Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 10 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 10 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
सिनेमा जगत के अनेक नायक-नायिकाओं, गीतकारों, कहानीकारों और निर्देशकों को हिन्दी के माध्यम से पहचान मिली है। यही कारण है कि गैर-हिंदी भाषी कलाकार भी हिंदी को ओर आए हैं। समय और समय के उभरते सच को परदे पर पूरी अर्थवत्ता में धारण करने वाले ये लोग दिखावे के लिए भले ही अंग्रेज़ी के आग्रही हों लेकिन बुनियादी और ज़मीनी हकीकत यही है कि इनकी पूँजी, इनकी प्रतिष्ठा की एकमात्र निमित्त हिंदी ही है। लाखों-करोड़ों दिलों की धड़कनों पर राज करने वाले ये सितारे हिंदी फिल्मों और भाषा के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं। छोटे परदे (टी.वी.) ने आम जनता के घरों में अपना मुकाम बनाया तो लगा हिंदी आम भारतीय की जीवन-शैली बन गई। हमारे आदिग्रंथों-रामायण और महाभारत को जब हिंदी में प्रस्तुत किया गया तो सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल गया। ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ से शुरू हुआ सोप ऑपेरा का दौर हो या सास-बहू धारावाहिकों का, ये सभी हिंदी की रचनात्मकता और उर्वरता के प्रमाण हैं। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से करोड़पति चाहे जो बने हों, पर सदी के महानायक की हिंदी हर दिल की धड़कन की भाषा बन गई। सुर और संगीत की प्रतियोगिता में कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम जैसे गैर-हिंदी क्षेत्रों के कलाकारों ने हिंदी गीतों के माध्यम से पहचान बनाई। ज्ञान गंभीर ‘डिस्कवरी चैनल, हो या बच्चों को रिझाने-लुभाने वाला टॉम एण्ड जेरी’ इनके हिंदी उच्चारण की मिठास और गुणवत्ता अद्भुत, प्रभावी और ग्राह्य है। धर्म-संस्कृति, कला-कौशल, ज्ञान-विज्ञान सभी कार्यत्त्मक हिंदी संप्रेषणीयता के प्रमाण हैं।
(i) कहानीकारों और निर्देशकों को पहचान किस से मिली है?
(क) कहानी से
(ख) कविता से
(ग) हिंदी से
(घ) फ़िल्मों से
उत्तर:
(ग) हिंदी से
(ii) किन कलाकारों ने हिन्दी की ओर रुख किया है?
(क) हिंदी भाषी
(ख) गैर-हिंदी भाषी
(ग) विदेशी
(घ) देशी
उत्तर:
(ख) गैर-हिंदी भाषी
(iii) परदे पर अर्थवत्ता को धारण करते लोग दिखावे के लिए किस भाषा के आग्रही हैं?
(क) पंजाबी
(ख) हिंदी
(ग) तेलुगु
(घ) अंग्रेज़ी
उत्तर:
(घ) अंग्रेज़ी
(iv) कब सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल जाता था?
(क) रामायण, महाभारत के प्रस्तुतीकरण के समय
(ख) विवाह समारोह के समय
(ग) मेले के समय
(घ) खेलों के समय
उत्तर:
(क) रामायण, महाभारत के प्रस्तुतीकरण के समय
(v) हिंदी कब हर दिल की धड़कन बन भाषा बन गई?
(क) हम लोग के समय
(ख) कौन बनेगा करोड़पति के कारण
(ग) धारावाहिकों के कारण
(घ) संगीत के कारण
उत्तर:
(ख) कौन बनेगा करोड़पति के कारण
(vi) गैर हिंदी कलाकरों ने हिंदी गीतों के माध्यम से कहाँ पहचान बनाई?
(क) सुर और संगीत की प्रतियोगिता में
(ख) टॉम एण्ड जैरी में
(ग) बुनियाद में
(घ) रामायण में
उत्तर:
(क) सुर और संगीत की प्रतियोगिता में
व्याख्या : सिनेमा जगत के अनेक नायक-नायिकाओं, गीतकारों, कहानीकारों, और निर्देशकों को हिंदी के माध्यम से पहचान मिली है। यही कारण है कि गैर-हिंदी भाषी कलाकार भी हिंदी की ओर आए हैं।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) छोटे पर्दे से तात्पर्य टी.वी. पर आने वाले कार्यक्रम से है।
(II) छोटे पर्दे से तात्पर्य नाटक से है।
(III) छोटे पर्दे से तात्पर्य लघु फ़िल्म से है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल II
(ख) केवल I
(ग) केवल III
(घ) I और III
उत्तर:
(ख) केवल I
व्याख्या : छोटे पर्दे से तात्पर्य टी.वी पर आने वाले चैनलों पर प्रसारित होने वाले अनेक कार्यक्रमों से है। जो जनजीवन को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
(viii) बच्चों की लुभाने वाले ……….की हिंदी उच्चारण और मिठास की गुणवत्ता प्रभावी ओर ग्राह्य है। रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) टॉम एण्ड जेरी
(ख) डिस्कवरी चैनल
(ग) रामायण और महाभारत
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) टॉम एण्ड जेरी
(ix) रचनात्मक शब्द से मूल शब्द पहचानिए।
(क) रच
(ख) रचना
(ग) चना
(घ) आत्मक
उत्तर:
(ख) रचना
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक भारतीय सिनेमा है।
कारण (R): सिनेमा में केवल रामायण ही दिखाई जाती है।
(क) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
जब-जब बाहें झुकी मेघ की, धरती का तन-मन ललका है,
जब-जब मैं गुजरा पनघट से, पनिहारिन का घट छलका है।
सुन बाँसुरिया सदा-सदा से हर बेसुध राधा बहकी है,
मेघदूत को देख यक्ष की सुधियों में केसर महकी है।
क्या अपराध किसी का है फिर, क्या कमज़ोरी कहूँ किसी की,
जब-जब रंग जमा महफिल में जोश रुका कब पायल का है।
जब-जब मन में भाव उमड़ते, प्रणय श्लोक अवतीर्ण हुए हैं।
जब-जब प्यास जगी पत्थर में, निर्झर स्त्रोत विकीर्ण हुए हैं।
जब जब गूंजी लोकगीत की धुन अथवा आल्हा की कड़ियाँ,
खेतों पर यौवन लहराया, रूप गुजरिया का दमका है।
(i) प्रस्तुत काव्यांश में किसका तन-मन ललकता कहा गया है?
