Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 1 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 1 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रखण्ड’अ’ : वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1x 10 = 10)
उपवास और संयम ये आत्महत्या के साधन नहीं हैं। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह सकता है। ‘त्यक्तेन भुंजीथाः’ जीवन का भोग त्याग के साथ करो, यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है, क्योंकि संयम से भोग करने पर जीवन में जो आनंद प्राप्त होता है, वह निरा भोगी बनकर भोगने से नहीं मिल पाता जिंदगी की दो सूरतें हैं। एक तो यह कि आदमी बड़े-से-बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए, और अगर असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रोशनी के साथ अंधियाली का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए। दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और न जिन्हें बहुत अधिक दुःख पाने का ही संयोग है, क्योंकि वे आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ती है। इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बंधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वे ज़िंदगी के साथ जुआ नहीं खेल सकते और कौन कहता है कि पूरी जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है?
जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताक़त होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। जिंदगी से, अंत में, हम उतना ही पाते हैं जितनी कि उसमें पूँजी लगाते हैं। यह पूँजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं, कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं। जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज़ है। अरे ! ओ जीवन के साधकों ! अगर किनारे की मरी सीपियों से ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक-कोष को कौन बाहर लाएगा?
दनिया में जितने भी मजे बिखेरे गए हैं उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है। वह चीज भी तुम्हारी हो सकती है जिसे तुम अपनी पहँच के परे मान कर लौटे जा रहे हो। कामना का अंचल छोटा मत करो, जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।
(i) ‘त्यक्तेन भुंजीथाः’ कथन से लेखक के व्यक्तित्व की किस विशेषता का बोध होता है?
(क) परिवर्जन
(ख) परिवर्तन
(ग) परावर्तन
(घ) प्रत्यावर्तन
उत्तर:
(क) परिवर्जन
व्याख्यात्मक हल:
लेखक के अनुसार व्यक्ति को निरा भोगी बनकर नहीं बल्कि त्याग व संयम के साथ जीवन का भोग करना चाहिए, तभी आनंद प्राप्त हो सकता है।
(ii) मंज़िल पर पहुँचने का सच्चा आनंद उसे मिलता है, जिसने उसे
(क) आन की आन में प्राप्त कर लिया हो
(ख) पाने के लिए भरसक प्रयास किया हो
(ग) हाथ बढ़ा कर मुट्ठी में कर लिया हो
(घ) सच्चाई से अपने सपनों में बसा लिया हो
उत्तर:
(ख) पाने के लिए भरसक प्रयास किया हो
व्याख्यात्मक हल: जीवन में अपनी मंज़िल अर्थात् उद्देश्य प्राप्ति के लिए, असफलताओं और मुसीबतों का धैर्यपूर्वक सामना करते हुए अपने भरसक प्रयास करने चाहिए, तभी सच्चा आनंद प्राप्त हो सकता है।
(iii) ‘गोधूलि’ शब्द का तात्पर्य है-
(क) गोधेनु
(ख) संध्यावेला
(ग) गगन धूलि
(घ) गोद ली कन्या
उत्तर:
(ख) संध्यावेला
व्याख्यात्मक हल: सूर्यास्त से ठीक पहले के समय को, जब आसमान में सूर्य की किरणें पीले रंग की दिखाई पड़ती हैं और सभी पशु-पक्षी अपने घरों व घोंसलों में लौटने लगते हैं, गोधूलि कहते हैं।
(iv) ‘गोधूलि’ वाली दुनिया के लोगों से अभिप्राय है
(क) विवशता और अभाव में जीने वाले
(ख) जीवन को दाँव पर लगाने वाले
(ग) गायों के खुरों से धूलि उड़ाने वाले
(घ) क्षितिज में लालिमा फैलाने वाले
उत्तर:
(क) विवशता और अभाव में जीने वाले
व्याख्यात्मक हल: ऐसे गरीब लोग जो विवशता और अभाव में जीते हैं, जिनके जीवन का सूर्य हमेशा अस्त ही रहता है क्योंकि उन्हें सुखों का आभास नहीं हो पाता और दुःख उनके जीवन का ही हिस्सा होते हैं।
(v) जीवन में असफलताएँ मिलने पर भी साहसी मनुष्य क्या करता है?
(क) बिना डरे आगे बढ़ता है क्योंकि डर के आगे जीत है
(ख) पराजय से निबटने के लिए फूंक-फूंककर कदम आगे रखता है
(ग) अपने मित्र बँधुओं से सलाह और मदद के विषय में विचार करता है।
(घ) असफ़लता का कारण ढूँढकर पुनः आगे बढ़ने का प्रयास करता है।
उत्तर:
(घ) असफ़लता का कारण ढूँढकर पुनः आगे बढ़ने का प्रयास करता है।
व्याख्यात्मक हल: साहसी मनुष्य जीवन के संघर्ष में मिलने वाली असफलताओं, समस्याओं से घबराता नहीं है बल्कि उनका कारण ढूँढकर, फिर से संघर्ष करने को तत्पर हो जाता है।
(vi) आप कैसे पहचानेंगे कि कोई व्यक्ति साहस की जिंदगी जी रहा है?
