CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 4 with Solutions

Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions Set 4 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 4 with Solutions

समय :3 घण्टे
पूर्णाक: 80

सामान्य निर्देश :

  1. प्रश्न-पत्र दो खण्डों में विभाजित किया गया है- ‘अ’ और ‘ब’।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे जाएँगें, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने होंगे।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए जाएँगें। प्रश्नों में उचित आन्तरिक विकल्प दिए जाएंगे।
  4. उत्तर लिखते समय प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  5. एक प्रश्न के सभी भाग एक साथ हल करें।
  6. उत्तर स्पष्ट एवं तर्कसंगत हों।

रखण्ड’अ’ : अपठित बोध

I. अपठित बोध- (15 अंक)

(अ) अपठित गद्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 10 = 10)

इस संसार में कुछ व्यक्ति भाग्यवादी होते हैं और कुछ केवल अपने पुरुषार्थ पर भरोसा रखते हैं। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि भाग्यवादी व्यक्ति ईश्वरीय इच्छा को सर्वोपरि मानते हैं और अपने प्रयत्नों को गौण मान बैठते हैं। वे विधाता का ही दूसरा नाम भाग्य को मान लेते हैं। भाग्यवादी कभी-कभी अकर्मण्यता की स्थिति में भी आ जाते हैं। उनका कथन होता है कि हम कुछ नहीं कर सकते सब कुछ ईश्वर के अधीन है। हमें उसी प्रकार परिणाम भुगतना पड़ेगा जैसा भगवान चाहेगा। भाग्योदय शब्द में भाग्य प्रधान है। एक अन्य शब्द है – सूर्योदय ।

हम जानते हैं कि उदय सूरज का नहीं होता सूरज तो अपनी जगह पर रहता है, चलती घूमती तो धरती ही है। फिर भी सूर्योदय हमें बहुत शुभ और सार्थक मालूम होता है। भाग्य भी इसी प्रकार है । हमारा मुख सही भाग्य की तरफ हो जाए तो इसे भाग्योदय ही मानना चाहिए। पुरुषार्थी व्यक्ति अपने परिश्रम के बल पर कार्य सिद्ध कर लेना चाहता है । पुरुषार्थ वह है जो पुरुष को सप्रयास रखे । पुरुष का अर्थ पशु से भिन्न है। बल – विक्रम तो पशु में अधिक होता है, लेकिन पुरुषार्थ पशु चेष्टा के अर्थ से अधिक भिन्न और श्रेष्ठ है । वासना से पीड़ित होकर पशु में अधिक पराक्रम देखा जाता है, किन्तु यह पुरुष से ही संभव है कि वह आत्मविसर्जन में पराक्रम दिखाए। पुरुषार्थ व्यक्ति को क्रियाशील रखता है। जबकि अकर्मण्य व्यक्ति ही भाग्य के भरोसे बैठता है। हमें भाग्य और पुरुषार्थ का मेल साधना है । यदि सही दिशा में बढ़ेंगे तो सफलता अवश्य हमारे कदम चूमेगी ।

1. ‘भाग्योदय’ शब्द में क्या प्रधान होता है ?
(क) उदय
(ख) ईश्वर
(ग) भाग्य
(घ) किस्मत
उत्तर:
(ग) भाग्य

2. ईश्वरीय इच्छा को कौन सर्वोपरि मानता है?
(क) भाग्यवादी
(ग) आलसी
(ख) कर्मणीय
(घ) गरीब
उत्तर:
(क) भाग्यवादी

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3. कौन उदय न होकर अपनी जगह पर रहता है ?
(क) भाग्य
(ख) धन
(ग) सूरज
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) सूरज

व्याख्या – सूरज उदय न होकर भी अपनी जगह पर रहता है।

4. पुरुषार्थी व्यक्ति किस आधार पर अपना कार्य सिद्ध करता है?
(क) परिश्रम
(ख) शक्ति
(ग) झगड़े
(घ) डराकर
उत्तर:
(क) परिश्रम

व्याख्या – इस संसार में कुछ व्यक्ति भाग्यवादी होते हैं और कुछ केवल अपने पुरूषार्थ पर भरोसा रखते हैं। पुरुषार्थी व्यक्ति परिश्रम के आधार पर अपना कार्य सिद्ध करता है।

5. पुरुष को कब पराक्रम दिखाना चाहिए? 1
(क) कार्य के समय
(ख) पढ़ाई में
(ग) आत्मविसर्जन में
(घ) खेल में
उत्तर:
(ग) आत्मविसर्जन में

6. पुरुषार्थ व्यक्ति को कैसे रखता है? 1
(क) नम्र
(ख) समान
(ग) आलसी
(घ) क्रियाशील
उत्तर:
(घ) क्रियाशील

7. भाग्य के भरोसे कौन बैठता है? 1
(क) अकर्मणीय
(ख) निकम्मा
(ग) मेहनती
(घ) श्रमिक
उत्तर:
(क) अकर्मणीय

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8. सही दिशा में बढ़ने के लिए किस की आवश्यकता है? 1
(क) साधना की
(ख) अराधना की
(ग) कामना की
(घ) निर्देश की
उत्तर:
(क) साधना की

व्याख्या – सही दिशा में बढ़ने के लिए साधनों की ज़रूरत है।

9. पुरुषार्थ का संधि-विच्छेद कीजिए- 1
(क) पुरुषा + अर्थ
(ख) पुरुष + आर्थ
(ग) पुरुष + अर्थ
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) पुरुष + अर्थ

10. सफलता में प्रत्यय लगाइए- 1
(क) फलता
(ख) स
(ग) फालता
(घ) ता
उत्तर:
(घ) ता

(ब) अपठित पद्यांश-

निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 5 = 5)

जिसमें स्वदेश का मान भरा
आज़ादी का अभिमान भरा
जो निर्भय पथ पर बढ़ आए
जो महाप्रलय में मुस्काए
जो अंतिम दम तक रहे डटे
दे दिए प्राण, पर नहीं हटे
जो देश राष्ट्र की वेदी पर
देकर मस्तक हो गए अमर
ये रक्त-तिलक – भारत – ललाट !
उनको मेरा पहला प्रणाम !
फिर वे जो आँधी बन भीषण
कर रहे आज दुश्मन से रण
बाणों के पवि संधान बने
जो ज्वालामुख-हिमवान बने
हैं टूट रहे रिपु के गढ़ पर
बाधाओं के पर्वत चढ़कर
जो न्याय-नीति को अर्पित हैं
भारत के लिए समर्पित हैं
कीर्तित जिससे यह धरा धाम
उन वीरों को मेरा प्रणाम ।
श्रद्धानत कवि का नमस्कार
दुर्लभ है छंद- प्रसून हार
इसको बस वे ही पाते हैं
जो चढ़े काल पर आते हैं
हुकृति से विश्व काँपते हैं
पर्वत का दिल दहलाते हैं
रण में त्रिपुरांतक बने सर्व
कर ले जो रिपु का गर्व खर्व
जो अग्नि-पुत्र, त्यागी, अकाम
उनको अर्पित मेरा प्रणाम !