(क) पनिहारिन का
(ख) राधा का
(ग) धरती का
(घ) गुजरिया का
उत्तर:
(ग) धरती का
(ii) मेघों के झुकने पर धरती कैसी हो जाती है?
(क) भारी
(ख) पानी से सराबोर
(ग) हरी-भरी
(घ) शीतल, पवन
उत्तर:
(ख) पानी से सराबोर
व्याख्या : मेघों के झुकने पर धरती पानी से सराबोर हो उठती है तथा हरी-भरी हो जाती है।
(iii) युक्त मन के भावों और प्रेम गीतों का परस्पर कैसा सम्बन्ध है?
(क) समान
(ख) प्रेम का
(ग) गहरा
(घ) दोस्ती जैसा
उत्तर:
(ग) गहरा
व्याख्या : मन के भावों और गीतों का आपस में गहरा सम्बन्ध बताया गया है। जब मन में भाव उमड़ते हैं उन्हीं के अनुरूप प्रणय गीत उमड़ पड़ते हैं।
(iv) आल्हा किस राज्य का लोकगीत है?
(क) पंजाब
(ख) महाराष्ट्र
(ग) बुंदेलखंड
(घ) गुजरात
उत्तर:
(ग) बुंदेलखंड
(v) ‘खेतों पर यौवन लहराया, रूप गुजरिया का दमका’ का आशय क्या है?
(क) खेतों की हरियाली को सुंदर स्त्री के समान बताना
(ख) खेतों में स्त्रियाँ नाचती हैं
(ग) खेत हरे-भरे लह-लहाते हैं
(घ) गुर्जर स्त्रियाँ खेतों में झूमती हैं
उत्तर:
(क) खेतों की हरियाली को सुंदर स्त्री के समान बताना
व्याख्या : वर्षा ऋतु में खेत उसी प्रकार हरे-भरे हो जाते हैं जिस प्रकार ग्रामीण स्त्रियाँ अपने प्रेमी के निकट रहने पर सौंदर्य से युक्त हो जाती हैं।
अथवा
तू हिमालय नहीं, तू नहीं गंगा-यमुना
तू त्रिवेणी नहीं, तू न रामेश्वरम्
तू महाशील की है अमर कल्पना
देश! मेरे लिए तू परम वंदना।
मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरण,
लहलहाते, सहस्त्रों यहाँ खेत वन।
नर्मदा-ताप्ती, सिंधु, गोदावरी,
है कराती युगों से तुझे आचमन ।
तू पुरातन बहुत, तू नए से नया
तू महाशील की है अमर कल्पना।
देश ! मेरे लिए तू महा अर्चना।
शक्ति बल का समर्थक रहा सर्वदा,
तू परम तत्त्व का नित विचारक रहा।
शांति संदेश देता रहा विश्व को।
प्रेम सद्भाव का नित प्रचारक रहा।
सत्य और प्रेम की है परम प्रेरणा।
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना।
(i) कवि देश को महाशील की अमर कल्पना क्यों कह रहा है?
(क) पूजनीय होने के कारण
(ख) महान् पुरुषों को जन्म देने के कारण
(ग) वीरता के कारण
(घ) स्वतंत्रता के कारण
उत्तर:
(ख) महान् पुरुषों को जन्म देने के कारण
व्याख्या : भारत भूमि ने अनेक महान् चरित्र वाले पुरुषों को जन्म दिया जिसके कार्यों के कारण हमारा देश महाशील वाला जाना जाता है।
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) कवि ने आचमन कराने के लिए भारतीय नदियों का वर्णन किया है।
(II) कवि ने आचमन कराने के लिए बहती नदियों का वर्णन किया है।
(III) कवि ने आचमन कराने के लिए वन में बहने वाली नदियों का वर्णन किया है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) I और III
(घ) केवल III
उत्तर:
(क) केवल I
व्याख्या : कवि ने आचमन कराने के लिए नर्मदा ताप्ती, सिंधु, गोदावरी नामक नदियों के जल का वर्णन किया है।
(iii) कवि के अनुसार देश किस का समर्थक रहा है?
(क) इच्छा
(ख) शक्ति-बल
(ग) संघर्ष
(घ) संवेदना
उत्तर:
(ख) शक्ति-बल
(iv) ‘तू पुरातन बहुत, तू नए से नया’ पंक्ति का भाव
(क) प्राचीन इतिहास
(ख) आधुनिकता
(ग) प्राचीन होने पर भी नवीन प्रतीत होना
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) प्राचीन होने पर भी नवीन प्रतीत होना
व्याख्या : भारत का इतिहास गौरवशाली है जो पुराना होते हुए भी आज हमें नवीनता से युक्त होकर जीने की प्रेरणा देता है।
(v) भारत ने विश्व को सर्वदा कौन-सा संदेश दिया है?
