CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 6 with Solutions

Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 6 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 6 with Solutions

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)

एक युवा अपनी जोश और ताक़त से पूरी तरह ओत-प्रोत होता है। युवा पीढ़ी किसी भी समाज और देश की रीढ़ की हड्डी होती है। किसी भी देश के युवा ही उस देश का भविष्य तय करते हैं। इसकी बानगी हम स्वाधीनता संग्राम में देख चुके हैं। युवाओं की सबसे बड़ी खासियत है कि वह फौलादी जिगर, दृढ़ इच्छा शक्ति, जोखिम लेने की क्षमता और कुछ नया करने की ललक रखते हैं। जब युवाओं की बात हो तो भला स्वामी विवेकानंद को कौन भूल सकता है, जो आज भी दुनिया के लाखों युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि युवा ही राष्ट्र की वास्तविक शक्ति है। युवाओं को अवसर दिए बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता है। आज भारत को हम सबसे बड़ा युवा देश कह सकते हैं, वह इसलिए नहीं कि देश अभी-अभी आज़ाद हुआ है बल्कि इसलिए क्योंकि इस समय भारत में युवा वर्ग की जनसंख्या पूरे विश्व के देशों से अधिक है। युवा की विशेषता यही है कि उसके काम में तेज़ी, फुर्ती और एक नया जोश है, उसमें ऊर्जा की भरमार है। पर हाँ, यह नहीं कि युवाओं से बड़े, जिन्हें हम बुजुर्ग कह सकते हैं, उनकी ज़रूरत नहीं है, ऐसा कहना उचित नहीं है। बुजुर्ग भी देश के विकास के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितने युवा। इन दोनों के ताल-मेल से बड़े-से-बड़े कार्य को जल्द से जल्द और एक बेहतर तरीके से कर सकते हैं। बड़े बुजुर्ग अपने अनुभव और युवा अपनी ऊर्जा का उपयोग कर देश को नई उपलब्धि दिला सकते हैं। पर देश का दुर्भाग्य ही समझो कि युवा और बुजुर्गों के ताल-मेल में कमी आ रही है। हमारी संस्कृति जिसमें इन युवाओं को अपने बुजुर्गों से सीखना चाहिए वे उनसे दूर होते जा रहे हैं। आज का आधुनिकीकरण दोनों वर्गो में जैसे दीवार बन गया हो।

(i) भारत को ‘युवा भारत क्यों कहा जाता है?
(क) स्वतंत्रता प्राप्ति को अभी बहुत समय न होने के कारण।
(ख) भारत की जनसंख्या विश्व में बहुत अधिक होने के कारण।
(ग) भारत में युवाओं की संख्या अधिक होने के कारण।
(घ) देश के विकास में युवाओं की सहभागिता अधिक होने के कारण।
उत्तर:
(ग) भारत में युवाओं की संख्या अधिक होने के कारण।

व्याख्या : युवा ही राष्ट्र की वास्तविक शक्ति है और पूरे विश्व में मात्र भारत में ही युवा वर्ग की जनसंख्या अधिक होने के कारण भारत को युवा-भारत कहा जाता है।

(ii) युवा पीढ़ी को किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी क्यों कहा गया है?
(क) उसे दृढ़ता प्रदान करने की शक्ति के कारण।
(ख) उसका भविष्य निर्माता होने के कारण।
(ग) उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करने के कारण।
(घ) जोश और ताक़त से ओत-प्रोत होने के कारण।
उत्तर:
(ख) उसका भविष्य निर्माता होने के कारण।

व्याख्या : देश का बड़ा वर्ग होने के कारण देश का आने वाला कल भी युवा ही तय करता है। इस कारण भविष्य निर्माता युवा पीढ़ी को रीढ़ की हड्डी’ की उपमा दी गई है।

(iii) ‘युवाओं को अवसर देने से स्वामी विवेकानंदजी का क्या अभिप्राय था?
(क) देश की राजनीति में भागीदारी।
(ख) देश के विकास में भागीदारी।
(ग) देश की रक्षा में भागीदारी।
(घ) देश की योजनाओं में भागीदारी।
उत्तर:
(ख) देश के विकास में भागीदारी।

व्याख्या : स्वामी जी के अनुसार युवा वह है जो दृढ़ इच्छा शक्ति, जोखिम लेने की क्षमता और कुछ नया करने की ललक रखता है। युवाओं को अवसर देकर परिवर्तन का एक सुनहरा कल देखा जा सकता है, युवाओं की शक्ति एवं सामर्थ्य देश के विकास में भागीदार हैं।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(iv) देश के विकास के लिए युवाओं और बुजुर्गों के बीच तालमेल क्यों ज़रूरी है?
(क) युवाओं का जोश और बुजुर्गों का संयम देश को नई उपलब्धि दिलवा सकता है।
(ख) युवाओं की ऊर्जा और बुजुर्गों का अनुभव देश को नई उपलब्धि दिलवा सकता है।
(ग) युवाओं की गति और बुजुर्गों का प्रबंधन देश को नई उपलब्धि दिलवा सकता है।
(घ) युवाओं की फुर्ती और बुजुर्गों का धैर्य देश को नई उपलब्धि दिलवा सकता है।
उत्तर:
(ख) युवाओं की ऊर्जा और बुजुर्गों का अनुभव देश को नई उपलब्धि दिलवा सकता है।

(v) युवाओं और बुजुर्गों के बीच बढ़ती खाई का कारण है-
(क) तकनीक का विकास।
(ख) व्यस्त जीवन-शैली।
(ग) पाश्चात्य संस्कृति।
(घ) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
(घ) आधुनिकीकरण।

व्याख्या : अंधानुकरण एवं चकाचौंध वाली इस दुनिया ने युवाओं को जहाँ आसमान छूने के ख्वाब दिखाए, वहीं बुजुर्गों को ज़मीन से जोड़ रखा है। तकनीकी रूप से कमज़ोर बुजुर्ग वर्ग एवं अंधानुकरण की दौड़ में दौड़ते युवा वर्ग के बीच एक दूरी बन जाना ही उनके बीच की खाई है।

(vi) विवेकानंदजी की दृष्टि में युवाओं के लिए शर्म की बात क्या है?
(क) बड़े बुजुर्गों की उपेक्षा।
(ख) युवा पीढ़ी की संवेदनहीनता।
(ग) वृद्धाश्रमों का बनना बनाना।
(घ) युवाओं का गैर जिम्मेदार रवैया।
उत्तर:
(ग) वृद्धाश्रमों का बनना बनाना।