(क) जनमत की परवाह करने वाला
(ख) निडर और निशंक जीने वाला
(ग) शत्रु के छक्के छुड़ाने वाला
(घ) भागीरथी प्रयत्न करने वाला
उत्तर:
(ख) निडर और निशंक जीने वाला
व्याख्यात्मक हल: जब कोई व्यक्ति जनमत की परवाह न करते हुए, जिंदगी के संकटों का सामना करते हुए भी निडरता से, बेधड़क होकर अपना जीवन जीता है तो वह निश्चित ही साहसी होता है।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) प्रत्येक परिस्थिति का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
(II) मनुष्य अपने दृढ़ मंतव्य व कठिन परिश्रम से सर्वोच्च प्राप्ति की ओर अग्रसर रहता है।
(III) विपत्ति सदैव समर्थ के समक्ष ही आती है, जिससे वह पार उतर सके।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) I और II
(घ) II और III
उत्तर:
(ग) I और II
(viii) ‘जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है? लेखक इससे सिद्ध करना चाहते हैं कि जिंदगी
(क) रंगमंच के कलाकारों के समान व्यतीत करनी चाहिए।
(ख) में सकारात्मक परिस्थितियाँ ही आनंद प्रदान करती हैं।
(ग) में प्रतिकूलता का अनुभव जीवनोपयोगी होता है।
(घ) केवल दुःखद स्थितियों का सामना करवाती है।
उत्तर:
(ग) में प्रतिकूलता का अनुभव जीवनोपयोगी होता है।
व्याख्यात्मक हल: जीवन में प्रतिकूलता को बुरा समय समझकर निराश नहीं होना चाहिए बल्कि इसका अनुभव करने से हमें जीवन का वास्तविक रूप पता चलता है। यह जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु एक प्रेरक शक्ति के रूप में मनुष्य को प्रेरणा देती है।
(ix) किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है?
(क) जो अत्यधिक सुख प्राप्त करते हैं
(ख) जो सुख-दुःख से दूर होते हैं
(ग) जो पहले दुःख झेलते हैं
(घ) जो सुख को अन्य लोगों से साझा करते हैं।
उत्तर:
(ग) जो पहले दुःख झेलते हैं
व्याख्यात्मक हल: दुःख के बिना सुख का अनुभव नहीं हो सकता। दुःख को साहस से झेलने के बाद ही कोई व्यक्ति सबल बनकर सुख प्राप्त करता है क्योंकि दुःख ही विपरीत परिस्थितियों से व्यक्ति की संघर्ष करने की क्षमता का विकास कर; उसे ऊर्जावान बनाकर सुख का स्वाद चखने योग्य बनाता है।
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): ‘जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है’।
कारण (R): जिंदगी रूपी फल का रसास्वादन करने के लिए दोनों हाथों से श्रम करना होगा।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
चिड़िया को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उसे
बाहर जाने का टोटा है
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिये का डर है
यहाँ निर्भय कंठ स्वर है।
फिर भी चिड़िया मुक्ति का गाना गाएगी,
अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है,
झरना है, पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी
पिंजड़े से जितना अंग निकल सकेगा निकालेगी,
हर सू ज़ोर लगाएगी
और पिंजरा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।
(i) पिंजड़े के भीतर चिड़िया को क्या-क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
(क) खाने की स्वतंत्रता, सम्मान और स्नेह
(ख) नीर, कनक, आवास और सुरक्षा
(ग) प्यार, पुरस्कार, भोजन और हवा
(घ) निश्चितता, निर्भयता, नियम और नीरसता
उत्तर:
(ख) नीर, कनक, आवास और सुरक्षा
व्याख्यात्मक हल: पिंजड़े के भीतर चिड़िया को जल, भोजन, आवास व सुरक्षा की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। उसे इन आधारभूत वस्तुओं के लिए कोई परिश्रम नहीं करना पड़ता।
(ii) बाहर सुखों का अभाव और प्राणों का संकट होने पर भी चिड़िया मुक्ति ही क्यों चाहती है?
(क) वह अपने परिवार से मिलना चाहती है।
(ख) वह आज़ाद जीवन जीना पसंद करती है।
(ग) वह जीवन से मुक्ति चाहती है।
(घ) वह लंबी उड़ान भरना चाहती है।
उत्तर:
(ख) वह आज़ाद जीवन जीना पसंद करती है।
व्याख्यात्मक हल: चिड़िया पराधीन होकर पिंजड़े के अन्दर का सुख नहीं चाहती क्योंकि पराधीनता से बड़ा कोई अभिशाप नहीं। पिंजड़े से बाहर बेशक उसे सुखों का अभाव व प्राणों का संकट महसूस हो, किन्तु वह आज़ाद जीवन जीना ही पसंद करती है जहाँ वह केवल अपने ही आधीन रहती है।
(iii) चिड़िया के समक्ष धरती को निर्मम बताने का मंतव्य है
(क) भयावह स्थिति उत्पन्न करना
(ख) छोटे जीव के प्रति दया भाव
(ग) बहेलिये से बचाव की प्रेरणा
(घ) जीवनोपयोगी वस्तुएँ जुटाने का संघर्ष दर्शाना
उत्तर:
(क) भयावह स्थिति उत्पन्न करना
व्याख्यात्मक हल: धरती पर चिड़िया के लिए अनेक कठिनाईयाँ हैं। उसे दूसरे जानवरों द्वारा मारे जाने का भय है, उसे भोजन-पानी के लिए अत्यधिक श्रम करना पड़ेगा, उसे जीवन में सुखों का अभाव झेलना पड़ेगा।
(iv) पद्यांश का मूल प्रतिपाद्य क्या है?
