Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 10 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 10 with Solutions
समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
- उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
- उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।
रखण्ड’अ’ : अपठित बोध
I. अपठित बोध- (15 अंक)
(अ) अपठित गद्यांश
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)
मानव जीवन में आत्मसम्मान का अत्यधिक महत्त्व है। आत्मसम्मान में अपने व्यक्तित्व को अधिकाधिक सशक्त एवं प्रतिष्ठित बनाने की भावना निहित होती है। इसमें शक्ति, साहस, उत्साह आदि गुणों का जन्म होता है जो जीवन की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आत्मसम्मान की भावना से पूर्ण व्यक्ति संघर्षों की परवाह नहीं करता है और हर विषम परिस्थिति से टक्कर लेता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में पराजय का मुँह नहीं देखते और निरंतर यश की प्राप्ति करते हैं।
आत्मसम्मानी व्यक्ति धर्म, सत्य, न्याय और नीति के पथ का अनुगमन करता है। उसके जीवन में ही सच्चे सुख और शांति का निवास होता है। परोपकार, जनसेवा जैसे कार्यों में उसकी रुचि होती है। लोकप्रियता और सामाजिक प्रतिष्ठा उसे सहज ही प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति में अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा होती है तथा मातृभूमि की उन्नति के लिए वह अपने प्राणों का उत्सर्ग करने में भी सुख की अनुभूति करता है।
चूँकि आत्मसम्मानी व्यक्ति अपनी या दूसरों की आत्मा का हनन करना पसंद नहीं करता है, इसलिए वह ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावनाओं से मुक्त होकर मानव मात्र को अपने परिवार का अंग मानता है। उसके हृदय में स्वार्थ, लोभ और अहंकार का भाव नहीं होता है। निश्छल हृदय होने के कारण वह आसुरी प्रवृत्तियों से सर्वथा मुक्त होता है। उसमें ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति एवं विश्वास होता है, जिससे उसकी आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
जीवन को सरस और मधुर बनाने के लिए आत्मसम्मान रसायन तुल्य है। आत्मसम्मान प्रत्येक जाति तथा राष्ट्र की प्रेरणा का दैवी स्रोत है। मानव मात्र के मौलिक गुणों की यह विभूति है। प्रत्येक व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ कर्त्तव्य है कि आत्मसम्मान की सुरक्षा के लिए सतत प्रस्तुत रहे। इसे खोकर हम सर्वस्व खो देंगे।
हमारी संस्कृति, हमारा धर्म, यहाँ तक कि हमारा अस्तित्व ही इसके अभाव में लुप्त हो जायेगा। परतंत्रता के युग में हमारे सार्वजनिक जीवन-यापन में आत्मसम्मान को निरंतर ठेस लगती रही है। चूँकि विदेशी प्रभुसत्ता ने उसका दमन करने में कोई कसर उठा नहीं रखी, इसलिए भारतीयों ने राष्ट्रपिता के नेतृत्व में आत्मसम्मान की प्रतिष्ठा के लिए स्वतंत्रता का संग्राम किया तथा उसमें सफलता प्राप्त की। आज प्रत्येक भारतीय को उच्च नैतिक मूल्यों, राष्ट्रीय एकता तथा आत्मसम्मान की रक्षा करनी है।
1. गद्यांश का उचित और उपयुक्त शीर्षक होगा- (1)
(क) आत्मसम्मान
(ख) आत्मसम्मान का महत्त्व
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)
2. आत्म सम्मान में किन गुणों का जन्म होता है? (1)
(क) शक्ति
(ख) साहस
(ग) उत्साह
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी।
व्याख्या : आत्मसम्मान से शक्ति, साहस, उत्साह आदि गुणों का जन्म होता है।
3. आत्मसम्मानी व्यक्ति मानव मात्र को क्या मानता है? (1)
(क) परिवार
(ख) दुश्मन
(ग) पड़ोसी
(घ) सभी
उत्तर:
(क) परिवार।
व्याख्या : आत्मसम्मानी व्यक्ति मानव मात्र को अपने परिवार का अंग इसलिए मानता है क्योंकि वह अपनी या दूसरों की आत्मा का हनन पसंद नहीं करता और वह ईर्ष्या-द्वेष की भावनाओं से मुक्त रहता है।
4. स्वाभिमानी व्यक्ति आसुरी प्रवृत्तियों से कैसे मुक्त हो सकता है? (1)
(क) निश्छल हृदय द्वारा
(ख) छली हृदय द्वारा
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) निश्छल हृदय द्वारा।
व्याख्या : निश्छल हृदय होने से स्वाभिमानी व्यक्ति आसुरी प्रवृत्तियों से मुक्त हो जाता है। उसमें ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति एवं विश्वास होता है और उसकी आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
5. आत्मसम्मान में कौन-सी भावना निहित है? (1)
(क) मौलिक गुण
(ख) कृत्रिम गुण
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) संघर्षों की परवाह न करना।
6. आत्मसम्मानी व्यक्ति की क्या पहचान है? (1)
(क) संघर्षों की परवाह न करना
(ख) विषम परिस्थितियों से टकराना
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।
7. प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य क्या है? (1)
(क) आत्मसम्मान को क्षीण करना
(ख) आत्मसम्मान की सुरक्षा करना
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) आत्मसम्मान की सुरक्षा करना।
8. आत्मसम्मानी व्यक्ति किस पथ का अनुगमन करता है? (1)
(क) धर्म
(ख) न्याय
(ग) नीति
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी।
9. पथ का पर्यायवाची है (1)
(क) रास्ता
(ख) मार्ग
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।
10. ईश्वर का अन्य अर्थ है (1)
(क) परमात्मा
(ख) मित्र
(ग) माँ
(घ) सभी
उत्तर:
(क) परमात्मा ।
(ब) अपठित पद्यांश
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)
मेघ आए बड़े बन-उन के सैंबर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली।
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-उन के सँवर के।।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बांकी चितवन उठा नदी ठिठकी, चूंघट सरके।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की।
बरस बाद सुधि लीन्ही-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।।
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
1. पाहुन किसे कहा गया है? (1)
(क) बादलों को
(ख) ससुराल
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) बादलों को।
2 मेघ किस रूप में और कहाँ आए? (1)
उत्तर:
मेघ बन ठनकर सज-सँवर के पाहुन की तरह गाँव में आए।
3. मेघों के आने पर गाँव में क्या-क्या परिवर्तन दिखाई देने लगे? (1)
उत्तर:
मेघों के आने पर गाँव में घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खुलने लगे, पेड़ झुकने लगे, आँधी चली और धूल भागने लगी।
4. बूढ़ा पीपल किसके रूप में है ? उसने क्या किया? (1)
उत्तर:
बूढ़ा पीपल गाँव का सयाना/बूढ़ा व्यक्ति है जिसने नवागन्तुक (मेघ/पाहुन) का स्वागत किया।
5. लता कौन है? (1)
(क) युवती
(ख) नायिका
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।
अथवा
थका हारा सोचता मन-सोचता मन।
उलझती ही जा रही है एक उलझन।
अँधेरे में अंधेरे से कब तलक लड़ते रहें
सामने जो दिख रहा है, वह सच्चाई भी कहें।
भीड़ अंधों की खड़ी खुश रेवड़ी खाती
औ अंधेरे के इशारों पर नाचती-गाती।
थका हारा सोचता मन-सोचता मन।
भूखी प्यासी कानाफूसी दे उठी दस्तक
अंध बन जो झुका दे तम-द्वार पर मस्तक।
रेवड़ी की बौंट में तू रेवड़ी बन जा
तिमिर के दरबार में दरबान-सा तन जा।
थका हारा, उठा गर्दन-जूझता मन
दूर उलझन! दूर उलझन, दूर उलझन!