(क) शांति का
(ख) हिंसा का
(ग) धर्म का
(घ) मरण का
उत्तर:
(क) शांति का
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
(i) समाचार पत्र की अपनी आवाज़ किसे माना जाता है?
(क) संपादकीय पृष्ठ पर आधारित होने वाले संपादकीय को
(ख) टिप्पणियों को
(ग) साक्षात्कार को
(घ) उपरोक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(क) संपादकीय पृष्ठ पर आधारित होने वाले संपादकीय को
व्याख्या : किसी भी समाचार पृष्ठ का संपादकीय उस समाचार पत्र की अपनी आवाज़ होता है। संपादकीय पृष्ठ के ज़रिए अखबार अपने विचार रखता है। अखबार के शेष हिस्सों में समाचार पत्र को संतुलन बनाकर रखते हुए हर तरह की खबरें छापने पड़ती हैं, लेकिन संपादकीय के जरिए अख़बार किसी घटना, समस्या या मुद्दे के प्रति अपनी राय प्रकट करते हैं।
(ii) पत्रकार पत्रकार या लेखन के लिए कच्चा माल किसके ज़रिए एकत्रित करते हैं?
(क) साक्षात्कार या इंटरव्यू
(ख) स्तंभ
(ग) फीचर
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(क) साक्षात्कार या इंटरव्यू
(iii) कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक जो अपने खास वैचारिक रुझान के लिए जाने जाते हैं ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर उन्हें समाचार पत्र के लिए क्या कार्य सौंपा जाता है?
(क) नियमित स्तंभ लेखन
(ख) नियमित फीचर लेखन
(ग) समाचार लेखन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(क) नियमित स्तंभ लेखन
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) सर्वाधिक खर्चीला जनसंचार | (i) कथानक |
(ii) कहानी का केन्द्र बिन्दु | (ii) इंटरनेट |
(iii) बीट का अर्थ | (iii) नाटक प्रदर्शन |
(iv) रंगमंच की साहित्यिक विधा | (iv) क्षेत्र |
(क) (i), (ii), (iii), (iv)
(ख) (ii), (i), (iv), (iii)
(ग) (iv), (iii), (ii), (i)
(घ) (iii), (iv), (i), (ii)
उत्तर:
(ख) (ii), (i), (iv), (iii)
(v) मुद्रण की शुरुआत किस देश से मानी जाती है?
(क) भारत
(ख) चीन
(ग) जर्मनी
(घ) इटली
उत्तर:
(ख) चीन
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष ।
झूमने लगे फल,
रस अलौकिक,
अमृत धाराएँ पूँटती
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना।
(i) ‘रस अलौकिक, अमृत धाराएँ फूटतीं।’ इस की अलौकिक धाराएँ कहाँ से फूटती हैं?
(क) समुद्र से
(ख) फलों से
(ग) पेड़ों से
(घ) खेतों से
उत्तर:
(ख) फलों से
व्याख्या : अलौकिक अमृत तुल्य रस-धाराएँ फलों के पकने पर फलों से फूट पड़ती हैं। ऐसा तब होता है जब उन पके फलों को काटा जाता है।
(ii) लुटते रहने से भी क्या कम नहीं होता?
(क) विद्या आनंद
(ख) फलों का आनंद
(ग) साहित्य का आनंद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) साहित्य का आनंद
व्याख्या-साहित्य का आनंद अनंत काल से लुटते रहने पर भी कम नहीं होता, क्योंकि सभी पाठक अपने-अपने ढंग से रस का आनंद उठाते हैं।
(iii) ‘रस का अक्षय पात्र किसे कहा गया है और क्यों?’
(क) साहित्य को
(ख) पेड़ों को
(ग) फलों को
(घ) सभी को
उत्तर:
(क) साहित्य को
व्याख्या-रस का अक्षय पात्र साहित्य को कहा गया है, क्योंकि साहित्य का आनंद कभी समाप्त नहीं होता। पाठक जब भी उसे पढ़ता है, आनंद की अनुभूति अवश्य करता है।
(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) छोटा मेरा खेत – उत्प्रेक्षा अलंकार
(ख) पल्लव-पुष्पों से – अनुप्रास अलंकार
(ग) कटाई अनंतता की – वृत्यानुप्रास अलंकार
(घ) शब्द के अर – उपमा अलंकार
उत्तर:
(ख) पल्लव-पुष्पों से – अनुप्रास अलंकार
(v) ‘अलौकिक’ का विलोम
(क) आध्यात्म
(ख) लोक
(ग) लौकिक
(घ) परलौकिक
उत्तर:
(ग) लौकिक
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)
जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुःख ही अधिक है। जब उसने गेंहुँए रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जेठानियों ने ओंठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी था क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त हो चुकी थी और दोनों जेठानियाँ काकभुशुंडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थीं। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दंड मिलना आवश्यक हो गया।
(i) भक्तिन के जीवन के दूसरे परिच्छेद में ऐसा क्या हुआ जिसके कारण उसकी उपेक्षा शुरू हो गई?
(क) चोरी करना
(ख) दूसरों के घरों में काम करना
(ग) तीन कन्याओं को जन्म देना
(घ) उपुर्यक्त सभी।
उत्तर:
(ग) तीन कन्याओं को जन्म देना
व्याख्या : भक्तिन ने जीवन के दूसरे परिच्छेद में एक-के-बाद एक-तीन कन्याओं को जन्म दिया। इस कारण सास व जेठानियों ने उसकी उपेक्षा शुरू कर दी।
(ii) लेखिका की राय में भक्तिन की उपेक्षा उचित किस प्रकार कहा है?
(क) व्यंग्य में
(ख) सरलता में
(ग) सत्यता में
(घ) उतावलेपन में
उत्तर:
(क) व्यंग्य में
व्याख्या : लेखिका ने यह बात व्यंग्य में कही है। इसका कारण यह है कि भारतीय समाज में उसी स्त्री को सम्मान मिलता है जो पुत्र को जन्म देती है। लड़कियों को जन्म देने वाली स्त्री को अशुभ माना जाता है। भक्तिन ने तो तीन लड़कियों को जन्म दिया अतः उसकी उपेक्षा उचित ही थी।
(iii) जेठानियों को सम्मान क्यों मिलता था?
(क) बड़ी होने के कारण
(ख) पुत्रों को जन्म देने के कारण
(ग) बहू का पद पहले मिलने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) पुत्रों को जन्म देने के कारण
(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): छोटी बहू का अपराध तीन लड़कियों को जन्म देना है।
कारण (R): छोटी बहू का अपराध सिर्फ सबसे छोटी बहू होना है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
व्याख्या : छोटी बहुत लछमिन थी। उसने तीन लड़कियों को जन्म देकर घर की पुत्र जन्म देने की लीक को तोड़ा था।
(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) अभिषिक्त का अर्थ सींचा हुआ है।
(II) अभिषिक्त का अर्थ लिप्त है।
(III) अभिषिक्त का अर्थ लचीला है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) I और II
उत्तर:
(क) केवल I
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(i) ‘आप लोगों की देखा-देखी सेक्शन की घड़ी भी सुस्त हो गई’ यह शब्द किसके द्वारा कहा गया ?
(क) भूषण द्वारा
(ख) किशन दास द्वारा
(ग) यशोधर द्वारा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
(ii) मैट्रिक करने के बाद यशोधर पंत कहाँ चले गए थे?
(क) आगरा
(ख) दिल्ली
(ग) पंजाब
(घ) लखनऊ
उत्तर:
(क) आगरा
(iii) किसका मन पाठशाला में जाने को बेचैन रहता था?
(क) मास्टर जी का
(ख) माँ का
(ग) लेखक का
(घ) उपरोक्त सभी का
उत्तर:
(ग) लेखक का
(iv) लेखक माँ से किससे पढ़ने को सिफ़ारिश करने को कहता है?
(क) दत्ता जी राव से
(ख) पिताजी से
(ग) मास्टर जी से
(घ) उपरोक्त सभी से
उत्तर:
(ख) पिताजी से
(v) राजस्थान की धूप कैसी है?
(क) दूरदर्शी
(ख) अपारदर्शी
(ग) पारदर्शी
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) पारदर्शी
व्याख्या : लेखक ने सिंधु व राजस्थान के वातावरण को मिलता-जुलता कहा है। यहाँ फ़र्क बस इतना ही है कि सिंधु की धूप चौंधियाती व राजस्थान की धूप को पारदर्शी बताया है।
(vi) मुअनजो-दड़ो शहर में जिस स्थान पर स्तूप बना है उस हिस्से को पुरातत्व के विद्वान क्या कहते हैं?
(क) गढ़
(ख) किला
(ग) कुंड
(घ) बुर्ज
उत्तर:
(क) गढ़
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) यशोधर बाबू को जीजा जी से मिलने के लिए हैदराबाद जाना था।
(II) यशोधर बाबू को जीजा जी से मिलने के लिए इलाहाबाद जाना था।
(III) यशोधर बाबू को जीजा जी से मिलने के लिए बनारस जाना था।
(IV) यशोधर बाबू को जीजा जी से मिलने के लिए अहमदाबाद जाना था।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/हैं?
(क) केवल IV
(ख) केवल I
(ग) केवल III
(घ) केवल II
उत्तर:
(घ) केवल II
(viii) यशोधर बाबू ने अपने विवाह में लड्डू बनवाने के लिए बैंक से कितने रुपए का कर्जा लिया था?
(क) ₹ 2000 का
(ख) ₹ 5000 का
(ग) ₹ 7000 का
(घ) ₹ 10,000 का
उत्तर:
(ग) ₹ 7000 का
(ix) टूटे-फूटे घरों का जमघट कहाँ हैं?
(क) उत्तर में
(ख) पूर्व में
(ग) पश्चिम में
(घ) दक्षिण में
उत्तर:
(ग) पश्चिम में
(x) मुअनजो-दड़ो नगर की एक तिहाई खुदाई कितने वर्ष में हुई थी?
