Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 5 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 5 with Solutions

समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80

सामान्य निर्देश :

  1. प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
  4. उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  5. एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
  6. उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।

रखण्ड’अ’ : अपठित बोध

I. अपठित बोध- (15 अंक)

(अ) अपठित गद्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)

उन्नीसवीं शताब्दी में यह राष्ट्रीय जागरण सम्पूर्ण भारत में किसी-न-किसी रूप में अभिव्यक्त हो रहा था, जिसमें भारतीयता के साथ आधुनिकता का संगम था। स्वामी विवेकानंद ने तो अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों से भारत लौटकर पूरब और पश्चिम के श्रेष्ठ तत्वों के सम्मिलन से भारत को आधुनिक बनाने का स्वप्न देखा था। उन्होंने माना कि भारत और पश्चिम की मूल गति एवं उद्देश्य भिन्न हैं, परंतु भारत को जागना होगा, कुसंस्कारों एवं जाति – विद्वेष को त्यागना होगा, शिक्षित होकर देश की अशिक्षित, गरीब जनता को ही ‘दरिद्रनारायण ‘ मानकर उनकी सेवा करनी होगी, उनका उत्थान करना होगा। विवेकानंद का मत था कि भारत में जो जितना दरिद्र है, वह उतना ही साधु है ।

यहाँ गरीबी अपराध एवं पाप नहीं है तथा दरिद्रों की अपेक्षा धनिकों को अधिक प्रकाश की ज़रूरत है । वे चाहते थे कि हम नीच, अज्ञानी, दरिद्र सभी को भाई मानें और गर्व से कहें – हम सब भाई भारतवासी हैं। मनुष्य को मानव बनाना, आदमी को इंसान बनाना आवश्यक है। हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो हमें संस्कारी मानव, हमदर्द इंसान बना सके । विचारों में विवेकानंद, गांधी से अधिक दूर नहीं थे और ऐसे ही विचारकों का चिंतन उन्नीसवीं सदी में भारत को उद्वेलित कर रहा था ।

1. संपूर्ण भारत में किस की अभिव्यक्ति हो रही है ? (1)
(क) प्रांतीय जागरण की
(ख) विदेशी जागरण की
(ग) देशीय जागरण की
(घ) राष्ट्रीय जागरण की
उत्तर:
(घ) राष्ट्रीय जागरण की

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2. स्वामी विवेकानंद ने किन देशों की यात्रा की ? (1)
(क) अमेरिका, जापान
(ख) अमेरिका, इंग्लैंड
(ग) श्रीलंका, इंग्लैंड
(घ) जापान, अमेरिका, इंग्लैंड
उत्तर:
(ख) अमेरिका, इंग्लैंड

3. स्वामी विवेकानंद का क्या मानना था ? (1)
(क) जाति – द्वेष को त्यागना
(ख) कुसंस्कारों को त्यागना
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

4. ‘भारत और पश्चिम की ………. भिन्न हैं ।’ रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए । (1)
(क) गति और उद्देश्य
(ख) विचार
(ग) धनिक
(घ) साधु
उत्तर:
(क) गति और उद्देश्य

5. स्वामी विवेकानंद किसे अधिक प्रकाश की ज़रूरत मानते हैं? (1)
(क) साधुओं को
(ख) दरिद्रों को
(ग) धनिकों को
(घ) अनपढ़ों को
उत्तर:
(ग) धनिकों को

व्याख्या – स्वामी विवेकानंद का मानना था कि धनवानों को अधिक प्रकाश की आवश्यकता है, वे चाहते थे कि हम नीच, दरिद्र, अज्ञानी सभी को भाई समान मानें ।

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6. हमें गरीब, अज्ञानी, सभी को क्या मानना चाहिए ? (1)
(क) भारतवासी
(ख) प्रजा
(ग) लोकतंत्र
(घ) समाज
उत्तर:
(क) भारतवासी

7. मानव संस्कारी और हमदर्द किस से बन सकता है ? (1)
(क) विचारों से
(ख) अच्छी शिक्षा से
(ग) दूसरों के कारण
(घ) अच्छे परिवार से
उत्तर:
(ख) अच्छी शिक्षा से

8. किस के विचार गांधी जी से अलग नहीं थे ? (1)
(क) विवेकानंद के
(ख) नेहरू जी के
(ग) कवियों के
(घ) लेखकों के
उत्तर:
(क) विवेकानंद के

9. गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए । (1)
(क) विवेकानंद का राष्ट्रीय जागरण
(ख) गाँधी जी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(क) विवेकानंद का राष्ट्रीय जागरण

10. संपूर्ण का संधि विच्छेद कीजिए । (1)
(क) सम् + कार
(ख) स + पूर्ण
(ग) सम् + पूर्ण
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) सम् + पूर्ण

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(ब) अपठित पद्यांश-

निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)

ऐ अमरों की जननी, तुझको शत शत बार प्रणाम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम !
तेरे उर में शायित गांधी, बुद्ध, कृष्ण और राम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम !
हिमगिरि-सा उन्नत तव मस्तक !
तेरे चरण चूमता सागर,
श्वासों में हैं वेद-ऋचाएँ
वाणी में है गीता का स्वर,
ऐ संसृति की आदि तपस्विनि, तेजस्विनि अभिराम ।
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम !
हरे-भरे हैं खेत सुहाने
फल-फूलों से युत वन-उपवन
तेरे अन्दर भरा हुआ है
खनिजों का कितना व्यापक धन
मुक्तहस्त तू बाँट रही है सुख-संपत्ति, धन-धाम !
प्रेम दया का इष्ट लिए तू
सत्य अहिंसा तेरा संयम
नई चेतना, नई स्फूर्ति-युत
तुझमें चिर विकास का है क्रम
चिर नवीन तू जरा – मरण से मुक्त सबल उद्दाम ।
एक हाथ में न्याय पताका
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में
जग का रूप बदल दे, हे माँ!
कोटि-कोटि हम आज साथ में..
गूँज उठे ‘जय हिन्द’ नाद से सकल नगर और ग्राम ।
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम !

1. पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए । (1)
उत्तर:
‘मातृभूमि की महिमा’ या ‘मातृभूमि का गुणगान’।

2. पद्यांश में गांधी जी के किन सिद्धांतों का वर्णन है? (1)
(क) ईमानदारी
(ख) सबलता
(ग) सत्य, अहिंसा
(घ) चेतना, स्फूर्ति
उत्तर:
(ग) सत्य, अहिंसा।

3. ‘कोटि-कोटि हम आज साथ में’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ? (1)
उत्तर:
कोटि-कोटि में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

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4. संस्तुति की आदि तपस्वनि किसे कहा गया है ? (1)
(क) जननी को
(ख) मातृभूमि को
(ग) धरती को
(घ) युद्ध भूमि को
उत्तर:
(ख) मातृभूति को

5. न्याय और ज्ञान की बात किन पंक्तियों में की गई है? (1)
उत्तर:
‘एक हाथ में न्याय पताका, ज्ञान दीप दूसरे हाथ में’ इन पंक्तियों में न्याय और ज्ञान की बात की गई है।

अथवा

खूब गए
दूधिया निगाहों में
फटी बिवाइयों वाले खुरदरे पैर
धँस गए कुसुमकोमल मन में
गुट्ठल घट्ठों वाले कुलिश कठोर पैर
दे रहे थे
रबड़ विहीन ठूंठ पैडलों को
चला रहे थे
एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन चार-चार
कर रहे थे मात्र त्रिविक्रम वामन के पुराने पैरों को
नाप रहे थे धरती का अनहद फासला
घंटों के हिसाब से ढोए जा रहे थे ।
देर तक टकराए
उस दिन इन आँखों से वे पैर
भूल नहीं पाऊँगी फटी बिवाइयाँ
खुभ गई दूधिया निगाहों में
धँस गई
कुसुम कोमल मन में ।

1. दूधिया नज़रों में क्या धँस गया था ? (1)
(क) कील
(ग) निगाहें
(ख) काँटे
(घ) फटी बिवाइयों वाले पैर
उत्तर:
(घ) कील

2. रिक्शा चालक के पैर में बिवाइयाँ तथा घट्ठे क्यों पड़ गए थे ? (1)
उत्तर:
बिना रबड़ वाले कठोर पैडंलों को चलाने से रिक्शा चालक के पैरों में बिबाइयाँ तथा घठ्ठे पड़ गए थे।

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3. पद्यांश को उपयुक्त शीर्षक दीजिए । (1)
उत्तर:
ब खुरदुरे पैर ‘ इस पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा।

4. कवि ने रिक्शा चालक के पैरों की तुलना किससे की है? (1)
(क) गरीब भिखारी से
(ख) विष्णु भगवान के वामन अवतार से
(ग) कुंभकरण के पैरों से
(घ) हाथी के पैरों से
उत्तर:
(ख) विष्णु भगवान के वामन अवतार से।

5. ‘घंटों के हिसाब से ढोए जा रहे थे, देर तक टकराए। ‘ पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ? (1)
उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव है कि-रिक्शा चालक दूरी के बज़ाए रिक्शा घण्टों के हिसाब से चला रहे थे। मालिक उन्हें घण्टों के हिसाब से पैसे देकर उनका शोषण कर थे।

II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न | (1 × 5 = 5)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए ।

1. संचार के बिना क्या संभव नहीं है? (1)
(क) प्रकृति
(ख) रोशनी
(ग) जीवन
(घ) मनुष्य ।
उत्तर:
(ग) जीवन

2. संचार के प्रकार हैं- (1)
(क) अतः वैयक्ति संचार
(ख) अंतरवैयक्तिक संचार
(ग) समूह संचार
(घ) ये सभी ।
उत्तर:
(घ) ये सभी ।

3. जनसंचार माध्यमों का लोगों पर कैसा प्रभाव पड़ता है? (1)
(क) सकारात्मक
(ख) नकारात्मक
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

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4. जनसंचार के तत्त्व कौन-कौन से हैं? (1)
(क) एनकोडिंग
(ख) प्राप्तकर्ता
(ग) फीडबैक
(घ) ये सभी ।
उत्तर:
(घ) ये सभी ।

5. संचार का कार्य है- (1)
(क) नियंत्रण
(ख) सूचना
(ग) अभिव्यक्ति
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी ।

III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)

(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई ।
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई ।।
छांड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई ?
संतन ढिंग बैठि – बैठि, लोक-लाज़ खोयी
अंसुवन जल सींचि -सींचि प्रेम – बेलि बोयी
अब त बेलि फैल गयी, आणंद – फल होयी
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी
घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी
भगत देखि राजी हुयी, जगत देखि रोयी
दासि मीरा लाल गिरधर ! तारो अब मोही

1. प्रस्तुत पद की कवयित्री कौन है? (1)
(क) महादेवी
(ख) मीरा
(ग) सुभद्रा कुमारी
(घ) सविता सिंह
उत्तर:
(ख) मीरा

2. मीरा ने किसके प्रेम में अपने विरहाश्रुओं को सींचा है? (1)
(क) कृष्ण
(ख) पिता
(ग) माता
(घ) भाई
उत्तर:
(क) कृष्ण

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3. किसकी बेली पूरी तरह फैल गई है ? (1)
(क) गुलाब
(ख) कमल
(ग) प्रेम
(घ) सभी
उत्तर:
(ग) प्रेम

4. मीरा भक्ति को क्या मानती है ? (1)
(क) सार तत्व
(ख) असार
(ग) बेकार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) सार तत्व

5. मीरा भगवान को क्या मानती है? (1)
(क) मित्र
(ख) भाई
(ग) पिता
(घ) पति
उत्तर:
(ग) पिता

(ब) दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए । (1 × 5 = 5)

