करना होता है?
(i) उससे प्रेम करना
(ii) उससे नज़रें चुराना
(iii) उसके साथ रहना
(iv) उसके प्रति सर्वस्व समर्पण।
उत्तरः
(iv) उसके प्रति सर्वस्व समर्पण।

(ङ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए तत्पश्चात दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प छांट कर उत्तर दीजिए।
कथन (A): मनुष्य जीवन की सिद्धि अपने अहम् के संपूर्ण त्याग में है।
कारण (R) : कुछ और प्राप्त करने के लिए स्वयं को भूल जाना पड़ता है।
(i) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) सही नहीं है, कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) उसकी व्याख्या नहीं करता।
(iv) कथन (A) गलत है, कारण (R) सही है, और कथन (A) का समर्थन कर रहा है।
उत्तरः
(iv) कथन (A) गलत है, कारण (R) सही है, और कथन (A) का समर्थन कर रहा है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिन्ह है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम-से-उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी-से-अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी न जाने कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों को झीखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीटस 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है-‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल खाक जिया करते हैं।’ मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढहा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है। एक अंग्रेज डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई से लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है। डॉक्टर हस्फलेंड” ने एक पुस्तक में आयु बढ़ाने का उपाय लिखा है। वह लिखता है कि हँसी बहुत उत्तम चीज पाचन के लिए है, इससे अच्छी औषधि और नहीं है। एक रोगी ही नहीं, सबके लिए हँसी बहुत काम की वस्तु है। हँसी शरीर के स्वास्थ्य का शुभ संवाद देने वाली है। वह एक साथ ही शरीर और मनं को प्रसन्न करती है। पाचन शक्ति बढ़ाती है, रक्त को चलाती और अधिक पसीना लाती है। हँसी एक शक्तिशाली दवा है। एक डॉक्टर कहता है कि वह जीवन की मीठी मदिरा है। डॉ. राड कहता है कि आनंद से बढ़कर बहुमूल्य वस्तु मनुष्य के पास और नहीं है। कारलाइल एक राजकुमार था। संसार त्यागी हो गया था। वह कहता है कि जो जी से हँसता है, वह कभी बुरा नहीं होता। जी से हँसो, तुम्हें अच्छा लगेगा। अपने मित्र को हँसाओ, वह अधिक प्रसन्न होगा। शत्रु को हँसाओ, तुमसे कम घृणा करेगा। एक अनजान को हँसाओ, तुम पर भरोसा करेगा। उदास को हँसाओ, उसका दुःख घटेगा। निराश को हँसाओ, उसकी आशा बढ़ेगी।

(क) हँसी को किसका चिन्ह माना गया है?
(i) भीतरी आनंद का
(ii) बाहरी आनंद का
(iii) निराशा का
(iv) आशा का
उत्तरः
(i) भीतरी आनंद का

(ख) आनंद के प्रबल इंजन से किसे ढहाया जा सकता
(i) मन की एकाग्रता को
(ii) चित्त की एकाग्रता को
(iii) शोक और दुःख की दीवारों को
(iv) मन के विकारों को
उत्तरः
(iii) शोक और दुःख की दीवारों को

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(ग) डेमाक्रीट्स के 109 वर्षों तक जीने का क्या कारण रहा होगा?
(i) उनकी आयु इतनी थी।
(ii) वे हँसते हुए जीवन बिताते थे।
(iii) वे सदा निराश रहते थे।
(iv) कारण ज्ञात नहीं है।
उत्तरः
(ii) वे हँसते हुए जीवन बिताते थे।

(घ) उत्तम सुअवसर की हँसी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(i) जीवन निराश हो जाता है।
(ii) चित्त प्रफुल्लित हो जाता है।
(iii) दुःख बढ़ जाता है।
(iv) मन में निराशा छा जाती है।
उत्तरः
(ii) चित्त प्रफुल्लित हो जाता है।

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) हँसी भीतरी आनंद को दर्शाती है।
(II) हँसमुख लोगों के अधिक शत्र होते हैं।
(III) हँसने हँसाने से उम्र घटती है।
(IV) हँसी एक प्रभावशाली औषधि है।
गद्यांश के आधार पर कौन-सा कथन/से कथन सही है/हैं।
(i) केवल (II)
(ii) केवल (III)
(iii) (II) और (III)
(iv) (I) और (IV)
उत्तरः
(iv) (I) और (IV)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों में रेखांकित पदबंधों के भेद पहचानिए और सही विकल्प छाँटकर उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) अपनी ईमानदारी और मेहनत के लिए वह पूरे दफ्तर में जाना जाता है।
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया पदबंध
(iv) क्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तरः
(i) संज्ञा पदबंध

(ख) विद्यालय में प्रथम स्थान पाकर उसने माता पिता और अध्यापकों का सर गर्व से ऊँचा कर दिया।
(i) सर्वनाम पदबंध
(ii) संज्ञा पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया विशेषण पदबंध
उत्तरः
(i) सर्वनाम पदबंध

(ग) तेज कदमों से चलते हुए उसने सभी को विस्मित कर दिया।
(i) विशेषण पदबंध
(ii) क्रिया पदबंध
(iii) क्रिया विशेषण पदबंध
(iv) सर्वनाम पत्र
उत्तरः
(iii) क्रिया विशेषण पदबंध