व्याख्या : स्वामी जी की परिभाषा में समर्थ शक्तिशाली और उत्साह से सरोबर व्यक्ति युवा है किन्तु वही युवा जब संवेदनहीन होकर बुजुर्गों को घर से बाहर कर वृद्धाश्रम में रहने की व्यवस्था करने लगे तो यह शर्म की बात है।

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) देश की राजनीति बूढ़ी हो गई है।
(II) लोगों की अपेक्षाएँ अधूरी रह गई हैं।
(III) देश के युवाओं से राजनीति में प्रवेश का आग्रह करने का मुख्य उद्देश्य देश की रक्षा करना है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और II
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) केवल I
उत्तर:
(ग) केवल III

व्याख्या-देश की रक्षा के लिए नहीं वरन् ज़िम्मेदार नागरिक बनकर भ्रष्टाचार को लगाम लगाने के लिए युवाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए।

(viii) ‘कमल तोड़ना है तो कीचड़ में उतरना ही होगा’ का आशय है
(क) गंदगी को दूर करना है तो गंदगी में जाना ही होगा।
(ख) कमल को पाना है तो गंदगी में पाँव रखना ही होगा।
(ग) कुछ अच्छा पाने के लिए गंदगी में पैर रखना ही पड़ता है।
(घ) देश में बदलाव लाने के लिए राजनीति का हिस्सा बनना पड़ता है।
उत्तर:
(घ) देश में बदलाव लाने के लिए राजनीति का हिस्सा बनना पड़ता है।

(ix) एक स्वस्थ समाज की संरचना के लिए आवश्यक है
(क) अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाना ।
(ख) ईमानदारी से अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना।
(ग) युवाओं और बुजुर्गों की सहभागिता।
(घ) आधुनिक तकनीक का प्रयोग।
उत्तर:
(ख) ईमानदारी से अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना।

व्याख्या : स्वस्थ समाज की संरचना के लिए आवश्यक है कि एक स्वस्थ एवं ज़िम्मेदार नागरिक का निर्माण किया जाए। ईमानदारी से इस ज़िम्मेदारी को पूरा कर स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।

(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक युवा पीढ़ी और देश का भविष्य है।
कारण (R): क्योंकि युवा पीढ़ी केवल सत्य पर ही चलती है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।

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2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)

माँ मेरे अकेलेपन के बारे में सोच रही है
पानी गिर नही रहा पर, गिर सकता है किसी भी समय
मुझे बाहर जाना है और माँ चुप है कि मुझे बाहर जाना है
यह तय है
कि मैं बाहर जाऊँगा तो माँ को भूल जाऊँगा
जैसे मैं भूल जाऊँगा उसकी कटोरी
उसका गिलास
वह सफ़ेद साड़ी जिसमें काली किनारी है
मैं एकदम भूल जाऊँगा
जिसे इस समूची दुनिया में माँ
और सिर्फ मेरी माँ पहनती है
उसके बाद सर्दियाँ आ जाएँगी
और मैंने देखा है कि सर्दियाँ जब भी आती हैं
तो माँ थोड़ा और झुक जाती है
अपनी परछाई की तरफ़
ऊन के बारे में उसके विचार
बहुत सख्त हैं
मृत्यु के बारे में बेहद कोमल
पक्षियों के बारे में
वह कभी कुछ नहीं कहती
हालाँकि नींद में
वह खुद एक पक्षी की तरह लगती है
जब वह बहुत ज्यादा थक जाती है
तो उठा लेती है सुई और तागा
मैंने देखा है कि जब सब सो जाते हैं
तो सुई चलाने वाले उसके हाथ
देर रात तक
समय को धीरे-धीरे सिलते हैं
जैसे वह मेरा फटा हुआ कुर्ता हो
पिछले साठ बरसों से
एक सुई और धागे के बीच
दबी हुई है माँ
हालाँकि वह खुद एक करघा है
जिस पर साठ बरस बुने गये हैं
धीरे-धीरे तह पर तह
खूब मोटे और गझिन और खुरदरे
साठ बरस

(i) प्रस्तुत कविता का मूल भाव है
(क) प्रगति के लिए रिश्तों में आए बिखराव की पीड़ा।
(ख) सुविधा के लिए रिश्तों में आए बिखराव की पीड़ा।
(ग) आधुनिक जीवन की विवशता।
(घ) अपनों से बिछुड़ने की विवशता।
उत्तर:
(घ) अपनों से बिछुड़ने की विवशता।

व्याख्या : आगे बढ़ने और जीवन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए व्यक्ति चाहे-अनचाहे अपनों से दूर जाने के लिए विवश हो ही जाता है, जिसे हम अपने घर अथवा नज़दीकी रिश्तों में देख सकते हैं।

(ii) माँ की चुप्पी के कारण के विषय में कौन-सा कथन असत्य है?
(क) बेटे का अजनबी प्रदेश में जाना।
(ख) अजनबी प्रदेश में बेटे का अकेलापन ।
(ग) बेटे का उससे बिछड़कर दूर जाना।
(घ) अपने अकेलेपन की चिंता।
उत्तर:
(घ) अपने अकेलेपन की चिंता।

व्याख्या : माँ वास्तव में अपने अकेलेपन की चिन्ता नहीं कर रही है वरन् अपने बच्चे के बाहर जाने एवं उसके अकेले रहने की चिन्ता कर रही है।

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(iii) ‘पानी गिरा नहीं पर गिर सकता है किसी भी समय’ का आशय है
(क) किसी भी समय वर्षा हो सकती है।
(ख) माँ की आँखों से कभी भी आँसू गिर सकते हैं।
(ग) माँ के सब्र का बाँध कभी भी टूट सकता है।
(घ) माँ की हिम्मत कभी भी जबाव दे सकती है।
उत्तर:
(ख) माँ की आँखों से कभी भी आँसू गिर सकते हैं।

व्याख्या : माँ कदाचित जानती है कि बच्चे को बाहर जाना ही होगा किन्तु उसका मातृत्व आँखों में अश्रुओं के बहाने बहने को तत्पर है।

(iv) कवि की चिन्ता का प्रमुख कारण है-
(क) बढ़ती उम्र में माँ का एकाकीपन ।
(ख) बढ़ती उम्र में माँ का स्वास्थ्य ।
(ग) शहरी परिवेश में माँ को भूल जाना।
(घ) शहरी परिवेश से जुड़ी चीजें भूल जाना।
उत्तर:
(ग) शहरी परिवेश में माँ को भूल जाना।

व्याख्या : भागदौड़ की इस दुनिया में जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करते-करते व्यक्ति अपने कार्यों में इतना व्यस्त हो जाता है कि अपनों को भी भूल जाता है यही चिन्ता लेखक के माँ को भूल जाने की भी थी।

(v) माँ सुई और तागे से क्या सिलने का प्रयास कर रही है?
(क) बेटे के फटे कुर्ते को।
(ख) समय की गति को।
(ग) रिश्तों को।
(घ) गरीबी को।
उत्तर:
(ख) समय की गति को।

व्याख्या : माँ भाग रहे समय की गति को सिलने का प्रयास कर रही है।

अथवा

जो नहीं हो सके पूर्ण – काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम !
कुछ कुंठित और कुछ लक्ष्य – भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त-तूणीर हुए
– उनको प्रणाम !

जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार
मन की मन में ही रही,
स्वयं हो गए उसी में निराकार
– उनको प्रणाम !

जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे
– उनको प्रणाम !

कृत-कृत्य नहीं जो हो पाए
प्रत्युत फाँसी पर गए झूल
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल
– उनको प्रणाम !

(i) उनको प्रणाम ! समाज किन लोगों को भुला चुका है ?
(क) देश की स्वतंत्रता के लिए
(ख) समाज की भलाई के लिए प्राणों को दाँव पर लगाने वालों को।
(ग) समाज में खूब धन कमाने वालों को।
(घ) वीर, प्रतापी राजाओं को। माता-पिता का आदर-सम्मान करने वालों को।
उत्तर:
(क) देश की स्वतंत्रता के लिए

(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) नौका से सागर पार करना, गलत प्रयासों की सीख देती है।
(II) नौका से सागर पार करना, बड़ी नाव लेने का संदेश देती है।
(III) नौका नई खोज और बड़े परिवर्तन करने की कोशिश करती है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल III
(ग) I और II
(घ) केवल II
उत्तर:
(ख) केवल III

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(iii) ‘हिम समाधि’ से अभिप्राय है
(क) बर्फ पर बैठ कर तपस्या करना।
(ख) बर्फ में जम जाना।
(ग) अपनी जान गँवाना।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) अपनी जान गँवाना।

(iv) कवि ने यहाँ किन लोगों को प्रणाम किया है ?
(क) सफल लोगों को।
(ख) निराशा से भरे लोगों को।
(ग) असफ़ल परंतु कर्मशील लोगों को।
(घ) दीन-हीन गरीब लोगों को।
उत्तर:
(ग) असफ़ल परंतु कर्मशील लोगों को।

व्याख्या : कवि कर्मशील लोगों को प्रणाम करता है जो नई खोजों तथा बड़े परिवर्तन का साहस भरते हैं, चाहे वह कर्म को पूरे करने में असफ़ल ही क्यों न हों।

(v) ‘रह-रह, नव-नव’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) मानवीकरण।
(ख) अतिशयोक्ति।
(ग) पुनरुक्ति प्रकाश।
(घ) रूपक।
उत्तर:
(ग) पुनरुक्ति प्रकाश।

व्याख्या : रह-रह, नव-नव में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है अर्थात् जहाँ किसी शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो, वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए-

(i) किसी भी माध्यमों के लेखन के लिए किसे ध्यान में रखना होता है?
(क) माध्यमों को
(ख) लेखक को
(ग) जनता को
(घ) बाज़ार को।
उत्तर:
(ग) जनता को

(ii) समाचार संगठन में काम करने वाले नियमित वेतनभोगी पत्रकार को क्या कहते हैं?
(क) फ्री लांसर
(ख) पूर्णकालिक
(ग) अंशकालिक
(घ) स्तम्भ लेखन
उत्तर:
(ख) पूर्णकालिक

(iii) संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता तक सन्देश पहुँचाने का ज़रिया कौन-सा है?
(क) समाचार-पत्र
(ख) रेडियो
(ग) टेलीविज़न
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

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(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) साइवर पत्रिका (i) वेब पत्रिका
(ii) वेतन भोगी पत्रकार (ii) पूर्णकालिक
(iii) मुद्रित माध्यम (iii) किताब
(iv) अंश कालिक (iv) कुछ समय के लिए

(क) (i), (ii), (iii), (iv)
(ख) (iv), (i), (ii), (iii)
(ग) (iv), (iii), (ii), (i)
(घ) (iii), (iv), (i), (ii)
उत्तर:
(क) (i), (ii), (iii), (iv)

(v) सरकार के कामकाज पर निगाह रख उसकी गड़बड़ियों का पर्दाफाश करना क्या कहलाता है ?
(क) एंकर बाइट
(ख) फ्रीलांसर
(ग) वॉचडॉग
(घ) बीट
उत्तर:
(ग) वॉचडॉग

व्याख्या : जब मीडिया सरकार के कामकाज पर निगाह रख कर होने वाली गड़बड़ी का पर्दाफाश कर जनता के समक्ष लाती है तो ऐसी पत्रकारिता को वाचडॉग पत्रकारिता कहते हैं।

4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)

मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ,
मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ;
है यह अपूर्ण संसार न मुझको भाता
मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूँ!
मैं जला हृदय में अग्नि, दहा करता हूँ,
सुख-दुःख दोनों में मग्न रहा करता हूँ;
जग भव-सागर तरने को नाव बनाए
मैं भव मौज़ों पर मस्त बहा करता हूँ!

(i) ‘निज उर के उद्गार’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) कवि के अपने हृदय के भाव
(ख) अपने रिश्तेदारों के हृदय के भाव
(ग) अपने पड़ोसियों के हृदय के भाव
(घ) अपने बच्चों के हृदय के भाव
उत्तर:
(क) कवि के अपने हृदय के भाव

व्याख्या : कवि इस संसार को पसंद नहीं करता। वह इस अपूर्ण संसार के भावों के प्रति उपेक्षा का भाव रखता है और स्वयं के हृदय के भावों के साथ संसार में विचरण करता है।

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(ii) कवि कैसा संसार लिए फिरता है?
(क) यथार्थ का
(ख) सपनों का
(ग) भौतिकता का
(घ) आदर्श का
उत्तर:
(ख) सपनों का

व्याख्या-कवि सपनों का संसार लिए फिरता है, जिसमें संसार के लिए मंगल की भावना रहती है। वह संसार की विषमताओं के बीच भी मस्ती भरा स्वप्निल जीवन जी रहा है। वह सुख व दुःख दोनों में ही प्रसन्न रहता है।

(iii) कवि दुःखों के संसार रूपी समुद्र में किस प्रकार मस्त बहा करता है?
(क) दुःख में ज़्यादा दुःखी होकर
(ख) दूसरों के सुख से दुःखी होकर
(ग) दु:खों की पीड़ा को हृदय में दबाकर व सांसारिक सुख-दुःख की परवाह न करके
(घ) स्वार्थी बनकर, अपने सुखों को प्राप्त करके
उत्तर:
(ग) दु:खों की पीड़ा को हृदय में दबाकर व सांसारिक सुख-दुःख की परवाह न करके