मैं कारे तुम ही का वृक्ष हो रहा हूँ । न मालूम कब गिर पहूँ । अब तुम्हें घर के मालिक मुख्तार हो । नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो । मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ । इस विषय में विवेक की बड़ी आवश्यकता है। मनुष्य को देखो, उसकी आवश्यकता को देखो और अवसर को देखो, उसके उपरांत जो उचित समझो, करो। गरज़ वाले आदमी के साथ कठोरता करने में लाभ ही लाभ है। लेकिन बेगरज को दाँव पर पाना ज़रा कठिन है, इन बातों को निगाह में बाँध लो । यह मेरी जन्मभर की कमाई है।

1. इस गद्यांश के लेखक कौन है? (1)
(क) निराला
(ख) प्रसाद
(ग) पन्त
(घ) प्रेमचन्द
उत्तर:
(घ) प्रेमचन्द

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2. मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है ? (1)
(क) मास में दो बार दिखना
(ख) मास में एक बार दिखना
(ग) मास में चार बार दिखना
(घ) मास में तीन बार दिखना
उत्तर:
(ख) मास में एक बार दिखना

3. ‘कगारे के वृक्ष’ का अर्थ है- (1)
(क) नदी किनारे का वृक्ष
(ख) तालाब किनारे का वृक्ष
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) नदी किनारे का वृक्ष

4. ऊपरी आमदनी कौन देता है? (1)
(क) मनुष्य
(ख) ईश्वर
(ग) पिता
(घ) माता
उत्तर:
(ख) ईश्वर

5. किस आदमी के साथ कठोरता करने में लाभ ही लाभ है। (1)
(क) गरज़ वाले
(ख) बेगरज़ वाले
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं

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IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-1 (10 अंक)

निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

1. अनुपम मिश्र की रचना है? (1)
(क) कफन
(ख) राजस्थान की रजत बूँदें
(ग) कामयानी
(घ) रेत समाधि
उत्तर:
(ख) राजस्थान की रजत बूँदें

2. इस पाठ में रेतीली भूमि का वर्णन किस राज्य के लिए किया है? (1)
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) महाराष्ट्र
(ग) राजस्थान
(घ) गुजरात
उत्तर:
(ग) राजस्थान

व्याख्या – इस पाठ में राजस्थान की रेतीली भूमि का वर्णन किया गया है।

3. राजस्थान में पानी कितने रूपों में मिलता है? (1)
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(ख) तीन

4. खड़िया पट्टी कहाँ पायी जाती है? 1
(क) बीकानेर
(ख) चुरू
(ग) जैसलमेर
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ख) चुरू

5. राजस्थान में कुंइयों पर अधिकतर किसका नियन्त्रण होता है? (1)
(क) ग्राम पंचायत
(ख) जिला पंचायत
(ग) नगर निगम
(घ) नगर निगन
उत्तर:
(क) ग्राम पंचायत

व्याख्या – राजस्थान में कुंइयों ग्राम पंचात का नियन्त्रण होता है।

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6. रेजाणी पानी का अर्थ है- (1)
(क) पालर पानी
(ख) पाताल पानी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

7. वर्षा को मापने के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है ? (1)
(क) इंच
(ख) सेंटीमीटर
(ग) रेजा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) रेजा

8. कुंई की कितनी गहरी खुदाई हो चुकी थी ? (1)
(क) बीस-बीस
(ख) तीस – पैंतीस
(ग) पच्चीस-तीस
(घ) पन्द्रह-बीस
उत्तर:
(ख) तीस – पैंतीस

9. कुंई की खुदाई किससे की जाती है ? (1)
(क) फावड़े
(ख) हत्थी
(ग) दरांती
(घ) बसौली
उत्तर:
(घ) बसौली

10. बड़े कुँओं के पानी का स्वाद कैसा होता है ? (1)
(क) नमकीन
(ख) मीठा
(ग) खारा
(घ) कडुवा
उत्तर:
(ग) खारा

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खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)

1. निम्नलिखित चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर रचनात्मक लेखन कीजिए – ( लगभग 120 शब्दों में) (5 × 1 = 5)

(क) बाल मज़दूरी एक ऐसी सामाजिक समस्या है जो लम्बे समय से चलती आ रही है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए इस समस्या को जड़ से समाप्त करना किस प्रकार आवश्यक है ? (5)
उत्तर:
किसी छोटे बच्चे को मज़दूरी करते हुए देखकर हम संवेदनशील हो उठते हैं तुरंत ही हमारा मस्तिष्क कहता है इस छोटी सी उम्र में इस नन्हें से बालक को यह कार्य नहीं करना चाहिए। यह उम्र इस बच्चे की पढ़ने और खेलने-कूदने की है। परिवार का या स्वयं का भरण-पोषण करने की नहीं, किंतु बाल मज़दूरी एक ऐसा कड़वा सच है जिससे भारत ही नहीं पूरी दुनियाँ त्रस्त है।

आज भी हमारे देश में लाखों बच्चे बाल श्रम की चपेट में हैं। उन्हें बचपन में किताबें व खिलौने से खेलने के स्थान पर मज़दूरी करनी पड़ रही है। ऐसे बाल-श्रमिक घरों, कारखानों, होटलों, ढाबों, दुकानों पर मज़दूरी करते देखे जा सकते हैं। इन बाल श्रमिकों को सुबह से लेकर रात तक कठोर परिश्रम करना पड़ता है। कई प्रकार की डाँट फटकार सहनी पड़ती है। विषम परिस्थितियों में काम करने से इनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन इन्हें विवश होकर ये सब सहना पड़ता है।

भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखानों, दुकानों, रेस्तरां, होटल, कोयला खदान, पटाखे के कारखानों आदि जगहों पर कार्य करवाना बाल श्रम कहलाता है। बालश्रम में बच्चों का शोषण भी शामिल होता है। बाल शोषण से आशय है बच्चों से ऐसे कार्य करवाने से जिसके लिए वे मान- सिक रूप से तैयार न हों। भारतीय संविधान बच्चों को वे सभी अधिकार देता है जो कि एक आम नागरिक के होते हैं तो फिर क्यों वे बच्चे पढ़ना-लिखना, खेलना-कूदना छेड़कर मज़दूरी करने को विवश हैं।