चल खड़ा हो पैर में यदि लग गई ठोकर
खड़ा हो संघर्ष में फिर रोशनी होकर
मृत्यु भी वरदान है संघर्ष में प्यारे
सत्य के संघर्ष में क्यों रोशनी हारे।
देखते ही देखते तम तोड़ता है दम
और सूरज की तरह हम ठोकते हैं खम।
1. थके-हारे मन की उलझन क्या थी? (1)
(क) अंधेरे से संघर्ष करना
(ख) अंधेरे के आगे घुटने टेक दें
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)।
2. अंधेरे में अंधों की भीड़ खुश क्यों थी ? (1)
उत्तर:
अंधेरे में अंधों की भीड़ इसलिए खुश थी क्योंकि वह रेवड़ी खा रही थी अर्थात् स्वार्थ-भोग में मग्न थी।
3. भूख-प्यास की विवशता का क्या परामर्श था ? (1)
उत्तर:
भूख-प्यास की विवशता का यह परामर्श था कि हे जुझारू मन! तू भी तम के दरबार में माथा झुकाकर अर्थात् पराजय स्वीकार कर सुख लूट। परन्तु जुझारू मन ने यह सुझाव नहीं माना।
4. जुझारू मन ने सुझाव क्यों नहीं माना ? (1)
उत्तर:
जुझारू मन ने पराजय का सुझाव इसलिए नहीं माना क्योंकि उसे सत्य के संघर्ष-पथ में मृत्यु रूपी वरदान का बोध हो गया।
5. संघर्ष में विजय किसे मिलती है ? (1)
उत्तर:
संघर्ष में विजय उसी को मिलती है जो सूरज की रोशनी की तरह तम के आगे डटकर खड़ा हो जाता है।
II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न। (1 × 5 = 5)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।
1. दृश्यों का किस माध्यम से अधिक महत्त्व होता है? (1)
(क) समाचार पत्र
(ख) रेडियो
(ग) टेलीविज़न
(घ) इंटरनेट
उत्तर:
(ग) टेलीविज़न
व्याख्या : संचार के माध्यमों में दृश्यों का महत्व टेलीविज़न में अधिक होता है क्योंकि टेलीविज़न ऐसा माध्यम है, जो घर-घर उपलब्ध रहता है और उसमें आवाज़ के साथ-साथ चित्रों को देखा जाता है।
2. उल्टा पिरामिड शैली में समाचार कितने भागों में बाँटा जाता है? (1)
(क) तीन
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) दो
उत्तर:
(क) तीन
व्याख्या : उल्टा पिरामिड शैली में तीन हिस्से होते हैं-
1. इंट्रो/लीड जिसे हिन्दी में मुखड़ा कहा जाता है।
2. बॉडी-इसमें समाचार के विस्तृत ब्यौरे को घटते हुए क्रम में लिखा जाता है।
3. सर्वाधिक खर्चीला जनसंचार माध्यम कौन-सा है? (1)
(क) रेडियो
(ख) टेलीविज़न
(ग) समाचार पत्र
(घ) इंटरनेट
उत्तर:
(घ) इंटरनेट
व्याख्या : इंटरनेट में व्यय अधिक होने के कारण इसे खर्चीला जनसंचार माध्यम कहा गया है।
4. समाचार संगठन में काम करने वाले नियमित वेतनभोगी पत्रकार को क्या कहते हैं? (1)
(क) फ्री लांसर
(ख) पूर्णकालिक
(ग) अंशकालिक
(घ) स्तम्भ लेखन
उत्तर:
(ख) पूर्णकालिक
व्याख्या : समाचार संगठन में नियमित रूप से काम करने वाले व वेतन प्राप्त करने वाले पत्रकार को पूर्णकालिक पत्रकार कहा जाता है
5. इनमें समाचार पत्र की आवाज़ किसे माना जाता है? (1)
(क) फीचर
(ख) संपादक के नाम पत्र
(ग) संपादकीय
(घ) स्तम्भ लेखन
उत्तर:
(ग) संपादकीय
व्याख्या : संपादकीय को समाचार-पत्र की आवाज़ माना जाता है क्योंकि समाचार-पत्र के संपादक की लेखनी ही अपने निष्पक्ष विचारों को प्रकट करती हैं।
III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)
(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
ठंडी होती दिनचर्या में जीवन की गर्माहट
मन का हरापन भोलापन दिल का
अक्खड़पन, जुझारूपन भी ।
भीतर की आग, धनुष की डोरी
तीर का नुकीलापन, कुल्हाड़ी की धार ।
जंगल की ताजा हवा, नदियों की निर्मलता
पहाड़ों का मौन, गीतों की धुन
मिट्टी का सोंधापन, फसलों की लहलहाहट ।।
1. यह पद्यांश किस कविता से लिया गया है? (1)
(क) घर की याद
(ख) सबसे खतरनाक
(ग) आओ, मिलकर बचाएँ
(घ) गज़ल
उत्तर:
(ग) आओ, मिलकर बचाएँ
2. किस संस्कृति के कारण यहाँ के लोगों की दिनचर्या में ठहराव आ गया है? (1)
(क) ग्रामीण
(ख) शहरी
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
विकल्प (ख) सही है।
व्याख्या : शहरी संस्कृति के प्रभाव में आकर यहाँ के लोगों की दिनचर्या में ठहराव आ गया है।
3. कवयित्री कहाँ के लोगों के जीवन में उत्साह की बात कह रही है? (1)
(क) आगरा
(ख) मुम्बई
(ग) झारखण्ड
(घ) राजस्थान
उत्तर:
(ग) झारखण्ड
व्याख्या : झारखण्ड के लोकजीवन की स्वाभाविक विशेषताओं के कारण लोगों के जीवन में उत्साह का भाव बना रहता था।
4. इस पद्यांश में कवयित्री ने किसके नुकीलेपन की बात कही है? (1)
(क) चाकू
(ख) तीर
(ग) तलवार
(घ) सभी
उत्तर:
(ख) तीर
5. इस पद्यांश में कवयित्री ने निर्मल किसे कहा है? (1)
(क) कुल्हाड़ी
(ख) मिट्टी
(ग) नदियों
(घ) पहाड़ों
उत्तर:
(ग) नदियों
व्याख्या : साफ, स्वच्छ व पवित्र जल के कारण नदियों को निर्मल कहा गया है।
