Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 7 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 7 with Solutions

समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80

सामान्य निर्देश :

  1. प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
  4. उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  5. एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
  6. उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।

रखण्ड’अ’ : अपठित बोध

I. अपठित बोध- (15 अंक)

(अ) अपठित गद्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)

‘सत्य के अनेक रूप होते हैं, इस सिद्धांत को मैं बहुत पसंद करता हूँ। इसी सिद्धांत ने मुझे एक मुसलमान को उसके अपने दृष्टिकोण से और ईसाई को उसके स्वयं के दृष्टिकोण से समझना सिखाया। जिन अंधों ने हाथी का अलग-अलग तरह से वर्णन किया, वे सब अपनी दृष्टि से ठीक थे। एक-दूसरे की दृष्टि से सब गलत थे और जो आदमी हाथी को जानता था उसकी दृष्टि से ये सही भी थे और गलत भी। जब तक अलग-अलग धर्म मौजूद हैं, तब तक प्रत्येक धर्म को किसी विशेष बाह्य चिह्न की आवश्यकता हो सकती है।

लेकिन जब बाह्य चिह्न आडंबर बन जाते हैं अथवा अपने धर्म को दूसरे धर्मों से अलग बनाने के काम आते हैं, तब वे सामान्य हो जाते हैं। धर्मों के भातृ-मण्डल का उद्देश्य यह होना चाहिए, कि वह हिंदू को अधिक अच्छा हिंदू, एक मुसलमान को अधिक अच्छा मुसलमान और एक ईसाई को अधिक अच्छा ईसाई बनाने में मदद करे। दूसरों के लिए हमारी प्रार्थना यह नहीं होनी चाहिए-‘ईश्वर, तू उन्हें वही प्रकाश दे, जो तूने मुझे दिया है, बल्कि यह होनी चाहिए-तू उन्हें वह सारा प्रकाश दे, जिसकी उन्हें अपने सर्वोच्च विकास के लिए आवश्यकता है।

1. सत्य के कितने रूप होते हैं?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पाँच
(घ) अनेक
उत्तर:
(घ) अनेक

अंधों ने किस का अलग-अलग रूप दिखाया?
(क) साँप
(ख) हाथी
(ग) कछुए
(घ) आदमी
उत्तर:
(ख) हाथी

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3. हाथी को जानने वाले की दृष्टि में वे सभी कैसे थे?
(क) सही
(ख) गलत
(ग) समान
(घ) (क) व (ख) दोनों
उत्तर:
(घ) (क) व (ख) दोनों

4. प्रत्येक धर्म को किस की आवश्यकता हो सकती थी?
(क) विशेष बाह्य चिह्न की
(ख) बाहरी चिहन की
(ग) आंतरिक चिह्न की
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) विशेष बाह्य चिह्न की

5. बाह्य आडंबर किसे अलग करते हैं?
(क) आदमी को
(ख) समाज को
(ग) व्यवहार को
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

6. हमारी प्रार्थना किस के प्रति होनी चाहिए?
(क) नेता के
(ख) अधिकारी के
(ग) ईश्वर के
(घ) देवता के
उत्तर:
(ग) ईश्वर के

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7. प्रकाश की आवश्यकता किसलिए है?
(क) निम्न विकास के लिए
(ख) सर्वोच्च विकास के लिए
(ग) अंधेरे को दूर करने के लिए
(घ) बाह्य आडंबर के लिए
उत्तर:
(ख) सर्वोच्च विकास के लिए

व्याख्या – यहाँ ‘प्रकाश’ का तात्पर्य ‘ज्ञान’ से है। अर्थात् लेखक ईश्वर से सभी धर्मों के लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार सारा ज्ञान देने की प्रार्थना कर रहा है जिससे उनका सर्वोच्च विकास हो सके।

8. किस का उद्देश्य हिंदू या मुसलमान को अच्छा बनाने में मदद करना है ?
(क) भातृ-मंडल का
(ख) मातृ-मंडल का
(ग) पितृ-मंडल का
(घ) समाज का
उत्तर:
(क) भातृ-मंडल का

9. ‘सर्वोच्च’ में कौन-सा समास है?
(क) द्विगु समास
(ख) कर्मधारय समास
(ग) तत्पुरुष समास
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) तत्पुरुष समास

10. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए-
(क) सत्य और धर्म के रूप
(ख) कर्म और धर्म के रूप
(ग) अहिंसा और धर्म के रूप
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) सत्य और धर्म के रूप

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(ब) अपठित पद्यांश-

निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)

क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत्-घन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन- तर्जन ।
मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन ।
मैं विपदाओं में मुस्काता नव आशा के दीप लिए
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान – पतन
मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल
आँधी हो, ओले- वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन ।
मुझे डरा पाए कब अंधड़ ज्वालामुखियों के कम्पन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं अग्निशिखाओं के नर्तन,
मैं बढ़ता अविराम निरन्तर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल – विद्युत नर्तन ।

1. पद्यांश में आए प्रलयकारी मेघ, विद्युत, सागर के गर्जन किसके प्रतीक हैं? 1
उत्तर:
पद्यांश में आए प्रलयकारी मेघ, विद्युत, सागर के गर्जन आदि प्राकृतिक आपदाओं को जीवन में आने वाली बाधाओं का प्रतीक माना गया है।

2. कवि विपदाओं में भी क्या करता रहा ?
(क) पछताता
(ख) डरता
(ग) शर्माता
(घ) मुस्काता
उत्तर:
(घ) मुस्काता।

3. ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन’ पंक्ति का भाव यह है कि दु:ख के स्थान पर कवि ने कभी सुख का चयन नहीं किया। वह दु:ख देखकर कभी हताश नहीं हुआ। उसने धैर्यपूर्वक विपत्तियों का सामना किया।

4. कवि जीवन में निरंतर क्या लिए बढ़ता रहा ?
(क) उन्माद
(ख) विराम
(ग) विश्राम
(घ) शान
उत्तर:
(क) उन्माद।