जिन हाथों में कलम पकड़ना था वे क्यों ब्रश और पॉलिश पकड़े हुए हैं। जिन हाथों से वह अपना भविष्य सुदृढ़ बना सकता है उन हाथों से उसे जूता पॉलिश क्यों करना पड़ रहा है? उनकी नन्हीं आँखों में तैरते सपनों को तोड़ने का ज़िम्मेदार कौन है? हमें यह समझना होगा क्योंकि बच्चे देश का भविष्य हैं और देश के भविष्य को सँवारने, सँभालने की ज़िम्मेदारी भी संपूर्ण देश की है जिसमें सरकार ही नहीं आम नागरिक भी शामिल हैं।

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(ख) पुस्तकें ज्ञान का भण्डार होती हैं तथा हमारी सच्ची मित्र एवम् गुरु भी होती हैं। हाल ही में पढ़ी गई अपनी किसी पुस्तक के विषय में बताते हुए लिखिए कि वह आपको पसन्द क्यों आई और आपने उससे क्या सीखा ? (5)
उत्तर:
जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मन-मस्तिष्क को स्वस्थ और योग्य बनाने के लिए उत्तम पुस्तकों की आवश्यकता होती है। पुस्तकों के अध्ययन से मस्तिष्क का विकास होता है और ज्ञान की प्राप्ति भी पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान पग-पग पर हमारे काम आता है और कभी-कभी तो यह उस अवस्था को प्राप्त कर लेता है कि हम यश और कीर्ति के पात्र बन जाते हैं। विभिन्न प्रकार की ज्ञानवर्धक पुस्तकें जीवन में ज्ञान प्राप्त करने का मुख्य साधन हैं। जिस प्रकार ज्ञानका क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है उसी प्रकार पुस्तकों का भी क्षेत्र विस्तृत है।

पुस्तकें मनुष्य की सच्ची साथी होती हैं। पुस्तकें प्रत्येक कदम पर एक सच्चे मित्र की भाँति सही राह दिखाती हैं। उसे उन्नति के पथ पर अग्रसर करने के साथ उसे मानसिक व आत्मिक सन्तुष्टि पहुँचाती हैं। पुस्तकें ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ व्यक्ति का मनोरंजन भी करती हैं अतः प्रत्येक व्यक्ति को पुस्तकों का महत्त्व समझकर उन्हें अपने जीवन में स्थान देना चाहिए।

हाल ही मैंने महाकवि तुलसीदास कृत रामच. रितमानस पढ़ी। इस पुस्तक में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र के माध्यम से कवि ने मनुष्य के उत्कृष्ट आचार-व्यवहार का वर्णन किया है। इस पावन ग्रन्थ को पढ़ते-पढ़ते स्वतः ही मन भगवान राम के ब्रह्म स्वरूप का दर्शन करने लग जाता है और उसे परमानन्द की अनुभूति हा. ने लगती है। इस पवित्र कथा को हृदयंगम कर लेने पर मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, ईर्ष्या आदि दुर्गुणों से छुटकारा पा जाता है।

यह ग्रन्थ मनुष्य को नीतिपूर्ण आचरण, मर्यादा में रहना, न्यायप्रिय एवं मानस प्रिय बनाता है। भगवान श्रीराम के चरित्र को जितनी बार पढ़ा जाए हर बार एक नया ही आनन्द आता है। यह ग्रन्थ आज भी समस्त हिन्दू समाज के लिए संजीवनी बूटी है। इस पवित्र ग्रन्थ का दिव्य संदेश हमें पथभ्रष्ट होने से बचाता है और मन को परम शांति प्रदान करता है।

(ग) कम्प्यूटर तथा मोबाइल मनोरंजन के साथ-साथ हमारी ज़रूरत का साधन अधिक बन गए हैं। हर क्षेत्र में इनसे मिलने वाले लाभों तथा हानियों का वर्णन करते हुए, अपने विचार लिखिए । (5)
उत्तर:
वर्तमान युग विज्ञान का युग कहलाता है। विज्ञान के आविष्कारों ने आज दुनियाँ ही बदल दी है तथा मानव जीवन को सुख एवं ऐश्वर्य से भर दिया है। कम्प्यूटर, मोबाइल फोन उनमें से ही अत्यन्त उपयोगी और विस्मयकारी खोज हैं जो मनोरंजन के साथ-साथ हमारी ज़रूरत का साधन अधिक बन गए हैं। कम्प्यूटर व मोबाइल आज के युग की अनिवार्यता बन गये हैं तथा इनका प्रयोग अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है। कम्प्यूटर व मोबाइल के माध्यम से बैंक अधिकारी बटन दबाकर ग्राहक के खाते का पूरा विवरण स्क्रीन पर ला देता है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर आरक्षण का कार्य इसकी सहायता से किया जा सकता है। इसी प्रकार मौसम की जानकारी एकत्रित करने में, टेलीफोन या बिजली के बिल बनवाने व जमा कराने में छात्रों की उत्तर पुस्तिका जांचने में, स्वास्थ्य परीक्षण में इनका सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है।

आजकल तो पुस्तकों की छपाई का काम कम्प्यूटर के प्रयोग से अत्यन्त तीव्रगामी व सुविधाजनक हो गया है। इस प्रकार मोबाइल व कम्प्यूटर सूचना प्रसारण तथा नियंत्रण का सशक्त साधन बन गये हैं। इन उपकरणों से तरह-तरह के खेल खेले जा सकते हैं। समाचार, चुटकले, संगीत आदि का आनन्द लिया जा सकता है। किसी भी तरह की विपत्ति में मोबाइल फोन रक्षक बनकर हमारी सहायता करता है। इंटरनेट के प्रयोग ने सभी के लिए ज्ञान के द्वार खोल दिए हैं। अपने ज्ञान में वृद्धि तथा दूसरों तक जानकारियाँ पहुँचाने का यह सरल व तीव्र माध्यम है।

सभी सुविधाएँ होने के बावजूद आज इनके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं जिनमें अफवाहें फैलाना, धमकियाँ देना, अश्लीलता आदि मुख्य हैं।