(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
मियाँ कुछ देर सोच में खोये रहे। सोचा पकवान पर रोशनी डालने को हैं कि नसीरुद्दीन साहिब बड़ी रुखाई से बोले-‘यह हम बतावेंगे। बस आप इत्ता समझ लीजिए कि एक कहावत है कि खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है। कहावत जब भी गढ़ी गई हो, हमारे बुजुर्गों के करतब पर ही पूरी उतरती है।’
मज़ा लेने के लिए टोका-‘कहावत यह सच्ची भी है कि….।’
मियाँ ने तरेरा-‘और क्या झूठी है? आप ही बताइए, रोटी पकाने में झूठ का क्या काम! झूठ से रोटी पकेगी? क्या पकती देखी है कभी!
जनाब रोटी पकती है आँच से, समझे।’
1. नसीरुद्दीन के पिता और दादा कितने प्रकार की रोटियाँ बनाना जानते थे? (1)
(क) दो
(ख) तीन
(ग) छप्पन
(घ) बारह
उत्तर:
(ग) छप्पन
व्याख्या : नसीरुद्दीन के पिता और दादा बाकारखानी, शीरमाल, बेसनी, खमीरी, तुनको, रूमाली आदि कई प्रकार की रोटियाँ बनाना जानते थे।
2. उनके हुनर को देखते हुए किसने रोटियाँ खाई थीं? (1)
(क) बादशाह
(ख) कुत्ता
(ग) बिल्ली
(घ) चूहा
उत्तर:
(क) बादशाह
व्याख्या : स्वयं बादशाह ने उनके हुनर को देखते हुए उनके हाथों से बनी रोटियाँ खाई थीं।
3. कहावत का अर्थ है- (1)
(क) मसल
(ख) लोकोक्ति
(ग) कथन
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी
व्याख्या : दीर्घकालिक जीवन के लंबे अनुभवों को कम शब्दों या छोटे वाक्यों में कहना ‘कहावत’ कहलाता है।
4. झूठ का विलोम है- (1)
(क) सच
(ख) असत्य
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सच
5. उनके पूर्वजों. के लिए कहावत कही गई कि खानदानी नानबाई- (1)
(क) कुएँ में भी तैर सकता है
(ख) कुएँ में भी रोटी पका सकता है
(ग) कुएँ में भी आटा गूँथ सकता है
(घ) कुएँ में भी रोटी खा सकता है।
उत्तर:
(ख) कुएँ में भी रोटी पका सकता है
व्याख्या : नसीरुद्दीन के पूर्वजों के लिए यह कहावत गढ़ी गई थी कि खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है।
IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-1 (10 अंक)
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
1. ‘राजस्थान की रजत बूंदें’ के लेखक हैं (1)
(क) बेबी हालदार
(ख) प्रेमचन्द
(ग) अनुपम मिश्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) अनुपम मिश्र
2. इस पाठ में राजस्थान की कैसी भूमि का वर्णन किया है? (1)
(क) चमकीली
(ख) गीली
(ग) रेतीली
(घ) सभी
उत्तर:
(ग) रेतीली
व्याख्या : इस पाठ में राजस्थान की रेतीली भूमि का वर्णन किया गया है।
3. मोटर ड्राइवर का क्या नाम था? (1)
(क) कमल
(ख) सुनील
(ग) मनीष
(घ) अनिक
उत्तर:
(ख) सुनील
4. बेबी ने किस भाषा की किताब पढ़ना प्रारम्भ में शुरू किया? (1)
(क) मराठी
(ख) उड़िया
(ग) बंगला
(घ) सभी
उत्तर:
(ग) बंगला
5. ‘भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर’ के लेखक कौन हैं? (1)
(क) प्रेमचन्द
(ख) अनुपम मिश्र
(ग) कुमार गन्धर्व
(घ) बेबी हालदार
उत्तर:
(ग) कुमार गन्धर्व
6. चित्रपट-संगीत में लता ने किन गायिकाओं की तरह सधे हुए गाने गाए? (1)
(क) अलका यागनिक
(ख) सुनिधि चौहान
(ग) आशा भोसले
(घ) नूरजहाँ
उत्तर:
(घ) नूरजहाँ
व्याख्या : शास्त्रीय संगीत में पारंगत व श्रेष्ठ गायिका नूरजहाँ की तरह लता ने सधे हुए गाने गाए।
7. मंदिरों और महलों में विकसित कलाएँ कौन-सा स्वरूप ग्रहण करती हैं? (1)
(क) शास्त्रीय
(ख) पाश्चात्य
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) शास्त्रीय
व्याख्या : शास्त्र ने मंदिरों और महलों में विकसित कलाओं को शास्त्रीय कला का स्वरूप दिया।
8. मध्यकाल में किन कलाओं को शासकों का संरक्षण मिला? (1)
(क) साहित्य
(ख) चित्र
(ग) संगीत
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी
व्याख्या : मध्यकाल तक आते-आते साहित्य, चित्र, संगीत, नृत्य कलाएँ राजाओं के संरक्षण में चली गई।
9. लेखिका का मकान मालिक कैसा था? (1)
(क) सज्जन
(ख) दुर्जन
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सज्जन
व्याख्या : लेखिका का मकान-मालिक बहुत सज्जन व्यक्ति था। उसने एक पिता की तरह लेखिका का ध्यान रखा।
10. लेखिका का जीवन किसके घर में आकर बदल गया? (1)
(क) नातुश
(ख) रातुश
(ग) तातुश
(घ) काकुश
उत्तर:
(ग) तातुश
व्याख्या : तातुश की सज्जनता व उसे एक बेटी की तरह स्नेह करने के कारण लेखिका का जीवन तातुश के घर में आकर बदल गया।
रण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन। (20 अंक)
1. निम्नलिखित चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर रचनात्मक लेखन कीजिए- (लगभग 120 शब्दों में) (5 × 1 = 5)
