Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 6 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 6 with Solutions

समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80

सामान्य निर्देश :

  1. प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
  4. उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  5. एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
  6. उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।

रखण्ड’अ’ : अपठित बोध

I. अपठित बोध- (15 अंक)

(अ) अपठित गद्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)

सिनेमा जगत को अनेक नायक-नायिकाओं, गीतकारों, कहानीकारों, और निर्देशकों को हिंदी के माध्यम से पहचान मिली है। यही कारण है कि गैर-हिंदी भाषी कलाकार भी हिंदी की ओर आए हैं। समय और समय के उभरते सच को परदे पर पूरी अर्थवत्ता में धारण करने वाले ये लोग दिखावे के लिए भले ही अंग्रेज़ी के आग्रही हों लेकिन बुनियादी और ज़मीनी हकीकत यही है कि इनकी पूँजी, इनकी प्रतिष्ठा की एकमात्र निमित्त हिंदी ही है। लाखों-करोड़ों दिलों की धड़कनों पर राज करने वाले ये सितारे हिंदी फ़िल्मों और भाषा के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं।

छोटे परदे (टी.वी.) ने आम जनता के घरों में अपना मुकाम बनाया तो लगा हिंदी आम भारतीय की जीवन शैली बन गई। हमारे आदिग्रंथों – रामायण और महाभारत को जब हिंदी में प्रस्तुत किया गया तो सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल गया । ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ से शुरू हुआ सोप ऑपेरा का दौर हो या सास-बहू धारावाहिकों का, ये सभी हिंदी की रचनात्मकता और उर्वरता के प्रमाण हैं । ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से करोड़पति चाहे जो बने हों, पर सदी के महानायक की हिंदी हर दिल की धड़कन और हर धड़कन की भाषा बन गई। सुर और संगीत की प्रतियोगिता में कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम जैसे गैर-हिंदी क्षेत्रों के कलाकारों ने हिंदी गीतों के माध्यम से पहचान बनाई। ज्ञान गंभीर ‘डिस्कवरी चैनल, हो या बच्चों को रिझाने – लुभाने वाला ‘टॉम एंड जेरी’ इनके हिंदी उच्चारण की मिठास और गुणवत्ता अद्भुत, प्रभावी और ग्राह्य है। धर्म – संस्कृति, कला – कौशल, ज्ञान-विज्ञान सभी कार्यक्रम हिंदी संप्रेषणीयता के प्रमाण हैं।

1. कहानीकारों और निर्देशकों को पहचान किस से मिली है? (1)
(क) कहानी से
(ख) कविता से
(ग) हिंदी से
(घ) फ़िल्मों से
उत्तर:
(ग) हिंदी से

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2. किन कलाकारों ने हिंदी की ओर रुख किया है? (1)
(क) हिंदी भाषी
(ख) गैर – हिंदी भाषी
(ग) विदेशी
(घ) देशी
उत्तर:
(ख) गैर – हिंदी भाषी

3. परदे पर अर्थवत्ता को धारण करने लोग दिखावे के लिए किस भाषा के आग्रही हैं? (1)
(क) पंजाबी
(ख) हिंदी
(ग) तेलुगु
(घ) अंग्रेज़ी
उत्तर:
(घ) अंग्रेज़ी

4. कब सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल जाता था ? (1)
(क) रामायण, महाभारत के प्रस्तुतीकरण के समय
(ख) विवाह समारोह के समय
(ग) मेले के समय
(घ) खेलों के समय
उत्तर:
(क) रामायण, महाभारत के प्रस्तुतीकरण के समय

5. किसके कारण महानायक की हिन्दी हर दिल की धड़कन बन गई ? (1)
(क) हम लोग के समय
(ख) कौन बनेगा करोड़पति के कारण
(ग) धारावाहिकों के कारण
(घ) संगीत के कारण
उत्तर:
(ख) कौन बनेगा करोड़पति के कारण

6. गैर हिंदी कलाकारों ने हिंदी गीतों के माध्यम से कहाँ पहचान बनाई ? (1)
(क) सुर और संगीत की प्रतियोगिता में
(ख) टॉम एण्ड जैरी में
(ग) बुनियाद में
(घ) रामायण में
उत्तर:
(क) सुर और संगीत की प्रतियोगिता में

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7. छोटे पर्दे से क्या तात्पर्य है? (1)
(क) टी.वी. पर आने वाले धारावाहिक
(ख) स्सिमेमा
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) टी.वी. पर आने वाले धारावाहिक

व्याख्या – छोटे पर्दे से तात्पर्य टी.वी. पर आने वाले चैनलों पर प्रसारित होने वाले अनेक कार्यक्रमों से है।

8. हिन्दी की रचनात्मकता और उर्वरता के प्रमाण कौन-से धारावाहिक हैं? (1)
(क) कौन बनेगा करोड़पति
(ख) टॉम एण्ड जेरी
(ग) ‘बुनियाद’ और ‘ हम लोग’
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(ग) ‘बुनियाद’ और ‘ हम लोग’

9. रचनात्मक में मूल शब्द क्या है ? (1)
(क) रचना
(ख) अवसर
(ग) कर्म
(घ) मीठा
उत्तर:
(क) रचना

10. गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए- (1)
(क) सुर और संगीत
(ख) भारतीय सिनेमा एवं हिन्दी
(ग) नायक-नायिका
(घ) कहानीकार और निर्देशक
उत्तर:
(ख) भारतीय सिनेमा एवं हिन्दी

(ब) अपठित पद्यांश-
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)

