Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 3 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 3 with Solutions
समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
- उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
- उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।
रखण्ड’अ’ : अपठित बोध
I. अपठित बोध- (15 अंक)
(अ) अपठित गद्यांश
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)
बाज़ार ने, विज्ञापन ने हिंदी को एक क्रांतिकारी रूप दिया जिसमें रवानगी है, रोमांच है। इस तरह हिंदी भविष्य की भाषा, समय का तकाज़ा और रोज़गार की ज़रूरत बनती जा रही है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है; सूचना – क्रांति ने विश्व को ग्राम बना दिया है। मीडिया की जागरूकता ने समाज में एक क्रांति ला दी है और इस क्रांति की भाषा हिंदी है। इतने सारे समाचार चैनल हैं और सभी चैनलों पर हिंदी अपने हर रूप में नए कलेवर तेवर में निखरकर, सँवरकर, लहरकर, ‘बोलें तो बिंदास’ बनकर छाई रहती है । तुलनात्मक अर्थों में आज” अंग्रेज़ी- पत्रकारिता से हिंदी पत्रकारिता का मूल्य- बाज़ार उत्पादन, उपभोग और वितरण बहुत बड़ा है।
प्रिंट मीडिया की स्थिति ज़्यादा बेहतर है, पत्र-पत्रिकाओं की लाखों प्रतियाँ रोज़ाना बिकती हैं। चीन के बाद सबसे अधिक अखबार हमारे यहाँ पढ़े जाते हैं, हिंदी के सम्प्रेषण की यह मानवीय, रचनात्मक और सारगर्भित उपलब्धि है। पत्र -1 -पत्रिकाएँ हिंदी की गुणवत्ता और प्रचार-प्रसार के लिए कृतसंकल्प हैं। यह भ्रम फैलाया गया है कि हिंदी रोज़गारोन्मुखी नहीं है। आज सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्रों में करोड़ों हिंदी पढ़े-लिखे लोग आजीविका कमा रहे हैं। भविष्य में हिंदी की बाज़ार माँग और अधिक होगी। पसीनों में, प्रार्थनाओं में, सिरहानों की सिसकियों में और हमारे सपनों में जब तक हिंदी रहेगी तब तक वह बिना किसी पीड़ा या रोग के सप्राण, सवाक् और सस्वर रहेगी।
1. किस ने हिंदी को क्रांतिकारी रूप दिया है?
(क) लोगों ने
(ख) विज्ञापन ने
(ग) विज्ञान ने
(घ) अखबार ने
उत्तर:
(ख) विज्ञापन ने
व्याख्या – बाज़ार में हर वस्तु को विज्ञापनों द्वारा इतना आकर्षक बना दिया जाता है कि उसे लेने की होड़ मच जाती है और ये विज्ञापन हिन्दी भाषा में होते है, जिससे हर व्यक्ति आसानी से उसे समझ सके। इस कारण हिन्दी का महत्त्व आज भी चरम पर है।
2. किसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा गया है ?
(क) अखबार को
(ख) पत्रकारिता को
(ग) पत्रिका को
(घ) टी.वी. को
उत्तर:
(ख) पत्रकारिता को
3. समाज में क्रांति किस के कारण आई है?
(क) आतंक
(ख) शांति
(ग) जागरूकता
(घ) मीडिया
उत्तर:
(घ) मीडिया
4. चैनलों पर किस का रूप निखर कर आता है ?
(क) हिंदी
(ख) अभिनेता
(ग) अभिनेत्री
(घ) समाचार वाचक
उत्तर:
(क) हिंदी
5. किस पत्रकारिता का वितरण क्षेत्र बहुत बड़ा है ?
(क) अंग्रेजी पत्रकारिता का
(ख) हिंदी पत्रकारिता का
(ग) चीनी पत्रकारिता का
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ख) हिंदी पत्रकारिता का
6. सब से अधिक अखबार कहाँ पढ़े जाते हैं?
(क) चीन में
(ख) भारत में
(ग) इंग्लैंड में
(घ) अमेरिका में
उत्तर:
(क) चीन
व्याख्या – सबसे अधिक अखबार चीन में पढ़े जाते हैं।
7. हिंदी के प्रचार के लिए कौन कृतसंकल्प है ?
