Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 5 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 5 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
संवाद में दोनों पक्ष बोलें यह आवश्यक नहीं। प्रायः एक व्यक्ति की संवाद में मौन भागीदारी अधिक लाभकर होती है। यह स्थिति संवादहीनता से भिन्न है। मन से हारे दुःखी व्यक्ति के लिए दूसरा पक्ष अच्छे वक्ता के रूप में नहीं, अच्छे श्रोता के रूप में अधिक लाभकर होता है। बोलने वाले के हावभाव और उसका सलीका, उसकी प्रकृति और सांस्कृतिक-सामाजिक पृष्ठभूमि को पल भर में बता देते हैं। संवाद से संबंध बेहतर भी होते हैं और अशिष्ट संवाद संबंध बिगाड़ने का कारण भी बनता है। बात करने से बड़े-बड़े मसले, अंतर्राष्ट्रीय समस्याएँ तक हल हो जाती हैं। पर संवाद की सबसे बड़ी शर्त है एक-दूसरे की बातें पूरे मनोयोग से, संपूर्ण धैर्य से सुनी जाएँ। श्रोता उन्हें कान से सुनें और मन से अनुभव करें तभी उनका लाभ है, तभी समस्याएँ सुलझने की संभावना बढ़ती है और कम-से-कम यह समझ में आता है कि अगले के मन की परतों के भीतर है क्या? । सच तो यह है कि सुनना एक कौशल है जिसमें हम प्रायः अकुशल होते हैं। दूसरे की बात काटने के लिए, उसे समाधान सुझाने के लिए हम उतावले होते हैं और यह उतावलापन संवाद की आत्मा तक हमें पहुँचने नहीं देता। हम तो बस अपना झंडा गाड़ना चाहते हैं। तब दूसरे पक्ष को झुंझलाहट होती है। वह सोचता है व्यर्थ ही इसके सामने मुँह खोला। रहीम ने ठीक ही कहा था-“सुनि इठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।” ध्यान और धैर्य से सुनना संवाद की सफलता का मूल मंत्र है। संवेदनशील लोग तो पेड़-पौधों से, नदी-पर्वतों से, पशु-पक्षियों तक से संवाद करते हैं। राम ने इन सबसे पूछा था-‘क्या आपने सीता को देखा?’ और उन्हें एक पक्षी ने ही पहली सूचना दी थी। इसलिए संवाद की अनंत संभावनाओं को समझा जाना चाहिए।
(i) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक होगा
(क) संवाद का महत्त्व।
(ख) संवाद हीनता।
(ग) संवाद की असफ़लता।
(घ) संवाद शून्यता।
उत्तर:
(क) संवाद का महत्त्व।
(ii) ‘संवादहीनता’ से क्या तात्पर्य है?
(क) परस्पर वार्तालाप का अभाव।..
(ख) बात को धैर्यपूर्वक सुनना।
(ग) संवाद की गंभीरता।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) परस्पर वार्तालाप का अभाव।
(iii) भाव स्पष्ट कीजिए, “यह उतावलापन हमें संवाद की आत्मा तक नहीं पहुँचने देता।”
(क) उतावलापन संवाद की आत्मा है।
(ख) बात को धैर्यपूर्वक सुने व समझे-बिना बोलने की शीघ्रता संवाद की गंभीरता को नष्ट कर देती है।
(ग) संवाद का मूल मंत्र है-उतावलापन।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) बात को धैर्यपूर्वक सुने व समझे-बिना बोलने की शीघ्रता संवाद की गंभीरता को नष्ट कर देती है।
(iv) दुःखी व्यक्ति से संवाद में दूसरा पक्ष कब अधिक लाभकारी होता है?
(क) अच्छे श्रोता के रूप में।
(ख) समाधान प्राप्तकर्ता के समय।
(ग) विचार के रूप में।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(क) अच्छे श्रोता के रूप में।
व्याख्या : दु:खी व्यक्ति के लिए दूसरा पक्ष अच्छे वक्ता के रूप में नहीं, अच्छे श्रोता के रूप में अधिक लाभकर होता है क्योंकि वह दुःखी व्यक्ति की पीड़ा को सुनता है।
(v) सुनना कौशल की विशेषता है
(क) अधीर होना।
(ख) धैर्यवान होना।
(ग) बेबाक होना।
(घ) वाचाल होना।
उत्तर:
(ख) धैर्यवान होना।
(vi) हम संवाद की आत्मा तक प्रायः क्यों नहीं पहुँच पाते?
(क) सजगता के अभाव में।
(ख) समाधान सुझाने के उतावलेपन के कारण।
(ग) अधीरता के कारण।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) दूसरों की समस्या सुनकर लोग हँसते हैं।
(II) दूसरों के दर्द को कम करते हैं।
(III) दूसरों के दर्द को तीव्र करते हैं।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) II और III
(घ) I और II
उत्तर:
(क) केवल I
(viii) राम का उदाहरण क्यों दिया गया है?
(क) संवाद की अनंत संभावनाओं को समझने के लिए।
(ख) एक-दूसरे से संवाद करने के लिए।
(ग) केवट से संवाद के लिए।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) संवाद की अनंत संभावनाओं को समझने के लिए।
व्याख्या : राम ने सबसे पूछा था-‘क्या आपने सीता को देखा?’ तब उन्हें एक पक्षी ने ही पहली सूचना दी थी इसलिए संवाद की अनन्त संभावनाओं को समझने के लिए राम का उदाहरण दिया गया है।
(ix) पेड़-पौधे, नदी-पर्वतों, पशु-पक्षियों तक से कौन संवाद कर लेते हैं?
(क) वाक् पटु लोग।
(ख) चमत्कारी लोग।
(ग) संवदेनशील लोग।
(घ) चालाक लोग।
उत्तर:
(ग) संवदेनशील लोग।
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): झंडे गाड़ने का अर्थ प्रभुत्व स्थापित करना है।
कारण (R): जिंन्दगी में झंडे गाड़ने का तात्पर्य अपनी बात मनवाने से है।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
आज सिंधु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज हृदय में और सिंधु में
साथ उठा है ज्वार।
यह असीम निज सीमा जाने
सागर भी तो यह पहचाने
मिट्टी के पुतले मानव ने
कभी न मानी हार।
लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड़ में साहस तोलो
कभी-कभी मिलता जीवन में
तूफानों का प्यार।
सागर की अपनी क्षमता है।
पर नाविक भी कब थकता है।
जब तक साँसों में स्पंदन है।
उसका हाथ नहीं रुकता है।
इसके ही बल पर कर डाले सातों सागर पार
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ।
(i) कवि नाविक से क्या अनुरोध कर रहा है?