तू हिमालय नहीं, तू नहीं गंगा-यमुना
तू त्रिवेणी नहीं, तू न रामेश्वरम्
तू महाशील की है अमर कल्पना
देश ! मेरे लिए तू परम वंदना ।
मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरण,
लहलहाते सहस्रों यहाँ खेत वन ।
नर्मदा – ताप्ती, सिंधु, गोदावरी,
राती युगों से तुझे आचमन ।
तू पुरातन बहुत, तू नए से नया
तू महाशील की है अमर कल्पना ।
देश ! मेरे लिए तू महा अर्चना
शक्ति बल का समर्थक रहा सर्वदा,
तू परम तत्व का नित विचारक रहा ।
शांति संदेश देता रहा विश्व को ।
प्रेम सद्भाव का नित प्रचारक रहा ।
सत्य और प्रेम की है परम प्रेरणा ।
देश ! मेरे लिए तू महा अर्चना |

1. कवि देश को महाशील की अमर कल्पना क्यों कह रहा है? (1)
उत्तर:
भारत में करुणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण का समावेश तथा उज्ज्वल चरित्र के कारण इसे महाशील की अमर कल्पना कहा गया है।

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2. कवि ने आचमन कराने के लिए किन नदियों के जल का वर्णन किया है? (1)
उत्तर:
कवि ने आचमन कराने के लिए नर्मदा – ताप्ती, सिंधु, गोदावरी नामक नदियों के जल का वर्णन किया है।

3. कवि के अनुसार देश किस का समर्थक रहा है ? (1)
(क) इच्छा
(ख) शक्ति – बल
(ग) संघर्ष
(घ) संवेदना
उत्तर:
(ख) शक्ति – बल

4. “तू पुरातन बहुत, तू नए से नया” पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए । (1)
उत्तर:
भारत का इतिहास गौरवशाली है जो पुराना होते हुए भी आज हमें नवीनता से युक्त होकर जीने की प्रेरणा देता है,

5. भारत ने विश्व को सर्वदा कौन सा संदेश दिया है? (1)
(क) शांति का
(ख) हिंसा का
(ग) धर्म का
(घ) मरण का
उत्तर:
(क) शांति का

अथवा

नवीन कंठ दो कि मैं नवीन गान गा सकूँ,
स्वतंत्र देश की नवीन आरती सजा सकूँ !

नवीन दृष्टि का नया विधान आज हो रहा,
नवीन आसमानों में विहान आज हो रहा,
खुली दसों दिशा खुले कपाट ज्योति द्वार के
विमुक्त राष्ट्र-सूर्य भासमान आज हो रहा।

युगान्त व्यथा लिए अतीत आज हो रहा,
दिगंत में बसंत का भविष्य बीज बो रहा,
सुदीर्घ क्रान्ति झेल, खेल की ज्वलन्त आग से
स्वदेश बल सँजो रहा, कड़ी थकान खो रहा ।
प्रबुद्ध राष्ट्र की नवीन वंदना सुना सकूँ,
नवीन बीन दो कि मैं अगीत गान गा सकूँ ।

नए समाज के लिए नवीन नींव पड़ चुकी,
नए मकान के लिए नवीन ईंट गढ़ चुकी,
सभी कुटुम्ब एक, कौन पास, कौन दूर है न
ए समाज का हरेक व्यक्ति एक नूर है।
कुलीन जो उसे नहीं गुमान या गरूर है,
समर्थ शक्तिपूर्ण जो किसान या मज़दूर है।

भविष्य द्वार मुक्त से स्वतंत्र भाव से चलो,
मनुष्य बन मनुष्य से गले मिले चले चलो,
समान भाव के प्रकाशवान सूर्य के तले
समान रूप-गंध फूल-फूल से खिले चलो।

पुराण पंथ में खड़े विरोध वैर भाव के
त्रिशूल को दले चलो, बबूल को मले चलो।
प्रवेश – पर्व है स्वदेश का नवीन वेश में
मनुष्य बन मनुष्य से गले मिलो मिले चलो।
नवीन भाव दो कि मैं नवीन गान गा सकूँ,
नवीन देश की नवीन अर्चना सुना सकूँ !

1. कवि ने पद्यांश में किन नवीनताओं की चर्चा की ? (1)
उत्तर:
कवि ने स्वतंत्र देश की आरती हेतु नये कंठ, नई दृष्टि, नए विधान की चर्चा की है।

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2. भविष्य किसका बीज बो रहा है? (1)
(क) सब्ज़ियों का
(ख) धान का
(ग) बसंत का
(घ) फूलों का
उत्तर:
(ग) बसंत का ।

3. मनुष्य को कवि ने क्या सलाह दी है? (1)
उत्तर:
मनुष्य को कवि ने देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए सहयोग, सद्भावना तथा एकता के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी है।

4. ‘मनुष्य बन मनुष्य के गले मिले चलो’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए । (1)
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव है कि सभी भेदभाव भुलाकर सभी के साथ मानवता का व्यवहार करो और देश के निर्माण तु प्रयत्नशील बनो।

5. पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए । (1)
उत्तर:
नवयुग का निर्माण ।

II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न | (1 × 5 = 5)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए ।

1. समाचार लेखन के कितने प्रकार होते हैं? (1)
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) छः
(घ) तीन
उत्तर:
(ग) छः

व्याख्या – समाचार लेखन के छः ककार होते हैं, वे हैं-क्या, कौन, कब, कहाँ, कैसे और क्यों ?