(क) बारिश के उस दिन का वर्णन कीजिए, जब आप छाता ले जाना भूल गए। (5)
उत्तर:
मुझे भी बचपन से ही बारिश में भीगना बहुत पसंद है लेकिन एक बार इसी बारिश में भीगना मेरे लिए मुसीबत का कारण बन गया था। बारिश का मौसम सबके मन को प्रफुल्लित कर देने वाला होता है और बारिश में भीगना बच्चों को बहुत पसंद होता है। एक बार इसी बारिश के मौसम में विद्यालय जाने की घटना मेरे लिए आज भी अविस्मरणीय है। बात तब की है जब में कक्षा आठ का छात्र था। मैं घर से स्कूल के लिए जब चला तब मौसम पूरी तरह साफ़ था।
बादलों का नामो-निशान नहीं था। माँ के टोकने के बाद भी मैंने छाता नहीं लिया क्योंकि पिछले साल भी दो छाते मेरी लापरवाही से खो चुके थे अतः मैंने अता लेना ज़रूरी नहीं समझा। मेरे घर से मेरे विद्यालय की दूरी ज्यादा नहीं थी। मैंने आधा रास्ता ही पार किया था कि तेज़ बारिश होने लगी लेकिन स्कूल के लिए देर हो रही थी अत: मैं बिना कहीं रुके तेजी से स्कूल के लिए दौड़ने लगा। बारिश इतनी तेज थी कि मैं स्कूल पहुंचने तक काफी भीग गया।
कपड़े गीले होने से मुझे ठंड लग रही थी। आज गणित का बलैकबोर्ड टेस्ट भी था जिसके डर से मेरी कंपकंपी और बढ़ गयी। गणित मुझे ड्रायक्युला के समान डरावना लगता था। गणित के शिक्षक के सामने मेरी बोलती बंद हो जाती थी। जैसे ही मेरा नाम पुकारा गया मैं जड़वत् हो गया। शिक्षक की डॉट से मैं रुआंसा हो गया। घर आने पर माँ ने छाता न ले जाने के लिए डॉटा। अगले दिन मेरा विद्यालय जाने का मन नहीं था। लेकिन माँ ने मुझे स्कूल भेजा और कहा “येलो छाता। तुम्हारे गणित के अध्यापक का फोन आया था। आज टेस्ट अच्छे से करना।”
(ख) कल्पना कीजिए आप एक सड़क हैं। सड़क के रूप में अपनी आत्मकथा लिखिए। (5)
उत्तर:
मैं सड़क हूँ। मेरे कई रूप आप सब को देखने को मिला सकते हैं। कहीं मैं अपने विशाल रूप में हूँ तो कहीं छोटी-छोटी पगटडयों के रूप में। सभी मेरा प्रयोग करते हैं फिर चाहे वह हिन्दू हो गया मुसलमान अथवा सिख हो या ईसाई या फिर कोई और। सभी मुझ पर से गुजरकर अपनी मंजिल को पहुँचते हैं। शुरुआत में मेरे आस पास इतनी भीड़ नहीं थी। लेकिन धीरे-धीरे मेरे स्वरूप में काफी परिवर्तन आने लगा। जहाँ पहले मैं अपने कच्ची पगडंडी रूप में थी वहाँ आज मुझे पक्का, साफ-सुथरा और आकर्षक रूप मिल चुका है।
मुझे पूरी रात रोशन रखने के लिए स्ट्रीटलाइट तैनात की गई हैं। सुबह से लेकर मध्यरात्रि तक मेरी दिनचर्या व्यस्त रहती है। मेरी चिकनी सपाट काया पर दौड़ते कार, बस आदि वाहनों को जितना मज़ा आता है उतना ही मज़ा मुझे उन्हें राह देने में आता है। लोग मुझे निर्जीव समझते हैं लेकिन मुझमें चेतना की कमी नहीं है। मैं पदचाप से पहचान लेती हूँ कि चलने वाला बच्चा है, बड़ा, या कोई जानवर । मैं बच्चों के साथ बच्चा बन मस्ती भरी इठलाती चाल का आनंद लेती हूँ वहीं बूढ़ों का सहारा बन उन्हें संभालती हूँ। स्वयं दूसरों के पैरों के नीचे रहकर भी खुश रहती हूँ।
काश, मेरी इस करनी का महत्व समझ मानव मेरा ध्यान रखता। जब मैं अपने शरीर पर बहुत से गड्डों को देखती हूँ तो मुझे बहुत दुख होता है। मानव अपने स्वार्थ के लिए जब-तब मुझे खोदता है जिसके कारण विशेषकर बारिश के मौसम में राहगीरों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। मुझे बनाने तक में धांधली की जाती है। वहीं तेज़ गति से नशे में गाड़ी चलाने पर हुई दुर्घटना के लिए मुझे ही दोषी माना जाता है। इस सबके बाद भी मैं अपने कर्म में लगी रहती हूँ और मनुष्य मात्र की सेवा करने में स्वयं को धन्य समझती हूँ।
(ग) स्वच्छता हमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व बौद्धिक रूप से स्वस्थ बनाती है इसीलिए विद्यालयों में भी स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं। आपके विद्यालय में हुए स्वच्छता अभियान पर लेख लिखिए। (5)
उत्तर:
अक्टूबर को प्रतिवर्ष हम महात्मा गाँधी का जन्मदिन मनाते हैं। इस बार हमारे स्कूल के प्रधानाचार्य जी द्वारा 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छता दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।
दिन भर स्वच्छता से संबंधित अनेक कार्यक्रम हुए। अध्यापकों ने स्वच्छता से संबंधित अनेक प्रकार की जानकारियाँ दी। प्रधानाचार्य जी ने बताया कि स्वच्छ जीवन जीने के लिए स्वयं स्वच्छ रहना और अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना अत्यंत आवश्यक है। स्वच्छता अपनाने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और स्वस्थ राष्ट्र निर्माण’ में योगदान देता है, भोजनावकाश के बाद सभी विद्यार्थी, अध्यापक और कर्मचारी, उत्साहपूर्वक सफाई अभियान में जुट गए।
