Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions Set 4 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 with Solutions

निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और ‘ख’। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/ वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
  • प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
  • खंड ‘क’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 49 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • खंड ‘ख’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खंड ‘क’
वस्तुपरक/बहुविकल्पीय प्रश्न (अंक : 40)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के . लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
राष्ट्रभाषा और राजभाषा के रूप में हिंदी की स्थिति समझने के लिए हमें इन दो शब्दों के अर्थों पर विचार करना पड़ेगा। सही संदर्भ में इन शब्दों का प्रयोग न होने के कारण घालमेल की स्थिति पैदा हो जाती है। आज राष्ट्रभाषा शब्द का अर्थ प्रायः दो अर्थों में मिलता है। एक, राष्ट्र की भाषा के रूप में, दूसरा, राष्ट्र की एकमात्र भाषा के रूप में। पहले अर्थ के अनुसार संविधान की आठवीं अनुसूची में पूरे भारत में बोली जाने वाली जो प्रमुख भाषाएँ गिनाई गई हैं, जिनकी संख्या अब 22 है, वे सब भाषाएँ राष्ट्रभाषा हैं, जिन्हें कुछ लोग राष्ट्रीय भाषा कहना अधिक उपयुक्त समझते हैं। दूसरे अर्थ के अनुसार, हिंदी को ही एकमात्र राष्ट्रभाषा होने का सम्मान प्राप्त है, ठीक वैसे ही जैसे एक राष्ट्र गान को, एक ध्वज को और एक संविधान को। स्वतंत्रता भारत के संविधान के लागू होने से पहले हिंदी को इसी अर्थ में राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त था।

‘राजभाषा’ शब्द का प्रयोग भी दो अर्थों में किया जाता रहा है। एक तो राज्य की भाषा के अर्थ में-श्री राजगोपालाचारी ने ‘नेशनल-लैंग्वेज’ (राष्ट्रभाषा) के समानांतर राज्यों की भाषा को उससे अलग करते हुए ‘स्टेट-लैंग्वेज’ के अर्थ में राजभाषा शब्द का प्रयोग किया था। दूसरा, राजकाज की भाषा के अर्थ में-सरकारी तौर पर स्वीकृत राजकाज की भाषा ही राजभाषा है। संविधान के अनुच्छेद-343 में लिखा गया है-“संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।” अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक जहाँ-जहाँ भी राजभाषा शब्द का प्रयोग हुआ है, वहाँ उसके अनेक प्रयोजनों में एक प्रयोजन प्रशासकीय प्रयोजन बताया गया है। इसका अर्थ हुआ कि संविधान में प्रयुक्त राजभाषा शब्द का प्रयोग राजकाज की भाषा के अर्थ से कहीं अधिक व्यापक रूप में हुआ है, जिसमें राजकाज की सरकारी स्वीकृत भाषा के साथ-साथ राष्ट्रभाषा वाला अर्थ भी समाहित हो गया है।

हिंदी अपने उद्भव काल-लगभग दसवीं शताब्दी से ही इस अर्थ में भारत की राष्ट्रभाषा रही है कि भारत के अधिकांश लोग उसे समझते और बोलते रहे हैं। यह भारत के संतों, भक्तों, चिंतकों और विचारकों की भाषा रही है। बौद्धों, सिद्धों, नाथों, जैन मुनियों ने इसे अपनी वाणी का प्रसाद दिया है। मुगलकाल में कार्यालयी भाषा भले ही फ़ारसी रही हो और अंग्रेजों के शासन-काल में अंग्रेज़ी किन्तु भारत के अधिक-से-अधिक लोगों तक संदेश पहुँचाने की बात जहाँ कहीं भी उठी, हिंदी को ही उसका माध्यम चुने जाने का गौरव प्राप्त हुआ।

आज भी हिंदी भारत की बहुमत की भाषा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और जैसलमेर से लेकर गुवाहाटी तक यह समझी और बोली जाती है।
(क) हिन्दी अपने उद्भव काल से ही भारत की राष्ट्र भाषा रही है क्योंकि-
(i) अधिकांश लोग उसे समझते और बोलते रहे है।
(ii) राज्य का काम इसमें होता रहा है।
(iii) यह भाषा आसान है।
(iv) यह भाषा कठिन है।
उत्तरः
(i) अधिकांश लोग उसे समझते और बोलते रहे है।

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(ख) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक होगा
(i) हिंदी
(ii) हिंदी: राष्ट्रभाषा और राजभाषा
(iii) हिंदी: एक राष्ट्रभाषा
(iv) राजभाषा
उत्तरः
(ii) हिंदी: राष्ट्रभाषा और राजभाषा

(ग) राजभाषा को किसकी भाषा माना गया है?
(i) सम्मान की
(ii) राष्ट्र की एकमात्र भाषा
(iii) सरकारी कामकाज की भाषा
(iv) सभी विकल्प सही हैं
उत्तरः
(iii) सरकारी कामकाज की भाषा

(घ) मुगलकाल में कार्यालयी भाषा कौन-सी रही होगी?
(i) अरबी
(ii) उर्दू
(iii) अंग्रेजी
(iv) फारसी
उत्तरः
(iv) फारसी

(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए-
कथन (A): आज भी हिंदी भारत में बहुमत की भाषा है।
कारण (R) : मुगलकाल और अंग्रेजों के शासनकाल में भले ही फारसी और अंग्रेजी भाषा रही हो, पर अधिकाधिक लोगों तक सन्देश पहुँचाने का माध्यम हिंदी ही रही।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तरः
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या है
व्याख्यात्मक हल:
हिंदी भाषा को बौद्धों, सिद्धों, नाथों, जैन मुनियों ने अपनी वाणी का प्रसाद दिया है। हिंदी जन-जन की भाषा रही है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसी एक पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चनिए। (1 × 5 = 5)
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-I पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
मंदिर की दीवारें क्या कहती हैं, सुनो।
मस्जिद की दीवारों पर लिखी इबारतें क्या कहना चाहती हैं, पढ़ो।
न वे हिन्दू को बुलाती हैं, न मुसलमान को पुकारती हैं,
न उन्हें एक मज़हब से प्रेम है, न दूसरे से नफ़रत,
वे सिर्फ इन्सान की इंसानियत को जिंदा रखना चाहती हैं।
ताजमहल शाहजहाँ का बनवाया गया मक़बरा है,
या शिव का शिवालय! क्या फ़र्क पड़ता है?
वह एक सुंदर इमारत है।
भारत की पहचान है, हमारे देश की शान है,
दुनिया में उससे हमारा नाम है।
राम मंदिर पहले बना या बाबरी मस्जिद? क्या फ़र्क पड़ता है?
हाँ, इस सवाल से पैदा होने वाले झगड़ों से,
जब उजड़ते हैं घर, अनाथ होते हैं बच्चे,
तो बहुत फर्क पड़ता है।
शर्म आती है मुझे ऐसी सोच पर,
अंतत: इंसानियत ही कुचली जाती है,
मज़हबी तलवारों की नोक पर।