1. कवि ने वीरों को किसकी उपमा दी है ? 1
(क) भारतमाता के ललाट के तिलक की
(ख) भारतमाता के चरणों की रज़ की
(ग) भारतमाता के उन्नत शिखर की
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) भारतमाता के ललाट के तिलक की

2. पद्यांश को उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 1
उत्तर:
वीरों को प्रणाम ।

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3. कवि किन वीरों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं? 1
उत्तर:
कवि उन वीरों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जो न्याय के पथ पर चलते हैं, जो देश के प्रति समर्पण का भाव रखते हैं तथा जिनके कारण देश को कीर्ति प्राप्त होती है।

4. वीर की हुंकृति से कौन काँप जाता है? 1
(क) देशद्रोही
(ख) विश्व
(ग) रिपु
(घ) आतंकवादी
उत्तर:
(ख) विश्व

5. कवि कैसे वीरों को अपना प्रणाम अर्पित करता है? 1
उत्तर:
कवि उन वीरों को अपना प्रणाम अर्पित करता है जो युद्ध भूमि में दुश्मन के गर्व को चूर करते हैं। जो निष्काम भाव से देश की सेवा में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं।

अथवा

ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में
मनुज नहीं लाया है,
अपना सुख उसने अपने
भुजबल से ही पाया है।
प्रकृति नहीं डर कर झुकती है
कभी भाग्य के बल से,
सदा हारती वह मनुष्य के
उद्यम से, श्रम जल से ।
ब्रह्मा का अभिलेख पढ़ा-
करते निरुद्यमी प्राणी,
धोते वीर कु-अंक भाल के
बहा ध्रुवों से पानी।
भाग्यवाद आवरण पाप का
और शस्त्र शोषण का,
जिससे रखता दबा एक जन
भाग दूसरे जन का ।

1. मनुज किससे कुछ लिखा कर नहीं लाया ? 1
(क) भाग्य
(ख) ब्रह्मा
(ग) विष्णु
(घ) शिव
उत्तर:
(ख) ब्रह्मा

2. प्रकृति मनुष्य के आगे कब झुकती है? 1
उत्तर:
प्रकृति मानव के आगे तब झुकती है जब वह पसीना बहाकर कार्य करता है।

3. जीवन को भाग्य का खेल कौन मानता है? 1
(क) ईमानदार
(ख) कामचोर
(ग) परिश्रमी
(घ) वीर
उत्तर:
(ख) कामचोर

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4. ‘भाग्यवाद आवरण पाप का, और शस्त्र शोषण का ‘ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए । 1
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव है कि भाग्य के नाम पर एक सम्पन्न व्यक्ति दूसरे गरीब तथा निर्बल का शोषण करता है। गरीब उसे अपना भाग्य मान लेता है।

5. पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए । 1
उत्तर:
(ख) परिश्रम का फल ।

II. पाठ्यपुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम की इकाई एक से पाठ संख्या 1 तथा 2 पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न । (1 × 5 = 5)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए ।

1. दृश्यों का किस माध्यम से अधिक महत्त्व होता है ?
(क) समाचार पत्र
(ख) रेडियो
(ग) टेलीविज़न
(घ) इंटरनेट ।
उत्तर:
(ग) टेलीविज़न

व्याख्या – संचार के माध्यम में दृश्यों का महत्त्व टेलीविज़न में अधिक होता है क्योंकि टेलीविज़न ऐसा माध्यम है, जो घर-घर उपलब्ध होता है और उसमें आवाज़ के साथ-साथ चित्रों को भी देखा जाता है।

2. उल्टा पिरामिड शैली में समाचार कितने भागों में बाँटा जाता है? 1
(क) तीन
(ग) पाँच
(ख) चार
(घ) दो
उत्तर:
(क) तीन

व्याख्या – उल्टा पिरामिड शैली में तीन हिस्से होते हैं-
(1) इंट्रो / लीड जिसे हिन्दी में मुखड़ा कहा जाता है।
(2) बॉडी – इसमें समाचार के विस्तृत ब्यौरे को घटते हुए क्रम में लिखा जाता है।
(3) समापन

3. सर्वाधिक खर्चीला जनसंचार माध्यम कौन-सा है ? 1
(क) रेडियो
(ख) टेलीविज़न
(ग) समाचार पत्र
(घ) इंटरनेट
उत्तर:
(घ) इंटरनेट

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4. भारत का पहला समाचार-पत्र है- 1
(क) बंगदूत
(ख) सरस्वती
(ग) उदन्त मार्तंड
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) उदन्त मार्तंड

5. ‘ऑल इण्डिया रेडियो’ की विधिवत् रूप से स्थापना कब हुई? 1
(क) 1936
(ख) 1948
(ग) 1952
(घ) 1964
उत्तर:
(ग) 1936

व्याख्या – सन् 1936 में ‘ऑल इण्डिया’ की स्थापना विधिवत् रूप से की गई।

III. पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 (10 अंक)

(अ) निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें
मज़े में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किन्तु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,

1. कवि को कब जेल में बंद किया ? 1
(क) 1946
(ख) 1942
(ग) 1947
(घ) 1943
उत्तर:
(ख) 1942

2. कवि जल बरसाने के लिए किससे प्रार्थना करता है? 1
(क) सावन
(ख) माँ
(ग) पिता
(घ) चाचा
उत्तर:
(क) सावन

3. सावन को दूत बनाकर संदेश देना कैसी परम्परा है ? 1
(क) प्राचीन
(ख) नवीन
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) प्राचीन

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4. ‘पुण्य पावन’ में कौन-सा अलंकार है ? 1
(क) उपमा
(ख) अनुप्रास
(ग) रूपक
(घ) अतिश्योक्ति
उत्तर:
(ख) अनुप्रास

5. पुण्य का अर्थ है- 1
(क) पवित्र
(ख) शुद्ध
(ग) शुभ
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी

(ब) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

पंडित अलोपीदीन ने हँसकर कहा- हम सरकारी हुक्म को नहीं जानते और न सरकार को । हमारे सरकार तो आप ही हैं। हमारा और आपका तो घर का मामला है, हम कभी आपसे बाहर हो सकते हैं? आपने व्यर्थ का कष्ट उठाया। यह हो नहीं सकता कि इधर से जाएँ और इस घाट के देवता को भेंट न चढ़ावें। मैं तो आपकी सेवा में स्वयं ही आ रहा था । वंशीधर पर ऐश्वर्य की मोहिनी वंशी का कुछ प्रभाव न पड़ा। ईमानदारी की नई उमंग थी कड़क कर बोले-हम उन नमक हरामों में नहीं हैं जो कौड़ियों पर अपना ईमान बेचते फिरते हैं। आप इस समय हिरासत में हैं। आपका कायदे के अनुसार चालान होगा। बस, मुझे अधिक बातों की फुरसत नहीं है। जमादार बदलू सिंह ! तुम इन्हें हिरासत में ले चलो, मैं हुक्म देता हूँ ।

1. अलोपीदीन कैसा व्यापारी है? 1
(क) सज्जन
(ख) भ्रष्ट
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) भ्रष्ट

2. अलोपीदीन बड़े अफ़सरों से सम्बन्ध बनाकर कैसे सामान को इधर से उधर करता ? 1
(क) वैध
(ख) अवैध
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अवैध

3. अलोपीदीन, वंशीधर को क्या कहकर पुकारता था ? 1
(क) वंशी
(ख) सरकार
(ग) मित्र
(घ) प्रभु
उत्तर:
(ख) सरकार

4. वंशीधर कैसा दरोगा था ? 1
(क) सत्यनिष्ठ
(ख) ईमानदार
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)

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5. ‘घाट के देवता को भेंट चढ़ाना’ से क्या आशय है? 1
(क) प्रेम देना
(ख) दया दिखाना
(ग) रिश्वत देना
(घ) बलिदान देना
उत्तर:
(ग) रिश्वत देना

IV. पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग – 1 (10 अंक)

निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

1. मंदिरों और महलों में विकसित कलाएँ कौन-सा स्वरूप ग्रहण करती हैं? 1
(क) शास्त्रीय
(ख) पाश्चात्य
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) शास्त्रीय

2. मध्यकाल में किन कलाओं को शासकों का संरक्षण मिला ? 1
(क) साहित्य
(ख) चित्र
(ग) संगीत
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

3. किसने संगीत, नृत्य – अभिनय कलाओं को एक शास्त्रीय कला का स्वरूप दिया ? 1
(क) प्रकृति
(ख) मनुष्य
(ग) शास्त्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) शास्त्र

4. चित्रकारी किस काल से हमारे जीवन का अभिन्न अंग रही है? 1
(क) वीरगाथा काल
(ख) मध्यकाल
(ग) प्राचीनकाल
(घ) आधुनिक काल
उत्तर:
(ग) प्राचीनकाल

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5. सबसे प्राचीन चित्रों के नमूने किन चित्रों को माना है? 1
(क) ऐतिहासिक
(ख) हाइपर
(ग) तकनीकी
(घ) शैल
उत्तर:
(घ) शैल

6. भीमबेटका की गुफ़ाएँ कहाँ हैं? 1
(क) उत्तराखण्ड
(ख) राजस्थान
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर:
(ग) मध्य प्रदेश

7. चौथी से छठी सदी के बीच किस साम्राज्य कलाओं के लिए स्वर्ण युग कहलाता है? 1
(क) मौर्य
(ख) गुप्त
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) गुप्त

8. अजंता की दीवारों पर बने चित्रों को किसने बनाया है? 1
(क) प्रकृति ने
(ख) शासकों ने
(ग) बौद्ध भिक्षु ने
(घ) जैन भिक्षु ने
उत्तर:
(ग) बौद्ध भिक्षु ने

9. किस सदी में चट्टानों को काटकर एलोरा की गुफाएँ तैयार की गईं ? 1
(क) पांचवीं – छठीं
(ख) दूसरी-तीसरी
(ग) आठवीं-नौवीं
(घ) सातवीं-आठवीं
उत्तर:
(ख) दूसरी-तीसरी

10. एलोरा की गुफ़ाओं के बीच किसका विशाल मंदिर है ?
(क) कैलाश
(ख) कृष्ण
(ग) गणेश
(घ) सरस्वती
उत्तर:
(ग) गणेश

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खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

V. पाठ्य-पुस्तक अभिव्यक्ति और माध्यम से सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन । (20 अंक)

1. निम्नलिखित चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर रचनात्मक लेखन कीजिए – ( लगभग 120 शब्दों में) (5 × 1 = 5)

(क) योग के माध्यम से हम शरीर तथा मन दोनों को स्वस्थ कर सकते हैं, जीवन में योग की अनिवार्यता तथा उससे मिलने वाले लाभों का वर्णन करते हुए अपने विचार लिखिए । (5)
उत्तर:
सच ही कहा गया है- पहला सुख निरोगी काया । धर्मग्रन्थों में कहा गया है- “ कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत् शतं समाः।” अर्थात् कर्मशील रहते हुए सौ वर्ष जीने की अभिलाषा करनी चाहिए। शरीर कर्मशील रहे उसके लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है तथा स्वस्थ रहने के लिए योगाभ्यास सर्वश्रेष्ठ साधन है।

योगासन से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास होता है। प्राणायाम से शरीर के अन्दर शुद्ध वायु फेफड़ों में जाती है जिससे व्यक्ति की जीवन शक्ति का विकास होता है। प्राणायाम से नाड़ियाँ शुद्ध होती हैं। मन शान्त और एकाग्र रहता है। रक्त का आवागमन नियमित रूप से होता है । प्राणायाम से जुकाम, खांसी, दमा, तपेदिक जैसे रोग नहीं होते हैं। योग का शाब्दिक अर्थ है- जोड़ना अर्थात् धार्मिक विचारधारा के अनुसार ईश्वर से मिलन का प्रयास ही योग कहलाता है। ईसा से लगभग दो शताब्दी पूर्व ज्ञानी पुरुष पतंजलि ने ‘योगशास्त्र’ ग्रन्थ की रचना की थी । योग के प्रमुख चार मार्ग – 1. भक्ति 2. ज्ञान, 3. कर्म तथा 4. राजयोग हैं। पतंजलि के अनुसार राजयोग की आठ शाखाएँ – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि हैं।