2. अमीरों की पार्टियों, फिल्मी गप-शप, सनसनी फैलाने वाली पत्रकारिता को क्या कहते हैं ? (1)
(क) फ्लैश
(ख) अंशकालिक
(ग) पेज थ्री
(घ) ब्रेकिंग न्यूज़
उत्तर:
(ग) पेज थ्री

3. तुरंत घटी घटना की सूचना देने वाली पत्रकारिता कहलाती है- (1)
(क) पेज थ्री
(ख) फ्लैश
(ग) अंशकालिक
(घ) खोजी
उत्तर:
(ख) फ्लैश

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4. हिन्दी का समाचार-पत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है ? (1)
(क) अमर उजाला
(ख) हिन्दुस्तान
(ग) दैनिक जागरण
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

5. सम्पादक का दायित्व है- (1)
(क) खबरों को ठीक करना
(ख) खबरों को एकत्र करना
(ग) खबरों को छापना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) खबरों को ठीक करना

III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)

(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए,
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए ।

1. इस पद्यांश के कवि कौन हैं? (1)
(क) दुष्यंत कुमार
(ख) अवतार सिंह
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
उत्तर:
(क) दुष्यंत कुमार

2. चिरागाँ किसका प्रतीक है- (1)
(क) सुख-समृद्धि
(ख) मित्र
(ग) घर
(घ) फूल
उत्तर:
(क) सुख-समृद्धि

3. शासकों के आश्रय में जनता को कैसा अनुभव होता है ? (1)
(क) सुख-चैन
(ख) कष्ट ही कष्ट
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) कष्ट ही कष्ट

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4. पूरे शहर में क्या विद्यमान है ? (1)
(क) रोशनी
(ख) अंधेरा
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अंधेरा

5. आज़ादी के बाद किसने देश के सुख-चैन के लिए कुछ नहीं किया ? (1)
(क) कवि ने
(ख) माँ ने
(ग) नेताओं ने
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) नेताओं ने

(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

फिर घूरकर देखा और जोड़ा – ‘मियाँ कहीं अखबारनवीस तो
नहीं हो’ यह तो खोजियों की खुराफात है। हम तो अखबार बनाने
वाले और अखबार पढ़ने वाले- दोनों को ही निठल्ला समझते हैं। हाँ
कामकाजी आदमी को इससे क्या काम है। खैर, आपने यहाँ तक आने
की तकलीफ़ उठाई ही है तो पूछिये क्या पूछना चाहते हैं !’
‘पूछना यह था कि किस्म-किस्म की रोटी पकाने का इल्म आपने कहाँ से हासिल किया’ ?

1. इस गद्यांश की लेखिका का क्या नाम है ? (1)
(क) महादेवी वर्मा
(ख) कृष्णा सोबती
(ग) सविता सिंह
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं

2. मियाँ नसीरुद्दीन अखबार पढ़ने वालों को कैसा समझते थे ? (1)
(क) विद्वान
(ख) बेकार
(ग) निठल्ला
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) निठल्ला

व्याख्या – नसीरुद्दीन अखबार छापने वालों को ही नहीं, अखबार पढ़ने वालों को भी निठल्ला मानते थे।

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3. अखबार से समाज में क्या होता है? (1)
(क) परिवर्तन
(ख) उथल-पुथल
(ग) जागरूकता
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) उथल-पुथल

4. नसीरुद्दीन को पत्रकारों से क्या है? (1)
(क) प्रेम
(ख) नफ़रत
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) नफ़रत

5. तकलीफ़ का समानार्थी शब्द है- (1)
(क) दुःख
(ख) कष्ट
(ग) विपत्ति
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग – 1 (10 अंक)

निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

1. जैसलमेर में कौन स्वयं कुंइयां खोदते थे ? (1)
(क) पालीवाल ब्राहाण
(ख) मेघवाल गृहस्थी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

2. राजस्थान में पानी को कितने रूपों में बाँटा गया है? (1)
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(ख) तीन

3. किस भूमि में रेत अत्याधित है? (1)
(क) मरू
(ख) शुष्क
(ग) नर्म
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) मरू

4. पट्टी का पता कब चलता है? (1)
(क) बरसात का पानी एकदम समाता है।
(ख) बरसात का पानी एकदम नहीं समाता है
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) बरसात का पानी एकदम नहीं समाता है

व्याख्या – जब बरसात का पानी एकदम नहीं समाता तब पट्टी का पता चलता है।

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5. थोड़ी खुदाई होने पर इकट्ठा मलवा किससे निकाला जाता है ? (1)
(क) बाल्टी
(ख) खुरपी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) बाल्टी

6. लता ने किस संगीत को लोकप्रिय बनाया ? (1)
(क) केवल शास्त्रीय
(ख) चित्रपट
(ग) लोकगीत
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) चित्रपट

7. आद आदमी को संगीत में से किन चीज़ों से मतलब नहीं होता ? (1)
(क) राग
(ख) ताल
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या – आम आदमी को संगीत में राग और ताल से कोई मतलब नहीं होता है।

8. लता के गायन की विशेषता है? (1)
(क) स्वरों की निर्मलता
(ख) कोमलता
(ग) मुग्घता
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

9. आलो आँधारि में मूल रूप से किसकी कथा है? (1)
(क) करोड़ों झुग्गियों
(ग) दलितों
(ख) शहरों
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) करोड़ों झुग्गियों

10. लेखिका को हर समय किसी तलाश रहती थी ? (1)
(क) काम
(ख) पति
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) काम

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खण्ड’ब’: वर्णनात्मक प्रश्न

V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)

1. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन । (5 × 1 = 5)

‘एक मौत ने कुष्ठ रोगियों के इलाज की प्रेरणा दी’ विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए । (5)
अथवा
‘बच्चे देश का सुनहरा भविष्य होते हैं’ विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए । (5)
अथवा
‘बिल स्मिथ दिखाएँ भारत में बिताए दिनों की यादें’ विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए । (5)
अथवा
‘इम्तिहान के दिन’ विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए । (5)
उत्तर:
मैं एक डाक्टर हूँ और चेन्नई में रहती हूँ। मेरा जन्म कुम्भकाणेम में हुआ था। मैं वहीं पली-बढ़ी। मेरे पिता, चाचा और भाई सेना की नौकरी में गए। जबकि मैं बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थी डॉक्टरी का पेशा मुझे इतना आकर्षित करता था कि बचपन में खेले जाने वाले खेलों में भी मैं डॉक्टर बनती थी।