(क) मन्दिर-मस्जिद के निर्माण का वास्तविक उद्देश्य पद्यांश में क्या बताया गया है?
(i) इंसानियत को जिंदा रखना बताया है।
(ii) ईश्वर को जिंदा रखना बताया है।
(iii) अल्लाह को जिंदा रखना बताया गया है।
(iv) पूजा करना
उत्तरः
(i) इंसानियत को जिंदा रखना बताया है।
व्याख्यात्मक हल:
मंदिर-मस्जिद की दीवारों में जो पवित्रता समायी हुई होती है, वे इन्सान का उचित मार्गदर्शन कर उसके विचारों को शुद्ध बनाते हैं।

(ख) पद्यांश में ‘क्या फर्क पड़ता है’- प्रश्न दोहराने के पीछे क्या उद्देश्य है?
(i) कोई उद्देश्य नहीं है।
(ii) विभिन्न धर्मों को लेकर किए गए झगड़ों का कोई लाभ नहीं।
(iii) उजड़ते घरों को देखने से कोई लाभ नहीं।
(iv) अनाथ होते बच्चों को देखकर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उत्तरः
(ii) विभिन्न धर्मों को लेकर किए गए झगड़ों का कोई लाभ नहीं।

(ग) कवयित्री कैसी सोच पर शर्मिंदा हैं?
(i) मंदिर-मस्जिद बनने पर
(ii) विभिन्न धर्मों पर
(iii) धर्म जाति में बंधकर छोटी सोच रखने पर
(iv) पूजा की सोच पर
उत्तरः
(iii) धर्म जाति में बंधकर छोटी सोच रखने पर

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(घ) हमारे देश की शान किसे बताया गया है?
(i) विभिन्न धर्मों को
(ii) विभिन्न मजहबों को
(iii) ताजमहल को
(iv) देश को
उत्तरः
(iii) ताजमहल को

(ङ) पद्यांश में ‘मजहबी तलवार’ किसे कहा गया है
(I) मजहब के नाम पर लड़ना झगड़ना
(II) अपने मजहब को सबसे ऊपर मानना
(III) मजहब के नाम पर मिलकर रहना
(IV) दूसरे मजहब को महत्व न देना

विकल्प:
(i) कथन (II) सही है
(ii) कथन (I), (II) व (III) सही हैं
(iii) कथन (I), (II) व (IV) सही हैं
(iv) कथन (I), (II), (III) व (IV) सही हैं
उत्तरः
(iii) कथन (I), (II) व (IV) सही हैं

अथवा

यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-II पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
नया परत है, नई बात है
नई किरण हैं, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगें।
नई आस है, साँस नई।
युग से मुरझाए सुमनों में नई-नई मुस्कान भरो।
उठो धरा के अमर सपूतों, पुनः नया निर्माण करो॥
डाल-डाल पर बैठे विहग कुछ
नए स्वरों में गाते हैं,
गुन-गुन, गुन-गुन करते भौरें
मस्त उधर मँडराते हैं।
नव युग की नूतन वीणा में नया राग, नव गान भरो।
उठो धरा के अमर सपूतों, पुनः नया निर्माण करो॥

(क) पद्यांश में किस नई वस्तु की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है?
(i) नई इमारत
(ii) नई पोशाक
(iii) नई ज्योति
(iv) नई शिक्षा
उत्तरः
(iii) नई ज्योति

(ख) पद्यांश में नए गीत कौन गा रहे हैं?
(i) शिक्षकगण
(ii) मित्रगण
(iii) नेतागण
(iv) विहग
उत्तरः
(iv) विहग

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(ग) नव युग के लिए कैसे गान की अपेक्षा की गई है?
(i) नए राग और नए गान की
(ii) नई आस और नई साँस की
(iii) नई मुस्कान की
(iv) नए निर्माण की
उत्तरः
(ii) नई आस और नई साँस की

(घ) ‘नई-नई मुस्कान भरो’- का क्या आशय है?
(i) नए नए ढंग से मुस्कुराना
(ii) नए-नए मुस्कुराने के ढंग बताना
(iii) सब में आशा के दीप जलाकर जीवन जीने की प्रेरणा देना
(iv) निराशापूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देना
उत्तरः
(iii) सब में आशा के दीप जलाकर जीवन जीने की प्रेरणा देना

(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए
कथन (A): देश में नई आस और नई साँस जगाना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है।
कथन (R): देश के अमर सपूत सबके मन में आशा के दीप जलाकर जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही हैं।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तरः
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन
(A) की सही व्याख्या है

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) हम उन सब लोगों से मिले, जो आपको जानते थे। वाक्य का सरल वाक्य में रूप होगा
(i) हम आपको जानने वाले सब लोगों से मिले।
(ii) हम उन सब लोगों से मिले जो सब आपको जानते थे।
(iii) जो सब आपको जानते थे हम उन सबसे मिले।
(iv) इनमें से कोई दोनों/कोई नहीं।
उत्तरः
(i) हम आपको जानने वाले सब लोगों से मिले।
व्याख्यात्मक हल: सरल वाक्य में एक उद्देश्य और एक क्रिया होते हैं। अतः यही सही उत्तर है।

(ख) तुम जाते हो या मैं तुम्हारी शिकायत करूँ।
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) आश्रित वाक्य
उत्तरः
(ii) संयुक्त वाक्य।
व्याख्यात्मक हल: संयुक्त वाक्य में दो सरल वाक्य होते हैं जो अपनेआप में पूर्ण अर्थ को व्यक्त करते हैं।