(क) पत्र-पत्रिकाएँ
(ख) शिक्षा विभाग
(ग) सरकार
(घ) सिनेमा
उत्तर:
(क) पत्र-पत्रिकाएँ
व्याख्या – हिन्दी के प्रचार के लिए पत्र-पत्रिकाएँ कृत संकल्प हैं।
8. हिंदी को कैसी भाषा होने का आक्षेप लगाया जा रहा है? 1
(क) प्रेरणादायक न होने का
(ख) रोजगारोन्मुखी न होने का
(ग) निरर्थक होने का
(घ) सार्थक होने का
उत्तर:
(घ) सार्थक होने का
व्याख्या – सरकारी और गैरसरकारी क्षेत्रों में आज भी हिन्दी का वर्चस्व है, जिसे न जानने वाले हिन्दी के रोज़गारोन्मुखी भाषा न होने का आक्षेप लगाया।
9. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए । 1
(क) अंग्रेज़ी भाषा का महत्त्व
(ख) सरकार का महत्त्व
(ग) हिन्दी भाषा का महत्त्व
(घ) जनता का महत्त्व
उत्तर:
(ग) हिन्दी भाषा का महत्व
10. ‘तुलनात्मक’, में प्रत्यय होगा- 1
(क) नात्मक
(ख) आत्मक
(ग) त्मक
(घ) मक
उत्तर:
(ख) आत्मक
(ब) अपठित पद्यांश-
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)
जब कभी मछेरे को फेंका हुआ
फैला जाल
समेटते हुए, देखता हूँ
तो अपना सिमटता हुआ
‘स्व’ याद हो आता है-
जो कभी समाज, गाँव और
परिवार के वृहत्तर रकबे में
समाहित था
‘सर्व’ की परिभाषा बनकर
और अब केन्द्रित हो
गया हूँ, मात्र बिन्दु में
जब कभी अनेक फूलों पर
बैठी, पराग को समेटती
मधुमक्खियों को देखता हूँ
तो मुझे अपने पूर्वजों की
याद हो आती है,
जो कभी फूलों को रंग, जाति, वर्ग
अथवा कबीलों में नहीं बाँटते थे
और समझते रहे थे कि
देश एक बाग है,
और मधु-मनुष्यता
जिससे जीने की अपेक्षा होती है।
किन्तु अब
बाग और मनुष्यता
शिलालेखों में जकड़ गई है
मात्र संग्रहालय की जड़ वस्तुएँ।
1. कवि ने स्व की तुलना जाल से क्यों की है ? 1
उत्तर:
कवि ने स्व की तुलना जाल से इसलिए की है क्योंकि जाल रस्सियों से बना होता है। जिस तरह शाम को मछुआरा उसे समेट लेता है, उसी प्रकार कवि पहले विस्तृत दायरें में फैला था लेकिन अब उसने अपने आपको स्वयं तक ही सीमित कर लिया है।
2. ‘सर्व’ से कवि का क्या अभिप्राय है? 1
उत्तर:
‘सर्व’ से कवि का अभिप्राय उसके समाज, गाँव, परिवार के विस्तृत दायरे से है।
3. मधुमक्खियाँ किसे सिमेटती हैं? 1
(क) पराग
(ख) फूलों
(ग) खुशबू
(घ) फलों
उत्तर:
(क) पराग
4. कवि ने अपने पूर्वजों की क्या विशेषता बताई है ? 1
उत्तर:
कवि के अनुसार पूर्वज परिवारों को फूलों के रंग की तरह जाति, वर्ग तथा क़बीलों को बाँटते नहीं थे बल्कि वह उसे एक बगीचे की तरह जोड़कर रखते थे।
5. ‘बाग और मनुष्यता शिलालेखों में जकड़ कर रह गई है ।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। 1
उत्तर:
पंक्ति का भाव है कि आजकल मानव के हृदय में संवेदनशीलता समाप्त हो गई है। उसका हृदय पत्थर की तरह कठोर हो गया है। समाज के लोगों के दुःख दर्द का उस पर कोई असर नहीं होता है।
अथवा
थका हारा सोचता मन – सोचता मन ।
उलझती ही जा रही है एक उलझन ।
अँधेरे में अँधेरे से कब तलक लड़ते रहें
सामने जो दिख रहा है, वह सच्चाई भी कहें।
भीड़ अंधों की खड़ी खुश रेवड़ी खाती
और अँधेरे के इशारों पर नाचती – गाती ।
थका हारा सोचता मन सोचता मन ।
भूखी प्यासी कानाफूसी दे उठी दस्तक
अंध बन जो झुका दे तम-द्वार पर मस्तक ।
रेवड़ी की बाँट में तू रेवड़ी बन जा
तिमिर के दरबार में दरबान – सा तन जा ।
थका हारा, उठा गर्दन – जूझता मन
दूर उलझन ! दूर उलझन, दूर उलझन !
चल खड़ा हो पैर में यदि लग गई ठोकर
खड़ा हो संघर्ष में फिर रोशनी होकर
मृत्यु भी वरदान है संघर्ष में प्यारे
सत्य के संघर्ष में क्यों रोशनी हारे ।
देखते ही देखते तम तोड़ता है दम
और सूरज की तरह हम ठोंकते हैं खम ।
1. संघर्ष करते हुए मृत्यु होने पर वह किसके समान होती है ? 1
(क) शोक के
(ख) पश्चाताप के
(ग) वरदान के
(घ) उलझन के
उत्तर:
(ग) शोक के
2. ‘भीड़ अंधों की खुश रेवड़ी खाती’ पंक्तियों का भाव क्या है? 1
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव है कि लोग ( अंधे) स्वार्थी बनकर अवसर का लाभ उठाते हैं और अन्धकार ( बुराई) को अपनाकर दूसरों के इशारों पर नाचते हैं।
3. कवि का मन मनुष्य को किसकी तरह तनने की सलाह देता है? 1
(क) दरवाज़े की
(ख) पहरेदार की
(ग) दरबान की
(घ) नादान की
उत्तर:
(ग) दरबान की
4. पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए । 1
उत्तर:
मन की उलझन
5. संघर्ष में विजय किसे मिलती है? 1
उत्तर:
संघर्ष में विजय उसी की होती है, जो सूर्य की रोशनी की तरह डटकर खड़ा हो जाता है। उस समय अन्धेरा भी दम तोड़ देता है।
II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न । (1 × 5 = 5)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए ।
1. भारत में पहला छापाखान कहाँ खुला ? 1
(क) मुम्बई
(ख) गोवा
(ग) कलकत्ता
(घ) दिल्ली
उत्तर:
(ख) गोवा
2. भारत का पहला समाचार पत्र उदन्त मार्तंड कब प्रकाशित हुआ ? 1
(क) 1826
(ख) 1829
(ग) 1856
(घ) 1872
उत्तर:
(क) 1826
व्याख्या – पं. जुगल किशोर ने कलकत्ता से 1826 में उदन्त मार्तंड का प्रकाशन कराया।
3. समाचार के विस्तृत तत्त्वों को घटते क्रम में लिखना क्या कहलाता है ? 1
(क) इन्ट्रो
(ग) बॉडी
(ख) ककार
(घ) बॉचडांग
उत्तर:
(ग) बॉडी
व्याख्या – समाचार के विस्तृत तत्वों को घटते क्रम में लिखना बॉडी कहलाता है।
4. मनोरंजन के लिए लिखा जाने वाला सुव्यवस्थित आत्मनिष्ठ लेखन क्या कहलाता है ? 1
(क) फीचर
(ग) पेज थ्री
(ख) आलेख
(घ) अंशकालिक
उत्तर:
(क) फीचर
5. लोकतन्त्र में जनसंचार का कार्य क्या है ? 1
(क) सूचना देना
(ख) शिक्षित करना
(ग) मनोरंजन करना
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)
(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
और माँ बिन- पढ़ी मेरी,
दुःख में वह गढ़ी मेरी
माँ कि जिसकी गोद में सिर,
रख लिया तो दुःख नहीं फिर,
माँ की जिसकी स्नेह-धारा,
का यहाँ तक भी पसारा,
उसे लिखना नहीं आता,
जो कि उसका पत्र पाता ।
1. इस पद्यांश में किस प्रेम का वर्णन हुआ है ?