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(घ) इस अलौकिक प्राकृतिक दृश्य की सुंदरता शब्दों में बयान नहीं की जा सकती।
(i) विशेषण पदबंध
(ii) क्रिया पदबंध
(iii) संज्ञा पदबंध
(iv) सर्वनाम पदबंध
उत्तरः
(ii) क्रिया पदबंध

(ङ) घर जैसा स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन नहीं मिल सकता।
(i) विशेषण पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया विशेषण पदबंध
(iv) संज्ञा पदबंध
उत्तरः
(i) विशेषण पदबंध

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘लेखक ने अपने मुँह से कुछ नहीं कहा। भाई साहब ने उनके अहंकार को भांप लिया। इन दो वाक्यों से बना हुआ मिश्र वाक्य होगा
(i) लेखक के द्वारा मुँह से कुछ न कहे जाने पर भी भाई साहब ने उनके अहंकार को भांप लिया।
(ii) लेखक ने मुझसे कुछ नहीं कहा किंतु भाई साहब ने उनके अहंकार को भांप लिया।
(iii) यद्यपि लेखक ने मुँह से कुछ नहीं कहा तथापि भाई साहब ने उसके अहंकार को भांप लिया।
(iv) लेखक ने मुँह से कुछ नहीं कहा इसलिए भाई साहब ने उसके अहंकार को भांप लिया।
उत्तरः
(iii) यद्यपि लेखक ने मुँह से कुछ नहीं कहा तथापि भाई साहब ने उसके अहंकार को भांप लिया।

(ख) हरिहर काका जो कि एक भोले-भाले किसान थे, वह हर किसी से अपने मन की बात नहीं करते थे। रचना के आधार पर इस वाक्य वाक्य के भेद हैं
(i) मिश्र वाक्य
(ii) सरल वाक्य
(iii) संयुक्त वाक्य
(iv) उपवाक्य
उत्तरः
(i) मिश्र वाक्य

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(ग) निम्नलिखित वाक्यों में से सरल वाक्य छाँटिए
(i) एक छोटा-सा गाँव था और उसमें विशाल ठाकुरबारी की स्थापना हो गई थी।
(ii) उस छोटे से गाँव में विशाल ठाकुरबारी की स्थापना हो गई थी।
(iii) विशाल ठाकुरबारी की स्थापना हुई थी उस छोटे से गाँव में।
(iv) वह क्योंकि एक छोटा-सा गाँव था इसलिए उसमें एक विशाल ठाकुरबारी की स्थापना हुई थी।
उत्तरः
(ii) उस छोटे से गाँव में विशाल ठाकुरबारी की स्थापना हो गई थी।

(घ) घंटों किताबें लेकर बैठे रहने पर भी बड़े भाई साहब पास तक नहीं हो पाते थे। वाक्य का भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) प्रश्नवाचक वाक्य
उत्तरः
(i) सरल वाक्य

(ङ) वर्तमान ही क्योंकि एक मात्र सत्य है इसीलिए हमें उसी में जीना चाहिए। रचना के आधार पर वाक्य का भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) उपवाक्य
उत्तरः
(iii) मिश्र वाक्य

प्रश्न 5.
समास विषय पर आधारित निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर दीजिए (1 × 4 = 4) (क) ‘आटे-दाल’ का समास विग्रह व भेद होगा
(i) आटा रूपी दाल-कर्मधारय समास
(ii) आटे की दाल-तत्पुरुष समास
(iii) आटे और दाल का समूह-द्विगु समास
(iv) आटे और दाल-द्वंद्व समास
उत्तरः
(ii) आटे की दाल-तत्पुरुष समास

(ख) आज्ञा के अनुसार’ समस्त पद और भेद है
(i) आज्ञोनुसार-तत्पुरुष समास
(ii) आज्ञानुसार-अव्ययी भाव समास
(iii) अनुसाराज्ञा-अव्ययी भाव समास
(iv) अनुसाराज्ञा-तत्पुरुष समास
उत्तरः
(ii) आज्ञानुसार-अव्ययी भाव समास

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(ग) ‘बेलगाम’ का समास विग्रह और समास का भेद होगा
(i) लगाम नहीं है जिसकी-बहुव्रीहि समास
(ii) लगाम के बिना-तत्पुरुष समास
(iii) बेलगाम है जो-कर्मधारय समास
(iv) बिना लगाम के-अव्ययीभाव समास
उत्तरः
(iv) बिना लगाम के-अव्ययीभाव समास

(घ) ‘गली-गली’ का समास विग्रह और समास का भेद है
(i) गली की गली-तत्पुरुष समास
(ii) गली और गली-द्वंद्व समास
(iii) हर गली-अव्ययीभाव समास
(iv) गली गली वाला-बहुव्रीहि समास
उत्तरः
(iii) हर गली-अव्ययीभाव समास

(ङ) निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए।
(I) चक्रपाणि – तत्पुरुष समास
(II) चतुर्वेद – कर्मधारय समास
(III) चक्रपाणि – कर्मधारय समास
(IV) चतुर्वेद – द्विगु समास
इनमें से कौन-सा/कौन-से युग्म सही हैं
(i) केवल (II)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (IV)
(iv) (1) और (III)
उत्तरः
(iii) (I) और (IV)

