CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 9 with Solutions

Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 9 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 9 with Solutions

समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80

सामान्य निर्देश :

  1. प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
  4. उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  5. एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
  6. उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।

रखण्ड’अ’ : अपठित बोध

I. अपठित बोध- (15 अंक)

(अ) अपठित गद्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)

यह युग वैज्ञानिक युग कहा जाता है। विज्ञान ने कितनी ही बाह्य सुविधाओं को जुटाया है और वह इनमें निरंतर वृद्धि भी करता जा रहा है, परन्तु यह वृद्धि आंतरिक संतोष, शांति और आनंद के बिना अधूरी और एकांगी जान पड़ती हैं। विज्ञान हमें भौतिक दृष्टि से समृद्ध बना रहा है, किन्तु हम अनुभव कर रहे हैं कि सुख-समृद्धि के बावजूद भी हमारी भूख बढ़ रही है, हम सदा अतृप्त ही रहते हैं और कहना चाहिए हमारे संतोष और शांति की संपदा में वृद्धि के बदले हमें उसका ह्रास होता दिखाई दे रहा है। इसकी वजह क्या है? विचार करने पर जान पड़ता है कि हम आचार-धर्म की अपेक्षा व्यापार-धर्म में अधिक प्रवृत्त हो गए हैं। अपनी आंतरिक सत्ता से विमुख हो हम बाह्याडम्बर और बाह्य उपलब्धियों के पीछे पड़े हुए हैं। बाह्य उपकरणों और बाह्य सत्ता को तो हम स्वीकार करते हैं, किन्तु अपनी शांति और संतोष के वास्तविक सूत्र अपनी आंतरिक सत्ता को हम भुलाए बैठे हैं। हमें बाह्य लक्ष्य के साथ अपने आंतरिक लक्ष्य को भी प्राप्त करना होगा। जिस प्रकार बाह्य लक्ष्य की प्राप्ति का साधन कर्म है, उसी प्रकार आंतरिक लक्ष्य की प्राप्ति का साधन धर्म है। यहाँ ‘धर्म’ शब्द का उपयोग ‘रिलीजन’ अथवा ‘मजहब’ के रूप में नहीं किया जा रहा है। जिस प्रकार विज्ञान न हिंदू है और न मुसलमान। उसी प्रकार धर्म भी न हिंदू है और न मुसलमान। विज्ञान का संबंध है पदार्थ से और धर्म का संबंध है आत्मिकता से। विज्ञान अपनी खोज से अणुशक्ति पर पहुँचा है, धर्म आत्मशक्ति पर । स्पष्ट है आत्मशक्ति अणुशक्ति से कहीं अधिक सबल, सशक्त और महान् है। चेतन शक्ति के सशक्त, संयमित और सुदृढ़ होने पर ही आत्मशक्ति जन्म लेती है। विज्ञान से हमारे आधिभौतिक सुख-साधन बढ़ जाएँ, पर हम उससे उस वास्तविक आनंद को प्राप्त नहीं कर सकते, जिससे हमारे अन्त: का संबंध है। इस प्रकार जीवनरूपी गाड़ी के दोनों चक्रों को समान गति से चलाने के लिए मानव-जीवन में दोनों का उचित संतुलन आवश्यक है।

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1. इस युग को वैज्ञानिक युग क्यों कहा गया है? (1)
(क) आविष्कार
(ख) बाह्य सुविधाओं
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।

व्याख्या-इस युग को वैज्ञानिक युग इसलिए कहा जाता है, क्योंकि विज्ञान ने बाह्य सुविधाओं को जुटाया है और वह इनमें निरंतर वृद्धि भी करता जा रहा है। आधुनिक युग में विज्ञान की उपयोगिता एवं साधनों के आविष्कार ने इस युग को वैज्ञानिक युग कहलवा दिया है।

2. आधुनिक मानव असंतुष्ट क्यों है? (1)
(क) बाह्याडंबर
(ख) बाह्य उपलब्धियाँ
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।

व्याख्या-आधुनिक मानव आंतरिक सत्ता से विमुख होकर केवल बाह्यडंबर और बाह्य उपलब्धियों को अधिक-सेअधिक प्राप्त करने में लगा हुआ है। अतः सुख-समृद्धि के उपरांत भी वह असंतुष्ट है।

3. मानव जीवन में किसका ह्रास हो रहा है? (1)
(क) संतोष
(ख) शान्ति
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।

4. आंतरिक लक्ष्य से क्या तात्पर्य है? (1)
(क) आंतरिक संतोष
(ख) भौतिक समृद्धि
(ग) बाह्य संतोष
(घ) सभी
उत्तर:
(क) आंतरिक संतोष।

5. वैज्ञानिक युग में मानव क्या भुलाए बैठा है? (1)
(क) मानव शांति
(ख) संतोष
(ग) आंतरिक सत्ता
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी।

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6. आंतरिक लक्ष्य की प्राप्ति का साधन क्या है? (1)
(क) कर्म
(ख) धर्म
(ग) धर्न
(घ) सभी
उत्तर:
(ख) धर्म।

7. गद्यांश के. अनुसार धर्म का अर्थ है- (1)
(क) आत्मशक्ति
(ख) आत्मिकता
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

8. मानव को आत्मशक्ति कब प्राप्त होती है? (1)
(क) चेतनाशक्ति सशक्त हो
(ख) चेतनाशक्ति संयमित हो
(ग) चेतनाशक्ति सुदृढ़ हो
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी

9. गद्यांश का शीर्षक है- (1)
(क) विज्ञान की प्रगति
(ख) धर्म की प्रगति
(ग) धर्म और विज्ञान
(घ) सभी
उत्तर:
(ग) धर्म और विज्ञान

10. देह शब्द का पर्यायवाची है- (1)
(क) शरीर
(ख) काया
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

(ब) अपठित पद्यांशनिम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)

जब भी भूख से लड़ने
भूख से लड़ने कोई खड़ा हो जाता है
कोई खड़ा हो जाता है। सुन्दर दिखने लगता है।
सुंदर दिखने लगता है। झपटता बाज़,
फन उठाए साँप
दो पैरों पर खड़ी
काँटों से नन्ही पत्तियाँ खाती बकरी,
दबे पाँव झाड़ियों में चलता चीता,
डाल पर उल्टा लटक
फल कुतरता तोता
या इन सबकी जगह
आदमी होता।
जब भी
भूख से लड़ने
कोई खड़ा हो जाता है।
सुंदर दिखने लगता है।

1. प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक है- (1)
(क) भूख
(ख) थाली
(ग) पैर
(घ) सभी
उत्तर:
(क) भूख।