(क) मातृ
(ख) ईश्वरीय
(ग) भ्रातृ
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) मातृ
2. पसारा का अर्थ है- 1
(क) गोद
(ख) स्नेह
(ग) प्रसार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) प्रसार
3. भारत छोड़ो आन्दोलन कब हुआ ? 1
(क) 1941
(ख) 1942
(ग) 1943
(घ) 1945
उत्तर:
(ख) 1942
व्याख्या – कवि 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण जेल में बंद है। यद्यपि उसकी माँ को इस बात का गर्व भी है।
4. कवि के परिवार में से कौन अनपढ़ है ?
(क) चाचा
(ख) चाची
(ग) माता
(घ) पिता
उत्तर:
(ग) माता
5. माँ की स्नेह धारा का फैलाव कहाँ तक है?
(क) घर तक
(ख) खेतों तक
(ग) कारागृह तक
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) कारागृह
व्याख्या – माँ की स्नेह धारा कस फैलाव कारागृह तक है।
(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
शूटिंग की शुरूआत में ही एक गड़बड़ हो गई। अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गाँव गए। वहाँ रेल लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था । अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं – इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी। यह सीन बहुत ही बड़ा था। एक दिन में उसकी शूटिंग पूरी होना नामुमकिन था । कम-से-कम दो दिन लग सकते थे। पहले दिन जागद्धात्री पूजा का त्योहार था । दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुंचता है।
1. अपू और दुर्गा पहली बार किसको देखते हैं? 1
(क) बच्चों को
(ग) रेलगाड़ी को
(ख) फ़िल्म को
(घ) सभी को
उत्तर:
(ग) रेलगाड़ी को
2. रेल लाइन के पास किससे भरा एक मैदान था ?
(क) आम
(ग) अंगूर
(ख) सेब
(घ) काशफूल
उत्तर:
(घ) काशफूल
व्याख्या – रेल लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था।
3. अपू और दुर्गा को लेकर किस गाँव में गए ?
(क) रालसिट
(ख) पालसिट
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) पालसिट
4. कितने दिनों में शूटिंग करना नामुमकिन था ? 1
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(क) एक
5. दुर्गा के पीछे कौन दौड़ते हुए काशफूलों के वन में पहुँचा ? 1
(क) लेखक
(ख) अपू
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं’
उत्तर:
(क) लेखक
व्याख्या – दुर्गा के पीछे लेखक दौड़ते हुए रेल लाइन के पास काशफूल के वन में पहुंचा।
IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग – 1 (10 अंक)
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
1. ‘जबरन’ का क्या अर्थ है ? 1
(क) खुश होना
(ख) तैयार रहना
(ग) ज़बरदस्ती करना
(घ) ज़ोर से रोना
उत्तर:
(ग) ज़बरदस्ती करना
2. ‘दरकार’ का क्या अर्थ है ? 1
(क) ज़रूर
(ख) ज़रूरत
(ग) जोगन
(घ) जानना
उत्तर:
(ख) ज़रूरत
व्याख्या – दरकार का अर्थ ज़रूरत अथवा आवश्यकता होता है।
3. बेबी हालदार ज़्यादातर अपना लेखन किस समय में करती थी ? 1
(क) सुबह
(ख) दोपहर
(ग) रात
(घ) शाम
उत्तर:
(ग) रात
4. बेबी हालदार के लेखन की तुलना किससे की गई है ? 1
(क) आशापूर्णा देवी
(ख) जेठू
(ग) तातुश
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) आशापूर्णा देवी
व्याख्या – बेबी हलदार के लेखन की तुलना आशापूर्ण देवी से की गई है।
5. बेबी हालदार को पार्क में जो लड़की मिलती थी उसका क्या नाम था ? 1
(क) सुनीता
(ख) सुनिधि
(ग) सुनीति
(घ) सोनाली
उत्तर:
(ग) सुनीता
6. तातुश के बच्चों में सबसे कम बोलने वाला लड़का कौन था? 1
(क) अर्जुन
(ख) रमण
(ग) सुखदीप
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) अर्जुन
व्याख्या – तातुरा के बच्चों में सबसे कम बोलने वाला लड़का अर्जुन था।
7. कुंई शब्द से तात्पर्य है? 1
(क) खुला स्थान
(ख) गहरा स्थान
(ग) छोटा-सा स्थान
(घ) गहरा कुआँ
उत्तर:
(ग) छोटा-सा स्थान
8. ‘चेलवांजी’ का शाब्दिक अर्थ है- 1
(क) चेजारो
(ख) पुचकारो
(ग) निहारो
(घ) निथारो
उत्तर:
(क) चेजारो
9. चेलवांजी अपने सिर पर किस प्रकार का टोप पहनते हैं? 1
(क) काँसे का
(ख) पीतल का
(ग) किसी अन्य धातु का
(घ) उपरोक्त सभी की
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
व्याख्या – चेलपांजी अपने सिर पर काँसे, पीतल तथा किसी अन्य धातु का बना टोप पहनते थे।
10. वर्षा की मात्रा नापने के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है ? 1
(क) पट्टी
(ख) रेजा
(ग) इंच
(घ) सेंटीमीटर