व्याख्या : कवि अपने जीवन के दु:खों की पीड़ा को अपने हृदय में ही दबाकर रखता है। वह सुख में न ज़्यादा सुखी होता है और न ही दुःख में ज़्यादा दुःखी होता है। इस प्रकार वह सांसारिक सुख-दुःख की परवाह न करते हुए अपने जीवन में मस्त रहता है।

(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) मौज़ों पर मस्त – अनुप्रास प्रकाश
(ख) भव-सागर तरने को – उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) अग्नि दाह करता हूँ – उपमा अलंकार
(घ) है यह अपूर्ण संसार – अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(क) मौज़ों पर मस्त – अनुप्रास प्रकाश

व्याख्या : कवि के हृदय में असंतोष व व्याकुलता की अग्नि जल रही है। वह अपने प्रिय से मिल नहीं पा रहा है इसका कारण यह संसार भी है। इसमें स्नेह व प्रेम के अभाव के कारण भी वह दुःखी व व्याकुल होता है।

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(v) कवि के अनुसार मनुष्य को संसार में किस प्रकार रहना चाहिए?
(क) लड़ाई-झगड़े करके
(ख) शान्तिपूर्वक
(ग) कष्टों को हँसते हुए सहकर
(घ) दूसरों पर दोषारोपण करके
उत्तर:
(ग) कष्टों को हँसते हुए सहकर

व्याख्या : मनुष्य को एक बात अवश्य समझ लेनी चाहिए कि संसार में कष्ट ज़्यादा हैं और सुख कम हैं। अतः कष्टों का सामना करते हुए उनको हँसकर सहते हुए ही मनुष्य को संसार में रहना चाहिए। उनसे घबराना नहीं चाहिए।

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)

जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुःख ही अधिक है। जब उसने गेहुँए रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्कार और कर डाले तब सास और जेठानियों ने ओंठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी था क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त हो चुकी थी और दोनों जेठानियाँ काकभुशुंडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थीं। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दंड मिलना आवश्यक हो गया। जेठानियाँ बैठकर लोक-चर्चा करतीं और उनके कलूटे लड़के धूल उड़ाते; वह मट्ठा फेरती, धान कूटती, पीसती, राँधती और उसकी नन्हीं लड़कियाँ गोबर उठाती, कंडे पाथती थीं।

(i) ‘जीवन’ के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुःख ही अधिक है।’ में जीवन के दूसरे परिच्छेद से अभिप्राय है-
(क) भक्तिन का बचपन
(ख) ससुराल में बच्चों को जन्म देना
(ग) पति की मृत्यु होना
(घ) लेखिका की सेविका बनना।
उत्तर:
(ख) ससुराल में बच्चों को जन्म देना

व्याख्या : जीवन के दूसरे परिच्छेद में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया था जबकि उसकी सास व जिठानी ने बेटों को पैदा किया था। इस कारण जेठानियाँ तो बैठकर लोकचर्चा ही करती रहतीं और लड़कियाँ पैदा करने के अपराध से भक्तिन व उसकी बेटियों को घर का सारा काम करना पड़ता था।

(ii) दूसरे परिच्छेद में दुःख का कारण था
(क) संतान न होना
(ख) तीन कन्याओं को जन्म देना
(ग) तीन लड़कों को जन्म देना
(घ) संतान का आज्ञाकारी न होना।
उत्तर:
(ख) तीन कन्याओं को जन्म देना

व्याख्या : भक्तिन ने तीन कन्याओं को जन्म दिया था लेकिन यह उसका अपराध था। पुरानी और दकियानूसी रूढ़ियों के कारण भक्तिन की सास व जेठानियों ने इस लीक से हटकर हुई बात के लिए उसे दंड देना शुरू कर दिया और उससे व उसकी मासूम बेटियों से घर के सभी काम कराए जाने लगे।

(iii) जेठानियों के पुत्रों को किसकी उपमा दी गई है?
(क) राजकुमारों की
(ख) आवारा व बदमाशों की
(ग) काकभुशुंडी की
(घ) रावण की।
उत्तर:
(ख) आवारा व बदमाशों की

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(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): भक्तिन की जेठानियों ने पुत्रों को जन्म दिया इसलिए उन्हें सम्मान प्राप्त हुआ।
कारण (R): भक्तिन की जेठानियाँ बड़े घर की बेटी हैं।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) कथन की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।

(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) लीक को छोड़कर चलने पर छोटी बहू को घर से निकाल दिया।
(II) लीक को छोड़कर चलने पर छोटी बहू से घर के सारे काम कराने का निर्णय लिया।
(III) लीक को छोड़कर चलने पर छोटी बहू से दहेज मँगाया।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) I और II
(ग) केवल III
(घ) केवल II
उत्तर:
(घ) केवल II

व्याख्या : भक्तिन ने बेटों की जगह तीन बेटियों को जन्म देकर लीक तोड़ी थी इसलिए दंड के रूप में उससे घर के सारे काम कराने का निर्णय लिया गया।

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए-

(i) यशोधर बाबू को स्वयं के लिए कौन-सा संबोधन पसंद था?
(क) कुँवर सा
(ख) लाडेसर
(ग) बाबू
(घ) भाऊ
उत्तर:
(घ) भाऊ

(ii) बुढ़ापे में गाँव के पुश्तैनी घर में रहने में क्या समस्या थी ?
(क) उस पर बहुत लोगों का हक था
(ख) वह घर टूटा-फूटा था
(ग) मरम्मत में काफ़ी पैसा खर्च करना पड़ता
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

व्याख्या : गाँव का पुश्तैनी घर बहुत टूटा-फूटा था। उसकी मरम्मत में काफ़ी पैसा भी खर्च करना पड़ता। साथ ही उस पर बहुत लोगों का हक भी था इसलिए बुढ़ापे में गाँव के पुश्तैनी घर में रहने में समस्या थी।

(iii) गीता की व्याख्या में जनार्दन शब्द सुनकर यशोधर बाबू को किसकी याद आ गई ?
(क) जीजा की
(ख) मित्र की
(ग) चाचा की
(घ) भाई की
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

व्याख्या : गीता की व्याख्या में जर्नादन शब्द सुनकर यशोधर बाबू को अपने जीजाजी जनार्दन जोशी की याद आ जाती है जो अहमदाबाद में रहते हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण वे उनसे मिलने जाना चाहते हैं।