2. झपटते बाज़, फन उठाए साँप और दबे पाँव झाड़ियों में चलते चीते में कवि को सौदर्य क्यों नजर आता है ? (1)
उत्तर:
झपटते बाज, फन उठाए सौंप और दबे पाँव झाड़ियों में चलते चीते-इन सभी पशु-पक्षियों ने भूख से लड़ने के लिए परिश्रम किया और परिश्रम किसी के लिए भी एक अलंकार या आभूषण की तरह होता है। इस आभूषण से अलंकृत होने के कारण कवि को इन सभी पशु-पक्षियों में सौंदर्य नज़र आता है।

3. कवि ने विभिन्न पशु-पक्षियों को किन मुद्राओं में दिखाया है ? (1)
उत्तर:
कवि ने विभिन्न पशु-पक्षियों को झपटते हुए, फन उठाए हुए, दो पैरों पर खड़ा होता हुए, दबे पाँव झाड़ियों में चलते हुए, डाल पर उल्टा लटकते हुए-इन सभी मुद्राओं में दिखाया है।

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4. आदमी सुंदर कब दिखता है ? (1)
उत्तर:
जब भी कोई आदमी भूख से लड़ने के लिए खड़ा हो जाता है तो वह सुंदर दिखता है।

5. इस कविता से क्या प्रेरणा मिलती है? (1)
उत्तर:
इस कविता से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें परिश्रम द्वारा ही अपनी भूख को शांत करना चाहिए।

अथवा

जब कभी मछेरे को फेंका हुआ
फैला जाल
समेटते हुए, देखता हूँ
तो अपना सिमटता हुआ
‘स्व’ याद हो आता है-
जो कभी समाज, गाँव और
परिवार के वृहत्तर रकबे में
समाहित था
‘सर्व’ की परिभाषा बनकर
और अब केन्द्रित हो
गया हूँ, मात्र बिन्दु में
जब कभी अनेक फूलों पर
बैठी, पराग को समेटती
मधुमक्खियों को देखता हूँ
तो मुझे अपने पूर्वजों की
याद हो आती है,
जो कभी फूलों को रंग, जाति, वर्ग
अथवा कबीलों में नहीं बाँटते थे
और समझते रहे थे कि
देश एक बाग है,
और मधु-मनुष्यता
जिससे जीने की अपेक्षा होती है।
किन्तु अब
बाग और मनुष्यता
शिलालेखों में जकड़ गई है
मात्र संग्रहालय की जड़ वस्तुएँ।

1. ‘स्व’ शब्द से क्या अभिप्राय है ? (1)
(क) निजता
(ख) स्वयं
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।

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2. कवि का ‘स्व’ पहले कैसा था और अब कैसा हो गया है और क्यों? (1)
उत्तर:
कवि का ‘स्व’ पहले विस्तृत दायरे में फैला था जिसमें परिवार, समाज, गाँव सब आते थे परन्तु अब ‘स्व’ का दायरा सिमटकर एक ‘बिन्दु’ मात्र रह गया है, अर्थात् अब उसमें मात्र अपने को (स्वयं) ही शामिल करता है। क्योंकि मनुष्य स्वार्थ के इतने वशीभूत हो गया है कि उसने अन्य सभी को भुला दिया है।

3. उसके पूर्वजों की विचारधारा पर टिप्पणी लिखिए। (1)
उत्तर:
कवि के पूर्वजों की विचारधारा मधुमक्खी के समान थी। वे मनुष्यों को जाति, वर्ग में बाँटते नहीं थे, बल्कि वे. संपूर्ण संसार को एक बगीचे के रूप में देखते थे। उनकी दृष्टि में मनुष्यता एक मधु के समान थी। बाग-बगीचे विभाजित नहीं थे। बल्कि संपूर्ण संसार परिवार (कुटुंब) था।

4. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए- (1)
“और मनुष्यता
शिलालेखों में जकड़ गई है।”
उत्तर:
आज मनुष्यता पत्थरों में जकड़ कर रह गई है अर्थात् मनुष्य की संवेदनशीलता समाप्त हो गई है। वह शिला लेख की तरह सौमित कठोर कस्टर व जड़ जैसा हो गया है। मानवीय गुण और मनुष्यता लुप्त हो गयी है और मनुष्य जीवन को सहज रूप से जीना भूल गया है।

5. कवि ने भारत देश को बाग की उपमा क्यों दी है? (1)
उत्तर:
जिस प्रकार बाग तरह-तरह के फूलों से मिलकर बना होता है उसी प्रकार हमारा देश भी तरह-तरह के धर्म, जाति, वर्ग के लोगों से मिलकर बना है और सब यहाँ मिल-जुल कर प्रेम पूर्वक रहते हैं।

II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न। (1 × 5 = 5)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।

1. बहुत अल्प समय के लिए किसी समाचार संगठन में कार्य करने वाली पत्रकारिता कहलाती है- (1)
(क) पेज थ्री
(ख) पीत पत्रकारिता
(ग) अंशकालिक
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) अंशकालिक

व्याख्या-अंशकालिक पत्रकारिता में पत्रकार निश्चित मानदेय के आधार पर किसी समाचार संगठन के लिए कार्य करता है, जबकि पीत पत्रकारिता पेज थ्री का ही दूसरा नाम है। इसमें सनसनीखेज अथवा व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप, अनैकमेलिंग आदि के विचार से प्रकाशित समाचार होते हैं।

2. लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ किसे कहा जाता है ? (1)
(क) संविधान
(ख) न्यायपालिका
(ग) विधायिका
(घ) प्रेस/मीडिया
उत्तर:
विकल्प (घ) सही है।

व्याख्या-प्रेस/मीडिया द्वारा जनता को निरंतर जागरूक करने और शासन की कमियों को उजागर करने के कारण यह लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है।

3. संपादन का सिद्धान्त है- (1)
(क) तथ्यों की शुद्धता
(ख) वस्तुपरकता
(ग) निष्पक्षता
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

व्याख्या-पत्रकारिता की साख बनाए रखने के लिए तथ्यों की शुद्धता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता, सन्तुलन व स्रोत आदि सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक होता है।

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4. जनसंचार के माध्यमों का लोगों पर कैसा प्रभाव पड़ता है? (1)
(क) सकारात्मक
(ख) नकारात्मक
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या-जनसंचार माध्यमों का लोगों पर सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। इन नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों का सचेत होना ज़रूरी

5. जनसंचार के माध्यम से सूचनाओं और विचारों के द्वारा किसका एजेंडा तय करते हैं? (1)
(क) देश
(ख) समाज
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या-जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के जरिये किसी देश और समाज का एजेंडा तय करते हैं।