(ग) ‘बसंत की एक सुबह एक कोयल ने कुहू कुहू को सुर दिया था।’ वाक्य का संयुक्त वाक्य है
(i) बसंत की एक सुबह कुहू कुहू को सुर दिया था एक कोयल ने।
(ii) कुहू कुहू को सुर दिया था एक कोयल ने बसंत की एक सुबह।
(iii) बसंत की एक सुबह थी और एक कोयल ने सुबह कुहू-कुहू को सुर दिया था।
(iv) कोयल ने सुर बहाया कुहू कुहू का सुबह
उत्तरः
(iii) बसंत की एक सुबह थी और एक कोयल ने सुबह कुहू कुहू को सुर दिया था।
व्याख्यात्मक हल: संयुक्त वाक्य में दो सरल वाक्य होते हैं जो अपनेआप में पूर्ण अर्थ को व्यक्त करते हैं।

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(घ) ‘वह लड़का गाँव गया। वहाँ वह बीमार हो गया।’ वाक्य का संयुक्त वाक्य है-
(i) वह लड़का गाँव गया और बीमार हो गया।
(ii) वह लड़का बीमार था इसलिए गाँव गया।
(iii) जो लड़का बीमार था वह गाँव गया।
(iv) बीमार हो गया वह लड़का गाँव जाकर।
उत्तरः
(iii) जो लड़का बीमार था वह गाँव गया।

(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-

कॉलम 1 कॉलम 2
1. यह वही छात्र है जिसने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। (I) सरल वाक्य
2. श्यामा आज नहीं आएगी। (II) संयुक्त वाक्य
3. गाँधीजी ने सत्य और अहिंसा का सन्देश दिया। (III) मिश्र वाक्य

विकल्प:
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ii) 1-(II), 2(III), 3-(I)
(iii) 1-(I), 2-(II), 3-(III)
(iv) 1-(III), 2-(II), 3-(I)
उत्तरः
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) फुरसत में मैं खूब रियाज करती हूँ-वाक्य का कर्मवाच्य में रूप होगा
(i) फुर्सत में मेरे द्वारा खूब रियाज़ किया जाता है।
(ii) मेरे द्वारा खूब रियाज़ किया जाता है फुर्सत में।
(iii) मैंने खूब रियाज़ किया फुर्सत में।
(iv) रियाज़ होता है खूब मेरे द्वारा।
उत्तरः
(i) फुर्सत में मेरे द्वारा खूब रियाज़ किया जाता है।

(ख) गीतकारों द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है-वाक्य का कर्तृवाच्य में रूप होगा
(i) गीतकारों से गीतों को सुर दिया जाता है।
(ii) गीतकार गीतों को सुर देते हैं।
(iii) सुर दिया जाता है गीतकारों द्वारा गीतों को।
(iv) सुर देते हैं गीतकार गीतों को।
उत्तरः
(ii) गीतकार गीतों को सुर देते हैं।

(ग) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था-वाक्य का कर्तृवाच्य में रूप होगा
(i) कूदा जा रहा था दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में।।
(ii) अपनी-अपनी लय में दो-तीन पक्षियों द्वारा एक साथ कूदा जा रहा था।
(iii) दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूद रहे थे।
(iv) दो-तीन पक्षियों द्वारा एक साथ कूदा जा रहा था अपनी-अपनी लय में।
उत्तरः
(iii) दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूद रहे थे।

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(घ) उसने खाना खाया-वाक्य में प्रयुक्त वाच्य है
(i) कर्मवाच्य
(ii) भाववाच्य
(iii) कर्तृवाच्य
(iv) वाच्य
उत्तरः
(iii) कर्तृवाच्य

(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए

कॉलम 1 कॉलम 2
1. उसके द्वारा नौकर को बुलाया गया। (I) कर्तृवाच्य
2. रमा खाना नहीं खाएगी। (II) भाववाच्य
3. उससे चला नहीं जाता। (III) कर्मवाच्य

विकल्प:
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ii) 1-(II), 2-(III), 3-(1)
(iii) 1-(I), 2-(II), 3-(III)
(iv) 1-(III), 2-(II), 3-(I)
उत्तरः
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) वह अपने घर गया वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद परिचय होगा-
(i) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक।
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक।
(iii) भाववाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक।
(iv) समूहवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक।
उत्तरः
(i) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक।

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(ख) फागुन माह में बसंत ऋतु होती है – वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद परिचय होगा-
(i) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।
(iii) भाववाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।
(iv) समूहवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।
उत्तरः
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।

(ग) घोड़ा तेज़ भागता है। वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद परिचय होगा
(i) स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
(ii) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण।
(iii) रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
(iv) कालवाचक क्रियाविशेषण
उत्तरः
(iii) रीतिवाचक क्रियाविशेषण।

(घ) अरे! वह इतना खुश कैसे है – वाक्य में रेखांकित पद का उचित पद परिचय होगा-
(i) संबंधबोधक अव्यय।
(ii) समुच्वयबोधक अव्यय।
(iii) क्रियाविशेषण।
(iv) विस्मयादिबोधक अव्यय।
उत्तरः
(iv) विस्मयादिबोधक अव्यय।

(ङ) वह कहाँ जा रहा है ?
(i) पुरुषवाचक सर्वनाम, पुर्ल्लिग,एकवचन, कर्ता कारक।
(ii) सम्बन्धवाचक सर्वनाम, पुर्ल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।
(iii) संख्यावाचक सर्वनाम, पुर्ल्लि, एकवचन, कर्ता कारक।
(iv) निजवाचकवाचक सर्वनाम, पुर्ल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।
उत्तरः
(i) पुरुषवाचक सर्वनाम, पुर्ल्लिग,एकवचन, कर्ता कारक।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘मंगन को देखि पट देत बार-बार है’- पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है-
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(i) श्लेष
व्याख्यात्मक हल: यहाँ ‘पट’ के दो अर्थ है- पहला वस्त्र और दूसरा दरवाजा।

