Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 3 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 3 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
दबाव में काम करना व्यक्ति के लिए अच्छा है या नहीं, इस बात पर प्रायः बहस होती है। कहा जाता है कि व्यक्ति अत्यधिक दबाव में नकारात्मक भावों को अपने ऊपर हावी कर लेता है, जिससे उसे अक्सर कार्य में असफ़लता प्राप्त होती है। वह अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खो बैठता है। दबाव को यदि ताकत बना लिया जाए, तो न सिर्फ सफ़लता प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति कामयाबी के नए मापदंड रचता है। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जब लोगों ने अपने काम के दबाव को अवरोध नहीं, बल्कि ताकत बना लिया। ‘सुख-दुःख, सफलता-असफलता, शान्ति-क्रोध और क्रिया-कर्म हमारे दृष्टिकोण पर ही निर्भर करता है।’ जोससिल्वा इस बात से सहमत होते हुए अपनी पुस्तक यू द हीलर में लिखते हैं कि मन-मस्तिष्क को चलाता है और मस्तिष्क शरीर को। इस तरह शरीर मन के आदेश का पालन करता हुआ काम करता है। दबाव में व्यक्ति यदि सकारात्मक होकर काम करे, तो वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में कामयाब होता है। दबाव के समय मौजूद समस्या पर ध्यान केंद्रित करने और बोझ महसूस करने की बजाय यदि यह सोचा जाए कि हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जो एक कठिन चुनौती को पूरा करने के लिए तत्पर हैं, तो हमारी बेहतरीन क्षमताएँ स्वयं जागृत हो उठती हैं। हमारा दिमाग जिस चीज़ पर भी अपना ध्यान केंद्रित करने लगता है, वह हमें बढ़ती प्रतीत होती है। यदि हम अपनी समस्याओं के बारे में सोचेंगे, तो वे और बड़ी होती महसूस होंगी। अगर अपनी शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, तो वे भी बड़ी महसूस होंगी। इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि ‘जीतना एक आदत है, पर अफ़सोस ! हारना भी आदत ही है।’
(i) दबाव में कार्य करने पर व्यक्ति ………… हो जाता है।
(क) आलसी।
(ख) सक्रिय।
(ग) नकारात्मक।
(घ) मूर्ख।
उत्तर:
(ग) नकारात्मक।
(ii) अपनी कमज़ोरी को अपनी ताक़त बना लेने का क्या परिणाम होता है?
(क) सफलता प्राप्त होती है।
(ख) शरीर में ताक़त आ जाती है।
(ग) नकारात्मकता आती है।
(घ) कमजोरी और बढ़ जाती है।
उत्तर:
(क) सफलता प्राप्त होती है।
व्याख्या : दबाव को यदि ताक़त बना लिया जाए तो न सिर्फ सफ़लता प्राप्त होती है बल्कि व्यक्ति कामयाबी के नए मापदंड को भी रचता है।
(iii) हमें समस्याओं के बजाय कहाँ ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
(क) अपनी कमजोरियों पर।
(ख) शक्तियों पर।
(ग) वातावरण पर।
(घ) पुस्तकों पर।
उत्तर:
(ख) शक्तियों पर।
(iv) ‘लोगों ने अपने कार्य के दबाव को अवरोध की जगह ताकत बना लिया।’ रचना के आधार पर वाक्य है-
(क) इच्छा वाचक।
(ख) संदेह वाचक।
(ग) मिश्र वाक्य।
(घ) सरल वाक्य।
उत्तर:
(घ) सरल वाक्य।
(v) ‘सफ़लता’ में प्रत्यय है
(क) ता।
(ख) फल।
(ग) स।
(घ) सफ़ल।
उत्तर:
(क) ता।
(vi) सुख-दुःख, शांति-क्रोध और क्रिया-कर्म किस पर निर्भर करते हैं ?
(क) वातावरण पर।
(ख) दृष्टिकोण पर।
(ग) आर्थिक स्थिति पर।
(घ) दबाव पर।
उत्तर:
(ख) दृष्टिकोण पर।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) ‘यू द हीलर’ पुस्तक के लेखक जोस सिल्वा हैं।
(II) ‘यू द हीलर’ पुस्तक के लेखक हेनरी केनरी हैं।
(III) ‘यू द हीलर’ पुस्तक के लेखक हेनरी सिल्वा हैं।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है। हैं?
(क) I और II
(ख) केवल III
(ग) केवल II
(घ) केवल I
उत्तर:
(घ) केवल I
(viii) दबाव में………होकर ही व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में कामयाब होता है।
(क) सकारात्मक।
(ख) स्वावलंबी।
(ग) कार्यरत।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) सकारात्मक।
व्याख्या : दबाव में व्यक्ति यदि सकारात्मक होकर काम करे, तो वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में कामयाब होता है।
(ix) लेखक के अनुसार हारना क्या है ?
(क) कोशिश।
(ख) आदत।
(ग) चुनौती।
(घ) प्रक्रिया।
उत्तर:
(ख) आदत।
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): समस्याओं के बारे में लगातार सोचने का यह परिणाम होता है।
कारण (R): कि वह और बढ़ जाती हैं।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
उत्तर:
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
यादें होती हैं गहरी नदी में उठी भँवर की तरह
नसों में उतरती कड़वी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती हैं जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीर में फँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब-तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना मेरी मजबूरी है।
(i) कवि ने किसे जानी दुश्मन की तरह माना है ?
(क) मित्रों को
(ख) यादों को
(ग) नदी को
(घ) खुशबू को
उत्तर:
(ख) यादों को
(ii) खुद पर कुछ भी कहना खुद को ………. समान है।
(क) कठघरे में खड़ा करने के।
(ख) सम्मानित करने के।
(ग) नेता समझने के।
(घ) दीन-हीन दिखाने के।
उत्तर:
(क) कठघरे में खड़ा करने के।
(iii) यादों को मन में हलचल पैदा कर अतीत की गहराइयों में ले जाने के कारण कवि ने उन्हें क्या कहा है ?
(क) जानी दुश्मन की तरह।
(ख) भीतर छिपे बैठे साँप की तरह।
(ग) नदी में उठे भँवर की तरह।
(घ) कड़वी दवा की तरह।
उत्तर:
(ग) नदी में उठे भँवर की तरह।
(iv) कवि ने यादों के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है?
(क) शरीर में से काँच की तरह।
(ख) नदी में उठी भँवर की तरह।
(ग) जानलेवा खुशबू की तरह।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
(v) यादों के बारे में कुछ भी कहना कवि की …. है।
(क) इच्छा।
(ख) कर्त्तव्य।
(ग) मज़बूरी।
(घ) आदेश।
उत्तर:
(ग) मज़बूरी।
अथवा
स्वार्थ का ज़हर
जब तक आवृत रखेगा
मानवता की आकृति को
और
स्वार्थ की नींव जब तक
जुड़ी रहेगी धन के गारे से
तब तक
आत्मसंतोष केवल
कल्पना की वस्तु होगी।
कितने ही त्याग और
धर्म के उपदेश करें
अभावों की यह रात
सूनी-सी अन्धी रहेगी
सोचने से कार्य नहीं हो जाता
कल्पना से यथार्थ मेल नहीं खाता
आदर्श और धर्म को
कागज़ पर उतारने से फायदा क्या,
उत्तरदायित्व और संवेदनाहीन
इन थोथी डिग्रियों से
जीवन के दुःख का रहस्य
सुलझ नहीं पाता।
(i) किस स्थिति में आत्मसंतोष कल्पना की वस्तु है?
(क) स्वार्थ का ज़हर
(ख) धन रूपी कीचड़
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) धन रूपी कीचड़
व्याख्या : कवि की यादें कड़वी हैं, उसे डराने और रुलाने वाली हैं। इसलिए उसे वे जानी दुश्मन की तरह मानता है।
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) अभावों की रात से कवि का तात्पर्य मानवीय मूल्यों के अभाव से है।
(II) अभावों की रात से कवि का तात्पर्य नैतिक मूल्यों के अभाव से है।
(III) अभावों की रात से कवि का तात्पर्य धन के अभाव से है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) I और II
(ग) केवल III
(घ) केवल II
उत्तर:
(क) केवल I
(iii) थोथी डिग्रियाँ कौन-सी हैं?
(क) आदर्श
(ख) धर्म
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(iv) जीवन में दुःख का रहस्य कब सुलझ पाता है?
(क) स्वार्थ त्यागकर
(ख) धन लालसा त्यागकर
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं
(v) मानवता को किसके आवरण ने ढक रखा है?
(क) स्वार्थ रूपी ज़हर
(ख) प्रेम रूपी अमृत
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)
व्याख्या : यादों के बारे में बताना भी कवि मज़बूरी मानता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
(i) समाचार माध्यमों के लिए पत्रकारों द्वारा किया गया लेखन कहलाता है-
(क) साहित्य लेखन
(ख) पत्रकारीय लेखन
(ग) विज्ञापन लेखन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) पत्रकारीय लेखन
व्याख्या : पत्रकार लेखन के विभिन्न रूपों के इस्तेमाल से, समाचार माध्यमों द्वारा पाठकों या श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाते है।
(ii) मुदित माध्यम की भाषा की विशेषता है
(क) बोलचाल की भाषा का प्रयोग
(ख) लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग
(ग) लिखित भाषा का विस्तार
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या : मुद्रित माध्यम को प्रिंट माध्यम भी कहते हैं। इसके अन्तर्गत समाचार -पत्र, पत्रिकाएँ तथा पुस्तकें आदि आती हैं। इनमें उपर्युक्त सभी विकल्पों का प्रयोग होता है।
(iii) इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता की क्या वजह है ?
(क) पत्रकारिता का तीव्रगामी माध्यम
(ख) तत्काल अपडेशन की सुविधा
(ग) तकनीक के साथ सामंजस्य
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-इंटरनेट पर समाचार पढ़ने, सुनने और देखने की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। इंटरनेट पत्रकारिता को ऑनलाइन पत्रकारिका, साइबर पत्रकारिता तथा वेब पत्रकारिता आदि नामों से भी जाना जाता है।
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) रेडियो | (i) श्रव्य माध्यम |
(ii) टी.वी. | (ii) दृश्य माध्यम |
(iii) मुद्रित माध्यम | (iii) पत्र-पत्रिकाएँ |
(iv) स्टिंग ऑपरेशन | (iv) छिपे कैमरे द्वारा रिकॉर्ड करना |
(क) (iv), (iii), (ii), (i)
(ख) (i), (ii), (iii), (iv)
(ग) (ii), (iii), (iv), (i)
(घ) (iii), (iv), (i), (ii)
उत्तर:
(ख) (i), (ii), (iii), (iv)
(v) समेकित माध्यम किसे कहते हैं ?
(क) इंटरनेट
(ख) टेलीविज़न
(ग) रेडियो
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) इंटरनेट
व्याख्या : रेडियो श्रव्य माध्यम है। इसमें सब कुछ ध्वनि, स्वर और शब्दों का खेल है तथा टेलीविज़न देखने व सुनने का माध्यम है जबकि इंटरनेट दृश्य-श्रव्य माध्यम के साथ-साथ दर्शकों को अंत:क्रिया करने का विकल्प भी देता है अतः इंटरनेट को समेकित माध्यम कहते हैं।
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ,
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ।
मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ
मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ
(i) प्रस्तुत कविता के कवि का नाम व कविता का नाम है-
(क) कवि – हरिवंशराय बच्चन
कविता – आत्म परिचय
(ख) कवि – आलोक धन्वा
कविता – पतंग
(ग) कवि – तुलसीदास
कविता – कवितावली
(घ) कवि – फ़िराक गोरखपुरी
कविता – गज़ल
उत्तर:
(क) कवि – हरिवंशराय बच्चन
कविता – आत्म परिचय
व्याख्या : यह कविता कवि हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखी गई है। इस कविता का नाम है-‘आत्म परिचय’।
(ii) ‘मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूँ’ पंक्ति में ‘जग जीवन का भार’ शब्दों से कवि का आशय है-
(क) जीवन का उपयोगी सामान
(ख) जीवन की समस्याएँ
(ग) सांसारिक रिश्ते नाते व दायित्व
(घ) विकल्प (ख) व (ग) दोनों
उत्तर:
(घ) विकल्प (ख) व (ग) दोनों
व्याख्या : कवि के जीवन में अनेक समस्याएँ आती हैं। जिनका वह सामना करता है। साथ ही अपने सांसारिक रिश्तों को व उनके प्रति दायित्वों को भी निभाता है।
(iii) कवि हरिवंशराय बच्चन के सांसों के तार को किसने छूकर झंकृत कर दिया।
(क) बहन ने
(ख) पत्नी ने
(ग) प्रेयसी ने
(घ) माता ने
उत्तर:
(ग) प्रेयसी ने
व्याख्या : कवि ने अपने जीवन में निजी प्रेम को उपयुक्त महत्त्व दिया है।
(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) जग-जीवन – अनुप्रास अलंकार
(ख) साँसों के दो तार – उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) जग पूछ रहा – उपमा अलंकार
(घ) मैं अपने मन का – अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(क) जग-जीवन – अनुप्रास अलंकार
(v) यह संसार किसको पूछता है?
(क) विरोधियों को
(ख) नि:स्वार्थ भाव से परिपूर्ण लोगों को
(ग) चापलूसी करने वालों को
(घ) परिश्रमी लोगों को
उत्तर:
(ग) चापलूसी करने वालों को
व्याख्या : यह संसार बहुत स्वार्थी है। यह उन्हीं लोगों को महत्त्व देता है जो इसका गुणगान करते हैं अर्थात् चापलूसी करते हैं और इस संसार के अनुसार ही व्यवहार करते हैं।
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)
एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हज़रत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। ज़रूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत-कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा, पर सरस और मादक। कालिदास भी ज़रूर अनासक्त योगी रहे होंगे। शिरीष के फूल फक्कड़ाना मस्ती से ही उपज सकते हैं और ‘मेघदूत’ का काव्य उसी प्रकार के अनासक्त अनाविल उन्मुक्त हृदय में उमड़ सकता है। जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है? कहते हैं कर्णाट-राज की प्रिया विज्जिका देवी ने गर्वपूर्वक कहा था कि एक कवि ब्रह्मा थे, दूसरे वाल्मीकि और तीसरे व्यास। एक ने वेदों को दिया, दूसरे ने रामायण को और तीसरे ने महाभारत को।
(i) लेखक ने शिरीष के लिए ‘अवधूत’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है?
(क) विषय-वासनाओं से युक्त व्यक्ति के लिए
(ख) श्मशान में रहने वाले साधु के लिए
(ग) गरीब व दु:खी व्यक्ति के लिए
(घ) शिरीष को एक संन्यासी के समान बताने के लिए
उत्तर:
(घ) शिरीष को एक संन्यासी के समान बताने के लिए
व्याख्या : सांसारिक बंधनों व विषय-वासनाओं से ऊपर उठा हुआ संन्यासी अवधूत कहलाता है। शिरीष भी इसी तरह एक फूल के रूप में अवधूत और अवधूत जो दुःख-सुख में, भंयकर लू में एक समान रहते हैं, मस्त रहते हैं और विपरीत परिस्थितियों से हार न मानते हुए तप्त वायुमंडल से भी अपने लिए रस खींच लेते हैं।
(ii) कबीर किस प्रकार के कवि थे?
(क) मस्त और बेपरवाह
(ख) सरस और मादक
(ग) क्रोधी और क्रूर
(घ) विकल्प (क) और (ख) दोनों
उत्तर:
(घ) विकल्प (क) और (ख) दोनों
व्याख्या : कबीर शिरीष के समान एक अवधूत के समान थे समदर्शी मस्त और बेपरवाह, सुख-दुःख को समान रूप से सहने वाले, लेकिन सरस और मादक काव्य के रचयिता।
(iii) लेखक ने अनासक्त योगी किसे कहा है?
(क) तुलसीदास को
(ख) कालिदास को
(ग) मीराबाई
(घ) वाल्मीकि को
उत्तर:
(ख) कालिदास को
व्याख्या : कालिदास फक्कड़ मस्ती के कवि थे। उन्होंने सभी विषय-भोगों का त्याग किया हुआ था। उनका हृदय स्वच्छ और अनासक्त था यानि आसक्तियों से दूर निर्लिप्त। इसीलिए उन्हें अनासक्त योगी कहा गया है।
(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): कर्णाट-राज की रानी ने ब्रह्मा, वाल्मीकि व व्यास को कवि माना।
कारण (R): क्योंकि इन्होंने क्रमशः वेदों की, रामायण की व महाभारत की रचना की है।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
व्याख्या : ब्रह्मा, वाल्मीकि व व्यास कालजयी काव्य-ग्रथों की रचना की। इन्होंने क्रमशः वेदों की, रामायण की व महाभारत की रचना की। कर्णाट-राज की रानी ने इसीलिए इन्हें कवि माना।
(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) कवि को उस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जो अनासक्त न रह सके।
(II) लेखक के अनुसार कवि को उस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जो कार्य का लेखा-जोखा मिलाने में उलझा हो।
(III) कवि को उस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जो फक्कड़ न बन सके।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है। हैं?
(क) I और II
(ख) केवल III
(ग) केवल II
(घ) केवल I
उत्तर:
(ग) केवल II
व्याख्या : कवि वही हो सकता है जो स्वभाव से फक्कड़ और हृदय से स्वच्छ हो, जो संसार की विषय-वस्तु में लिप्त न हो। लेकिन जिनमें ये विशेषताएँ न हों, वे कवि की श्रेणी में नहीं आ सकते।
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 6 = 6)
(i) शरारती बच्चे ने लेखक का गमछा कहाँ रख दिया ?
(क) मास्टर की टेबल पर
(ख) पेड़ की डाल पर
(ग) पानी की टंकी पर
(घ) कक्षा के दरवाज़े पर
उत्तर:
(क) मास्टर की टेबल पर
व्याख्या : शरारती बच्चे ने लेखक से उसका गमछा लेकर पहले तो अपने सिर पर पहना, फिर मास्टर जी की नकल करते हुए, गमछा उतारकर मास्टर की टेबल पर रख दिया।
(ii) लेखक ने पाठशाला जाने के लिए माँ से क्या सामान मँगवाया ?
(क) नया बस्ता
(ख) जूते
(ग) दो नाड़ेवाली चड्डी
(घ) कमीज़
उत्तर:
(ग) दो नाड़ेवाली चड्डी
व्याख्या : पाठशाला में बच्चों की धोती खींचने के डर से लेखक ने पाठशाला जाने के लिए माँ से दो नाड़े वाली चड्डी मँगवाई।
(iii) किस अध्यापक से कक्षा के बच्चे डरते थे ?
(क) रणनवरे
(ख) मंत्री
(ग) चह्वाण
(घ) देसाई
उत्तर:
(ख) मंत्री
व्याख्या : मन्त्री नामक अध्यापक गणित पढ़ाते थे और वे छड़ी का प्रयोग न कर हाथ से गरदन पकड़ पीठ पर जोर से चूंसा लगाते थे। पीठ पर घुसा पड़ते ही कोई भी लड़का हूक भरने लगता। कक्षा के सभी बच्चे उनसे डरते थे।
(iv) चड्ढा ने यशोधर बाबू से वैडिंग एनिवर्सरी की पार्टी के लिए कितने रुपए देने को कहा ?
(क) ₹ 30
(ख) ₹ 50
(ग) ₹ 75
(घ) ₹ 100
उत्तर:
(क) ₹ 30
व्याख्या : चड्ढ़ा ने यशोधर बाबू से वैडिंग एनिवर्सरी की पार्टी के लिए ₹ 30 देने को कहा।
(v) यशोधर बाबू घर से ऑफिस कैसे आते थे ?
(क) साइकिल से
(ख) स्कूटर से
(ग) कार से
(घ) पैदल
उत्तर:
(घ) पैदल
व्याख्या : यशोधर बाबू के आधुनिक बच्चे उन्हें साइकिल न चलाकर स्कूटर चलाने को कहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि साइकिल तो चपरासी चलाते हैं परन्तु यशोधर बाबू को स्कूटर निहायत बेहूदा सवारी मालूम होती थी अतः उन्हें पैदल चलना ही सही लगा।
(vi) यशोधर बाबू दफ्तर में दी गई चाय पार्टी में शामिल क्यों नहीं हुए?
(क) उन्हें देर हो रही थी।
(ख) उन्हें भूख नहीं थी।
(ग) किशन दा की परंपरा के विरुद्ध था
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) किशन दा की परंपरा के विरुद्ध था
व्याख्या : किशनदा की परम्परा के अनुसार मातहत लोगों के साथ चाय-पानी पीना और गप्पें लगाकर वक्त बर्बाद करना गलत है।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग काबूजिए ने न्यूयॉर्क में किया।
(II) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग काबूजिए ने कराची में किया।
(III) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग का—जिए ने पेरिस में किया।
(IV) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग काबूजिए ने चंडीगढ़ में किया।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और II
(ख) III और II
(ग) केवल II
(घ) केवल IV
उत्तर:
(घ) केवल IV
व्याख्या : मुअनजो-दड़ो में बने घरों के दरवाज़े मुख्य सड़कों की तरफ नहीं खुलते इसलिए माना जाता है कि 50 साल पहले काबुर्जिए ने ‘नगर-नियोजन’ की यही शैली चंड़ीगढ के लिए इस्तेमाल की। यहाँ भी किसी घर का दरवाज़ा मुख्य सड़क पर न खुलकर गलियों में ही खुलता है।
(viii) सिंधु सभ्यता …….. पोषित थी
(क) राज पोषित
(ख) धर्म पोषित
(ग) समाज पोषित
(घ) श्रमिक पोषित
उत्तर:
(ग) समाज पोषित
व्याख्या : खुदाई में मिले तत्त्वों के आधार पर कहा गया है कि सिंधु-सभ्यता समाज प्रधान थी। यहाँ किसी राजा या धर्म का प्रभाव नहीं था। इसके व्यक्तिगत न होकर सामूहिक होने के कारण सिंधु-सभ्यता को समाज पोषित कहा गया है।
(ix) सिंधु सभ्यता तकनीक-सिद्ध से ज़्यादा कला-सिद्ध थी। इस बात का प्रमाण है-
(क) धातु और पत्थर की मूर्तियाँ
(ख) सुनिर्मित मोहरें व उन पर बनी आकृतियाँ
(ग) सुघड़ अक्षरों का लिपि रूप
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या : सिंधु-घाटी के लोगों में कला का महत्त्व ज़्यादा था। वास्तुकला या नगर-नियोजन ही नहीं, धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, भांड़े-बर्तनों पर चित्रित मनुष्य, वनस्पति और पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने, आभूषण और सुघड़ अक्षरों का लिपिरूप सिंधु-सभ्यता को तकनीक-सिद्ध से ज़्यादा कला-सिद्ध होने का दावा करता है।
(x) मुअनजो-दड़ो के अज़ायब घर की क्या खासियत है?
(क) सोने के गहनों का मिलना
(ख) पत्थर के औज़ार मिलना
(ग) माप-तौल के पत्थर मिलना
(घ) हथियारों का न मिलना
उत्तर:
(घ) हथियारों का न मिलना
व्याख्या : कई कलात्मक वस्तुओं के साथ अजायबघर की प्रदर्शित चीज़ों में कुछ औज़ार देखने को मिले परंतु यहाँ एक भी हथियार नहीं पाया जाना इसकी खास बात है।
रखण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) जब मैं फेल हो गया
(ख) मदर टेरेसा
(ग) अनोखा पालतू जानवर कुत्ता
(घ) खिड़की से बाहर का दृश्य
उत्तर:
(क) जब मैं फेल हो गया
उस समय मैं कक्षा 8 में पढ़ता था। मुझे अचानक ही पढ़ाई से अरुचि हो गई। मैं स्कूल से आता, खाना खाता और दोस्तों के पास खेलने के लिए भाग जाता। मैं अपनी पढ़ाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा था। धीरे-धीरे स्कूल में मेरे अध्यापक मुझसे नाराज़ रहने लगे। घर पर माँ ने भी मुझसे परेशान होकर पिताजी से शिकायत कर दी। मेरी पिटाई भी हुई पर मैं फिर भी नहीं सुधरा। जब परीक्षाएँ पास आने लगी तो मुझे डर सताने लगा, किन्तु पढ़ाई कहाँ से और कैसे शुरू करूँ, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने बहुत समय से किताबों को खोला तक नहीं था। किसी भी नोट-बुक में मेरा काम पूरा नहीं था। जो भी पाठ खोलता नया-सा लगता। मैं घबराकर अपने मित्रों के पास गया, किंतु सबने परीक्षा निकट होने के कारण साथ और समय न दे पाने के लिए क्षमा माँग ली।
पहाड़ जैसा पाठ्यक्रम परीक्षा समय में तैयार कर पाना मुश्किल था। घबराकर मैं कभी कोई विषय उठाता, कभी कोई।
धीरे-धीरे परीक्षा का दिन आ गया। मैं रात भर नहीं सो सका था, मन दुःखी और परेशान था। मैं धड़कते दिल से परीक्षा देने गया। परीक्षा भवन में प्रश्न-पत्र देखते ही मेरा सिर चकरा गया, मुझे किसी प्रश्न का उत्तर याद न था, जो थोड़ा-बहुत पढ़ा था वह भी घबराहट के कारण याद नहीं आ रहा था। सभी साथी प्रश्न-पत्र हल कर रहे थे, मैं चुपचाप इधर-उधर देख रहा था, जिस कारण कक्ष निरीक्षक महोदय की डाँट भी खानी पड़ी।
धीरे-धीरे सभी पेपर हो गए, घर पर गुस्से के कारण किसी ने भी यह भी नहीं पूछा कि पेपर कैसा हुआ। कारण मैं जानता था कि मैंने पेपर में कुछ भी सही नहीं लिखा था। मुझे स्वयं पर शर्म आ रही थी। रह-रह कर क्रोध आ रहा था पर ‘अब पछताए होत का, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत।’ परीक्षा परिणाम आया, मैं सभी विषयों में फेल था। बहुत हिम्मत जुटाकर मैंने अपने माता-पिता और अध्यापकों से क्षमा मांगी और आगे से ऐसी लापरवाही न करने का वादा किया। यह मेरी ज़िन्दगी का अत्यंत महत्त्वपूर्ण सबक था जो मैंने उम्र-भर के लिए सीख लिया था।
मदर टेरेसा
दीनों पर दया करने वाला वास्तव में दीनबंधु हो जाता है। एक छोटी-सी साधनहीन महिला ने अपने आत्मविश्वास के बल पर असम्भव को भी सम्भव कर दिखाया।
उनका जन्म अलबानिया के स्कोरचे नामक स्थान पर 26 अगस्त, 1910 को हुआ, नाम रखा गया ‘एग्नेस गोजा’। उस धर्मपरायण कैथोलिक परिवार में एग्नेस ने जीवन के सभी पहलुओं का सूक्ष्मता से निरीक्षण कर, निष्कर्ष निकाला कि मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है। उन्होंने नन बनने का संकल्प ले लिया।
नन बनकर उन्होंने अपना नाम टेरेसा रखा। भारत आकर उन्होंने कलकत्ता की झोपड़-पट्टियों का वास्तविक रूप देखा। उन्होंने दु:खी व असहाय जन की पीड़ा हरने का निश्चय कर लिया। कुछ ही समय में वे नीले किनारे की धोती वाली महिला के रूप में प्रसिद्ध हो गईं।
उन्होंने अपने धर्म संघ का नाम रखा ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’। उन्होंने खुले आकाश के नीचे गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोला जो कुछ ही दिनों में चल निकला। माइकल नामक सहृदय व्यक्ति ने उन्हें रहने के लिए जगह दी। उसी घर में सिस्टर टेरेसा की सहयोगी सिस्टर्स की संख्या बढ़ी और वे स्वयं मदर टेरेसा कहलाने लगीं। जब सिस्टर्स की संख्या अधिक हो गई तो वे एक बड़े घर में चले गए जिसे ‘मदर हाऊस’ का नाम दिया गया।
मदर ने कुष्ठ रोगियों की सेवा का बीड़ा उठाया व टीटागढ़ में उनके लिए संस्थान बनवाया। ‘निर्मल हृदय’ नामक संस्था में भी रोगियों की सेवा होती थी। मानवता की सेवा के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। मदर टेरेसा को ‘नोबेल पुरस्कार’ भी मिला, परंतु उन्होंने पुरस्कारों से प्राप्त धनराशि की एक पाई भी अपने ऊपर व्यय नहीं की। उनके द्वारा देश-विदेश में अनेक स्थानों पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएँ खोली गईं।।
अनोखा पालतू जानवर कुत्ता
मुझे अपने अनुभव से ऐसा महसूस होता है कि कुत्ता सबसे अनोखा और प्यारा पालतू पशु है। घर में रहकर उसकी भूमिका एक सदस्य की तरह हो जाती है। प्रत्येक पशु की आदतें, स्वभाव, क्रिया-कलाप सब एक-दूसरे से अलग होता है। मेरे पास एक जर्मन शेफर्ड जाति का छोटा-सा कुत्ता था। हमने उसका नाम ‘ब्लैसिंग’ रखा था। काले रंग और घने बालों वाला वह कुत्ता बहुत ज़्यादा सक्रिय (एक्टिव) था। घर के सदस्य जो खाते वह भी वही खाता, कहीं बाहर जाना होता तो आगे-आगे चलता, कार का दरवाज़ा खुलते ही उछल कर बैठ जाता, इसका तात्पर्य यह होता था कि मैं भी साथ चलूंगा।
कितनी भी सर्दी या गर्मी होती, कोई भी गेट के बाहर जाता तो वह वहाँ तक छोड़ने ज़रूर जाता। बच्चों के साथ खेलता और पूरे घर की रखवाली के प्रति पूरी तरह सक्रिय रहता। उसके कारण हमारा गार्डन पूरी तरह सुरक्षित था, कोई भी दूसरा जानवर वहाँ फटकने तक न पाता, यहाँ तक कि गिरगिट, गिलहरी, तितली, बिल्ली, चूहों को देखते ही दौड़ लगाता। बंदरों की तो ऐसी शामत आई कि बंदरों ने हमारे घर की तरफ़ देखना तक बंद कर दिया था। घर में आए हुए मेहमानों, मित्रों को उसने कभी नहीं काटा और न ही परेशान किया। एक बार सड़क के बड़े-बड़े कुत्तों ने उसे घेर लिया और सबने मिलकर, आक्रमण कर लहू-लुहान कर दिया। डाक्टर को दिखाने के बाद भी वह पुनः ठीक न हो सका और उसकी मृत्यु हो गई। हम सब बहुत दुःखी हुए।
खिड़की से बाहर का दृश्य
मेरी खिड़की के बाहर एक नींबू का पेड़ है, वह पेड़ बहुत घना है। उस पेड़ पर हमेशा नीबू (फल) लदे रहते हैं। कभी हरे नीबू, छोटे-छोटे नीबू या फिर बड़े-बड़े पीले-पीले नींबू। मेरे परिवार के अतिरिक्त पूरे मोहल्ले के लोग उस पेड़ के नीबू प्रयोग करते हैं, किंतु फिर भी उस पर नीबू लगे ही रहते हैं। मुझे यह सोचकर बहुत अच्छा लगता है कि मेरे जन्मोत्सव पर मेरे पूज्य दादाजी ने वह पेड़ लगाया था।
गर्मियों के दिनों में कोई बाहर नहीं निकलता। गर्मी, धूप और गर्म हवाओं के कारण जब लोग घर के अंदर ए.सी., कूलर में बैठे रहते हैं, नीबू के पेड़ पर सैकड़ों चिड़ियों का मेला लगा होता है। जब से मैंने पेड़ के नीचे एक बर्तन में दाना और दूसरे बर्तन में पानी रखना शुरू किया है तब से चिड़ियों की संख्या और अधिक बढ़ गई है।
एक दिन मैं अपने कमरे की खिड़की बंद करना भूल गया और स्कूल चला गया, मैंने स्कूल से लौटकर देखा कि अनेक चिड़ियाँ मेरे कमरे में घुस आई थीं मुझे देखते ही सब फुर्र से उड़ गई और नीबू के पेड़ पर जा बैठीं। लेकिन उस दिन के बाद से चिड़ियाँ मेरे होते हुए भी मेरे कक्ष में आने लगी, उनका मेरे पास आना, मुझसे न डरना, मुझे अच्छा लगता है मेरी खिड़की के बाहर का दृश्य बहुत मनोरम है।
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) स्थान और समय को ध्यान में रखते हुए ‘दोपहर का भोजन’ कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें।
उत्तर:
‘दोपहर का भोजन’ कहानी में पहला दृश्य है- सिद्धेश्वरी के घर की दयनीश दशा और टूटी खाट पर लेटा उसका सबसे छोटा बेटा। दूसरे दृश्य में सिद्धेश्वरी का बेटा बार-बार दरवाजे से गली में आते-जाते लोगों को देखता है। तीसरे दृश्य में थके-हारे रामचन्द्र का आकर हताश-सा बैठना और खाना खाना और मोहन के सम्बन्ध में बात करना है। अगला दृश्य रामचन्द्र का भोजन करके चले जाना और मोहन का खाना खाने के लिए आना है।
माँ-बेटी की बातचीत होती है। मोहन भोजन करके जाता है। अगला दृश्य चन्द्रिका प्रसाद का परेशान मुद्रा में अपना भोजन करना है। पति-पत्नी में वार्तालाप होता है। अगले दृश्य में सिद्धेश्वरी का खाना खाने बैठना और सोते हुए पुत्र को देखते हुए आधी रोटी उसके लिए रखना है। अन्तिम दृश्य आँसू बहाते हुए सिद्धेश्वरी का भोजन करना, घर में मक्खियों का भिन-भिनाना और चन्द्रिका प्रसाद का निश्चितता पूर्वक सोना है।
(ख) अप्रत्याशित विषय पर लेखन करते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तर:
अप्रत्याशित विषयों पर लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
(i) लेखक को उस विषय की पूरी जानकरी होनी चाहिए जिस पर वह लिखना चाहता हो।
(ii) लिखे जाने वाले विषय के बारे में सभी तथ्यों को सटीकता से लिखना चाहिए।
(iii) लेखक को अपने मन-मस्तिष्क में, विषय के बारे में उचित रूप रेखा बनानी चाहिए।
(iv) तर्कसंगत विचारों का समावेश होना चाहिए।
(v) लेखक को यह लेखन ‘मैं’ शैली में करना चाहिए।
(vi) लेखक को अप्रत्याशित विषय पर लिखते समय अपने पांडित्य का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
(ग) कहानी को नाटक में किस प्रकार रूपान्तरित कर सकते हैं?
उत्तर:
कहानी को नाटक में रूपान्तरित करते समय अनेक महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जो इस प्रकार हैं-
(i) कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके।
(ii) कहानी में घटित घटनाओं के आधार पर दृश्यों का निर्माण करके।
(iii) कथावस्तु से सम्बन्धित वातावरण की व्यवस्था करके।
(iv) ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्था करके।
(v) कथावस्तु के अनुरूप मंच सज्जा और संगीत का निर्माण करके।
(vi) पात्रों एवं संवादों को अभिनय के अनुरूप स्वरूप प्रदान करके।
9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का क्या अर्थ है? इसकी लोकप्रियता के क्या कारण हैं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अर्थ विद्युत द्वारा संचार से है। अर्थात् जिस जनसंचार में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सहारा लिया जाता है, उसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या माध्यम कहते हैं; जैसे-रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा तथा इंटरनेट आदि। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लोकप्रियता के कारण
(i) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लोकप्रियता इसलिए है, क्योंकि इसके द्वारा शब्द, ध्वनि और दृश्य तीनों के सम्मिलित प्रभाव का आनंद लिया जा सकता है।
(ii) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सूचनाओं के संप्रेषण का वितरण ही नहीं करता, बल्कि इसके माध्यम से नई पीढ़ी स्वयं को एक-दूसरे से जोड़ने में सक्षम हुई है तथा इसके द्वारा मनोरंजन, ज्ञान तथा व्यक्तिगत संवादों का प्रसारण भी होता है।
(ख) एडवोकेसी पत्रकारिता क्या है? इसका क्या कार्य है?
उत्तर:
जब कोई समाचार संगठन या टी.वी. चैनल किसी खास मुद्दे पर जनमत बनाने और सरकार को उसके अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए अभियान चलाता है तो इस तरह की पत्रकारिता को पक्षधर या एडवोकेसी पत्रकारिता कहा जाता है। ऐसी पत्रकारिता में किसी खास उद्देश्य या मुद्दे को उठाकर उसके पक्ष में जनमत बनाने के लिए जोर-शोर से अभियान चलाया जाता है। इससे सरकार पर दबाव बनता है और वह लोगों की भलाई हेतु तेजी से कार्य करने को प्रेरित होती है।
(ग) संपादन के सिद्धान्तों में ‘तथ्यपरकता’ (एक्यूरेसी) का क्या आशय है?
उत्तर:
संपादन में तथ्यपरकता (एक्यूरेसी) अच्छे संपादकीय का एक विशेष गुण होता है। एक अच्छा संपादकीय किसी विषय या मुद्दे पर संवाद द्वारा प्रस्तुत उसके अपने विचारों की सजग एवं ईमानदार प्रस्तुति है। तथ्यपरकता का गुण ही किसी भी संपादकीय में संवाददाताओं द्वारा प्राप्त लिखित सामग्री को शुद्ध कर प्रस्तुति के योग्य बनाता है तथा समाचार-पत्र की नीति, आचार-संहिता तथा जनकल्याण का ध्यान रखता है। ‘तथ्यपरकता’ के अनुसार किसी भी लिखित सामग्री या घटना में अपने विचार, मत या अपना कोई तथ्य जोड़ना नहीं चाहिए बल्कि उसे नैसर्गिक रूप में ही देना चाहिए।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ नामक कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता श्री रघुवीर सहाय द्वारा रचित है। इसमें शारीरिक विकलांगता को झेलते व्यक्ति की मार्मिक पीड़ा प्रदर्शित की गई है कि किस प्रकार शारीरिक चुनौती को सहन करते एक अपाहिज व्यक्ति को टेलीविज़न-कैमरे के सामने कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ता है और कैमरे के सामने उससे कैसी भंगिमा की अपेक्षा की जाती है? कवि ने एक तरह से पीड़ा के साथ दृश्य-संचार माध्यम का संबंध रेखांकित किया है।
कविता की कथावस्तु के अनुसार दूरदर्शन वालों की एक टीम कमज़ोर (शारीरिक रूप से अपाहिज) व्यक्ति का साक्षात्कार लेने के लिए पहुँचती है। वह उससे तरह-तरह की भाव भंगिमाएँ बनाने की अपेक्षा करती है। वे लोग उस अपाहिज की पीड़ा को ध्यान में न रखकर अपने व्यावसायिक साक्षात्कार की सफलता के लिए अपने अनुसार उसे कष्ट, (पीड़ा) पहुँचा कर रुला देने का प्रयास करते हैं। वे उस व्यक्ति को बड़े परदे पर दिखाकर उसके साथ-साथ दर्शकों को भी रुलाने की कोशिश करते हैं जबकि उनके कार्यक्रम का उद्देश्य जनता को सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम दिखाना है। कवि टीवी वालों की संवेदनहीनता को उजागर करता है।
(ख) ‘बादल राग’ जीवन निर्माण के नए राग का सूचक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘बादल राग’ कविता में कवि ने लघु मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आह्वान क्रान्ति के रूप में करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नव-निर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रान्ति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं।
(ग) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ गीत के माध्यम से वस्तुतः कवि क्या कहना चाहता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवन के अकेलेपन की पीड़ा की अभिव्यक्ति कर्मरत् पथिक की थकान इस विचार से दूर हो जाती है कि उसके परिजन उसकी प्रतीक्षा में हैं अकेलेपन का बोध लौटते कदमों को शिथिल एवं मन को विह्वल करता हैं।
व्याख्यात्मक हल :
‘निशा-निमंत्रण’ से उद्धृत इस गीत के माध्यम से कवि ने रात्रि के निमंत्रण को प्रस्तुत किया है। दिन और रात के माध्यम से कवि ने जीवन और मृत्यु को प्रतीक मानकर वर्णन किया है। दिन समाप्त हो रहा है, यह मानकर पथिक जल्दी-जल्दी अपनी मंज़िल पर पहुँचना चाहता है। वहाँ उसके बच्चे अपने आत्मीयजनों से मिलने को व्याकुल हो रहे हैं। कवि का मन बेचैनी से युक्त होकर प्रश्नों को जन्म दे रहा है। दिन जल्दी-जल्दी ढल रहा है अर्थात् जैसे व्यक्ति का जीवन धीरे-धीरे मृत्यु की ओर अग्रसर हो रहा है। जीवन के अकेलेपन की पीड़ा असहनीय है। लेकिन अकेलेपन का बोध लौटते कदमों को शिथिल एवं मन को विह्वल करता है। कार्य में लगे उस पथिक की थकान इस विचार से ही दूर हो जाती है कि उसके परिजन उसकी प्रतीक्षा कर रहे होंगे।
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे ख्याल आते हैं? लिखिए।
उत्तर:
आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर मन में पंछी बनने की इच्छा जाग्रत होती है कि पंछी बनकर स्वच्छन्द नभ में उड़ता फिरूँ और उड़ कर क्षितिज तक पहुँच जाऊँ।
(ख) आत्मपरिचय कविता के कथ्य को अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
‘आत्मपरिचय’ कविता में कवि कहता है कि यद्यपि वह सांसारिक कठिनाईयों से जूझ रहा है, फिर भी वह इस जीवन से प्यार करता है। वह अपनी आशाओं और निराशाओं से सन्तुष्ट है। वह संसार को अपने गीतों, द्वंद्वों के माध्यम से प्रसन्न करने का प्रयास करता है।
(ग) प्रश्नकर्ता अपाहिज व्यक्ति को उसके अपाहिजपन का एहसास क्यों दिलाना चाहता है ?
उत्तर:
प्रश्नकर्ता चाहता है कि वह अपने अपाहिजपन का एहसास होने पर रो दे ताकि उसे रोता देख लोगों की करुणा जाग्रत हो जाए। ऐसा होने पर कार्यक्रम निश्चित रूप से सफल माना जाएगा और उनका चैनल खूब तरक्की करेगा और उनको बहुत फायदा पहुँचेगा।
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी पारंपरिक रूप से लोकप्रिय कुश्ती जैसे खेलों के प्रति नई पीढ़ी की सोच में आए परिवर्तन को व्यक्त है,” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
(i) पुराने समय का लोकप्रिय खेल, बल, साहस एवं कौशल का समन्वय ‘कुश्ती को जनता और शासन का समर्थन।
(ii) कुश्ती का खेल ग्रामीण संस्कृति की पहचान थी न कि शहरी संस्कृति की।
(iii) नई पीढ़ी का समय के साथ तकनीकी-मनोरंजन तथा अर्थोपार्जन में सहायक खेलों की ओर झुकाव और कुश्ती की उपेक्षा।
व्याख्यात्मक हल :
पुराने समय में कुश्ती एक लोकप्रिय खेल था। इसमें बल, साहस के साथ कौशल का प्रदर्शन होता था। इन खेलों को जनता और शासन का समर्थन प्राप्त था। पहलवान गाँव की शान हुआ करते थे। लुट्टन पहलवान को राजदरबार द्वारा संरक्षण प्रदान था लेकिन उसके पुत्र ने इसे व्यर्थ का बोझ समझ संरक्षण समाप्त कर दिया तब लुट्टन की स्थिति खराब हो गई। इसी प्रकार वर्तमान पीढ़ी का तकनीकी-मनोरंजन तथा अर्थोपार्जन में सहायक खेलों की ओर झुकाव अधिक होने से कुश्ती जैसे खेलों की उपेक्षा की जाती है।
(ख) ‘बाज़ार दर्शन’ निबन्ध उपभोक्तावाद एवं बाज़ारवाद की अन्तर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है’ उदाहरण देकर इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘बाज़ार दर्शन’ निबन्ध उपभोक्तावाद एवं बाज़ारवाद की अन्तर्वस्तु को समझने में बेजोड़ है। बाज़ार का जादू वास्तव में ‘रूप का जादू है’। बाज़ार का जादू चढ़ने पर उपभोक्ता बाज़ार के आर्कषण पर मोहित होकर गैर जरूरी चीज़ों को खरीदने के लिए विवश हो जाता है। परन्तु घर आकर वे वस्तुएँ व्यर्थ की लगने लगती हैं। ‘बाज़ार दर्शन’ की सार्थकता वही समझता है जो आवश्यकता की वस्तुएँ ही खरीदता है। बाज़ार में जाकर योग्य उपभोक्ता को बाज़ारवाद के चक्कर में नहीं फँसना चाहिए, उपभोक्ता और बाज़ारवाद में एक प्रकार का द्वन्द्व होता है जो उस द्वन्द्व से बचने के लिए बुद्धि का प्रयोग करके चलता है वही मनुष्य जीत को प्राप्त होता है।
(ग) पुत्र की चाह में परिवार के लोग ही कन्या को जन्म देने वाली माँ के दुश्मन हो जाते हैं। इस प्रवृत्ति पर ‘भक्तिन’ पाठ के आधार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भक्तिन के परिवार में उसकी सास के तीन पुत्र हुए, जेठानियों के भी पुत्र ही पैदा हुए थे, परन्तु भक्तिन ने दो कन्याओं को जन्म दिया। जेठानियाँ मानती थीं कि छोटी बहू खानदान ही लीक छोड़कर चली है इसलिए उसे दण्ड मिलना आवश्यक है। आज भी समाज में लड़का-लड़की में भेद किया जाता है, आज भी समाज में पुत्र को ही वंश चलाने वाला माना जाता है। यह भेद-भाव पुरुषों से अधिक स्त्रियाँ करती हैं जैसा भक्तिन की जेठानियों ने किया। इससे स्पष्ट होता है कि स्त्रियाँ ही स्त्रियों की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) डॉ. आंबेडकर ने राजनीतिज्ञ को व्यवहार में किस व्यवहार्य सिद्धांत की आवश्यकता बताई है ?
उत्तर:
(i) समाज के सभी वर्गों तथा मनुष्यों के साथ समान व्यवहार
व्याख्यात्मक हल : डॉ आंबेडकर ने राजनीतिज्ञ को अपने व्यवहार में समाज के सभी वर्गों तथा मनुष्यों के साथ बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार्य सिद्धांत की आवश्यता बताई है। उनके अनुसार, मानवता के दृष्टिकोण से समाज को वर्गों में या श्रेणियों में नहीं बाँटा जा सकता अतः सब मनुष्यों के साथ समान व्यवहार ही किया जाना चाहिए।
(ख) जाति-प्रथा के दूषित सिद्धांत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी व्यक्ति के प्रशिक्षण अथवा उसकी क्षमता पर विचार किए बिना माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार जन्म से पूर्व ही उसका पेशा निर्धारित करना जातिप्रथा का दूषित सिद्धान्त है। यह प्रथा मनुष्य को एक ही पेशे से बाँध देती है फिर चाहे वह पेशा किसी के लिए उपयुक्त हो या न हो, किसी की उसमें रूचि हो या न हो या फिर वह चाहें पर्याप्त न हो।
(ग) शिरीष के पुष्प को शीतपुष्प भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की प्रचंड गरमी में फूलने वाले फूल को शीतपुष्प संज्ञा किस आधार पर दी गई होगी?
उत्तर:
शिरीष का फूल प्रचंड गर्मी में भी खिला रहता है। वह लू और उमस में भी मस्ती से खिलता है गर्मी की मार झेलने के बाद भी ठंडक देता है अर्थात् विषम परिस्थितियों में भी वह सहनशील रहता है व समता का भाव रखता है। इस प्रकार वह प्रत्येक मौसम में आए परिवर्तन को स्वीकार कर अपना संतुलन बनाए रखता है। इसीलिए इसे शीतपुष्प की संज्ञा दी गई है।