Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 8 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 8 with Solutions
समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
- उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
- उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।
रखण्ड’अ’ : अपठित बोध
I. अपठित बोध- (15 अंक)
(अ) अपठित गद्यांश
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)
विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात शक्ल से अत्यन्त कुरूप थे । एक दिन एकांगी बैठे वह दर्पण हाथ में लिए अपना मुँह देख रहे थे, तभी उनका एक प्रिय शिष्य कमरे में आया और सुकरात को दर्पण देखता पाकर बहुत आश्चर्यचकित हुआ। वह कुछ बोला नहीं, मात्र मुस्कराने लगा । विद्वान् सुकरात ने शिष्य की मुस्कराहट देखकर सब बात समझ ली। कुछ क्षणों के पश्चात् वे बोले, “मैं तुम्हारी मुस्कराहट का कारण जान गया हूँ। संभवत: तुम यह सोच रहे हो कि मुझ जैसा असुंदर व्यक्ति आखिर शीशा क्यों देख रहा है ?”
शिष्य मौन रहा। उसकी चोरी पकड़ी गई थी। उसका सिर लज्जा से झुक गया। वह धरती की ओर देखता खड़ा रहा। सुकरात ने पुनः बोलना आरम्भ किया, ” वत्स, शायद, तुम नहीं जानते कि मैं यह शीशा क्यों देखता हूँ ।” “नहीं गुरु जी” शिष्य ने कहा । “मैं कुरूप हूँ, इसलिए प्रतिदिन शीशा देखता हूँ । शीशा देखकर मुझे अपनी कुरूपता का भान हो जाता है। मैं अपने रूप को जानता हूँ इसलिए मैं प्रतिदिन प्रयत्न करता हूँ कि ऐसे अच्छे काम करूँ जिनसे मेरी यह कुरूपता ढक जाए ।” शिष्य को यह बड़ा शिक्षाप्रद लगा । किन्तु उसने स्वाभाविक शंका प्रकट की, “तब तो गुरु जी, सुंदर मनुष्यों को कदापि शीशा नहीं देखना चाहिए ।”
“ऐसी बात नहीं है।” सुकरात ने समझाते हुए कहा “उन्हें भी शीशा अवश्य देखना चाहिए। इसलिए ताकि उन्हें स्मरण रहे कि वे जितने सुंदर हैं, उतने ही सुंदर काम करें, अन्यथा बुरे काम उनकी सुंदरता को भी कुरूप बना देंगे।” शिष्य को गुरु की बात का रहस्य मालूम हो गया। वह गुरु के सम्मुख श्रद्धा से नतमस्तक हो गया ।
1. गद्यांश में किसे शक्ल से कुरूप कहा है? (1)
(क) अरस्तु
(ख) सुकरात
(ग) शिष्य
(घ) दर्पण
उत्तर:
(ख) सुकरात
2. शिष्य सुकरात को क्या करते देख मुस्कुराने लगा ? (1)
(क) हँसते देखकर
(ख) सोते देखकर
(ग) पढ़ते देखकर
(घ) दर्पण देखते हुए
उत्तर:
(घ) दर्पण देखते हुए
3. शिष्य के मौन रहने का कारण क्या था ? (1)
(क) चोरी पकड़े जाना
(ख) अहंकार
(ग) ईर्ष्या
(घ) प्रतिकार
उत्तर:
(क) चोरी पकड़े जाना
व्याख्या – सुकरात द्वारा दर्पण देखे जाने की प्रक्रिया को देख शिष्य को मुस्कराते हुए सुकरात ने देख लिया, इस कारण वह मौन रहा।
4. शिष्य की दृष्टि किस पर थी ? (1)
(क) आकाश पर
(ख) धरती पर
(ग) ब्रह्मांड पर
(घ) पाताल में
उत्तर:
(ख) धरती पर
व्याख्या – सुकरात द्वारा उसके मुस्कुराने की बात सुन वह अपनी चोरी पकड़ी जाने से स्तब्ध हो गया एवं लज्जा से वह धरती की ओर देखने लगा ।
5. शिष्य को कौन-सी बात शिक्षाप्रद लगी ? (1)
(क) अच्छे काम करने की
(ख) शीशा देखने की
(ग) ताने देने की
(घ) डराने की
उत्तर:
(क) अच्छे काम करने की
6. शिष्य ने किस बात की शंका प्रकट की ? (1)
(क) कभी-कभी देखने की
(ख) मिलने की
(ग) जाने की
(घ) सुंदर व्यक्ति के दर्पण न देखने की
उत्तर:
(घ) सुंदर व्यक्ति के दर्पण न देखने की
7. सुंदर व्यक्ति को किस बात का स्मरण रखना चाहिए ? (1)
(क) अपनी सुंदरता का
(ख) अच्छे काम करने का
(ग) बुराई का
(घ) गर्व का
उत्तर:
(ख) अच्छे काम करने का
व्याख्या – सुकरात ने सुंदर व्यक्तियों को भी दर्पण देखने को इसलिए कहा, जिससे उन्हें स्मरण रहे कि वे जितने सुंदर है, उतने ही सुंदर उन्हें काम करने हैं।
8. सुकरात की बात सुनकर शिष्य ने गुरु के प्रति क्या प्रकट किया? (1)
(क) श्रद्धा
(ख) आभास
(ग) क्रोध
(घ) अहसान
उत्तर:
(क) श्रद्धा
9. स्वाभाविक शब्द में प्रत्यय लगाइए- (1)
(क) स्वा
(ख) भाविक
(ग) इक
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) इक
10. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। (1)
(क) सुकरात की शिक्षा