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प्रश्न 6.
मुहावरों पर आधारित निम्नलिखित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर लिखिए- (1 × 4 = 4)
(क) हम सब कब से उसकी …………………… रहे थे और वह बिना मिले ही चला गया।
(i) बाट जोहना
(ii) दबे पांव आना
(iii) आड़े हाथों लेना
(iv) हवा में उड़ना
उत्तरः
(i) बाट जोहना

(ख) तुम जिस काम से आए थे वही पूरा करो यू ……………… निकालना शोभा नहीं देता।
(i) राई का पहाड़
(ii) तिल का ताड़
(iii) बाल की खाल
(iv) आँखें फेरना
उत्तरः
(iii) बाल की खाल

(ग) बंजारों का कोई एक ठिकाना नहीं होता वे कहीं भी ……………….. लेते हैं।
(i) डेरा डालना
(ii) खुशी का ठिकाना न रहना
(iii) आँखें बिछाना
(iv) सुध बुध खोना
उत्तरः
(i) डेरा डालना

(घ) यह बात ……………… लो कि सब्र का फल मीठा होता है।
(i) लिख लेना
(ii) गाँठ बाँध लेना
(iii) नजर रखना
(iv) तराजू पर तौलना
उत्तरः
(ii) गाँठ बाँध लेना

(ङ) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए।
(i) गाढ़ी कमाई-मेहनत से कमाया हुआ धन
(ii) सुराग न मिलना-किसी कीमती वस्तु का खो जाना
(iii) लोहे के चने चबाना-धनवान होना
(iv) सन्नाटा सुनाई देना-अत्यधिक शोर होना
उत्तरः
(i) गाढ़ी कमाई-मेहनत से कमाया हुआ धन

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(च) ‘कोई उपाय न मिलना’ अर्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा है।
(i) बाल की खाल निकालना
(ii) लोहे के चने चबाना
(iii) राह न सूझना
(iv) घाट-घाट का पानी पीना
उत्तरः
(iii) राह न सूझना

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर दीजिए (1 × 5 = 5)
विचार लो कि मृत्य हो, न मृत्यु से डरो कभी,
मरो परंतु यू मरो, कि याद जो करें सभी।
हुई न यू सुमृत्यु तो, वृथा मरे वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो,जिया न आपके लिए।
यही पशु प्रवृत्ति है, कि आप आप ही चरे।
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।

(क) किस बात का डर दिल से निकालने को कहा जा रहा है?
(i) जीने का
(ii) मरने का
(iii) पुनर्जीवन का
(iv) सुमृत्यु का
उत्तरः
(ii) मरने का

(ख) सुमृत्यु किस व्यक्ति को प्राप्त होती है?
(i) जो अपने लिए जीता है
(ii) जो आत्मनिर्भर होकर जीता है
(iii) जो सबकी मदद करता है
(iv) जो सबसे मदद लेता है
उत्तरः
(iii) जो सबकी मदद करता है

(ग) इस पद्यांश का संदेश क्या नहीं है?
(i) हमें सुमृत्यु को प्राप्त करना चाहिए
(ii) हमें पशु प्रवृत्ति से ऊपर उठना चाहिए
(iii) हमें मनुष्य जीवन को सार्थक बनाना चाहिए
(iv) हमें अपने लिए जीना चाहिए
उत्तरः
(iv) हमें अपने लिए जीना चाहिए

(घ) इस पद्मांश के कवि और कविता का नाम है
(i) मनुष्यता-सुमित्रानंदन पंत
(ii) कर चले हम फिदा-सुमित्रानंदन पंत
(iii) मनुष्यता-मैथिलीशरण गुप्त
(iv) मनुष्यता-रबींद्रनाथ ठाकुर
उत्तरः
(iii) मनुष्यता-मैथिलीशरण गुप्त

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(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए।
(I) स्वार्थी व्यक्ति को अल्पायु प्राप्त होती है।
(II) पशु प्रवृत्ति हमें इंसान बनने से रोकती है।
(III) मनुष्य वही है, जो किसी के लिए अपनी जान दे दे।
(IV) हमें मरते दम तक मानवता की सेवा करनी
चाहिए। पद्यांश से मेल खाते हुए वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए।
(i) (II), (IV)
(ii) (I), (II)
(ii) (I), (III)
(iv) (IV)
उत्तरः
(i) (II), (IV)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘मोर मुकुट पीतांबर सोहे, गल वैजयंती माला’-यह पंक्ति क्या दर्शा रही है
(i) कृष्ण का लोक रक्षक रूप
(ii) कृष्ण के प्रति मीरा का असीम प्रेम
(iii) मीरा के हृदय में बसा कृष्ण का रूप
(iv) वृंदावन की कुंज-गलियों को सौंदर्य।
उत्तरः
(iii) मीरा के हृदय में बसा कृष्ण का रूप