(ख) ‘मिटा मोदु, मन भए मलीने, विधि निधि दीन लेत जनु छीन्हे’ पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(ii) उत्प्रेक्षा
व्याख्यात्मक हल : मोद मिट गया, मन मलिन हो गए, ऐसा लगा मानों विधाता ने दी हुई निधि (खजाना) वापस ले लिया हो। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

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(ग) ‘मुख बाल रवि सम लाल होकर, ज्वाल-सा बोधित हुआ’ पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है-
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(iv) अतिशयोक्ति
व्याख्यात्मक हल: मुख का बाल रवि के समान लाल ज्वाला जैसा लगना अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन है, अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(घ) ‘लहरें व्योम चूमती उठर्ती’ पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(iv) अतिशयोक्ति
व्याख्यात्मक हल: यहाँ समुद्र की लहरों को आकाश चूमते हुए कहकर उनकी अतिशय ऊँचाई का उल्लेख किया गया है अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(ङ) ‘इस सोते संसार बीच, जगकर सजकर रजनीबाले’ पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(iii) मानवीकरण
व्याख्यात्मक हल : यहाँ रात को कन्या के रूप में बताया गया, जो सज संवर कर घूम रही है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार

प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे-चिट्टे आदमी थे। साठ से ऊपर के ही होंगे। बाल पक गए थे। लम्बी दाढ़ी या जटाजूट तो नहीं रखते थे, किंतु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता। कपड़े बिल्कुल कम पहनते। कमर में एक लंगोटी मात्र और सिर पर कबीरपंथियों की-सी कनफटी टोपी। जब जाड़ा आता, एक काली कमली, ऊपर से ओढ़े रहते। मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से ही, औरतों के टीके की तरह, शुरू होता। गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते।
(क) गद्यांश के आधार पर भगत की उम्र क्या रही होगी?
(i) साठ से ऊपर
(ii) साठ से कम
(iii) सत्तर से ऊपर
(iv) सत्तर से कम
उत्तरः
(i) साठ से ऊपर

(ख) भगत के मस्तक पर हमेशा क्या चमकता रहता था?
(i) रामानंदी सोना
(ii) रामानंदी चन्दन
(iii) सोने की माला
(iv) राख का तिलक
उत्तरः
(ii) रामानंदी चन्दन

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(ग) भगत सिर पर क्या पहनते थे?
(i) टोपी
(ii) हैट
(iii) कनफटी टोपी
(iv) कैप
उत्तरः
(iii) कनफटी टोपी

(घ) जाड़े में भगत क्या ओढ़े रहते?
(i) लाल कमली
(ii) पीली कमली
(iii) सफ़ेद कमली
(iv) काली कमली
उत्तरः
(iv) काली कमली

(ङ) भगत के गले में क्या रहता था?
(i) तुलसी की बेडौल माला
(ii) सोने की बेडौल माला
(iii) चाँदी की बेडौल माला
(iv) ताँबे की बेडौल माला
उत्तरः
(i) तुलसी की बेडौल माला

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1× 2 = 2)
(क) हालदार साहब किस आदत से मजबूर थे?
(i) हालदार साहब मूर्ति को देखने से मजबूर थे|
(ii) अटेंशन की मुद्रा में खड़े होने पर।
(iii) जीप में बैठने के लिए।
(iv) पान खाने की
उत्तरः
(i) हालदार साहब मूर्ति को देखने से मजबूर थे|

(ख) गृहस्थ होते हुए भी भगत को साधु क्यों कहा जाता
(i) क्योंकि उनका व्यवहार और चरित्र साधु की तरह था।
(ii) क्योंकि वह साधु थे।
(iii) क्योंकि वह खेती करते थे।
(iv) क्योंकि वे उपवास रखते थे।
उत्तरः
(i) क्योंकि उनका व्यवहार और चरित्र साधु की तरह था।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों व लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो।
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।

(क) पद्यांश में किस माह की शोभा का वर्णन है?
(i) चैत्र माह की
(ii) फागुन माह की
(iii) कार्तिक माह की
(iv) आषाढ़ माह की
उत्तरः
(ii) फागुन माह की

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(ख) किसकी शोभा समा नहीं पा रही है?
(i) फागुन की
(ii) फूलों की
(iii) वृक्षों की
(iv) पत्तियों की
उत्तरः
(i) फागुन की

(ग) फागुन में कौन-सी ऋतु होती है? ।
(i) शीत ऋतु
(ii) ग्रीष्म ऋतु
(iii) बसंत ऋतु
(iv) पतझड़ ऋतु
उत्तरः
(iii) बसंत ऋतु

(घ) फागुन का मानव तन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(i) नींद आ जाती है
(ii) मस्ती छा जाती है
(iii) उदासी छा जाती है
(iv) मन दुखी हो जाता है।
उत्तरः
(ii) मस्ती छा जाती है

(ङ) पद्यांश के कवि हैं
(i) नागार्जुन
(ii) ऋतुराज
(iii) निराला
(iv) प्रसाद
उत्तरः
(iii) निराला

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘देखते ही रहोगे अनिमेष’- पंक्ति किसके लिए कही गई है
(i) शिशु के लिए
(ii) कवि के लिए
(iii) शिशु की माँ के लिए
(iv) शिशु के पिता के लिए
उत्तरः
(i) शिशु के लिए

(ख) कवि के अनुसार बादलों के हृदय में क्या छिपा हुआ है?
(i) वर्षा का जल
(ii) विद्युत छवि
(iii) क्रांति
(iv) परिवर्तन
उत्तरः
(ii) विद्युत छवि

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 with Solutions

खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (अंक : 40)

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘नेताजी का चश्मा’ एक आशावादी कहानी है-सिद्ध कीजिए।
उत्तरः
‘नेताजी का चश्मा’ एक आशावादी कहानी है। इस कहानी को लेखक ने हालदार साहब के माध्यम से आगे बढ़ाया है। कस्बे में लगी नेताजी की मूर्ति पर चश्मा न होना मूर्ति की उपेक्षा का प्रतीक है। उस कमी को ढंकने के लिए केवल कैप्टन ने ही आगे कदम बढ़ाया। पानवाले द्वारा कैप्टन का मजाक उड़ाने पर भी हालदार साहब ने उसकी देशप्रेम की भावना को ही ज्यादा महत्व दिया। कहानी के अंत में लगने वाला सरकंडे का चश्मा भी यह दर्शाता है कि कैप्टन की मृत्यु होने के बाद भी देशभक्ति की भावना अभी समाप्त नहीं हुई है।