(ख) शिष्य की शिक्षा
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सुकरात की शिक्षा
(ब) अपठित पद्यांश-
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 ×5 = 5)
मधुवाणी में शक्ति अपरिमित, वशवर्ती श्रोता हो जाता,
नयन चमक उठते पल भर में, मधु-धारा में मन खो जाता।
कुटिल शब्द अंतर – कानन में, चिरजीवी विष- बेल उगाते,
सदा-सदा के लिए हृदय में, घातक वैर-विरोध जगाते ।
मीठी भाषा परम औषधि, पीड़ा – व्यथा तुरत हर लेती,
गिरे हुए बिखरे – टूटे को, दे उत्साह खड़ा कर देती ।
तिमिरावृत अंतर घाटी में शब्द किरण आलोक जगाती,
मृत विश्वासों पर मृदु भाषा, अमृत फुहारें झट बरसातीं ।
एक शब्द भी थके पगों में अनायास ही पंख लगाता,
मधुर शब्द पल में श्रोता के अहंकार का गगन झुकाता ।
मित्र बोलकर तो देखो तुम एक शब्द से क्या कर सकते,
तनी परिस्थितियों को पल में मधुर शान्ति से तुम भर सकते ।
1. मधुर वाणी व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करती है ? (1)
(क) श्रोता वक्ता के वशीभूत हो जाता है
(ख) श्रोता वक्ता से क्रोधित हो जाता है
(ग) श्रोता अनुसना कर देता है
(घ) श्रोता वक्ता को गम्भीरता से नहीं लेता
उत्तर:
(क) श्रोता वक्ता के वशीभूत हो जाता है।
2. कठोर शब्दों पर श्रोता का क्या प्रभाव पड़ता है? (1)
उत्तर:
कठोर शब्द मनुष्य के हृदय रूपी वन में विष रूपी बेल बो देते हैं और सदा के लिए उसके मन में दुश्मनी तथा विरोध की भावना भर देते हैं ।
3. उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक दीजिए । (1)
उत्तर:
मधुर वाणी का प्रभाव
4. ‘तिमिरावत अंतर घाटी में शब्द किरण आलोक जगाती’, पंक्ति में अलंकार पहचानिए । (1)
(क) रूपक
(ख) पुनरावृत
(ग) अतिश्योक्ति
(घ) यमक
उत्तर:
(क) रूपक
5. मधुर वाणी से किस प्रकार व्यक्ति का अहंकार टूट जाता है? (1)
उत्तर:
मधुर वाणी से पल भर में ही विरोधी परिस्थितियाँ समाप्त हो जाती हैं और श्रोता का अहंकार रूपी गगन झुक जाता है। वह पृथ्वी पर आ जाता है।
अथवा
पथ बंद है पीछे अचल है पीठ पर धक्का प्रबल ।
मत सोच बढ़ चल तू अभय, ले बाहु में उत्साह – बल ।
जीवन – समर के सैनिको संभव असंभव को करो ।
पथ-पथ निमंत्रण दे रहा आगे कदम, आगे कदम |
ओ बैठने वाले तुझे देगा न कोई बैठने ।
पल-पल समर, नूतन सुमन – शय्या न देगा लेटने ।
आराम संभव है नहीं जीवन सतत् संग्राम है
बढ़ चल मुसाफिर धर कदम, आगे कदम, आगे कदम ।
ऊँचे हिमानी शृंग पर, अंगार के भ्रूभंग पर
तीखे करारे खंग पर आरंभ कर अद्भुत सफ़र
ओ नौजवां, निर्माण के पथ मोड़ दे, पथ खोल दे
जय हार में बढ़ता रहे आगे कदम, आगे कदम ।
1. कवि किसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है? (1)
(क) हर मानव को
(ख) सैनिक को
(ग) कली को
(घ) नागरिक को
उत्तर:
(क) हर मानव को ।
2. उपर्युक्त पद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए । (1)
उत्तर:
बढ़ता चल ।
3. ‘आराम संभव नहीं जीवन सतत् संग्राम है’ पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए । (1)
उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव है कि जीवन में आराम मिलना संभव नहीं है। हमारा जीवन एक युद्ध है जो कि निरंतर चलता ही रहता है। जीवन में सफलता पाने के लिए हम विघ्न-बाधाओं से लड़ते रहते हैं
4. अद्भुत सफ़र की विशेषता क्या है? (1)
उत्तर:
अद्भुत सफ़र की विशेषता यह है कि यह हिम से ढके पहाड़ों पर, ज्वालामुखी के लावे पर तथा तीखी तलवारों की नोक पर भी यह सफ़र चलता ही रहता है।
5. ‘जीवन – समर के सैनिकों’ में अलंकार है- (1)
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) श्लेष
उत्तर:
(ख) रूपक ।
II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न ।
1. जनसंचार के आधुनिक माध्यम प्राप्त हुए- (1)
(क) पुर्तगालियों
(ख) फ्रांसिसियों
(ग) अंग्रेज़ों
(घ) डच
उत्तर:
(ग) अंग्रेज़ों
2. जनसंचार माध्यमों द्वारा किसके कामकाज़ पर निगरानी रखी जाती है? (1)
(क) सरकार
(ख) ईश्वर
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(क) सरकार
3. अखबारी पत्रकारिता को अस्तित्व में आए कितने साल हो गए हैं? (1)
(क) 300
(ख) 400
(ग) 500
(घ) 600.