मेरे पिता ने भी सपना पूरा करने में मेरा बहुत सहयोग किया। दरअसल करीब पच्चीस साल पहले की एक घटना ने डॉक्टर बनने का मेरा इरादा और पक्का कर दिया। तब मैं करीब सोलह साल की थी। वह महामहम का पर्व था, जो बारह साल में एक बार आता है उस दिन कुंभकोण म में स्नान के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। मैं उस दिन मंदिर परिसर में ही थी कि पवित्र कुंड के बिल्कुल पास मैंने एक लाश देखी। लोगों ने बताया कि वह कुष्ठरोगी था। लोग उसे छुए बगैर न केवल निकल रहे थे, बल्कि वे गुस्से में भी थे कि इस व्यक्ति ने कुंड को अपवित्र कर दिया।

मैंने अपने दुपट्टे से लाश को ढक दिया और लोगों से कहा कि वे उसे श्मशान तक ले जाने में मेरी मदद करें। एक व्यक्ति ने बेमन से लाश उठाने में मेरी मदद की और उसे रिक्शे में रखवा दिया। लेकिन श्मशान के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। मेरे पास सिर्फ दस रुपये थे। मैं उसे लेकर तीस किलोमीटर दूर एक दूसरे श्मशान में गई और हाथ जोड़ते हुए उनसे विनती की। उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया। उस दिन घर लौटते हुए मैने दो फैसले किए। एक तो यही कि चाहे कुछ हो जाए, मुझे डॉक्टर बनना है।

और दूसरा यह कि कुष्ठ रोगियों की बेहतरी के लिए मुझे काम करना है, क्योंकि समाज इन्हें उपेक्षा की दृष्टि से देखता है। घर लौटकर मैने पिता को इस घटना के बारे में बताया, तो उन्होंने इस बारे में किसी से कुछ न कहने की सलाह दी, क्योंकि लोगों को पता चलने की स्थिति में समाज हमारा बहिष्कार कर सकता था लेकिन उन्होंने मेरे फैसले को सराहा और यथासंभव मदद करने का भी भरोसा दिया।

मैं डॉक्टरी की परीक्षा की तैयारी में जुट गई। आखिरकार पुड्डुचेरी के जे. आई. पी. एम. ई. आर. कॉलेज में मेरा दाखिला हो गया। वहाँ डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने सेंट जॉन्स हॉस्पिटल एंड लेप्रोसी सेंटर जॉइन किया। वहाँ मैं त्वचा विभाग में थी लेकिन डॉक्टरों की कमी होने के कारण मुझे इमरजेंसी विंग में भी काम करना पड़ता था, जिसका मुझे अतिरिक्त पैसा मिलता था। वह पैसा मैं कुष्ठ रोगियों के कल्याण में लगाती थी। शादी के बाद मैं चेन्नई आ गई और शेनॉय नगर के एक स्वास्थ्य केंद्र में कुष्ठरोगियों के लिए काम करने लगी। पति को मेरे काम से कोई आपत्ति नहीं थी।

मैं कुष्ठ रोगियों का इलाज तो करती ही हूँ, इनके बारे में समाज में फैली गलत सोच के खिलाफ भी अभियान चलाती हूँ। कुष्ठ कोई असाध्य बीमारी नहीं है। अगर इसका समय पर ही इलाज शारीरिक विकृतियाँ नहीं होती हैं करवा लिया जाए, तो ऐसे ही यह संक्रामक उसी स्थिति में होता है, जब लम्बे समय तक किसी कुष्ठ रोगी के संपर्क में रहा जाए। इस रोग के ज़्यादातर शिकार वही होते हैं, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो मेरी इच्छा कुष्ठरोगियों के लिए एक चिकित्सालय बनाने की है, जिसमें देश भर के मरीजों के रहने और बेहतर इलाज की व्यवस्था हो ।

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अथवा

बच्चे किसी भी देश का सुनहरा भविष्य होते हैं अतः सर्वप्रथम उनके विकास हेतु प्रत्येक नागरिक को तैयार रहना चाहिए क्योंकि उनके विकास के बिना कोई राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। बच्चों के विकास हेतु शिक्षा प्राप्त करना अत्यावश्यक है। लड़का हो या लड़की दोनों समान रूप से शिक्षा के अधिकारी हैं।

यह प्रसन्नता का विषय है कि भारतीय बच्चों की शिक्षा के प्रति भारत सरकार सजग है। शिक्षा का अधिकार’ कानून के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए शिक्षा व्यवस्था निःशुल्क और अनिवार्य कर दी गई है। सरकार की ओर से अनेक ऐसी योजनाएँ चलाई जा रही हैं जो उनके लिए विद्यालय जाने के रास्ते खोलती हैं। बेटियों की शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देने हेतु सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाकर लाखों परिवारों की बेटियों को पढ़ाने का सार्थक संदेश ही नहीं, सहायता भी दी है। ‘कन्या विद्याधन’ देकर सरकार ने बेटियों के परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने का भी प्रयास किया है जिससे धन की कमी के कारण बेटियों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए।

यह हर्ष की बात है कि गाँव, कस्बों के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है। लोग धीरे-धीरे शिक्षा की उपयोगिता और महत्ता को समझने का प्रयास कर रहे हैं। इस नेक कार्य में अनेक प्रशासनिक एवं सामाजिक संगठन मिलकर कार्य कर रहे हैं तथा प्रत्येक वर्ग के बच्चों को इन योजनाओं से लाभान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं।

शिक्षा की अलख को जगाए रखने के लिए हमें अभी और मेहनत करने की आवश्यकता है क्योंकि भारत में साक्षरता का स्तर अभी भी कम है। सरकार और समाज सेवी संस्थाओं के जी-तोड़ प्रयास के बावजूद साक्षरता का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम ही है अतः एक-एक व्यक्ति को परिवार को शिक्षा का महत्त्व समझाते हुए निर्धन, अशिक्षित बेरोजगार और असहाय वर्ग के बच्चों को विद्यालय से जोड़कर उनके चहुमुखी विकास में सहायक बनाना होगा।

