Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 1 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 1 with Solutions
समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
- उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
- उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।
रखण्ड’अ’ : अपठित बोध
I. अपठित बोध- (15 अंक)
(अ) अपठित गद्यांश
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)
जहाँ भी दो नदियाँ आकर मिल जाती हैं, उस स्थान को अपने देश में तीर्थ कहने का रिवाज़ है और यह केवल रिवाज़ की बात नहीं है, हम सचमुच मानते हैं कि अलग-अलग नदियों में स्नान करने से जितना पुण्य होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य संगम स्नान में है । किन्तु भारत आज जिस दौर से गुज़र रहा है, उसमें संगम वे स्थान, वे सभाएँ तथा वे मंच हैं, जिन पर एक से अधिक भाषाएँ एकत्र होती हैं। नदियों की विशेषता यह है कि वे अपनी धाराओं में अनेक जनपदों का सौरभ, अनेक जनपदों के आँसू और उल्लास लिए चलती हैं और उनका पारस्परिक मिलन वास्तव में नाना जनपदों के मिलन का ही प्रतीक है।
यही हाल भाषाओं का भी है। उनके भीतर भी नाना जनपदों में बसने वाली जनता के आँसू और उमंगें, भाव और विचार, आशाएँ और आशंकाएँ समाहित होती हैं, अतः जहाँ भाषाओं का मिलन होता है, वहाँ वास्तव में, विभिन्न जनपदों के हृदय ही मिलते हैं, उनके भावों और विचारों का ही मिलन होता है तथा भिन्नताओं में छिपी हुई एकता वहाँ कुछ अधिक प्रत्यक्ष हो उठती है । इस दृष्टि से भाषाओं के संगम आज सबसे बड़े तीर्थ हैं और इन तीर्थों में जो भी भारतवासी श्रद्धा से स्नान करता है, वह भारतीय एकता का सबसे बड़ा सिपाही और संत है।
हमारी भाषाएँ जितनी ही तेज़ी से जागेंगी, हमारे विभिन्न प्रदेशों का पारस्परिक ज्ञान उतना ही बढ़ता जाएगा। भारतीय लेखकों की बहुत दिनों से यह आकांक्षा रही थी कि वे केवल अपनी ही भाषा में प्रसिद्ध होकर न रह जाएँ बल्कि भारत की अन्य भाषाओं में भी उनके नाम पहुँचें और उनकी कृतियों की चर्चा हो । भाषाओं के जागरण के आरंभ होते ही एक प्रकार का अखिल भारतीय मंच आप-से-आप प्रकट होने लगा है। आज प्रत्येक भाषा के भीतर यह जानने की इच्छा उत्पन्न हो गई है कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है? उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिनकी कृतियाँ उल्लेखनीय हैं तथा कौन-सी विचारधारा वहाँ प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही है।
1. दो नदियों के संगम स्थान को क्या कहा जाता है ?
(क) तीर्थ
(ख) मंच
(ग) धारा
(घ) सागर
उत्तर:
(क) तीर्थ
व्याख्या – दो नदियों के संगम को तीर्थ मानकर उस स्थान को पूजनीय और सम्माननीय मानना भारतीय संस्कृति माना जाता है।
2. आज संगम स्थान पर क्या एकत्रित होता है ? 1
(क) लोग
(ख) भाषाएँ
(ग) पंडित
(घ) साधु
उत्तर:
(ख) भाषाएँ
3. जनपदों के आँसू और उल्लास लिए कौन चलता है ? 1
(क) सागर
(ख) लोग
(ग) नदियाँ
(घ) भीड़
उत्तर:
(ग) नदियाँ
4. भाषाओं के मिलन पर किस के हृदय मिलते हैं? 1
(क) हिंदुओं के
(ख) विभिन्न धर्मों के
(ग) समाज के
(घ) जनपदों के
उत्तर:
(घ) जनपदों के
5. भाषाओं के तीर्थों पर स्नान करने वालों को क्या कहा गया है? 1
(क) संत
(ख) जनपद
(ग) तीर्थयात्री
(घ) भारतीय एकता के सिपाही
उत्तर:
(घ) भारतीय एकता के सिपाही
व्याख्या – भाषाओं के तीर्थों पर स्नान करने वालों को भारतीय एकता के सिपाही कहा जाता है।
6. हमारे प्रदेशों का ज्ञान किस के जागने से बढ़ता है ? 1
(क) भाषाओं के
(ख) लोगों के
(ग) बच्चों के
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) भाषाओं के
7. किस की आकांक्षा है कि उनके नाम अन्य भाषाओं तक पहुँचें ? 1
(क) विदेशियों की
(ख) कंपनियों की
(ग) भारतीय लेखकों की
(घ) लोगों की
उत्तर:
(ग) भारतीय लेखकों के
व्याख्या – भारतीय लेखकों की यह आकांक्षा रही कि अपनी भाषा के साथ ही अन्य भाषाओं में भी उनका नाम हो तथा उनकी कृतियों की चर्चा हो। जिससे उन्हें अन्य भाषाओं में होने वाली गतिविधियों की जानकारी रहे।
8. भाषाओं के जागरण से क्या प्रकट होने लगा है ? 1
(क) अखिल भारतीय मंच
(ख) जोश
(ग) प्रेम
(घ) अपराध
उत्तर:
(क) अखिल भारतीय मंच
9. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए । 1
(क) दो नदियाँ
(ख) जनपदों का हृदय
(ग) भारतीय भाषाओं का समन्वय
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ग) भारतीय भाषाओं का समन्वय