(ख) भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तरः
भगत के पुत्र की मृत्यु हो गई थी, अतः भगत उसे उसके भाई के साथ भिजवाना चाहते थे, पर पुत्रवधू इसके लिए तैयार न थी। वह अपने बूढ़े ससुर की सेवा करना चाहती थी। वह उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी।

(ग) ‘संस्कृति’ पाठ के अनुसार लेखक ने सभ्यता किसे कहा है?
उत्तरः
‘संस्कृति’ पाठ के अनुसार संस्कृति से सभ्यता विकसित होती है। सभ्यता, संस्कृति का ही परिणाम है। हमारे खाने-पीने के तरीके, पहनने-ओढ़ने के तरीके, हमारे गमनागमन के साधन, हमारे परस्पर कट-मरने के तरीके आदि सब हमारी सभ्यता ही है। संस्कृति एक आन्तरिक संस्कार है तो सभ्यता बाहरी संस्कार। अतः संस्कृति ही सभ्यता की जननी है।

(घ) नवाब साहब खीरों की फाँकों को खिड़की से
बाहर फेंकने से पहले नाक के पास क्यों ले गए?
उनके इस कार्यकलाप का क्या उद्देश्य था?
उत्तरः
नवाब साहब खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकने से पहले नाक के पास उसकी सुगंध का आनंद लेने के उद्देश्य से ले गए। उनके इस कार्यकलाप के पीछे यह उद्देश्य था कि वह लेखक को जताना चाहते थे कि खीरे खाकर पेट भरना तो साधारण मनुष्य का काम है, हम जैसे नवाबों के लिए तो खीरे को सँघना ही पर्याप्त है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका कब सार्थक होती है और क्यों?
उत्तरः
किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका तब सार्थक होती है, जब उसकी प्रतिभा, लगन और महत्वाकांक्षा को समर्थन देने वाले लोग उसके साथ होते हैं, क्योंकि हर सफल व्यक्ति की सफलता में अनेक लोगों का योगदान होता है; जैसे-एक गायक बिना संगतकार के सुरों की ऊँचाइयों को छूने में असमर्थ रहता है।

(ख) सूरदास के पदों को पढ़कर आपको गोपियों की किस भावना की प्रतीति होती है और वे किसके प्रति अपना निश्चल प्रेम प्रकट करती हैं?
उत्तरः
सूरदास के पदों को पढ़कर हमें कृष्ण के प्रति गोपियों के एकनिष्ठ और उदात्त प्रेम का परिचय मिलता है। वे मन-कर्म और वचन से कृष्ण के प्रति समर्पित हैं। वे दिन-रात उन्हीं के नाम को रटती रहती हैं। कृष्ण के प्रति उनका प्रेम निश्चल है और कृष्ण से प्रेम करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। उद्धव के योग संदेश को सुनकर वे उन्हें उलाहने देने से भी पीछे नहीं हटते।

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 with Solutions

(ग) ‘धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा’ के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तरः
परशुराम के क्रोधित होने पर राम ने अत्यन्त विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि शिव-धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा। इससे राम के इस स्वभाव का पता चलता है कि वे अत्यन्त विनम्र एवं कोमल स्वभाव के हैं। राम अत्यन्त धैर्यवान एवं मृदुभाषी हैं। वे बड़ों का सम्मान करते हैं।

(घ) कवि ने अपनी आत्मकथा को भोली क्यों कहा
उत्तरः
कवि ने अपनी आत्मकथा को भोली इसलिए कहा है क्योंकि उसे अपनी गाथा सरल व सीधी सादी लगती है, जिसकी उसने कभी पहले से अभिव्यक्ति नहीं की और साथ ही उसे यह भी लगता है कि उसकी आत्मकथा में ऐसा कुछ कहने को नहीं है जो दसरों का मार्गदर्शन कर सकें या प्रेरणा दे सकें। उसकी भोली कथा में केवल उसके हृदय की मौन व्यथा छिपी हुई है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) ‘आप चैन की नींद सो सकें इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं।’ एक फौजी के इस कथन पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से विचार कीजिए।
उत्तरः
फौजी के इस कथन में अनेक जीवन-मूल्य निहित हैं। उनके जीवन में त्याग एवं साहस के जीवन-मूल्य निहित हैं। वे कम वेतन पाकर इतना जोखिम भरा जीवन जीते हैं। इसमें परोपकार परिलक्षित होता है। हमें उनकी सेवाओं की सराहना करनी चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है।

सीमा पर तैनात फौजियों का जीवन अत्यन्त कठोर होता है। वे अपने लिए नहीं, देश के लिए जीते व मरते हैं। वे विषम परिस्थितियों में हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। उन्हीं के कारण हम चैन की नींद सो पाते हैं।

उसका यह कथन उसकी कर्त्तव्यनिष्ठा और देशवासियों की सुरक्षा की भावना अभिव्यक्त करता है। देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी हमारे राष्ट्र के गौरव हैं। उनके शीश कट जाते हैं, पर झुकते नहीं। वे स्वयं विपरीत परिस्थितियों में कष्ट झेलकर हमें चैन से रहने का अवसर देते हैं। उनके जीवन में त्याग, समर्पण, सेवा, कष्टसहिष्णुता व देश-प्रेम के जो आदर्श मूल्य हैं, वे हमारे लिए भी अनुकरणीय हैं। हमें उनको अपने जीवन में उतारना चाहिए। उनका तो केवल एक ही ध्येय होता है-
जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यही हर्ष।
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष॥