(iv) सौंदलगेकर किस विषय का अध्यापक था ?
(क) हिन्दी
(ख) अंग्रेजी
(ग) मराठी
(घ) बंगाली
उत्तर:
(ग) मराठी

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(v) माँ ने लेखक के पिता की तुलना किससे की ?
(क) मरियल बैल से
(ख) आवारा साँड से
(ग) बूंखार शेर से
(घ) बरहेला सूअर से
उत्तर:
(घ) बरहेला सूअर से

(vi) जूझ कहानी से लेखक की किस प्रवृत्ति का उद्धारन हुआ है?
(क) पढ़ने की
(ख) कविता करने की
(ग) लेखन की
(घ) संघर्षमयी की
उत्तर:
(घ) संघर्षमयी की

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से मन लगाकर पढ़ने का वचन लिया।
(II) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से पुलिस बनने का वचन लिया।
(III) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से सुबह-शाम खेतों पर काम करने का वचन लिया।
(IV) दादा ने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से सेना में भर्ती होने का वचन लिया।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल IV
(ग) केवल III
(घ) I और III
उत्तर:
(ग) केवल III

व्याख्या : दादा दत्ता जी की बात टाल नहीं सके और लेखक को स्कूल भेजने को राजी हो गए परन्तु उन्होंने पाठशाला भेजने के बदले लेखक से यह वचन लिया लिया कि वह सुबह-शाम खेतों पर जाकर काम करेगा।

(viii) सिंधु सभ्यता की तस्वीरें ‘उतारते समय’ दृश्यों के रंग उड़े हुए क्यों प्रतीत होते हैं?
(क) धूल उड़ने के कारण
(ख) चौंधियाती धूप के कारण
(ग) खेतों के हरेपन के कारण
(घ) पारदर्शी धूप के कारण
उत्तर:
(ख) चौंधियाती धूप के कारण

व्याख्या : सिंधु-सभ्यता की धूप पारदर्शी न होकर चौंधियाती हुई होने के कारण तस्वीर लेने के लिए कैमरे को घुमाकर लेना पड़ता है नहीं तो, तेज़ धूप से तस्वीर के रंग उड़े हुए आते हैं।

(ix) गढ़ के मुकाबले छोटे टीलों पर बनी बस्तियों को क्या कहा जाता है ?
(क) छोटा टीला
(ख) नीचा नगर
(ग) टीला नगर
(घ) खुदा नगर
उत्तर:
(ख) नीचा नगर

व्याख्या : छोटे टीले पर बस्तियाँ बनी होने के कारण इन्हें ‘नीचा नगर’ कहकर पुकारा जाता है। खुदाई-प्रक्रिया में टीलों का आकार काफी घट गया है और कहीं-कहीं वे ज़मीन से जा लगे हैं।

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(x) सिंधु-सभ्यता साधन संपन्न होने पर भी उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे?
(क) वहाँ भव्य राजप्रासाद नहीं मिले हैं और न ही मंदिर
(ख) वहाँ राजाओं, महंतों की समाधियाँ नहीं मिली हैं
(ग) वहाँ के मूर्तिशिल्प और औज़ार छोटे हैं
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

व्याख्या : मुअनजो-दड़ो को उसके साधनों और व्यवस्थाओं को देखते हुए सबसे समृद्ध माना है लेकिन वहाँ भव्य राजाप्रासाद, मंदिर या फिर राजाओं, महंतों की समाधियाँ नहीं मिलती हैं इसलिए वहाँ भव्यता का आडम्बर नहीं था।

रखण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)

(क) मंच पर प्रस्तुति
(ख) हिंदी साहित्य की उपेक्षा
(ग) विज्ञापनों का जीवन पर प्रभाव
(घ) मेक इन इंडिया
उत्तर:
(क) मंच पर प्रस्तुति

मैं उस समय 10 वर्ष की थी। दूसरों को मंच से बोलते हुए सुनती तो रोमांचित हो उठती, लेकिन स्वयं कभी मंच पर जाकर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं होती थी। एक दिन मैंने बहुत हिम्मत करके अपने मन की बात अपनी कक्षा अध्यापिका से कही, उन्होंने तुरंत कार्यक्रम प्रतिभागियों की लिस्ट में मेरा नाम लिख लिया।

मेरी भाषा और उच्चारण दोनों ही स्पष्ट और प्रभावशाली होने के कारण, 26 जनवरी से कुछ दिनों पूर्व मुझे कक्षाध्यापिका ने बुलाया और 26 जनवरी का महत्त्व बताते हुए 10 मिनट का एक वक्तव्य तैयार करने को कहा। मैंने बड़ी मेहनत से एक सारगर्भित वक्तव्य तैयार कर उन्हें दिखाया और रोज़ उसे पढ़-पढ़कर बोलने का अभ्यास करने लगी।

26 जनवरी वाले दिन साफ़-सुथरे प्रेस किए हुए कपड़े, पॉलिश किए हुए जूते, नए मोजे, दो लाल रिबन लगाकर बनाई गई सुन्दर चोटियों के साथ तैयार होकर बड़े ही उत्साह से मैं स्कूल पहुँची। उस दिन स्कूल का भवन बहुत ही सुन्दर दिख रहा था। तीन रंगों की झंडियों से पूरा स्कूल सजाया गया था। झंडा-रोहण तथा प्रार्थना के पश्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारम्भ हुए। कुछ प्रस्तुतियों के बाद मेरा नाम भी पुकारा गया। मेरा हृदय धक-धक कर रहा था। मैं धीरे-धीरे मंच पर आई।

मैंने देखा सब लोग मुझे ही देख रहे थे और मेरे बोलने की प्रतीक्षा कर रहे थे, पर वहाँ पर मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा था। मेरे हाथ-पैर काँपने लगे। मैंने कुछ बोलने का प्रयास किया किन्तु जबान लड़खड़ा गई। मैंने घबराकर अपनी कक्षाध्यापिका की ओर देखा, उन्होंने मुस्कुराकर मेरा हौसला बढ़ाने का प्रयास किया फिर भी मैं सामान्य न हो सकी तो वे मंच पर आईं और मुझसे धीरे से कहा-‘किसी को मत देखो सामने लगी हुई भारत-माता की तस्वीर को देखो और बोलना शुरू करो, तुम बहुत अच्छा बोलती हो, तुम्हें सब याद है। शाबाश।

उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से मेरे लिए जोरदार तालियाँ बजाने का आग्रह किया। अब तक मैं सँभल चुकी थी। हाथ में दबा हुआ वक्तव्य का कागज़ चुपचाप एक निगाह देख चुकी थी। उसके बाद मैंने विश्वासपूर्वक एक निगाह वक्तव्य पर डाली और पूरा रटा-रटाया वक्तव्य बिना साँस लिए बोलती चली गई। वक्तव्य समाप्त होने पर सबने खूब तालियाँ बजाई। मंच से उतरते ही मेरी कक्षा अध्यापिका ने अच्छी प्रस्तुति के लिए मुझे बधाई दी। उस कार्यक्रम में मेरे उच्चारण और भाषा कौशल के लिए मुझे मुख्य अतिथि के द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। वह दिन मेरे लिए जीवन का यादगार दिन बन गया और हमेशा के लिए मंच पर प्रस्तुति देने की मेरी झिझक दूर हो गई।

(ख) हिंदी साहित्य की उपेक्षा

किसी देश की भाषा जिसका प्रयोग उस देश के लगभग सभी राज्यों, क्षेत्रों, नगरों और गाँव के लोगों के द्वारा किया जाता है वह मातृभाषा कहलाती है। इसे भारतीय संविधान में भारत की आधिकारिक राजभाषा का स्थान प्राप्त है। स्वतंत्रता के पश्चात् इस भाषा के साहित्यिक पक्ष की लोग उपेक्षा कर रहे हैं। वर्तमान समय में भी इसके साहित्य के प्रति लोगों का रुझान घटता जा रहा है। लोग हिन्दी साहित्य को छोड़कर विदेशी साहित्य व मनोरजंन के प्रधान साधन सिनेमा की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

हिन्दी की दुर्दशा एवं उपेक्षा आहत करने वाली है। इस दुर्दशा के लिए हिन्दी वालों का जितना हाथ है, उतना किसी अन्य का नहीं। अंग्रेजों के राज में यानी दो सौ साल में अंग्रेज़ी उतनी नहीं बढ़ी जितनी पिछले सात दशकों में बढ़ी है। इस त्रासद स्थिति में पड़ताल के लिए हिन्दी वालों को अपना अंतस खंगालना होगा चुनाव के माहौल में यह एक बड़ा मुद्दा बनना चाहिए। पैसा, तथाकथित आधुनिकता, समृद्धि एवं राजनीतिक मानसिकता इसके कारण प्रतीत होते हैं तो भी इसकी सूक्ष्मता में जाने की ज़रूरत है।

इसकी उपेक्षा के मूल कारण हैं-हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार में कमी, दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों में इससे संबंधित कार्यक्रमों का अभाव व विद्यालयों में हिन्दी पर कम ध्यान दिया जाना। यदि यही स्थिति रही तो एक दिन हिन्दी साहित्य अपना अस्तित्व खो देगा। इसके अस्तित्व को बचाने व लोगों में इसके प्रति रुचि बढ़ाने के लिए इसके प्रचार-प्रसार पर अधिक बल देना होगा। दूरदर्शन के कार्यक्रमों में इससे सम्बन्धित कार्यक्रमों को स्थान देना होगा। काव्य गोष्ठियों का आयोजन करना होगा। तभी हिन्दी साहित्य को पुनः अपना स्थान प्राप्त होगा। यह खुशी की बात है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने शासनकाल में हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयास किए हैं, न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी उनके प्रयासों से हिन्दी का गौरव बढ़ा है।

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(ग) विज्ञापनों का जीवन पर प्रभाव

आज का युग विज्ञापनों का युग है। रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ आदि इसके मुख्य साधन हैं। विज्ञापन का उद्देश्य है-प्रचार-प्रसार द्वारा प्रचारकर्ता और आम जनता के बीच सम्पर्क स्थापित करना। सामान्य रूप से व्यापारी या उत्पादक उपभोक्ता अपना माल बेचने के लिए विज्ञापनों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार विज्ञापन उत्पाकद और उपभोक्ता के बीच सेतु का कार्य करते हैं। ये एक ओर उत्पादकों का माल जनता तक पहुँचाते हैं, दूसरी ओर जनता को नई-नई जानकारियाँ देकर नए उत्पादों से परिचित कराते हैं, उन्हें शिक्षित कर रहे हैं।

विज्ञापन विविध प्रकार के होते हैं-व्यापारिक, शैक्षिक, प्रवेश और नियुक्ति सम्बन्धी, जन-जागरण सम्बन्धी, धार्मिक, मनोरंजन सम्बन्धी आदि। ये विज्ञापन हमारे मन को निश्चित रूप से प्रभावित करते हैं। आज कोई भी ग्राहक सामान खरीदते समय केवल प्रसिद्ध ब्राण्डों पर ही नज़र दौड़ाता है। नमक हो या साबुन, पंखे हों या फ्रिज-सबके चुनाव में विज्ञापन हमें प्रेरित करते हैं। ऐसे में विज्ञापनों का यह दायित्व बनता है कि वे ग्राहकों को लुभावने दृश्य दिखाकर गुमराह न करें, बल्कि उन्हें अपने उत्पाद के गुणों से परिचित कराएँ। तभी उचित माल, उचित ग्राहक तक पहुँचेगा और विज्ञापन अपने लक्ष्य में सफल होगा।

(घ) मेक इन इंडिया

‘मेक इन इंडिया’ भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित एक कार्यक्रम है जिसमें भारत में अपने उत्पादों का निर्माण करने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों और घरेलू कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। दरअसल, इसका मतलब है कि अच्छी और ज़रूरत की चीजों का निर्माण ज़्यादा से ज़्यादा भारत में होगा। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री चाहते हैं कि दैनिक ज़रूरत की चीजों के पैकेटों पर ‘मेड इन इंडिया’ लिखा हो।

यह शब्द वस्तु पर तभी अंकित किया जा सकता है जब वस्तु का निर्माण भारत में हुआ हो। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि देश में बनी वस्तु की कीमत कम होगी। उसका निर्यात करके भी राजकीय खजाने को भरा जा सकता है। यह पायलट प्रोजेक्ट होगा। इस स्कीम के लिए ₹ 930 करोड़ का प्रावधान किया गया है। सरकार योजना के लिए ₹ 581 करोड़ देगी। पूरी योजना में लगभग ₹ 20,000 करोड़ खर्चा आ सकता है। इस कार्यक्रम का आरंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितम्बर, 2014 को किया था।

इस आयोजन का लक्ष्य भारत में रोजगार और कौशल क्षमता को बढ़ाना है। अर्थव्यवस्था की दृष्टि से यह कार्यक्रम 25 क्षेत्रों में लागू किया गया है जिनमें से कुछ हैं-ऑटोमोबाइल, रसायन, आईटी, फार्मा, वस्त्र, बंदरगाह, विमानन, चमड़ा, पर्यटन और आतिथ्य, कल्याण, रेलवे, डिजाइन, विनिर्माण, अक्षय ऊर्जा, खनन, जैव प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स।