व्याख्या – इस गद्यांश का उचित शीर्षक ‘भारतीय भाषाओं का समन्वय’ है ।
10. ‘पारस्परिक’ में प्रत्यय लगाइए- 1
(क) पा
(ख) पार
(ग) स्परिक
(घ) इक
उत्तर:
(घ) इक
(ब) अपठित पद्यांश-
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)
कुछ लिख के सो, कुछ पढ़के सो
तू जिस जगह जागा सवेरे उस जगह से बढ़ के सो ।
जैसा उठा वैसा गिरा जाकर बिछौने पर,
बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना,
गलत है बेसुध है,
कुछ रचके सो, कुछ गढ़के सो
तू जिस जगह जागा सवेरे उस जगह से बढ़ के सो ।
दिन भर इबारत पेड़, पत्ती और पानी की
बंद घर की, खुले फैले खेत धानी की
हवा की, बरसात की हर खुश्क की, तर की
गुज़रती दिनभर जो रही जो आपकी, पर की
उस इबारत को सुनहरे वर्क से मन मढ़के सो ।
1. कवि ने किसे बेसुध कहा है? 1
उत्तर:
कवि ने उस व्यक्ति को बेसुध कहा है जो कुछ कार्य किए समय बिताता है या बिना सोचे-समझे निरर्थक कार्य करता है।
2. ‘मन मढ़के सो’ में निहित अलंकार है- 1
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक
(ग) यमक
(घ) श्लेष
उत्तर:
(क) अनुप्रास अलंकार
3. ‘जैसा उठा वैसा गिरा’ का क्या अर्थ है ? 1
उत्तर:
कवि ने मनुष्य की अकर्मण्यता के विषय में कहा है। अकर्मण्य व्यक्ति जैसे निष्क्रिय भाव से जागता है वैसे दिनभर कोई प्रयास किए बिना शाम को सो जाता है।
4. इबारत को किससे मढ़ना है? 1
(क) लकड़ी से
(ख) शीशे से
(ग) सुनहरी वर्क से
(घ) ताँबे से
उत्तर:
(ग) सुनहरी वर्क से
5. पद्यांश का शीर्षक लिखिए। 1
उत्तर:
इस पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘परिश्रम का महत्व’ है।
अथवा
एक तेरी ही नहीं सुनसान राहें और भी हैं,
कल सुबह के इंतज़ार में निगाहें और भी हैं ।
और भी हैं ओठ जिन पर वेदना मुस्कान बनती,
नींद तेरी ही न केवल स्वप्न की पहचान बनती।
पूजना पत्थर अकेले एक तुझको ही नहीं
‘वाह बनने के लिए मजबूर आहें और भी हैं।
तू अकेला ही नहीं है जो अकेला चल रहा है।
और तलुवों के तले भी यह धरातल जल रहा है।
और हैं साथी जिन्हें तूने न देखा न जाना
सामने है एक ही, लेकिन दिशाएँ और भी हैं।
1. कवि किससे अपनी बात कह रहा है?
उत्तर:
कवि प्रसिद्धि चाहने वालों से अपनी बात कह रहा है।
2. ‘पत्थर पूजना’ से कवि का क्या आशय है? 1
(क) पूजा करना
(ख) चापलूसी करना
(ग) फूल चढ़ाना
(घ) बहलाना
उत्तर:
(ख) रूपक
3. पद्यांश में ‘नींद’ का स्वप्न की पहचान ‘बनना’ क्या दर्शाता है?
उत्तर:
स्वप्न की पहचान बनना प्रसिद्धि प्राप्ति के लिए सपने देखने जैसा है।
4. धरातल कहाँ जल रहा है?
(क) आकाश में
(ख) पाताल में
(ग) तलुवों के नीचे
(घ) गिरि पर
उत्तर:
(ग) सुनहरी वर्क से
5. पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।
उत्तर:
पद्यांश का उचित शीर्षक ‘प्रसिद्धि की चाह है ।
II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न। (1 × 5 = 5)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए ।
1. खबर व घटना को सम्बन्धित चित्रों के बिना संवाददाता द्वारा सूचना देना क्या कहलाता है ? 1
(क) फोटो इन
(ग) ड्राई एंकर
(ख) फोन इन
(घ) कार्टून कोना
उत्तर:
(ग) ड्राई एंकर
व्याख्या – खबर के दृश्य न आने तक एंकर, दर्शकों को रिपोर्टरों से मिली जानकारियों के आधार पर सूचनाएँ पहुँचाता है।
2. दृश्यों के आधार पर घटना की जानकारी देने वाला एंकर क्या कहलाता है ? 1
(क) ड्राई एंकर
(ख) एंकर विजुअल
(ग) बीट एंकर
(घ) फ्लैश एंकर
उत्तर:
(ख) एंकर विजुअल
3. भारत में पहला छापाखाना कहाँ शुरू हुआ ? 1
(क) बनारस
(ग) गोवा
(ख) दिल्ली
(घ) मुम्बई
उत्तर:
(ग) गोवा
4. कागज़ व मुद्रण के आविष्कार के मेल से हुई क्रांति को क्या कहते हैं ? 1
(क) श्वेत क्रांति
(ख) सूचना क्रांति
(ग) संयुक्त क्रांति
(घ) पेपर क्रांति
उत्तर:
(ग) संयुक्त क्रांति
5. रेडियो किस प्रकार का संचार है ? 1
(क) श्रव्य
(ख) दृश्य
(ग) श्रव्य व दृश्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) श्रव्य
व्याख्या – रेडियो श्रव्य संचार माध्यम है। इसमें ध्वनि तथा तरंगों के माध्यम से ही संदेश भेजे जाते हैं।
III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)
(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
हे भूख ! मत मचल
प्यास, तड़प मत
हे नींद ! मत सता
क्रोध, मचा मत उथल-पुथल
हे मोह ! पाश अपने ढील
लोभ, मत ललचा
हे मद! मत कर मदहोश
ईर्ष्या, जलात
ओ चराचर! मत चूक अवसर
आई हूँ सन्देश लेकर चन्न मल्लिकार्जुन का
1. इस पद्यांश की कवयित्री का क्या नाम है ?