बच्चों को शिक्षित करना, योग्य बनाना प्रत्येक माता-पिता और परिवारों की प्रथम ज़िम्मेदारी है। किसी विद्वान ने कहा भी है कि अगर आपने अपने बच्चे को सही शिक्षा दी है तो समझिए कि आपने उसे सब कुछ दे दिया है। शिक्षित बालक अपने परिवार, समाज और राष्ट्र का गौरव होता है जिसके सशक्त कंधों पर राष्ट्र का भविष्य टिका होता है।

अथवा

जल्द रिलीज होने जा रही फिल्म अलादीन में जिनी बने मशहूर हॉलीवुड अभिनेता विल स्मिथ के शो ‘बकेट लिस्ट’ की अगली कड़ी में उनके भारत भ्रमण की यादें दिखाई जाएँगी। हाल ही में मुंबई आए विल स्मिथ की भारत के तमाम दर्शनीय और धार्मिक स्थलों के भ्रमण के अलावा हिंदी फिल्मों के सितारों के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब दिखती रही हैं। अब पता चला है कि स्मिथ की यात्रा उनके शो बकेट लिस्ट की से संबंधित थी।

इस साप्ताहिक कार्यक्रम में विल स्मिथ वह सब करते दिखाई देते हैं जो वह अपने रोजमर्रा के काम से इतर करना चाहते रहे हैं अपनी जिंदगी की बकेट लिस्ट की इच्छाएँ वह इस शो के जरिए पूरी करते हैं। इस शो की शूटिंग के दौरान विल स्मिथ हिंदी सिनेमा के तमाम दिग्गजों से मिले रणवीर सिंह के साथ उन्होंने जुहू में शूटिंग की। वह करण जौहर की फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 के सेट पर भी गए और वहाँ वे टाइगर श्रॉफ, तारा सुतारिया व अनन्या पांडे के साथ नाचे भी ।

इस शो में विल स्मिथ की भारत यात्रा की तमाम अन्य बातें भी प्रसारित की जाएँगी। बकेट लिस्ट के पहले के एपीसोड्स में स्मिथ शार्क मछलियों के साथ तैरते दिख चुके हैं, ग्रांड कैनयान से बन्जी जॉपिंग करते दिख चुके हैं। एक एपिसोड में तो वह अपने बेटे जैडेन स्मिथ के साथ फॉर्मूला वन रेसिंग में भी हाथ आजमाते दिखे। बकेट लिस्ट का प्रसारण नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर भी होता है।

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अथवा

बड़े-बड़े काँपते हैं इम्तिहान के नाम से इम्तिहान छोटों का हो या बड़ों का, पर यह डराता सभी को हैं। दो वर्ष पहले जब दसवीं की बोर्ड परीक्षा हमें देनी थी तब सारा वर्ष स्कूल में हमें बोर्ड परीक्षा नाम से डराया गया था और घर में भी इसी नाम से धमकाया जाता था। मन ही मन हम इसके नाम से भी डरा करते थे कि पता नहीं, इस बार इम्तिहान में क्या होगा? सारा वर्ष अच्छी तरह पढ़ाई की थी, बार-बार टेस्ट दे देकर तैयारी की थी पर इम्तिहान के नाम से फिर भी डर लगता था।

जिस दिन इम्तिहान का दिन था, उनसे पहली रात मुझे तो बिल्कुल नींद नहीं आई। पहला प्रश्न पत्र हिन्दी का था और विषय पर मेरी अच्छी पकड़ थी पर इम्तिहान का भूत सिर पर इस प्रकार सवार था कि नीचे उतरने का नाम ही नहीं लेता था। सुबह स्कूल जाने के लिए तैयार हुआ। स्कूल बस में सवार हुआ तो हर रोज़ हो-हल्ला करने वाले साथियों के हाथों में पकड़ी पुस्तकें और उनकी झुकी हुई आँखों ने मुझे और अधिक डराया। खिलखिलाने वाले चेहरे आज सहमे हुए थे। मैंने भी मन ही मन अपने पाठों को दुहराना चाहा पर ऐसा लगा कि मुझे तो कुछ भी याद ही नहीं।

2. भारतीय स्टेट बैंक, जोधपुर शाखा को कुछ कार्यालय सहायकों की आवश्यकता है। बैंक के मैनेजर को इस पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए ।
अथवा
दैनिक जागरण समाचार पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखिए जिसमें अपराधी तत्वों के राजनीति में रहने से लोकतन्त्र के लिए सम्भावित खतरों के प्रति चिंता प्रकट की गयी हो।” (5)
उत्तर:
सेवा में,
मुख्य प्रबन्धक
भारतीय स्टेट बैंक,
जोधपुर (राज.)
महोदय,
विषय- कार्यालय सहायकों के पद के लिए आवेदन पत्र |

पिछले सप्ताह नवभारत टाइम्स में आपकी ओर से कार्यालय सहायकों की आवश्यकता सम्बन्धी विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था। मैं स्वयं को इस पद के लिए एक प्रार्थी के रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मेरा स्ववृत्त (Resume) निम्नलिखित प्रकार से है-
1. प्रार्थी का नाम – अमित कुमार शर्मा
2. पिता का नाम – श्री अजय कुमार शर्मा
3. जन्म तिथि – 24.05.1988
4. स्थायी पता – 219 डी, बी, ब्लाक, मंगोलपुरी दिल्ली।

5. शैक्षिक योग्यताएँ-
1. केन्द्रीय मा. शि. बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 2002 में 82% अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
2. के. मा. शि. बोर्ड से 2004 में सीनियर सेकेण्डरी परीक्षा 80% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की।
3. दिल्ली वि. वि. से 2007 में बी. कॉम. (पास) परीक्षा 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की।
4. कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है।
5. स्थायी पता 219, डी. बी. ब्लॉक, मंगोलपुरी, दिल्ली।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ आपने मुझे यदि सेवा का अवसर प्रदान किया तो मैं निष्ठा से अपने कर्त्तव्य का पालन करूंगा।
संलग्न – सभी अंकतालिकाओं एवं प्रमाणपत्रों की छाया प्रतियाँ।
धन्यवाद सहित,
भवदीय
अमित कुमार शर्मा
मोबाइल : 98374912xx
दिनांक : 15. 8. ……

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अथवा

उत्तर- 20 ए, रोहिणी सेक्टर-4
हाइवे सिटी,
नई दिल्ली।
16 अप्रैल, 20……..

सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक जागरण,
बहादुरशाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली-110001

विषय: अपराधी तत्त्वों के राजनीति में जाने से लोकतंत्र के लिए सम्भावित खतरों के सम्बन्ध में।
मान्यवर,
देश का एक ज़िम्मेदार और जागरूक नागरिक होने के नाते, मैं आपके प्रतिष्ठित तथा लोकप्रिय दैनिक के माध्यम से, अपराधी तत्त्वों के राजनीति में प्रवेश से लोकतंत्र के लिए संभावित खतरों के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूँ।

आज देश में सभी ओर कालाबाज़ारी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार भाई भतीजावाद, जातिवाद व सांप्रदायिकता का जहर फैल रहा है। एक सामान्य कर्मचारी से लेकर शीर्षस्थ नेताओं पर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। इस प्रकार भ्रष्टाचार के कारण देश की राजनीति में आपराधिक तत्त्व बढ़ते जा रहे हैं।

हमारी भारतीय राजनीति में धन व शक्ति का ही बोलबाला है। कई नेता अत्यधिक धनाढ्य हैं तो कईयों के नामचीन अपराधियों से संबंध हैं। हमारे चुनाव भी गुणवत्ता के आधार पर नहीं होते। इसलिए योग्य व्यक्ति आगे नहीं आ पाते और स्वार्थी और अपराधी तत्त्व अपने धन व शक्ति के बल पर राजनीति में आ जाते हैं, जिनमें देश के प्रति प्रेम की भावना न के बराबर होती है। इस प्रकार के लोग जब शीर्षस्थ अधिकारी हों तो प्रशासन प्रणाली को स्वच्छ रखना दुष्कर हो जाता है।

हमें अपनी राजनीति को स्वच्छ करने के लिए इन अपराधी तत्वों को हटाना ही होगा। उसके लिए आवश्यक होगा कि हम अपनी कानून-व्यवस्था और चुनाव प्रक्रिया में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ यह भी अत्यन्त आवश्यक है कि सभी धर्म, जाति, संप्रदाय, क्षेत्र व भाषा के लोग अपने मतभेदों को भूलकर एकजुट होकर इस पर अंकुश लगाएँ और देशहित को सर्वोपरि रखकर मतदान द्वारा स्वच्छ छवि के लोगों को राजनीति में लाएँ।

मान्यवर, आप भी मेरी तरह इस विषय में चिंतित अवश्य होंगे अतः आपसे अनुरोध है कि मेरे इस पत्र को अपने दैनिक समाचार पत्र में आगरा सिटी’ शीर्षक स्तम्भ में प्रकाशित कर मुझे अनुग्रहीत करें।
धन्यवाद
भवदीय
मानव गुप्ता

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3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) डायरी एक व्यक्तिगत दस्तावेज कैसे है ? (3)
उत्तर:
डायरी में हम अपने जीवन के कुछ विशेष क्षणों में घटित अनुभवों, विचारों, घटनाओं, मुलाकातों आदि का विवरण लिखते हैं। यदि हम इन विवरणों को उसी तिथि विशेष पर नहीं लिखते हैं, तो सम्भव है कि हम उस विशेष क्षण में घटित अनुभव को भूल जाएँगे और फिर कभी उसे स्मरण नहीं कर पाएँगे। डायरी में लिखित विवरण हमें भूलने से बचाते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम किसी पर्यटन स्थल पर जाते हैं और वहाँ पर अनेक स्थलों को देखते हैं, यदि हम प्रत्येक स्थल की यात्रा का विवरण उसी दिन अपनी डायरी में लिख लेते हैं, तो हम अपने अनुभव को पूर्ण रूप से सुरक्षित रख सकते हैं तथा अवसर मिलने पर इसे पढ़कर उस यात्रा का फिर से पूरा आनन्द उठा सकते हैं। यदि हम यात्रा से लौटकर सारा विवरण लिखना चाहें, तो सम्भव नहीं हो पाएगा। हम अनेक विवरण लिखना छोड़ जाएँगे। डायरी से जब हम अपने विगत को पढ़ते हैं, तो यह हमारा व्यक्तिगत दस्तावेज बन जाता है।

(ख) पटकथा का निर्माण कैसे किया जाता है ? (3)
उत्तर:
कथा का अर्थ है- ‘कहानी’ तथा ‘पट’ का अर्थ है ‘पर्दा’ अर्थात् ऐसी कथा जो पर्दे पर दिखाई जाए, उसे पटकथा कहते हैं। फिल्मों या धारावाहिकों आदि का मूल आधार यह पटकथा ही होती है। निर्देशक, अभिनेता तकनीशियन, सहायकों आदि को अपने-अपने विभागों की सभी सूचनाएँ व जानकारी पटकथा में ही मिलती है। पटकथा किसी उपन्यास, कहानी, ऐतिहासिक पात्र, घटना पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘देवदास’ पर हिन्दी सिनेमा में तीसरी बार फिल्म बनी है।