उत्तर:
(ख) 400
4. ‘बंगाल गज़ट’ किस स्थान से निकला ? (1)
(क) कलकत्ता
(ख) मुम्बई
(ग) दिल्ली
(घ) राजस्थान ।
उत्तर:
(क) कलकत्ता
5. हिन्दी का पहला साप्ताहिक पत्र कौन-सा है ? (1)
(क) बंगाल गजट
(ख) उदंत मार्तंड
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) उदंत मार्तंड
III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (5 अंक)
(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
रात भर गिरता रहा है,
प्राण मन घिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
घर नज़र में तिर रहा है,
घर कि मुझसे दूर है जो,
घर खुशी का पूर है जो,
1. सावन के महीने में क्या हो रहा है? (1)
(क) बारिश
(ख) ओस
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) बारिश
व्याख्या-सावन के महीने में वर्षा अधिक होती है, इसी का वर्णन कवि ने अपनी कविता में किया है।
2 बारिश को देखकर कवि को किसकी याद आ रही है? (1)
(क) परिजनों
(ख) दूर के मित्र
(ग) प्रियसी
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) परिजनों
3. कवि के घर में कैसा माहौल है ? (1)
(क) दुःखों
(ख) खुशियों
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) खुशियों
4. बारिश कब से हो रही है ? (1)
(क) सुबह
(ख) रात
(ग) दिन
(घ) शाम
उत्तर:
(ख) रात
5. घर की सुखद स्मृतियाँ कवि को क्या कर रही हैं? (1)
(क) मजबूर
(ख) व्याकुल
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) व्याकुल
(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
शूटिंग की शुरूआत में ही एक गड़बड़ हो गई। अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गाँव गए। वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं – इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी। यह सीन बहुत ही बड़ा था। एक दिन में उसकी शूटिंग पूरी होना नामुमकिन था । कम-से-कम दो दिन लग सकते थे। पहले दिन जागद्धात्री पूजा का त्योहार था । दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुंचता है। 1 × 5 = 5
1. अपू और दुर्गा पहली बार किसको देखते हैं? (1)
(क) बच्चों को
(ख) फ़िल्म को
(ग) रेलगाड़ी को
(घ) सभी को
उत्तर:
(ग) रेलगाड़ी को
2. रेल लाइन के पास किससे भरा एक मैदान था ? (1)
(क) आम
(ख) सेब
(ग) अंगूर
(घ) काशफूल
उत्तर:
(घ) काशफूल
व्याख्या-रेल लाइन के पास काश फूलों से भरा एक मैदान था।
3. अपू और दुर्गा को लेकर किस गाँव में गए ? (1)
(क) रालसिट
(ख) पालसिट
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) पालसिट
4. कितने दिनों में शूटिंग करना नामुमकिन था ? (1)
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(क) एक
5. दुर्गा के पीछे कौन दौड़ते हुए काशफूलों के वन में पहुँचा ? (1)
(क) लेखक
(ख) अपू
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) लेखक
IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग – 1 (10 अंक)
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 1)
1. अनुप मिश्र का जन्म 1948 में कहाँ हुआ ? (1)
(क) दिल्ली
(ख) आगरा
(ग) महाराष्ट्र
(घ) चेन्नई
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र
2. अनुपम जी गाँधी शाँति प्रतिष्ठान के पर्यावरण कक्ष में सम्बद्ध कब रहे? (1)
(क) 1976
(ख) 1977
(ग) 1978
(घ) 1979
उत्तर:
(ख) 1977
3. अनुपम मिश्र ने किन मुद्दों पर कई पुस्तकें लिखी हैं? (1)
(क) सामाजिक
(ख) राजनीतिक
(ग) पर्यावरण
(घ) धार्मिक
उत्तर:
(ग) पर्यावरण
4. किस पत्थर की पट्टी एक बड़े क्षेत्र से गुजरती है ? (1)
(क) खड़िया
(ख) कड़क
(घ) नरम
(ग) चूने
उत्तर:
(क) खड़िया
5. छोटे व्यास की कुंई में पानी कितने हाथ की ऊँचाई ले लेता है? (1)
(क) चार-पाँच
(ख) एक-दो
(ग) दो-चार
(घ) दो-आठ
उत्तर:
(ग) दो-चार
6. लेखक के अनुसार शास्त्रीय संगीत व चित्रपट संगीत की तुलना करना कैसा है ? (1)