5. प्रस्तुत काव्य में कवि क्या प्रेरणा दे रहा है?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य में कवि प्रेरणा दे रहा है कि साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति जीवन में आने वाली बाधाओं से कभी भी निराश नहीं होते। वे बाधाओं का सामना करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।

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अथवा

वीर जवानों, सुनो, तुम्हारे सम्मुख एक सवाल है।
जिस धरती को तुमने सींचा
अपने खून-पसीने से,
हार गई दुश्मन की गोली
वज्र सरीखे सीनों से ।
जब-जब उठीं तुम्हारी बाँहें, होता वश में काल है।
जिस धरती के लिए सदा
तुमने सब कुछ कुर्बान किया,
शूली पर चढ़-चढ़ हँस-हँस कर
कालकूट का पान किया ।
जब-जब तुमने कदम बढ़ाया, हुई दिशाएँ लाल हैं।
उस धरती को टुकड़े-टुकड़े
करना चाह रहे दुश्मन,
बड़े गौर से अजब तुम्हारी
चुप्पी थाह रहे दुश्मन
जाति-पाँति, वर्गों-फिरकों के, वह फैलाता जाल है।
कुछ देशों की लोलुप नज़रें
लगी तुम्हारी ओर हैं,
कुछ अपने ही जयचंदों के
मन में बैठा चोर है।
सावधान कर दो उसको जो पहने कपटी खाल है।

1. पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए । 1
उत्तर:
देश के वीर

2. सीनों की तुलना किससे की है? 1
(क) लोहे से
(ख) गोली से
(ग) वज्र से
(घ) दुश्मन से
उत्तर:
(ग) वज़ से

3. ‘जब- जब, टुकड़े-टुकड़े’ में अलंकार है- 1
(क) अनुप्रास
(ख) पुनरुक्ति प्रकाश
(ग) यमक
(घ) उपमा
उत्तर:
(ख) पुनरुक्ति प्रकाश

4. देश के दुश्मन धरती के कैसे टुकड़े करना चाहते हैं? 1
उत्तर:
देश के दुश्मन धरती को जाति-पाँति, वर्गों तथा धर्मों में बाँटकर टुकड़े करना चाहते हैं।

5. पद्यांश में अपने ही जयचंदों का क्या आशय है? 1
उत्तर:
अपने ही जयचंदों से कवि का अभिप्राय ऐसे लोगों से है जो अपने स्वार्थ के लिए अपने देश के दुश्मनों को देश का भेद बताते हैं। उनके मन में कपट, छल जैसा चोर बैठा है।

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II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2. पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न। (1 × 5 = 5)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

1. निम्नलिखित में से किस शैली के निकट है? 1
(क) काव्यात्मक
(ख) कथात्मक
(ग) वक्तव्यात्मक
(घ) रूपात्मक
उत्तर:
(क) काव्यात्मक

2. किसी भी माध्यमों के लेखन के लिए किसे ध्यान में रखना होता है?
(क) माध्यमों को
(ख) लेखक को
(ग) जनता को
(घ) बाज़ार को
उत्तर:
(क) माध्यमों को

3. आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है
(क) अखबार
(ख) रेडियो
(ग) टेलीविज़न
(घ) सिनेमा
उत्तर:
(क) अखबार

4. नेट साउंड किस माध्यम से सम्बन्धित है?
(क) डंटरनेट
(ख) टेलीविज़न
(ग) रेडियो
(घ) सिनेमा
उत्तर:
(ख) टेलीविज़न

5. हिन्दी में नेट पत्रकारिता का आरम्भ……….से हुआ
(क) भास्कर
(ख) जागरण
(ग) वेब दुनिया
(घ) प्रभा साक्षी
उत्तर:
(ग) वेब दुनिया

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III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)

(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
आज पानी गिर रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है,
प्राण मन घिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
घर नज़र में तिर रहा है,
घर कि मुझसे दूर है जो,
घर खुशी का पूर है जो,

प्रश्न
1. इस कविता का क्या नाम है? 1
(क) घर की याद
(ख) माँ की याद
(ग) प्रियसी की याद
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) घर की याद

2. घनी बरसात के कारण कवि का हृदय किसमें खो गया है? 1
(क) पुरानी यादों
(ख) नई यादों
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) पुरानी यादों

3. कवि को जेल में रहते हुए किसकी याद आई? 1
(क) आँगन की
(ख) बहनों की
(ग) चाचा की
(घ) चाची की
उत्तर:
(क) आँगन की

4. प्राण का अर्थ है- 1
(क) सांस
(ख) श्वास
(ग) जान
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

5. नज़र का समानार्थी है-
(क) दृष्टि
(ख) काम
(ग) इच्छा
(घ) सम्मान
उत्तर:
(घ) सम्मान

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(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मीजी पर अखंड विश्वास था। वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या, स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज्य है। उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती है। लेटे ही लेटे गर्व से बोले-चलो, हम आते हैं। यह कहकर पंडितजी ने बड़ी निश्चिंतता से पान के बीड़े लगाकर खाए। फिर लिहाफ़ ओढ़े हुए दारोगा के पास आकर बोले-बाबूजी, आशीर्वाद ! कहिए, हमसे ऐसा कौन-सा अपराध हुआ कि गाड़ियाँ रोक दी गईं। हम ब्राह्मणों पर तो आपकी
कृपा-दृष्टि रहनी चाहिए।
वंशीधर रुखाई से बोले-सरकारी हुक्म!