III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)

(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

हम तौ एक एक करि जांनां।
दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचाना ।।
एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समाना।
एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै कुम्हरा साना॥

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तू ही व्यापक धरै सरूपै सोई॥
माया देखि के जगत लुभांना काहे रे नर गरबाना।
निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवाना ।।

1. प्रस्तुत पद के कवि कौन हैं? (1)
(क) सूरदास
(ख) जायसी
(ग) तुलसीदास
(घ) कबीर
उत्तर:
(घ) कबीर

2 कबीर ने किस-किस को एक माना है? (1)
(क) राम
(ख) रहीम
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इसमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

व्याख्या-कवीर ने ‘राम’ (हिन्दुओं का परमात्मा) और ‘रहीम’ (मुसलमानों का खुदा) दोनों को एक माना है।

3. हिन्दू और मुसलमान दोनों को किसने बनाया है? (1)
(क) मनुष्य
(ख) ईश्वर
(ग) प्रकृति
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) ईश्वर

व्याख्या-कबीरदास के अनुसार सभी भिन्न रूपों में ईश्वर का ही निवास है। अतः हिन्दू-मुसलमानों को बनाने वाला ईश्वर

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4. इस पद में कुम्हार किसका प्रतीक है? (1)
(क) मनुष्य
(ख) प्रकृति
(ग) परमात्मा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) परमात्मा

व्याख्या-जैसे कुम्हार एक ही मिट्टी से अलग-अलग बर्तन बनाता है, वैसे ही परमात्मा भी एक ही तत्व से मनुष्य को भिन्न-भिन्न रूपों में डालता है।

5. जगत के मनुष्य किसे देखक्र मुग्ध हो जाते हैं? (1)
(क) धन
(ख) सम्पत्ति
(ग) सौन्दर्य
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

व्याख्या-जगत के मनुष्य सांसारिक मोहमाया के मायावी जाल में फंसकर, इस पर मुग्ध हो जाते हैं।

(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वर-प्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। अनेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपात हुआ, कोई घूस से काम निकालता था, कोई चालाकी से। अधिकारियों के पौ-बारह थे। पटवारीगिरी का सर्वसम्मानित पद छोड़-छोड़कर लोग इस विभाग की बरकंदाजी करते थे। इसके दारोगा पद के लिए तो वकीलों का भी जी ललचाता था। यह वह समय था, जब अंग्रेज़ी शिक्षा और ईसाई मत को लोगम एक ही वस्तु समझते थे। फारसी का प्राबल्य था। प्रेम की कथाएँ और शृंगार रस के काव्य पढ़कर फारसीदां लोग सर्वोच्च पदों पर नियुक्त हो जाया करते थे।

1. ‘नमक का दरोगा’ किस विधा की रचना है? (1)
(क) उपन्यास
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) निबन्ध
उत्तर:
(ख) कहानी

2. नमक को किसकी देन कहा गया है? (1)
(क) ईश्वर
(ख) माता
(ग) पिता
(घ) भाई
उत्तर:
(क) ईश्वर

व्याख्या-ईश्वर द्वारा प्रदान किए जाने के कारण नमक को ईश्वर की देन कहा गया है।

3. नमक बनाना किसके नियंत्रण में है? (1)
(क) ईश्वर
(ख) माता
(ग) पिता
(घ) सरकार
उत्तर:
(घ) सरकार

व्याख्या-अंग्रेजों के समय में नमक बनाना सरकार के नियंत्रण में था।

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4. उस समय नौकरी में उच्च पद प्राप्त करने के लिए किस भाषा का ज्ञान होना आवश्यक था? (1)
(क) हिन्द्री
(ख) संस्कृत
(ग) अंग्रेज़ी
(घ) फ़ारसी
उत्तर:
(घ) फ़ारसी

व्याख्या -उस समय नौकरी में उच्च पद प्राप्त करने के लिए फारसी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक था।

5. नमक के सरकारी नियंत्रण का दुध्यरिणाम क्या हुआ ? (1)
(क) कालाबाज़ारी
(ख) चोरी
(ग) भ्रष्टाचार
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

व्याख्या-नमक पर सरकारी नियन्त्रण से भ्रष्ट अधिकारियों ने नमक की कालाबाजारी व चोरी करना शुरू कर दिया।

IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-1 (10 अंक)

निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

1. किसने लता मंगेशकर की उन्नति को चमत्कार की संज्ञा दी (1)
(क) अनुपम मिश्र
(ख) कुमार गन्धर्व
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) कुमार गन्धर्व

व्याख्या-कुमार गन्धर्ष ने लता मंगेशकर की उन्नति को चमत्कार की संज्ञा इसलिए दी है क्योंकि चे आते ही अपने से पहले के सभी गायकों से बहुत आगे निकल गई।

2. लता मंगेशकर ने किस लय के गाने गाये हैं? (1)
(क) तेज़
(ख) धीमी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) तेज़

व्याख्या-संगीत-दिग्दर्शकों के अनुसार ही लता ने तेज़ लय के गाने गाये हैं।

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3. संगीत के क्षेत्र में लता का स्थान किस दर्जे का है? (1)
(क) अब्बल
(ख) द्वितीय
(ग) तृतीय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) अब्बल

व्याख्या-लता के गायन उनके स्वरों की निर्मलता कोमलता आदि के कारण उनका स्थान अव्वल दर्जे का है।

4. आलो-आँधारि की लेखिका हैं (1)
(क) सुभद्राकुमारी
(ख) महादेवी
(ग) सविता सिंह
(घ) बेबी हालदार
उत्तर:
(घ) बेबी हालदार

5. लेखिका अपने पति से अलग कितने बच्चों के साथ रहती थी? (1)
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
विकल्प (ख) सही है।

व्याख्या-लेखिका अपने पति से अलग किराए के मकान में अपने तीन छोटे बच्चों के साथ रहती थी।

6. किसने संगीत, नृत्य-अभिनय कलाओं को एक शास्त्रीय कला का स्वरूप दिया? (1)
(क) प्रकृति
(ख) मनुष्य
(ग) शास्त्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) शास्त्र

व्याख्या-शास्त्र ने ही संगीत, नृत्य-अभिनय कलाओं को एक शास्त्रीय कला का स्वरूप प्रदान किया।

7. चित्रकारी किस काल से हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही (1)
(क) वीरगाथा काल
(ख) मध्यकाल
(ग) प्राचीनकाल
(घ) आधुनिक काल
उत्तर:
(ग) प्राचीनकाल

व्याख्या-चित्रकारी प्राचीन काल से ही हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही हैं। जब हमारे पास भाषा नहीं थी तब भी चित्रकारी दी।

8. जब वर्षा होती है, तब प्रानी की बूंदें कहाँ इकट्ठी होती हैं? (1)
(क) रेत के बाहर
(ख) रेत के अन्दर
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) रेत के अन्दर

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9. अमृत जैसा पानी कहाँ जमा होने लगता है? (1)
(क) रेत में
(ख) कुंई में
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) कुंई में

10. रेजा धरातल में किस वर्षा को मापता है? (1)
(क) समाई
(ख) मानूसनी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) समाई

रखण्ड’ब’ :वर्णनात्मक प्रश्न

V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन। 20 अंक

1. निम्नलिखित चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर रचनात्मक लेखन कीजिए.- (लगभग 120 शब्दों में) (5 × 1 = 5)

(क) परीक्षा शिक्षा का अनिवार्य अंग है लेकिन इसके भय से बचना कठिन है। कल्पना कीजिए आपको परीक्षा ने किस प्रकार भयभीत किया?
उत्तर:
अभिरुचि और माध्यमः परीक्षा यह शब्द है जिसका ध्यान आते ही अच्छे अच्छों का पसीना छूट जाता है। मेरा हाल भी ऐसा ही है। परीक्षा नज़दीक आने पर मेरे हृदय की धड़कनें तेज़ होने लगती हैं, भूख गायब हो जाती है और घबराहट बढ़ जाती है। यह लगता है कि सब भूल रहा हूँ, कुछ याद नहीं है। घबराहट में भगवान बार-बार याद आने लगते हैं। मैं परीक्षा की अच्छी तरह तैयारी कर रहा था जिन प्रश्नों पर आशंका होती दीदी से पूछता, समझता लेकिन इस सबके बावजूद मन से डर न निकलता और आखिर में परीक्षा का दिन आ ही गया।

मैं भगवान का नाम ले घर से चला। परीक्षा भवन में मैं अपने स्थान पर आकर बैठ गया। मन में तरह-तरह की आशंकाएँ आती-जाती रहीं। मैं आँखें बंद किए प्रश्न-पत्र मिलने का इंतज़ार करने लगा. बीच-बीच में भगवान को याद करता। तभी परीक्षा की घंटी बजी। कक्ष-निरीक्षक ने हमें उत्तर पुस्तिका दी जिस पर मैं अपना रोल नम्बर, कक्षा, विषय आदि लिखने लगा। दस मिनट बाद प्रश्न-पत्र मिला। धड़कने तेज़ हो गई। मैंने प्रश्न-पत्र लिया और पढ़ना शुरू किया। शुरू के पेज के सभी प्रश्न देख मुझे कुछ तसल्ली हुई क्योंकि वे मुझे आते थे। पूरा प्रश्नपत्र पढ़कर मन शांत हुआ और चेहरे पर मुस्कान आ गई। सभी प्रश्न मुझे आते थे। मेरी घबराहट अब दूर हो गई और मैं उत्तर लिखने में व्यस्त हो गया।

(ख) अपने जीवन में घटी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जिसे आप कभी नहीं भूल पाए।
उत्तर:
कभी-कभी हमारे जीवन में ऐसी घटना घटित हो जाती हैं जिनसे प्राप्त सबक हमारे जीवन की अमूल्य धरोहर बन जाता है। तीन भाई-बहनों में मैं सबसे छोटा हूँ। हमारे परिवार में अनुशासन का कड़ाई से पालन होता था। मैं तव तीसरी कक्षा में ही था। एक दिन डाइनिंग टेबल पर बैठ समाचार पत्र देख रहा था। मुझे बच्चों का कोना देखते हुए एक पहेली पसंद आयी। उस पहेली को काटने के लिए मैंने समाचार-पत्र पर ब्लेड चला दिया। जैसे ही मैंने पहेली उठाई, मेज पर बिछे सुन्दर व कीमती कपड़े का टुकड़ा भी कटकर मेरे हाथ में आ गया। मैं बहुत डर गया था इसलिए वहाँ से भाग गया। रात में भी मैं डर की वजह से खाने के लिए अंत में पहुँचा।

मेजपोश को कटा देखते ही माँ ने पूछा कि यह किसकी शरारत है? बड़े भैया ही सबसे अधिक मेज पर कार्य करते थे अतः सबका शक उन्हीं पर था। तभी दादाजी ने कहा कि सच बोलोगे तो दंड नहीं मिलेगा। सच बोलने वाले को चॉकलेट मिलेगी। यह मेरा वचन है। हम तीनों को चुप देख उन्होंने कहा कि क्या तुममें सच बोलकर अपराध स्वीकार करने की शक्ति नहीं है? मैंने दादाजी के पास जाकर धीरे से सारी बात बताई। इतना सुनते ही पिताजी डाँटने लगे, लेकिन दादाजी ने उन्हें रोका और कहा कि जब अमा से सुधार हो सकता है तो दण्ड की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने मुझसे भी यह बात जीवन भर याद रखने को कहा। आज दादाजी तो नहीं है लेकिन उनकी सीख याद है। मैं आज अनजाने में हुई भूल को क्षमा कर देने का पक्षपाती हूँ।

(ग) हमारे देश की सुरक्षा पूरी तरह से हमारे सैनिकों पर निर्भर है। वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। ऐसी ही किसी घटना के बारे में लिखिए।
उत्तर:
सेना या फौज किसी राष्ट्र से संबंधित लोगों के हितों की रक्षा करने वाला सशस्त्र संगठन होता है। अलग-अलग व्यवस्थाओं में सेना की ज़िम्मेदारियाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। हमारे देश की भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की गाथाएँ इसकी अदम्य साहस का परिचायक हैं। उसने जहाँ एक ओर पूरे विश्व में अपनी शक्ति और साहस का लोहा मनवाया है, वहीं दूसरी ओर संकट में फंसे लोगों को अपनी जान की बाज़ी लगाकर बचाया भी है। इस प्रकार उसने अपनी विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह बखूबी किया है। भारतीय सेना पर देश के प्रत्येक नागरिक को गर्व है। भारतीय सेना के नौजवानों के शौर्य एवं पराक्रम के साथ ही संवेदनशीलता और मानवीयता भी अतुलनीय है।

एक बार सेना को एक रिहायशी इलाके में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली। तुरंत कार्यवाही करते हुए सेना के जवानों ने उस इलाके को चारों ओर से घर लिया और आम नागरिकों को घरों से बाहर न निकलने की उद्घोषणा की। जवानों के द्वारा आतंकवादियों से आत्म-समर्पण की अपील की गई, लेकिन आतंकवादियों द्वारा गोलियाँ चलाए जाने पर सेना को भी जवाबी फायरिंग करनी पड़ी। यह मुठभेड़ तीन घंटे तक चली जिसमें चार आतंकवादी मारे गए साथ ही सेना के दो जवान भी घायल हो गए।

इसी मुठभेड़ के समय एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा प्रारम्भ हो गई, लेकिन गोलीबारी के बीच उसे अस्पताल ले जाना संभव नहीं था। ऐसे कठिन समय में भी सेना ने मानवता का परिचय देते हुए पड़ोस की एक बुजुर्ग व अनुभवी महिला की मदद से उस गर्भवती स्त्री का प्रसव कराया। उस स्त्री ने एक बालिका को जन्म दिया। तब तक मुठभेड़ भी समाप्त हो चुकी थी। बच्ची के जन्म की सूचना पाकर कुछ जवान वहाँ पहुँचे। उस नन्ही बच्ची को गोद में लेकर वे अभिभूत हो गए। ऐसी विषम परिस्थिति में जन्मी बालिका का नाम उन्होंने वीरा रखा और उसके सुखद भविष्य की कामना की। इसके बाद बच्ची को उसकी माँ को सौंपकर वे वापस अपने शिविर में लौट गए।

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(घ) असामाजिक तत्त्वों द्वारा किस प्रकार समाज की शांति भंग की जाती है, इस पर आधारित एक घटना लिखिए।
उत्तर:
असामाजिक तत्त्वों की शरारतों के किस्से प्राय: हम सुनते रहते हैं। बड़े-बड़े भवनों एवं हरियाली से युक्त हमारी कॉलोनी एक शांतिप्रिय कॉलोनी है। अभी कुछ ही दिनों पूर्व हमारी कॉलोनी में एक घटना घटित हुई हैहमारे पड़ोसी शर्मा अंकल का इकलौता बेटा चेन्नई में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। अंकल व आंटी दोनों ही एक आलीशान कोठी में रहते थे। उनके बेटे के पत्र अक्सर आते रहते थे। कुछ समय पूर्व हमारी कॉलोनी में कुछ शरारती युवक रहने आए। वे अपनी शरारतों से अक्सर लोगों को परेशान करते रहते थे। एक दिन उन्होंने कुछ शरारती पत्र लिखकर दोपहर को लोगों के घर के बाहर लगी पत्र-पेटिकाओं में डाल दिए। शर्मा आंटी ने जब पत्र पढ़ा तो उसमें उनके इकलौते बेटे की दुर्घटना में मृत्यु का समाचार था।

पत्र पढ़ते ही सदमे से उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। मेरे पिताजी शर्मा अंकल की चीख-पुकार सुन वहाँ पहुँचे और आंटी जी को अस्पताल में दाखिल करवाया। बाद में सारी बात जान पिताजी को कुछ संदेह हुआ। पत्र देखते ही वह सारी शरारत समझ गए क्योंकि उस पत्र पर न तो डाक टिकट था और न ही डाकघर की मुहर। इस तरह की शरारत से दूसरों को कितना नुकसान हो सकता था यह सोचे बिना अपनी बेवकूफी से थोड़ी-सी मस्ती के लिए दूसरों की जान से खिलवाड़ करना गलत है। असामाजिक तत्वों की रोकथाम के लिए हमें व प्रशासन को सख्ती से इनके विरुद्ध ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके अतिरिक्त स्थानीय व्यक्तियों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्हें ऐसे व्यक्तियों पर शक होते ही तुरंत पुलिस को सूचना देनी चाहिए। बड़े-बुजुर्गों को इस प्रकार की घटनाओं का सामना प्राय: करना पड़ता है अतः अगर मज़बूरी न हो तो उन्हें अकेले रहने से बचना चाहिए।

2. सड़क पर गति-अवरोधकों (स्पीड ब्रेकर) के न होने के कारण आए दिन कोई-न-कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है। इस समस्या के समाधान हेतु किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
अथवा
विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु केन्द्रीय शिक्षामंत्री, भारत सरकार को प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुरशाह ज़फर मार्ग,
नई दिल्ली
28 अप्रैल 20……..
विषय-सड़क पर गति-अवरोधकों के न होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के समाधान हेतु।

महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं, सड़क पर गति अवरोधकों के न होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की तरफ जनसाधारण का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ और सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा समस्या के समाधान की अपेक्षा करता हूँ।

सड़क पर गति-अवरोधक न होने के कारण तेज़ गति में दौड़ते वाहनों से कई बार दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। स्कूलों के आस-पास ऐसी दुर्घटनाओं का भय अधिक रहता है। लापरवाह वाहन चालक अपने वाहनों की गति कम नहीं करते, जिससे दुर्घटना होना आम बात हो गई है और अकस्मात् ही कोई भी काल का ग्रास बन जाता है। इसी कारण लोगों में प्रशासन के प्रति रोष भी दिखाई देता है, लेकिन ऐसा लगता है कि संबंधित विभाग इस ओर से आँखें मूंदे हुए हैं। जब तक गति-अवरोधक नहीं बनेंगे तब तक गाड़ियों की गति (स्पीड) पर भी रोक नहीं लग सकती और इसीलिए स्कूली बच्चे व अन्य लोग सड़क पर पैदल चलने में असुरक्षित महसूस करते हैं। महोदय, आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से मैं संबंधित विभाग से इस दिशा में शीघ्र अतिशीघ्र कदम उठाने का निवेदन करना चाहता हूँ. ताकि जल्दी से जल्दी सड़क पर गति-अवरोधकों का निर्माण हो सके। लोग सड़क पर स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।
आशा करता हूँ कि आप इस पत्र को प्रकाशित कर मुझे अनुगृहीत करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
प्रभात कुमार
WZ-183, पालम गाँव,
पालम, नई दिल्ली।

अथवा

सेवा में,
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री,
भारत सरकार।

विषय-विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु।

महोदय,

किसी भी प्रकार के विकास एवं उन्नति के लिए शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण साधन है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाना आवश्यक होता है।

आजकल विद्यालयों में केवल ‘किताबी शिक्षा’ पर बल दिया जाता है जो केवल नौकरी दिलवाने तक ही सीमित रहती है। विद्यालयी शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए विद्यालय को एक ‘सामाजिक शिक्षण केन्द्र’ के रूप में प्रस्तुत करना होगा जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव हो सके। शिक्षा में सुधार शिक्षकों को योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल पर भी निर्भर है।