(ख) धस गए धरा में सभय शाल’ ऐसा कहा गया है, क्योंकि
(i) केवल झरने दिखाई दे रहे थे।
(ii) पर्वतों पर लगे ऊँचे वृक्ष अदृश्य हो गए हैं।
(iii) धरती फट गई है।
(iv) तालाब दर्पण-सा नजर आ रहा है।
उत्तरः
(ii) पर्वतों पर लगे ऊँचे वृक्ष अदृश्य हो गए हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए। (1 × 5 = 5)
मेरा जी पढ़ाई में बिल्कुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। मौका पाते ही हॉस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता और कभी कंकरिया उछलता, कभी कागज की तितलियाँ उड़ाता और कहीं कोई साथी मिल गया तो पूछना ही क्या। कभी चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूद रहे हैं, कभी फाटक पर सवार उसे आगे पीछे चलाते हुए मोटर कार का आनंद उठा रहे हैं। लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का वह रूद्र रूप देखकर प्राण सूख जाते। उनका पहला सवाल यह होता- ‘कहाँ थे?’ हमेशा यही सवाल इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवाब मेरे पास केवल मौन था। न जाने मेरे मुँह से यह बात क्यों नहीं निकलती कि ‘जरा बाहर खेल रहा था। मेरा मौन कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए उसके सिवा और कोई इलाज न था कि स्नेह और रोश से मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करें।

(क) निम्नलिखित में से कौन-सा कथन लेखक के स्वभाव से मेल नहीं खाता?
(i) उनकी खेलकूद में बेहद रुचि थी
(ii) घंटों किताबें लेकर बैठे रहते थे
(iii) दोस्तों के साथ शैतानियाँ करते थे
(iv) अपने भाई साहब से बहुत डरते थे
उत्तरः
(ii) घंटों किताबें लेकर बैठे रहते थे

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(ख) लेखक के मौन रह जाने का अर्थ होता था कि
(i) वह भाई साहब से बात नहीं करना चाहते
(ii) वह पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं
(iii) उन्हें अपना अपराध स्वीकार है
(iv) उन्हें अपना अपराध स्वीकार नहीं है
उत्तरः
(ii) वह पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं

(ग) निम्नलिखित में से कौन-सा मुहावरा गद्यांश में आया है जिसका अर्थ है ‘बहुत अधिक डर जाना’
(i) प्राण सूख जाना
(ii) फाटक पर सवार होना
(iii) पहाड़ के समान होना
(iv) मौन रह जाना
उत्तरः
(i) प्राण सूख जाना

(घ) ‘कहाँ थे’- भाई साहब लेखक से यह सवाल कब करते थे?
(i) जब वह घंटों पढ़कर आते थे
(ii) जब वह घंटों खेल कर आते थे
(iii) जब वह खेल में हार कर आते थे
(iv) जब वे पढ़ाई से बचकर भाग जाते थे
उत्तरः
(ii) जब वह घंटों खेल कर आते थे

(ङ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए, तत्पश्चात दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प छांट कर उत्तर दीजिए।
कथन (A): लेखक का जी पढ़ाई में बिल्कुल न लगता।
कारण (R) : भाई साहब को देखकर उनके प्राण सूख जाते।
(i) कथन (A) सही है, कारण (R) उसकी सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) सही नहीं है, कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) उससे मेल नहीं खाता।
(iv) कथन (A) गलत है, कारण (R) सही है।
उत्तरः
(iii) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) उससे मेल नहीं खाता।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘प्रेम सबको जोड़ता है, घृणा दूरियाँ बढ़ाती है।’ ऐसा कहकर लेखक कहना चाहता है, कि
(i) घृणा का भाव परिवर्तन लाता है।
(ii) यदि हम मिलकर रहना चाहते हैं, तो प्रेम जरूरी है।
(iii) जहाँ प्रेम होता है, वहां विकास होता है।
(iv) सब जुड़ कर रहते हैं, तो प्रेम और घृणा के भाव बढ़ते हैं।
उत्तरः
(ii) यदि हम मिलकर रहना चाहते हैं, तो प्रेम जरूरी है।

(ख) निम्नलिखित में से कौन-से वाक्य शैलेंद्र के व्यक्तित्व को दर्शाते हैं।
(I) वे दर्शकों की रुचि के अनुसार गीतों का निर्माण करते थे।
(II) उन्होंने अनगिनत सफल फिल्मों का निर्माण किया।
(III) फिल्म जगत की चकाचौंध उन्हें प्रभावित नहीं कर सकी।
(IV) वह एक भावुक गीतकार थे।
(i) (II), (III)
(ii) (I), (II)
(iii) (I), (IV)
(iv) (III), (IV)
उत्तरः
(iv) (III), (IV)

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खंड ‘ब’
दर्णनाल्कक प्रश्न (अंक : 40)

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) बच्चों को कुछ समझाना हो, तो किसी कहानी अथवा किसी पात्र का उदाहरण देकर समझाया जाता है, लेखक के समक्ष बड़े भाई साहब ने रावण का उदाहरण कब और क्यों प्रस्तुत किया था?
उत्तरः
लेखक दिन भर खेलकूद करके भी दर्जे में अव्वल आए और भाई साहब दिन भर किताबें लेकर बैठने पर भी फेल हो गए। अब लेखक आज़ादी से खेलकूद में शरीक होने लगे। ज़बान से कुछ न कहने पर भी लेखक के व्यवहार से भाई साहब ने भाँप लिया कि उसे घमण्ड हो गया है। अतः उन्होंने रावण का उदाहरण देकर घमण्ड न करने की सीख देनी चाही कि रावण भूमण्डल का स्वामी था, चक्रवर्ती राजा था, महाज्ञानी था, किन्तु उसके घमण्ड ने उसका सर्वनाश कर दिया। अतः इंसान कुछ भी कुकर्म या कर्म करे, किन्तु कभी अभिमान न करे।