(क) सार्थक
(ख) निरर्थक
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) निरर्थक
व्याख्या-लेखक के अनुसार शास्त्रीय संगीत व चित्रपट संगी की तुलना में बिल्कुल निरर्थक है।
7. शास्त्रीय संगीत का स्थायी भाव (1)
(क) गंभीरता
(ख) तेज़ लय
(ग) चपलता
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) गंभीरता
8. चित्रपट संगीत का स्थायी भाव क्या है ? (1)
(क) तेज़ लय
(ख) चपलता
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)
व्याख्या-चित्रपट संगीत का स्थायी भाव तेज लय और चपलता होती है।
9. पति से परेशान होकर बेबी हालदार कहाँ चलीं गईं? (1)
(क) फरीदाबाद
(ख) आगरा
(ग) मुम्बई
(घ) मेरठ
उत्तर:
(क) फरीदाबाद
व्याख्या-पति से परेशान होकर बेबी हालदार ने पति का घर छोड़ दिया और फरीदाबाद चली गई।
10. आलो – आँधारि ‘मूल’ कब से किस भाषा में लिखी गयी है? (1)
(क) उड़िया
(ख) बांग्ला
(ग) संस्कृत
(घ) तेलगु
उत्तर:
(ख) बांग्ला
खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)
1. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन (5 अंक)
1. ‘अक्ल बड़ी या भैंस’ विषय पर एक लेख लिखिए ।
अथवा
‘जातिवाद का ज़हर’ विषय पर एक लेख लिखिए।
अथवा
‘हम घड़ी के साथ एक झीण तंतु से जुड़े हैं, विषय पर एक लेख लिखिए ।
अथवा
‘त्योहारों के महत्त्व’ पर लेख लिखिए ।
उत्तर:
महात्मा गाँधी जैसे महापुरुष ने स्वतंत्रता संग्राम बिना अस्त्र-शस्त्रों से लड़ा था। उनका हथियार तो केवल सत्य और अहिंसा थे। जिस कार्य को शारीरिक बल न कर सका, उसे बुद्धि बल ने कर दिखाया। इसी कारण यह कहावत है कि अक्ल बड़ी या भैंस? केवल शारीरिक बल होने से कोई लाभ नहीं हुठाना करता। महाभारत के युद्ध में भीम और उसके पुत्र घटोत्कच ने अपनी शारीरिक शक्ति को भी दिशा-निर्देश देने वाली श्री कृष्ण की ही बुद्धि ही थी। नैपोलियन, लेनिन तथा मुसोलिनी जैसे, महान् व्यक्ति ने भी बुद्धि के बल पर ही सफलताएँ अर्जित की थीं।
अथवा
जहर जीवित शरीर को मोत की नींद सुला देता है ओर अगर शरीर की प्रतिरोध क्षमता के कारण वह ऐसा न कर पाए, तब भी शरीर की व्यवस्था में भयंकर उथल-पुथल मचा कर उसे अशक्त और बीमार तो बना ही देता है। मानव-समाज के जीवित शरीर में जातिवाद ने ऐसे ही ज़हर का काम किया है। हमारे जिन पुरखों ने कर्म के आधार पर वर्ण तय किए थे, उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि कल को यह विचार जन्मना जातिव्यवस्था में परिणत हो जाएगा और इसके चलते गर्भ में शिशु के आते ही उसकी नियति तय हो जाया करेगी।
अथवा
घड़ी अपनी जगह बिल्कुल स्थिर है, पता नहीं कब से, लेकिन चल रही है। उसके काँटों में एक अनवरत चक्रीय गति है। चक्र या वृत्त की न कोई शुरूआत होती है, न उसका अंत होता है। इस तरह इन काँटों की चक्रीय गति हमें बताती है कि समय अनादि अनंत है। घड़ी को दीवार के आसन पर बिठा कर मानो यही बताते रहने का ज़िमा सौपा दिया गया है कि समय लगातार बीत रहा है, पर खत्म होने के लिए नहीं। यह विरोधाभास-सा लगता है।
अथवा
भारतवासियों को स्वभाव से ही उत्सव प्रेमी माना जाता है। वह कभी प्रकृति की घटनाओं को आधार बनाकर तो कभी धर्म को आधार बनाकर त्योहार मानता रहता है। इन त्योहारों के अलावा यहाँ अनेक राष्ट्रीय पर्व भी मनाए जाते हैं। इनसे महापुरुर्षों के जीवन से हमें कुछ सीख लेने की प्ररेणा मिलती है। गाँधी जयंती हो या नेहारू जयंती इसके मनाने का उद्देश्य ही यही है। इस तरह त्योहार जहाँ उमंग तथा उत्साह भरकर हमारे अंदर स्फूर्ति जगाते है, वहीं महापुरुषों की जयंतियाँ हमारे अंदर मानवीय मूल्य को प्रगाढ़ बनाती हैं। दीपावली और दशहरा ऐसे त्योहार हैं जिन्हें पूरा भारत मनाता है।
2. (i) अपने क्षेत्र के पोस्टमास्टर साहब को इस आशय का पत्र लिखिए कि आपके क्षेत्र में डाक का वितरण ठीक नहीं हो रहा है?