(क) 50 वर्ष
(ख) 100 वर्ष
(ग) 200 वर्ष
(घ) 400 वर्ष
उत्तर:
(ख) 100 वर्ष
रखण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) भारत की छः ऋतुएँ
(ख) बदलती दुनिया में पीछे छूटते जीवन मूल्य
(ग) फ़िल्मों की सामाजिक भूमिका
(घ) पूंजीवाद व साम्यवाद
उत्तर:
(क) भारत की छः ऋतुएँ
प्रकृति ने भारत को अनेक उपहार प्रदान किए हैं। उन उपहारों में एक है-छह ऋतुओं का उपहार। ये ऋतुएँ एक के बाद एक बारी-बारी से आती हैं और मुक्त हाथों से सौंदर्य बिखरा जाती हैं। ऋतुओं के जैसा मनभावन मौसम का समन्वय भारत में बना रहता है वैसा अन्यत्र दुर्लभ है। हमारे देश में छः ऋतुएँ पाई जाती हैं। ये छः ऋतुएँ हैं ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत और वसंत। भारतीय महीनों के अनुसार बैसाख और जेठ ग्रीष्म ऋतु के महीने होते हैं। इस समय छोटी-छोटी वनस्पतियाँ सूख जाती हैं। धरती तवे-सी जलने लगती है।
आम, कटहल, फालसा, जामुन आदि फल इस समय प्रचुरता में मिलते हैं। इसके बाद अगले दो महीने वर्षा ऋतु के होते हैं। इस समय वर्षा होती है जो मुरझाई धरती और प्राणियों को नवजीवन देती है। अधिक वर्षा बाढ़ के रूप में प्रलय लाती है। वर्षा ऋतु के उपरांत शरद ऋतु का आगमन होता है। यह ऋतु दो महीने तक रहती है। दशहरा और दीपावली इस ऋतु के प्रमुख त्योहार हैं। इस समय सर्दी और गर्मी बराबर होती है, जिससे मौसम सुहाना रहता है।
शिशिर और हेमंत ऋतुओं में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। हेमंत पतझड़ की ऋतु मानी है। इस समय पेड़-पौधे अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इसके बाद ऋतुराज वसंत का आगमन होता है। इस से मौसम सुहावना होता है। चारों ओर खिले फूल और सुगंधित हवा इस समय को सुहावना बना देते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह सर्वोत्तम ऋतु है। विभिन्न ऋतुओं का अपना अलग-अलग प्रभाव होता है। इस कारण हमारा खान-पान और रहन-सहन प्रभावित होता है। तरह-तरह की फ़सलों के उत्पादन में ऋतुएँ महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। सचमुच ये ऋतुएँ किसी वरदान से कम नहीं हैं।
(ख) बदलती दुनिया में पीछे छूटते जीवन मूल्य
यह संसार परिवर्तनशील है। यह पल-पल परिवर्तित हो रहा है। इस परिवर्तन के कारण कल तक जो नया था वह आज पुराना हो जाता है। कुछ ही वर्षों के बाद दुनिया का बदला रूप नज़र आने लगता है। इस परिवर्तन से हमारे जीवन मूल्य भी अछूते नहीं हैं। इन जीवन मूल्यों में बदलाव आता जा रहा है। इससे व्यक्ति का द्दष्टिकोण बदल रहा है। यह बदलाव व्यक्ति के व्यवहार में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। विज्ञान की खोजों के कारण हर क्षेत्र में बदलाव आ गया है।
पैदल और बैलगाड़ी पर सफ़र करने वाला मनुष्य वातानुकूलित रेलगाड़ियों और तीव्रगामी विमानों से सफ़र कर रहा है। हरकोर और कबूतरों से संदेश भेजने वाला मनुष्य आज टेलीफ़ोन और तार की दुनिया से भी आगे आकर मोबाइल फ़ोन पर आमने-सामने बातें करने लगा है। दुर्भाग्य से हमारे जीवन मूल्य इस प्रगति में पीछे छूटते गए। कल तक दूसरों के लिए त्याग करने वाला, अपना सर्वस्व दान देनेवाला मनुष्य आज दूसरों का माल छीनकर अपना कर लेना चाहता है। परोपकार, उदारता, मित्रता, परदुःखकातरता, सहानुभूति, दया, क्षमा, साहस जैसे मूल्य जाने कहाँ छूटते जा रहे हैं। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं।
फ़िल्मों की सामाजिक भूमिका
फ़िल्में आधुनिक जीवन में मनोरंजन का सर्वोत्तम साधन हैं। ये समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित करती हैं। फ़िल्मों में कलाकारों के अभिनय को लोग अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं। इस दृष्टि से फ़िल्मों का सामाजिक दायित्व भी बनता है। वे केवल मनोरंजन का ही नहीं, अपितु सामाजिक बुराइयों को दूर करने का भी साधन हैं। फ़िल्में समाज में व्याप्त विभिन्न बुराइयों को दूर करके स्वस्थ वातावरण के निर्माण में सहायता करती हैं।
हालाँकि समाज में रहते हुए हमें इन बुराइयों की भयानकता का पता नहीं चलता। फ़िल्में समाज का सूक्ष्म इतिहास प्रकट करती हैं। इतिहासकार जहाँ इतिहास की स्थूल घटनाओं को शब्द बद्ध करता है, वहाँ फ़िल्में व्यक्ति के मन में छिपे उल्लास और पीड़ा की भावना को व्यक्त करती हैं। ‘गदर’ फ़िल्म में भारत-पाक युद्ध तथा 1971 की प्रमुख घटनाओं को दर्शाया गया है। ‘रंग दे बसंती’ फ़िल्म में आज़ादी के संघर्ष को संवेदनशील तरीके से दिखाया गया है।
‘गोदान’ में 1930 के समय के पूँजीपतियों के शोषण तथा किसानों की करुण जीवन-गाथा चित्रित है। आज के युग में युवा फ़िल्मों से अधिक गुमराह हो रहे हैं। फ़िल्मों में अपराध करने के नए-नए तरीके दिखाए जाते हैं, जिनका अनुसरण युवा करते हैं। नित्य प्रति हत्या के नए तरीके देखने में आ रहे हैं। बच्चे इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। वे झूठ बोलना, चोरी करना, घर से भागना आदि गलत आदतें प्रायः फ़िल्मों से ही सीखते हैं। नारी देह को प्रदर्शन की वस्तु फ़िल्मों ने ही बनाई है। लड़कियाँ मिनी स्कर्ट को आधुनिकता का पर्याय समझने लगी हैं तो लड़के फटी जींस व गले में स्कार्फ को आकर्षण का केन्द्र मानते हैं। फ़िल्में समाज को तभी नई दिशा दे सकती हैं जब वे कोरी व्यावसायिकता से ऊपर उठे तथा समाज की समस्याओं को सकारात्मक ढंग से अभिव्यक्त करें।
(घ) पूंजीवाद व साम्यवाद
पहले विश्व में केवल दो व्यवस्थाएँ थीं-पूँजीवाद व साम्यवाद। सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व में पूँजीवाद का आधिपत्य हो गया। हालाँकि 21वीं सदी में विश्व के पूँजीवाद के चिर स्थायित्व की पोल खुल गई। आज पूँजीवादी व्यवस्था दीर्घकालीन मंदी की चपेट में हैं। आज अमेरिका जैसे सबल देश की अर्थव्यवस्था भी आर्थिक मंदी से जूझ रही है। अतः सारे विश्व में हड़कंप मचा है। उत्पादन, रोज़गार और उपभोग में हो रही कमी से सारे देश प्रभावित हो रहे हैं।
यह मंदी कितनी भयानक होगी, इसका आकलन नहीं किया जा सकता। पूँजीवाद के पहले प्राकृतिक कारणों के परिणामस्वरूप मुख्यतयाः उत्पादन में, उतार-चढ़ाव आते थे या विदेशी हमलों और शासकों के उत्पीड़न से प्रजा के राज्य छोड़कर भागने पर भी उत्पादन में गिरावट आती थी। हालाँकि इन सबके प्रभाव सीमित होते थे। औद्योगिक पूँजीवाद के उदय के साथ उत्पादक शक्तियों का अभूतपूर्व विकास हुआ और भारी मात्रा में अधिशेष उत्पादन संभव हुआ। बाज़ार समाज से अलग होकर स्वतंत्र हस्ती बन गया।
आवागमन के साधनों के विस्तार और सूचना के क्षेत्र में हुए परिवर्तनों के फलस्वरूप उत्पादन, माँग, कीमत, भविष्य की स्थिति आदि को देखते हुए व्यापार के परिमाण और स्वरूप में भारी बदलाव आया। उत्पादन अब उपभोग के लिए न होकर अधिकतम मुनाफ़े के लिए होने लगा। आधुनिक पूँजीवाद के उदय के साथ ही आर्थिक उतार-चढ़ाव एक नियमित परिघटना के रूप में सामने आया। अनेक विद्वानों ने बाज़ार के उतार-चढ़ाव को अवश्यंभावी बताया और राज्य के सक्रिय हस्तक्षेप की सलाह दी।
पूँजी बाजार का उदय आधुनिक पूँजीवाद के साथ हुआ। यह मुद्रा बाजार से भिन्न है। शेयर बाजार वस्तुतः पूँजीपति वर्ग के मनोबल का प्रतिबिंब है। यहाँ वे एक-दूसरे का शोषण करते हैं। अगर शेयरों का सूचकांक बढ़ या गिर रहा है तो इसका मतलब यह होता है कि पूँजीपति वर्ग का मनोबल बढ़ या घट रहा है। गिरावट की स्थिति लंबे समय तक रहने पर सरकार की नीतियों में पूँजीपति वर्ग का विश्वास घटने का पर्याय माना जाता है। इसी कारण सरकार पूँजीपति वर्ग को आश्वस्त करने की कोशिश में रहती है और राहत पैकेजों की घोषणा करती हैं। हालाँकि वित्तीय नीतियों की समीक्षा करके उनमें सुधार की कोशिशें जारी हैं। साथ-साथ विकासशील देशों को सहयोगी बनाने की कवायद जारी है।
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) नाटक में कहानी के पात्रों को किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है?
उत्तर:
नाटक में कहानी के पात्रों को निम्न प्रकार से परिवर्तित किया जा सकता है
(i) नाट्य रूपांतरण करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता का नाटक के पात्रों से मेल होना चाहिए।
(ii) पात्रों की भावभंगिमाओं तथा उनके व्यवहार का भी उचित ध्यान रखना चाहिए।
(iii) पात्र घटनाओं के अनुरूप मनोभावों को प्रस्तुत करने वाले होने चाहिए।
(iv) पात्र अभिनय के अनुरूप होने चाहिए।
(v) पात्रों का मंच के साथ मेल होना चाहिए।
(ख) रेडियो नाटक की विशेषता क्या है?
उत्तर:
रेडियो नाटक ध्वनि और शब्दों का नाटकीय सामंजस्य है। ये संश्लिष्ट शब्द चित्रा है, जो संवाद, ध्वनि प्रभाव, संगीत और मौन के सहयोग से इस प्रकार चित्रित होता है कि वह श्रोता के मानस पटल पर स्पष्ट चित्रा की सृष्टि कर सके। रेडियो नाटकों में श्रोता के मानस पटल पर स्पष्ट चित्रा की सृष्टि कर सके।
(ग) रचनात्मक लेखन के कितने तत्त्व हैं?