(क) अकेला न जाए
(ख) समुद्र के भँवरों से दूर रहे
(ग) कठिनाइयों में डटा रहे
(घ) अपनी सीमा पहचाने
उत्तर:
(ग) कठिनाइयों में डटा रहे
(ii) ‘कभी-कभी मिलता जीवन में तूफानों का प्यार’ का भाव है
(क) चुनौतियों का सामना करने के अवसर कम मिलते हैं।
(ख) प्रेयसी का प्रेम मुसीबत में ही मिलता है।
(ग) तूफ़ानों में ही सगे-संबंधियों की पहचान होती है।
(घ) जीवन में कभी-कभी मुसीबतें आती हैं।
उत्तर:
(क) चुनौतियों का सामना करने के अवसर कम मिलते हैं।
व्याख्या : कभी-कभी ही हमें चुनौतियों का सामना कर मानव शक्ति का परिचय देने का अवसर मिलता है।
(iii) मनुष्य कब तक हार नहीं मानता है ?
(क) जब तक वह थकता नहीं है।
(ख) जब तक शरीर में प्राण हैं।
(ग) जब तक अपनों का साथ है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) जब तक शरीर में प्राण हैं।
व्याख्या : जब तक उसकी साँसों में स्पन्दन है, शरीर में प्राण है, तब तक वह अपना कार्य करता रहेगा।
(iv) कवि ने मिट्टी के पुतले की उपमा किसे दी है ?
(क) दानव को
(ख) मानव को
(ग) खिलौने को
(घ) पशु को
उत्तर:
(ख) मानव को
(v) कवि ने नाविक से अपनी पतवार किस तरफ़ घुमाने को कहा है ?
(क) तूफ़ानों की ओर
(ख) किनारों की ओर
(ग) बीच समुद्र में
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) बीच समुद्र में
अथवा
नया साल आया, चलो मुस्कुराएँ
जटिल ज़िन्दगी को सरल कुछ बनाएँ
सूने हृदय में भी झनकार भर दे
नया गीत कोई सहज गुनगुनाएँ
तिमिर रोष है, हम कहीं घिर न जाएँ
जिसे दूर छोड़ा, वही फिर न आएँ
अभी तक कहीं हम बिखरे हुए हैं,
सवेरे का सूरज मिलकर उगाएँ।
जहाँ बन गई दूरियाँ, कुछ घटाएँ,
अकेले खड़ा जो, उसे संग लाएँ,
अभी कितनी बातों में उलझे हुए हैं,
नई सोच से हम नया हल सुझाएँ।
करें शस्य श्यामल धरा को घटाएँ,
बिखराएँ खुशबू वतन की हवाएँ,
बनाकर यहाँ पर भरोसे का मौसम
बंजर भूमि पर अब नया हल चलाएँ
(i) कवि के मुस्कुराने का कारण क्या है?
(क) नवीन आशाएँ
(ख) संकल्प
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)
व्याख्या : नवीन आशाओं और संकल्पों के साथ, नए साल के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कवि मुस्कुराता है।
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) अंधकार रूपी आपसी रोष के घिरने का कवि को भय है।
(II) अंधकार रूपी आक्रोश के घिरने का कवि को भय है।
(III) नए साल के आगमन का भय है।।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और II
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) केवल I
उत्तर:
(क) I और II
(iii) कवि को किससे भय है?
(क) रोष
(ख) आक्रोश
(ग) पारस्परिक वैचारिक कटुता
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी
(iv) दूरियों को कम करने की बात क्यों की गई है?
(क) वैचारिक मतभेदों को कम करने के लिए
(ख) व्यर्थ की बातों में कम उलझे रहने के लिए
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं
(v) समाज और परिवार में किस चीज़ की कमी हो गई है?
(क) विश्वसनीयता
(ख) संवेदनशीलता
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) विकल्प (क) और (ख)
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
(i) बहुत अल्प समय के लिए किसी समाचार संगठन में कार्य करने वाली पत्रकारिता कहलाती है-
(क) पेज थ्री
(ख) पीत पत्रकारिता
(ग) अंशकालिक
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) अंशकालिक
व्याख्या: अंशकालिक पत्रकारिता में पत्रकार निश्चित मानदेय के आधार पर किसी समाचार संगठन के लिए कार्य करता है, जबकि पीत पत्रकारिता पेज थ्री का ही दूसरा नाम है। इसमें सनसनीखेज अथवा व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप, ब्लैकमेलिंग आदि के विचार से प्रकाशित समाचार होते हैं।
(ii) लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ किसे कहा जाता है ?
(क) संविधान
(ख) न्यायपालिका
(ग) विधायिका
(घ) प्रेस/मीडिया
उत्तर:
(घ) प्रेस/मीडिया
व्याख्या : प्रेस/मीडिया द्वारा जनता को निरंतर जागरूक करने और शासन की कमियों को उजागर करने के कारण यह लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है।
(iii) समाचार लेखन के कितने ककार होते हैं?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) छः
(घ) तीन।
उत्तर:
(ग) छः
व्याख्या : समाचार लेखन के छ: ककार होते हैं। वे हैं- क्या, कौन, कब, कहाँ, कैसे और क्यों।
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) लोकतन्त्र | (i) रसात्मकता |
(ii) काव्यात्मकता | (ii) जनता का शासन |
(iii) समाचार लेखन के ककार | (iii) छः |
(iv) फीचर लेखन | (iv) घटना का सजीव वर्णन |
(क) (ii), (i), (iii), (iv)
(ख) (iv), (iii), (ii), (i)
(ग) (i), (ii), (iii), (iv)
(घ) (iii), (ii), (i), (iv)
उत्तर:
(क) (ii), (i), (iii), (iv)
(v) फीचर लेखन की शैली निम्नलिखित में से किस शैली के निकट है?