उत्तर:
(ख) रेज़ा
व्याख्या – वर्षा की मात्रा मापने हेतु रेजा शब्द का प्रयोग किया जाता है।
खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)
1. दिए गए अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन कीजिए । 5
(क) दहेज प्रथा एक सामाजिक कलंक है ? कैसे ? क्यों ? अपने विचार लिखिए- 5
उत्तर:
‘दहेज प्रथा एक सामाजिक कलंक’ हमारे समाज में विवाह के शुभ मौके पर वधु पक्ष की तरफ से वर पक्ष को जो सम्पत्ति उपहार स्वरूप दी जाती है, उसे दहेज कहते हैं। प्राचीन समय में पहले माता-पिता अपनी कन्या को कुछ वस्तुएँ अपनी इच्छा से उपहार के रूप में देते थे किन्तु आजकल यह प्रथा एक बुरा रूप धारण कर चुकी है। यह हमारे समाज पर कलंक बन गई है। आजकल वर पक्ष वाले बधु पक्ष से मुंह खोलकर बड़ी-बड़ी वस्तुएँ अथवा अधिक-से-अधिक दहेज की मांग करते हैं। अनेक लोग तो अपने बच्चों की बोली तक लगाने लगे हैं। उन्हें अपने लड़कों की बोली लगाने में ज़रा भी शर्म नहीं आती।
यदि वधु पक्ष वर पक्ष की मांगों को पूरा नहीं करता है तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। कुछ लोग तो वधुओं को अनेक कठोर यातनाएँ भी देते हैं। यहां तक कि ससुराल वाले बहुओं को जलाकर मार देते हैं। कुछ लड़कियाँ ससुराल वालों से तंग आकर आत्महत्या कर लेती हैं। इस प्रकार यह कहना गलत न होगा कि दहेज प्रथा एक सामाजिक कलंक का रूप धारण चुकी है। आज समाज के प्रत्येक वर्ग के युवाओं को आगे आकर इस सामाजिक कलंक को मिटाने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए और कहना चाहिए कि न हम दहेज लेंगे और न देंगे। तभी इस दहेज प्रथा जैसी समस्या से निजात पाई जा सकती है।
(ख) अपने परीक्षा भवन के दृश्य का वर्णन कीजिए । 5
उत्तर:
परीक्षा भवन का दृश्य अप्रैल महीने की पाँच तारीख थी। उस दिन हमारी परीक्षाएँ शुरू हो रही थीं। परीक्षा भवन शब्द से वैसे तो ज़्यादातर सभी मनुष्य घबराते हैं परन्तु विद्यार्थी वर्ग, इस शब्द से विशेषरूप से ज़रूर घबराता है मैं जब घर से चला तो मेरा भी दिल धक् धक् करने लगा। मैं रातभर पढ़ता रहा और चिन्ता थी कि यदि सारी रात के पढ़े में से कुछ भी प्रश्न-पत्र में नहीं आया तो क्या होगा ? परीक्षा भवन के बाहर कुछ विद्यार्थी चिन्तित तो कुछ खुश नज़र आ रहे थे। घण्टी बजी और फिर सब परीक्षा भवन में प्रवेश कर गए। अन्दर पहुँचकर सभी अपने-अपने रोल नम्बर के अनुसार अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। थोड़ी ही देर में अध्यापकों ने उत्तर पुस्तिकाएँ और ठीक सात बजते ही प्रश्न-पत्र बाँट दिए।
कुछ विद्यार्थी प्रश्न-पत्र प्राप्त कर चिन्तित नज़र आ रहे थे लेकिन मैंने जैसे ही प्रश्न-पत्र पढ़ना शुरू किया तो फिर मेरा खुशी का कोई ठिकाना न रहा क्योंकि सभी प्रश्न मेरे पढ़े हुए प्रश्नों में से आए हुए थे। तीन घण्टे तक मैं बिना इधर-उधर देखे लिखता रहा। मैं बहुत खुश था कि उस दिन मेरा पेपर बहुत अच्छा हुआ था।
(ग) ‘अक्ल बड़ी या भैंस’ कहावत पर अपने विचार प्रकट कीजिए । 5
उत्तर:
‘अक्ल बड़ी या भैंस’ (एमएस नहीं मिली)
(घ) ‘सावन की पहली झड़ी’ विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए । 5
उत्तर:
‘सावन की पहली झड़ी’ पिछले कई दिनों से हवा में घुटन-सी बढ़ गई थी। बाहर तपता सूर्य और सब तरफ हवा में नमी की अधिकता जीवन दूभर बना रही थी। बार-बार मन में भाव उठता कि ए-अल्लाह रहम कर करम कर न दिन में चैन और न रात को आँखों में नींद। बस गर्मी ही गर्मी, पसीना ही पसीना । आज रात को बिस्तर पर करवटें बदलते-बदलते पता नहीं कब आँख लग गई। सुबह आँख खुलीं तो महसूस हुआ कि ठण्डी हवा खिड़कियों से अन्दर आ रही है। मन खुशी से झूम उठा। खिड़की से झांककर देखा तो सूर्य पता नहीं कहीं बादलों में छिपा हुआ था। पक्षी पेड़ों पर बादलों के स्वागत में चहचहा रहे थे। लोग भी अपने घरों से निकल कर मौसम का मज़ा ले रहे थे। उमड़ते-उमड़ते मस्त हाथियों से काले कजरारे बादल और ठण्डी हवा मन को मोह रही थीं।
अचानक बादलों में तेज़ बिजली कौंधी, बादल गरजे और मोटी-मोटी बूँदें टपर्कों। लोग अपने-अपने घरों की ओर भागने लगे। महीनों से प्यासी धरती की प्यास बुझ गई। पेड़-पौधों के पत्ते नहा गए। छोटे-बड़े लोग भी बारिश में नहा रहे थे, खेल रहे थे। कल रात तक दहकने वाला दिन आज खुशनुमा हो गया। लोग दुआएँ करने लगे कि रब करे कि धरती की प्यास बुझ जाए और हमारे खेत लहलहा उठें।
2. हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल वर्ग पर पड़ने वाले दुष्परिणामों का वर्णन करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए । 5
अथवा
सूचना और संचार के माध्यमों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण पत्र – लेखन पीछे छूट गया है। पत्र – लेखन के महत्त्व को रेखांकित करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स
आगरा
विषय: हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल वर्ग पर पड़ने वाले दुष्परिणाम के सम्बन्ध में ।
महोदय,
मैं आपके पत्र के माध्यम से हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल वर्ग में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति की तरफ जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। इन्हें ‘पाठकों के पत्र’ कॉलम में प्रकाशित करने का कष्ट करें।
आज की हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बालवर्ग पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इनमें कुछ का विषय सामाजिक समस्याओं पर आधारित होता है तो अधिकांश फिल्मों में हिंसा की प्रधानता होती है। इनका बालवर्ग पर भयानक दुष्प्रभाव पड़ता है। दूरदर्शन पर प्रसारित अधिकांश फिल्मों व सीरियलों में हिंसा, मारधाड़ तथा अश्लीलता प्रमुख होती है तथा इसके लिए
वह अपराध की दुनिया में प्रवेश करने से भी नहीं डरती। जिससे बालवर्ग हिंसा और अपराध की प्रवृत्ति का शिकार हो रहा है, जो देश व समाज के लिए हितकर नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह इन पर रोक लगाए ।
भवदीय
सुशांत परमार
विजय कॉलोनी,
वाराणसी
दिनांक 2 मार्च, 20…….
अथवा
2024, सुभाष नगर,
जी. टी. रोड़
दिल्ली।
15 अप्रैल, 20………
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार
बहुत दिन हुए, हमारे बीच कोई पत्राचार नहीं हुआ। हालाँकि मोबाइल फोन द्वारा तुम्हारी कुशलता ज्ञात हुई। मित्र, बहुत समय बीत गया, न कभी तुमने मुझे पत्र लिखा और न ही मैंने ऐसा लगता है सूचना और संचार के माध्यमों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण पत्र लेखन मानो कहीं पीछे छूट गया है। यद्यपि टेलीफोन, इंटरनेट, फैक्स आदि माध्यमों ने एक-दूसरे के बीच की दूरी, स्थान और समय को तो कम किया है, लेकिन भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति टेलीफोन द्वारा नहीं हो सकती। वह तो केवल पत्र द्वारा ही की जा सकती है क्योंकि पत्र तो हम तसल्ली से लिखते हैं।
मित्र, यह तो तुम भी जानते हो कि पत्र लेखन का बहुत महत्त्व है। पत्र में हम अपने निश्छल भाव और विचार उकेरते हैं। इसके द्वारा पारस्परिक संबंध दृढ़ होते हैं दो व्यक्तियों के बीच आत्मीय संबंध स्थापित होता है। पत्र लेखन हर रिश्ते की नींव सुदृढ़ करता है। पत्र रूपी सेतु द्वारा मानवीय संबंधों की परस्परता एवं प्रगाढ़ता स्वयं सिद्ध है। यह एक कलात्मक अभिव्यक्ति है।
इसमें शब्दों द्वारा हृदय के उद्गार सहज रूप से व्यक्त होते हैं जो कि हम फोन पर नहीं कर सकते। फोन पर केवल कार्य से संबंधित शब्दों का प्रयोग ही अधिक होता है। हम अपने मन की बात तो केवल पत्र में ही लिखकर बता सकते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि पत्र लेखन ही सूचना और संचार के माध्यमों से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि पत्र लेखन की कड़ी हमारे बीच इसी प्रकार आगे बढ़ती रहेगी। घर में बड़ों को प्रणाम और छोटों को स्नेह ।
पत्र की प्रतीक्षा में
रवि
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) “आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया”
उत्तर:
दिनांक 20 जनवरी, 2021 – आज का दिन मेरे लिए बहुत प्रसन्नता एवं उपलब्धि का है मैं किसी नाटक में अभिनय करना चाहता था। आज मेरी यह इच्छा पूरी हुई। इस अवसर पर ” अधिकार का रक्षक” शीर्षक नाटक रंगमंच पर प्रस्तुत किया गया। यह नाटक वर्तमान समय के राजनीतिक नेताओं के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश करता है। इसमें सम्पादक बना जो नेता के समक्ष कार्य की अधिकता का बोझ (चुनाव के दौरान) उठाने में असमर्थ. ता व्यक्त करता है। इसमें मुझे अपनी दीनता का अभिनय करना था। मैं स्वयं को दीन-हीन साधनहीन सम्पादक ही अनुभव कर रहा था। नाटक की समाप्ति पर मुझे भरपूर प्रशंसा मिली।
(ख) पटकथा का स्रोत कहाँ से मिलता है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