मानव जीवन में योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी गोपियों की विरह वेदना को समाप्त करने के लिए योग – सन्देश लेकर उद्धव को गोपियों के पास भेजा था। बाबा रामदेव ने पतंजलि योग संस्थान के माध्यम से पतंजलि योग दर्शन को भारत में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में स्थापित किया है। ‘योग भगाए रोग’ इस कथन को बाबा रामदेव ने अपने अभियान के माध्यम से प्रत्यक्ष चरितार्थ कर दिखाया है।

आज हज़ारों व्यक्ति योगाभ्यास के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। भले ही कुछ ईर्ष्यालु और निहित स्वार्थ वाले लोग उनकी आलोचना करते रहे, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य के अभियान को एक विश्वसनीय होगा । दिशा प्रदान की है अतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए योग अनिवार्य है। योग की प्रमुख क्रियाएँ, जैसे-आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि को चिकित्सा जगत में स्वास्थ्य सुधार, कुछ रोगों के उपचार, शारीरिक मुद्रा सुधार तथा तनावों को कम करने में प्रयोग किया जा रहा है। योग की प्रमुख क्रियाएँ पद्मासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, धनुरासन, शवासन सूर्यनमस्कार आदि हैं।

योगासन से शरीर की हड्डियाँ, मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे आदि शारीरिक अंग स्वस्थ तथा क्रियाशील बनते हैं। शरीर का रक्त संचार ठीक बना रहता है तथा स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर का मोटापा दूर करने में योगासन बहुत उपयोगी होता है।

आज यह प्रमाणित हो चुका है कि योग के माध्यम से असाध्य रोगों पर भी नियन्त्रण किया जा सकता है अतः अस्पताल बढ़ाने को आतुर सरकार और अर्थलोलुप लोग, स्वास्थ्य रक्षा में योग की भूमिका को स्वीकार करें और उसे लोगों की दिनचर्या में उचित स्थान दिलाएँ, यह आज की महती आवश्यकता है। औषधियाँ कभी उत्तम स्वास्थ्य का रूप नहीं हो सकतीं।

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(ख) ‘जल ही जीवन है।’ इस कथन के आधार पर एक रचनात्मक लेख लिखिए | (5)
उत्तर:
“जल संरक्षण मेरा संकल्प इसका नहीं दूसरा विकल्प।” मानव संरक्षण के साथ-साथ सम्पूर्ण प्राणी जगत की ज़िन्दगी में पानी जरूरी तत्व है, इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है, जिनमें से एक पानी भी है “क्षितिक जल पावक गगन समीरा, पंच तत्व से बना शरीर ”

धरती पर लगभग 30 प्रतिशत जमीन एवं 70 प्रतिशत पानी है, लेकिन पीने के लायक एक प्रतिशत से भी कम है। हमें अपने प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे; नदी, तालाब, पोखर, झील व झरने को बचाना होगा। इनको साफ-सुथरा बनाना होगा और ज़्यादा से ज़्यादा वृक्ष लगाकर आस-पास को हरा-भरा बनाकर पर्यावरण संतुलन का भी प्रयास करना होगा।

‘पानी बचाओ, जीवन बचाओ’ हमें पानी की बचत करनी होगी तथा प्राकृतिक जल स्रोतों को साफ-सुधरा बनाकर उनके पानी को पीने के लायक बनाना होगा। अधिकाधिक पेड़ लगाकर धरती को हरा-भरा बनाना होगा एवं पर्यावरण संतुलन हेतु प्रयास करते रहने होंगे। जल संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक भी करना होगा। वर्षा जल का भंडारण एवं समुचित उपयोग करना होगा। पानी की बूंद-बूंद का संरक्षण एवं समुचित उपयोग करना ही प्राणी जगत के लिए लाभदायक ‘जल ही जीवन का आधार मत कीजिए इसको बेकार।’

(ग) भारत में विभिन्न धर्मों, जातियों एवं सम्प्रदायों के मानने वाले लोग रहते हैं । इसलिए भारतीय समाज में अनेक समस्याओं का होना भी लाज़मी है। अत: ‘ भारतीय समाज की समस्याएँ विषय पर एक रचनात्मक लेख लिखिए । (5)
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज का अंग माना गया है। मनुष्य का समस्याओं से अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। मुनष्य को जिन समस्याओं से बार-बार दो चार होना पड़ता है, धीरे-धीरे वही सामाजिक समस्या बन जाती है। भारतीय समाज में विभिन्न सम्प्रदायों जातियों एवं धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। जब भारतीय समाज में रहने वालों में विविधता बहुत है तो वहीं समस्याओं की अधिकता का होना स्वाभाविक भारतीय समाज में पाई जाने वाली समस्याओं का वर्णन निम्नलिखित हैं-

अन्धविश्वास एवं कुरीतियाँ :
भारतीय समाज अनेक तरह की कुरीतियाँ, रूढ़ियों एवं अन्धविश्वास से आज मुक्त नहीं हो पाया है। इनसे छुटकारा पाना कठिन हो गया है। लोग इनसे प्रताड़ित, शोषित होते रहते हैं पर इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं आज भी भारतीय समाज में लोग कितने भी ज़रूरी काम के लिए घर से निकल रहे हों और बिल्ली रास्ता काट जाए या कोई छींक दे या एक आँख वाला आदमी सामने आ जाए तो इसे अपशकुन मानकर काम को छोड़कर बैठ जाते हैं। चाहे उन्हें नुकसान ही क्यों न उठाना पड़ा हो पर उन्हें इसकी फिक्र नहीं।

सिर दर्द, बदन दर्द या बुखार होने पर डॉक्टर की दवा से ज़्यादा तांत्रिक या मौलवी साहब के ताबीज़, गंडे, भभूत, पूजा स्थल की मिट्टी पर अधिक यकीन करते हैं। देखा जाए तो समाज के कुछ लोगों द्वारा वैज्ञानिक उन्नति एवं खोजों का घोर अपमान है। ऐसे अन्धविश्वासी एवं कुरीति वाले लोग वैज्ञानिकों को कम महत्ता देकर पाखण्डियों को ज़्यादा महत्व देते हैं।