1. पंडित अलोपीदीन किसके पुजारी थे? 1
(क) विष्णु के
(ख) शिव के
(ग) लक्ष्मी के
(घ) सभी के
उत्तर:
(ग) लक्ष्मी के

व्याख्या – पंडित अलोपीदीन सही अर्थों में लक्ष्मी के पुजारी थे।

2. अलोपीदीन ने रिश्वत के बल पर किसको बिकते देखा? 1
(क) न्यायविदों
(ख) निर्णायकों
(ग) नीतिवानों
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

3. दरोगा का क्या नाम था? 1
(क) अलोपीदीन
(ख) वंशीधर
(ग) रवि
(घ) मोहन
उत्तर:
(ख) वंशीधर

4. लेखक ने किसको लक्ष्मी का खिलौना कहा है? 1
(क) न्याय
(ख) नीति
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

5. पंडितजी ने बड़ी निश्चितता से किसके बीड़े लगाकर खाए?
(क) रोटी के
(ख) पान के
(ग) सब्जी के
(घ) फल के
उत्तर:
(ख) पान के

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IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग – 1 (5 अंक)

निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

1. कुओं का पानी प्राय: कैसा होता है?
(क) नमकीन
(ख) खारा
(ग) मीठा
(घ) खट्टा
उत्तर:
(ख) खारा

2. यह पट्टी किसको मिलने से रोकती है? 1
(क) वर्षा के पानी
(ख) गहरे खारे भूजल
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या – वर्षा का पानी और गहरे भूजल को पट्टी मिलने से रोकती है।

3. कुंई की चिनाई किससे की जाती है ?
(क) ईंट
(ख) रस्से
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

4. कुंई खोदने के साथ कैसा घास का मोटा रस्सा तैयार किया जाता है?
(क) खींप नामक
(ख) रींप नामक
(ग) पंखी नामक
(घ) रंपी नामक
उत्तर:
(क) खींप नामक

5. भूल का अर्थ है ? 1
(क) गलती
(ख) गिरना
(ग) नष्ट
(घ) राहत
उत्तर:
(ग) नष्ट

6. कुमार गंधर्व के संगीत में किसका सुन्दर सामंजस्य है ? 1
(क) मालवा लोकधुनों
(ख) हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या – कुमार गंधर्व के संगीत में मालवा लोकधनों और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को सुन्दर सामजंस्य है।

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7. कुमार गंधर्व को किस स्तर पर पहचान प्राप्त हुई ? 1
(क) दिवस राष्ट्रीय स्तर
(ख) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर
(ग) केवल सामाजिक स्तर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर

8. कुमार गंधर्व ने किन संगीतों को एक धरातल पर लाने का साहस किया ? 1
(क) शास्त्रीय संगीत
(ख) फिल्मी संगीत
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

9. मकान मालिक ने किस काम के लिए लेखिका को अपने घर में रखा ? 1
(क) घर की सफ़ाई
(ख) खाना
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या – मकान मालिक ने बेबी हालदार को घर की सफाई और खाना बनाने के काम के लिए अपने घर में रखा।

10. लेखिका को किसकी चिंता थी? 1
(क) बच्चों की पढ़ाई की
(ख) घर के किराए की
(ग) लोगों की बातों की
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)

निम्नलिखित चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर रचनात्मक लेखन कीजिए- (5 × 1 = 5)

1. त्योहार हमें उमंग और उल्लास से भरकर अपनी संस्कृति से जोड़े रखते हैं। आजकल लोगों में त्योहारों को मनाने के प्रति उत्साह एवं आस्था का अभाव देखा जाता है। लोगों की इस मानसिकता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एक लेख लिखिए ।
अथवा
वर्तमान युग में इंटरनेट अपनी उपयोगिता के कारण एक आवश्यकता बनता जा रहा है, इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए और बताइए कि इंटरनेट जीवन में सुविधा के साथ-साथ मुसीबत किस प्रकार बन जाता है ?
अथवा
‘विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषधि है।’ कथन के आधार पर बताइए कि मानव जीवन में मित्रों का क्या महत्त्व है ? वे किस प्रकार व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं? आप अपने मित्र का चुनाव करते समय किन गुणों का होना आवश्यक समझेंगे? अपने विचार स्पष्ट लिखिए ।
अथवा
अपने जीवन में घटी उस घटना का वर्णन कीजिए, जिसे याद करके आप आज भी हँसे बिना नहीं रहते तथा इससे आपको क्या मिलता है ?
उत्तर:
श्रम से थके-हारे मनुष्य ने जीवन में आई नीरसता को दूर करने के लिए त्योहारों का सहारा लिया। त्योहार अपने प्रारंभिक काल से ही सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक तथा जनजागृति के प्रेरणा स्रोत हैं। भारत एक विशाल देश है। यहाँ विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग परम्पराओं तथा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबन्धन दीपावली, दशहरा, होली, ईद, ओणम, गरबा, बैसाखी आदि त्योहार मनाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ अनेक राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, गाँधी जयन्ती आदि भी मनाए जाते हैं।

इस तरह त्योहार जहाँ उमंग और उत्साह भरकर हमारे अन्दर स्फूर्ति जगाते हैं, वहीं महापुरुषों की जयंतियाँ हमारे अन्दर मानवीय मूल्य को प्रगाढ़ बनाती हैं। हमारे यहाँ त्योहार की कमी नहीं है। लेकिन समय की गति और समाज में आए परिवर्तन के परिणामस्वरूप इन त्योहारों, उत्सवों के स्वरूप में काफी परिवर्तन आया है। इन परिवर्तनों को विकृति कहना अतिशयोक्ति नहीं है। आज लोगों में त्योहारों के प्रति उत्साह व आस्था का अभाव देखा जाता है। आज धन व समय के अभाव, दिखावे की प्रवृत्ति, स्वार्थपरता आदि त्योहारों पर हावी हो गए हैं। दशहरा व दीपावली पर करोड़ों रुपये आतिशबाजी में नष्ट हो जाते हैं। इन त्योहारों को शालीनता पूर्वक मनाने से इस धन को किसी रचनात्मक कार्यों में लगाया जा सकता है जिससे त्योहार का स्वरूप सुखद व कल्याणकारी हो जायेगा।

हमारे जीवन में त्योहारों, उत्सवों व पर्वो का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। एक ओर ये त्योहार भाई-चारा, प्रेम, सद्भाव, धार्मिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाते हैं तो दूसरी ओर धर्म व कर्म तथा आरोग्य बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। इनके माध्यम से भारतीय संस्कृति के मूल्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आसानी से पहुँच जाते हैं। हमारे त्योहारों में व्यक्त कतिपय दोषों को छोड़ दिया जाए या उनका निवारण कर दिया जाए तो त्योहार मानव के लिए बहुमूल्य हैं। ये एकता, भाईचारा, प्रेम, सद्भाव बढ़ाने के साथ सामाजिक समरसता बढ़ाने में भी सहायक होते हैं।