पटकथा का स्रोत कुछ भी हो सकता है। हमारे स्वयं के साथ घटी कोई घटना अथवा हमारे आस-पास घटी कोई घटना भी पटकथा का आधार बन सकती है। इसके अतिरिक्त अखबार में छपा कोई समाचार, हमारी कल्पना से अपनी कोई कहानी, इतिहास में वर्णित कोई व्यक्तित्व, कोई सच्चा किस्सा अथवा साहित्य की किसी प्रसिद्ध रचना पर पटकथा लिखी जा सकती है। प्रसिद्ध साहित्यिक रचनाओं को तो बहुत बार पटकथा का आधार बनाया गया है। उदाहरण के रूप में शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘देवदास’ पर तीन बार फिल्म बनाई जा चुकी है।
(ग) पटकथा से क्या तात्पर्य है ? विस्तार से बताइए ।
उत्तर:
पटकथा’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘पट’ और ‘कथा’। इनमें ‘पट’ शब्द का अर्थ है ‘पर्दा’ और ‘कथा’ शब्द का अर्थ है – कहानी। इस प्रकार ‘पटकथा’ शब्द से तात्पर्य ऐसी कहानी से है जो पर्दे पर दिखाई जाए। पर्दा छोटा अथवा बड़ा कोई भी हो सकता है। कहने का भाव यह है कि जो कहानी टेलीविज़न अथवा सिनेमा में दिखाए जाने के लिए लिखी जाती है, उसे पटकथा कहा जाता है। पटकथा के आधार पर ही निर्देशक फिल्म अथवा धारावाहिक की शूटिंग की योजना बनाता है। अभिनेता, कैमरामैन, तकनीशियन, सहायक आदि भी पटकथा के आधार पर ही अपना-अपना कार्य करते हैं।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) शब्दकोश से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
कवि पाश ने सबसे खतरनाक स्थिति उसे बताया है जिसमें आत्मा का प्रकाश नहीं होता, जिसमें प्रकाश के नाम पर मुर्दा-धूप का टुकड़ा होता है, अर्थात् जिसके पास पुरानी रूढ़ियाँ पुराने विचार, पुरातनपंथी बातें होती हैं ऐसी चिंतन-दिशा से दिशाभ्रम होता है। कवि के अनुसार, जिस व्यक्ति के जीवन में प्रतिक्रियाएँ नहीं उठतीं, जो कष्ट पाकर विशेष के शब्दादि का संग्रह हो या संग्रह के साथ उनके उसी या दूसरी या दोनों भाषाओं में अर्थ, पर्याय या विलोम हों या विशिष्ट अथवा विभिन्न विषयों की प्रविष्टियों की व्याख्या, नामों (स्थान, व्यक्ति आदि) का परिचय या कथनों आदि का संकलन क्रमबद्ध रूप में हो। इसका मूल अर्थ ‘शब्द संग्रह’ है।
शब्दकोश एक बड़ी सूची या ऐसा ग्रंथ होता है जिसमें शब्दों की वर्तनी उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरण-निर्देश, अर्थ, परिभाषा प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश होता है। शब्दकोश एकभाषीय, द्विभाषीय या बहुभाषीय हो सकते हैं। अधिकतर शब्दकोशों में शब्दों के उच्चारण के लिए भी व्यवस्था होती है जैसे- अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या ऑडियो संचिका के रूप में कुछ शब्दकोषों में चित्रों का सहारा भी लिया जाता है। अलग-अलग कार्य क्षेत्रों के लिए अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं जैसे-विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि ।
(ख) निम्नलिखित कथनों को पूरा कीजिए ।
(i) शब्दकोश न केवल शब्दों के अर्थ बताता है । बल्कि
(ii) शब्द कोश के शब्दों का क्रम
(iii) शब्द कोश का सबसे बड़ा लाभ यह है कि
उत्तर:
1. मानव ज्ञान से संबंधित सूचना व जानकारी भी देता है ।
2. क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित किया जाता है।
3. हम अपने इच्छित शब्द के अर्थ को कुछ ही समय में ढूँढ सकते हैं या फिर कोई अन्य जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
(ग) एक अच्छे लेखन स्ववृत्त में क्या-क्या विशेषताएँ होनी चाहिए ?
उत्तर:
स्ववृत्त अच्छी तरह से टाइप किया होना चाहिए, कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए। लेखन कला करते समय उसकी बारीकियों का विशेष ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से वह विशेषता की श्रेणी में सम्मिलित हो जाती है। स्ववृत्त के एक अच्छे और विशेषताओं से युक्त स्ववृत्त में जन्म से लेकर शैक्षणिक योग्यता, प्रतिशत, अंक, वर्ष, कॉलेज विद्यालय का नाम आदि विस्तृत रूप से सुव्यवस्थित ढंग से लिखा जाना चाहिए। लेखन करते समय उसकी शुद्धता और स्पष्टता का ध्यान रखना आवश्यक है। इन सभी विशेषताओं से युक्त अच्छे स्ववृत्त की रचना की जा सकती है।
VI. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक और व्यावहारिक लेखन
1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए ।
(क) कवि पाश ने किस स्थिति को खतरनाक बताया है ?