जाति पाँति की समस्या जाति :
पांति की भावना ने समाज में कटुता और विषमता का जहर घोल रखा है। लोग चाहकर भी एक मंच पर आकर समता का भाव प्रदर्शित नहीं कर पाते, क्योंकि नीची जाति अथवा दलितों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है। उच्च वर्ग अथवा अभिजात्य वर्ग के लोग इन्हें अपने साथ बिठाने, खाने पीने आदि में हीनता अनुभव करते हैं। इससे समाज विखण्डित होता जा रहा है।

दहेज प्रथा :
वर्तमान में यह भारतीय समाज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इससे सामाजिक संरचना प्रभावित हो रही है। देश के कई राज्यों में स्त्रियों का लिंगानुपात पुरुषों की तुलना में काफी तेजी से गिरा है। इसका मूल कारण दहेज की समस्या है। जिसके कारण लोग कन्या भ्रूण हत्या कराकर कन्या से छुटकारा पाना चाहते हैं

इसका समाधान होना बहुत जरूरी है, तभी समाज की प्रगति तेजी से हो सकती हैं। नारी जाति के प्रति असम्मान की भावना – आज नारी पर भिन्न-भिन्न अत्याचार हो रहे हैं तथा लिंगानुपात तेजी से गिरा है। इसका मूल कारण दहेज की समस्या है। जिसके कारण लोग कन्या भ्रूण हत्या कराकर कन्या से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसका समाधन होना बहुत ज़रूरी है, तभी समाज की प्रगति तेजी से हो सकती है।

नारी जाति के प्रति असम्मान की भावना :
आज नारी पर भिन्न-भिन्न रूपों में अत्याचार किए जा रहे हैं। पुरुषों ने अपनी स्वार्थ पूर्ति हेतु तरह-तरह के हथकंडे अपनाएँ हैं। जिसके प्रभाव स्वरूप अनमेल विवाह, पर्दा प्रथा, बहुविवाह, बाल विवाह, विधवा विवाह जैसी अनेक समस्याएँ सामने आई हैं। इन सबका दंश नारी जाति को झेलना पड़ता है। नारी पुरुष की अर्धांगिनी है। उसकी उपेक्षा करके समाज की उन्नति की बात सोचना भी बेईमानी है।

समाज में अनेक समस्याओं के लिए उत्तरदा. ई कारक :
जनसंख्या वृद्धि जो स्वयं एक समस्या होने के साथ-साथ अनेक समस्याओं की जन्मदात्री है। बेरोजगारी इससे युवावर्ग निराश व हताश होकर असामाजिक कार्य करने का दुस्साहस कर बैठता है। इसके अलावा अशिक्षा; यह भारतीय समाज की बड़ी समस्या है। अगर सामाजिक समस्याओं पर जीत हा. सिल कर उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर बढ़ना है तो लोगों को शिक्षित व जागरूक करना चाहिए तभी साहस व तत्परता से प्रयास करके जीत पा सकते हैं।

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(घ) ‘झरोखे से बाहर’ विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए । (5)
उत्तर:
‘झरोखे से बाहर’ झरोखा भीतर से बाहर की ओर देखने का माध्यम है और बाहर से भीतर देखने का रास्ता हमारी आँखें भी एक तरह से झरोखा ही हैं। ये मन-मस्तिष्क को संसार से और संसार को मन-मस्तिष्क से जोड़ने का माध्यम मन रूपी झरोखे से किसी भक्त को संसार में ईश्वर के दर्शन होते हैं तो किसी डाकू लुटेरे को किसी सेठ की धन सम्पत्ति दिखाई देती है। झरोखा स्वयं कितना छोटा होता है पर उसके पार बसने वाला संसार इतना व्यापक है कि जिसे देखकर तन-मन की भूख जाग जाती है और कभी-कभी शान्त हो जाती है।

किसी पर्वतीय स्थल पर किसी घर के झरोखे से गगन चुंबी पर्वत मालाएँ, ऊँचे-ऊंचे पेड़, गहरी गहरी घाटियाँ, डरावनी खाइयाँ पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है तो दूर-दूर तक घास चरती भेड़-बकरियाँ, बाँसुरी बजाते चरवाहे, पीठ पर लम्बे टोकरे बाँधकर इधर-उधर जाते सुन्दर पहाड़ी के युवक-युवतियाँ मन को मोह लेते हैं। झरोखे बहुत तरह के होते हैं पर झरोखे के पीछे बैठ प्रतीक्षारत आँखों में सदा एक ही भाव रहता है- कुछ देखने का, कुछ पाने का।

2. संगीत निदेशालय लखनऊ में प्रशिक्षित शास्त्रीय संगीत कलाकारों की आवश्यकता है। इस पद के लिए निदेशालय के निदेशक को एक आवेदन-पत्र लिखिए । (5)
अथवा
विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु केन्द्रीय शिक्षामंत्री, भारत सरकार को प्रार्थना पत्र लिखिए । (5)
उत्तर:
प्रति निदेशक
संगीत निदेशालय
27 मीराबाई रोड लखनऊ
विषय -‘शास्त्रीय संगीत कलाकार’ पद हेतु आवेदन पत्र
महोदय,
दिनांक 17 अप्रैल 20XX को दिल्ली से प्रकाशित ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ प्रात: संस्करण समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ है कि ‘संगीत निदेशालय को प्रशिक्षित शास्त्रीय संगीत कलाकारों की आवश्यकता है। मैं इस पद हेतु वांछित योग्यताएँ रखता हूँ अत: मैं इस पद हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ।

मेरा स्ववृत्त (बायोडेटा) इस आवेदन पत्र के साथ संलग्न है। विज्ञापन में वर्णित सभी योग्यताओं और अर्हताओं को मैं पूर्ण करता हूँ। मेरी योग्यताओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
(1) मैं प्रारंभ में ही संगीत का विद्यार्थी रहा हूँ मैने इस विषय में प्रवीण और प्रभाकर भी किया हुआ है, मैंने कई संगीत महोत्सवों में शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियाँ भी दी हैं।
(2) मैंने शास्त्रीय संगीत में एक कलाकार की हैसियत से अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं तथा अनेक अखिल भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिताओं में भी विजयी रहा हूँ।
(3) मैंने साथी कलाकारों के साथ भी पूरे समूह का नेतृत्व करते हुए अनेक औपचारिक, अनौपचारिक संगीत कार्यक्रम किए हैं।
आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक दृष्टि से विचार करें और मुझे ‘संगीत निदेशालय’ में सेवाएँ प्रदान करने का अवसर देने की कृपा करें।
धन्यवाद
भवदीय
सुरेन्द्र गौतम