(क) महादेवी
(ख) सुभद्रा कुमारी
(ग) अक्कमहादेवी
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) अक्कमहादेवी
2. कवयित्री भूख-प्यास से क्या प्रार्थना करती है ?
(क) सांसारिक कष्ट न दें
(ख) दैहिक कष्ट न दें
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सांसारिक कष्ट न दें
व्याख्या – कवयित्री भूख-प्यास, क्रोध मोह आदि से प्रार्थना करती है कि उसे सांसारिक कष्ट न दें।
3. कवयित्री किसके प्रति समर्पित है?
(क) चन्नमल्लिकार्जुन
(ख) भगवान शिव
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) चन्नमल्लिकार्जुन
व्याख्या – कवयित्री चन्नमल्लिकार्जुन और भगवान शिव के प्रति समर्पित है।
4. क्रोध का अर्थ है-
(क) गुस्सा
(ख) प्रेम
(ग) निंदा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) गुस्सा
5. मोह का विलोम है-
(क) निर्मोह
(ख) लालच
(ग) ईर्ष्या
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) निर्मोह
(ब) दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
इस बार मास्टर त्रिलोक सिंह ने उसके लाए हुए बेंत का उपयोग करने की बजाय जुबान की चाबुक लगा दी थी, ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे ! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें ?’ अपने थैले से पाँच-छ: दराँतियाँ निकालकर उन्होंने धनराम को धार लगा लाने के लिए पकड़ा दी थीं। किताबों की विद्या का ताप लगाने की सामर्थ्य धनराम के पिता की नहीं थी । धनराम हाथ-पैर चलाने लायक हुआ ही था कि बाप ने उसे धौंकनी फूँकने या सान लगाने के कामों में उलझाना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सिखाने लगा । फर्क इतना ही था कि जहाँ मास्टर त्रिलोक सिंह उसे अपनी पसन्द का बेंत चुनने की छूट दे देते थे वहाँ गंगाराम इसका चुनाव स्वयं करते थे और ज़रा-सी गलती होने पर छड़, बेंत या हत्था जो भी हाथ लग जाता उसी से अपना प्रसाद दे देते। एक दिन गंगाराम अचानक चल बसे तो धनराम ने सहज भाव से उनकी विरासत सँभाल ली और पास- -पड़ोस के गाँव वालों को याद नहीं रहा कि वे कब गंगाराम के ऑफर को धनराम का ऑफर कहने लगे थे ।
1. ‘जुबान की चाबुक’ से क्या आशय है? 1
(क) व्यंग्य वचन
(ख) प्रेम वचन
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) व्यंग्य वचन
2. त्रिलोक ने किसको व्यंग्य वचन कहे ?
(क) मोहन
(ख) वंशीधर
(ग) धनराम
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) धनराम
व्याख्या – मास्टर त्रिलोक ने धनराम को व्यंग्य वचन कहे थे क्योंकि वह तेरह का पहाड़ा याद नहीं कर सकता था।
3. धनराम की रुचि किसमें अधिक थी ?
(क) पढ़ाई
(ख) लोहा पीटने
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) लोहा पीटने
4. त्रिलोक सिंह, धनराम को पीटने के लिए क्या चुनते थे? 1
(क) बेंत
(ख) हथौड़ा
(ग) तीर
(घ) तलवार
उत्तर:
(क) बेंत
व्याख्या – मास्टर त्रिलोक सिंह ने धनराम को पी. टने हेतु बेंत को चुना था।
5. धनराम के पिता का क्या नाम है? 1
(क) वंशीधर
(ख) त्रिलोक
(ग) मोहन
(घ) गंगाराम
उत्तर:
(घ) गंगाराम
IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग – 1 (10 अंक)
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
1. कुंई के पानी को साफ़ रखने के लिए उसे किस धातु के वने ढक्कन से ढका जाता है ?
(क) पत्थर
(ग) लकड़ी
(ख) लोहा
(घ) मिट्टी
उत्तर:
(ग) लकड़ी
व्याख्या – कुंई के पानी को साफ रखने हेतु उस पर लकड़ी से बने ढक्कन को रखा जाता है।
2. गहरी कुंई से पानी खींचने की सुविधा के लिए ऊपर लगी चकरी को क्या कहते हैं?
(क) चरखी
(ग) फरेड़ी
(ख) गरेड़ी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
3. जैसलमेर जिले के एक गॉव खड़ेरों की ढाणी को लोग किस नाम से जानते थे ?
(क) तीन – बीसी
(ख) छः – बीसी
(ग) पांच – बीसी
(घ) सात – बीसी
उत्तर:
(ख) छ: बीसी
4. लेखक के अनुसार लता जी ने किस प्रकार के गानों के साथ न्याय नहीं किया है?
(क) करूण रस
(ख) शृंगार रस
(ग) भक्ति रस
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) करूण रस
व्याख्या – लेखक ने अनुसार लता जी ने करूण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया।
5. लता जी किस संगीत की अनभिषिक्त सम्रागी हैं? 1
(क) लोक संगीत
(ख) पाश्चात्य संगीत
(ग) चित्रपट संगीत
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) चित्रपत्र संगीत
6. लेखक के अनुसार गाने की सारी मिठास किसके कारण आती है?
(क) सही धुन
(ख) रंजकता
(ग) सही उच्चारण
(घ) सही शब्दावली
उत्तर:
(ख) रंजकतस
7. बेबी हालदार की तुलना किससे की गई है ?