(ख) लेखक निदा फाजली ने अनेक ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जिनसे पता चलता है, कि कभी ऐसे भी लोग हुआ करते थे। जो प्रकृति और सभी छोटे-बड़े जीवों को कद्र करते थे। शेख अयाज के पिता खाना छोड़ कर क्यों उठ गए थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
शेख अयाज़ के पिता कुएँ से नहाकर आए थे जहाँ एक चींटा उनके शरीर पर चढ़कर साथ ही आ गया। उसे कुएँ पर छोड़ने के लिए वे खाना छोड़कर खड़े हो गए। उनका उदाहरण लेखक ने यह बताने के लिए दिया है कि कभी ऐसे भी लोग होते थे जो पशु-पक्षियों की मूक भाषा को भी समझ लेते थे। उनकी भावनाओं की कद्र करते थे।

(ग) भारत की गुलामी में सआदत अली जैसे लोगों की क्या भूमिका रही? पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तरः
भारत कई वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा, इसका एक महत्वपूर्ण कारण वे लोग हैं, जो भारतवासी होते हुए भी भारत विरोधी कार्य करते रहे। उनके मन में देश प्रेम की भावना का अभाव था। वे केवल अपने स्वार्थ सिदध करने की फिराक में रहते थे। सआदतअली भी उन्हीं लोगों में से एक था। वह ऐश और आरम की जिंदगी बिताना चाहत था। उसकी यह इच्छा अंग्रेजों का समर्थन करने से पूरी हो सकती थी। अंग्रेजों को तो ऐसे लोगों की जरूरत थी। इसलिए वजीर अली को अवध के तख्त से हटाकर सआदत अली को वह पद सौंप दिया गया।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) संत कबीर और मीरा की भक्ति एक-दूसरे से कैसे भिन्न है?
उत्तरः
संत कबीर और मीराबाई दोनों ही ईश्वर प्राप्ति में हमारे मार्गदर्शक हैं। संत कबीर के दोहे उनके अनुभव से प्राप्त ज्ञान पर आधारित हैं। उन्होंने ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने स्वभाव को निर्मल बनाने पर जोर दिया है। कबीर के अनुसार हमारे हृदय में व्याप्त अहंकार ही ईश्वर प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। जिस दिन हमारे हृदय में ज्ञानरूपी दीपक जल जाएगा, तब सारा अज्ञान का अंधकार मिट जाएगा और हम अपने रोम-रोम में, सृष्टि के कण-कण में विराजमान ईश्वर के दर्शन कर पाएंगे। इसके विपरीत मीरा की भक्ति पूर्ण रूप से प्रेम पर आधारित है। वह कृष्ण से एकनिष्ठ प्रेम करती हैं और तन-मन-धन से उन पर समर्पित हैं। उनकी याद में अश्रु बहाती हैं, जीवन भर उनकी दासी बने रहने के लिए भी तत्पर हैं। मीरा अपने प्रभु को कृष्ण के रूप में देखती हैं, उनके विग्रह की पूजा करती हैं, उन्हें भोग लगाती हैं। जबकि कबीर मूर्ति पूजा का खंडन करते हैं। भले ही दोनों के मार्ग अलग-अलग हों किंतु मंजिल प्रभु प्राप्ति ही है।

(ख) प्रार्थना से आप क्या समझते हैं? क्या रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता आत्मत्राण को प्रार्थना कहा जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
प्रार्थना का अर्थ है समर्पण, सद्भाव, प्रेम का भाव। सामान्यतः प्रार्थना को माँग के अर्थ में लिया जाता है। जब हम हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं, इसका अर्थ होता है कि हम उनका आदर कर रहे हैं, माँगना उसका अर्थ कदापि नहीं होता। ईश्वर के सम्मुख जब हम हाथ जोड़ते हैं, प्रार्थना करते हैं, तो वह प्रार्थना उनके प्रति हमारे प्रेम, आदर भाव और विनम्रता की सूचक होती है। हम अपने मन की सभी बातें उनसे कहना चाहते हैं, जिससे हमारे अंदर नए विश्वास और साहस का जन्म होता है और फिर हम अपने कार्यों को अधिक निष्ठा के साथ कर पाते हैं। इस दृष्टि से कवि ‘रवींद्र नाथ ठाकुर’ की कविता ‘आत्मत्राण’ एक बहुत सुंदर प्रार्थना गीत है। इस कविता में कवि ईश्वर से भौतिक सुख-साधनों की मांग नहीं कि अपितु उन मानवीय गुणों की कामना की है, जिनके बल पर वह अपने जीवन की हर समस्या का सामना स्वयं करना चाहते हैं। ईश्वर के प्रति इसी निष्ठा और विनम्र भाव को वास्तव में प्रार्थना कहा जा सकता है।

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(ग) कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ को तालाब के जलने का आभास क्यों हुआ?
उत्तरः
कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ ने पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा ऋतु के दौरान प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन करते हुए पर्वतों, वृक्षों, झरनों व तालाब के सौन्दर्य को सजीव बना दिया है। कवि कहते हैं कि जब तेज वर्षा होती है और वर्षा का जल तालाब में गिरता और तालाब का पानी फुहार बनकर उठता जो धुआँ लगता है, मानो तालाब जल रहा हो। यह दृश्य अलौकिक दिखाई दे रहा था।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) जीवन में खेलकूद का महत्व संकेत बिन्दु