उत्तर:
कवि पाश ने सबसे खतरनाक स्थिति उसे बताया है जिसमें आत्मा का प्रकाश नहीं होता, जिसमें प्रकाश के नाम पर मुर्दा-धूप का टुकड़ा होता है, अर्थात् जिसके पास पुरानी रूढ़ियाँ पुराने विचार, पुरातनपंथी बातें होती हैं ऐसी चिंतन-दिशा से दिशाभ्रम होता है। कवि के अनुसार, जिस व्यक्ति के जीवन में प्रतिक्रियाएँ नहीं उठतीं, जो कष्ट पाकर तड़पता नहीं, जो दैनिक ज़िंदगी के दैनिक आचार में खप चुका है, जिसके स्वप्न मर चुके हैं, जिसने ठहराव और मुर्दा शांति को ही जीवन मान लिया है, वह स्थिति सर्वाधिक खतरनाक है।
(ख) निर्मला पुतुल द्वारा रचित ‘आओ, मिलकर बचाएँ’ नामक कविता का सार लिखिए ।
उत्तर:
‘आओ मिलकर बचाएँ’ नामक कविता प्रकृति-प्रेम और संस्कृति प्रेम की कविता है। कवयित्री झारखण्ड के संथाली रंग और जीवन-शैली को बचाना चाहती है। वह अपनी बस्तियों को शहरी अपसंस्कृति से बचाकर झारखण्ड की माटी के रंग में रंगी रहना चाहती है। वह चाहती है कि उनके जीवन में गर्माहट, ताज़गी, हरियाली, भोलापन, अक्खड़पन, जुझारूपन बना रहे जो झारखण्डी संस्कृति की पहचान है वे पहले की तरह धनुष-बाण, कुल्हाड़ी को धारण करें। उन्हें वही जंगल की ताजा हवा, नदियों की पवित्रता, पहाड़ी गीतों की धुन, मिट्टी की सुगन्ध, नाचने-गाने के लिए गीत और आँगन, रोने के लिए एकान्त, बच्चों के लिए खेल का मैदान, पशुओं के लिए हरी घास, बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शान्ति मिलती रहे। वह अब भी पहले की तरह विश्वास, आशा और सपनों के संसार में जीना चाहती है।
(ग) परिवार के प्रति कवि की भावनाएँ व्यक्त कीजिए ।
उत्तर:
परिवार के प्रति कवि की भावनाएँ अत्यन्त हृदयस्पर्शी व मार्मिक हैं। जेल में कारावास का दंड भुगतते हुए वह स्वयं तो दुःखी है ही, लेकिन इससे अधिक दुःख इस बात का है कि उसके परिवार के लोग उससे न मिल पाने के कारण दुःखी हैं। कवि अपनी विवाहिता बहन को याद करता हुआ कहता है कि वह भी आज रक्षाबंधन पर मायके आई होगी और अपने एक भाई को घर पर न पाकर बहुत दुःखी हो गई होगी। उसके चारों भाई चार सहयोगी भुजाओं के समान हैं।
चारों बहनें स्नेह की प्रतिमूर्ति हैं। सभी बहनों व भाइयों में अत्यन्त स्नेह है व उनके बीच प्रेम और स्नेह का एक अटूट रिश्ता है। वह अपनी माँ को याद करते हुए कहता है कि उसके जेल जाने के कारण उसकी माँ भी दुःखी व आहत है। कवि कहता है कि वह अपनी माँ की स्नेहमयी गोद में सिर रखकर सारे दुःख व कष्ट भूल जाता था। माँ के स्नेह और प्यार की धारा को वह जेल तक महसूस करता है वह भावुक होते हुए अपने पिता को याद कर रहा है।
कवि के पिता उसको याद कर-करके रोने लगते हैं। वे अपने बाकी बच्चों को खेलते, उठते बैठते देखकर कवि को याद कर दुःखी हो जाते हैं। कवि उनका सबसे प्यारा बेटा है व उनसे दूर जेल में है। वे कवि की बात करते-करते भाव-विभोर हो उठते हैं। कवि उनको बिल्कुल भी दुःखी नहीं देखना चाहता । उसे अपने माता-पिता व पूरे परिवार से बहुत लगाव था।
2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए ।
(क) ‘अपना घर’ से क्या तात्पर्य है ? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है ?
उत्तर:
‘अपना घर’ से यहाँ तात्पर्य है- अपना स्वार्थमय संसार या अपना निजी सुख-दुःख । कवयित्री चाहती है कि मनुष्य अपने स्वार्थ के बंधनों को तोड़े, तभी वह ईश्वर की ओर प्रवृत्त हो सकता है। ‘अपने घर’ को छोड़कर ही ‘ईश्वर के घर’ में कदम रखे जा सकते हैं।
(ख) ‘आओ, मिलकर बचाएँ’ कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज में शहरों की देखा देखी आई नग्नता और ठंडेपन की ओर संकेत करती है। आज आदिवासी जन-जीवन में भी जड़ता आ गई है। ठंडेपन ने उसे घेर लिया है। कवयित्री उसके लिए ‘ठंडी होती दिनचर्या का प्रयोग करती है।
(ग) कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी – लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना ?