कुछ बच्चे गमलों और पौधों के बीच से सूखी और सड़ी हुई पत्तियों आदि को निकाल रहे थे तो कुछ फावड़े और खुरपियों आदि की सहायता से नाली की मिट्टी को निकालने का काम कर रहे थे। मैदान में बिखरी पत्तियों को एक जगह एकत्रित करने के लिए विद्यार्थियों ने मैदान में झाडू लगाई व कूड़ा उठाकर फेंका। फिर प्रार्थना स्थल को भी साफ़ करके वहाँ की धुलाई की जिसमें शिक्षकों और कर्मचारियों ने भी सहयोग किया। कुछ छात्राओं ने गमलों पर भी रंग से पुताई की।
4 बजे सफाई अभियान को समाप्ति की घोषणा हेतु घंटी बजाई गई। प्रधानाचार्य जी ने सभी की प्रशंसा की। साथ ही प्रत्येक शनिवार को भोजनावकाश के बाद का समय ‘स्वच्छता अभियान के लिए निर्धारित किया गया।
(घ) जल संकट, उसके कारण व निदान पर लेख लिखिए। (5)
उत्तर:
जल संकट आज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। हम सभी जानते हैं कि जल के बिना मनुष्य ही नहीं जीव-जंतु, पेड़-पौधों का भी जीवन संकट में पड़ गया है। आज महानगरों से लेकर गाँवों, कस्बों तक की जनता पानी के लिए मारा-मारी से जूझ रही है। भारत की प्राकृतिक संपदा की वाहक नदियाँ भी सूखी और मैली हो गई है। नलकूपों का जलस्तर नीचे जा चुका है। जल की समस्या से भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व त्रस्त है।
मनुष्य में जागरूकता के अभाव के कारण वह अभी भी कल-कारखानों और गंदे नालों की गंदगी को जलाशयों और नदियों में गिरने से नहीं बचाते जबकि जल-संकट की गंभीरता को देखते हुए हमें तुरंत ही इसकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए। लगातार हो रही वृक्षों की कटाई से बनता प्रदूषण और वर्षा की कमी तथा भूमिगत जल के दोहन से जल संकट अधिक गहराने लगा है। समय रहते हमें सचेत होने की आवश्यकता है।
प्रशासनिक स्तर पर जल-संचय हेतु बड़े-बड़े बैराजों का निर्माण होना चाहिए जिससे जनता की जल-आवश्यकता की पूर्ति की जा सके तथा सभी को जल संकट से उबारा जा सके। बच्चों, बड़ों सभी को जल की उपयोगिता एवं जल संकट से बचने हेतु विभिन्न तरीकों को जानने-समझने की आवश्यकता है तभी हम भविष्य में इस प्राण-घातक संकट का सामना करने में सक्षम हो सकेंगे।
2. प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबन्ध के बावजूद इनके बढ़ते प्रयोग पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए क्षेत्र के प्रमुख समाचार-पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखिए।
अथवा
आरक्षण केन्द्रों पर दलालों और क्लर्कों की मिलीभगत के कारण जनसाधारण को आरक्षित टिकट पाने के लिए बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उत्तर रेलवे दिल्ली प्रबंधक को एक पत्र लिखिए। (5)
उत्तर:
1242 अशोक बिहार,
दिल्ली
दिनांक 26 मार्च (2)0xx
सेवा में,
प्रधान संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुर शाह ज़फर मार्ग,
नई दिल्ली (1)10002.
विषय : प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध के बावजूद इनके बढ़ते प्रयोग के संदर्भ में
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध के बावजूद इनके बढ़ते प्रयोग पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। आपसे अनुरोध है कि मेरे इस पत्र को लोकवाणी स्तंभ में प्रकाशित करने का कष्ट करें।
दिल्ली हमारे देश की राजधानी है तथा विश्व के प्रमुख नगरों में गिनी जाती है। आज दिल्ली महानगर की प्रदूषण समस्या अत्यंत शोचनीय है। हालांकि सरकार ने प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध लगा दिया है, परंतु जैसा कि हम देखते हैं कि आज भी बाजार में हर तरह की वस्तुओं को प्लास्टिक बैग में ही डाल कर बेचा जाता है। लोग प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं। कूड़ा प्रतिदिन प्लास्टिक बैग में ही भरकर कूड़ेदान में डाला जाता है। प्लास्टिक को जलाए जाने पर प्रदूषण बढ़ता है। जबकि नदी,सरोवर के पानी में भी प्लास्टिक बैग उपयोग करके फेंक दिया जाता है, जिसे खाकर जल-जंतु मर रहे हैं। प्लास्टिक जलाने के कारण समस्या दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। इस समस्या को अत्यंत गंभीरता से लेना आवश्यक है। मेरा अधिकारियों से विनम्र निवेदन है कि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा कर इस समस्या का समाधान करें।
धन्यवाद
भवदीय
ज्योति रंजन
अथवा
लोक निर्माण मंच, गुवाहाटी
दिनांक 12 मार्च 20xx
सेवा में
महाप्रबंधक महोदय
रेलवे विभाग (उ. पू. रे.)