यद्यपि ये मानव मस्तिष्क की तरह कार्य करते हैं परन्तु मानव की तरह सोच-विचार नहीं कर सकते। ये केवल दिए गए निर्देशों का पालन ही कर सकते हैं अतः हमें इनके गलत प्रयोग से बचना चाहिए और इनकी सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए जिससे विज्ञान के ये वरदान अभिशाप न बन जाएँ।

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(घ) प्रदूषण वर्तमान युग की सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या पर अपने विचार लिखिए । (5)
उत्तर:
प्रदूषण न केवल किसी राष्ट्र की अपितु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्याप्त एक भयानक समस्या है। प्रदूषण का अर्थ है – वातावरण में तत्त्वों का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना प्रदूषण विज्ञान की देन है, रोगों का निमंत्रण है और प्राणियों की अकाल मृत्यु का संकेत है प्रदूषण ने सर्वप्रथम पर्यावरण को दूषित कर दिया है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ते ही पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।

प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण प्रदूषण का जन्म अंधाधुंध वैज्ञानिक प्रगति के कारण हुआ है जब से मनुष्य ने प्रकृति के साथ मनचाही छेड़छाड़ की है, तब से प्रकृति मनुष्य पर कुपित है। मनुष्य ने अपने भवन सुंदर बनाने के लिए वन काटे, पहाड़ तोड़े, समतल मैदान बना वृक्ष काटे, ईंट-बजरी और तारकोल के निर्माण किए, विद्युत गृह और ताप घर बनाए, परमाणु- भट्टियाँ बनाई, प्लास्टिक जैसी घातक कृत्रिम वस्तुएँ बनाई, परमाणु हथियारों, बर्मी, कीटनाशकों का अनावश्यक निर्माण किया।

मनुष्य की इस अंधाधुंध प्रगति का दुष्परिणाम यह हुआ कि हमारा समूचा परिवेश जीवन घातक तत्त्वों से भर गया है। महानगरों में स्वच्छ वायु में सांस लेने को तरस गया है आदमी। वायु प्रदूषण के कारण आँखों में जलन, त्वचा में एलर्जी, सांस में कष्ट, प्लेग, डेंगू आदि कितनी ही प्राणघातक बीमारियाँ जन्म ले रही हैं। अविवेकपूर्ण औद्योगीकरण और परमाण्विक प्रयोगों के कारण विश्व भर का मौसम चक्र बिगड़ गया है। धरती पर गर्मी बढ़ रही है।

वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि यदि इसी प्रकार ऊर्जा का प्रवाह होता रहा तो हिमखंड पिचलेंगे, बाढ़ें आएँगी, समुद्र जल में वृद्धि होगी। रहने योग्य भूमि और कम होगी। समुद्र ही नहीं, आकाश में फैली ओजोन गैस की सुरक्षा छतरी में छेद हो जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप धरती का पर्यावरण विषाक्त हो जाएगा।

प्रदूषण से मुक्ति आवश्यक है। इसका सर्वोत्तम उपाय है – इस समस्या के प्रति सचेत होना। इसके साथ ही आसपास पेड़ लगाना, हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना, अनावश्यक शोर को कम करना, विलास की वस्तुओं की बजाय सादगी पूर्ण ढंग से जीवनयापन करना, वनों की कटाई पर रोक लगाना, लकड़ी के नए खोजना, फैक्टरियों के दूषित जल और धुएं के निष्कासन का उचित उपाय खोजना, घातक बीमारियाँ पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना।

परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाना भी आवश्यक है। इन उपायों को स्वयं पर लागू करना तथा समाज को बाध्य करना ही प्रदूषण से बचने का एकमात्र उपाय है।

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2. देश में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए ‘नवभारत टाइम्स’ समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए । (5)
अथवा
आरक्षण केन्द्रों पर दलालों और क्लर्कों की मिलीभगत के कारण जनसाधारण को आरक्षित टिकट पाने के लिए बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उत्तर रेलवे दिल्ली प्रबंधक को एक पत्र लिखिए । (5)
उत्तर:
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुर शाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली।
दिनांक 15 सितंबर, 20xx

विषय – कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के संदर्भ में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं देश में कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। कृपया मेरे पत्र को उचित स्थान पर प्रकाशित कर मुझे अनुगृहीत करें।

मेरी गंभीर चिंता यह है कि आजकल लगभग रोजाना समाचार-पत्रों में अपराध संबंधी बढ़ती घटनाएँ प्रकाशित होती हैं, जिसमें अधिकांश अपराध यौन संबंधी होते हैं। प्रकाशित होने वाली विभिन्न घटनाओं के अतिरिक्त हजारों आपराधिक घटनाएँ ऐसी होती हैं, जिनका कहीं कोई लिखित उल्लेख नहीं होता और इसमें अनेक मामले कन्या भ्रूण की जानबूझकर की जाने वाली हत्याएँ हैं। गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर अनेक लोग कन्या भ्रूण होने की स्थिति में उसे मार डालते हैं, उसकी हत्या कर दी जाती है।

ऐसा करने वाले केवल गरीब या निर्धन एवं अशिक्षित लोग ही नहीं होते, बल्कि समाज का पढ़ा-लिखा एवं धनी तबका भी इसमें बराबर की हिस्सेदारी करता है। लड़कियों को दोयम दर्जे का नागरिक समझकर उनके महत्व को सीमित किया जाता है और लड़कों को अधिक महत्त्व प्रदान किया जाता है। यही कारण है कि गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर माता-पिता एवं अन्य परिजन लड़कियों के जन्म को हतोत्साहित करते हैं और इसी सोच या मानसिकता का परिणाम है कि उन्हें गर्भ में ही, भ्रूण की अवस्था में ही नष्ट करने की कोशिश की जाती है।