अथवा

सेवा में,
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री,
भारत सरकार ।
विषय- विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु।
महोदय,
किसी भी प्रकार के विकास एवं उन्नति के लिए शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण साधन है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाना आवश्यक होता है।

आजकल विद्यालयों में केवल ‘किताबी शिक्षा पर बल दिया जाता है जो केवल नौकरी दिलवाने तक ही सीमित रहती है। विद्यालयी शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए विद्यालय को एक ‘सामाजिक शिक्षण केन्द्र’ के रूप में प्रस्तुत करना होगा जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव हो सके शिक्षा में सुधार शिक्षकों की योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल पर भी निर्भर है। इस ओर विचार करने की महती आवश्यकता है।

एक कक्षा में 20 से ज़्यादा बच्चे न हों तो शिक्षक उन्हें भली-भाँति पढ़ा सकता है। इसके अलावा शिक्षण विधियों, प्रशिक्षण और परीक्षण की विधियों में सुधार किया जाना चाहिए, जिससे शिक्षा मैं गुणात्मक विकास संभव हो सके। कई बार पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम बदले गए, लेकिन अनुकूल परिणाम प्राप्त नहीं हो सका। यथार्थ में पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई का एक तुच्छ साधन मात्र होती हैं, साध्य नहीं।

मान्यवर, हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना चाहिए। शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास करने और स्वस्थ जीवन निर्माण के लिए होनी चाहिए अतः पाठ्यक्रम लचीला और गतिविधि पर आधारित हो, साथ ही वह बच्चों की ग्रहण क्षमता के अनुरूप होना चाहिए। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप व आपका मंत्रिमंडल मेरे द्वारा सुझाए गए सुझावों पर अवश्य विचार करेंगे तथा इस दिशा में मनन कर शीघ्रातिशीघ्र ठोस
कदम उठाएँगे।
धन्यवाद
भवदीय
डॉ. रितु शर्मा

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3. निम्नलिखित में से तीन प्रश्नों किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2= 6)

(क) ‘आज आपको पार्क जाते वक्त पाँच वर्षीय रोता हुआ बच्चा मिला’ इस अवसर पर डायरी लेखन कीजिए । (3)
उत्तर:
10 अक्टूबर, 2022 आज जब में पार्क की तरफ जा रहा था तभी मेरी नज़र सड़क के किनारे पांच वर्षीय बच्चे पर पड़ी। वह रो रहा था और जोर-जोर से अम्मी अम्मी पुकार रहा था। मैं उसके पास गया और चुप करते हुए उससे रोने की वजह पूछी। तब उसने बताया कि बाज़ार से आते वक्त अपने माता-पिता से बिछुड़ गया हूं। मैंने उसको समझाया, तसल्ली ही कि जल्द आपके अम्मी-पापा मिल जाएँगे और फिर उसे अपने घर ले आया।

उसे खाना खिलाया पिलाया तथा उससे उसका पता पूछकर उसके घर छोड़ आया। अब वह बहुत खुश था। मुझे भी उसे उसके अम्मी-पापा से मिलाकर और फिर उसे खुश देखकर बहुत अच्छा महसूस हुआ।

(ख) पटकथा लेखन में कम्प्यूटर के लाभ बताइए । (3)
उत्तर:
आज जीवन के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर की भूमिका बढ़ती जा रही है। अधिकतर सभी कार्य व्यापार कम्प्यूटर पर आधारित दिखाई पड़ते हैं। पटकथा लेखन में कम्प्यूटर की सहायता ली जा सकती है। आजकल कम्प्यूटर पर ऐसे सोफ्टवेयर आ गए हैं, जिनमें पटकथा लेखन का प्रारूप बना बनाया भी मिल जाता है। पूर्व समय में जहाँ लेखन कार्य दुष्कर हुआ करता था, वही कम्प्यूटर के माध्यम से सरल हो गया है।

यदि पटकथा-लेखन में कुछ गड़बड़ी हो तो कम्प्यूटर स्वतः संकेत कर देता है। पटकथा में सुधार लाने के सुझाव भी पटकथा लेखक को देता है इस प्रकार कमियों को पहचान कर तत्काल दूर किया जा सकता है। कम्प्यूटर के द्वारा पटकथा का संग्रह लम्बे समय तक किया जा सकता है। इतना ही नहीं, एक क्षण में दूर बैठे व्यक्ति के साथ साझा भी किया जा सकता है।

(ग) पटकथा की संरचना कैसे होती है ? (3)
उत्तर:
फ़िल्म तथा दूरदर्शन की पटकथा में पात्र – चरित्र, नायक प्रतिनायक, घटनास्थल दृश्य कहानी का क्रमिक विकास, समाधान आदि सभी कुछ होता है। इसमें छोटे-छोटे दृश्य, असीमित घटनास्थल होते हैं इसकी कथा फ्लैशबैक अथवा फ्लैश फॉरवर्ड तकनीक से किसी भी प्रकार से प्रस्तुत की जा सकती है। फ्लैश बैक से अतीत में हो चुकी और फ्लैश फॉरवर्ड से भविष्य में होने वाली घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें एक ही समय में अलग-अलग स्थानों पर घटित घटनाओं को भी दिखाया जा सकता है।

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4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2 = 4)

(क) शब्द कोश में दिए गए निम्न संकेतों से पूर्ण शब्द लिखिए । (2)
(ज्यो.), (त.), (ति), (ति.), (तु.), (दे.), (ना.), (न्या.), (प.), (पह.), (पा.), (पाराशरसं.), (पु.), (पु.), (पुर्त.), (प्र.), (प्रा.), (फा.), (फ्रे.), स्त्री. (बं.), (बं.), (बहु.), (बि.), (बी.), बुंदेल., (वृ. सं.), (बो.), (बोल.), (बौ., बौद्ध.) (भाग.), (भू.); (भू. क्रि.), (मनु.),
उत्तर:
(ज्यो.) – ज्योतिष
(त.) – तंत्रशास्त्र
(ति.) – तिब्बती
(ति.) – तिरस्कार- सूचक
(तु.) – तुर्की
(दे.) – देखिये
(ना.) – नाटक
(न्या.) – न्याय
(प.) – पद्मावत, जायसीकृत
(पह.) – पहलवी
(पा.) – पाली
(पाराशरसं.) – पाराशरसंहिता
(पु.) – पुल्लिंग
(पु.) – पुराण
(पुर्त.) – पुर्तगाली
(प्र.) – प्रत्यय
(प्रा.) – प्राचीन
(फा.) – फारसी
(फ्रें.) – फ्रेंच
(बं.) – बंगाली
(ब.) – वर्मी
(बहु.) – बहुवचन
(बि.) – बिहारी रत्नाकर
(बी.) – बीसलदेव रासो
(बुंदेल.) – बुंदेलखण्डी बोली
(वृ. सं.) – वृहत्संहिता
(बो.) – बोल-चाल
(बोल.) – बोल-चाल
(बी., बौद्ध) – बौद्ध साहित्य
(भाग.) – भागवत
(भू.) – भूषणग्रंथावली
(भू.क्रि.) – भूतकालिक क्रिया
(मनु.) – मनुस्मृति
(स्त्री.) – स्त्रीलिंग।