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अथवा

आधुनिक युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। आज का विश्व विज्ञान के दृढ़ स्तंभ पर टिका है। विज्ञान ने मनुष्य को अनेक शक्तियाँ, सुख-सुविधा तथा क्रांतिकारी उपकरण दिए हैं, जिनमें इंटरनेट एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण, बलशाली एवं गतिशील सूचना का माध्यम है। यह अनेक कम्प्यूटरों का एक जाल है, जिसके सहयोग से आज का मनुष्य विश्व के किसी भी भाग से किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त कर सकता है। आधुनिक युग में कोई भी व्यक्ति, देश या समाज सूचना प्रौद्योगिकी की इस अनोखी प्रणाली से अछूता नहीं, अतः सभी इस पर आश्रित होते जा रहे हैं। सन् 1986 में इंटरनेट का आरम्भ हुआ था।

इंटरनेट के कारण सारी दुनिया आज मुट्ठी में है। बस, एक बटन दबाइए सब कुछ क्षण भर में आँखों के सामने उपस्थित हो जाता है। इसने दुनिया के सभी लोगों को जोड़ दिया है। ज्ञान के क्षेत्र में अद्भुत क्रांति आ गई है। ज्ञान, विज्ञान, खेल, शिक्षा, संगीत, कला, फिल्म, चिकित्सा आदि सबकी जानकारी उपलब्ध है। इससे देश-विदेश के समाचार, मौसम, खेल संबंधी ताजा जानकारी प्राप्त होती है।

आजकल इंटरनेट के कार्यक्रमों की बहुत अधिक माँग है। अनेक भारतीय नर-नारियाँ विदेशों में इंटरनेट की कम्पनियों के लिए सॉफ्टवेयर तथा अन्य उपयोगी कार्यक्रम बनाने में जुटे हैं। इंटरनेट से विज्ञान, व्यवसाय व शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कार्य होने लगे हैं, जिससे समाज में बेरोज़गारी समाप्त हो सकती है। भारत और अमेरिका जैसे बड़े देशों में इंटरनेट के अनेक उपयोग हैं।

इससे उद्योग, प्रौद्योगिकी, शिक्षा राजनीति, व्यापार, खेल-कूद, स्वास्थ्य, धर्म, योग वास्तुकला, प्रबन्धन, सूचना प्रौद्योगिकी आदि अनेक विषयों के बारे में सूचनाएँ और आँकड़े प्राप्त होते हैं। इससे मौसम विज्ञान और भूकम्प – विज्ञान से संबंधित पूर्वानुमान लगाने, तेल एवं प्राकृतिक गैस के भण्डारों का पता लगाने, दूरसंवेदी आकलन करने में सहायता मिलती है साथ ही साथ अस्पतालों एवं चिकित्सा से संबंधित नवीनतम जानकारी और भौगोलिक सूचनाओं से सम्बन्धित जानकारी भी मिलती है।

इंटरनेट से इतने लाभ हैं कि उँगलियों पर गिनना असंभव लगता है, पर इससे हानियाँ भी होती हैं, जब इसका दुरुपयोग किया जाता है। इस पर अधिक देर कार्य करने से आँखें खराब हो जाती हैं। इंटरनेट में कई कार्यक्रम ऐसे हैं जिन्हें देखकर बच्चों के अपरिपक्व मन मस्तिष्क पर गलत प्रभाव पड़ता है। बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन को अवरुद्ध किया जा सकता है। प्रमुख शहरों और रेलवे यातायात प्रणाली के कम्प्यूटर तन्त्र को ध्वस्त किया जा सकता है। विमानों के उड़ान – पथ में भटकाव पैदा कर दुर्घटनाएँ करवाई जा सकती हैं। गुप्त जानकारी प्राप्त करना, अफवाहें फैलाना, धमकियाँ देना, अश्लीलता, स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव तथा पुस्तकों से दूरी आदि इसके दुष्परिणाम है अतः हमें इंटरनेट का प्रयोग सोच-समझ कर नियंत्रित करना होगा, तब अवश्य ही इससे लाभ होगा।

अथवा

मित्रता का तात्पर्य है-किसी के सुख-दुःख का सच्चा साथी होना। सच्चे मित्रों में कोई दुराव-छिपाव नहीं होता। वे निश्चल भाव से अपना सुख-दुःख दूसरे से कह सकते हैं। विश्वास के कारण ही वे अपना हृदय दूसरे के सामने खोल पाते हैं। सच्चे मित्र का साथ हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करता है।

सच्चा मित्र हमारे अवगुणों को सामने लाकर उन्हें दूर कर हमारे स्वभाव को निर्मल बनाने में सहायक सिद्ध होता है। उसके कारण मनुष्य को हिम्मत मिलती है जिससे वह जीवन मार्ग में स्वयं को अकेला महसूस नहीं करता। मित्रता शक्तिवर्द्धक औषधि के समान है। मित्रता में नीरस काम भी आसानी से हो जाते हैं। दो मित्र मिलकर दो से ग्यारह हो जाते हैं। सच्चा मित्र वही होता है जो हमें कुमार्ग से बचाए और गलत रास्ते पर जाते समय सचेत करे। सच्चा मित्र हमारे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है।

मित्रता मनुष्य का जीवन रूपी संग्राम में महत्त्वपूर्ण सहारा होता है। एडीसन महोदय के अनुसार-“मित्रता खुशो को दूना करके और दुख को बाँटकर प्रसन्नता बढ़ाती है तथा मुसीबत कम करती है।” मित्र को आवश्यकता प्रत्येक व्यक्ति को होती है, किन्तु हमें मित्र का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। सुकरात के कथनानुसार “मित्रता करने में शीघ्रता मत करो, परन्तु करो तो अंत तक निभाओ।” चापलूसी और झूठी प्रशंसा करने वाला . सच्चा मित्र नहीं होता। कई व्यक्ति अपना स्वार्थ साधने के लिए ही मित्रता का होंग करते हैं हमें उनसे सावधान रहना है। कई बार हम ऊपरी