(क) पिंजरे में पक्षी रखने वालों को सही राह दिखाना
(ख) पिंजरे के भीतर और बाहर की दुनिया दिखाना
(ग) पिंजरे के पक्षी की उड़ान और दर्द से परिचित कराना
(घ) पिंजरे के पक्षी के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्त्व बताना
उत्तर:
(घ) पिंजरे के पक्षी के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्त्व बताना
व्याख्यात्मक हल: स्वतंत्र व्यक्ति अपनी इच्छा से कहीं आ-जा सकता है, अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकता है, अपने दायित्वों की पूर्ति कर सकता है जबकि पराधीनता या परतंत्रता में केवल कष्टमय जीवन ही प्राप्त होता है। हमें गुलाम बनकर रहना पड़ता है।
(v) कवि के संबंध में इनमें से सही है कि वह
(क) प्रकृति के प्रति सचेत हैं
(ख) चिड़िया की सुरक्षा चाहते हैं
(ग) आज़ादी के समर्थक हैं
(घ) अन्न-जल की उपयोगिता बताते हैं
उत्तर:
(ग) आज़ादी के समर्थक हैं
व्याख्यात्मक हल: कवि को मालूम है कि परतंत्रता कितनी दु:खद स्थिति होती है। भारत जब अंग्रेज़ों के आधीन था तब स्वयं को स्वतंत्र कराने के लिए भारत की जनता ने अनेकों बलिदान दिए, तब जाकर वह स्वतंत्र हो सका, आज़ाद हो सका। वह जानता है कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
अथवा
हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही-सी चाँदनी है डालता।
मेह उन पर है बरसता एक-सा,
एक सी उन पर हवाएँ है बही
पर सदा ही यह दिखाता है हमें
ढंग उनके एक से होते नहीं।
छेदकर काँटा किसी की अँगुलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन
प्यार-डूबी तितलियों का पर कतर,
भँवर का है भेद देता श्यान तन।
फूल लेकर तितलियों को गोद में
भँवर को अपना अनूठा रस पिला,
निज सुगंधों और निराले ढंग से
है सदा देता कली का जी खिला।
है खटकता एक सबकी आँख में
दूसरा है सोहता सुर शीश पर,
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर ।
(i) प्रस्तुत काव्यांश किससे संबंधित है?
(क) फूल और तितलियों से
(ख) फूल और पौधे से
(ग) पौधे और चाँदनी से
(घ) बड़प्पन की पहचान से
उत्तर:
(घ) बड़प्पन की पहचान से
व्याख्यात्मक हल: प्रस्तुत काव्यांश प्रकृति-प्रदत्त वस्तुओं द्वारा बिना किसी भेदभाव के अपना कार्य कर, बड़प्पन प्रस्तुत करने से संबंधित है।
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) सद्गुणों के कारण ही मानुस प्रेम का पात्र बनता है।
(II) परिवेशगत समानता सदैव अव्यवस्था को जन्म देती है।
(III) भौगोलिक परिस्थितियाँ प्राकृतिक भिन्नता का कारण हैं।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) I और II
(घ) II और III
उत्तर:
(क) केवल I
(iii) इस काव्यांश से हमें क्या सीख मिलती है?
(क) मनुष्य के कर्म उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं।
(ख) समान परिवेश में रहते हुए मनुष्य समान आदर पाते हैं।
(ग) किसी भी कुल में जन्म लेने से ही मनुष्य बड़ा हो सकता है।
(घ) समान पालन-पोषण होने पर अलग व्यक्तियों के स्वभाव समान होते हैं।
उत्तर:
(क) मनुष्य के कर्म उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं।
व्याख्यात्मक हल: जिस प्रकार चंद्रमा, बादल, हवाएँ अपने कर्म से प्रसिद्धि पाते हैं, फूल, तितली, भँवरा भी अपना कार्य करते हैं, उसी प्रकार मनुष्य भी अपने अच्छे कर्मों से ही प्रसिद्धि पा सकता है।
(iv) ‘फाड़ देता है किसी का पर वसन’ में ‘वसन’ शब्द का अर्थ है
(क) व्यसन
(ख) वस्त्र
(ग) वास
(घ) वासना
उत्तर:
(ख) वस्त्र
(v) कवितानुसार फूल निम्न में से कौन-सा कार्य नहीं करता?
(क) भँवरों को अपना रस पिलाता है।
(ख) तितलियों को अपनी गोद में खिलाता है।
(ग) फल बनकर पशु-पक्षियों और मनुष्यों का पेट भरता है।
(घ) सुरों के शीश पर सोहता है।
उत्तर:
(ग) फल बनकर पशु-पक्षियों और मनुष्यों का पेट भरता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
(i) मुद्रित माध्यमों के लेखन में सहज प्रवाह के लिए ज़रूरी है
(क) तारतम्यता
(ख) उपलब्धता
(ग) एकरेखीयता
(घ) साध्यता
उत्तर:
(क) तारतम्यता
व्याख्यात्मक हल-मुद्रित माध्यमों में सहज प्रवाह में लेखन के लिए आवश्यक तत्त्व है तारतम्यता अर्थात् एक निरंतरता जिससे कि पाठक की लेख में रूचि बनी रहे।
(ii) संबंधित घटना के दृश्य बाइट व ग्राफिक द्वारा खबर को संपूर्णता से पेश करना कहलाता है
(क) एंकर विजुअल
(ख) एंकर बाइट
(ग) एंकर पैकेज
(घ) ड्राई एंकर
उत्तर:
(ग) एंकर पैकेज
(iii) छह ककार के लिए उचित क्रम का चयन कीजिए
(क) क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों, कैसे
(ख) किसने, कब, क्यों, कैसे, कहाँ, किधर
(ग) कैसे, किससे, कब, क्यों, कितना, कौन
(घ) क्यों, कैसे, कब, कहाँ, किससे, किसने
उत्तर:
(क) क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों, कैसे
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) बीट रिपोर्टर | (i) निवेशक |
(ii) फीचर | (ii) संवाददाता |
(iii) कारोबार | (iii) घुटने टेकना |
(iv) खेल | (iv) कथात्मक |
(क) (i)-(iii), (ii)-(iv), (iii)-(i), (iv)-(ii)
(ख) (i)-(ii), (ii)-(iv), (iii)-(i), (iv)-(iii)
(ग) (i)-(iv), (ii)-(iii), (iii)-(ii), (iv)-(i)
(घ) (i)-(ii), (ii)-(i), (iii)-(iv), (iv)-(iii)
उत्तर:
(ख) (i)-(ii), (ii)-(iv), (iii)-(i), (iv)-(iii)
(v) विशेष लेखन के लिए सबसे ज़रूरी बात है
(क) चील-उड़ान और शब्द-विवेक
(ख) गिद्ध-दृष्टि और पक्का इरादा
(ग) शब्दावली और उपलब्धियाँ
(घ) प्रभावशीलता और बुद्धिमत्ता
उत्तर:
(ख) गिद्ध-दृष्टि और पक्का इरादा
व्याख्यात्मक हल: विशेष लेखन करते समय समाचार पर गिद्ध की तरह की तीखी दृष्टि रखनी चाहिए और साथ ही लेखन पूर्ण करने का पक्का इरादा।
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक़
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो
और…….