अथवा
अपने नगर विकास प्राधिकरण के सचिव को अपनी कॉलोनी के पार्क के विकास के लिए मत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
पोस्टमास्टर साहब
डाकघर
आगरा
महोदय,
मैं कमला नगर की रहने वाली हूँ। इस पत्र के द्वारा
अपने क्षेत्र की डाक वितरण की अनियमितताओं की
ओर अपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। मान्यवर पिछले चार माह से इस क्षेत्र में डाक-वितरण का काम ठीक से नहीं हो रहा है। हमारे क्षेत्र के निवासियों की आम शिकायत है कि ये पोस्टमैन को साहब त्योहारों के अवसर पर बखरीश देने को माध्य करते हैं तथा न देने वालों की डाक गड़बड़ी कर देते हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप इस विषय में जाँच-पड़ताल कर डाक वितरण ठीक करने की कृपा करें।
धन्यवाद
भवदीय
पूनम बघेल
आगरा
दिनांक: 16-3-20xx.
अथवा
सेवा में,
सचिव
आगरा नगर विकास प्राधिकरण
आगरा
महोदय,
मैं आपका ध्यान आगरा महानगर के शक्तिनगर क्षेत्र के पार्क की अव्यवस्था और उपेक्षा की ओर ध्यान दिलाना चाहती हैं। इस क्षेत्र में आगरा विकास प्रधिकरण की ओर से पार्क के लिए स्थान छोड़ गए हैं। दु:ख और चिंता की बात यह है कि पार्कों के लिए इन छोड़ी हुई जगहों में कूड़ों के ढेर दिखाई देने लगे हैं। इससे बदबू आती है। आप हमारी कॉलोनी के समुचित स्थानों में पार्क की सुव्यवस्था शीघ्र करवा दें और हमें कृतार्थ करें।
भवदीय
शक्तिनगर निवासी
पूनम बघेल
दिनांक : 18 अप्रैल, 20xx.
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)
1. पटकथा का स्रोत कहाँ से मिलता है ?
उत्तर:
पटकथा का स्रोत कुछ भी हो सकता है। हमारे स्वयं के साथ घटी कोई घटना अथवा हमारे आस-पास घटी कोई घटना भी पटकथ का आधार बन सकती है। इसके अतिरिक्त अखबार में छपा कोई समाचार, हमारी कल्पना से अपनी कोई कहानी, इतिहास में वर्णित कोई व्यक्तित्व, कोई सच्चा किस्सा अथवा साहित्य की किसी प्रसिद्ध रचना पर पटकथा लिखी जा सकती है।
2. पटकथा की संरचना कैसे होती है ?
उत्तर:
फिल्म तथा दूरदर्शन की पटकथा में पात्र-चरित्र, नायक, प्रतिनायक, घटनास्थल, दृश्य, कहानी का क्रमिक विकास आदि सभी कुछ होता है। इसमें छोटे-छोटे दृश्य, असीमित घटनास्थल होते हैं। इसकी कथा फ्लेशबैंक तकनीक से किसी भी प्रकार से प्रस्तुत की जाती है। फ्लेशबैक में अतीत में हो चुकी और फ़्लैश फ़ॉरवर्ड से भविष्य में होनी वाली घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
3. डायरी का क्या उपयोग है?