  • मानव स्वभाव
  • खेलकूद का प्रभाव
  • आदर्श स्थिति।

उत्तरः
जीवन में खेलकूद का महत्व
यह कथन अक्षरशः सही है कि ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।’ यदि शरीर ही रोगग्रस्त होगा तो मस्तिष्क को अनेक दुर्बलताएँ घेर लेंगी। हम सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पायेंगे, असफलता व निराशा ही हाथ लगेगी। हीन भावना, द्वेष, घृणा, क्रोध आदि दुर्गुण पैदा होते जायेंगे और सम्पूर्ण व्यक्तित्व को खराब कर देंगे। अतः स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है और यह हमारे हाथ में ही है। व्यायाम, कसरत, खान-पान आदि के साथ-साथ खेलकूद का शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यही कारण है कि विभिन्न प्रकार के खेलों को आज बढ़ावा दिया जा रहा है। हमें अपने दैनिक जीवन में कोई एक खेल अवश्य अपनाना चाहिए जो हमें तनाव से मुक्ति दे सके। खेल भावना से खेलों को खेलते हुए आनन्द की प्राप्ति तो होती ही है, खेल हमें संघर्ष करना सिखा देते हैं। अतः आज एक नारा खूब गूंज रहा है-खूब खेलो, खूब बढ़ो।

अथवा

(ख) विज्ञान के बढ़ते चरण संकेत बिन्दु

  • विज्ञान का अर्थ
  • उपलब्धियों के लाभ व हानियाँ
  • उपसंहार।

उत्तरः
विज्ञान के बढ़ते चरण
एक विशेष प्रकार के ज्ञान को ‘विज्ञान’ की संज्ञा दी गई है। यह ज्ञान तर्कबद्ध चिन्तन पर, प्रयोग-निष्कर्ष पर आधारित है। यह सार्वभौमिक है अर्थात् सबके लिए एक जैसा है। अतः वैज्ञानिक उपलब्धियों ने इंसान के जीवन को बदलकर रख दिया है। दिन-प्रतिदिन के छोटे- बड़े कार्यों से लेकर धरती-आकाश तक की बात करें, तो कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ विज्ञान ने अपना प्रभाव न दिखाया हो। इसकी मदद से अनगिनत सुख-साधनों की प्राप्ति हुई है, अनगिनत कार्य आसान हो गए हैं। यातायात के साधनों व इण्टरनेट के रूप में तो विज्ञान ने दुनिया को समेटकर रख दिया है, दूरियाँ बहुत कम कर दी हैं। किन्तु असीम सुखों ने हमें निर्भर बना दिया है। इन सुविधाओं के अभाव में हम अपाहिज-सा महसूस करने लगते हैं। दूसरी ओर परमाणु बमों, रासायनिक पदार्थों आदि के कारण हर पल हमारे जीवन पर संकट छाया रहता है। तेजी से बढ़ता प्रदूषण बहुत हद तक विज्ञान की ही देन है। अतः विज्ञान के चरण तेजी से हमारे जीवन में प्रवेश तो कर रहे हैं, किन्तु उनको सही दिशा देना बहुत आवश्यक है, अन्यथा विज्ञान रूपी वरदान मानव जाति के लिए अभिशाप भी सिद्ध हो सकता है।

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अथवा

(ग) मीडिया की भूमिका संकेत बिन्दु

  • मीडिया की जिम्मेदारियाँ
  • वर्तमान स्थिति
  • आदर्श स्थिति।

उत्तरः
मीडिया की भूमिका
मीडिया संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है। जन-जन में जागरूकता लाना, सच्चाई को सबके सामने प्रस्तुत करना, देश व समाज को सही मार्ग पर बनाए रखना इसका कर्त्तव्य है। यदि मीडिया अपना काम ईमानदारी से करे, तो क्रान्ति लाने की ताकत रखता है। आज मीडिया के विभिन्न रूप प्रचलित हैं-पहला प्रिण्ट मीडिया, जिसमें समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, विज्ञापन आदि आते हैं तो दूसरा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जिसमें इण्टरनेट व उसकी तमाम साइट्स आती हैं। मीडिया एक ओर जन-जागरण का काम कर रहा है तो दूसरी ओर राजनेताओं, भ्रष्ट कर्मचारियों के मन में भय पैदा कर रहा है। परिणामस्वरूप बहुत-से कुकर्मों, काले धन्धों का पर्दाफाश तो हुआ है, किन्तु अनेक स्थानों पर मीडिया बिकती हुई भी नजर आती है। जब ऐसा होता है तो वह अपने उत्तरदायित्व नहीं निभा पाती, धन व यश कमाना ही एकमात्र लक्ष्य रह जाता है। मीडिया के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों का यह धर्म है कि वह इस साधन का सदुपयोग करते हुए, अपने समाज व देश को प्रकाशित करें व उचित मार्ग पर ले जायें।

प्रश्न 14.
सर्व शिक्षा अभियान के प्रोत्साहन के लिए विद्यालय में शिक्षण की विशेष व्यवस्था करवाने की अनुमति माँगते हुए प्रधानाचार्य को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखकर शहर में बढ़ती असुरक्षा पर लेख छापने का अनुरोध कीजिए।
उत्तरः
प्रधानाचार्य महोदय,
अ ब स विद्यालय,
नई दिल्ली।