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है।
(i) नील जल में किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे हिल रही हो’ में कौन-सा भाव है?
(क) तरलता का
(ख) निर्मलता का
(ग) उज्जवलता का
(घ) सहजता का
उत्तर:
(ख) निर्मलता का
(ii) नीले नभ में उदय होता हुआ सूर्य किसके जैसा प्रतीत हो रहा है?
(क) शंख जैसा
(ख) गौरवर्णीय सुंदरी जैसा
(ग) सिंदूर जैसा
(घ) नीले जल जैसा
उत्तर:
(ख) गौरवर्णीय सुंदरी जैसा
(iii) इस काव्यांश में कवि ने उषा का कौन-सा चित्र उपस्थित किया है?
(क) छायाचित्र
(ख) रेखाचित्र
(ग) शब्दचित्र
(घ) भित्तिचित्र
उत्तर:
(ग) शब्दचित्र
(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) बहुत नीला शंख जैसे – उपमा अलंकार
(ख) जादू टूटता है इस उषा का अब – उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) सूर्योदय हो रहा है – रूपक अलंकार
(घ) गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो – अन्योक्ति अलंकार
उत्तर:
(क) बहुत नीला शंख जैसे – उपमा अलंकार
(v) कवि द्वारा भोर को राख का लीपा हुआ चौंका कहना प्रतिपादित करता है कि भोर का नभ-
(क) अपनी आभा से चमत्कृत कर रहा है।
(ख) रात के समान गर्म हवा फैला रहा है।
(ग) सफ़ेद व नीले वर्णों का अद्भुत मिश्रण है।
(घ) नए परिवर्तन व आयामों का प्रतीक है।
उत्तर:
(ग) सफ़ेद व नीले वर्णों का अद्भुत मिश्रण है।
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)
कालिदास सौंदर्य के बाह्य आवरण को भेदकर उसके भीतर तक पहुँच सकते थे, दुःख हो कि सुख, वे अपना भाव-रस उस अनासक्त कृषिवल की भाँति खींच लेते थे, जो निर्दलित ईक्षुदंड से रस निकाल लेता है। कालिदास महान् थे, क्योंकि वे अनासक्त रह सकते थे। कुछ इसी श्रेणी की अनासक्ति आधुनिक हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत में है। कविवर रवींद्रनाथ में यह अनासक्ति थी। एक जगह उन्होंने लिखा-‘राजोद्यान का सिंहद्वार कितना ही अभ्रभेदी क्यों न हो’ उसकी शिल्पकला कितनी ही सुंदर क्यों न हो, वह यह नहीं कहता कि हम में आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो गया। असल गंतव्य स्थान उसे अतिक्रम करने के बाद ही है, यही बताना उसका कर्तव्य है।’ फूल हो या पेड़, वह अपने-आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।
(i) कालिदास की सौंदर्य-दृष्टि कैसी थी?
(क) स्थूल और बाहरी
(ख) सूक्ष्म और संपूर्ण
(ग) आसक्ति और आडंबरों
(घ) अतिक्रम और अभ्रभेदी
उत्तर:
(ख) सूक्ष्म और संपूर्ण
(ii) कौन-से गुण के कारण कालिदास, सुमित्रानंदन पंत और रवींद्रनाथ टैगोर कविताओं के साथ न्याय कर पाए ?
(क) गंतव्यता
(ख) निर्दलीयता
(ग) कृषिबलता
(घ) तटस्थता
उत्तर:
(घ) तटस्थता
(iii) फूलों और पेड़ों से हमें जीवन की …………. की प्रेरणा मिलती है
(क) निरंतरता
(ख) भावपूर्णता
(ग) समापनता
(घ) अतिक्रमणता
उत्तर:
(क) निरंतरता
(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): पुष्प या पेड़ अपने सौंदर्य से यह बताते हैं कि यह सौंदर्य अंतिम नहीं है।
कारण (R): भारतीय शिल्पकला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। विभिन्न कवियों ने इस बात की पुष्टि की है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) कला की कोई सीमा नहीं होती।
(II) शिरीष के वृक्ष को कालजयी अवधूत के समान कहा गया है।
(III) कालिदास की समानता आधुनिक काल के कवियों के साथ दिखाई गई है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल III
(ग) I और II
(घ) I और III
उत्तर:
(घ) I और III
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(i) ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी की मूल संवेदना आप किसे मानेंगे?