(ख) भोलानाथ के माता-पिता में किस बात को लेकर नोंक-झोंक होती थी? क्या आपके माता-पिता में भी नोंक-झोंक होती है? यदि ‘हाँ’ तो किस बात पर? आप उस समय क्या करते हैं?
उत्तरः
भोलानाथ के माता-पिता में उसके खाने के समय नोंक-झोंक होती थी। भोलानाथ चौके में पिता के साथ बैठ जाता था। पिता अपने हाथ से एक कटोरे में गोरस और भात सानकर खिलाते थे। जब वह खाकर उठ जाता तब मैया थोड़ा और खिलाने के लिए जिद करने लगती थी। वह बाबू जी से कहने लगती-“आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुँह में देते जाते हैं, इससे वह थोड़ा खाने पर भी समझ लेता है कि बहुत खा गया है। आप खिलाने का ढंग नहीं जानते, बच्चे को भर-मुँह कौर खिलाना चाहिए।”
जब खाएगा बड़े-बड़े कौर, तब पाएगा दुनिया में ठौर।

यह कह वह थाली में दही-भात सानती और अलग-अलग पक्षियों के कौर लेकर उड़ जाने के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती जाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो उड़ जायेंगे, पर बच्चे उन्हें इतनी जल्दी चट कर जाते थे कि उनके गायन का मौका ही नहीं मिलता था। हमारे माता-पिता में भी प्रायः इसी प्रकार की नोंक-झोंक होती रहती है। यह नोंक-झोंक कभी हमारे खाने को लेकर, तो कभी हमारी पढ़ाई-लिखाई पर होती है। माँ को हमेशा यह शिकायत रहती है कि पिता को बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ समय देना चाहिए, पर पिता देर से दफ्तर से आते हैं और थके हुए होते हैं। वे हमें पर्याप्त समय नहीं दे पाते, कभी-कभी तो परिवार के गम्भीर मामले भी माँ को अकेले ही सुलझाने पड़ते हैं। कभी-कभी घर के खर्चों को लेकर भी उनमें नोंक-झोंक होती है। उस समय मैं तटस्थ ही
बना रहता हूँ।

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(ग) अनुभूति के अतिरिक्त बाहरी दबाव भी रचनाकार को लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक पर कौन-कौन से दबाव थे?
उत्तरः
रचनाकार के लिए अनुभूति के अतिरिक्त बाहरी दबाव भी लिखने का कारण बनते हैं। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक के मन में भीतरी विवशता से प्रेरित होकर ऐसी अनुभूति जागृत होती है कि वह अभिव्यक्ति के लिए व्याकुल हो उठता है। इस आंतरिक विवशता या प्रेरणा के अतिरिक्त बाहरी दबाव भी लिखने का कारण बनता है। हिरोशिमा पर लिखी लेखक की कविता उसके आंतरिक एवं बाह्य दबाव का परिणाम है। लेखक ने हिरोशिमा में हुए भीषण नर-संहार की पीड़ा को वहाँ जाने से पहले अनुभव किया था। लेकिन जापान यात्रा के दौरान उन्होंने उस विनाशलीला के दुष्प्रभावों का साक्षात्कार भी किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने हिरोशिमा पर कविता लिखी। यह अभिव्यक्ति उनकी यात्रा के बाद बाह्य दबावों एवं आंतरिक अनुभूति दोनों के कारण से हुई। अतः आंतरिक अनुभूति के साथ बाह्य दबावों में भी लेखक को लिखने के लिए बाध्य किया।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) जनसंख्या विस्फोट

  • अर्थ
  • कारण
  • दुष्प्रभाव
  • उपाय।

उत्तरः
जनसंख्या विस्फोट
जनसंख्या प्रत्येक देश की मानवीय सम्पदा होती है, किन्तु तभी तक जब तक वह नियन्त्रण में हो, अन्य संसाधनों के उचित अनुपात में हो, अन्यथा यही आर्थिक विकास में बाधा बन जाती है, सामाजिक समस्याओं की जड़ बन जाती है व वरदान की जगह अभिशाप-सी लगने लगती है। भारत में जिस तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई, उसे ‘जनसंख्या विस्फोट’ नाम दिया गया। इसके प्रमुख कारण हैं-छोटी उम्र में विवाह होना, अशिक्षा, अन्धविश्वास, लिंगभेद आदि। इस जनसंख्या विस्फोट के अनगिनत दुष्परिणाम सामने आये, जैसे-बेरोजगारी, प्राकृतिक शोषण, अपराधों में वृद्धि, गरीबी, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में उथल-पुथल। जनसंख्या वृद्धि की एक समस्या अन्य अनेक समस्याओं को जन्म देती है। अतः इसे नियन्त्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे-सरकार द्वारा लोगों में जागरूकता फैलाना, अनेक योजनाएँ बनाकर लिंग-भेद को मिटाना, शिक्षा के प्रति लोगों को सचेत करना, गर्भनिरोध के विभिन्न उपायों का प्रचार आदि। किन्तु दुःख की बात है कि विशेष सुधार देखने में नहीं आया है। शहरों में तो सुधार आया है किन्तु ग्रामीण इलाकों में, पिछड़े वर्गों में आज भी लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने के प्रति विचार ही नहीं कर रहे हैं। इसका कारण उनकी अज्ञानता, अन्धविश्वास व रूढ़िवादिता को कहा जा सकता है।

ऐसे में जनसंख्या के तेजी से बढ़ते जाने के दुष्परिणाम तो पूरे देश को भुगतने पड़ते हैं। देश में अन्य आर्थिक व सामाजिक समस्याओं के साथ आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होना भी इसी का परिणाम है। अतः जब तक जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक हमारा देश इन विभिन्न समस्याओं से मुक्त नहीं हो पाएगा। देश में विकास के लिए बनने वाली योजनाएँ भी तभी कारगर सिद्ध होंगी जब आबादी नियंत्रित होगी अन्यथा सभी प्रकार के संसाधन बढ़ती जनसंख्या की.जरूरतों को पूरा करने में कम ही पड़ जाते हैं और समाज व देश के उत्थान के सभी प्रयास विफल होते नज़र आते हैं। आशा है, हमारी युवा पीढ़ी इस समस्या के प्रति सचेत हो चुकी है और अगले दशकों में इसके सकारात्मक परिणाम अवश्य देखने को मिलेंगे।