विषय : आरक्षण केन्द्रों पर दलालों और क्लर्कों की मिलीभगत के कारण होने वाली कठिनाई के संदर्भ में
महोदय,
मैं मालीगाँव क्षेत्र का रहने वाला एक साधारण व्यक्ति हूँ। यहाँ आरक्षण केन्द्रों पर दलालों और क्लर्कों की मिलीभगत के कारण जनसाधारण को टिकट पाने के लिए बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसी बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। महोदय मैं एक व्यापारी हूँ. मुझे तकरीबन हर महीने यात्रा करनी ही पड़ती है। मैंने आए दिन यहाँ दलालों को चापलूसी करते देखा है, यही नहीं कुछ क्लर्क भी शामिल रहते हैं। पैसे का लेन-देन खूब चलता है। जो पैसे का लालच दे देते हैं, उन्हें टिकट आसानी से मिल जाती है वरना दलालों द्वारा टिकट खरीद ली जाती है, आम जनता यह देखते ही रह जाती है। समय खत्म हो जाता है, परंतु इनकी जुगाड़ चलती रहती हैं। इन सभी क्रियाओं से हम साधारण लोग काफी परेशान हैं, आशा है कि आप हमारी परेशानी को समझेंगे और उसका निदान करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
आलोक महंत
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में). दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) पटकथा की मूल इकाई क्या होती है? उसका क्या महत्व होता है? (3)
उत्तर:
किसी भी पटकथा को आकर्षक व रुचिपूर्ण बनाने के लिए दृश्य का होना अति आवश्यक है। लोग दृश्यों के सहारे ही पटकथा का भाव आसानी से समझ सकते हैं। इसके अभाव में पटकथा नौरस व उबाऊ लगते लगती है और दर्शक की रुचि उसमें समाप्त होने लगती है अतः किसी भी पटकथा में दृश्य का बहुत महत्व होता है।
(ख) “आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया” विषय पर डायरी लिखिए। (3)
उत्तर:
“आज अपने पहली बार नाटक में भाग लिया” दिनांक 20 जनवरी, 20xx- आज का दिन मेरे लिए बहुत प्रसन्नता एवं उपलब्धि का है। मैं किसी नाटक में अभिनय करना चाहता था। आज मेरी यह इच्छा पूरी हुई। इस अवसर पर “अधिकार का रक्षक” शीर्षक नाटक रंगमंच पर प्रस्तुत किया गया। यह नाटक वर्तमान समय के राजनीतिक नेताओं के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश करता है। इसमें मैं सम्पादक बना जो नेता के समक्ष कार्य की अधिकता का बोझ (चुनाव के दौरान) उठाने में असमर्थता व्यक्त करता है। इसमें मुझे अपनी दीनता का अभिनय करना था। मैं स्वयं को दीन-हौन साधनहीन सम्पादक ही अनुभव कर रहा था। नाटक की समाप्ति पर मुझे भरपूर प्रशंसा मिली।
(ग) डायरी लेखन में अपने अंतरंग के साथ हम साक्षात्कार कैसे करते हैं? (3)
उत्तर:
डायरी में हम अपने जीवन में घटित होने वाली घटनाओं, अनुभवों आदि का विवरण प्रत्येक तिथि के अनुसार लिखते रहते हैं। हम अपनी डायरी में उन बातों को भी लिख देते हैं, जिन्हें हम किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बता सकते। इस प्रकार हम डायरी पर लिखते समय अपनी बातें स्वयं को ही बताते चलते हैं। इससे हमारा अपने आप से ही संवाद स्थापित हो जाता है। इससे हमें हमारी अच्छाइयों और बुराइयों का ज्ञान हो जाता है। हम स्वयं को अच्छी प्रकार से समझ पाते हैं तथा जहाँ कमियाँ है उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं। हमें जब भी आवश्यकता होती है, हम डायरी के पिछले पृष्ठों को पढ़कर अपने अतीत को स्मरण कर सकते है। इस प्रकार डायरी लेखन हमें अपने अंतरंग के साथ साक्षात्कार करने का अवसर प्रदान करता है।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) स्ववृत्त से आप क्या समझते हैं? (2)
उत्तर:
स्ववृत्त व्यक्ति की पहचान का एक माध्यम है। यह किसी नौकरी, पद आदि के आवेदन के साथ प्रस्तुत किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। आवेदक का नाम, जन्मतिथि, शैक्षणिक योग्यता, अंक प्रतिशत कार्यानुभव आदि सभी सम्मिलित होते हैं। स्ववृत्त के दो पक्ष होते हैं। पहले पक्ष में वह व्यक्ति है जिसको केन्द्र में रखकर सूचनाएँ संकलित की गई होती है। दूसरा पक्ष उस व्यक्ति या संस्था का है जिसके लिए या जिसके प्रयोजन को ध्यान में रखकर सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं।
(ख) भारतीय स्टेट बैंक, जोधपुर शाखा को कुछ कार्यालय सहायकों की आवश्यकता है। बैंक के मैनेजर को इस पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए। (2)
उत्तर:
सेवा में,
मुख्य प्रबन्धक,
भारतीय स्टेट बैंक,
जोधपुर (राज.)