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(ख) हिन्दी में प्रयोग किए जाने वाले विदेशी भाषाओं से लिए गए शब्द लिखिए । (2)
उत्तर:
1. तुर्की से कालीन, तोप, बारूद, सराय आदि ।
2. अरबी से अजीब, अदालत, आखिर, आदमी ।
3. फारसी से- आबरू, आफत, कारीगर, किशमिश ।
4. चीनी से चाय, लीची ।
5. जापानी से -रिक्शा ।
6. पुर्तगाली से – अनन्नास, आलपीन, गमला ।
7. फ्रेंच से कारतूस, कूपन ।
8. अंग्रेजी से कोर्ट, पुलिस स्टेशन, ऑफिसर, स्कूटर।

(ग) स्ववृत्त लेखन में कौन-कौन से तत्त्व होते हैं ? (2)
उत्तर:
व्यक्ति परिचय – सबसे पहले अपने बारे में कुछ प्राथमिक जानकारियाँ दी जाती हैं जैसे आवेदक का नाम, जन्मतिथि, पिता का नाम, माता का नाम, पत्र व्यवहार का स्थायी पता, दूरभाष नम्बर, मोबाइल नम्बर, ई-मेल, आधार संख्या ।
शैक्षणिक योग्यता – परीक्षा का नाम, प्रशिक्षण, अनुभव एवं उपलब्धियाँ ।
कार्येत्तर गतिविधियाँ – किसी भी क्षेत्र एवं अभिरुचियों से सम्बन्धित एवार्ड एवं प्रमाण पत्र ।
प्रतिष्ठित व्यक्तियों के सन्दर्भ, जो उम्मीदवार के रिश्तेदार या नज़दीकी न हों किन्तु उम्मीदवार तथा उसकी योग्यता, क्षमता आदि से परिचित हों।
शैक्षणिक योग्यता को एक सारिणी के रूप में प्रस्तुत जाना चाहिए।

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VI. पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-1 (20 अंक)

1. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चम्पा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती’ नामक कविता का सार लिखिए । (3)
उत्तर:
त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चम्पा काले काले अक्षर नहीं ‘चीन्हती’ कविता लोक भावना से जुड़ी हुई है सुन्दर नामक ग्वाल की लड़की चंपा ठेठ अनपढ़ है। पशु चराती है। उसे काले अक्षरों में छिपे स्वरों पर आश्चर्य होता है वह लेखक के साथ शरारत करते हुए कभी उसकी कलम चुरा लेती है, कभी कागज गायब कर देती है। वह लेखक को दिन भर कागज़ गोदते रहने पर शिकायत भी करती है। लेखक उसे समझाता है कि वह भी पढ़ना-लिखना सीख ले। गाँधी बाबा भी यही चाहते हैं परन्तु चंपा पढ़ने-लिखने से मना करती है। लेखक उसे समझाता है कि जब उसकी शादी हो जाएगी और उसका बालम कलकत्ता चला जाएगा तब उसे पत्र कैसे लिखेगी? इस पर चंपा कहती है-आग लगे कलकत्ता को; वह तो अपने बालम को कलकत्ता नहीं जाने देगी। उसे अपने पास ही रखेगी।

(ख) दुष्यन्त कुमार द्वारा रचित ‘साये में धूप’ नामक कविता का सार लिखिए । (3)
उत्तर:
दुष्यन्त कुमार की यह गज़ल जन-जागरण को सन्देश देती है । कवि देश की दुर्व्यवस्था देखकर निराश है। आज़ाद भारत में सब लोगों का सपना था कि अब हर घर में रोशनी होगी, परन्तु हुआ यह कि पूरा शहर अंधेरे में डूबा हुआ है। देश की व्यवस्था ऐसी बन गई है कि यहाँ कष्ट ही कष्ट हैं। राजनीतिक व्यवस्था खुद कष्टों का कारण है इसलिए कवि का दिल करता है, यहाँ से कहीं और चले जाएँ।

यहाँ के लोग ऐसे आलसी, निकम्मे और शोषित हैं कि वे हर अन्याय को चुपचाप सह लेते हैं ये कमीज़ के न होने पर उसके लिए शोर नहीं मचाते, बल्कि अपने पाँवों से पेट ढकने की कोशिश करते हैं। ये लोग खुदा को एक हसीन नज़ारे के समान मन में पाले रहते हैं। इसी के सहारे इनकी ज़िन्दगी कट रही है। कवि की कोशिश है कि इन शोषितों की आवाज में विद्रोह हो और प्रभाव हो, जबकि ये शोषित खुद यह मानते हैं कि सत्ताधारी पत्थर कभी पिघल नहीं सकता। राजनीतिक नेता कवि की विद्रोही आवाज़ को कुचल देना चाहते हैं। अब कवि का भी निश्चय यही है कि वह क्रान्ति की आवाज़ बुलन्द करके रहेगा।

(ग) कवयित्री शिव का क्या संदेश लेकर आई हैं ? (3)
उत्तर:
अक्क महादेवी शिव जी की अनन्य भक्त हैं। उन्होंने सं. सार में शिव का संदेश प्रचारित करना चाहा जिससे प्रत्येक प्राणी को मुक्ति मिल सके। शिव करुणामयी हैं तथा संसार का कल्याण करने वाले हैं। जो भी प्राणी पवित्र मन से शिव भक्ति करता है, वे उसे मुक्ति अवश्य देते हैं। प्रत्येक प्राणी को जीवन में ऐसा अवसर नित्य प्राप्त नहीं होता है, अतः उसे इस अवसर को छोड़ना नहीं चाहिए।

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2. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2= 4)