उत्तर:
कवि मेहनत की लूट, पुलिस की मार या गद्दारी-लोभ को बुरा तो मानता है किन्तु सबसे खतरनाक नहीं मानता, क्योंकि इनका प्रभाव कभी-कभी होता है। इनके विरुद्ध संघर्ष किया जा सकता है परन्तु कुछ खतरनाक बातें ऐसी होती हैं जो मनुष्य के मन में कुसंस्कारों के रूप में इस तरह जम जाती हैं कि मनुष्य का उद्धार ही नहीं हो पाता। उनकी तुलना में ये बातें सबसे खतरनाक नहीं हैं।
3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए । (3 × 2 = 6)
(क) कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते ?
उत्तर:
कहानी के अंत में अलोपीदीन वंशीधर को अपनी सारी जमींदारी का स्थायी प्रबंधक बना देता है। वास्तव में उसे सामान्य लोगों पर विश्वास नहीं है। उसने आज तक बिकाऊ, बेईमान और भ्रष्ट लोग ही देखे हैं। उसने रिश्वत और लालच से सबको डिगा दिया। केवल वंशीधर ही था जो हजारों रुपयों की रिश्वत के सामने अडिग रहा। उसे अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए ऐसा ही दृढ़चरित्र, ईमानदार और कठोर प्रबंधक चाहिए था। इसलिए उसने वंशीधर को प्रबंधक नियुक्त किया।
हम भी इस कहानी का अंत इसी प्रकार करते। कहानी का यह अंत पूर्णतः उपयुक्त है जिसमें सत्य की विजय दिखाई गई है।
(ख) समाज में आए किस परिवर्तन से मियाँ नसीरुद्दीन दुःखी थे और क्यों ?
उत्तर:
पहले के समय में लोगों को खाना खाने व पकाने का शौक हुआ करता था लेकिन आज के जमाने में लोगों में न तो वैसा शौक है और न उन चीजों की कद्र आज के जमाने में तो भारी और मोटी तंदूरी रोटी का बोलबाला है जिसके कारण मियाँ नसीरुद्दीन जैसे खानदानी नानबाई को अब पहले जैसा आदर-सम्मान नहीं मिलता। समाज में आए इसी परिवर्तन से मियाँ नसीरुद्दीन दुःखी थे।
(ग) मोहन ने मास्टर त्रिलोक सिंह की किस भविष्यवाणी को सच सिद्ध किया था ?
उत्तर:
मास्टर त्रिलोक सिंह मोहन की कुशाग्र बुद्धि से प्रभावित थे। मोहन पढ़ने के साथ गायन में भी बेजोड़ था। मोहन त्रिलोक सिंह के उन प्रश्नों के भी उत्तर दे देता जिन्हें कक्षा का कोई अन्य छात्र न दे पाता। मोहन को लेकर त्रिलोक सिंह को बड़ी उम्मीदें थीं। उन्होंने भविष्यवाणी कर दी थी कि मोहन एक दिन एक बहुत बड़ा आदमी बनकर स्कूल का और उनका नाम ऊँचा करेगा प्राइमरी स्कूल की परीक्षा पास करते ही मोहन ने छात्रवृत्ति प्राप्त कर त्रिलोक सिंह की भविष्यवाणी को किसी हद तक सच सिद्ध कर दिया था।
4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए । (2 × 2 = 4)
(क) यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि ‘जामुन का पेड़’ कहानी में हास्य के साथ-साथ करूणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
‘जामुन का पेड़’ कहानी में हास्य के साथ करूणा भी है। एक ओर जहाँ लोग जामुन के पेड़ के गिरने पर उसके के चटखारों को याद करते हैं वहीं उसके नीचे दबे आदमी के प्रति संवेदन हीन बने रहते हैं- फल एक विभाग से दूसरे विभाग पर फाइल घूमती है और उनकी कार्य पद्धति पर व्यंग्य करती हुई हास्य की सृष्टि करती है वहीं दबे व्यक्ति का कराहना, भूख-प्यास से बेहाल होना, माली का उसे भोजन कराना करूणा उत्पन्न करता है। पेड़ को बचाने के लिए दबे आदमी को काटने की बात लोगों की संवेदना शून्यता का चरम है। अंत में पेड़ के काटने की बात लोगों की संवेदना शून्यता का चरम है और पेड़ के काटने की अनुमति आने तक वह व्यक्ति दम तोड़ देता है।
(ख) दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था ?
उत्तर:
दुनियाँ के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए आसान इसलिए था क्योंकि वे देश-विदेश के बारे में विभिन्न बातें पहले से ही जानते थे वे भारत के पुराणों और महाकाव्यों को पढ़कर भारत के नगरों से परिचित हो चुके थे। तीर्थ यात्राएँ करके देश के चारों कोनों से परिचित हो चुके थे। अनेक सैनिकों ने विश्व युद्ध के दौरान विदेशों में जाकर युद्ध किया था और विदेशी नौकरियों की थीं। किसान तीसरे दशक में छाई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से भी परिचित थे।
(ग) भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं ?
उत्तर:
भारत के विकास को लेकर मेरे सपने हैं कि सभी लोगों के रोटी, कपड़ा व मकान की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो । समाज में धर्म, जाति व लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाएँ आम आदमी तक पहुँचें। पुलिस की निरंकुशता व अत्याचारों पर लगाम कसी जाए। देश में कृषि व औद्योगिक क्रांति द्वारा रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएँ व देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए। भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन हो। देश में शांति व सौहार्द पूर्ण वातावरण हो।