(क) काव्यात्मक
(ख) कथात्मक
(ग) वक्तव्यात्मक
(घ) रूपात्मक।
उत्तर:
(ख) कथात्मक
व्याख्या : फीचर लेखन किसी घटना का सजीव चित्रण करता है। वह अतीत में बीती घटना को कथ्यात्मक रूप में प्रस्तुत करता है।
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादों गया सवेरा हुआ खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा शरद आया पुलों को पार करते हुए अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से चमकीले इशारों से बुलाते हुए पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को चमकीले इशारों से बुलाते हुए और आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए कि पतंग ऊपर उठ सकेदुनिया की सबसे हल्की रंगीन चीज़ उड़ सके दुनिया का सबसे पतला कागज़ उड़ सकेबाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सकेकि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया।
(i) उपर्युक्त पंक्तियों के अनुसार, शरद ऋतु कब व कैसे आती है?
(क) वर्षा ऋतु के बाद
(ख) प्रकृति का और अधिक सुन्दर होना व उल्लिसित वातावरण
(ग) साइकिल चलाते हुए, घंटी बजाकर
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
व्याख्या : उपर्युक्त पंक्तियों के अनुसार शरद ऋतु, वर्षा के बाद आती है। ऐसा लगता है मानो शरद ऋतु अपनी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए और घंटी बजाकर सूचना देते हुए आ रही है। शरद ऋतु आने से प्रकृति और अधिक सुन्दर हो गई है व चारों तरफ़ उल्लास का वातावरण है।
(ii) ‘चमकीले इशारों’ में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
(क) चमकीली या तेज़ धूप
(ख) स्वच्छ एवं साफ़ आकाश
(ग) आकाश में बिजली चमकना
(घ) आकाश में सितारे चमकना
उत्तर:
(ख) स्वच्छ एवं साफ़ आकाश
व्याख्या : बच्चे हर समय पतंग उड़ाने को लालायित रहते हैं, परन्तु उसके लिए आकाश में बादल नहीं होने चाहिए। ‘चमकीले इशारों’ का भाव यही है कि ऐसा लगता है मानो स्वच्छ एवं स्पष्ट आकाश बच्चों को पतंग उड़ाने के लिए इशारे कर रहा हो अर्थात् बुला रहा हो।
(iii) ‘आकाश को इतना मुलायम बताते हुए’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) साफ़ आकाश में बच्चे ऊँचाई तक पतंग उड़ा सकते हैं
(ख) सफ़ेद बादलों के कारण आकाश मुलायम था
(ग) आकाश इतना कोमल और साफ़ है जिसमें पतंग उड़ाने के लिए पर्याप्त साधन हैं
(घ) विकल्प (क) व (ख) दोनों
उत्तर:
(घ) विकल्प (क) व (ख) दोनों
व्याख्या : सावन-भादों के महीने में आकाश काले, घने बादलों से ढका रहता है और बारिश होती रहती है, लेकिन शरद ऋतु शुरू होते ही आकाश साफ़, कोमल व निर्मल हो जाता है। जैसे कोई मुलायम वस्तु हो। कवि कहता है कि ऐसे आसमान में बच्चों के ऊँचाई तक पतंग उड़ाने के लिए पर्याप्त स्थान रहता है।
(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) हो सके सीटियों – अनुप्रास अलंकार
(ख) मुलायम बनाते हुए – उपमा अलंकार
(ग) चमकीले इशारों से – उत्प्रेक्षा अलंकार
(घ) घंटी बजाते हुए – अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(क) हो सके सीटियों – अनुप्रास अलंकार
(v) शरद रूपी बालक क्या चाहता है?
(क) दुनिया के सबसे पतले, हल्के और रंगीन कागज़ की पतंग आसमान में ऊँची उड़ सके
(ख) पतंग आकाश में ऊँची न उड़ सके
(ग) पतंग के साथ, बच्चे भी अपनी बाल-सुलभ कल्पनाओं के साथ आसमान में उड़ने के आनंद की अनुभूति कर सकें
(घ) विकल्प (क) व (ग) दोनों
उत्तर:
(घ) विकल्प (क) व (ग) दोनों
व्याख्या : शरद रूपी बालक चाहता है कि रंगीन कागज़ की पतली, हल्की पतंग आसमान में बहुत ऊँची उड़ सके और उसके साथ बच्चों की प्यारी कल्पनाएँ भी उड़ान भर सकें।
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)
इस सद्भाव के ह्रास पर आदमी आपस में भाई-भाई और सुहृद और पड़ोसी फिर रह ही नहीं जाते हैं और आपस में कोरे ग्राहक और बेचक की तरह व्यवहार करते हैं। मानों दोनों एक-दूसरे को ठगने की घात में हों। एक की हानि में दूसरे को अपना लाभ दिखता है और यह बाज़ार का ही नहीं, बल्कि इतिहास का, सत्य माना जाता है। ऐसे बाज़ार को बीच में लेकर लोगों में आवश्यकताओं का आदान-प्रदान नहीं होता; बल्कि शोषण होने लगता है, तब कपट सफल होता है, निष्कपट शिकार होता है। ऐसे बाज़ार मानवता के लिए विडंबना हैं।
(i) गद्यांश में किस ‘सदभाव के ह्रास’ की बात की जा रही है?
(क) ग्राहक के सद्भाव
(ख) दुकानदार के सद्भाव
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) (क) व (ख) दोनों
व्याख्या : ‘पर्चेजिंग पावर’ के गर्व में जब लोग बाज़ार जाते हैं, तो वे न तो स्वयं बाज़ार का लाभ उठा पाते हैं और न ही लाभ दे सकते हैं। परिणाम होता है सद्भाव का ह्रास। जो ग्राहक और दुकानदार के बीच में हो जाता है क्योंकि फिर वे भाई या पड़ोसी की भूमिका में नहीं रह पाते।
(ii) सद्भाव के ह्रास’ का क्या परिणाम होता है?
(क) ग्राहक पैसे की ताकत दिखाता है
(ख) बहुत खरीददारी करता है
(ग) दुकानदार निरर्थक वस्तुएँ बेच देता है
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
व्याख्या : सद्भाव के ह्रास का परिणाम यह निकलता है कि बाज़ार का बाज़ारूपन बढ़ जाता है तथा दुकानदार और ग्राहक दोनों ही एक-दूसरे का शोषण करने लगते हैं।
(iii) ‘ऐसे बाजार को’ कथन से लेखक का तात्पर्य है-
(क) जहाँ कपट हो
(ख) जहाँ ग्राहक को संतुष्टि मिले
(ग) ग्राहक व दुकानदार के मध्य सद्भाव हो
(घ) एक की हानि में दूसरे की हानि हो
उत्तर:
(क) जहाँ कपट हो
व्याख्या : जिस बाज़ार में आवश्यकताओं का आदान-प्रदान न होकर शोषण और कपट ही होता है, वहाँ निष्कपट शिकार हो जाता है।
(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): ‘सद्भाव के हास’ युक्त बाज़ार को मानवता के लिए विडंबना की संज्ञा दी गई है।
कारण (R): क्योंकि ‘सद्भाव के हास’ मनुष्यता के पोषक हैं।
(क) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
व्याख्या : सद्भाव के हास युक्त बाज़ार को सम्पूर्ण मानव जाति के लिए विडम्बना कहा गया हैं, क्योंकि इसमें छल-कपट को सफलता मिलती है और भोले-भाले लोग शिकार होते हैं।
(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) उपर्युक्त पाठ के लेखक जैनेंद्र कुमार हैं।
(II) उपर्युक्त पाठ के लेखक विष्णु खरे हैं।
(III) उपर्युक्त पाठ के लेखक धर्मवीर भारती हैं।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल II
(ख) केवल I
(ग) केवल III
(घ) I और II
उत्तर:
(ख) केवल I
व्याख्या : उपर्युक्त पाठ के लेखक जैनेन्द्र कुमार हैं।
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(i) कहानी सिल्वर वैडिंग में किशन दा की मृत्यु के संदर्भ में जो हुआ होगा’ से कहानीकार का क्या तात्पर्य रहा है? सटीक विकल्प का चयन कीजिए-
(क) लेखक मृत्यु से बहुत दुःखी है।
(ख) लेखक को मृत्यु का कारण पता है।
(ग) लेखक मृत्यु के कारण से अपरिचित है।
(घ) लेखक को मृत्यु से कोई अंतर नहीं पड़ता है।
उत्तर:
(ग) लेखक मृत्यु के कारण से अपरिचित है।
व्याख्या : यशोधर बाबू नहीं जानते थे कि किशन दा की मृत्यु कैसे हुई। इसी कारण उन्होंने इस विषय में ‘जो हुआ होगा’ कहा है।
(ii) कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ के अनुसार “यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं।” यशोधर बाबू की असफलता का क्या कारण था? सही विकल्प का चयन कीजिए-
(क) किशन दा उन्हें भड़काते थे।
(ख) पत्नी बच्चों से अधिक प्रेम करती थी।
(ग) पीढ़ी के अंतराल के कारण।
(घ) वे परिवर्तन को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते थे।
उत्तर:
(घ) वे परिवर्तन को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते थे।
व्याख्या : यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाले पात्र हैं। वे आधुनिक पीढ़ी के साथ आसानी से अपना तालमेल नहीं बना पाते। यही कारण है कि वे परिवर्तन को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते।
(iii) किशन दा के रिटायर होने पर यशोधर बाबू उनकी सहायता नहीं कर पाए थे, क्योंकि-कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ से सही विकल्प छाँटिए
(क) यशोधर बाबू की पत्नी किशन दा से नाराज़ थीं।
(ख) क्योंकि यशोधर बाबू के घर में किशन दा के लिए स्थान का अभाव था।
(ग) यशोधर बाबू का अपना परिवार था जिसे वे नाराज़ नहीं करना चाहते थे।
(घ) किशन दा को यशोधर बाबू ने अपने घर में स्थान देना चाहा था जिसे किशन दा ने स्वीकार नहीं किया।
उत्तर:
(ख) क्योंकि यशोधर बाबू के घर में किशन दा के लिए स्थान का अभाव था।
व्याख्या : यशोधर बाबू का क्वार्टर बहुत छोटा था। उसमें केवल दो कमरे थे, जिनमें तीन परिवार रहते थे इसलिए यशोधर बाबू किशन दा को अपने घर में आश्रय नहीं दे पाए।
(iv) ‘मुअनजो-दड़ो और हड़प्पा किस सभ्यता से संबंधित नगर हैं?
(क) मेसोपोटामिया
(ख) सिंधुघाटी-सभ्यता
(ग) दजला-फरात की सभ्यता
(घ) मिस्र की सभ्यता
उत्तर:
(ख) सिंधुघाटी-सभ्यता
व्याख्या : ये दोनों शहर सिंधु नदी और उसकी घाटी के आस-पास बसे होने के कारण सिंधुघाटी-सभ्यता से संबंधित है।
(v) ताम्र काल के शहरों में सबसे बड़ा शहर किसे माना जाता है?
(क) ग्रीस को
(ख) हड़प्पा को
(ग) राखीगढ़ी को
(घ) मुअनजो-दड़ो को
उत्तर:
(घ) मुअनजो-दड़ो को
व्याख्या : मुअनजो-दड़ो ताम्र काल का सबसे बड़ा शहर है। माना जाता है कि यह 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था तथा आबादी लगभग पचासी हजार थी। इसकी खुदाई में बड़ी तादाद में इमारतें, सड़कें, मूर्तियाँ, बर्तन आदि मिले हैं।
(vi) मुअनजो-दड़ो का क्या अर्थ है?
(क) मुहाने पर स्थित
(ख) पक्के मकानों का शहर
(ग) मुर्दो का टीला
(घ) मोहन का नगर
उत्तर:
(ग) मुर्दो का टीला
व्याख्या : मुअनजो-दड़ो का अर्थ है-मुर्दो का टीला। वर्तमान समय में इसे मुअनजो-दड़ो के नाम से जाना जाता है।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) मुअनजो-दड़ो की आबादी लगभग 5 हज़ार थी।
(II) मुअनजो-दड़ो की आबादी लगभग 85 हज़ार थी
(III) मुअनजो-दड़ो की आबादी लगभग 1500 थी।
(IV) मुअनजो-दड़ो की आबादी लगभग 100 थी।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और II
(ख) II और III
(ग) केवल III
(घ) केवल II
उत्तर:
(घ) केवल II
व्याख्या : मुअनओ-दड़ो की आबादी लगभग 85 हज़ार थी।
(viii) ‘जूझ’ कहानी के कथानक आनंदा ने अपने पढ़ने की बात अपनी माँ से ही क्यों की?
(क) पिता के गुस्सैल स्वभाव के कारण
(ख) माँ के साथ अत्यधिक लगाव के कारण
(ग) दिन-रात माँ के साथ रहने के कारण
(घ) पिता से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद न होने के कारण।
उत्तर:
(घ) पिता से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद न होने के कारण।
व्याख्या : आनंदा के पिता ने उसे विद्यालय जाने से रोक दिया तब उसने माँ से दत्ता जी की सहायता लेने को कहा क्योंकि पढ़ाई-लिखाई के सम्बन्ध में दत्ता जी राव का रवैया सही था। उसका दृष्टिकोण पढ़ाई के प्रति यथार्थवादी था। उसे पता था पढ़ने से उसे कोई-न-कोई नौकरी अवश्य मिल जाएगी और गरीबी दूर हो जाएगी।
(ix) ‘जूझ’ कहानी का नायक आनंदा खेतों में काम क्यों करता था?
(क) अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए
(ख) पिता की ज़िम्मेदारियों का भार उठाने के लिए
(ग) स्कूल जाकर पढ़ने-लिखने से बचने के लिए
(घ) अपने पिता के कामों में हाथ-बँटाने के लिए।
उत्तर:
(ख) पिता की ज़िम्मेदारियों का भार उठाने के लिए
व्याख्या : आनंदा के पिता को पढ़ाई-लिखाई की जगह खेती-बाड़ी उपयोगी लगती थी। खेती के काम में सहयोग न करने पर लेखक के पिता क्रोधित होते इस कारण न चाहते हुए भी उसे पिता की सहायता के लिए निराई-गुड़ाई, भैंस चराने तथा फसलों की रक्षा करने जैसे कार्य करने पड़ते थे।
(x) ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए कि मास्टर सौंदलगेकरजी का आनंदा पर क्या प्रभाव पड़ा?
(क) वह पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं लेने लगा
(ख) वह खेतों के काम में रुचि नहीं लेने लगा
(ग) वह स्कूल जाने में रुचि लेने लगा
(घ) वह कविता लेखन-पठन में रुचि लेने लगा।
उत्तर:
(घ) वह कविता लेखन-पठन में रुचि लेने लगा।
व्याख्या : मास्टर सौंदगलेकर जी से प्रभावित हो आनंदा गणित में रुचि लेने लगा, कविता में रुचि बढ़ गई, खेतों के काम में रुचि लेने लगा तथा अपने माता-पिता का आदर करने लगा था।
रखण्ड ‘ब’: वर्णनात्मक प्रश्न
7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 x 1 = 6)
(क) सर्कस
(ख) जीवन में हास्य-विनोद का स्थान
(ग) परहित सरिस धरम नहिं-भाई
(घ) काश ! मैं उड़ पाता
उत्तर:
रचनात्मक लेख-
(क) सर्कस
पहली बार मैंने आगरा शहर में जैमिनी सर्कस देखा। प्रवेश द्वार पर लगे हुए बड़े-बड़े पोस्टर मुझे आकर्षित कर रहे थे। आदमी को जानवर के इतने करीब मैं पहली बार देख रही थी (क्योंकि उन दिनों टी.वी., इंटरनेट आदि नहीं था) उत्सुकता के साथ डर भी लग रहा था। बार-बार लगता कहीं इधर-उधर से कोई जंगली जानवर आकर आक्रमण न कर दें। मैंने अपने पिताजी की अँगुली जोर से पकड़ ली थी। सर्कस के अंदर नीचे से ऊपर तक गोलाई से बनी सीढ़ियों पर बैठने की व्यवस्था थी।
धीरे-धीरे सर्कस के करतब शुरू हुए। अत्याधुनिक पोशाक में, छोटे-छोटे कपड़ों में सर्कस में काम करने वाली लड़कियों को देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा था और शर्म भी आ रही थी, पर वे बेझिझक ऊँचे-ऊँचे झूलों पर करतब दिखा रही थीं। हाथी, चीता, शेर सभी उनकी आज्ञा का पालन पालतू जानवरों की तरह कर रहे थे।
एक गोल घेरे में जिसे ‘मौत का कुआँ’ नाम दिया गया था, दो युवा नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की ओर बहुत तेज़ गति से मोटर साइकिल दौड़ा रहे थे। तभी अचानक बहुत ऊँचे झूले से जोकर नीचे की ओर गिरा, उसे गिरता हुआ देख मैं डरकर बहुत जोर से चिल्लाई, किन्तु उसे तो जाल ने सँभाल लिया और वह हँसता हुआ उठ खड़ा हुआ। आस-पास के लोग मेरी घबराहट देखकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और मैंने शरमाकर अपने पिताजी की गोद में मुँह छिपा लिया।
(ख) जीवन में हास्य-विनोद का स्थान
मनुष्य को प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्रमुख प्रवृत्तियों एवं मनोवृत्तियों में एक उल्लेखनीय मनोवृत्ति हास्य-विनोद की है। भीषण दुःख से बचने एवं अच्छे स्वास्थ्य का एक ही मंत्र है-हास्य। मनुष्य का जीवन संघर्षों की लंबी गाथा है, जिसमें तनाव एवं निराशा के क्षण बार-बार आते रहते हैं। यदि हास्य का आश्रय न लिया जाए, तो चिंता मनुष्य को चिता में तब्दील कर सकती है। विनोद की प्रवृत्ति मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक रूप से नई शक्ति एवं ऊर्जा से भरने का कार्य करती है।