दिखावे के वशीभूत होकर भी मित्र बना बैठते हैं और बाद में पछताते हैं। मित्र बनाने से पहले उसके आचरण पर ध्यान देना चाहिए। मित्र गरीब भले हो, पर लालची नहीं होना चाहिए। श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता का आदर्श हमारे सम्मुख हैं। मित्र का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। दुष्ट मित्र पैरों में बंधी चक्की के समान होता है जो हमें विनाश के गर्त में धकेल देता है वहीं एक उत्तम आचरण युक्त सच्चा मित्र हमें सदैव उन्नति के मार्ग पर ले जाता है। उसका मार्गदर्शन कल्याणकारी होता है। कुछ व्यक्तियों का मानना है कि मित्रता के लिए स्वभाव और आचरण की समानता आवश्यक है, परन्तु दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में भी बराबर प्रीति और मित्रता सफल रही है। सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात है।

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अथवा

मानव जीवन विभिन्न अवस्थाओं से गुज़रता है बचपन, युवावस्था और वृद्धावस्था । से होता हुआ मानव अपना जीवन व्यतीत करता है। कभी-कभी मानव के जीवन में ऐसी घटनाएँ घटती हैं जो अपनी अमिट छाप हमारे दिलो-दिमाग पर छोड़ जाती हैं। जब कभी ये घटनाएँ याद आती हैं तो हमारे सामने जीवन्त रूप में प्रकट होकर रोमांचित कर देती हैं। यह सत्य है कि मनुष्य का बचपन उसकी सबसे सुखद अवस्था होती है।

इस दौरान घटी कई ऐसी घटनाएँ होती हैं जो अचानक ही मन को खुशी का एहसास करा देती है, एक बार मेरे भाई साहब अपने कॉलेज के वार्षिकोत्सव में एक नाटक में अभिनय कर रहे थे वे शहर के एक कॉलेज में पढ़ते थे। मैं उनकी बातें सुनने को उत्सुक रहता। मैंने उनके वार्षिकोत्सव में उनके साथ चलने का आग्रह किया। उस दिन प्रातः काल ही उठकर मैं उनके साथ कॉलेज जाने को तैयार हो गया। उस समय मेरी उम्र 6-7 साल थी भाईसाहब मुझे अपने साथ लेकर मेकअप वाले कमरे में गए। वहाँ कई लड़के तैयार हो रहे थे लेकिन में यह देखकर अचंभित था कि वहाँ कोई लड़की तैयार होती नहीं दिखाई दे रही थी। मैंने सोचा लड़कियों के तैयार होने का कमरा दूसरा होगा।

कॉलेज का वार्षिकोत्सव नियत समय पर प्रारम्भ हुआ। मैं दर्शक दीर्घा में न बैठकर भाईसाहब के ही साथ था भाईसाहब के नाटक प्रस्तुति से कुछ समय पूर्व पता चला कि जिस छोटे लड़के को नाटक में बच्चा बनना था वह पेट दर्द के कारण अभिनय नहीं कर सकता। तब परेशान होकर सबने मुझसे अभिनय करने को कहा। मुझे केवल ‘माँ’ कहकर भागकर माँ के गले लगना था। मैं सहर्ष तैयार हो गया मेरा मेकअप कर तैयार करा गया। निर्धारित समय पर मुझे मंच पर भेजा गया।

जिसे ‘माँ’ कहना था वह वास्तव में एक औरत न होकर भाईसाहब का मित्र रमेश था। मैं उसे पहचान गया। पर्दे के पीछे से मास्टरजी मुझे संवाद बोलने का इशारा करने लगे पर मैं चुप रहा। दर्शकों में भी सन्नाटा छा गया। अंत में भाईसाहब ने मेरे पास आकर मुझे घूरते हुए ‘माँ’ कहने को धीरे से कहा तो मैंने कहा कि मैं इस भांड को कभी ‘माँ’ नहीं कह सकता। यह सुनते ही दर्शक जोर-जोर से हँसने लगे, तालियों और सीटियों की आवाज़ गूंजने लगी। मास्टरजी ने तुरन्त परदा गिरवा दिया। उस समय मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, इसलिए मैं रोने लगा। भाईसाहब ने मुझे बड़ी मुश्किल से शांत कराया। लेकिन आज मैं जब इस घटना को याद करता हूँ तो मेरे चेहरे पर बरबस ही हँसी आ जाती है कि ये भी क्या दिन थे?

आज इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में तनाव के पलों में लोग हँसने के लिए तरसते हैं वहीं इस प्रकार की घटनाएँ हमारे मन में खुशी ला देती हैं। हँसी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है, इसलिए ‘हैसो और हँसाओ’ हमारे जीवन का सिद्धांत होना चाहिए।

2. गुवाहटी नगर के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उनसे अपने मोहल्ले/ अपने क्षेत्र की सफाई कराने का अनुरोध कीजिए –
अथवा
अपने मोहल्ले में वर्षा के कारण उत्पन्न हुई जल भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
गुवाहटी नगर निगम,
गुवाहटी।
विषय : क्षेत्र की सफाई हेतु पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम अपने क्षेत्र की सफाई की समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं। हमारे मुहल्ले में सफाई व्यवस्था अत्यन्त खराब है। सफाई-कर्मचारी कई-कई दिन तक काम पर नहीं आते। मुहल्ले में मच्छरों की भरमार है। चारों ओर कूड़ा विखरा हुआ दिखाई देता है, नालियों में गदंगी भरी रहती है जिससे क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप फैलने की संभावना है। कूड़े में भोजन की खोज के लिए अनेक सुअर घूमते रहते हैं।