समाज का यह दृष्टिकोण अत्यंत रूढ़िवादी एवं पिछड़ा है, जिसे किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। समाज के बौद्धिक एवं तार्किक लोगों का कर्तव्य है कि वे सरकार एवं प्रशासन के साथ मिलकर कन्या भ्रूण हत्या को अंजाम देने वाले या उसका समर्थन करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, जिससे समाज का संतुलित एवं समग्र विकास संभव हो सके।
भवदीय
अनुराग त्रिपाठी
पटेल नगर, नई दिल्ली

अथवा

लोक निर्माण मंच, गुवाहाटी
दिनांक 12 मार्च 20xx

सेवा में
महाप्रबंधक महोदय
रेलवे विभाग (उ. पू. रे. )
विषय: आरक्षण केन्द्रों पर दलालों और क्लकों की मिलीभगत के कारण होने वाली कठिनाई के संदर्भ में
महोदय,
मैं मालीगाँव क्षेत्र का रहने वाला एक साधारण व्यक्ति हूँ। यहाँ आरक्षण केन्द्रों पर दलालों और क्लकों की मिलीभगत के कारण जनसाधारण को टिकट पाने के लिए बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसी बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। महोदय में एक व्यापारी हूँ, मुझे तकरीबन हर महीने यात्रा करनी ही पड़ती है। मैंने आए दिन यहाँ दलालों को चापलूसी करते देखा है, यही नहीं कुछ क्लर्क भी शामिल रहते हैं। पैसे का लेन-देन खूब चलता है।

जो पैसे का लालच दे देते हैं, उन्हें टिकट आसानी से मिल जाती है वरना दलालों द्वारा टिकट खरीद ली जाती है, आम जनता यह देखते ही रह जाती है। समय खत्म हो जाता है, परंतु इनकी जुगाड़ चलती रहती हैं। इन सभी क्रियाओं से हम साधारण लोग काफी परेशान हैं, आशा है कि आप हमारी परेशानी को समझेंगे और उसका निदान करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
आलोक महंत

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3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) डायरी लेखन क्या है ? कुछ प्रसिद्ध डायरियों और डायरी लेखकों के नाम भी बताइए । 3
उत्तर:
अत्यन्त निजी स्तर पर घटित घटनाओं और उससे सम्बन्धित बौद्धिक तथा भावनात्मक प्रक्रियाओं का लेखा-जोखा डायरी कहलाता है। हमारे जीवन में प्रतिदिन अनेक घटनाएँ घटती हैं। दैनिक जीवन में हम जिन घटनाओं, विचारों और गतिविधियों से निरन्तर गुजरते हैं, उन्हें डायरी के पृष्ठों पर शब्दबद्ध कर लेना ही डायरी लेखन है। प्रसिद्ध डायरियाँ और उनके लेखकों के नाम निम्नलिखित हैं-
1. एक साहित्यिक की डायरी – गजानन माधव मुक्तिबोध |
2. पैरों में पंख बाँधकर – रामवृक्ष बेनीपुरी
3. रूस में पच्चीस मास- राहुल सांकृत्यायन
4. सुदूर दक्षिण पूर्व सेठ गोविन्द दास
5. द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल – ऐनी फ्रैंक
6. हरी घाटी- डॉ. रघुवंश ।

(ख) पटकथा के प्रमुख अंग कितने होते हैं ? स्पष्ट कीजिए । 3
उत्तर:
पटकथा के अनुकूल कहानी में विविध दृश्य, घटना, प्रसंग, विषय का सिलसिला होना, संघर्ष, मसालेदार, कौतुहल बनाने वाला और दर्शकों को बाँधे रखने वाला होना जरूरी है। कहानी बनावट और संवाद पटकथा के महत्त्वपूर्ण तीन अंग हैं। प्रस्तावना (समस्या) संघर्ष और समाधान पटकथा के प्रस्थान बिन्दु हैं और यही इसकी सफलता का सूत्र OBE या OBC है।

(ग) पटकथा के लिए सर्वप्रथम आवश्यक तत्त्व क्या होता है ? 3
उत्तर:
शीर्षक, घटना, कथा और संवाद कहानी को दृश्यात्मक रूप में परिवर्तित करने के लिए उसमें संवाद डालने पड़ते हैं। उसमें घटनाओं को एक व्यवस्थित क्रम देना पड़ता है। अन्य तीनों तत्त्व शीर्षक, घटना, संवाद भी पटकथा के लिए आवश्यक हैं लेकिन पटकथा के लिए सबसे आवश्यक तत्त्व कथा ही होती है। बिना कथा के कोई पटकथा नहीं बनाई जा सकती है।

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4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) स्ववृत्त से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
स्ववृत्त दो शब्दों से मिलकर बना है ‘स्व’ और ‘वृत्त’ अर्थात् अपना परिचय किसी व्यक्ति विशेष द्वारा अपने बारे में सूचनाओं का क्रमश: ( सिलसिलेवार ) संकलन ही स्ववृत्त कहलाता है। इसमें व्यक्ति अपने व्यक्तित्व, ज्ञान और अनुभव के सबल पक्ष को इस प्रकार प्रस्तुत करता है, जो नियोक्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी व सक. रात्मक छवि प्रस्तुत करें। स्ववृत्त नियोक्ता के मन में एक सकारात्मक धारणा प्रस्तुत करता है।

स्ववृत्त को अंग्रेज़ी में Bio-Data, Resume या Curric ulum Vitae कहते हैं। स्ववृत्त का तात्पर्य आत्म विज्ञापन या आत्म प्रशंसा नहीं है, यह Resume किसी आजीविका प्राप्ति के सन्दर्भ में लिखा जाता है। इस पत्र में व्यक्ति पद से सम्बन्धित अपनी योग्यताओं, कार्यानुभव, उपलब्धियों को प्रस्तुत करता है।

स्ववृत्त के दो पक्ष होते हैं। पहले पक्ष में वह व्यक्ति है जिसको केन्द्र में रखकर सूचनाएँ संकलित की गई होती हैं। दूसरा पक्ष उस व्यक्ति या संस्था का है जिसके लिए या जिसके प्रयोजन को ध्यान में रखकर सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं अर्थात् पहला पक्ष है उम्मीदवार और दूसरा पक्ष है नियोक्ता एक अच्छे स्ववृत्त को चुंबक की तरह माना जाता है।