उत्तर:
डायरी के प्रत्येक पृष्ठ पर एक तिथि होती है तथा शेष पृष्ठ खाली होता है। इस खाली पृष्ठ का उपयोग उस तिथि विशेष से संबंधित सूचनाओं अथवा निजी बातों को लिखने के लिए किया जाता है। किसी विशेष तिथि पर यदि हमें कोई विशेष कार्य करना है अथवा कहीं जाना है तो उससे संबंधित सूचना पहले से ही उस तिथि वाले पृष्ठ पर लिख दी जाती है।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) लिखिए-
(क) शब्दकोश में शब्द से हमारा क्या अभिप्राय है? शब्दों के भेदों के नाम बताइए । (2)
उत्तर:
शिक्षा शब्दकोश में शब्द के अर्थ को इस प्रकार स्पष्ट किया है-“शब्द वाचिक अभिव्यक्ति की लघुत्तम इकाई है, जो अर्थ रखती है और विचार संप्रेक्षित करती है।
एक से अधिक ध्वनियों से शब्द बनता है। इस प्रकार शब्द से हमारा अभिप्राय उस ध्वनि समूह से है, जिसमें भाव बोधन एवं अर्थवहन की क्षमता हो। शब्द विभक्ति रहित होते हैं, जिन्हें प्रतिपादिक भी कहा गया है।
शब्दों के भेद-
(क) शाब्दिक अर्थ की दृष्टि से
1. सार्थक
2. निरर्थक
(ख) ध्वनि की दृष्टि से
1. ध्वन्यात्मक शब्द
2. वर्णनात्मक शब्द
(ग) रचना की दृष्टि से
1. रूद्र शब्द
2. यौगिक शब्द
3. योग रूढ़
(घ) रूपान्तर की दृष्टि से
1. विकारी
2. अविकारी ।
(ङ) उत्पत्ति की दृष्टि से
1. तत्सम् शब्द
2. तद्भव शब्द
3. देशज शब्द
4. विदेशी शब्द
5. शंकर शब्द
(च) व्याकरण की दृष्टि से
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया
5. क्रिया विशेषण
6. सम्बन्ध बोध
7. समुच्चय बोधक
8. विस्मयादि बोधक शब्द
(छ) अर्थक्षमता की दृष्टि से
1. एकार्थक शब्द
2. समानार्थक शब्द
3. विलोम शब्द
(ख) शब्द कोश में दिए गए निम्नलिखित संकेतों के पूर्ण शब्द लिखिए-
(+), (अ.), (अ, क्रि. ) . ( अप्र.), अल्प., (आ.), (आयु.), (इ), (उ.), (उप.), ( उपनि. ), ( कवि. – कौ.), (का.), (कौ.), (ग), (गी.), (ग्रा.), (चि.), (ज.), (जै.), (ज्या.) । (2)
उत्तर:
(+) – स्थानिक
(अ.) – अव्यय
(अ. क्रि.) – अकर्मक क्रिया
(अप्र.) – अप्रचलित
अल्प. – अल्पसूचक (लघु रूप सूचक)
(आ.) – आधुनिक
(आयु.) – आयुर्वेद
(इ.) – इत्यादि
(उ.) – उदाहरण
(उप.) – उपसर्ग
(उपनि.) – उपनिषद्
(कवि.-कौ.) – कविता कौमुदी (रामनरेश त्रिपाठी)
(का.) – कानून
(कौ.) – कौटिल्य
(ग.) – गणित
(गी.) – गीता
(ग्रा.) – ग्राम्य
(चि.) – चित्रकारी
(ज.) – जरमन
(जै.) – जैन साहित्य
(ज्या.) – ज्यामिति
(ग) सन्दर्भ ग्रन्थ कितने प्रकार के होते हैं ? (2)
उत्तर:
उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त की अहम भूमिका होती है। इसके माध्यम से उम्मीदवारों की गुणवत्ता का मूल्यांकन स्वतः किया जा सकता है। व्यक्ति के संक्षिप्त और स्पष्ट मूल्यांकन का सर्वश्रेष्ठ आधार स्ववृत्त को माना गया है।
VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1
1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) मीरा के पदों की क्या विशेषताएँ हैं ? (3)
उत्तर:
मीरा के पद कृष्ण-प्रेम में डूबे हुए हैं। उनके पदों में प्रेम की गम्भीर अभिव्यक्ति है। इसमें विरह की वेदना भी है और मिलन का उल्लास भी। मीरा के पद सादगी व सरलता का गुण लिए हुए हैं। अपने पदों में उन्होंने लोकलाज़ या फिर कुल की मर्यादा के नाम पर लगाए गए सामाजिक या वैचारिक बंधनों का विरोध किया है। उन्होंने पर्दा प्रथा को भी नहीं माना। सार्वजनिक रूप से उन्होंने मंदिर में नाचने-गाने में भी कोई हिचक महसूस नहीं की। उनके पदों में मूल रूप से दर्द व्याप्त है। उनकी भाषा मूल रूप से राजस्थानी है। उस पर ब्रजभाषा का भी प्रभाव है।
(ख) परमात्मा के स्वरूप के बारे में कबीर के विचार बताइए । (3)
उत्तर:
कबीर के मतानुसार, परमात्मा एक है। जो लोग संसार और परमात्मा को भिन्न मानते हैं, वे अज्ञानी हैं। वे कहते हैं कि समस्त संसार में एक ही परमात्मा का निवास है। लोग बाह्य आडम्बरों में उलझकर उनके सहारे ईश्वर को मंदिर, मस्ज़िद आदि देवस्थानों पर ढूँढ़ते हैं लेकिन सहज भाव से ईश्वर प्राप्ति का प्रयास नहीं करते।