(क) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
(ख) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(ग) पीढ़ी अंतराल
(घ) सिल्वर वेडिंग के परिणाम
उत्तर:
(ग) पीढ़ी अंतराल
(ii) ‘सिल्वर वेडिंग’ पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य का अर्थ है
(क) पाश्चात्य विचारधारा के संदर्भ में
(ख) परिवार की संरचना के संदर्भ में
(ग) किशन दा की मृत्यु के संदर्भ में
(घ) यशोधर बाबू की नियुक्ति के संदर्भ में
उत्तर:
(ग) किशन दा की मृत्यु के संदर्भ में
(iii) दादा कोल्हू जल्दी क्यों लगाना चाहते थे?
(क) काम जल्दी समाप्त करने के लिए
(ख) दूसरी फ़सल के लिए
(ग) गुड़ की ज़्यादा कीमत के लिए
(घ) खेत में पानी देने के लिए
उत्तर:
(ग) गुड़ की ज़्यादा कीमत के लिए
(iv) ‘जूझ’ उपन्यास मूलतः किस भाषा में लिखा गया है?
(क) हिंदी
(ख) अंग्रेजी
(ग) मराठी
(घ) गुजराती
उत्तर:
(ग) मराठी
(v) लेखक आनंद यादव की माँ के अनुसार पढ़ाई की बात करने पर लेखक का पिता कैसे गुर्राता है?
(क) कुत्ते के समान
(ख) शेर के समान
(ग) जंगली सूअर के समान
(घ) चीते के समान
उत्तर:
(ग) जंगली सूअर के समान
(vi) सिंधु घाटी की सभ्यता के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(क) सिंधु घाटी की सभ्यता प्राचीनतम् सभ्यता थी।
(ख) सिंधु घाटी की सभ्यता आडंबरहीन सभ्यता थी।
(ग) सिंधु घाटी की सभ्यता छोटी होते हुए भी महान थी।
(घ) सिंधु घाटी की सभ्यता में राजतंत्र स्थापित नहीं था।
उत्तर:
(घ) सिंधु घाटी की सभ्यता में राजतंत्र स्थापित नहीं था।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) महाकुंड स्तूप में उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती हैं।
(II) मोहनजोदड़ो सभ्यता में सूत की कताई, बुनाई और रंगाई भी होती थी।
(III) सिंधु घाटी सभ्यता में जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत बुरी थी।
(IV) मोहनजोदड़ो से मिला नरेश के सिर का मुकुट बहुत छोटा था।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल III
(ग) I, II और III
(घ) I, II और IV
उत्तर:
(घ) I, II और IV
(viii) राखालदास बनर्जी कौन थे?
(क) शिक्षक
(ख) भिक्षुक
(ग) पुरातत्त्ववेत्ता
(घ) व्यापारी
उत्तर:
(ग) पुरातत्त्ववेत्ता
(ix) ‘जूझ’ कहानी लेखक की किस प्रवृत्ति को उद्घाटित करती है?
(क) कविता करने की प्रवृत्ति
(ख) पढ़ने की प्रवृत्ति
(ग) लेखन की प्रवृत्ति
(घ) संघर्षमयी प्रवृत्ति
उत्तर:
(घ) संघर्षमयी प्रवृत्ति
(x) किशोर दा के रिटायर होने पर यशोधर बाबू उनकी सहायता क्यों नहीं कर पाए थे?
(क) यशोधर बाबू की पत्नी किशन दा से नाराज़ थी।
(ख) यशोधर बाबू का अपना परिवार था, जिससे वह नाराज़ नहीं करना चाहते थे।
(ग) यशोधर बाबू के घर में किशन दा के लिए स्थान का अभाव था।
(घ) किशन दा को यशोधर बाबू ने अपने घर में स्थान देना चाहा था, जिसे किशन दा ने स्वीकार नहीं किया।
उत्तर:
(ख) यशोधर बाबू का अपना परिवार था, जिससे वह नाराज़ नहीं करना चाहते थे।
रखण्ड ‘ब’: वर्णनात्मक प्रश्न
7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
(ख) दिया और तूफ़ान : मानव जीवन का सत्य
(ग) झरोखे से बाहर
(घ) आज़ादी का अमृत महोत्सवःस्वर्णिम 75 साल
उत्तर:
(क) लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
व्याख्यात्मक हल:
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसकी भूमिका और महत्त्वपूर्ण हो जाती है। मीडिया की विश्वसनीयता जनता के सरोकारों और जन विश्वास पर ही टिकी होती है। मीडिया राष्ट्रीय संसाधन है जिसे पत्रकार बंधु जन विश्वास या ट्रस्ट में प्रयोग करते हैं। मीडिया की आवश्यकता इसलिए भी होती है कि वे जनसरोकारों के प्रति सत्यनिष्ठ रहें। महात्मा गांधी ने कहा था कि “पत्रकार का कर्तव्य है कि वह देश के जनमानस को पढ़े और निर्भीक हो कर उसे मुखर अभिव्यक्ति दे। पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य मात्र समाज सेवा ही होनी चाहिए। संसद और मीडिया एक-दूसरे के सहयोगी हैं। दोनों ही संस्थान जनभावनाओं को अभिव्यक्ति देते हैं। आज जब हम बढ़ती और बदलती जन अपेक्षाओं के युग में रह रहे हैं तब आवश्यक है कि हम अपने स्थापित पूर्वाग्रहों को त्यागें और जन अपेक्षाओं की स्वर दें। मीडिया को भी विकासवादी सकारात्मक राजनीति का वाहक बनना होगा।
(ख) दिया और तूफान : मानव जीवन का सत्य
व्याख्यात्मक हल-मानव जीवन का सत्य है कि उसके जीवन में सुख और दुःख का चक्र निरन्तर चलता रहता है। दिया से तात्पर्य रोशनी देने से है अर्थात् दिया रोशनी और नई आशा का प्रतीक है जो मानव जीवन के अन्धकार को नष्ट करता है। इसके विपरीत ही तूफ़ान है। यह मानव जीवन में विपत्तियों का सूचक है। जब भी मानव जीवन में तूफ़ान आता है तब दिया ही मानव का पथ प्रदर्शन करता है। तूफ़ान सब कुछ नष्ट कर देता है अर्थात् इसके कारण मानव जीवन नष्ट होने की कगार पर आ जाता है, इसलिए मनुष्य को अपने भीतर के आलोक को कभी नष्ट नहीं होने देना चाहिए। धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। सुख-दुःख जीवन का चक्र है जो निरन्तर चलता रहेगा, अतः कहा जा सकता है कि दिया और तूफान मानव जीवन का सत्य है।