गांधी जी ने कहा था कि “यदि मुझमें विनोद का भाव न होता, तो मैंने बहुत पहले ही आत्महत्या कर ली होती।” मनुष्य बहुत ही भाग्यशाली हैं, जिसे विधाता ने हास्य एवं विनोद की प्रवृत्ति का वरदान दिया है। वैयक्तिक जीवन की सफलता के अनेक रहस्यों में एक रहस्य हँसमुख व्यक्तित्व का होना भी है। व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन में भी हास्य-विनोद की बड़ी उपयोगिता है। हास्य-विनोद केवल उदासी ही दूर नहीं करता, बल्कि कटुता भुलाकर शत्रुओं को मित्र भी बनाता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन हमेशा अपनी मेज़ पर हास्य रस की कोई-न-कोई पुस्तक रखा करते थे और थकान की घड़ियों में उससे नई स्फूर्ति प्राप्त किया करते थे। इसके बावजूद इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि हास्य-विनोद इतना अमर्यादित न हो जाए कि दूसरों के चैन में खलल पड़े। दूसरों को तनाव देकर स्वयं तनाव से मुक्त होना, मनुष्यता नहीं है अतः हास्य-विनोद की सार्थकता तभी है, जब व्यक्ति स्वयं तनाव रहित होने के साथ-साथ दूसरों को भी तनाव मुक्त रखे। वास्तव में, हास्य-विनोद कितना भी प्रिय एवं वांछित क्यों न हो, उसके मूल्य या महत्त्व की.एक निर्धारित सीमा होनी चाहिए। हास्य-विनोद का सद्गुणों के साथ मिश्रण ही हमारा अभीष्ट होना चाहिए।
(ग) परहित सरिस धरम नहिं-भाई
संसार के सभी प्राणियों का जनक परमपिता परमेश्वर है, अतः सभी प्राणी हमारे भाई-बहिन हैं। उनके प्रति हमारे हृदय में बन्धुत्व की भावना होनी चाहिए अतः उनके कल्याण की कामना निरन्तर करनी चाहिए। भगवान ने मनुष्य को श्रेष्ठ बनाकर भेजा है, अतः उसका कर्तव्य है कि सभी प्राणियों के कल्याण का मार्ग अपनाए। परोपकार से सबसे बड़ा लाभ तो आत्म-सन्तुष्टि होती है जिसके द्वारा हमारी आत्मा को परम सुख का अनुभव होता है। किसी डूबते हुए को बचा लेना, अग्नि से घिरे को सुरक्षित कर लाना, भूखे को भोजन, नंगे को वस्त्र, आदि देकर जो सुख का अनुभव होता है वह अलौकिक है। आत्मा ‘स्व’ और ‘पर’ के संकीर्ण दायरे से ऊपर उठकर व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करती है।
परोपकारी को परोक्ष लाभ की न तो कोई कामना होती है और न अपेक्षा ही होती है ऐसा परोपकारी विश्व-बन्धु तक हो जाता है। विश्व-बन्धुत्व की भावना का भी उद्गम है यही परोपकार की भावना। मनुष्य नि:स्वार्थ भावना से अपने-पराए का भेद भूलकर आर्त प्राणी की सेवा का भाव संजोए परोपकार करता रहे यही उसका जीवन लक्ष्य होना चाहिए जिससे उसे, उसकी आत्मा को यहाँ इस लोक में और वहाँ परलोक में परम सुख और चिर शान्ति मिलती रह सकती है। परोपकार ईश्वरीय कार्य है जिसे बिना यश-कामना अथवा उपकृत करने की भावना के करते रहना चाहिए। इसे ईश्वरीय कृपा ही समझें कि ईश्वर ने उसे पर-सेवा, पर-उपकार के अवसर दिए हैं जिसे वह किसी भी कीमत पर न खोए। परोपकार करके मिथ्याभिमान का शिकार कभी न बनें।
(घ) काश ! मैं उड़ पाता
हर किसी इंसान की तरह मेरी भी एक सोच है कि काश! मैं उड़ पाती। मैं उड़ना चाहती हूँ। सच में हमेशा मेरा मन करता है कि उड़कर कहीं दूर निकल जाऊँ, आकाश की ऊँचाइयों को छू लें, बादलों के बीच जाकर देखें कि क्या है इनमें जो ये उड़ते-फिरते हैं। यह हवा कहाँ से आती है? और जिस भगवान की सब बात करते हैं उसका घर भी तो कहते हैं न कि ऊपर ही कहीं है, मैं उस भगवान से भी मिलकर आती। हाँ, जानती हूँ कि इस बारे में विज्ञान अपने सिद्धांत देगा मगर मुझे सिद्धांत नहीं चाहिए। मुझे तो खुद इन्हें महसूस करना है, उड़ना है बहुत दूर तक।
काश! कोई मुझे पंख दे दे ताकि मैं इन सब अहसासों को महसूस कर सकूँ। महसूस कर सकूँ जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल। अगर मैं उड़ पाती तो मैं फुर-फुर उड़कर कभी एक पेड़ की डाली पर बैठती और कभी दूसरी पर चिड़ियों की तरह और जब कभी मेरा मन उदास होता तो एक लंबी उड़ान पर निकल जाती। हवा के साथ बहती और आकाश में दूर दिखते चाँद के पास तक जाती। कोई भी मुझे रोक नहीं पाता। पंछी ही मेरे सबसे अच्छे मित्र होते जिनके साथ मैं दिनभर रहती, अपने सुख-दुःख कहती और उनके सुनती। काश! कि मैं उड़ पाती।
होती सीमाहीन क्षितिज से, इन पंखों की होड़ा-होड़ी
या तो क्षितिज मिलन बन जाता, या तनती साँसों की डोरी।
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) कहानी और नाटक में क्या-क्या असमानताएँ होती हैं?