विषय-कार्यालय सहायकों के पद के लिए रिक्त-स्थानों की पूर्ति के लिए आवेदन-पत्र।
महोदय,
पिछले सप्ताह दैनिक समाचार पत्र नवभारत टाइम्स में आपको ओर से कार्यालय सहायकों की आवश्यकता सम्बन्धी विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था। मैं स्वयं को इस पद के लिए एक प्रार्थी के रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मेरा स्ववृत्त (Biodata) निम्नलिखित प्रकार से है-
1. प्रार्थी का नाम – अमित कुमार शर्मा
2. पिता का नाम – श्री अजय कुमार शर्मा
3. जन्म तिथि – 24.05.1988
4. स्थायी पता – 219 डी, बी, ब्लाक, मंगोलपुरी दिल्ली।
5. शैक्षिक योग्यताएँ-
- केन्द्रीय मा. शि. बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 2002 में 82%, अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
- के. मा. शि. बोर्ड से 2004 में सीनियर सेकेण्डरी परीक्षा 80% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की।
- दिल्ली वि. वि. से 2007 में बी. कॉम. (पास) परीक्षा 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की।
- कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ आपने मुझे यदि सेवा का अवसर प्रदान किया तो मैं निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन करूँगा। संलग्न-सभी अंकतालिकाओं एवं प्रमाणपत्रों की छाया प्रतियाँ
धन्यवाद सहित,
भवदीय
अमित कुमार शर्मा
मोबाइल : 98374912xx
दिनांक : 15. 8. …………….
(ग) कोष कितने प्रकार के होते हैं? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
कोष तीन प्रकार के होते हैं-विश्वज्ञान कोष, चरित्र कोष, साहित्य कोष।
1. विश्वज्ञान कोष (Encyclopedia) : विश्वज्ञान कोष, विश्वकोष या ज्ञानकोष ऐसी पुस्तक को कहते हैं जिसमें विश्वभर की तरह-तरह की जानने योग्य बातों का समावेश होता है। विश्वकोष का अर्थ है-विश्व के समस्त ज्ञान का भण्डार। विश्वकोष अंग्रेजी शब्द ‘एनसाइकलोपीडिया’ का समानार्थी है जिसका अर्थ है-शिक्षा की परिधि। शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती, वह अनन्त होती है। अत: इसे कभी भी पूरा हुआ’ घोषित नहीं कर सकते।
2. चरित्र कोष : चरित्र कोष को व्यक्तिकोष भी कहते हैं। इसमें हमें विचारकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों आदि के संक्षिप्त परिचय और उपलब्धियों की जानकारी मिलती हैं। इसमें जानकारियों का क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण होता है।
3. साहित्य कोष : यह कोष हिन्दी का साहित्य कोष है लेकिन यह कोष हिन्दी प्रदेशों के अलावा दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्व और अन्य भारतीय क्षेत्रों की भाषाओं, संस्कृतियों, दर्शनों, सिद्धान्तों और महान् कृतियों से भी अपनी सीमा में साक्षात कराता है। इतना ही नहीं, यह हिन्दी क्षेत्र को 48 लोक भाषाओं और इनकी कलाओं-संस्कृतियों की भी छवियाँ देता है।
VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1 (20 अंक)
1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) कबीर ने ईश्वर की व्यापकता को कैसे समझाया है? (3)
उत्तर:
कबीर ने एक ही ईश्वर की व्यापकता को निम्नलिखित तकों से समझाया है-
- संसार में सब जगह एक ही पवन व जल है।
- सभी में एक ही ईश्वरीय ज्योति है।
- एक ही मिट्टी से सभी वर्तनों का निर्माण होता है।
- एक ही परमात्मा का अस्तित्व सभी प्राणों में है।
- प्रत्येक कण में ईश्वर है।
- दुनिया के हर जीव में ईश्वर व्याप्त है।
(ख) पाठ घर की याद’ में कवि की मानसिक स्थिति कैसी हो गई थी और क्यों? (3)
उत्तर:
कवि को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल होने के कारण जेल में जाना पड़ा। कवि को इस बात पर बहुत गर्व था कि उसने अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाया था, लेकिन कवि के माता-पिता उसके जेल जाने से बहुत दु:खी थे और वह स्वयं को अपने माता-पिता के दुःखी होने का कारण समझता था।
हालांकि उसने परिवार हित में स्वयं को समर्पित किया था परन्तु अपने परिवार से न मिल पाने की पीड़ा भी कम न थी। अपनी पीड़ा वह किसी को भी बता नहीं पाता इसलिए वह दुःख कभी बादल से तो कभी सावन से साझा करता है। अब उसे अकेलापन अच्छा लगने लगा था। वह किसी से बात नहीं करता। परिवार वालों को याद करते-करते वह अक्सर खो-सा जाता। इस तरह उसकी मानसिक स्थिति दयनीय व निराशाजनक स्थिति में पहुंच गई थी।
(ग) गज़ल किसे कहते हैं ? दुष्यंत कुमार की गज़ल की विशेषताएँ लिखिए। (3)
उत्तर:
गज़ल काव्य लेखन की एक विधा है। इसमें एक ही बहर और वज़न के अनुसार शेर लिखे जाते हैं। गजल में शेरों की संख्या विषम होती है। गज़ल के शेर में जो तुकांत शब्द आते हैं, उन्हें काफिया कहा जाता है और दोहराव वाले शब्दों को रदीफ कहते हैं। यह रुबाई छंद में लिखी जाती है। गज़ल में शीर्षक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
दुष्यंत कुमार की गज़ल में अदभुत विशेषताएँ हैं। इन्होंने गज़ल विधा को हिन्दी में लिखकर प्रतिष्ठित किया। इनकी गजलों के शेर साहित्यिक और राजनीतिक सभाओं में इस तरह से दोहराए जाते हैं मानो ये मुहावरे या लोकोक्तियाँ हो। इन्होंने अपनी गज़लों में साहित्यिक गुणवत्ता को कभी कम नहीं होने दिया इसीलिए लोकप्रियता के मामले में इनकी गज़लों ने नए कीर्तिमान स्थापित किए। इनकी गज़लों में तत्सम व उर्दू शब्दों का खूबसूरत समावेश किया गया है। जैसे-मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) मीरा कृष्ण की भक्ति किन रूपों में करती थी? (2)