(ग) झरोखे से बाहर
व्याख्यात्मक हल-झरोखा है- भीतर से बाहर की ओर झाँकने का माध्यम और बाहर से भीतर देखने का रास्ता। हमारी आँखें भी तो झरोखा ही हैं-मन-मस्तिष्क को संसार से और संसार को मन-मस्तिष्क से जोड़ने का। मन रूपी झरोखे से किसी भक्त को संसार के कण-कण में बसने वाले ईश्वर के दर्शन होते हैं तो मन रूपी झरोखे से ही किसी डाकू-लुटेरे को किसी धनी-सेठ की धन-संपत्ति दिखाई देती है जिसे लूटने के प्रयत्न में वह हत्या जैसा जघन्य कोई कार्य करने में तनिक नहीं झिझकता। झरोखा स्वयं कितना छोटा-सा होता है पर उसके पार बसने वाला संसार कितना व्यापक है जिसे देख तन-मन की भूख जाग जाती है और कभी-कभी शांत भी हो जाती है। किसी पर्वतीय स्थल पर किसी घर के झरोखे से गगन चुंबी पर्वतमालाएँ, ऊँचे-ऊँचे पेड़, डरावनी खाइयाँ यदि पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं तो दूर-दूर तक घास चरती भेड़ -बकरियाँ भी मन मोह लेती हैं। झरोखे तो छोटे-बड़े कई होते हैं पर उनके बाहर के दृश्य तो बहुत बड़े होते हैं जो कभी-कभी आत्मा तक को झकझोर देते हैं।
(घ) आज़ादी का अमृत महोत्सव : स्वर्णिम 75 साल
व्याख्यात्मक हल-आज़ादी का अमृत महोत्सव एक बड़ा ही लम्बा त्योहार है जिसे 12 मार्च 2021 में प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था जिसके बाद 12 मार्च से ही आज़ादी का अमृत महोत्सव भारत के कुछ क्षेत्रों में मनाया जा रहा है जिसे 15 अगस्त को अति उत्साह के साथ आने वाले 15 अगस्त 2023 तक मनाया जाएगा। आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने से सभी भारतवासियों के दिल में देश के प्रति सम्मान और गौरव को प्रचलित करना है। इस योजना से भारत की सैन्य शक्ति की भी प्रदर्शनी करवायी जाएगी। आज़ादी का अमृत महोत्सव विभिन्न जगहों पर अलग-अलग तरह के कार्यक्रम और बड़े पैमाने पर भारतीय हथियार के प्रदर्शनी के साथ मनाया जा रहा है। साथ ही भारत के सभी नागरिकों के मन में भारत के लिए एक अलग ही सम्मान प्रकट हो पाएगा। इस अमृत महोत्सव में उन वीर सुपूतों को याद करना है जिन्होंने अपना परिवार और अपना समस्त जीवन केवल देश को समर्पित कर दिया। कवि प्रदीप ने कहा है
“ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आँख में भर लो पानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी।।”
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘कहानीकार द्वारा कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंद्वों के विवरण के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में काफ़ी समस्या आती है।’ इस कथन के संदर्भ में नाटय रूपांतरण की किन्हीं तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नाट्य रूपांतरण की चुनौतियाँ
- पात्रों के मनोभावों की
- मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की
- पात्रों की सोच के प्रस्तुतीकरण की उदाहरण के लिए ईदगाह कहानी का वह हिस्सा जहाँ हामिद इस द्वंद्व में है कि क्या खरीदे, क्या ना खरीदे।
व्याख्यात्मक हल:
कहानियों में भाव बोध को अपनी भाव भंगिमा के साथ प्रस्तुत करना उसका नाट्य रूपांतरण है। विभिन्न प्रकार से घटना, कथा अथवा कहानी कहने की शैली रूपांतरण की जननी है। कहानी और नाटक का फ़िल्मों में रूपांतरण तेजी से हो रहा है। अभिव्यक्ति और कथानक को नए रूप में परिवर्तित कर के मंच पर लाया जा रहा है।
(ख) रेडियो श्रव्य माध्यम है। यह ध्वनि के माध्यम से ही संप्रेषण करता है इसलिए नाटक में ध्वनि संकेतों का विशिष्ट महत्त्व है। रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता स्पष्ट करते हुए कोई तीन बिंदु अवश्य लिखिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता-
- मंच नाटक लेखन, फ़िल्म की पटकथा और रेडियो नाटक लेखन में काफी समानता
- रेडियो में ध्वनि प्रभावों व संवादों के ज़रिये ही दृश्य का माहौल पैदा किया जाना।
- इसलिए संवाद व ध्वनि सबसे महत्त्वपूर्ण होना
- दृश्य की जगह कट/हिस्सा लिखा जाना
- दृश्यों को ध्वनि-संकेतों से दिखाया जाना।
व्याख्यात्मक हल: रेडियो नाटक में केवल आवाज़ का ही महत्त्व है, अतः अधिक पात्र एक साथ उपस्थित न किए जाएँ तो अच्छा ही होता है। साथ ही पात्रों के व्यक्तित्व को शब्दों द्वारा उखाड़ना चाहिए क्योंकि इसमें ध्वनि का अधिक महत्त्व है।
(ग) रटंत या कुटेव को बुरी लत क्यों कहा गया है? नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
रटंत का अर्थ है-दूसरों के द्वारा तैयार सामग्री को याद करके ज्यों-का त्यों प्रस्तुत कर देने की आदत।
लत कहे जाने के कारण-
- असली अभ्यास का मौका ना मिलना
- भावों की मौलिकता समाप्त हो जाना
- चिंतन-शक्ति क्षीण होना
- सोचने की क्षमता में कमी होना
- दूसरों के लिखे पर आश्रित होना
अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से बचा जा सकता है क्योंकि इससे अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है। नए विषयों पर विचार अभिव्यक्ति से मानसिक और आत्मिक विकास होता है।
9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) समाचार लेखन की एक विशेष शैली होती है। इस शैली का नाम बताते हुए समाचार लेखन की इस शैली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) समाचार लेखन की एक विशेष शैली का नाम ‘उलटा पिरामिड शैली’ है, जिसमें क्लाइमैक्स बिल्कुल आखिर में आता है। इसे उल्टा पिरामिड इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य या सूचना सबसे पहले दी जाती है और तत्पश्चात् उससे कम महत्त्वपूर्ण और फिर सबसे कम महत्त्वपूर्ण समाचार लिए जाते हैं। इसमें इंट्रो, बॉडी और समापन समाचार प्रस्तुति के तीन चरण होते हैं।
व्याख्यात्मक हल: उल्टा पिरामिड शैली से हमारा तात्पर्य समाचार लेखन से है। समाचार को पढ़ते समय समाचार के आरम्भ में ही उसकी पूरी जानकारी दे दी जाती है। यह समाचार का मुख्य भाग है।
(ख) बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- बीट रिपोर्टर को संवाददाता और विशेषीकृत रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहते हैं।
- बीट रिपोर्टर को अपने क्षेत्र की जानकारी और उसमें दिलचस्पी होना ही पर्याप्त है। उसे केवल सामान्य खबरें ही लिखनी पड़ती हैं जबकि विशेषीकृत रिपोर्टर को अपने विषय-क्षेत्र की घटनाओं, मुद्दों व समस्याओं का बारीक विश्लेषण करके उसका अर्थ भी स्पष्ट करना होता है।
- बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और दिलचस्पी का होना पर्याप्त है लेकिन विशेषीकृत रिपोर्टिंग में सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों व समस्याओं का बारीकी विश्लेषण करना आवश्यक है।
- बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग से संबंधित उदाहरण भी दिए जा सकते हैं।
(ग) फीचर क्या है? फीचर को परिभाषित करते हुए अच्छे फीचर की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
फीचर एक सुव्यवस्थित सृजनात्मक और आत्मिक लेखन है जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ-साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है। फीचर समाचार की तरह पाठकों को तात्कालिक घटनाक्रम से अवगत नहीं कराता। समाचारों से विपरीत फीचर में लेखक के पास अपनी राय या दृष्टिकोण और भावनाएँ जाहिर करने का अवसर होता है। फीचर लेखन कथात्मक शैली में किया जाता है।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘आत्मपरिचय’ कविता में कवि ने अपने जीवन में किन परस्पर विरोधी बातों का सामंजस्य बिठाने की बात कही है?
उत्तर:
- कवि का सांसारिक कठिनाइयों से जूझने पर भी इस जीवन से प्यार करना।
- संसार और विपरीत परिस्थितियों की परवाह ना करना।
- उसे संसार का अपूर्ण लगना।
- अपने सपनों का अलग ही संसार लिए फिरना।
व्याख्यात्मक हल: इस कविता में, कवि ने अपने जीवन की अनेक विरोधी बातों का सामंजस्य बिठाने की बात की है। कवि सांसारिक कठिनाइयों से जूझ रहा है, फिर भी वह इस जीवन से प्यार करता है। वह संसार की परवाह नहीं करता। उसे यह संसार अपूर्ण लगता है।
(ख) ‘रस का अक्षयपात्र’ से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?
उत्तर:
- रचना कर्म का अक्षयपात्र कभी खाली नहीं होता।
- रचना कर्म अविनाशी और कालजयी।
- कवि की रचनाएँ हमेशा अमर रहती हैं। पाठकों को अच्छा संदेश और जीवन में सही मार्ग दिखाती हैं।
- बार-बार पढ़े जाने पर भी कविता का रस समाप्त ना होना।
- इन्हीं विशेषताओं के कारण रचना कर्म को रस का अक्षयपात्र कहना।
(ग) ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में ‘विप्लव’ से क्या तात्पर्य है? ‘छोटे ही हैं शोभा पाते’ ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर:
- ‘विप्लव-रव’ से कवि का तात्पर्य क्रांति से है।
- क्रांति गरीब लोगों या आम जनता में जोश भर देती है।
- गरीब और आम जनता ही शोषण का शिकार होती है।
- समाज में क्रांति इन्हीं से आरंभ होती है, इसीलिए यही क्रांति के जनक होते हैं।
- क्रांति का आगाज़ होते ही ये नए और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगते हैं, जिसकी चमक इनके चेहरे पर स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।
- इसीलिए छोटे ही क्रांति (विप्लव-रव) के समय शोभा पाते हैं।
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) ‘पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं’- बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध है?
उत्तर:
- बच्चों को पतंग का बहुत प्रिय होना।
- आकाश में उड़ती पतंग देखकर बच्चों के मन का उड़ान भरना।
- पतंग की भाँति बालमन का ऊँचाइयों को छूने की चाह।
- आसमान से पार जाने की चाह।
- पतंग की उड़ान का बच्चों के रंग-बिरंगे सपने के समान होना ।
- बालकों का मन चंचल होना।
(ख) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है कैसे?