उत्तर:
कहानी और नाटक में निम्नलिखित असमानताएँ हैं-
कहानी | नाटक |
(i) कहानी एक ऐसी गद्य विधा है जिसमें जीवन के किसी अंक विशेष का मनोरंजन पूर्ण चित्रण किया जाता है। | (i) नाटक एक ऐसी गद्य विधा है, जिसका मंच पर अभिनय किया जाता है। |
(ii) कहानी का सम्बन्ध लेखक और पाठकों से होता है। | (ii) नाटक का सम्बन्ध लेखक, निर्देशक, दर्शक तथा श्रोताओं से होता है। |
(iii) कहानी कही या पढ़ी जा सकती है। | (iii) नाटक का मंच पर अभिनय किया जाता है। |
(iv) कहानी का आरम्भ, मध्य और अंत के आधार पर जाता है। | (iv) नाटक को दृश्यों के आधार पर विभाजित किया बाँटा जाता है। |
(v) कहानी में मंच सज्जा, संगीत तथा प्रकाश का महत्त्व नहीं होता है। | (v) नाटक में मंच सज्जा, संगीत तथा प्रकाश व्यवस्था का विशेष महत्त्व होता है। |
(ख) रेडियो नाटक की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का विशेष महत्त्व होता है। रेडियो नाटक की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- रेडियो नाटक में पात्रों से सम्बन्धित सभी जानकारियाँ संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ संवादों के द्वारा ही उजागर की जाती हैं।
- रेडियो नाटक का पूरा कथानक संवादों पर आधारित होता है।
- इसमें ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुँचाया जाता है।
- संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
- संवादों के द्वारा ही श्रोताओं को सन्देश दिया जाता है।
(ग) इम्तिहान के दिन विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
इम्तिहान के नाम से बड़े-बड़े भी काँपने लगते हैं। इम्तिहान छोटों का हो या बड़ों का, पर यह डराता सभी को है। पिछले वर्ष जब 10वीं की बोर्ड परीक्षा हमें देनी थी तब सारा वर्ष स्कूल में हमें बोर्ड परीक्षा के नाम से डराया गया और घर पर भी धमकाया जाता था। मन-ही-मन हम भी इसके नाम से डरने लगे थे कि पता नहीं इस बार इम्तिहान के दिन में क्या होगा। पूरे वर्ष अच्छे से पढ़ाई की, बार-बार टेस्ट दिए पर फिर भी यह पता नहीं कि इम्तिहान में क्या होगा। पूरे वर्ष अच्छे से पढ़ाई, बार-बार टेस्ट दिए पर इम्तिहान के नाम से फिर भी डर लगता था।
जिस दिन इम्तिहान था, उससे पहली रात मुझे बिल्कुल नींद नहीं आई। पहला पेपर हिन्दी का था और इस विषय पर मेरी अच्छी तैयारी थी पर इम्तिहान का भूत इस तरह सिर पर सवार था कि नीचे उतरने का नाम ही नहीं लेता था। सुबह स्कूल जाने को तैयार हुआ। स्कूल बस में सवार हुआ तो देखा जो साथी हर रोज़ हो-हल्ला करते थे, आज उनके हाथों में पुस्तकें हैं और नज़रें पुस्तक पर, जिससे मैं अधिक डरने लगा। मैंने भी मन-ही-मन अपने पाठों को दोहराना चाहा पर ऐसा लग रहा था कि मुझे तो कुछ याद ही नहीं। सब कुछ भूलता-सा प्रतीत हो रहा था।
मैंने भी जल्दी से अपनी पुस्तक खोली तो मुझे राहत महसूस हुई। मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया कि मुझे यह सब याद था। खैर, स्कूल पहुंचे, अपनी जगह पर बैठे। प्रश्न-पत्र मिला, आसान लगा और ठीक समय पर पूरा कर भी लिया। जब बाहर निकले तो सभी प्रसन्न थे पर साथ ही चिन्ता थी अगले पेपर की। पन्द्रह दिन में सभी पेपर हो गए पर ये सारे दिन बहुत व्यस्तता के साथ बीते थे। इन दिनों न तो भूख लगती थी और न ही खेलने की इच्छा होती थी। सच में, इम्तिहान के दिन बहुत तनाव भरे होते हैं।
9. निम्नलिखित तीन में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) ‘विशेष लेखन’ का आशय समझाइए।
उत्तर:
- समाचारों के अलावा खेल, अर्थ, व्यापार, सिनेमा या मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों और विषयों से संबंधित लेखन
- किसी विषय पर सामान्य से हटकर लेखन
व्याख्यात्मक हल : सामान्य लेखन से हटकर किसी विषय विशेष पर किया गया लेखन विशेष लेखन कहलाता है। पत्रकारिता की भाषा में इसे ‘बीट लेखन’ कहा जाता है। उदाहरण के लिए खेल, फिल्म, विज्ञान, व्यापार आदि लोगों से संबंधित विशेष लेख विशेष लेखन के अंतर्गत आते हैं।
(ख) संचार माध्यमों में साक्षात्कार /इंटरव्यू के मुख्य उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
साक्षात्कार द्वारा पत्रकारीय लेखन हेतु सामग्री उपलब्ध होती है। फीचर, विशेष रिपोर्ट या फिर कई अन्य पत्रकारीय कार्यों के लिए कच्चा माल इकट्ठा होता है। लोगों से कई तथ्यों का व उनकी राय का भी पता चलता है।
(ग) मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- लिखित भाषा
- विस्तार व स्थायित्व
- संदर्भ के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
- बार-बार पढ़ सकते हैं।
- अपनी रुचि के अनुसार पढ़ सकते हैं।
- धीरे-धीरे व सोच-विचार से पढ़ सकते हैं।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा’ बड़ा-बड़ा दिखाने का क्या कारण है?
उत्तर:
शारीरिक रूप से अपाहिज व्यक्ति के मनोभाव, उसके दुःख, उसकी आँसू से भरी आँखें स्पष्ट रूप से बड़ा-बड़ा करके दिखाने की वजह यह है ताकि दर्शक उसके दुःख से दुःखी हों और उनमें अपाहिज के प्रति सहानुभूति व करुणा जाग्रत हो; जिससे दर्शकों की आँखों में भी आँसू आ जाएँ। इस तरह दोनों के रोने पर उसका कार्यक्रम सफल हो जाता है।
(ख) ‘बात सीधी थी पर’ कविता में कवि क्या कहता है? अथवा कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘बात सीधी थी पर’ कुँवर नारायण जी की कविता है। कविता में कथ्य और माध्यम के द्वंद्व उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है। बात के लिए कछ खास शब्द नियत होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। अब तक जिन शब्दों को हम एक-दूसरे के पर्याय के रूप में जानते रहे हैं उन सबके भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी कविता का बनना सही बात का सही अर्थ शब्द से जुड़ना होता है और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव की ज़रूरत नहीं होती है।
(ग) ‘सबसे तेज़ बौछारे गईं, भादो गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है-उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर:
‘पतंग’ कविता में कवि आलोक धन्वा ने बच्चों की बात सुलभ इच्छाओं और उमंगों का प्रकृति के साथ उनका रागात्मक संबन्धों का अत्यन्त सुन्दर चित्रण करते हुए यह अभिव्यक्त किया है कि भादों मास गुज़र जाने के बाद घनघोर बारिश समाप्त हो जाती है। शरद ऋतु का आगमन होता है। खरगोश की लाल आँखों जैसी चमकीली धूप निकल आती है, इसके कारण चारों ओर उज्ज्वल चमक बिखर जाती हैं, आकाश साफ़ और मुलायम हो जाता है। शरद ऋतु के आगमन से चारों ओर उत्साह एवं उमंग का वातावरण है।
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) तुलसीदास के अनुसार पेट की आग का शमन कौन कर सकता है ?
उत्तर:
तुलसीदास के अनुसार ईश्वर-भक्ति, प्रभु-कृपा और संतोष-भावना से ही भूख शांत हो सकती है। ईश्वर भक्ति को वे एक मेघ के समान मानते हैं। इस प्रकार ईश्वर-भक्ति रूपी मेघ ही पेट की आग का शमन कर सकता है। ईश्वर भक्ति में पुरूषार्थ की भी महत्ता है। भूख शांत करने के लिए दोनों की आवश्यकता है।
(ख) ‘बादल राग’ कविता में कवि निराला की किस क्रांतिकारी विचारधारा का पता चलता है?