उत्तर:
मीरा कृष्ण की भक्ति दो रूपों में करती थी। पहला-वे स्वयं को कृष्ण की दासी व कृष्ण को अपना प्रभु मानती थीं और उनसे मुक्ति की प्रार्थना करती है वहीं दूसरा वे कृष्ण को अपना पति मानती थीं और उनसे प्रेम करते हुए उनमें ही समा कर एक हो जाना चाहती थीं।
(ख) कवि ने चम्पा को पढ़ाई का महत्त्व समझाते हुए महात्मा गांधी का उदाहरण क्यों दिया होगा? (2)
उत्तर:
कवि ने चम्पा को पढ़ाई का महत्व समझाते हुए महात्मा गांधी का उदाहरण इसलिए दिया होगा क्योंकि वह गांधीजी का बहुत सम्मान करती है. गांधीजी कहते थे, सब लोग पढ़े-लिखें क्योंकि गांधी जी पढ़ाई-लिखाई के समर्थक थे।
(ग) कवयित्री अक्क महादेवी द्वारा रचित कविता (‘हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर’) का सार लिखिए। (2)
उत्तर:
यहाँ कवयित्री के दो वचन संकलित है। इसके पहले वचन में उन्होंने भूख-प्यास, क्रोध-मोह, लोभ-मद, ईर्ष्या पर नियन्त्रण रखने और भगवान शिव का ध्यान लगाने की प्रेरणा दी है। दूसरे वचन में ईश्वर के सम्मुख सम्पूर्ण समर्पण का भाव है। कवयित्री चाहती है कि वह सांसारिक वस्तुओं से पूरी तरह खाली हो जाए। उसे खाने के लिए भीख तक न मिले। शायद इसी तरह उसका संसार उससे छूट सके।
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) नेहरू जी अपनी बातचीत में किन-किन देशों का जिक्र करते और क्यों? (3)
उत्तर:
नेहरू जी अपनी बातचीत में चीन, स्पेन अबौसिनिया, मध्य यूरोप, मिस्र और पश्चिमी एशिया, सोवियत यूनियन, अमरीका आदि देशों का जिक्र करते हैं ताकि वे उन देशों के संघर्षों और उनमें होने वाले परिवर्तनों व उन्नति के बारे में लोगों को बता सकें तथा लोगों को प्रेरित कर सकें कि वे भी अपने देश को आजाद कराकर उन देशों के समान ही उन्नति कर सकते हैं। यह कार्य थोड़ा कठिन अवश्य है लेकिन असंभव नहीं।
(ख) धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर हैरानी होती है और क्यों? (3)
उत्तर:
धनराम को मोहन के हथौड़ा चलाने और लोहे की छड़ को गोलाई देने की बात पर आश्चर्य हुआ। उसे मोहन की कुशलता पर इतना अधिक आश्चर्य नहीं हुआ जितना कि उसके निराभिमानी व्यवहार पर । मोहन पुरोहित खानदान का पुत्र था। उसे ऊँची जाति का माना जाता था। कोई ब्राह्मण बालक लोहार जैसे निम्न माने जाने वाले कार्य में हाथ नहीं डालता तथा उसके पास नहीं बैठता। पर मोहन उसके पास आकर बैठा रहा। धनराम को इसी बात पर आश्चर्य हुआ कि मोहन ने अपनी जाति को भुलाकर यह काम कैसे कर लिया?
(ग) ‘जामुन का पेड़’ पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गयी और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाज़ा मिलता है? (3)
उत्तर:
‘जामुन का पेड़’ पाठ में सरकार के अनेक विभागों की चर्चा की गयी है। ये विभाग और उनके कार्य निम्नलिखित
- व्यापार विभाग-यह विभाग देश में होने वाले सभी प्रकार के व्यापार से संबंधित कार्य देखता
- एग्रीकल्चर-यह विभाग खेती-बाड़ी से संबंधित कार्य देखता है।
- हॉटीकल्चर विभाग-यह विभाग बागवानी से संबंधित है।
- मेडीकल विभाग-इसका संबंध चिकित्सा व दवाई से है।
- कल्चरल विभाग-इसका संबंध कला व साहित्य से है।
- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट-इसका संबंध बनों के विकास व संरक्षण आदि से है।
- विदेश विभाग-यह विभाग अन्य देशों के साथ रिश्तों से संबंधित है।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- ?(2 × 2 = 4)
(क) ‘नमक का दरोगा’ कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों? (2)
उत्तर:
‘नमक का दरोगा’ कहानी का नायक बंशी पर हमें सर्वाधिक प्रभाषित करता है क्यों कि वह सत्यनिष्ठ और चरित्रवान दरोगा है। उसके पिता उसे बेईमानी की सलाह देते हैं। उसके चारों तरफ समाज पूरी तरह भ्रष्ट है, फिर भी वह बड़े गर्व और स्वाभिमान से जीता है। पंडित अलोपीदीन से मुकदमा हारने पर भी वह छाती तानकर चलता है। पछतावा प्रकट नहीं करता। अंत में अलोपीदीन भी उसकी इस दृढ़ता से मुग्ध हो जाते हैं।
(ख) लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं? (2)
उत्तर:
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन की कारीगरी को जानने और उसे प्रकाशित करने के उद्देश्य से उनके पास गई थी इसलिए उसने मियाँ से रोटियाँ खरीदने की बजाए उनसे कुछ प्रश्न किए। वह पत्रकार की हैसियत से वहाँ गई थी।
(ग) लॉर्ड कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया? (2)
उत्तर:
बंग-भंग की योजना को मनमाने ढंग से लागू करने के कारण सारे भारतवासी लार्ड कज़न के विरुद्ध उठ खड़े हुए। इससे लार्ड कर्जन की जड़ें हिल गई। वह इंग्लैण्ड वापस जाने के बहाने खोजने लगा। इसके अतिरिक्त कर्जन ने एक फौजी अफसर को अपनी इच्छा से नियुक्त कराना चाहा। उसकी सिफारिश को अनसुना कर दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर उसने इस्तीफा देने की पेशकश कर दी और उसका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया।