NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 2 पदविचारः

वर्गों से शब्द और शब्दों से वाक्य बनता है। वाक्य में प्रयुक्त होने वाला शब्द पद कहलाता है-यथा ‘बालक’ शब्द है और ‘बालकः’ पद।
वाक्य में प्रयुक्त होने वाले पद पाँच प्रकार के होते हैं

  • संज्ञापद – यथा – बालकः, बालिका, वृक्षः, लता, पुष्पम् आदि।
  • सर्वनामपद – यथा – सः, ता, तत् आदि।
  • विशेषणपद – यथा – योग्यः, योग्या, सुन्दरम् आदि।
  • क्रियापद – यथा – पठति, गच्छति, शोभते आदि।
  • अव्यय – यथा – अत्र, तत्र, कुत्र, यथा, तथा आदि।

अव्ययपद अविकारी पद होते हैं। अर्थात् वाक्यप्रयोग के समय उनमें कोई विकार अर्थात् परिवर्तन नहीं आता। वे अपने मूल रूप में ही वाक्य में प्रयोग में लाए जाते हैं।
संज्ञा, सर्वनाम विशेषणपद परिवर्तनशील/विकारी होते हैं। वाक्य में प्रयोग करते समय इनमें रूपान्तर आ जाता है। यथा ‘छात्र’ शब्द प्रयोगानुसार वाक्य में-

  • छात्रः छात्रः पठति।
  • छात्रम् – अध्यापिका छात्रं पृच्छति।
  • छात्रेण – छात्रः छात्रेण सह खेलति।

इस प्रकार छात्र’ शब्द छात्रः, छात्रम्, छात्रेण आदि रूप धारण कर लेता है।
इसी प्रकार सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया शब्दों में भी प्रयोगानुसार रूपान्तर आता है। यथा

  • सः छात्रः योग्यः।
  • सा छात्रा योग्या।
  • तत् पुस्तकम् शोभनम्। इत्यादि।

क्रियापद धातु से बनता है। एक धातु से अनेक क्रियापद बनते हैं। काल, पुरुष, वचन आदि के अनुसार क्रियापद में भी रूपान्तर आता है।
यथा-

  • छात्रः पठति।
  • त्वम् पठिष्यसि।
  • वयम् अपठाम्।

यहाँ सभी क्रियापद ‘पठ्’ धातु से बने हैं।
वाक्यप्रयोग में पदों में आने वाला परिवर्तन निम्नलिखित तत्त्वों पर निर्भर करता है-
1. लिंग-लिंग तीन होते हैं। शब्द का रूप तदनुसार होता है। यथा

  • बालक:-पुँल्लिंग
  • बालिका-स्त्रीलिंग
  • अपत्यम्-नपुंसकलिंग

2. वचन-वचन भी तीन होते हैं

  • एकवचन- छात्रः, पुस्तकम्, लतायाम्, विद्यालयम् इत्यादि।
  • द्विववचन-छात्रौ, पुस्तके, लतयो: विद्यालयौ, इत्यादि।
  • बहुवचन- छात्राः, पुस्तकानि, लतासु, विद्यालयान् इत्यादि।

क्रियापद में भी वचनानुसार रूपान्तर आता है; यथा-बालकः हसति। बालकाः हसन्ति।
3. पुरुष-क्रियापद में रूपान्तर पुरुषानुसार भी आता है। पुरुष तीन होते हैं-
प्रथम पुरुष-पठति
मध्यम पुरुष–पठति
उत्तम पुरुष–पठामि
4. लकार/काल-क्रिया के काल पर भी क्रियापद का रूप निर्भर करता है। यथा-

  • वर्तमानकाल–(लट् लकार)-बालकाः पठन्ति।
  • भूतकाल-(लङ लकार)-बालका: अपठन्।
  • भविष्यत्काल-(लृट् लकार)-बालकाः पठिष्यन्ति।

5. कारक-संज्ञा अथवा सर्वनाम का रूप वाक्य में कारक के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यथा-
कुर्ताकारक में प्रथमा विभक्ति शब्द रूप का प्रयोग होता है; यथा-
वृक्षाः फलन्ति।
कर्मकारक में द्वितीया विभक्ति शब्द रूप प्रयुक्त होता है; यथा-
मालाकार: वृक्षान् सिञ्चति, बालकाः विद्यालयं गच्छन्ति। इत्यादि
ध्यान दें-छात्र यदि पठनकाल में सावधान रहें तो उपरिदत्त सभी व्याकरण तत्त्व सहज ही सीख जाएँगे। वाचन-पुनर्वाचन से भी व्याकरण बिन्दु स्पष्ट हो जाते हैं, जिससे वाक्य प्रयोग में अशुद्धि नहीं
होती।

अभ्यासः (Exercise)
प्रश्न 1.
अद्योदत्तेषु पदानि* चित्वा लिखत-(निम्नलिखित में से पद चुनकर लिखिए-)
लतायाम्, छात्र, छात्रान्, मति, गत्या, चञ्चुः, मातृ, भ्राता, गुरु
…………………. ………………… ………………… ……………………. …………………..
उत्तरम्:
लतायाम्, छात्रान्, गत्या, चञ्चुः, भ्राता। (शेष मूल शब्द हैं।)

प्रश्न 2.
अव्ययपदानि पृथक्कुरुत-(अव्ययपद पृथक् कीजिए-)
मुनेः, तथा, बालकम्, तस्य, तत्र, यत्र, यस्मै, सम्प्रति, अधुना
…………. ………………. ……………. ……………. ………………..
उत्तरम्:
तथा, तत्र, यत्र, सम्प्रति, अधुना।

प्रश्न 3.
विशेषणपदानि चित्वा लिखत-(विशेषण पद चुनकर लिखिए-)
विशालम् भवनम्; सुखदः समाचारः, पक्वे फले शोभनानि पुस्तकानि; रमणीया वाटिका
…………….. ………….. ……………… ………………. ………………
उत्तरम्:
विशालम्, सुखदः पक्वे, शोभनानि, रमणीया।

प्रश्न 4.
उत्तम पुरुष-क्रियापदानि चित्वा लिखत-(उत्तम पुरुष के क्रियापद चुनकर लिखिए-)
कुरु, कुर्याम, पठेत्, पठेयम्, सेवसे, सेवे, आगच्छम्, नेष्यति, स्याम्
……….. ……………… ……………… ……………….. ………….
उत्तरम्:
कुर्याम्, पठेयम्, सेवे, आगच्छम्, स्याम्।

प्रश्न 5.
बहुवचनान्तपदानि चित्वा लिखत-(बहुवचन के पद चुनकर लिखिए-)
भ्रातरः, भ्रातरम्, भवताम्, भवतः, ददति, कव्योः, तासु, वृक्षयोः सर्वेषाम्
………………. ………………. ………………. ……………… ………….
उत्तरम्:
भ्रातरः भवताम्, ददति, तासु, सर्वेषाम्।

प्रश्न 6.
नपुंसकलिंग-पदानि चित्वा लिखते-(नपुंसकलिंग पद चुनकर लिखिए-)
यशः नेत्रम्, नासिका, पादः, विद्याधनम्, महिमा, मधु, साधुः, मनः।
………….. ………….. ……………. ……………… ………….
उत्तरम्-
यशः, नेत्रम्, विद्याधनम्, मधु, मनः।

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