सम्पूर्ण संसार का निर्माण उसी ने किया है। उसके द्वारा निर्मित जीवों का रूप तो अलग-अलग है, लेकिन उन सबकी आत्मा में परमात्मा का अंश अवश्य रहता है। कबीर की दृष्टि में परमात्मा मूल तत्व है। वह सारे जगत और अस्तित्व में उसी तरह निवास करता है जिस प्रकार लकड़ी में अग्नि निवास करती है। जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को काट सकता है, परन्तु उसमें निहित अग्नि को नष्ट नहीं कर सकता, उसी प्रकार मनुष्य का शरीर नश्वर है, किन्तु उसके भीतर निवास करने वाला परमात्मा अमर है। परमात्मा से साक्षात्कार करने वाला मनुष्य सभी दुर्गुणों व दोषों से मुक्त एवं निर्भय हो जाता है।
(ग) कवि सावन को कौन – सा झूठा संदेश भेजने को कहता है ? वह उससे क्या आग्रह करता है ? (3)
उत्तर:
कवि जेल में रहते हुए अपने परिवार से दूर होने के कारण दुःखी था। उस समय तेज़ वर्षा भी हो रही थी जो उसके दुःख को और अधिक बढ़ा रही थी। कवि उस समय सावन को अपना दूत बनाकर उसे अपने माता-पिता के पास झूठा संदेश देने के लिए भेजता है। वह उनका दु:ख कम करने के लिए सावन से निवेदन करता है कि उसके माता-पिता को जाकर कहे कि वह वहाँ पर (जेल में) बहुत खुश है और अपने काम में व्यस्त रहता है। वह बहुत सारा भोजन भी करता है। उसे वहाँ कोई कष्ट या दुःख नहीं है। कवि अपने माता-पिता को दुःखी होते हुए, व्यथित होते हुए नहीं देख सकता इसलिए वह सावन को कहता है कि वह उसके माता-पिता को यह सच्चाई नहीं बताए कि वह निराश व दु:खी है बस वह जाकर उसके परिवार को धैर्य बँधाए कि वे उसके जेल में होने का शोक न करें।
2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) कवि ने अपनी माँ के संबंध में क्या विचार व्यक्त किए हैं ? (2)
उत्तर:
कवि अपनी माँ से बहुत प्रेम करता है। कवि की माँ पढ़ी-लिखी नहीं है अन्यथा वह उसे अवश्य पत्र लिखती क्योंकि माँ भी उससे बहुत प्रेम करती है। माँ अपने पुत्र के दूर होने से व्याकुल होगी। कवि माँ के साथ बिताये पलों को याद करता हुआ कहता है कि मेरी माँ ममता व स्नेह से भरी है। उसके पास पहुँचते ही वह मेरे सारे दुखों को दूर करने हेतु तत्पर हो जाती है। उसकी ममता का स्पर्श मैं यहाँ भी अनुभव कर रहा हूँ।
(ख) संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है, अपनी कल्पना से लिखिए । (2)
उत्तर:
संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को असहनीय वेदना से गुज़रना पड़ता है। उसे इन कार्यों के लिए किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति को तलाशना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति से भी पत्र लिखवाते समय वह लोकलाज़ व विश्वसनीयता के भंग होने के भय से सभी बातें नहीं लिखवा और पढ़वा पाती। वह उपसहाय बनी रहती है। उसके मन में स्वजनों के प्रति बेचैनी बनी रहती हैं तथा विरह की आग में जलती रहती है।
(ग) क्या अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीस कहा जा सकता है ? (2)
उत्तर:
अक्क महादेवी को ‘कन्नड की मीरा’ कहा जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार मीरा कृष्ण की उपासिका थीं और उन्होने स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया था वैसे ही अक्क महादेवी शिव की उपासिका थीं और वे भी प्रभु भक्ति में लीन हो गई थीं। दोनों ही राजपरिवार से थीं और विवाहिता थीं दोनों ने ही सामाजिक बन्धनों का खंडन किया। दोनों ने ही साहित्य के क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई। दोनों में सांसारिक पदार्थों से विरक्ति का आभास मिलता है अतः इस आधार पर कहा जा सकता है कि दोनों में बहुत समानता थी।
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘नमक का दरोगा’ कहानी के नायक की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए । (3)