अथवा

(ख) साहित्य समाज का दर्पण

  • साहित्य व समाज का सम्बन्ध
  • एक-दूसरे पर प्रभाव
  • आदर्श स्थिति।

उत्तरः
साहित्य समाज का दर्पण
प्रत्येक देश का अपना साहित्य होता है। वही देश की असली पहचान, संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम, देश का गौरव और स्वाभिमान होता है। इस दृष्टि से देखें तो कह सकते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, यानि साहित्यकार वही रचता है जो वह समाज में देखता है। किन्तु इसका दूसरा पहलू यह कहता है कि साहित्य समाज का निर्माता होता है। यानि हम अपने देश व समाज को जैसा देखना चाहते हैं, साहित्य के माध्यम से वह आदर्श रूप प्रस्तुत किया जाता है ताकि लोग उससे प्रेरित व प्रोत्साहित होकर तदनुरूप व्यवहार करें, अपने समाज को वैसा आदर्शवादी रूप देने की, सँवारने की कोशिश करें। यदि साहित्य केवल दर्पण का काम करेगा, तो उसका उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पायेगा। कलम में तो बहुत ताकत होती है। व्यक्ति, समाज व देश को जगाने व बदलने की, उचित मार्गदर्शन करने की क्षमता होती है। ईश्वर यदि सृष्टि का निर्माता है तो साहित्यकार अपने सृजन से उस सृष्टि में सुधार लाकर या कुछ नवीन रचना करके ईश्वर का एक अंश ही सिद्ध होता है। साहित्य का उद्देश्य मनोरंजन, मार्गदर्शन, आदर्श प्रस्तुतीकरण व यथार्थ अवलोकन आदि रूपों में अत्यधिक व्यापक है। यह ठीक है कि कोई साहित्यकार केवल मनोरंजक साहित्य का निर्माण करता है तो कोई यथार्थ को प्रस्तुत करता है किन्तु अपने व्यापक रूप में तो साहित्य तभी पूर्ण माना जाएगा जब वह समाज के समक्ष देश व दुनिया की केवल वास्तविक छवि ही प्रस्तुत न करे, अपितु देश व समाज को कैसा होना चाहिए और वह आदर्श रूप कैसे प्राप्त किया जा सकता है, यह भी बताए। इसके लिए साहित्यकार को बहुत ही विवेकशील व अनुभवी होना चाहिए जो अपने अनमोल अनुभवों से प्राप्त ज्ञान को कलमबद्ध करके पाठक के समक्ष प्रस्तुत कर सके, पाठक उसे आत्मसात् करके अपने जीवन में बदलाव ला सके। अतः साहित्य अपने इस उद्देश्य को पूर्ण करे, तभी वह सार्थक हो सकता है।

अथवा

(ग) गुरु-शिष्य सम्बन्ध

  • प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य सम्बन्ध
  • वर्तमान स्थिति
  • कारण
  • निवारण।

उत्तरः
गुरु-शिष्य सम्बन्ध
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने, जिन गोबिंद दियो बताय। गुरु को भारत में सदा से ही अत्यधिक सम्माननीय माना गया है। यहाँ तक कि अनेक सन्त-कवियों ने तो गुरु को ईश्वर का या उससे भी श्रेष्ठ दर्जा दे दिया है। किन्तु केवल गुरु का योग्य या शिक्षा देने में इच्छुक होना पर्याप्त नहीं है, शिष्य को भी शिक्षा प्राप्ति के लिए उतना ही उत्सुक व योग्य होना आवश्यक है और इन दोनों से भी ऊपर है गुरु व शिष्य के सम्बन्धों का मधुर, पवित्र व विश्वसनीय होना। गुरु निःस्वार्थ भाव से, दृढ़ता व लगन से शिक्षा दे व शिष्य पूर्ण निष्ठा, विश्वास, मेहनत व लगन से शिक्षा ग्रहण करे, तभी यह प्रक्रिया सफल हो सकती है। वर्तमान स्थिति इस सम्बन्ध में सन्तोषजनक नहीं है। गुरु वेतनभोगी हो गये हैं और शिष्य अनुशासनहीन, हठी व आचरणहीन होते जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा प्रक्रिया अपना उद्देश्य पूर्ण नहीं कर पाती, बल्कि अनेक प्रकार के अपराधों को जन्म देती है। छात्रों व अभिभावकों का अध्यापकों के ऊपर से विश्वास ही उठता जा रहा है। अध्यापकों के निर्देशों व कार्यों पर उँगली उठाई जाती है, संदेह की दृष्टि से देखा जाता है, विभिन्न प्रकार से उन पर नज़र रखी जाती है। ऐसे में शिक्षक के आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है, वह स्वेच्छा से, विवेकपूर्वक शिक्षण प्रक्रिया को क्रियान्वित नहीं कर पाता।

कदम-कदम पर उसे जवाबदेही करनी पड़ती है, अपने स्वाभिमान को ताक पर रखकर शिक्षा प्रक्रिया को जारी रखना पड़ता है। ऐसे में शिक्षा अपना उद्देश्य कैसे पूर्ण कर सकती है। जिस चिकित्सक के पास हम अपने रोग के उपचार के लिए जाते हैं, जब तक उस पर पूर्ण विश्वास न हो, उसकी दवा काम नहीं कर सकती । उसी प्रकार जब तक छात्र अपने अध्यापकों पर विश्वास नहीं करेंगे, समर्पण का भाव नहीं आएगा, तब तक उनका ज्ञान छात्रों के हृदय तक पहुँच ही नहीं सकता। आवश्यकता इस बात की है कि अध्यापक निःस्वार्थ भाव से, पूरी तन्मयता से अपना ज्ञान व अनुभव छात्रों तक पहुँचायें व छात्र सम्मानपूर्वक ज्ञान ग्रहण करने में आनन्द लें, तभी यह ज्ञानयज्ञ सफल हो पायेगा ।

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प्रश्न 15.
प्रधानाचार्या को पत्र लिखकर विद्यालय से आर्थिक सहायता की माँग करते हुए प्रार्थना कीजिए।
अथवा
आपका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अपने मित्र को पत्र लिखकर आमन्त्रित कीजिए।
उत्तरः
प्रधानाचार्या महोदया,
क ख ग विद्यालय,
नई दिल्ली।

विषय – आर्थिक सहायता हेतु प्रार्थना |

आदरणीय महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं का छात्र हूँ । नर्सरी कक्षा से नियमित रूप से इसी विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ व प्रतिवर्ष अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता हूँ । समय-समय पर खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मैंने विद्यालय का नाम भी रोशन किया है।
महोदया, गत वर्ष से हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है। पिताजी मेरी पढ़ाई व विद्यालय के अन्य शुल्क चुकाने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं । मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस वर्ष मेरा शुल्क माफ कर दीजिए ताकि मैं आपके ही विद्यालय में शिक्षा जारी रख सकूँ।
मुझे आशा है कि आप मेरी प्रार्थना पर विचार करेंगी व मुझे इस रूप में आर्थिक सहायता देकर अनुग्रहीत करेंगी।
धन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी छात्र,
अ ब स
दिनांक………………….