महोदय! आपसे प्रार्थना है कि मुहल्ले की सफाई-व्यवस्था को सन्तोषजनक बनाने की ओर ध्यान दें तथा सम्बन्धित अधिकारियों को उचित निर्देश दें, जिससे हमारे क्षेत्र की गंदगी की समस्या को सुलझाकर इस क्षेत्र के निवासियों को मलेरिया के प्रकोप से बचाया जा सके।
भवदीय
आर. के. मेहरोत्रा एवं अन्य क्षेत्रीय निवासी
गुवाहाटी नगर
दिनांक : 20.3.20……

अथवा

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी
नगरपालिका
आगरा
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम सब विद्युत नगर क्षेत्र के निवासी हैं। भयंकर वर्षा के कारण इस क्षेत्र में जगह-जगह पानी भर गया है। नालियों और सौवरों के बंद होने के कारण सड़कों की बिगड़ी हुई दशा के कारण जल पाइप कहीं-कहीं कट-फट गए है। आपके विभाग के संबंधित कर्मचारी बिल्कुल ही ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में चारों और जल भराव दिखाई दे रहा है। अतएस आपसे अनुरोध है कि आप इस दिशा मैं यथाशीघ्र उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करें।
भवदीय
विद्युत नगर क्षेत्र के निवासी
दिनांक : 6 मार्च 20xx

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3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) डायरी शैली में रचित हिन्दी उपन्यासों के नाम लिखिए ।
उत्तर:
डायरी एक सरल विधा मानी जाती है, क्योंकि उसे जिस बर्तन में डालिए उसी का आकार ग्रहण कर लेती है। कई उपन्यासों में इस विधा का रचनात्मक प्रयोग दिखाई पड़ता है। आत्मकथा और यात्रावृत्तान्त में भी इसका उपयोग हुआ
डायरी शैली में रचित प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित
अज्ञेय – नदी के द्वीप, 1951 ई., अपने-अपने अजनबी, 191 ई.
शैलेन्द्र कुमार – जयवर्द्धन, 1958 ई.
राजेन्द्र यादव – शह और मात, 1959 ई.
देवराज – अजय की डायरी, 1960 ई.
श्रीलाल शुक्ल – मकान, 1976 ई.

(ख) डायरी लेखन में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डायरी लेखन में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है, क्योंकि लेखक इसमें अपने मन की बातों का अंकन करता है। डायरी लेखक के मन का केन्द्र-बिन्दु होता हैं, जिसमें वह खुशी-गम, अच्छे-बुरे का लेखन करता है। डायरी लिखने से व्यक्ति के अन्दर अभिव्यक्त करने का हुनर भी आने लगता है। तनाव भी कम होता है और याददाश्त भी दुरुस्त होती है। लिखते-लिखते भाषा-शैली व शब्दावली भी निखरने लगती है। लिखने की आदत हमारे अन्दर धैर्य के गुण को जन्म देती है। जब हम लिखते हैं तो मन में विचार नहरना सीखते हैं। यदि अन्दर कोई गुस्सा या कुंग होती है, तो कागज़ तक
आते-आते काफी हद तक शान्त होने लगती है।

(ग) पटकथा के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
किसी फिल्म की पटकथा को किसी भी पूर्ववर्ती उपन्यास, नाटक, कहानी या उस सिनेमा विधा के लिए लिखी गई मूल रचना से रूपान्तरित किया जाता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि पटकथा दृश्य-श्रव्य और कथन-कला आदि को लक्ष्य करके लिखी जाने वाली विधा होती है।

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4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) विश्व ज्ञान कोश की उपयोगिता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
विश्व, कोश का उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में विकीर्ण कला एवं विज्ञान के समस्त ज्ञान को संकलित कर उसे व्यवस्थित रूप में सामान्य जन के उपयोगार्थ उपस्थित करना तथा भविष्य के लिए सुरक्षित रखना है। इसमें समाविष्ट भूतकाल की ज्ञान-विज्ञान की उपलब्धियाँ मानव सभ्यता के विकास के लिए साधन प्रस्तुत करती हैं। यह ज्ञान राशि मनुष्य तथा समाज के कार्य व्यापार की संचित पूँजी होती है। आधुनिक शिक्षा के विश्व में फैले स्वरूप ने शिक्षार्थियों एवं ज्ञानार्थियों के लिए सन्दर्भ ग्रन्थों का व्यवहार अनिवार्य बना दिया गया है।

विश्व कोश में संपूर्ण संदर्भों का सार निहित होता है इसलिए आधुनिक युग में इसकी उपयोगिता असीमित हो गई है। इसकी सर्वाधिक उपादेयता की प्रथम अनिवार्यता इसकी बोधगम्यता है। इसमें संकलित जटिलतम विषय से संबंधित निबंध भी इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है। कि वह सामान्य पाठक की क्षमता और उसके बौद्धिक स्तर के उपयुक्त तथा बिना किसी प्रकार की सहायता के बोधगम्य हो जाता है। उत्तम विश्व कोश ज्ञान के मानवीयकरण का माध्यम है।

(ख) हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हिंदी-अंग्रेजी शब्द कोश को द्विभाषी कोश भी कहा जाता है। इसमें हिंदी शब्दों के अर्थ के साथ-साथ उच्चारण आदि को भी अंग्रेजी भाषा मैं प्रस्तुत जाता है। चूँकि इस प्रकार के कोशों में प्रविष्ठियाँ हिंदी भाषा के शब्दों की होती हैं, इसलिए उन्हें हिंदी वर्णमाला के क्रमानुसार रखा जाता है। हिंदी शब्दों के साथ उनके उचित उच्चारण के लिए अंग्रेजी ध्वनि चिन्हों, भाषा एवं व्याकरणिक रूपों का संकेत चिह्न आदि भी प्रस्तुत किया जाता है। इस तरह के कोशों में कोशकार का यह प्रयास रहता है कि हिंदी भाषा के शब्दों को अंग्रेजी भाषा में पूरी तरह स्पष्ट किया जा सके।

हिंदी-अंग्रेजी शब्द कोश का निर्माण कार्य अठारवीं शताब्दी में ही अहिंदी भाषी विद्वानों द्वारा शुरू किया गया था। फर्गुसन, पैट्रिक, हैरिक, गिलक्राइस्ट के शब्दकोश इसी प्रकार के हैं। यद्यपि इन आरंभिक कोशों में कुछ न्यूनताएँ भी हैं जो आजकल के कोशों में सुधार ली गई हैं।