(क) “यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है” से दुष्यन्त कुमार क्या कहना चाहते हैं ? (2)
उत्तर:
दुष्यंतकुमार यह कहना चाहते हैं कि यहाँ तो दरख्त ही ऐसे हैं कि जिनकी छाया में छाँव मिलने की बजाय धूप लगती है। अर्थात् यहाँ की शासन व्यवस्था और शासक ऐसे हैं कि उनके आश्रय में रहकर कोई सुख-चैन नहीं, बल्कि कष्ट ही कष्ट हैं। आजादी के बाद नेताओं ने देश के सुख-चैन के लिए कुछ नहीं किया।

(ख) कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा ? (2)
उत्तर:
मीरा कृष्ण की अनन्य उपासिका थी और उन्हे अपना पति व आराध्य मानती थीं इस कारण उन्हें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा। उन पर कई प्रकार की बंदिशें व पहरे लगाए गए होंगे। अपने आराध्य कृष्ण की भक्ति करने, भजन गाने व नाचने पर रोक लगायी गई होगी। ससुराल में परिवार वालों द्वारा अपमानित होना पड़ा होगा। महल से निकलने के बाद भूखे-प्यासे रह कर भटकना पड़ा होगा।

(ग) आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करें। (2)
उत्तर:
आदिवासी समाज की स्थिति में वर्तमान समय में काफी सुधार आने लगा है। इनके समाज में भी अब शिक्षा का प्रसार होने लगा है। आरक्षण की सुविधा के द्वारा सरकार इनके लिए नौकरियों में स्थान सुरक्षित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में सम्मिलित करने हेतु प्रयासरत है। यातायात व संचार के साधनों के कारण ये आधुनिक परिवेश में स्वयं को ढालने में समर्थ हो रहे हैं। आदिवासी समाज की उन्नति के लिए अनेक स्वयं सेवी संस्थाएँ भी प्रयासरत हैं जिनके परिणामस्वरूप ये नशे आदि की लत से बाहर आकर आगे बढ़ रहे हैं।

3. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- (3 × 2= 6)

(क) पाठ के आधार पर मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए । (3)
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन पुश्तैनी नानवाई हैं। अपने काम या पेशे के प्रति गहरी निष्ठा और गर्व का अहसास उनके व्यक्तित्व का सबसे उभरा हुआ सबल पक्ष है। अपने बुजुर्गों बालिद और दादा साहिब के लिए उनके मन में असीम श्रद्धा है। श्रम और अभ्यास उनके हुनर का और जीवन का मूल मंत्र है वे छप्पन किस्म की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं। अपने पुराने ज़माने की यादें उन्हें व्याकुल कर देती हैं। नए जमाने में खाने पकाने की कद्र नहीं है- यही उनकी बूढ़ी उम्र का सबसे बड़ा दर्द है।

(ख) स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है ? (3)
उत्तर:
रजनी का चेहरा स्त्री के चरित्र की धारणा से बिल्कुल भिन्न है। भारतीय स्त्री शक्तिहीन, सहनशील और कोमल मानी जाती है, जबकि इस नाटक की नायिका रजनी संघर्षशील, जुझारू और शक्तिशाली है। वह स्वयं अन्याय नहीं देख सकती। अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना तथा जन-आंदोलन खड़ा कर देना उसकी फितरत है।

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(ग) ‘ज़बान की चाबुक’ से क्या आशय है ? मास्टर त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान की चाबुक कहा है और क्यों ? (3)
उत्तर:
‘जुबान की चाबुक’ का तात्पर्य ऐसी कठोर वाणी से है, जो अपने प्रभाव से लोगों को तिलमिला कर रख दे। मास्टर त्रिलोक सिंह के इस कथन को कि तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है। विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें ? इसे लेखक ने ‘जुबान का चाबुक’ कहा है क्योंकि इसकी चोट शारीरिक चोट से भी अधिक पैनी थी। मास्टर जी के इस कथन ने धनराम के मन में यह भाव बैठा दिया कि वह लुहार है, विद्या उसके वश की नहीं।

4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- (2 × 2= 4)

(क) शिवशंभू की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ? (3)
उत्तर:
शिवशंभू की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक वे यह कहना चाहता है कि भारत के पशु हों या मनुष्य, अपने संगी-साथियों के साथ गहरा लगाव रखते हैं। चाहे वे आपस में लड़ते-झगड़ते भी हों, तो भी उनका परस्पर प्रेम अटूट होता है। एक-दूसरे से विदा होते समय वे दु:ख अनुभव करते हैं। लेखक यह भी कहना चाहता है कि विदाई का समय करुणाजनक होता है।

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(ख) एक अध्यापक के रूप में त्रिलोक सिंह का व्यक्तित्व आपको कैसा लगता है? अपनी समझ में उनकी खूबियों और खामियों पर विचार करें। (3)
उत्तर:
अध्यापक त्रिलोक सिंह के व्यक्तित्व में जहाँ कुछ गुण हैं, वहीं कुछ अवगुण भी हैं। वे गाँव के स्कूल में पूरी लगन से पढ़ाते थे। वे किसी के सहयोग के बिना पाठशाला चलाते थे। उन्होंने सभी बच्चों को अनुशासन में बाँध रखा था। वे छात्रों के साथ मेहनत करना व प्रोत्साहित करना अपना कर्तव्य मानते थे। होशियार बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते थे। वहीं वे जातीय भेदभाव से ग्रस्त थे। पढ़ाई में कमज़ोर छात्रों की पिटाई लगवाना व उन पर व्यंग्य करना उचित न था । धनराम द्वारा तेरह का पहाड़ा न सुनाये जाने पर उसे पाँच छः दरौतियाँ धार लगाने को देना उनकी स्वार्थसिद्धि का परिचायक है।

(ग) ‘रजनी’ धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है ? क्या होता अगर- (3)
(i) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता ।
(ii) सम्पादक रजनी का साथ न देता ।
उत्तर:
इस कड़ी की मुख्य समस्या स्कूली अध्यापकों द्वारा बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ाने के लिए विवश करने के विरुद्ध जन-जागरण करना।
(i) यदि अमित का पर्चा सचमुच खराब होता तो रजनी को अपनी भूल का ज्ञान हो जाता। वह आन्दोलन न करती।
(ii) यदि संपादक रजनी का साथ न देता तो यह आन्दोलन इतना सफल न हो पाता। न ही इतनी जल्दी बोर्ड के अधिकारी ट्यूशन सम्बन्धी नियम बनाते।