उत्तर:
लेखन विकास के दो तत्त्व हैं: संरचना और प्रतिलेखन। संरचना को ‘लेखक की भूमिका’ माना जा सकता है, क्योंकि इसमें विचारों को उत्पन्न और व्यवस्थित करना, तथा उपयोग की जाने वाली भाषा शैली का चयन करने के साथ, यह जानना शामिल होता है कि लेखन को कौन पढ़ेगा (इसका पाठक) और इससे क्या उपलब्धि (उसका प्रयोजन) हासिल होगी।
9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) रेडियो माध्यम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रेडियो श्रव्य माध्यम है। इसमें सब कुछ ध्वनि, स्वर और शब्दों का खेल है। इन सब वजहों से रेडियो पर श्रोताओं से संचालित माध्यम माना जाता है। रेडियो पत्रकारों को अपने श्रोताओं का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इसकी वजह यह है कि अखबार के पाठकों को यह सुविधा उपलब्ध रहती है कि वे अपनी पसंद और इच्छा से कभी भी और कहीं से भी पढ़ सकते हैं। अगर किसी समाचार/लेख या फ़ीचर को पढ़ते हुए कोई बात समझ में नहीं आई तो पाठक उसे फिर से पढ़ सकता है या शब्दकोश में उसका अर्थ देख सकता है या किसी से पूछ सकता है, लेकिन रेडियो के श्रोता को यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती। वह अख़बार की तरह रेडियो समाचार बुलेटिन को कभी भी और कहीं से भी नहीं सुन सकता।
उसे बुलेटिन के प्रसारण समय का इंतज़ार करना होगा और फिर शुरू से लेकर अंत तक बारी-बारी से एक के बाद दूसरा समाचार सुनना होगा। इस बीच, वह इधर-उधर नहीं आ जा सकता और न ही उसके पास किसी गूढ़ शब्द या वाक्यांश के आने पर शब्दकोश का सहारा लेने का समय होता है। स्पष्ट है कि रेडियो में अख़बार की तरह पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं है।
अगर रेडियो बुलेटिन में कुछ भी भ्रामक या अरुचिकर है तो संभव है कि श्रोता तुरंत स्टेशन बंद कर दे। दरअसल, रेडियो मूलतः एकरेखीय (लीनियर) माध्यम है और रेडियो समाचार बुलेटिन का स्वरूप, ढाँचा और शैली इस आधार पर ही तय होता है। रेडियो की तहर टेलीविज़न भी एकरेखीय माध्यम है, लेकिन वहाँ शब्दों और ध्वनियों की तुलना में दृश्यों/तसवीरों का महत्त्व सर्वाधिक होता है। टी.वी. में शब्द दृश्यों के अनुसार और उनके सहयोगी के रूप में चलते हैं, लेकिन रेडियो में शब्द और आवाज़ ही सब कुछ है।
(ख) भारत में इंटरनेट पत्रकारिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का अभी दूसरा दौर चल रहा है। भारत के लिए पहला दौर 1993 से शुरू माना जा सकता है, जबकि दूसरा दौर सन् 2003 से शुरू हुआ है। पहले दौर में हमारे यहाँ भी प्रयोग हुए। डॉटकॉम का तूफ़ान आया और बुलबुले की तरह फूट गया अतंत: वही टिके रह पाए जो मीडिया उद्योग में पहले से ही टिके हुए थे।
आज पत्रकारिता की दृष्टि से ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’, ‘हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘हिंदू’, ‘ट्रिब्यून’, ‘स्टेटमैन’, ‘पॉयनियर’, ‘एनडीटी.वी’, ‘आईबीएन’, ‘जी न्यूज’, ‘आजतक’ और ‘आउटलुक’ की साइटें ही बेहतर हैं। ‘इंडिया टुडे’ जैसी कुछ साइटें भुगतान के बाद ही देखी जा सकती हैं। जो साइटें नियमित अपडेट होती हैं, उनमें ‘हिंदू’, ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’, ‘आउटलुक’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘एनडीटी.वी’, ‘आजतक’ और ‘जी न्यूज़’ प्रमुख हैं। लेकिन भारत में सच्चे अर्थों में यदि कोई वेब पत्रकारिता कर रहा है तो वह ‘रीडिफ़ डॉटकॉम’, ‘इंडियाइंफोलाइन’ व ‘सीफी’ जैसी कुछ ही साइटें हैं। रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जा सकता है जो कुछ गंभीरता के साथ इंटरनेट पत्रकारिता कर रही है। वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय ‘तहलका डॉटकॉम’ को जाता है।
(ग) समाचार माध्यमों पर लोगों के रुझान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
देश में मध्यम वर्ग के तेज़ी से विस्तार के साथ ही मीडिया के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है। साक्षरता और क्रय शक्ति बढ़ने से भारत में अन्य वस्तुओं के अलावा मीडिया के बाज़ार का भी विस्तार हो रहा है। इस बाज़ार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हर तरह के मीडिया का फैलाव हो रहा है-रेडियो, टेलीविज़न, समाचारपत्र, सेटेलाइट टेलीविज़न और इंटरनेट सभी विस्तार के रास्ते पर हैं लेकिन बाज़ार के इस विस्तार के साथ ही मीडिया का व्यापारीकरण भी तेज़ हो गया है और मुनाफ़ा कमाने को ही मुख्य ध्येय समझने वाले पूँजीवादी वर्ग ने भी मीडिया के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रवेश किया है।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘कविता के बहाने’ कविता का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर:
‘कविता के बहाने’ कुँवर नारायण के इन दिनों’ संग्रह से ली गई है। आज का समय कविता के वजूद को लेकर आशंकित है। शक है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता-कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है। कविता के बहाने यह एक यात्रा है, जो चिड़िया फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा कहने की आवश्यकता नहीं कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है।
फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़ चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र है इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वे चाहे घर की सीमा हो, भाषा की सीमा हो या फिर समय की ही क्यों न हो।
(ख) जीवन-निर्माण के लिए ‘बादल राग’ नए राग का सूचक कैसे है?