(ग) स्ववृत्त में अन्य योग्यताओं के अतिरिक्त कार्येत्तर गतिविधियों की चर्चा करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
स्ववृत्त कार्येत्तर गतिविधियों की चर्चा तब अहम् हो जाती है जबकि अधिक संख्या में आवेदन हों। इससे आवेदक को विशेष लाभ मिलता है, क्योंकि उसके पास अनुभव बताने के लिए विशेष होता है। यह उसे अग्रणी पंक्ति में ला खड़ा करता है।

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VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1

1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) कबीर ने ईश्वर की व्यापकता को कैसे समझाया है?
उत्तर:
कबीर ने एक ही ईश्वर को व्यापकता को निम्नलिखित तकों से समझाया है
1. संसार में सब जगह एक ही पवन व जल है।
2. सभी में एक ही ईश्वरीय ज्योति है।
3. एक ही मिट्टी से सभी वर्तनों का निर्माण होता है।
4. एक ही परमात्मा का अस्तित्व सभी प्राणों में है।
5. प्रत्येक कण में ईश्वर है।
6. दुनिया के हर जीव में ईश्वर व्याप्त हैं।

(ख) मीरा के पदों का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर:
पहले पद में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति प्रकट की है, जबकि व्यर्थ के कार्यों में व्यस्त लोगों के प्रति दुःख प्रकट किया है। कृष्ण भक्ति में मीरा ने अपने कुल की मर्यादा व लोकलाज़ भी भुला दी है। वह गिरिधर कृष्ण को ही अपना स्वामी मानती है। उसने आंसुओं से सींचकर कृष्ण प्रेम रूपी बेल बोकर बढ़ाई है। इसमें अब आनंद रूपी फल लगने लगे हैं। इस तरह उसने दही से घी निकाल लिया है व छाछ छोड़ दी है। संसार की लोलुपता और विवेकहीनता को देखकर मीरा रो पड़ती है।

वह कृष्ण से अपने उद्धार के लिए प्रार्थना भी करती हैं। दूसरे पद में, मीरा कृष्ण के प्रेम में डूब जाती हैं व सभी रीति-रिवाज़ों व बंधनों से मुक्त होना चाहती हैं। वह गिरिधर से स्नेह कर, अमर होना चाहती है। मीरा द्वारा पैरों में धुंधुरू बाँधकर कृष्ण के सामने नाचने के कारण लोग उसे बावरी कहते हैं। कुल के लोग कुलनाशिनी भी कहते हैं। राणा ने उन्हें विष का प्याला भी भेजा जिसे मीरा ने हँसते हुए पी लिया। मौरा कहती है कि उसके प्रभु सहज भक्ति से ही भक्तों को मिल जाते हैं।

(ग) कविवर भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित ‘घर की याद’ कविता का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
यह कविता सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन’ के दौरान लिखी गई है। कवि कारावास में था। वहाँ उसे अपने घर के प्रिय सदस्यों की याद आई। कविता का भाव इस प्रकार है-कषि कारावास में हैं। बाहर बरसात हो रही है। इस कारण उसके प्राण और मन घर को यादों में घिर गए हैं। उसे सबसे अधिक याद अपने पिता की आ रही है।

वह कल्पना करता है कि उसकी माँ ने उसके पिता को ढांढ़स बाँधते हुए कहा होगा कि भवानी अपने पिता की इच्छा जानकर ही कारावास में गया है, तब पिता ने आँसू रोक लिए होंगे। कवि सावन से प्रार्थना करता है कि वह चाहे कितना भी बरस ले, परन्तु उसके पिता के मन को दु:खी न करे। वह पिता को जाकर बताए कि उनका बेटा जेल में मस्त है। कवि उसे सावधान करते हुए कहता कि कहीं वह गलती से यह न कह दे कि जेल में उनका बेटा बहुत उदास, मौन और बेचैन है।

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2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) कबीर ने ऐसा क्यों कहा कि संसार बौरा गया है ?
उत्तर:
कबीर के अनुसार, संसार चौरा गया है। वह सच पर विश्वास नहीं करता और झूठे ढोंगों को मानता है। वह परमात्मा को जानने का प्रयत्न नहीं करता किन्तु व्रत, नियम, स्नान-ध्यान आदि का पालन करता है। वह कुरान पढ़ना, समाधि लगाना, पीपल-पत्थर पूजना, तीर्थ-व्रत करना, टोपी-माला, छापा-तिलक आदि का अनुगमन करता है। वह साखी गाना, शिष्य बनाना, हिन्दू-मुसलमान के भेद को मानना आदि डोंगों को भी स्वीकार करता है। परन्तु सच्चे परमात्मा को नहीं जानता। कबीर की दृष्टि से यह सब पागलपन है।

(ख) घर की याद कविता में पिता के व्यक्तित्व की किन-किन विशेषताओं को उकेरा गया है ?
उत्तर:
इस कविता में पिता के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताओं को उकेरा गया है। पिताजी की उम्र अधिक होने के बावजूद क्षण भर के लिए भी उन पर बुढ़ापे का असर नहीं था। उनमें इतनी अधिक चुस्ती-फुर्ती है कि वे अब भी दौड़ लगा लेते हैं। वे अब भी खिल-खिलाकर हँस पड़ते हैं, उनमें युवकों जैसा उल्लास है। वे इतने निडर और साहसी हैं कि मौत के सामने भी विचलित नहीं होते। शेर के सामने भी वे औंधी-तूफान की गति से काम करते हैं। वे धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और नित्य गीता का पाठ करते हैं। वह मन से भी विशाल हैं। उदार हैं। अत्यन्त सरल, भोले, सहदय और भावुक हैं। वे अपने परिवारीजनों से लगाव रखते हैं। उनसे किसी का भी रंचमात्र कष्ट भी नहीं देखा जाता। वे पक्के देशभक्त और बहादुर हैं।