उत्तर:
वंशीधर ‘नमक का दरोगा’ कहानी का मुख्य नायक है।उसके चरित्र की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) कर्त्तव्यनिष्ठ – वंशीधर कर्त्तव्यनिष्ठ दरोगा है। देर रात तक वह अपनी ड्यूटी के लिए चौकन्ना रहता है। वह मौके पर जाकर भी अपने कर्त्तव्य को अच्छी तरह समझता है।
(2) लोभ से रहित – वंशीधर में नाम का भी लोभ नहीं है। जबकि पैसा बड़े-बड़ों को डिंगा देता है। अलोपीदान की रिश्वत को वह ठुकरा देता है।
(3) कठोर एवं दृढ़ चरित्र – वंशीधर कठोर स्वभाव का दृढ़ चरित्र अफसर है। वह अपनी बात मनवाने के लिए पूरे रौब- दाव से काम लेता है। उसके मन में अपराधी के प्रति ज़रा भी दया भाव नहीं है।
(ख) मियाँ नसीरुद्दीन के नानबाई का मसीहा बनने की यात्रा का वर्णन कीजिए । (3)
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन के वालिद (पिता) मियाँ बरकत शाही नानबाई गढ़ैयावाले के नाम से प्रसिद्ध थे। नसीरुद्दीन ने नानबाई का कार्य उन्हीं से सीखा। शुरुआत में वे अपने पिता के साथ कार्य करते हुए बर्तन धोते, भट्टी बनाते और भट्टी को ऑच देते हुए धीरे-धीरे आटा गूंथना से लेकर रोटी बनाना सीखे। पिता की मृत्यु हो जाने के बाद वे स्वयं नानबाई का काम करने लगे। अनुभवी बनाने में महारत हासिल कर पाये और इस तरह वे नानबाई के मसीहा कहलाये ।
(ग) ‘जामुन का पेड़ ‘ पाठ के आधार पर सरकारी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली का उल्लेख कीजिए । (3)
उत्तर:
‘जामुन का पेड़ ‘ पाठ में सरकारी कर्मचारियों की टालू शैली के बारे में बताया गया है। सरकारी कर्मचारियों के सरकारी कार्यालयों में अफसरशाही और चमचागिरी तथा जी-हुज़ूरी इतनी अधिक है कि जिसके कारण छोटे-से-छोटे काम भी नहीं हो पाते। किसी भी कार्य को करने के लिए क्लर्कों को अफ़सर के आदेश की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कागज़ी कार्यवाही होती है। फाइल इ र से उधर घूमती रहती हैं परन्तु निपटती नहीं हैं।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) ‘नमक का दरोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं ? (2)
उत्तर:
‘नमक का दरोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन, जो इलाके के सबसे प्रतिष्ठित ज़मींदार थे, के व्यक्तित्व के दो पहलू उभरकर हमारे सामने आते हैं-
पहला, जब वे मुंशी वंशीधर के द्वारा गैर-कानूनी रूप से नमक को ले जाने के कारण पकड़े जाते हैं, तब वे अपने धन के बल पर मुक्त हो जाते हैं।
दूसरा, मुंशी वंशीधर की ईमानदारी व धर्मनिष्ठता से प्रभावित होकर अपनी पूरी जायदाद का मैनेजर नियुक्त करने स्वयं उसके घर जाकर आग्रह करते हैं।
(ख) मियाँ नसीरुद्दीन को ‘नानबाइयों का मसीहा’ क्यों कहा गया है ? (2)
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन साधारण नानबाई नहीं थे। वे खानदानी नानबाई थे। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर था। वे तुनकी और रूमाली जैसी महीन रोटियाँ बनाना जानते थे। वे रोटी बनाने को एक कला मानते थे तथा स्वयं को इस कला का उस्ताद कहते थे। उनकी बातचीत का ढंग भी महान कलाकारों जैसा था- आत्मविश्वास और फक्कड़पन से भरपूर इसलिए उन्हें ‘नानबाइयों का मसीहा’ ठीक ही कहा गया है।
(ग) ‘भूलो’ की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया ? उसने फिल्म के किस दृश्य को पूरा किया ? (2)
उत्तर:
लेखक को ‘भूलो’ के माध्यम से गमले में भात रखने वाला दृश्य चित्रित करना था परन्तु उस समय तक सूर्य की रोशनी खत्म हो चुकी थी और लेखक के पास पैसे भी खत्म हो गये थे इसलिए इसके बाद का दृश्य छह महीने बाद दर्शाया गया। ‘भूलो’ की जगह दूसरा कुत्ता लाया गया क्योंकि उस समय तक भूलो की मृत्यु हो गई थी। उस कुत्ते ने गमले में पड़े भात को खाया और दृश्य को पूरा किया।