उत्तर:
‘बादल राग’ कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आहवान क्रांति के रूप में करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गर्मी से हर तरफ़ सब कुछ रूखा-सूखा और मुरझाया-सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे अधिक उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।
(ग) ‘सामाजिक उद्देश्य’ से युक्त कार्यक्रम पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर मुझे बहुत दु:ख होगा। ऐसे कार्यक्रम किसी की सहायता नहीं करते। ये सिर्फ अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें। ऐसे कार्यक्रम बनाने वालों का उद्देश्य समाज-सेवा नहीं होता। वे मात्र संवेदना बेचना जानते हैं। ऐसे कार्यक्रमों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। दर्शकों को भी ऐसे कार्यक्रमों को सिरे से नकार देना चाहिए।
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) दिन का थका पंथी कैसे जल्दी-जल्दी चलता है?
उत्तर:
राह चलते-चलते यद्यपि राहगीर थक जाता है, लेकिन वह फिर भी चलते रहना चाहता है। उसे डर है कि यदि वह रुक गया तो रात ढल जाएगी अर्थात् रात के होते ही मुझे रास्ते में रुकना पड़ेगा इसलिए दिन का थका पंथी जल्दी-जल्दी चलता है।
(ख) ‘बादल राग’ कविता में कवि निराला की किस क्रांतिकारी विचारधारा का पता चलता है?
उत्तर:
‘बादल राग’ कविता में कवि की क्रांतिकारी विचारधारा का ज्ञान होता है। वह समाज में व्याप्त पूँजीवाद का घोर विरोध करता हुआ दलित-शोषित वर्ग के कल्याण की कामना करता हुआ, उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाना चाहता है। कवि ने बादलों की गर्जना, बिजली की कड़क को जनक्रांति का रूप बताया है। इस जनक्रांति में धनी वर्ग का पतन होता है और छोटे वर्ग-मज़दूर, गरीब, शोषित आदि उन्नति करते हैं।
(ग) ‘मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम विलाप करते हुए कहते हैं कि तुमने मेरे हित के लिए माता-पिता का त्याग कर दिया और वनवास स्वीकार किया। तुमने वन में रहते हुए सर्दी, धूप, आँधी आदि सहन किया। यदि मुझे पहले ज्ञात होता कि वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊँगा तो मैं पिता की बात नहीं मानता और न ही तुम्हें अपने साथ लेकर वन आता। राम लक्ष्मण की नि:स्वार्थ सेवा को याद कर रहे हैं।
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?
उत्तर:
भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बाँधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थीं।
वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगीं। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गईं।
(ख) ‘बाज़ार दर्शन’ में पैसे की व्यंग्य शक्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक बताता है कि पैसे में व्यंग्य शक्ति होती है। यदि कोई समर्थ व्यक्ति दूसरे के सामने किसी महँगी वस्तु को खरीदे तो दूसरा व्यक्ति स्वयं को हीन महसूस करता है। पैदल या दोपहिया वाहन चालक के पास धूल उड़ाती कार चली जाए तो वह परेशान हो उठता है। वह स्वयं को कोसता रहता है। वह भी कार खरीदने के पीछे लग जाता है। इसी कारण बाज़ार में माँग बढ़ती है।
(ग) शिरीष को ‘अवधूत’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत कहा है। अवधूत वह संन्यासी होता है जो विषय-वासनाओं से ऊपर उठ जाता है, सुख-दुःख हर स्थिति में सहज भाव से प्रसन्न रहता है तथा फलता-फूलता है। वह कठिन परिस्थितियों में भी जीवन-रस बनाए रखता है। इसी तरह शिरीष का वृक्ष है। वह भयंकर गर्मी, उमस, लू आदि के बीच सरस रहता है। वसंत में वह लहक उठता है तथा भादों मास तक फलता-फूलता रहता है। उसका पूरा शरीर फूलों से लदा रहता है। उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, तब भी शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है, वह काल व समय को जीतकर लहलहाता रहता है।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों की गई है?
उत्तर:
बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए मुखरित हुई है कि एक तो वर्षा नहीं हो रही। दूसरे जो थोड़ा बहुत पानी घड़े में बचा था वह भी घड़े के टूटने से गिर गया। अब घड़े में भी कुछ पानी नहीं बचा इसलिए बैल प्यासे रह गए। बैल तभी खेत-जोत सकेंगे जब उनकी प्यास बुझेगी। हे मेघा ! इसलिए पानी बरसा ताकि बैलों और धरती दोनों की प्यास बुझ जाए! चारों ओर खुशी छा जाए।
(ख) गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?
उत्तर:
ढोलक की आवाज़ सुनकर लोगों में जीने की इच्छा जाग उठती थी। पहलवान नहीं चाहता था कि उसके गाँव का कोई आदमी अपने संबंधी की मौत पर मायूस हो जाए इसलिए वह ढोल बजाता रहा। वास्तव में ढोल बजाकर पहलवान ने अन्य ग्रामीणों को जीने की कला सिखाई। साथ ही अपने बेटों की अकाल मृत्यु के दुःख को भी वह कम करना चाहता था।
(ग) लोकतंत्र से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लेखक कहता है कि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति नहीं है। यह मूलतः सामूहिक दिनचर्या की एक रीति और समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का प्राप्त लाभ है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो। उनका मानना है कि दूध-पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का नाम ही लोकतंत्र है। इसमें सभी का सहयोग होना चाहिए।