विषय-सर्व शिक्षा अभियान के प्रोत्साहन की व्यवस्था हेतु।

आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं – – कक्षा का छात्र हूँ और आपसे प्रार्थना करना चाहता हूँ कि सर्व शिक्षा अभियान को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यालय में शिक्षण की उचित व्यवस्था करें।
महोदय, हम सब जानते हैं कि जब तक जन-जन शिक्षित नहीं होगा, तब तक देश का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं है। मैं चाहता हूँ कि हम छात्र मिलकर शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गरीब बस्तियों में जायें तथा विद्यालय में उनके लिए सायंकालीन शिक्षा की व्यवस्था निःशुल्क करें। यह प्रयास समाज के उत्थान के लिए एक अच्छा प्रयास सिद्ध हो सकता है। मुझे आशा है, आप इस अनुरोध पर विचार करेंगे व शीघ्र ही इसके लिए उचित व्यवस्था करने में सहयोग देंगे।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र,

दिनांक………………………..
क ख ग

अथवा

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक……………………..

सम्पादक महोदय,
दैनिकसमाचार-पत्र,
दरियागंज, नई दिल्ली।

विषय-बढ़ती असुरक्षा पर लेख का अनुरोध।

आदरणीय महोदय,
मैं दिल्ली शहर का रहने वाला एक जिम्मेदार नागरिक हूँ। आपके समाचार-पत्र का मैं पिछले दस वर्षों से नियमित पाठक रहा हूँ। यह समझते हुए कि आपका समाचार-पत्र पर्याप्त प्रचलित है, आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप शहर में बढ़ती असुरक्षा के कारणों, दुष्परिणामों व उपायों के सम्बन्ध में नियमित रूप से लेख प्रकाशित करें। इससे लोगों में जागरूकता पैदा होगी, वे सचेत रहेंगे व अपराधों से लड़ने या उनका निवारण करने की ओर अग्रसर होंगे।
आशा है, आप इस विषय की गम्भीरता को समझेंगे व मेरे अनुरोध को स्वीकार करते हुए कार्य करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
क ख ग

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प्रश्न 15.
विद्यालय में लगने वाले ‘नेत्र चिकित्सा शिविर’ की जानकारी देने हेतु प्रबन्धक की ओर से 30-40 शब्दों में सूचना लिखिए।
अथवा
अपने क्षेत्र में बढ़ रही चोरी की घटनाओं के प्रति क्षेत्रवासियों को सचेत करने व मिलकर सुरक्षा कार्य करने हेतु सभा बुलाने के लिए 30-40 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
उत्तरः

संस्कृत विद्यालय

सूचना

दिनांक………………

नेत्र चिकित्सा शिविर

विद्यालय के प्रांगण में 9 अगस्त प्रातः 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक ‘नेत्र चिकित्सा शिविर’ का आयोजन किया गया है। सभी छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है। अधिक जानकारी के लिए हस्ताक्षरकर्ता से सम्पर्क करें।

धन्यवाद।
विजय हजारी
प्रबन्धक

अथवा

घरौंदा अपार्टमेण्ट्स

सूचना

दिनांक.

‘दुर्घटनाओं से रहें सावधान, रखें अपना व सबका ध्यान’

क्षेत्र में बढ़ती चोरी की वारदातों को देखते हुए आप सबसे अनुरोध है कि सुरक्षा प्रबन्ध कड़े करने के लिए अपने सुझाव देने हेतु आपातकालीन सभा में अवश्य पधारें।

समय-सायं 8 बजे,
दिनांक-9 अगस्त।
धन्यवाद़।
प्रबन्धक
कखग

प्रश्न 16.
टायर बनाने के कारखाने में 50 कर्मचारियों की आवश्यकता है। इसके लिए 25-50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
‘सुलेख’ नाम से पेन बनाने की नई कम्पनी के लिए 25-50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः

कर्मचारियों की आवश्यकता
फरीदाबाद स्थित टायर बनाने की कम्पनी ‘गुड ईयर’ में 50 कर्मचारियों की तत्काल आवश्यकता है। न्यूनतम शिक्षा-12वीं पास, उम्र-18 साल या अधिक। इच्छुक व्यक्ति अपना चरित्र व योग्यता प्रमाण-पत्र लेकर 25 मई प्रात: 10 बजे कम्पनी पहुँचें।
पता-गुड ईयर चौक, बल्लभगढ़, फरीदाबाद
दूरभाष-12099492831

अथवा

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प्रश्न 17.
दिए गए प्रस्थान बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए।

  • पैर उतने ही पसारने चाहिए जितनी लंबी चादर हो।

अथवा
दिए गए संकेत बिंदुओं को इस्तेमाल करते हुए लग भग 100-120 शब्दों में लघु कथा लिखिए।

  • वह नियमित रूप से मंदिर जाती थी घर पर भी पूजा-पाठ करती थी किंतु विचार धार्मिक नहीं थे।