उत्तर:
इस कविता में कवि की क्रांतिकारी विचारधारा का ज्ञान होता है। वह समाज में व्याप्त पूँजीवाद का घोर विरोध करता हुआ दलित-शोषित वर्ग के कल्याण की कामना करता हुआ, उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाना चाहता है। कवि ने बादलों की गर्जना, बिजली की कड़क को जनक्रांति का रूप बताया है।
(ग) ‘उषा’ कविता का विषय क्या है ? कवि ने अपनी बात किस शिल्प द्वारा कही है ?
उत्तर:
‘उषा’ कविता का विषय भोर के आकाश के पल-पल बदलते प्राकृतिक सौन्दर्य का चित्रण करना है। कवि ने प्रातः के इन दृश्यों को पाठकों तक पहुँचाने के लिए प्रतीकात्मक वर्णन शैली द्वारा आकाश के कुछ घरेलू बिंब प्रस्तुत किए हैं।
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) डॉ. आम्बेडकर की कल्पना के आदर्श समाज की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
डॉ. आंबेडकर की कल्पना का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता अर्थात् भाईचारे पर आधारित है। उनके अनुसार ऐसे समाज में सभी के लिए एक जैसा मापदंड तथा उसकी रुचि के अनुसार कार्यों की उपलब्धता होनी चाहिए। सभी व्यक्तियों को समान अवसर व समान व्यवहार उपलब्ध होना चाहिए। उनके आदर्श समाज में जातीय भेदभाव का तो नामोनिशान ही नहीं है। इस समाज में करनी पर बल दिया गया है कथनी पर नहीं।
(ख) मेंढक-मंडली से लेखक का क्या तात्पर्य है? वह उन पर पानी डालने को क्यों व्यर्थ मानता था?
उत्तर:
(i) उछल-कूद, शोर-शराबा करती, कीचड़ में लोटती, गंगा मैया का जयकारा लगाती दस-बारह से लेकर सोलह -अट्ठारह वर्ष, साँवला नग्न शरीर, इंद्र देवता से वर्षा हेतु प्रार्थना करते बालक ग्रामीण अशिक्षित बालकों की टोली।
(ii) सूखे की समस्या, चारों ओर पानी की कमी, ऐसे में मेंढक मंडली पर पानी डालना पानी का अपव्यय करना।
व्याख्यात्मक हल : गाँव में घूम-घूम कर पानी की माँग करने वाली दस-बारह से लेकर सोलह-अठारह वर्ष की बच्चों की बंदर सेना को लेखक मेढक-मंडली कहता है। लेखक का सोचना था कि जब चारों ओर पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची। तब लोग घर में इतनी कठिनाई से एकत्रित किए गए पानी को भर-भरकर इन बच्चों पर क्यों फेंकते हैं? यह तो पानी की बरबादी है और अंध-विश्वास को बढ़ावा देना है। ऐसा करने से कभी बारिश नहीं होती। यह केवल अंधविश्वास है।
(ग) पहलवान लुटट्न सिंह को राजा साहब की कृपा-दृष्टि कब प्राप्त हुई? वह उन सुविधाओं से वंचित कैसे हो गया? “पहलवान की ढोलक” के आधार पर गाँव की दयनीय स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
“पहलवान की ढोलक” के आधार पर ग्रामीणों की गरीबी और असहायता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
लुट्टन सिंह का गाँव किसी अमीर गाँव की श्रेणी में नहीं आता था, क्योंकि यहाँ सभी लोग पुराने और बाँस और फूस की झोंपड़ियों में रहते थे। किसी भी गाँववासी के पास पक्का घर नहीं था। सभी मिल-जुलकर खेत में काम करते थे या इधर-उधर मजदूरी करके अपना जीवन-यापन किया करते थे।
इसका सबसे अच्छा प्रमाण इस बात से मिलता है कि वे सब मिलकर राजदरबार के तीन पहलवानों को दैनिक भोजन भी नहीं दे पाए। गाँव में फैली हुई बीमारी के कारण (हैजा और मलेरिया के कारण) प्रत्येक घर में मौत नाच रही थी। ऐसे में दिन भर की राख की ठंडी मिट्टी पर बैठे हुए कुत्ते शाम होते ही किसी आशंका के चलते एकत्रित होकर रोने लगते थे और गाँव की यह स्थिति अत्यन्त भयावह रूप लेकर डराने लगती थी, जो कि क्रंदन से भी अधिक भयावह मालूम पड़ती थी।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के सन्दर्भ में महात्मा गाँधी का स्मरण क्यों किया है? साम्य निरूपित कीजिए।
उत्तर:
शिरीष भयंकर गर्मी व लू में भी सरस व फूलदार बना रहता है। गांधी जी अपने चारों ओर छाए अग्निकांड और खून-खच्चर के बीच स्नेही, अहिंसक व उदार थे। दोनों ही एक-समान कठिनाइयों में जीने वाले सरस व्यक्ति हैं।
(ख) भक्तिन के सेवक धर्म की तुलना लेखिका ने किससे की है? क्यों ?
उत्तर:
भक्तिन के सेवक धर्म की तुलना लेखिका ने अंजनी पुत्र वीर हनुमान जी से की है क्योंकि भक्तिन में भी हनुमान के समान स्वामी भक्ति का गुण बहुत प्रबल था। वह हनुमान जी की ही तरह अपनी मालकिन की सेवा तन-मन व पूर्ण निष्ठा से करती है। उसमें, उनकी तरह ही पूर्ण समर्पण का भाव है।
(ग) लेखक के एक मित्र बाज़ार से खाली हाथ क्यों लौट आए ?
उत्तर:
लेखक के मित्र बाज़ार जाकर यह निर्णय नहीं ले पाए कि क्या खरीदें और क्या नहीं, इसी ऊहापोह में वे बिना कुछ खरीदे वहाँ से लौट आए। वे बाज़ार की सब चीजें खरीदना चाहते थे। वे कुछ भी छोड़ना नहीं चाहते थे। जब यह पता न हो कि क्या खरीदना आवश्यक है, तब तक बाज़ार आपको अधिक आकर्षित करता रहता है।