(ग) लोग कहै, मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुल नासी मीरा के बारे में लोग (समाज) और न्यात (कुटुम्ब) की ऐसी धारणाएँ क्यों हैं ?
उत्तर:
मीरा एक राजपरिवार से थी और विधवा थीं। अतः कृष्ण के प्रेम में मस्त होकर सबके सामने नाचना व गाना राजकुल की मर्यादा का उल्लंघन माना जाता था। परिवारवालों का मानना था कि मीरा के इस प्रकार के आचरण से कुल को अन्य स्त्रियाँ भी पारिवारिक परम्पराओं का उल्लघंन करेंगी जो कुल के नाश का कारण बनेगा। अतः वे मीरा को कुल-नाशौ मानते थे जबकि मीरा द्वारा राजमहल के सुखसुविधाओं का त्याग कर संन्यासियों के समान कठिन जीवन का चुनाव करना व ईश्वरी भक्ति में लगे रहना समाज के लोगों को पागलपन लगता था। वे उसे बावरी समझते थे।

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3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 2 = 6)

(क) ‘नमक का दारोगा’ कहानी के माध्यम से कहानीकार क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
‘नमक का दारोगा’ कहानी के माध्यम से कहानीकार हमें यह संदेश देना चाहता है कि चाहे असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार आदि का कैसा ही अंधेरा क्यों न आच्छादित कर ले किंतु सत्य की चमक में वह शक्ति है कि वह इन दुराचारों को भेद सकता है। सत्य का स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ तक कि चोर भी ईमानदार कर्मचारी चाहता है।

इससे बढ़कर सत्य और ईमानदारी जैसे सद्गुणों का सम्मान क्या हो सकता है? इस कहानी में लेखक पाठकों के हृदय में मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था जगाना चाहता है। यह कहानी सत्य और सदाचार के प्रति आस्था उत्पन्न करती है। इस कहानी का एक संदेश यह भी है कि यदि आज भ्रष्टाचार के पर्वत को चकनाचूर करना है तो युवकों को आगे आना होगा। उन्हें भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने में कभी नहीं चूकना चाहिए। यह एक आदर्शवादी कहानी है जिसका संदेश यह है कि सत्य की विजय होती है।

(ख) नर सुल्तान नामक राजकुमार के गीत क्यों गाये जाते हैं?
उत्तर:
नर सुल्तान नाम का एक राजकुमार था। अपनी मुश्किल की घड़ी में कई साल सुल्तान ने नवरगढ़ नामक स्थान में काटे जहाँ उसने चौकीदारी से लेकर ऊँचे पद तक कार्य किया। नवरगड़ से जाते समय उसने आँखों में आँसू भरकर जिस रीति से नगर और नगरवासियों का अभिवादन किया और आभार प्रकट किया उसे देखकर नवरगढ़ वासी मुग्ध हो गए और तभी से नर सुल्तान नामक राजकुमार के गीत गाए जाने लगे।

(ग) वंशीधर को धनराम के शब्द क्यों कचोटते रहे?
उत्तर:
वंशीधर का पुत्र मोहन बचपन से ही मेधावी था। वंशीधर चाहते थे कि मोहन पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बने लेकिन परिस्थितिवश ऐसा न हो सका। एक दिन उन्होंने कहा कि मोहन की सेक्रेटेरियट में नियुक्ति हो गई है और शीघ्र ही वह बड़े पद पर पहुँच जाएगा। मोहन के बारे में जान धनराम ने कहा कि मोहन लला बचपन से ही बड़े बुद्धिमान थे। धनराम के यही शब्द वंशीधर को कचोटते रहे क्योंकि वे मोहन की वास्तविकता जान गये थे और लोगों से मोहन की प्रशंसा सुनकर उन्हें और दुःख होता था।

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4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) नमक का दरोगा’ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नमक का दरोगा कहानी के दो अन्य शीर्षक हो सकते है-
I. कर्तव्यपरायणता :
इस कहानी का मुख्य पात्र वंशीधर पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का पालन करता है। अलोपीदीन द्वारा दिए गए प्रलोभनों से भी विचलित नहीं होता और कर्तव्य का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए अलोपोदीन को जेल में भिजवा देता है। यद्यपि उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता है लेकिन अंत में उसकी कर्तव्यपरायण की जीत होती है अलोपीदीन स्वयं उसके घर आकर उसे अपनी जायदाद का मैनेजर नियुक्त करते हैं। इस तरह कर्तव्यपरायण’ शीर्षक सार्थक है।

II. सत्य की जीत : ‘नमक का दरोगा’ कहानी का नायक वंशीधर सत्य के मार्ग को धर्म का मार्ग मानता है और इसी राह पर चलते हुए अनेक कठिनाइयों से जूझता है पर सत्यता के कारण आलोपौदीन जैसा भ्रष्ट व्यक्ति भी अपनी हार स्वीकार करता है। इस कहानी का केन्द्रीय भाव भी सत्य की जीत के मूल्य को स्थापित करना रहा है।

(ख) नमक विभाग के दरोगा पद के लिए बड़ों-बड़ों का जी ललचाता था। वर्तमान समाज में ऐसा कौन-सा पद होगा जिसे पाने के लिए लोग लालायित रहते होंगे और क्यों?
उत्तर:
नमक विभाग में दरोगा के पद के लिए बड़ों-बड़ों का जी इसलिए ललचाता था क्योंकि इसमें ऊपर की आमदनी बहुत थी। वर्तमान में भी पटवारी, लेखाकार, आयकर, सीमाशुल्क आदि विभागों में रिश्वत की आमदनी अधिक होने के कारण लोग इन विभागों में पदासीन होने को लालायित रहते हैं।

(ग) लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?
उत्तर:
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन की कारीगरी को जानने और उसे प्रकाशित करने के उद्देश्य से उनके पास गई थी इसलिए उसने मियाँ से रोटियाँ खरीदने की बजाए उनसे कुछ प्रश्न किए। वह पत्रकार की हैसियत से वहाँ गई थी।