ये कार्यक्रम रचनात्मक पहल है जो भारत के उज्ज्वल औद्योगिक भविष्य के लिए नींव की ईंट साबित होगी।

8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) कहानी के नाटकीय परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कहानी को नाटक में रूपान्तरित करते समय अनेक महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जो इस प्रकार हैं
(i) कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके।
(ii) कहानी में घटित घटनाओं के आधार पर दृश्यों का निर्माण करके।
(iii) कथावस्तु से सम्बन्धित वातावरण की व्यवस्था करके।
(iv) ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्था करके।
(v) कथावस्तु के अनुरूप मंच सज्जा और संगीत का निर्माण करके।
(vi) पात्रों एवं संवादों को अभिनय के अनुरूप स्वरूप प्रदान करके।

(ख) रेडियो नाटक की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का विशेष महत्त्व होता है। रेडियो नाटक की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) रेडियो नाटक में पात्रों से सम्बन्धित सभी जानकारियाँ संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
(ii) पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ संवादों के द्वारा ही उजागर की जाती हैं।
(iii) रेडियो नाटक का पूरा कथानक संवादों पर आधारित होता है।
(iv) इसमें ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुँचाया जाता है।
(v) संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
(vi) संवादों के द्वारा ही श्रोताओं को सन्देश दिया जाता है।

(ग) हर सूचना समाचार नहीं होती, ऐसा क्यों?
उत्तर:
हर सूचना समाचार इसलिए नहीं होती, क्योंकि समाचार किसी भी ऐसी ताज़ा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट होती है, जिसमें अधिक-से-अधिक लोगों की रुचि होती है और इसका प्रभाव भी अधिक-से-अधिक लोगों पर पड़ता है। समाचारों में तथ्यों की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, इन तथ्यों को बिना तोड़े-मरोड़े प्रस्तुत किया जाता है।

9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)

(क) पत्रकारिता, समाचार और संपादकीय में अन्तर बताइए।
उत्तर:
पत्रकारिता-ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचना, जिनमें अधिक-से-अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक-से-अधिक लोगों को प्रभावित करती हो, पत्रकारिता कहलाता है। समाचार-समाचार किसी भी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसका लोगों पर प्रभाव पढ़ता है। संपादकीय-संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को जिसे संबंधित समाचार-पत्र की राय भी कहा जाता है। संपादकीय कहते हैं।

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(ख) विशेष रिपोर्ट पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में प्रायः विशेष रिपोर्ट दिखाई देती है, जो गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या का परिणाम होता है। इन्हें किसी विशेष समस्या, मुद्दे या घटना की छानबीन के बाद लिखा जाता है। यह लेखन-कार्य तथ्यों पर पूर्णतः आधारित होता है। खोजी रिपोर्ट, विश्लेषणात्मक रिपोर्ट और विवरणात्मक रिपोर्ट में विशेष तथ्यों को सामने लाया जाता है, जो पहले उपलब्ध नहीं थे। विशेष रिपोर्ट के लेखन में निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दिया जाता है, जो इस प्रकार है-

  • विशेष प्रकार का लेखन कार्य उल्टा पिरामिड शैली में किया जाता है।
  • कभी-कभी रिपोर्ट को फीचर-शैली में भी लिखा जाता है।
  • बहुत विस्तृत रिपोर्ट में उल्टा पिरामिड और फ़ीचर शैली को कभी-कभी आपस में मिला लिया जाता है।
  • कई बार लम्बी रिपोर्ट को श्रृंखलाबद्ध करके कई दिन छापा जाता है।
  • रिपोर्ट की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की होती है।

(ग) आप अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर कौन-से छ: समाचार शीर्षक/सुर्खियाँ (हेडलाइन) देखना चाहेंगे? उन्हें लिखिए।
उत्तर:

  • राजनीति-देश के नेता भ्रष्टाचार से बहुत दूर।
  • समाज कल्याण-पूँजीपतियों ने ज़िम्मा उठाया अनाथ बच्चों के पालन-पोषण का।
  • मानवीयता-आतंकवादी ने मौत के मुँह से बचाया एक बच्चे को।
  • खेलकूद-भारत विश्व क्रिकेट कप के फाइनल में।
  • समाज की समस्याएँ-देश में बेरोज़गारी की समस्या समाप्त।
  • पर्यावरण-स्वच्छ होता वातावरण, दूर होता प्रदूषण।

10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) कविता ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।’ का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
हरिवंश राय बच्चन ने इस गीत के माध्यम से दैनिक परिवर्तन के संदर्भ में प्राणियों के मनोभावों को व्यक्त करने का काव्यात्मक प्रयास किया है। किसी प्रिय से मिलने की आतुरता ही हमारे कदमों में तीव्रता लाती है और हमें गतिशील रखती है। लक्ष्य प्राप्ति हेतु तीव्रता से क्रियाशील रखती है। इस कविता में कवि ने प्रेम की व्याग्रता और जल्दी जाने की चाह को व्यक्त किया है। जहाँ एक ओर पथिक अपने प्रियजनों से मिलने के लिए जल्दी-जल्दी चलता है, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों के विषय में सोचकर पक्षियों के पंखों में फड़फड़ाहट भर जाती है।

(ख) ‘कविता के बहाने’ के आधार पर कविता के असीमित अस्तित्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता के बहाने’ कविता में कवि ने कविता की कल्पना की उड़ान को सीमाहीन, बन्धनहीन बताया है, परन्तु चिड़िया की उड़ान सीमा के भीतर है जबकि कविता की उड़ान कल्पना के पंख लगाकर कहीं से कहीं पहुँच जाती है। चिड़िया तो एक घर से दूसरे घर, बाहर से भीतर या भीतर से बाहर ही उड़ान की सीमा में बँधी रहती है लेकिन कवि के मन में उत्पन्न होने वाले भावों की कोई सीमा नहीं होती है। भावों के पंख तो असीम दूरी तथा अनंत ऊँचाई तक उड़ान भर सकते हैं। कविता के द्वारा पंख लगाने का अर्थ किसी भी सीमा में न बँधना है। भला चिड़िया क्या जाने कविता की उड़ान में कितनी व्यापकता है।

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(ग) ‘उषा’ कविता के आधार पर उस जादू को स्पष्ट कीजिए जो सूर्योदय के साथ टूट जाता है।
उत्तर:
उषा का जादू यह है कि उषा .. में अनेक रहस्यपूर्ण विचित्र स्थितियाँ प्रकट होती हैं। कभी पुती स्लेट, कभी गीला चौका, कभी शंख के समान आकाश, तो कभी नीले जल में झिलमिलाती देह का प्रतिबिंब-ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय होते ही आकाश साफ़ हो जाता है और उषा का जादू समाप्त हो जाता है।

11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)

(क) जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का सम्बन्ध कैसे बन सकता है?
उत्तर:
कवि कहता है कि बच्चे बिल्कुल कपास की भाँति ही होते हैं; जैसे कपास अपने छोटे रूप में कोमल और गूदेदार होता है, उसी प्रकार बच्चे भी कोमल स्वभाव के होते हैं। जब बच्चे पतंग को आसमान में पहुँचाने के लिए हवा में कूदते हैं तो पतंग के साथ-साथ खुद भी उड़ने का प्रयास करने लगते हैं। ऐसा प्रतीता होता है कि मानो बच्चे नहीं बल्कि कपास का टुकड़ा हवा में उड़ने का प्रयास कर रहा हो।

(ख) दूरदर्शन वाले किस अवसर की तलाश में रहते हैं ?
उत्तर:
दूरदर्शन वाले इस मौके की तलाश में रहते हैं कि उनके सवालों के सामने बैठा अपाहिज रो पड़े ताकि उनका कार्यक्रम रोचक बन सके। वह अपाहिज से इतने प्रश्न पूछते हैं कि वे अपाहिज उन प्रश्नों का उत्तर बिल्कुल भी नहीं दे पाते और वह चुप हो जाते हैं और जब वह चुप हो जाते हैं तभी यह मीडिया प्रवक्ता अपने कैमरामैन को निर्देश देते हुए कहते हैं कि इन विकलांगों की तस्वीर को हमारे स्क्रीन पर बहुत बड़ा-बड़ा करके दिखाओ और ऐसा करके वह उन लोगों का अपमान करते हैं, उनको ज़िल्लत देते हैं, उनका मजाक उड़ाते हैं।

(ग) ‘बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक-भवन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक-भवन इसलिए कहा गया है क्योंकि इन भवनों में शोषण के नए-नए तरीके खोजे जाते हैं। ये ऊँचे-ऊँचे भवन शोषण से लूटी गई सम्पत्ति का केन्द्र होते हैं। ये सारी उम्र गरीबों, किसानों तथा मजदूरों पर अत्याचार करते हैं तथा उनका शोषण करते हैं अतः उसके लिए पूँजीपतियों के रहने के मकान नहीं हैं ये आतंक भवन हैं जिनसे सारे अत्याचारों तथा शोषण का जन्म होता है। कवि आगे कहता है कि लेकिन यह भी स्मरणीय है कि क्रांति का आगाज़ हमेशा गरीबों में ही होता है। ये लोग ही शोषण का सबसे बड़ा शिकार होते हैं। कवि ने इन्हें जल प्लावन की संज्ञा दी है। वह कहता है कि क्रांति रूपी बारिश का पानी जब एकत्र होकर बहता है तो वह कीचड़ से युक्त पृथ्वी को डुबो देने का सामर्थ्य रखता है। कवि ने पूँजीपतियों को कीचड़ की संज्ञा दी है, जिसे क्रांति रूपी जल-प्लावन डुबो देता है।

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12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) भक्तिन द्वारा अपना वास्तविक नाम छिपाने का क्या कारण था? उसे यह नाम किसने और क्यों दिया?
उत्तर:
भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। लक्ष्मी अपने नाम के अनुरूप संपन्न नहीं थी इसीलिए वह अपना नाम किसी को नहीं बताती, क्योंकि इस नाम का असर उसके जीवन में कहीं भी नहीं दिखाई देता। लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है और वह दीन-हीन व संपन्न थी अतः लोग उसके नाम का मज़ाक न बनाएँ, यह सोचकर वह सबसे अपना वास्तविक नाम छिपाती थी। उसे यह नाम उसके पिता ने दिया था, क्योंकि घर-परिवार में पुत्री के जन्म को लक्ष्मी का आगम (सूचक) माना जाता है।

(ख) भूमंडलीकरण के इस दौर में भगत जी जैसे लोग क्या प्रेरणा देते हैं? ‘बाज़ार दर्शन’ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भूमंडलीकरण के इस दौर में भगतजी जैसे लोग समाज के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में कार्य करते हैं। भगतजी ये प्रेरणा देते हैं कि बाज़ार के जादू से अप्रभावित रहें तथा व्यर्थ की प्रतिस्पर्धा में पड़कर अनावश्यक वस्तुओं की खरीददारी न करें। पर्चेजिंग पॉवर का प्रदर्शन करना छोड़ें। केवल वही चीजें खरीदें जो वास्तव में ज़रूरी हों और बाज़ार को सार्थकता प्रदान करें।

(ग) डॉ. आम्बेडकर की कल्पना के आदर्श समाज की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
डॉ. आंबेडकर की कल्पना का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता अर्थात् भाईचारे पर आधारित है। उनके अनुसार ऐसे समाज में सभी के लिए एक जैसा मापदंड तथा उसकी रुचि के अनुसार कार्यों की उपलब्धता होनी चाहिए। सभी व्यक्तियों को समान अवसर व समान व्यवहार उपलब्ध होना चाहिए। उनके आदर्श समाज में जातीय भेदभाव का तो नामोनिशान ही नहीं है। इस समाज में करनी पर बल दिया गया है कथनी पर नहीं।

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13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)

(क) बाज़ार का बाज़ारूपन क्या है ? पाठ के आधार पर समझाइए।
उत्तर:
बाज़ार में जहाँ भाईचारा या पड़ोसीपन न होकर केवल ग्राहकों और विक्रेता का संबंध शेष होता है तथा सद्भाव, आग्रह तथा व्यवहार में कपट भाव रहता है उसे बाज़ारूपन कहते हैं।

(ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के सन्दर्भ में महात्मा गांधी का स्मरण क्यों किया है? साम्य निरूपित कीजिए।
उत्तर:
शिरीष भयंकर गर्मी व लू में भी सरस व फूलदार बना रहता है। गांधी जी अपने चारों ओर छाए अग्निकांड और खून-खच्चर के बीच स्नेही, अहिंसक व उदार थे। दोनों ही एक-समान कठिनाइयों में जीने वाले सरस व्यक्ति हैं।

(ग) मनुष्य की कार्य-क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
मनुष्य का रंग-रूप, बनावट (कद-काठी), सामाजिक उत्तराधिकार और उसके प्रयास उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।