(क) आशापूर्णा देवी
(ख) तातुश
(ग) जेठू
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) आशापूर्णा देवी
8. कला के लिए अब तक प्राप्त सबसे महत्वपूर्ण शास्त्र कौन-सा है ? 1
(क) सामदेव
(ख) नैतिकशास्त्र
(ग) लोकशास्त्र
(घ) नाट्यशास्त्र
उत्तर:
(घ) नाट्यशास्त्र
व्याख्या – कला के लिए अब तक का सबसे महत्वपूर्ण शास्त्र भरतमुनि का नाट्यशास्त्र है।
9. कलाओं का स्वर्णयुग किस युग को कहा जाता है ? 1
(क) गुप्त युग
(ख) मुगल युग
(ग) मौर्य युग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) गुप्त युग
10. अस्थायी कलाएँ कौन-सी हैं ? 1
(क) ऐपण
(ख) अल्पना
(ग) रंगोली
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
व्याख्या – ऐपण, अल्पना तथा रंगोली आदि अस्थायी कलाएँ हैं।
खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)
1. दिए गए अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन लिखिए-
(क) देश में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या पर अपने विचार लिखिए ।
उत्तर:
भ्रूण हत्या :
एक जघन्य अपराध आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं-जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, जनसंख्या वृद्धि, कन्या भ्रूण हत्या आदि। जिनमें कन्या भ्रूण हत्या एक भयंकर समस्या है। यह ऐसा जघन्य अपराध हैं, जो देश की महानता और गौरव गरिमा को धूमिल कर रहा है। वैज्ञानिक उन्नति ने इस अपराध को बढ़ावा देने का काम किया है। जिन आधुनिक मशीनों का प्रयोग जनकल्याणकारी कामों के लिए किया जाना चाहिए, आज मेडीकल क्षेत्र के कुछ स्वार्थी लोग अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु उनका गलत कामों में उपयोग कर रहें हैं वे जन्म से पूर्व ही माता-पिता को अल्ट्रासाउण्ड मशीन के ज़रिए यह बता देते हैं कि गर्भ में पल रहा भ्रूण बेटा है या बेटी।
हालांकि ऐसा करना हमारे देश में कानूनी अपराध है किन्तु फिर भी कुछ लालची लोग ऐसा कर रहे हैं, जिससे माता-पिता एक बेटे की चाह में, उस कन्या को जन्म से पूर्व ही गर्भ में मरवा देते हैं। इसका दुष्परिणाम यह है कि देश में लड़कियों की संख्या दिन-प्रतिदिन घट रही है। कन्या भ्रूण हत्या रोकने हेतु सरकार को कठोर कानून बनाने और सख्ती से उसका पालन करते रहना चाहिए। ताकि कोई कन्या भ्रूण हत्या जैसा अपराध न कर सके।
(ख) ‘अपना घर’ विषय पर एक रचनात्मक लेख लिखिए ।
उत्तर:
अपना घर कहा जाता है कि घरों में घर अपना घर । सच ही अपना घर अपना ही होता है। चाहे अपने घर में सभी सुख- सुविधाएँ न हों तब भी वह अच्छा लगता है जो आज़ादी हमें अपने घर में होती है, वह किसी भी आलीशान घर में प्राप्त नहीं होती है। अपने घर में व्यक्ति अपनी मन मर्जी का मालिक होता है। दूसरे के घर में, उस घर के स्वामी की इच्छानुसार या उस घर के नियमों के तहत रहना पड़ता है। अपने घर में आप जो चाहें करें, खाएँ, जहाँ चाहें बैठे, उठे, लेटें पर दूसरे के घर में ऐसा मुनासिब नहीं होता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि ‘जो सुख छज्जू दे चौबारे वह न बलख न बुखारे’ शायद यही वजह है कि मीलों दूर नौकरी करने जाने वाले भी रात को अपने घर वापस आ जाते हैं।
मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी अपने घर के महत्व को समझते हैं। सारा दिन जंगल में चरने वाली भैंस, गाएँ, भेड़ें, बकरियाँ आदि शाम होते ही अपने-अपने घरों को लौट आते है। पक्षी भी दिनभर दानादुनका चुगकर शाम होते ही अपने- अपने घोंसलों को वापस आ जाते हैं। घर का मोह सबको लौट आने के लिए विवश करता है। सच ही कहा जाता है कि घरों में घर, अपना घर सबसे अच्छा होता है।
(ग) अपने जीवन के लक्ष्य पर विस्तारपूर्वक रचनात्मक लेख लिखिए ।
उत्तर:
मेरे जीवन का लक्ष्य-संसार में प्रत्येक मनुष्य के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य ज़रूर होता है एक मनुष्य एवं सामाजिक प्राणी होने के नाते मैंने भी अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया है। मैं बड़ा होकर एक आदर्श अध्यापक बनना चाहता हूँ और अध्यापक के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाता हुआ अपने राष्ट्र की सेवा करना चाहता हूँ। मैं आदर्श शिक्षक बनकर अपने राष्ट्र की भावी पीढ़ी के बौद्धिक स्तर को उच्च स्तर पर पहुँचाना चाहता हूँ ताकि मेरे देश की युवा पीढ़ी कुशल, विवेकशील, कर्मनिष्ठ और ईमानदार बन सके और मेरा देश फिर से शिक्षा का सिरमौर बन सके।
हम फिर से विश्वगुरू की उपाधि को ग्रहण कर सकें। विद्यार्थी होने के कारण मैं भली-भाँति जानता हूँ कि किसी अध्यापक का विद्यार्थियों पर कैसा प्रभाव पड़ता है। कोई अच्छा अध्यापक उनको अच्छी दिशा अथवा सही मार्ग दिखा सकता है। मैं भी ऐसा करके देश के युवाओं को नया मार्ग अथवा नई दिशा देना चाहता हूँ, जिससे हमारे देश का विकास हो और हम फिर से विश्व गुरु की उपाधि पा सकें।