इस ओर विचार करने की महती आवश्यकता है। एक कक्षा में 20 से ज्यादा बच्चे न हों तो शिक्षक उन्हें भली-भांति पढ़ा सकता है। इसके अलावा शिक्षण विधियों, प्रशिक्षण और परीक्षण की विधियों में सुधार किया जाना चाहिए, जिससे शिक्षा में गुणात्मक विकास संभव हो सके। कई बार पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम बदले गए, लेकिन अनुकूल परिणाम प्राप्त नहीं हो सका। यथार्थ में पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई का एक तुच्छ साधन मात्र होती हैं, साध्य नहीं। मान्यवर, हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना चाहिए।

शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित समताओं के विकास करने और स्वस्थ जीवन निर्माण के लिए होनी चाहिए अतः पाठ्यक्रम लचीला और गतिविधि पर आधारित हो, साथ ही वह बच्चों की ग्रहण क्षमता के अनुरूप होना चाहिए। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप व आपका मंत्रिमंडल मेरे द्वारा सुझाए गए सुझावों पर अवश्य विचार करेंगे तथा इस दिशा में मनन कर शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम उठाएंगे।
धन्यवाद
भवदीय
डॉ. रितु शर्मा

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए (कोई दो) (3 × 2 = 6)

(क) “अंग्रेज़ी में बोलने में आपकी झिझक” पर अपनी डायरी में 60 शब्दों में एक प्रविष्टि लिखें और आप अपने अंग्रेज़ी बोलने के कौशल में सुधार करें।
उत्तर:
मंगलवार
मार्च 07, 20xx
10.00 अपराह्न
प्रिय डायरी,
एक व्यक्ति को उसकी कम्पनी से जाना जाता है कि उसके किस तरह के दोस्त हैं और यह उनके सामने कैसे प्रतिक्रिया करता है? मैं भाग्यशाली समझता हूँ कि दोस्तों का एक अच्छ सर्कल होना ही पर्याप्त है। वे बहुत ही मददगार और अच्छे स्वभाव के लोग हैं, लेकिन उन्हें देखकर कभी-कभी मुझे बहुत शर्मिन्दगी महसूस होती है, क्योंकि उन सभी का अंग्रेजी बोलने पर अच्छा अधिकार है जबकि मेरे पास वैसा नहीं है। दसअसल मेरी स्कूली शिक्षा एक तेलुगु माध्यम स्कूल से हुई।

इसलिए मैं उनके सामने अंग्रेजी में बात करने से हिचकिचाता हूँ। मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं अंग्रेजी बोलने के कौशल में सुधार करूँ। अब मैं इस झिझक को समाप्त करके आगे बढ़ना चाहता है, जिसमें कि मैं उसमें धाराप्रवाह बोल सकूँ। अंग्रेजी बोलने के कौशल को सीखने में दक्षता बढ़ाने के लिए किसी भी भाषा का प्रयोग बनाए रखना चाहिए। किसी भी कौशल को सुधारने और बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि नियमित अभ्यास करना चाहिए। भाषा हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे दोस्तों, परिवार और अन्य लोगों के साथ निरन्तर उसका प्रयोग किया जाये। नियमित और निरन्तर अथवा अभ्यास से भाषा सुलभ और धाराप्रवाह हो जाती है। प्रिय डावरी, मैं तुमसे प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं बहुत जल्दी अपने अंग्रेजी बोलने के कौशल में सुधार करूंगा।
शुभ रात्रि, डायरी
XYZ

(ख) नाटक और फ़िल्म की पटकथा में क्या अन्तर होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नाटक और फिल्म की पटकथा में कुछ मूलभूत अन्तर होते हैं। ये अन्तर निम्नलिखित हैं-
1. नाटक के दृश्य बहुत लम्बे-लम्बे होते हैं जबकि फिल्म के दृश्य छोटे-छोटे होते हैं।
2. नाटक में घटनास्थल प्रायः सौमित होता है जबकि फिल्म में इसकी कोई सीमा नहीं होती।
3. नाटक एक सजीव कला माध्यम है, जिसमें अभिनेता अपने ही जैसे जीवन्त दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं जबकि सिनेमा में यह पूर्व रिकॉडिंग छवियाँ एवं दृश्य होते हैं।
4. नाटक में कार्य-व्यापार, दृश्यों की संरचना और चरित्रों की संख्या सीमित रखनी होती है, जबकि सिनेमा में ऐसा कोई बन्धन नहीं होता।
5. नाटक की कथा का विकास एक-रेखीय होता है, जो एक ही दिशा में आगे बढ़ता है, जबकि सिनेमा में कथा का विकास कई प्रकार से होता है। डाबरी एक ऐसी नोटबुक होती है, जिसके पृष्ठों पर वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिनों की तिथियाँ क्रम से लिखी होती हैं। प्रत्येक तिथि के बाद पृष्ठ को खाली छोड़ दिया जाता है।

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(ग) डायरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
डायरी को दैनिकी, दैनान्दिनी भी कहते हैं। डायरी विभिन्न आकारों में मिलती हैं। इनमें टेबल डायरी, पुस्ताकार डायरी, पॉकेट डायरी प्रमुख हैं। नये वर्ष आगमन के साथ ही विभिन्न आकार-प्रकार की डायरियाँ बाजार में मिलने लगती है।

4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त क्यों आवश्यक होता है?
उत्तर:
उम्मीदवारों के चयन में स्ववृत्त की अहम भूमिका होती है। इसके माध्यम से उम्मीदवारों की गुणवत्ता का मूल्यांकन स्वतः किया जा सकता है। व्यक्ति के संक्षिप्त और स्पष्ट मूल्यांकन का सर्वश्रेष्ठ आधार स्ववृत्त को माना गया है।

(ख) कल्पना कीजिए कि आपने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना अध्ययन पूरा कर लिया है और किसी प्रसिद्ध अखबार में पत्रकार पद के लिए आवेदन भेजना है। इसके लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
सम्पादक,
अमर उजाला,
हरिद्वार।
विषय-“पत्रकार पद के लिए आवेदन हेतु”
महोदय,
आज दिनाङ्क 10 जुलाई, 20xx को समाचार पत्र अमरउजाला से प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि आपके कार्यालय को पत्रकार की आवश्यकता है। मैं इस पद के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा स्ववृत्त इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न है। इसका अवलोकन करने पर आप मुझे इस पद के लिए उचित उम्मीदवार समझेंगे। मैं आपके विज्ञापन में वर्णित सभी योग्यताओं को पूरा करता हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित प्रकार से हैं-
नाम-शेखर
पिता का नाम-चेतराम
जन्मतिथि – 9/10/1996
वर्तमान पता – 40, विकास नगर, हरिद्वार
स्थायी पता – 40, विकास नगर, हरिद्वार
दूरभाष – 0642-5451
चलध्वनि – 94788954xx