उत्तर:
- बात भाव है और भाषा उसे प्रकट करने का माध्यम।
- बात और भाषा में चोली-दामन का साथ होता है।
- कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है।
- मनुष्य का शब्दों के चमत्कार में उलझकर इस गलतफहमी का शिकार होना कि कठिन और नए शब्दों के प्रयोग से अधिक प्रभावशाली ढंग से बात कही जाती है।
- भाव को भाषा का साधन बना लेना
- भाव की अपेक्षा भाषा पर अधिक ध्यान दिए जाने के कारण भाव की गहराई समाप्त होना।
(ग) कवितावली के छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।
उत्तर:
तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ थी क्योंकि ‘कवितावली’ में उनके द्वारा-
- समकालीन समाज का यथार्थ चित्रण
- समाज के विभिन्न वर्गों का चित्रण
- गरीबी के कारण लोगों द्वारा अपनी संतान तक बेच देने का वर्णन
- दरिद्रता रूपी रावण का हाहाकार दिखाना
- किसानों की हीन दशा का मार्मिक वर्णन
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र नहीं देखता, बस देखता है सिर्फ़ उसकी क्रय शक्ति को, और इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट करके लिखिए।
उत्तर:
हम इस कथन से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि
- बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म और क्षेत्र नहीं देखता। सिर्फ ग्राहक की क्रय-शक्ति देखता है।
- उसे इस बात से कोई मतलब नहीं कि खरीदार औरत है या मर्द, हिंदू है या मुसलमान, उसकी जाति क्या है या वह किस क्षेत्र-विशेष से है।
- यहाँ हर व्यक्ति ग्राहक है।
- आज जबकि जीवन के हर क्षेत्र में भेदभाव है ऐसे में बाज़ार हर एक को समान मानता है।
- बाज़ार का काम है वस्तुओं का विक्रय, उसे तो ग्राहक चाहिए फिर चाहे वह कोई भी हो। इस प्रकार यह सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है।
(ख) कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:
कहानी के आरंभ में लुट्टन के माता-पिता का चल बसना और सास द्वारा पालन-पोषण किया जाना।
कहानी के मध्य में दंगल जीतकर उसका मशहूर पहलवान बन जाना, सुख-सुविधा के सब सामान पास होना, दो जवान बेटों का पिता बन जाना पर पत्नी का स्वर्ग सिधारना। कहानी के अंत में हैजे से दोनों बेटों की मृत्यु और स्वयं भी हैजे का शिकार होकर संसार से चले जाना।
व्याख्यात्मक हल: लुट्टन जब नौ वर्ष का था तभी उसके पिता चल बसे थे। सौभाग्यवश उसकी शादी हो चुकी थी। गाँव के लोग उसकी सास को तकलीफ़ दिया करते थे। उन लोगों से बदला लेने के लिए वह कसरत की ओर मुड़ा ताकि शरीर को मज़बूत बना सके। गाँव में उसे पहलवान समझा जाने लगा।
(ग) जाति-प्रथा भारतीय समाज में बेरोज़गारी और भुखमरी का भी एक कारण कैसे बनती जा रही है? क्या यह स्थिति आज भी है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- जाति-प्रथा के बंधन के कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता नहीं होती।
- इसी कारण उसे भूखों मरने तक की नौबत आ जाती है।
- जाति-प्रथा पैतृक पेशा अपनाने पर जोर देती है, भले ही वह इस पेशे से पारंगत ना हो।
- जाति-प्रथा व्यक्ति को पेशे विशेष से बाँधकर रखती है, जो समाज में बेरोज़गारी और भुखमरी का कारण बनता है।
आज समाज की स्थिति में परिवर्तन आ रहा है। आज व्यक्ति को अपना पेशा चुनने और बदलने का अधिकार है।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है?
उत्तर:
- संन्यासी की तरह ही सुख-दुःख की परवाह ना करना।
- जीवन की अजेयता के मंत्र की घोषणा करना।
- बाहर गर्मी, धूप, बारिश से प्रभावित ना होना।
- धैर्य के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में अजेय जीवन व्यतीत करना।
- भावनाओं की भीषण गर्मी में भी अजेय रहना।
(ख) लोगों ने लड़कों की टोली को मेंढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आप को इंद्रसेना कहकर क्यों बुलाती थी?
उत्तर:
- गाँव के लोगों का किशोर लड़कों की उछल-कूद से चिढ़ना
- उनकी वजह से होने वाले सड़क के कीचड़ से चिढ़ना
- इंद्रसेना कहे जाने के कारण
- भगवान इंद्र से वर्षा की विनती करना
- स्वयं को इंद्र की सेना के सैनिक मानना
व्याख्यात्मक हल: लड़कों की टोली घर-घर जाकर पानी की माँग किया करती थी। लोग अपने घरों से पानी निकालकर इनके ऊपर डाला करते थे। इनके कारण बादलों के राजा इंद्र प्रसन्न होते थे। लोगों से जा-जाकर यह इंद्र से प्रार्थना करने के लिए उन्हें विवश करते थे।
(ग) भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:
भक्तिन भोली-भाली, बुद्धिमान, सेवाभाव वाली थी किंतु उसकी भक्ति में कुछ दुर्गुण भी थे, जैसे-
- पैसों को भंडार घर की मटकी में छुपाकर रखना।
- लेखिका से बेवज़ह तर्क-वितर्क करना।
- लेखिका से झूठ बोलना।
- शास्त्रों में लिखी बातों की व्याख्या अपने अनुसार करना।