(घ) ‘दीया और तूफान’ विषय पर एक रचनात्मक लेख लिखिए ।
उत्तर:
दीया और तूफान मिट्टी का बना हुआ एक नन्हीं- सा दीया भी जलता है तो रात्रि अन्धकार से लड़ता हुआ उसे दूर भगा देता है अपने आस-पास रोशनी फैला देता है। जिस अन्धेरे में हाथ से हाथ नहीं सूझता उसे भी अपने मंद रोशनी से काम करने योग्य मार्ग प्रशस्त कर देता है। हवा का झोंका जब दीये को कँपा देता है तब ऐसा लगता है कि मानो अन्धकार फिर छा जाएगा। दीया छोटा ही क्यूँ न हो पर वह अन्धकार से अकेला सामना कर सकता है तो हम मानव जीवन की राह में आने वाली कठिनाइयों का उसी तरह मुकाबला क्यों नहीं कर सकते, यदि वह तूफान का सामना करके अपनी टिमटिमाती लौ से प्रकाश फैला सकता है तो हम भी हर कठिनाई में मज़बूत बनकर संकटों के घेरे से निकल सकते हैं महाराणा प्रताप ने सब कुछ खोकर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की ठानी थी हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नन्हें से दीये के समान जीवन की कठोरता का सामना किया और विश्व के सबसे बड़े गणतन्त्र भारत का राष्ट्रपति पद प्राप्त किया और यही हमारे देश को मिसाइलें प्रदान कर मिसाइल मैन कहलाए जाते हैं।
2. विद्यालय में खेल-कूद की सामग्री की ओर ध्यान दिलाते हुए प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना पत्र लिखिए ।
अथवा
‘निरमा’ वाशिंग पाउडर कम्पनी को घर-घर जाकर प्रचार करने वाले युवाओं की आवश्यकता है, जो दसवीं पास हों और प्रभावशाली ढंग से बातचीत कर सकते हों। इसके लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए निरमा लिमिटेड, निरमा हाउस, अहमदाबाद – 580009 के प्रबन्धक महोदय को एक पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
केन्द्रीय विद्यालय,
एम. ई. एस. बंगलुरू।
विषय: खेलकूद सामग्री की व्यवस्था हेतु पत्र ।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि इस वर्ष हमारे विद्यालय ने क्षेत्रीय खेल प्रतियोगिताओं में बहुत नाम कमाया है। इस सफलता से उत्साहित होकर विद्यालय के अनेक छात्र विभिन्न टीमों में अपने नाम देने के इच्छुक हैं।
इससे पहले कि आगामी खेल प्रतियोगिताओं के लिए टीमों का चुनाव किया जाये, यह आवश्यक हो जाता है कि अपने विद्यालय के खेल के मैदान की समुचित सफा. ई, ऊँचे-नीचे गड्ढ़ों की भराई, माप के अनुसार मैदान की निशानदेही और यथास्थान पोल गड़वाने की समुचित व्यवस्था की जाये। इन सबके अतिरिक्त सभी खेलों की आवश्यक सामग्री- गेंद-वल्ले, हॉकी स्टिक, फुटबॉल, वॉलीबॉल, नैट, शटल कॉक आदि का यथोचित प्रबंध करना भी आवश्यक है।
खेल प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु हमारे विद्यालय के अनेक छात्रों में काफी उत्साह है। हमारे मुख्य व्यायाम शिक्षक अभी से खेलों का अभ्यास कराना चाहते हैं।
आशा है, ऊपर दिये गये विवरण के अनुसार आवश्यक प्रबन्ध करने और सामग्री जुटाने की दिशा में आप शीघ्र ही यथोचित कदम उठाने की कृपा करेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
संतोष कुमार
खेल सचिव, ग्यारहवीं ‘अ’
दिनांक 10.7. ……
अथवा
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
निरमा लिमिटेड, निरमा हाउस,
आश्रम रोड, अहमदाबाद-580009
विषय – प्रचार कर्मी के लिए आवेदन पत्र ।
महोदय,
आपकी कम्पनी द्वारा ‘नवभारत टाइम्स’ के पिछले अंक में दिये गये विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि कम्पनी को दसवीं पास युवकों की आवश्यकता है जो घर-घर जाकर कम्पनी के उत्पादों का प्रचार कर सकें। इस कार्य के लिए मैं स्वयं को एक प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मेरा वैयक्तिक विवरण निम्न प्रकार है-
प्रार्थी का नाम – विष्णु कुमार जैन
पिता का नाम – श्री मोती लाल जैन
पत्र व्यवहार का पता – 8091, मीर गली, नवाब गंज, दिल्ली।
आयु – 18 वर्ष
शिक्षा – इण्टरमीडिएट प्रथम श्रेणी ।
अन्य योग्यता – हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रभावशाली ढंग से बातचीत में निपुण। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे कार्य करने का अवसर दिया गया तो मैं कम्पनी के उत्पादों के प्रचार द्वारा उसकी बिक्री में वृद्धि का पूर्ण प्रयास करूंगा।
संलग्न – सभी अंकतालिकाओं की छाया प्रतियाँ |
धन्यवाद सहित
प्रार्थी
विष्णु कुमार जैन
मो. 94235981xx
दिनांक 18.08. ……
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए-
(क) “परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं।” इस अवसर पर डायरी प्रविष्टि लिखें ।
उत्तर:
11 अप्रैल, 20xx – आज मेरी खुशी का उस समय कोई ठिकाना न रहा जब मुझे अपने परीक्षा परिणाम का पता चला मुझे परीक्षा में सर्वोत्तम अंक मिले थे मेरे पिताजी की हार्दिक इच्छा थी कि मैं सर्वोत्तम अंक हासिल करूँ। वे मुझे प्रायः ऐसे कई उदाहरण दिया करते थे। मैंने भी निश्चय किया हुआ था कि अब की बार तो परीक्षा में सर्वोत्तम अंक लाकर दिखाऊँगा। आखिरकार आज मुझे यह मौका मिल ही गया जब मैं अपने पिताजी से कह सकूँ कि मैं ही आपका लायक बेटा हूँ परीक्षा में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने के बाद मुझे मित्रों और सम्बन्धियों के खूब फोन आए। अपनी इस उपलब्धि पर मुझे आज बहुत खुशी हो रही है।
(ख) एक संगीत कार्यक्रम के अपने अनुभव के विषय में एक डायरी प्रविष्टि लिखें ।
उत्तर:
शनिवार
10 अगस्त 20xx
रात्रि 11:00 बजे
प्रिय डायरी,
मेरा यह पूरी तरह से बिल्कुल भिन्न और दुनिया से अलग अनुभव था मुझे मेरे दोस्त राजेश ने कैलाश खेर द्वारा एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। वह संगीत कार्यक्रम के लिए देर से पहुँचे, लेकिन फिर कुछ ऐसी चीजें होती हैं जब आपके पास प्रशंसकों की कतार लगी होती है।
महालक्ष्मी रेसकोर्स ग्राउण्ड में मौजूद सभी दर्शक गुलजार थे, हर कोई उसे देखने एवं उसके गाने सुनने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। वहाँ ज़बरदस्त सुरक्षा थी। हमें प्रवेश करने में लगभग आधा घण्टा लगा जब वह मंच पर उतरे तो पूरी भीड़ उत्साहित हो गई। हम सब उसके साथ गाने लगे। उन्होंने अपने नये एलबम से मेरा पसंदीदा गाना भी गाया। मेरा यह यादगार पल था। रात में इसे मैं कभी नहीं भूलूँगा। चारों ओर बहुत ताली, टूटिंग और जयकारे चल रहे थे। अन्त में उन्होंने अपने प्रशंसकों को ऑटोग्राफ दिए. यहाँ तक कि मुझे भी उनका ऑटोग्राफ मिला और वह वहाँ से चले गए। बहुत खूब! मेरे लिए यह दिन सिर्फ एक सपना सच होने जैसा है।
शुभ रात्रि डायरी
राहुल
(ग) नाटक और फ़िल्म की पटकथा के किन्हीं पाँच अन्तरों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
नाटक और फ़िल्म की पटकथा में कुछ मूलभूत अन्तर होते हैं। ये अन्तर निम्नलिखित हैं-
1. नाटक के दृश्य बहुत लम्बे-लम्बे होते हैं जबकि फिल्म के दृश्य छोटे-छोटे होते हैं।
2. नाटक में घटनास्थल प्रायः सीमित होता है जबकि फिल्म में इसकी कोई सीमा नहीं होती।
3. नाटक एक सजीव कला माध्यम है, जिसमें अभिनेता अपने ही जैसे जीवन्त दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं जबकि सिनेमा में यह पूर्व रिकॉ डंग छवियाँ एवं दृश्य होते हैं।
4. नाटक में कार्य व्यापार, दृश्यों की संरचना और चरित्रों की संख्या सीमित रखनी होती है, जबकि सिनेमा में ऐसा कोई बन्धन नहीं होता।
5. नाटक की कथा का विकास एकरेखीय होता है, जो एक ही दिशा में आगे बढ़ता है, जबकि सिनेमा में कथा का विकास कई प्रकार से होता है।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए-
(क) पारिभाषित शब्द किसे कहते हैं ? पारिभाषिक शब्दकोष का विश्लेषण कीजिए ।
उत्तर:
विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को पारिभाषिक शब्द कहते हैं। किसी भाषा के पारिभाषिक शब्दों का सीधा सम्बन्ध उस भाषा के सांस्कृतिक एवं वैचारिक विकास से होता है। शास्त्रों और विज्ञान शाखाओं के पारिभाषिक शब्दकोषों की रचना एक भाषा में भी होती है और दो या अनेक भाषाओं में भी। कुछ में केवल पयार्य शब्द रहते हैं और कुछ में व्याख्याएँ अथवा परिभाषाएँ भी दी जाती हैं। विज्ञान और तकनीकी या प्राविधिक विषयों से सम्बन्ध नाना पारिभाषिक शब्द कोषों में व्याख्यात्मक परिभाषाओं तथा कभी-कभी अन्य साधनों की सहायता से भी बिल्कुल सही अर्थ का बोध कराया जाता है। प्राचीन शास्त्रों और दर्शनों आदि के विशिष्ट एवं पारिभाषिक शब्दों के कोष भी बनाए गए हैं।
(ख) शब्द विधि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
शब्द कोश में शब्द विधि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए लिखा है- “शब्द विधि पठन शिक्षण की विधि है, जिसमें प्रथमतः शब्दों को पूर्ण रूप में प्रस्तुत किया जाता है और बाद में खण्डों में विश्लेषित किया जाता है।
यह विधि सर्वप्रथम यूरोप में कामेनियस द्वारा 1648 ई. में अपनी पुस्तक The Orbis Pictus में प्रतिपाि दत की गई थी जो 1846 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका में रसेल वेब द्वारा प्रस्तावित हुई थी यह पठन शिक्षण की विधि है, जो सम्पूर्ण शब्द से प्रारम्भ होती है, परन्तु इसमें ध्वनियों पर विशेष बल दिया जाता है। इस विधि में बालकों को सर्वप्रथम वर्णों के स्थान पर शब्दों का ज्ञान कराया जाता है। बालक को शब्दों का पठन पहले सिखाया जाता है। शब्द पठन में कुशल हो जाने पर छात्रों को वाक्य पढ़ना सिखाया जाता है, अन्त में वर्णों के उच्चारण । ध्वनि साम्य विधि, अनुध्वनि विधि तथा साहचर्य विधि आदि शब्द विधि के ही प्रकार मात्र हैं।