शैक्षणिक योग्यताएँ

परीक्षा बोर्ड विषय श्रेणी प्रतिशत
दसर्वीं उ.प्र.मा. शिक्षा बोर्ड हिन्दी, अंग्रेज़ी, विज्ञान, गणित, संस्कृत। प्रथम 90 %
बारहवीं उ.प्र.मा. शिक्षा बोर्ड हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास, संस्कृत, गणित। प्रथम 91 %
स्नातक आगरा विश्व-विद्यालय आगरा हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, गणित। प्रथम 92 %
पत्रकारिता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय पत्रकारिता। प्रथम 96 %

इस योग्यता के साथ-साथ में कई वर्षों से स्वतन्त्र लेखन से भी जुड़ा हुआ हूँ। मुझे पत्रकारिता में बेहद रुचि है मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ, यदि आपने मुझे कार्य करने का अवसर प्रदान किया तो मैं अपना कार्य पूरी निष्ठा से करूँगा।

कृपया उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेरे आवेदन-पत्र पर सकारात्मक विचार करते हुए मुझे पत्रकार पद पर नियुक्त कर अनुग्रहीत करें।
धन्यवाद
भवदीय
(हस्ताक्षर)
शेखर

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(ग) शब्दकोष में हम अपने इच्छित शब्द को किस प्रकार ढूँढ सकते हैं?
उत्तर:
शब्दकोष के हर पृष्ठ के ऊपर दिए गए शब्द युग्म का पहला शब्द उस पृष्ठ का पहला शब्द होता है। दूसरा शब्द पृष्ठ के आखिरी शब्द को दर्शाता है। इस प्रकार पूरे पृष्ठ पर किसी शब्द को तलाशने की जरूरत नहीं होती, शब्द युग्म को देखकर ही पता चल जाता है कि हमारा इच्छित शब्द इस पृष्ठ पर है या नहीं इस प्रकार हम अपने इच्छित शब्द को शब्दकोष में ढूँढ सकते हैं।

VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1 (20 अंक)

निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 3 = 9)

(क) किन कारणों से मीरा कभी प्रसन्न होती है तो कभी रोने लगती है?
उत्तर:
मीरा श्री कृष्ण को बार-बार याद करती है। उनको बार-बार याद करना मीरा को आनंदित कर देता है। वह उनकी भक्ति में प्रसन्न हो उठती हैं। मीरा यह समझ गई थीं कि कृष्ण-भक्ति अर्थात् ईश्वर भक्ति से ही जीवन सफल हो सकता है। संसार के लोगों को बाह्य आडंबरों में, मोह-माया अथवा विभिन्न कर्मकांडों में लिप्त देखकर मीरा सोचती हैं कि लोग अपने बहुमूल्य जीवन को, संसार की विषय-वासनाओं में फँसकर, व्यर्थ ही गँवा देते हैं। ये लोग यह नहीं समझते कि संसार की सभी भौतिक सुख-सुविधाएँ व्यर्थ हैं। हर वस्तु क्षणिक और नश्वर है मीरा जानती है कि ईश्वर भक्ति ही शाश्वत व सच है। इसलिए मीरा ऐसे लोगों को देखकर दुःखी होती है व रोती है इस सारहीन जीवन शैली को देखकर मीरा सोचती है कि लोग इस दुर्लभ मानव जीवन को ईश्वर भक्ति में क्यों नहीं लगाते।

(ख) त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चम्पा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ नामक कविता का सार लिखिए।
उत्तर:
त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चम्पा काले काले अक्षर नहीं ‘चीन्हती’ कविता लोक भावना से जुड़ी हुई है। सुन्दर नामक ग्वाले की लड़की चंपा ठेठ अनपढ़ है पशु चराती है। उसे काले अक्षरों में छिपे स्वरों पर आश्चर्य होता है। वह लेखक के साथ शरारत करते हुए कभी उसकी कलम चुरा लेती है, कभी कागज़ गायब कर देती है। वह लेखक को दिन भर कागज़ गोदते रहने पर शिकायत भी करती है। लेखक उसे समझाता है कि वह भी पढ़ना-लिखना सीख ले गाँधी बाबा भी यही चाहते हैं परन्तु चंपा पढ़ने-लिखने से मना करती है। लेखक उसे समझाता है कि जब उसकी शादी हो जाएगी और उसका बालम कलकत्ता चला जाएगा तब उसे पत्र कैसे लिखेगी? इस पर चंपा कहती है आग लगे कलकत्ता को; वह तो अपने बालम को कलकत्ता नहीं जाने देगी। उसे अपने पास ही रखेगी।

(ग) पाश द्वारा रचित ‘सबसे खतरनाक’ नामक कविता का सार लिखिए।
उत्तर:
‘सबसे खतरनाक’ कविता प्रगतिवादी चेतना से युक्त कविता है। कवि पाठकों को अन्याय के डटकर खड़े होने की प्रेरणा देना चाहता है। कविता का सार इस प्रकार है-
मेहनत का लुट जाना, पुलिस की मार सहना या लोभ का शिकार होना इतना खतरनाक नहीं होता। सहमी-सी चुप्पी में सिमटे रहना, कपट के शोर में दब जाना, संघर्ष के लिए कसमसा कर रह जाना भी इतना बुरा नहीं है जितना कि मुर्दा होकर शान्त जीवन जीना सब कुछ सहन कर जाना; रोजमर्रा के जीवन में खो जाना हमारे सपने का मर जाना; प्रगति के साथ कदम न मिला पाना सबसे खतरनाक होता है जो आँख जड़ होती है, जिसमें प्यार को महसूस करने की ताकत नहीं है। यह खतरनाक होती है।

वह चाँद खतरनाक होता है जो हत्याकाण्ड के बाद भी कचोटता नहीं है। वह गीत खतरनाक होता है जो हमेशा करुण रस के भाव व्यक्त करके सहमे हुए लोगों को और डराता है वह रात खतरनाक होती है जो ज़िन्दा आत्माओं पर उल्लू और गीदड़ की तरह चिपकी रहती है। वह दिशा खतरनाक होती है जो आत्मा के सूरज को खिलाने की बजाय मुर्दा धूप के टुकड़े को ही अपना लेती है। आशय यह है कि मुर्दा संस्कारों को ढोने की बजाय आत्मा की पुकार का रास्ता चुनना श्रेष्ठ है।