(ग) कथा और पटकथा में क्या अन्तर है ? (3)
उत्तर:
फ़िल्म या टीवी की पटकथा का चरित्र नाटक विधा के साथ बहुत मिलता है। नाटक की भाँति पटकथा में पात्र चरित्र-चित्रण, नायक प्रतिनायक, घटनास्थल दृश्य, कहानी का क्रमिक विकास आदि सब कुछ होता है। द्वन्द्व, टकराहट और फिर समाधान यह सब पटकथा के आवश्यक तत्व या अंग होते हैं। पटकथा लेखक इन्हीं तत्त्वों को आधार बनाकर पटकथा की रचना करते हैं। आज अनेक फिल्मों व टीवी सीरियलों की पटकथाओं का निर्माण बहुत ज़्यादा मात्रा में हो रहा है। आज के वैज्ञानिक युग में कम्प्यूटर पर ऐसे सॉफ्टवेयर आ गए हैं, जिनमें कथा-पटकथा का प्रारूप बना बनाया होता है छोटी-सी गलती भी तुरन्त पकड़ ली जा सकती है। तथा उसको सुधारने के सुझाव भी दिए जाते हैं।

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4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों का उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) नीचे दिए गए शब्दों को शब्दकोशीय क्रम में लिखिए-
परीक्षण, परिक्रमण, परिक्रमा, विश्वामित्र, हिमाश्रया, हृदयंगम, ग्वालिन, घंटा, योगांत, घटक, घट, इच्छित, इक्षु, अंतः, अंकगणित, आवृत्ति, उदाहन, उद्योग, जिज्ञासु ।
उत्तर:
अंकगणित
अंतः
इच्छित
इक्षु
उद्योग
उदाहन
ग्वालिन
घण्टा
घटक
घट
जिज्ञासु परिक्रमण
परिक्रमा
परीक्षण
योगांत
विश्वामित्र
हिमाश्रया
हृदयंगम

(ख) कोष किसे कहते हैं ? (2)
उत्तर:
कोष एक ऐसे सन्दर्भ ग्रन्थ को कहते हैं, जिसमें भाषा विशेष के शब्दादि का संग्रह हो या संग्रह के साथ उनके उसी या दूसरी या दोनों भाषाओं में अर्थ, पर्याय या विलोम हों या विशिष्ट अथवा विभिन्न विषयों की प्रविष्टियों की व्याख्या नामों (स्थान, व्यक्ति आदि) का परिचय या कथनों आदि का संकलन क्रमबद्ध रूप से हो। इसका मूल अर्थ ‘शब्द संग्रह’ है।

(ग) कोष कितने प्रकार के होते हैं ? स्पष्ट कीजिए । (2)
उत्तर:
कोष तीन प्रकार के होते हैं- विश्वज्ञान कोष, चरित्र कोष और साहित्य कोष ।

1. विश्वज्ञान कोष (Encyclopedia) : विश्वज्ञान कोष, विश्वकोष या ज्ञानकोष ऐसी पुस्तक को कहते हैं जिसमें विश्वभर की तरह-तरह की जानने योग्य बातों का समावेश होता है। विश्वकोष का अर्थ है- विश्व के समस्त ज्ञान का भण्डार विश्वकोष अंग्रेज़ी शब्द ‘एनसाइकलोपीडिया’ का समानार्थी है जिसका अर्थ है शिक्षा की परिधि शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती, वह अनन्त होती है अतः इसे कभी भी पूरा हुआ’ घोषित नहीं कर सकते।

2. चरित्र कोष : चरित्र कोष को व्यक्तिकोष भी कहते हैं। इसमें हमें विचारकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों आदि के संक्षिप्त परिचय और उपलब्धियों की जानकारी मिलती है। इसमें जानकारियों का क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण होता है।

3. साहित्य कोष : यह कोष हिन्दी का साहित्य कोष है लेकिन यह कोष हिन्दी प्रदेशों के अलावा दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्व और अन्य भारतीय क्षेत्रों की भाषाओं, संस्कृतियों, दर्शनों, सिद्धान्तों और महान् कृतियों से भी अपनी सीमा में साक्षात् कराता है। इतना ही नहीं, यह हिन्दी क्षेत्र की 48 लोक भाषाओं और इनकी कलाओं-संस्कृतियों को भी छवियाँ देता है।

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VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1 (20 अंक)

1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) क्या अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है ? चर्चा करें । (3)
उत्तर:
अक्क महादेवी को ‘कन्नड की मीरा’ कहा जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार मीरा कृष्ण की उपासिका थ और उन्होंने स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया था वैसे ही अक्क महादेवी शिव की उपासिका थीं और वे भी प्रभु भक्ति में लीन हो गई थीं। दोनों ही राजपरिवार से थीं और विवाहिता थीं दोनों ने ही सामाजिक बन्धनों का खंडन किया। दोनों ने ही साहित्य के क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई। दोनों में सांसारिक पदार्थों से विरक्ति का आभास मिलता है। अतः इस आधार पर कहा जा सकता है कि दोनों में बहुत समानता थी।

(ख) दूसरे वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए । (3)
उत्तर:
दूसरे वचन के प्रतिपाद्य में एक भक्त का ईश्वर के प्रति समर्पण है। चन्नमल्लिकार्जुन की अनन्य भक्त अक्क महादेवी उनकी अनुकम्पा के लिए प्रत्येक भौतिक वस्तु से अपनी झोली खाली रखना चाहती हैं। वे ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती हैं जिससे उनका स्व या अहंकार पूरी तरह से नष्ट हो जाए। कवयित्री ईश्वर को जूही के फूल के समान बताती हैं तथा कामना करती हैं कि ईश्वर उससे ऐसे काम करवाए जिनसे उनका अहंकार समाप्त हो जाए। वह उनसे भीख मँगवाए, भले ही उन्हें भीख न मिले। कवयित्री का एक ही उद्देश्य है कि उन्हें परमात्मा की प्राप्ति हो जाए।