(ख) स्ववृत्त कैसे लिखा जाए ?
उत्तर:
1. स्ववृत्त में सरल और स्पष्ट भाषा शैली का प्रयोग करना चाहिए।
2. स्ववृत्त का आकार ज़रूरत से अधिक बड़ा या छोटा नहीं होना चाहिए।
3. स्ववृत्त में जानकारी देते समय अपने बारे में बढ़-चढ़कर बातें नहीं बतानी चाहिए।
4. स्ववृत्त साफ और सुन्दर ढंग से लिखा होना चाहिए।
5. स्ववृत्त में सूचनाओं को अनुशासित क्रम में लिखना चाहिए।
6. व्यक्तिगत परिचय, शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, प्रशिक्षण, उपलब्धियाँ, कार्येत्तर गतिविधियाँ इत्यादि का विस्तृत ब्यौरा होना चाहिए। यथा-

(ग) हिन्दी-अंग्रेज़ी शब्दकोश पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर:
हिंदी-अंग्रेजी शब्द कोश को द्विभाषी कोश भी कहा जाता है। इसमें हिंदी शब्दों के अर्थ के साथ-साथ उच्चारण आदि को भी अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत किया जाता है। चूँकि इस प्रकार के कोशों में प्रविष्ठियाँ हिंदी भाषा के शब्दों की होती है, इसलिए उन्हें हिन्दी वर्णमाला के क्रमानुसार रखा जाता है। हिंदी शब्दों के साथ उनके उचित उच्चारण के लिए अंग्रेजी ध्वनि चिन्हों, भाषा एवं व्याकरणिक रूपों का संकेत चिह्न आदि भी प्रस्तुत किया जाता है। इस तरह के कोशों में कोशकार का यह प्रयास रहता है कि हिंदी भाषा के शब्दों को अंग्रेजी भाषा में पूरी तरह स्पष्ट किया जा सके।

हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश का निर्माण कार्य अट्ठारवीं शताब्दी में ही अहिंदी भाषी विद्वानों द्वारा शुरू किया गया था। फर्गुसन, पैट्रिक, हैरिक, गिलक्राइस्ट के शब्दकोश इसी प्र. कार के हैं। यद्यपि इन आरंभिक कोशों में कुछ न्यूनताएँ भी हैं जो आजकल के कोशों में सुधार ली गई हैं।

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VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1 (20 अंक)

1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) मनुष्य में कौन-कौन से ऐसे दोष हैं, जिनसे कबीर, मनुष्य को दूर रहने के लिए सावधान करते हैं?
उत्तर:
कबीर ने मनुष्य में कई ऐसे दोष देखे जिनसे मनुष्य को दूर रहना चाहिए। उन्होंने इन दोषों का वर्णन करते हुए उसे सावधान किया। वे कहते हैं कि परमात्मा एक है, लेकिन मनुष्य ने उसका अद्वैत रूप नहीं पहचाना, बल्कि वह उसे भिन्न-भिन्न रूपों में देखते हैं। कबीर माया में लिप्त मनुष्य को चेताते हैं कि झूठी माया पर अहंकार नहीं करना चाहिए, यह निरर्थक होता है सांसारिक आकर्षण के मोह में पड़कर मनुष्य भयहीन नहीं हो पाता।

बाह्य आडंबरों के कारण मनुष्य स्वयं को (आत्मा को) नहीं पहचान पाता। कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की मुख्य कमी यह मानी है कि वे बाह्य आ. डंबरों के कारण परमात्म तत्व से कोसों दूर हैं वे सच्चे ज्ञान को नहीं जान पाते। वे अज्ञानी हैं उसके लिए मनुष्य को संसार के राग-द्वेष से लाभ-हानि से मोह माया से दूर हो जाना चाहिए। तभी वह निर्भय भी हो पाएगा। तभी आत्मा-परमात्मा का मिलन भी हो पाएगा। मनुष्य यह नहीं समझ पाता कि परमात्मा संसार के प्रत्येक कप में व्याप्त है व आत्मा भी उसी का अंश है और बाहरी रूप से प्रत्येक प्राणी के भिन्न स्वरूप होने पर भी उनके अन्तर में स्थित परमात्मा एक ही है।

(ख) किन कारणों से मीरा कभी प्रसन्न होती है तो कभी रोने लगती है ?
उत्तर:
मीरा श्री कृष्ण को बार-बार याद करती हैं। उनको बार-बार याद करना मीरा को आनंदित कर देता है। वह उनकी भक्ति में प्रसन्न हो उठती हैं। मीरा यह समझ गई थीं कि कृष्ण-भक्ति अर्थात् ईश्वर भक्ति से ही जीवन सफल हो सकता है। संसार के लोगों को बाह्य आडंबरों में, मोह-माया अथवा विभिन्न कर्मकांडों में लिप्त देखकर मीरा सोचती हैं कि लोग अपने बहुमूल्य जीवन को, संसार की विषय-वासनाओं में फँसकर, व्यर्थ ही गँवा देते हैं।

ये लोग यह नहीं समझते कि संसार के सभी भौतिक सुख-सुविधाएँ व्यर्थ हैं। हर वस्तु क्षणिक और नश्वर है। मीरा जानती है कि ईश्वर भक्ति ही शाश्वत व सच है। इसलिए मीरा ऐसे लोगों को देखकर दुःखी होती है व रोती है। इस सारहीन जीवन शैली को देखकर मीरा सोचती है कि लोग इस दुर्लभ मानव जीवन को ईश्वर भक्ति में क्यों नहीं लगाते।

(ग) कवि की मानसिक स्थिति कैसी हो गई थी और क्यों ?
उत्तर:
कवि को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल होने के कारण जेल में जाना पड़ा। कवि को इस बात पर बहुत गर्व था कि उसने अपने देश के प्रति अपने कर्त्तव्य को निभाया था, लेकिन कवि के माता-पिता उसके जेल जाने से बहुत दुःखी थे और वह स्वयं को अपने माता-पिता के दुःखी होने का कारण समझता था।