अथवा

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।

दिनांक…………….

प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते।
मैं यहाँ परिवार सहित कुशल हूँ तथा आशा है तुम सपरिवार प्रसन्न व स्वस्थ होगे। तुम्हें यह जानकर हर्ष होगा कि मेरे पिताजी का तबादला वापस दिल्ली हो गया है। इसलिए इस वर्ष मेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाने का निर्णय किया है। तुम्हें मेरा जन्मदिन तो याद ही होगा। मेरा जन्मदिन 4 अक्टूबर को है। इस अवसर पर तुम अपने माता-पिता, भाई-बहन सहित सादर आमन्त्रित हो।
यह समारोह सायंकाल 7 बजे आरम्भ होगा। समारोह में गीत-संगीत, पार्टी-गेम्स के साथ-साथ सायंकाल के भोजन का भी प्रबन्ध है। आशा है कि तुम इस निमन्त्रण को स्वीकार कर अवश्य आओगे। इस शुभावसर पर पुराने मित्रों से मुलाकात हो जाएगी और कुछ गपशप भी हो जाएगी।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
क ख ग

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प्रश्न 16.
आप भरतपुर निवासी श्यामा शर्मा हैं। वहाँ के साकेत कॉलेज में सहायक पद पाने के लिए लगभग 80 शब्दों में स्ववृत्त तैयार कीजिए।
अथवा
आप मंगल बाजार, कोटा निवासी सूर्यम हैं। आपके पिता का तबादला जयपुर हो गया है। अतः आपको अलंकार पब्लिक स्कूल की नौकरी छोड़ कर जयपुर जाना होगा। इसके लिए अपने स्कूल के प्रबंधक महोदय को ई मेल लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
साकेत कॉलेज,
सिविल लाइन्स, भरतपुर
विषय : सहायक पद के लिए आवेदन पत्र।
महोदय,
मैं आज आपके कॉलेज में एक सहायक के रूप में नौकरी करने के अवसर के बारे में पूछने के लिए लिख रहा हूँ। मुझे आपका नाम डॉ. दिनेश चतुर्वेदी ने दिया था, जो विवेकानंद विश्वविद्यालय में मेरे प्रोफेसर रहे हैं। इस पद हेतु मैं अपना आवेदन प्रस्तुत कर रही हूँ। कॉलेज में इस पद हेतु सभी योग्यताओं को मैं पूरा करती हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है –
अतः श्रीमान से निवेदन है कि मुझे सहायक के पद पर नियुक्त करने की कृपा करें।
धन्यवाद
निवेदक
श्यामा शर्मा
सुदामा बाजार
भरतपुर
18 अगस्त 20XX
मेरा स्ववृत्त आवेदन-पत्र के साथ संलग्न है।
स्ववृत्त

नाम : श्यामा शर्मा
पिता का नाम : ओंकार शर्मा
माता का नाम : स्नेहलता शर्मा
जन्मतिथि : 06 जुलाई, 1994
वर्तमान पता : 3, सुदामा बाजार, भरतपुर
मोबाइल : 7088XXX927
ईमेल : [email protected]

शैक्षणिक योग्यता
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अन्य योग्यताएँ

  • कंप्यूटर में 1 वर्ष का डिप्लोमा
  • हिंदी, अंग्रेजी भाषा की जानकारी।

उपलब्धियाँ

  • विद्यालय स्तर पर लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार।
  • राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान खोज प्रतिभा हेतु चयन।
  • अखिल भारतीय विज्ञान मेला में प्रथम पुरस्कार

कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ

  • हिंदी लेखन में विशेष रुचि।
  • विज्ञान प्रदर्शनी को आयोजन करने का अनुभव तथा रुचि

हस्ताक्षर
श्यामा शर्मा
दिनांक: X/XX/XXXX

अथवा

आप मंगल बाजार, कोटा निवासी सूर्यम हैं। आपके पिता का तबादला जयपुर हो गया है। अतः आपको अलंकार पब्लिक स्कूल की नौकरी छोड़ कर जयपुर जाना होगा। इसके लिए अपने स्कूल के प्रबंधक महोदय को ई मेल लिखिए।

From : [email protected]
To : [email protected]
Cc: …………
Bcc : ………

विषय: इस्तीफा पत्र
महोदय,
निवेदन है कि मेरे पिताजी का तबादला जयपुर हो गया है। अतः मुझे आपके विद्यालय में अपना पद छोड़ना होगा। आपके विद्यालय के नियमानुसार मुझे जाने से पहले एक महीने का नोटिस देना होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इस समय में इस पद हेतु अन्य उपयुक्त शिक्षक खोज लेंगे।
अतः आपसे अनुरोध है कि आप मेरे इस नोटिस को स्वीकार करें।
धन्यवाद
भवदीय
सूर्यम गुप्ता

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प्रश्न 17.
एक आध्यात्मिक संस्था / ध्यान केंद्र के लिए लगभग 60 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
अथवा
अपनी माँ के नाम – लगभग 80 शब्दों में सन्देश लिखिए ।
उत्तरः

आध्यात्मिक चर्चा
यदि आप अध्यात्म में रुचि रखते हैं;
यदि आप जीवन-जगत की सच्चाई को जानना चाहते हैं;
यदि आप हमेशा खुश रहना व खुशियाँ बाँटना चाहते हैं;
तो आइए, 26 मई, प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक होने वाली इस
आध्यात्मिक कार्यशाला में भाग लीजिए।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें-9810203546