(ग) ‘चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की विडम्बनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है ? (3)
उत्तर:
इस कविता में कवि ने चंपा के माध्यम से पूर्वी प्रदेशों में स्त्री अशिक्षा की बदतर स्थिति को उजागर किया है। वहाँ अधिकांश स्त्रियाँ अशिक्षित हैं वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह अनजान हैं और अपनी इस स्थिति से निकलने के लिए प्रयासरत भी नहीं हैं। गाँव में रोज़गार के अवसरों की कमी के कारण पुरूषों को शहर जाना पड़ता है जिसके कारण स्त्रियों को पति से दूर रहना पड़ता है। निरक्षर होने के कारण वे न तो पति को पत्र लिख कर संदेश पहुँचा पाती है और ना ही उनके भेजे पत्रों को पढ़ पाती हैं जिससे उन्हें लम्बे समय तक घुट-घुटकर जीना पड़ता है।

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2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) लोक लाज खोने का अभिप्राय क्या है ? (2)
उत्तर:
लोक-लाज़ खोने का अर्थ है-समाज की मर्यादाओं को तोड़ना। प्रत्येक समाज के कुछ नियम व कायदे होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है मीरा राजपूतानी थीं जिन्हें पर-पुरुषों के सामने जाना व उनसे मिलना मना होता है। वहीं मीरा साधु-सन्तों के साथ रहतीं व प्रभु के सामने गातीं व नाचती जो उस समय के नियम के विरुद्ध था। इसलिए लोगों का व स्वयं मीरा का भी मानना था कि उसने लोक-लाज़ खो दी है।

(ख) मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को परिताप का घर’ क्यों कहा है? (2)
उत्तर:
विवाह के बाद जब लड़कियाँ मायके आती हैं तो अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश होती हैं लेकिन कवि की बहन इस बार जब मायके आई तो कवि को घर में न पाकर बहुत दु:खी हुई कवि जेल में बंद थे जिसके कारण घर में शोक का माहौल था।

(ग) ‘मुट्ठियाँ भरकर बस वक्त निकाल लेना’ से कवि का क्या तात्पर्य है ? (2)
उत्तर:
मुट्ठियाँ भींचना का अर्थ है क्रोध दिखाना। जब लोग अपने आस-पास कुछ अन्याय या गलत होता देखते हैं तो उन्हें क्रोध आता है लेकिन वे केवल मुट्ठियाँ भींचकर रह जाते हैं उस अन्याय का बुराई का खुलकर विरोध नहीं करते केवल विरोध का दिखावा करते हैं।

3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था ? (3)
उत्तर:
दुनियाँ के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए आसान इसलिए था क्योंकि वे देश-विदेश के बारे में विभिन्न बातें पहले से ही जानते थे वे भारत के पुराणों और महाकाव्यों को पढ़कर भारत के नगरों से परिचित हो चुके थे। तीर्थ यात्राएँ करके देश के चारों कोनों से परिचित हो चुके थे अनेक सैनिकों ने विश्व युद्ध के दौरान विदेशों में जाकर युद्ध किया था और विदेशी नौकरियाँ की थीं। किसान तीसरे दशक में छाई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से भी परिचित थे।

(ख) विदेश-विभाग ने पेड़ न काटने का हुक्म क्यों दिया ? (3)
उत्तर:
विदेश विभाग के अनुसार वह जामुन का पेड़ दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटरियेट के लॉन में लगाया था। अब अगर यह पेड़ काटा गया, तो इस बात का काफी अंदेशा था कि पीटोनिया सरकार से हमारे संबंध सदा के लिए बिगड़ जाएँगे। चूँकि पीटोनिया सरकार हमारे राज्य को बहुत सहायता देती है भले ही इसके लिए एक आदमी के जीवन की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े, पर पेड़ को नहीं काटने दिया जा सकता।

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(ग) बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी ? (3)
उत्तर:
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की रुचि लेखिका की बातों में इसलिए कम होने लगी क्योंकि मियाँ की ये सब बातें पुरखों से सुनी-सुनाई थीं। ठीक से सब बातों और तथ्यों का महत्व न जाना था, न उन्हें इनकी ज़रूरत पड़ी थी इसलिए लेखिका के प्रश्न को सुनकर वह मुश्किल में पड़ गये और यह न बता सके कि किस बादशाह के यहाँ उनके पुरखे नानबाई का काम करते थे।

4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) भारत की चर्चा नेहरू जी कब और किससे करते थे ? (2)
उत्तर:
जब नेहरू देश का दौरा करते थे और जनसभाओं में भाषण देते थे तो वे किसानों की सभा में ‘भारत’ की चर्चा अवश्य किया करते थे। उनका विचार था कि किसानों का दृष्टिकोण सीमित है। वे अपने गाँव तक ही सीमित हैं इसलिए उन्हें भारत के व्यापक अर्थ का ज्ञान कराना चाहिए।

(ख) नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे ? (2)
उत्तर:
जब नेहरू जी जलसे में पहुँचते थे तो उनका स्वागत ‘भारतमाता की जय’ के नारे से होता था तब वे किसानों से पूछते थे कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? वह धरती कौन-सी है, जिसे वे ‘भारत माता’ कहते हैं-गाँव की, जिले की, सूबे की या पूरे हिन्दुस्तान की ?

(ग) यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं ? अगर हाँ, तो क्यों ? और नहीं, तो क्यों ? (2)
उत्तर:
यदि मैं माली की जगह होता तो सरकारी फैसले का इंतज़ार किए बिना आस पास के लोगों को एकत्र कर उस दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने का पूरा प्रयास करता। यद्यपि हमें वृक्षों की रक्षा करनी चाहिए लेकिन मानव जीवन सर्वोपरि है अतः मानवता की खातिर में उस व्यक्ति की तुरन्त सहायता करता।