हालांकि उसने परिवार हित में स्वयं को समर्पित किया था परन्तु अपने परिवार से न मिल पाने की पीड़ा भी कम न थी। अपनी पीड़ा वह किसी को भी बता नहीं पाता इसलिए वह अपना दुःख कभी बादल से तो कभी सावन से साझा करता है। अब उसे अकेलापन अच्छा लगने लगा था। वह किसी से बात नहीं करता। परिवार वालों को याद करते-करते वह अक्सर खो सा जाता। इस तरह उसकी मानसिक स्थिति दयनीय व निराशाजनक स्थिति में पहुँच गई थी।

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2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं ?
उत्तर:
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में कई अन्य बातों को भी हम खतरनाक मानते हैं जैसे- नैतिक मूल्यों यथा प्रेम, भाईचारे की भावना का ह्रास, महिलाओं के साथ होते अपराध, भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता, सांप्रदायिकता, जातिवाद, राष्ट्रद्रोह, आतंकवाद, आरक्षण, अपहरण आदि ये चीजें समाज में लगे घुन के समान हैं जो उसे अंदर से खोखला करती जा रही हैं।

(ख) ‘हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर ‘ कवयित्री ने क्यों कहा है ?
उत्तर:
‘हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर’ कविता से ईश्वर के लिए जूही के फूल के बारे में कवयित्री ने इसलिए कहा है क्योंकि जूही का फूल कोमल होता है, सुगंधित होता है, प्रसन्नतादायक होता है। ईश्वर भी दयालु होता है, पवित्र होता है, आनंदमय होता है इस भाव के माध्यम से वह उस ईश्वर के लिए हर प्रकार से समर्पित होना चाहती है।

(ग) पानी के रातभर गिरने और प्राणन-मन के घिरने में परस्पर क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
कवि अपने घर से बहुत दूर जेल में बंद है वहाँ तेज बारिश होने लगी। रातभर वर्षा होने से कवि को अपने घर की याद आ गई। उसे घर के सदस्यों के साथ हँसी-खेल करते हुए पुराने मनोरम दिन याद आ गए। जिसके कारण उसके प्राण व मन व्याकुल हो उठे।

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3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) अमित और उसकी माँ लीला क्यों नहीं चाहते थे कि रजनी स्कूल जाकर हैडमास्टर साहब से मिले ?
उत्तर:
रजनी अमित के स्कूल जाकर हैड मास्टर साहब से मिलकर अमित की गणित की कॉपी देखना चाहती थी लेकिन अमित और उसकी माँ नहीं चाहते थे कि रजनी ऐसा करे क्योंकि उन्हें भय था कि अगर रजनी स्कूल जाकर कुछ कहेगी तो सर उससे बहुत गुस्सा हो जाएँगे और अगले साल कहीं और ज़्यादा परेशान करेंगे। इसके अलावा जब अमित को उसी स्कूल में आगे पढ़ना है तो इन लोगों से झगड़ा मोल लेना ठीक नहीं । बेकार की मुसीबत खड़ी हो जाएगी।

(ख) गाँव और शहर दोनों जगहों पर चलने वाले मोहन के जीवन संघर्ष में क्या फ़र्क है? चर्चा करें और लिखें।
उत्तर:
मोहन को गाँव व शहर दोनों जगह संघर्ष करना पड़ा। गाँव में प्राकृतिक व आर्थिक संघर्ष था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसे आधा पेट ही खाना मिल पाता था वहीं चार मील दूर स्थित विद्यालय जाने के लिए उसे दो मील चढ़ाई के अलावा बरसात के मौसम में रास्ते में पड़ने वाली नदी को झेलना पड़ता था। उधर शहर में उसे रमेश बाबू के घर में नौकर का कार्य करना पड़ता था जिससे गाँव का मे वी छात्र मोहन शहर में घरेलू कार्यों में दबे रहकर सामान्य छात्र बन गया और उसका उज्ज्वल भविष्य अंधकारमय हो गया।

(ग) पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्द चित्र लेखिका ने कैसे खींचा है ?
उत्तर:
पाठ में लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन का शब्द चित्र इस प्रकार खींचा है- हमने जो अंदर झाँका तो पाया, मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मज़ा ले रहे हैं। मौसम की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मैंजे हुए कारीगर के तेवर थे।

4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) ‘नमक का दरोगा’ कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों ?
उत्तर:
‘नमक का दरोगा’ कहानी का नायक वंशीधर हमें सर्वाधि प्रभावित करता है क्योंकि वह सत्यनिष्ठ और चरित्रवान दरोगा है। उसके पिता उसे बेईमानी की सलाह देते हैं उसके चारों तरफ समाज पूरी तरह भ्रष्ट है, फिर भी वह बड़े गर्व और स्वाभिमान से जीता है। पंडित अलोपीदीन से मुकदमा हारने पर भी वह छाती तानकर चलता है पछतावा प्रकट नहीं करता। अंत में अलोपीदीन भी उसकी इस दृढ़ता से मुग्ध हो जाते हैं।

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(ख) मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है ?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के माध्यम से लेखिका ने यह संदेश दिया है कि-
(1) कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बल्कि उस काम को करने की भावना श्रेष्ठ होनी चाहिए।
(2) केवल कागजी या जबानी बातों से काम नहीं सीखा जाता, सच्ची तालीम उसका व्यवहारिक प्रशिक्षण होता है।
(3) हमें अपना काम पूरी पूरी ईमानदारी और परिश्रम के साथ करना चाहिए तथा उस पर गर्व का अनुभव करना चाहिए।

(ग) पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला ?
उत्तर:
इस फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक इसलिए चला क्योंकि लेखक विज्ञापन कम्पनी में नौकरी करता था, जब भी उसे फुर्सत मिलती थी, तब शूटिंग करता था। पैसों के अभाव के कारण भी शूटिंग बार-बार रोकनी पड़ती थी।