2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
उत्तर:
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए लोगों में नैतिक मूल्यों का विकास करना होगा। अनैतिक कार्य करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों व उन्हें संरक्षण देने वाली पुलिस के विरुद्ध कठोर कानून बनाने होंगे। अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिए लोगों में साहस पैदा करना होगा व न्याय व्यवस्था के प्रति आस्था जगानी होगी। लोगों की सोच में नवीनता लानी होगी। लोगों में संवेदना जाग्रत करनी होगी और अपने अधिकारों के प्रति उन्हें जागरुक करना होगा।

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(ख) ‘साये में धूप’ गज़ल के कवि किस बदलाव के पक्ष में हैं?
उत्तर:
‘साये में धूप’ गज़ल में कवि शोषित लोगों के मन में क्रान्ति की ज्वाला सुलगाना चाहता है। कवि का पक्का विश्वास है कि उसे अधिकारों के लिए, सच्ची स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करना होगा इसीलिए वह इस व्यवस्था के बदलाव के पक्ष में है।

(ग) ‘चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ कविता पूर्वी प्रदेशों की किस पीड़ा को अभिव्यक्ति देती है ?
उत्तर:
त्रिलोचन द्वारा रचित कविता ‘चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती’ में पूर्वी प्रदेशों (बिहार, बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश) की स्त्रियों की इस पीड़ा की अभिव्यक्ति की गई है कि वे अशिक्षित हैं तथा विवाह के उपरान्त उन्हें पति वियोग झेलना पड़ता है क्योंकि पति रोज़गार के लिए कलकत्ता जैसे महानगरों में चले जाते हैं और वे पीड़ा को झेलने को विवश होती हैं। न तो उन्हें पति का संग-साथ मिल पाता है और न उनकी कमाई से वे कोई सुख सुविधा ही प्राप्त कर पाती हैं इसीलिए चंपा कहती है कि ‘कलकत्ते पर बजर गिरे’ अर्थात् ऐसा कलकत्ता जो स्त्रियों को पति से वियुक्त कर देता है, नष्ट हो जाए।

3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
उत्तर:
पहले दृश्य में ‘भूलो’ द्वारा भात खाते हुए शूट करना था लेकिन रात होने के और पैसों के अभाव के कारण इस दृश्य की शूटिंग उस समय पूर्ण नहीं हो सकी। छह महीने बाद जब लेखक के पास पैसे इकट्ठे हुए तब तक ‘भूलो’ कुत्ते की मृत्यु हो चुकी थी। बाद में ‘भूलो’ जैसा दूसरा कुत्ता लाया गया और शूटिंग पूरी की। यह दृश्य इतने स्वाभाविक थे कि फ़िल्म देखते समय दर्शक उसे पहचान नहीं सके।

(ख) पाठ के आधार पर मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन पुश्तैनी नानबाई है। अपने काम या पेशे के प्रति गहरी निष्ठा और गर्व का अहसास उनके व्यक्तित्व का सबसे उभरा हुआ सबल पक्ष है। अपने बुजुर्गों बालिद और दादा साहिब के लिए उनके मन में असीम श्रद्धा है। पेशे को वे कोरे पैसे का धंधा नहीं समझते, काम करने से आता है भ्रम और अभ्यास उनके हुनर का और जीवन का मूल मंत्र है। वे छप्पन किस्म की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं। अपने पुराने जमाने की यादें उन्हें व्याकुल कर देती हैं। नए जमाने में खाने-पकाने की कद्र नहीं है- यही उनकी बूड़ी उम्र का सबसे बड़ा दर्द है।

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(ग) ‘नमक का दरोगा’ कहानी के नायक की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
वंशीधर नमक का दरोगा’ कहानी का मुख्य नायक है। उसके चरित्र की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है-

  1. कर्तव्यनिष्ठ-वंशीधर कर्तव्यनिष्ठ दरोगा है। देर रात तक वह अपनी ड्यूटी के लिए चौकन्ना रहता है। वह मौके पर जाकर भी अपने कर्त्तव्य को अच्छी तरह समझता है।
  2. लोभ से रहित-वंशीधर में नाम का भी लोभ नहीं है जबकि पैसा बड़े-बड़ों को डिगा देता है। अलोपीदान की रिश्वत को वह ठुकरा देता
  3. कठोर एवं दृढ़ चरित्र-वंशीधर कठोर स्वभाव का दृढ़ चरित्र अफसर है। वह अपनी बात मनवाने के लिए पूरे रौब-दाव से काम लेता है। उसके मन में अपराधी के प्रति ज़रा भी दया भाव नहीं है।

4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
यदि मैं माली की जगह होता तो सरकारी फैसले का इंतज़ार किए बिना आस-पास के लोगों को एकत्र कर उस दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने का पूरा प्रयास करता। यद्यपि हमें वृक्षों की रक्षा करनी चाहिए लेकिन मानव-जीवन सर्वोपरि है अत: मानवता की खातिर मैं उस व्यक्ति को तुरन्त सहायता करता।

(ख) भारत के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी?
उत्तर:
नेहरू जी कहा करते थे कि- भारत की नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत, सारी धरती और इस पर रहने वाले करोड़ों लोग-सब भारत माता के अंग हैं। इन सबके योग का नाम ही है भारत माता’

(ग) जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि टीचर लूट रहा है तो उस टीचर से न लें ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ। यह कोई मज़बूरी तो है नहीं-प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क लिखिए।
उत्तर:
प्रसंग-कहानी की नायिका-रजनी जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ाने की समस्या को लेकर पहले स्कूल के हैडमास्टर के पास जाती है। वे इसे अध्यापकों और बच्चों के बीच की समस्या कहकर टाल जाते हैं। फिर वह शिक्षा-निदेशक से मिलने जाती है। शिक्षा-निदेशक रजनी को यही तर्क देते हैं कि ट्यूशन में कोई मजबूरी तो है नहीं।

यदि बच्चे को लगता है कि कोई अध्यापक उसे लूट रहा है तो यह किसी और अध्यापक के पास चला जाए। टिप्पणी-शिक्षा निदेशक का यह संवाद बिल्कुल लचर और गलत है। उसे ज़बरदस्ती ट्यूशन पढ़ाने में कोई गंभीरता नहीं नज़र आती है। वह समस्या की गहराई में गए बिना ही बात कह देता है। ऐसा लगता है कि वह समस्या को समझने की बजाय बला टालने में रुचि लेता है।