उत्तरः
बेटी का विवाह
सुशीला अपनी बेटी के विवाह के लिए हर माँ की तरह उत्साहित थी। उत्साह के साथ-साथ उसके मन में कुछ डर भी था। बात यह थी कि उसके सभी रिश्तेदार आर्थिक दृष्टि से उससे कहीं ज्यादा मजबूत थे। उनके घरों में भी बच्चों की शादियाँ हुई थीं जो उसने देखी थीं। वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी की शादी कहीं से भी उनसे हल्की लगे। अतः उसने अपना पूरा जोर लगाया, पति पर भी समय-समय पर दबाव डालती रही कि उसे अच्छे-से-अच्छा इंतजाम करना है, बेटी को अच्छे-से-अच्छे कपड़े और जेवर देने हैं। पति तनावग्रस्त रहने लगे थे और सुषमा भी जरूरत से ज्यादा सोचने के कारण अधिक परेशान।

अंततः विवाह का दिन आया सब कुछ अच्छी तरह संपन्न हुआ, अधिकतर लोगों ने तारीफ की, कुछ ने हैसियत से ज्यादा करने का मजाक भी बनाया, कुछ लोगों ने मुँह बनाए जैसा कि अक्सर होता है। जैसे तैसे बेटी को विदा कर दिया गया। उसके बाद धीरे-धीरे घर पर उनके फोन आने लगे जिनसे सुषमा के पति ने उधार लिया था। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था क्योंकि सारी जमा पूँजी विवाह में लग गई थी। इसी तनाव में सुषमा के पति को दिल का दौरा भी पड़ा। उनके इलाज में लगाने के लिए पैसा भी उधार लेना पड़ा जान तो किसी तरह बच गई पर हमेशा के लिए दायाँ हाथ काम करना छोड़ चुका था। सुषमा बहुत पछता रही थी आखिर किसे खुश करने के लिए उसने इतना दिखावा किया था। हीन भावना के कारण जिन्हें वह पराया मान चुकी थी, उन्होंने ही आगे आकर उसकी मदद की और हौसला बढ़ाया।

अब वह समझ चुकी थी कि जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिए बेवजह, फिजूल खर्च करके दिखावा करने से कुछ हासिल नहीं होता केवल परेशानियाँ ही खड़ी होती हैं।

अथवा

असली धर्म कमलेश के माता-पिता ने खूब देखभाल कर उसका रिश्ता तय किया था। उसके होने वाले ससुराल में सभी बहुत पूजा-पाठ करने वाले लोग थे। उन्हें विश्वास था कि सभी संस्कारी लोग होंगे किंतु 10 साल हो गए कमलेश को वहाँ सब लोगों की कड़वी बातें सहते हुए। वह आज तक समझ नहीं पाए हैं कि जिस घर में इतना पूजा-पाठ होता है, नियमित रूप से मंदिर जाते हैं वहाँ के लोगों की जुबान इतनी कड़वी कैसे हो सकती है। उसके पति की माँ रोज मंदिर जाया करती, वहाँ दूध फल चढ़ाया करती पर घर के दरवाजे पर अगर कोई भूखा व्यक्ति खड़ा हो तो उसे दुत्कार कर भगा देती। अगर कमलेश कभी कुछ देने की कोशिश भी करती तो उसे भी डांट दिया जाता। वह मन मसोसकर रह जाती। कमलेश का मन कभी भी पूजा पाठ करने में बहुत अधिक नहीं लगता था पर किसी का दिल दुखाना उसे पाप नजर आता था। घर के लोग जब किसी सब्जी वाले या मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों से बुरा बर्ताव करते थे तो वह दुखी होती थी कभी-कभी समझाने की कोशिश भी करती पर उसे हमेशा उल्टा ही सुनना पड़ता था। उन्हें वह कभी समझा नहीं पाई किंतु यह स्पष्ट हो गया कि ऐसे लोगों की वजह से ही पूजा-पाठ करने वाले लोगों पर से भी हमारा विश्वास उठ जाता है। लोग क्यों नहीं समझते कि यदि उनका स्वभाव अच्छा नहीं है, उनकी बोली में मिठास नहीं है, वह किसी की मदद करना नहीं जानते तो उनका पूजा-पाठ करना, मंदिर-मस्जिद जाना सब व्यर्थ है। काश लोग धर्म का सही अर्थ समझ सकें और जिस प्रभु की वह उपासना करते हैं उनके चरित्र का एक अंश भी अपने चरित्र में उतार सकें तो कितना अच्छा हो।

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प्रश्न 18.
आप दीक्षा दीक्षित, वेदांत महाविद्यालय, नोएडा में दाखिला लेने की इच्छुक हैं। दाखिले की प्रक्रिया तथा शुल्क इत्यादि की जानकारी पाने हेतु तथा अपनी शैक्षिक योग्यता बताते हुए लगभग 60 शब्दों मे ई-मेल तैयार कीजिए।
उत्तरः
प्राप्तकर्ता[email protected]
भेजने वाला[email protected]
दिनांक………………………
समय………………….
विषय-दाखिले हेतु।
श्रीमान/श्रीमती जी,
मैं दीक्षा दिल्ली विकासपुरी की नागरिक हूँ, आपके प्रतिष्ठित महाविद्यालय में दाखिले हेतु कुछ आवश्यक जानकारियाँ प्राप्त करना चाहती हूँ। मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से, विज्ञान में स्रातक की डिग्री प्राप्त की है। अपना विस्तृत विवरण में इस ई-मेल के साथ संलग्न कर रही हूँ। कृपया मेरे ई-मेल पते पर अपने महाविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया तथा शुल्क इत्यादि की जानकारी जल्द से जल्द भेजने की कृपा करें।
धन्यवाद
प्रार्थी
क ख ग