(ग) स्ववृत्त प्रारूप में कितने विभाग होते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
स्ववृत्त के विभाग स्ववृत्त प्रारूप में चार विभाग होते हैं जैसे-
1. पहला भाग भूमिका का होता है, जिसमें उम्मीदवार विज्ञापन से तथा विज्ञापित पद का हवाला देते हुए अपनी उम्मीदवारी की इच्छा प्रकट करता है।
2. दूसरे भाग में उम्मीदवार बताता है कि वह विज्ञापन में वर्णित आवश्यकताओं ओर योग्यताओं को पूरा करने में किस प्रकार सक्षम है।
3. तीसरे विभाग में उम्मीदवार उस पद और संस्था के प्रति अपनी गम्भीरता और अभिरुचि को व्यक्त करता है।
4. चौथा विभाग औपचारिक समापन या उपसंहार का होता है जिसमें आपने (किसी भी पद के लिए) आवेदन किया है।
VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1 (20 अंक)
1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे’ पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
कवि आम व्यक्ति के बारे में बात कर रहा है। आम व्यक्ति गरीबी व शोषण युक्त जीवन जीता है क्योंकि भ्रष्ट शासन तंत्र द्वारा वह शोषित होता है और निराशापूर्ण स्थिति में पहुँच जाता है। वह इतना हताश हो जाता है कि उसमें शासन-तंत्र का विरोध करने की क्षमता भी समाप्त हो जाती है। वह इतना शक्तिहीन अथवा अशक्त हो जाता है कि जो आधारभूत न्यूनतम सुविधाएँ उसको जीवन निर्वाह के लिए चाहिए, वे उसे नहीं भी मिलतीं तो भी वह विरोध में अपनी आवाज़ नहीं उठाता बल्कि उसी में परम संतोषी और साधु प्रवृत्ति वाले स्वभाव के कारण खुश रहता है। जैसे कमीज़ बदन पर न हो तो गरीब व्यक्ति अशक्त होने के कारण अपने पाँवों से ही अपना पेट ढकने की कोशिश करता है। उसी प्रकार से वह तंत्र के खिलाफ भी अपनी आवाज़ नहीं उठ ता। अपने अधिकार प्राप्त करने की कोशिश नहीं करता।
कवि ने उसकी इसी प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। बेशक परम संतोषी व साधु प्रवृत्ति जीवन जीने में व उसकी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है, परन्तु भ्रष्ट व्यवस्था के आगे इस प्रवृत्ति के कारण अगर हम समर्पण कर देते हैं तो इस प्रवृत्ति का कोई लाभ नहीं आवश्यक है कि पत्थर दिल भ्रष्ट व्यक्तियों की समाप्ति के लिए आम आदमी संगठित होकर, क्रांति का स्वर पैदा करे, न कि अशक्त होकर बैठ जाए।
(ख) कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
कवि ने चंपा के भोलेपन, शरारती स्वभाव, मन की बात को बिना छिपाए सीधे मुँह पर कहने, परिवार के साथ मिलकर रहने की भावना, कष्ट देने वाले के प्रति खुला विद्रोह, आदि विशेषताओं का उल्लेख किया है।
(ग) आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर:
आदिवासी समाज की स्थिति में वर्तमान समय में काफी सुधार आने लगा है। इनके समाज में भी अब शिक्षा का प्रसार होने लगा है। आरक्षण की सुविधा के द्वारा सरकार इनके लिए नौकरियों में स्थान सुरक्षित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में सम्मिलित करने हेतु प्रयासरत है। यातायात व संचार के साधनों के कारण ये आधुनिक परिवेश में स्वयं को ढालने में समर्थ हो रहे हैं। आदिवासी समाज की उन्नति के लिए अनेक स्वयं सेवी संस्थाएँ भी प्रयासरत हैं जिनके परिणाम स्वरूप ये नशे आदि की लत से बाहर आकर आगे बढ़ रहे हैं।
2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) पिता कवि को ‘सोने पर सुहागा’ क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
कवि के पिता यद्यपि अपनी सभी संतानों से प्रेम करते थे लेकिन कवि ने पिता के दिखाए देशभक्ति के मार्ग का अनुकरण करते हुए देश सेवा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था जिससे वे स्वयं को ऐसी संतान का पिता होने में गौरवान्वित महसूस करते थे और उसे ‘सोने पर सुहागा’ मानते थे।
(ख) ‘साये में धूप’ गजल का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
इन कविता का प्रतिपाद्य है-लोगों को समाज में क्रांति के लिए प्रेरित करना। कवि राजनीतिक व्यवस्था से पूरी तरह निराश हो चुका है। सत्ताधारियों के शासन में पूरा शहर अँधेरे में डूब चुका है। खुद शासन ही कष्टकारी बन चुका है। यहाँ के लोग इतने दबे-कुचले हैं कि वे मजबूरी की आखिरी हद तक भी चले जाते हैं वे तो खुदा के नाम पर हसीन सपने मन में पाले हुए हैं। उनके मन में यह बात पक्की हो चुकी है कि शासन में बदलाव नहीं हो सकता। जबकि कवि इन शोषित लोगों के मन में क्रांति की ज्वाला सुलगाना चाहता है। कवि का पक्का विश्वास है कि वह अधिकारों के लिए, सच्ची स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करता रहेगा।
(ग) तुम कागद ही गोदा करते हो दिनभर’ चम्पा का क्या आशय है ?
उत्तर:
चंपा जब भी कवि के पास जाती उसे कागज-कलम लिए कुछ लिखता हुआ पाती। चंपा को कवि को लिखते देखना अच्छा नहीं लगता। वह इस प्रकार पढ़ने-लिखने को कागज गोदना कहती क्योंकि चंपा निरक्षर थी उसकी दृष्टि मैं पढ़ाई-लिखाई का कोई महत्व नहीं था बल्कि बेकार के काम में समय नष्ट करना था।
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों दीजिए । (3 × 2 = 6)
(क) मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं ?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगीं-
(1) मियाँ नसीरुद्दीन को अपने काम से बहुत प्यार है। वे अपने काम को इतना महत्व देते हैं कि बातचीत के समय भी उनका ध्यान उसी में रहता है।
(2) उनका आत्मविश्वास प्रशंसनीय है, वे महिला पत्रकार के सभी प्रश्नों के उत्तर पूरे आत्मविश्वास से देते हैं।
(3) अपने पिता और दादा के नानबाई के रूप में प्रसिद्ध होने का वर्णन करते हुए भाव-विभोर हो जाना।
(4) नानबाई की कला सीखने के लिए बर्तन धोने, भट्टी बनाने और सुलगाने तथा आटा गूंथने आदि को सीखना आवश्यक मानना ।
(5) शागिर्दों का शोषण करने के स्थान पर उनका सम्मान करना व वेतन भी देना।
(ख) वंशीधर को रमेश में साक्षात् भगवान के दर्शन क्यों हुए ?
उत्तर:
वंशीधर तिवारी अपने पुत्र मोहन को पढ़ाना-लिखाना चा. हते थे परन्तु वे स्वयं साधनहीन थे न तो वे मोहन को गाँव से चार मील दूर स्थित स्कूल में पढ़ने के लिए भेजना चाहते थे और न ही लखनऊ भेज सकते थे। अत: जब उनकी बिरादरी के एक युवक ने मोहन की पढ़ाई-लिखाई के लिए अपने साथ लखनऊ भेजने के लिए कहा तो उनके मन की इच्छा पूरी हो गई। इसलिए उन्हें रमेश में भगवान के दर्शन हुए।
(ग) रजनी द्वारा भेजा प्रस्ताव बोर्ड द्वारा स्वीकृत होना क्या प्रमाणित करता है ?
उत्तर:
रजनी ने बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव रखा कि कोई भी अध्यापक अपने विद्यालय के छात्रों को ट्यूशन नहीं पढ़ायेगा। इस प्रस्ताव को बोर्ड द्वारा वैसा का वैसा स्वीकार कर लिया गया। इससे यह प्रमाणित होता है कि यदि लोग जागरूक रहकर अन्याय का डटकर विरोध करें तो हर अन्याय को समाप्त किया जा सकता है। हमें अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के लिए दूसरों का मुँह ताकने की आवश्यकता नहीं है। चूँकि रजनी का प्रस्ताव व्यावहारिक था तथा इससे कमजोर छात्रों द्वारा ट्यूशन पढ़ाकर धन कमाने की स्वतन्त्रता भी बनी रहती है अतः ऐसे प्र ताव को बोर्ड ने स्वीकार कर लिया। हमें रजनी के समान सरकार की कार्य प्रणाली पर भरोसा रखते हुए न अन्याय सहना चाहिए और न ही कानून को अपने हाथ में लेना चाहिए।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए । (2 × 2 = 4)
(क) वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। सूदखोरों व महाजनों के चंगुल से मुक्ति के लिए उन्हें सहकारी व ग्रामीण बैंकों से कम व्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। बाढ़ व सूखा की स्थिति में किसानों को फसल के बर्बाद होने पर उचित मुआवजा दिया जाता है। बीज, खाद, कृषि उपकरणों की खरीद पर सरकार द्वारा पर्याप्त छूट दी जाती है। फसलों की खरीद व अनुसंधान के लिए केन्द्रों की स्थापना करती है लेकिन इतना होने के बावजूद किसानों की दशा में सुधार हेतु अभी और प्रयास करने की आवश्यकता है।
(ख) बेचारा जामुन का पेड़ । कितना फलदार था और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
(i) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं ?
(ii) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है ?
उत्तर:
(i) सचिवालय के लॉन में लगा जामुन का पेड़ रात को आँधी में गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर सचिवालय के माली ने उसे देखा। उसने क्लकों को सूचना दी। सभी क्लर्क इकट्ठे हुए वे जामुन का पेड़ गिरा देखकर उपर्युक्त बातें करने लगे।
(ii) इससे पता चलता है कि लोग संवेदना शून्य हो चुके हैं। उन्हें मरता हुआ आदमी भी द्रवित नहीं करता। वे इतने स्वार्थांध हैं कि मरते हुए आदमी को अनदेखा करके वे अपना हित पूरा करना चाहते हैं उन्हें जामुन न मिलने की पीड़ा व्यथित करती है। ऐसे लोग लाश पर बैठकर भी रोटियाँ खा सकते हैं।
(ग) गाँव और शहर दोनों जगहों पर चलने वाले मोहन के जीवन-संघर्ष में क्या फ़र्क है ? बताइए ।
उत्तर:
मोहन को गाँव व शहर दोनों जगह संघर्ष करना पड़ा। गाँव मैं प्राकृतिक व आर्थिक संघर्ष था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसे आधा पेट ही खाना मिल पाता था वहीं चार मील दूर स्थित विद्यालय जाने के लिए उसे दो मील चढ़ाई के अलावा बरसात के मौसम में रास्ते में पड़ने वाली नदी को झेलना पड़ता था। उधर शहर में उसे रमेश बाबू के घर में नौकर का कार्य करना पड़ता जिससे गाँव का मेधावी छात्र मोहन शहर में घरेलू कार्यों में दबे रहकर सामान्य छात्र बन गया और उसका उज्ज्वल भविष्य अंधकारमय हो गया।