Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 7 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)

विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात शक्ल से अत्यन्त कुरूप थे। एक दिन एकांकी बैठे वह दर्पण हाथ में लिए अपना मुँह देख रहे थे, तभी उनका एक प्रिय शिष्य कमरे में आया और सुकरात को दर्पण में देखता पाकर बहुत आश्चर्यचकित हुआ। वह कुछ बोला नहीं, मात्र मुस्कुराने लगा। विद्वान् सुकरात ने शिष्य की मुस्कुराहट देखकर सब बात समझ ली। कुछ क्षणों के पश्चात् वे बोले, “मैं तुम्हारी मुस्कुराहट का कारण जान गया हूँ। संभवतः तुम यह सोच रहे हो कि मुझ जैसा असुंदर व्यक्ति आखिर शीशा क्यों देख रहा है?” शिष्य मौन रहा। उसकी चोरी पकड़ी गई थी। उसका सिर लज्जा से झुक गया। वह धरती की ओर देखता खड़ा रहा। सुकरात ने पुनः बोलना आरम्भ किया, “वत्स, शायद, तुम नहीं जानते कि मैं यह शीशा क्यों देखता हूँ।” “नहीं गुरु जी” शिष्य ने कहा। “मैं कुरूप हूँ, इसलिए प्रतिदिन शीशा देखता हूँ। शीशा देखकर मुझे अपनी कुरूपता का भान हो जाता है। मैं अपने रूप को जानता हूँ इसलिए मैं प्रतिदिन प्रयत्न करता हूँ कि ऐसे अच्छे काम करूँ जिनसे मेरी यह कुरूपता ढक जाए।” शिष्य को यह बड़ा शिक्षाप्रद लगा। किन्तु उसने स्वाभाविक शंका प्रकट की, “तब तो गुरु जी, सुंदर मनुष्यों को कदापि शीशा नहीं देखना चाहिए।” “ऐसी बात नहीं है।” सुकरात ने समझाते हुए कहा, “उन्हें भी शीशा अवश्य देखना चाहिए। इसलिए ताकि उन्हें स्मरण रहे कि वे जितने सुन्दर हैं, उतने ही सुंदर काम करें, अन्यथा बुरे काम उनकी सुंदरता को भी कुरूप बना देंगे। शिष्य को गुरु की बात का रहस्य मालूम हो गया। वह गुरु के सम्मुख श्रद्धा से नतमस्तक हो गया।

(i) गद्यांश में किसे शक्ल से कुरूप कहा है?
(क) अरस्तु
(ख) सुकरात
(ग) शिष्य
(घ) दर्पण
उत्तर:
(ख) सुकरात

(ii) शिष्य सुकरात को क्या करते देख मुस्कुराने लगा?
(क) हँसते देखकर
(ख) सोते देखकर
(ग) पढ़ते देखकर
(घ) दर्पण देखते हुए
उत्तर:
(घ) दर्पण देखते हुए

(iii) शिष्य के मौन रहने का कारण क्या था?
(क) चोरी पकड़े जाना
(ख) अहंकार
(ग) ईर्ष्या
(घ) प्रतिकार
उत्तर:
(क) चोरी पकड़े जाना

व्याख्या : सुकरात ने शिष्य को मुस्कुराते हुए देख लिया और अपने दर्पण देखने की बात पर प्रश्न किया कि यह सोच रहे हो न कि यह कुरूप व्यक्ति दर्पण क्यों देख रहा है? यह सुनकर शिष्य लज्जित हुआ और मौन खड़ा रहा।

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(iv) शिष्य की दृष्टि किस पर थी?
(क) आकाश पर
(ख) धरती पर
(ग) ब्रह्मांड पर
(घ) पाताल में
उत्तर:
(ख) धरती पर

(v) शिष्य को कौन-सी बात शिक्षाप्रद लगी?
(क) अच्छे काम करने की
(ख) शीशा देखने की
(ग) ताने देने की
(घ) डराने की
उत्तर:
(क) अच्छे काम करने की

(vi) शिष्य ने किस बात की शंका प्रकट की?
(क) कभी-कभी देखने की
(ख) मिलने की
(ग) जाने की
(घ) सुंदर व्यक्ति के दर्पण न देखने की
उत्तर:
(घ) सुंदर व्यक्ति के दर्पण न देखने की

व्याख्या : कुरूप होते हुए भी सुकरात के अच्छे कार्यों को कर अपनी कुरूपता को गौण बनाने की बात सुन शिष्य ने सुकरात के सम्मुख सुंदर व्यक्तियों के शीशा ना देखने की शंका प्रकट की।

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) सुन्दर व्यक्ति को अच्छे काम करने का स्मरण रखना चाहिए।
(II) सुन्दर व्यक्ति को अपनी सुन्दरता का ध्यान रखना चाहिए।
(III) सुन्दर व्यक्ति को बुराई का स्मरण रखना चाहिए।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल II
(ख) केवल I
(ग) I और II
(घ) केवल III
उत्तर:
(ख) केवल I

व्याख्या : सुंदर व्यक्ति को स्मरण रखना चाहिए कि वह जितने सुंदर दिखते हैं उतने ही सुंदर उनके कार्य भी होने चाहिए तभी उनकी सुंदरता का महत्त्व है।

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(viii) सुकरात की बात सुनकर शिष्य ने गुरु के प्रति क्या प्रकट किया?
(क) श्रद्धा
(ख) आभास
(ग) क्रोध
(घ) अहसान
उत्तर:
(क) श्रद्धा

व्याख्या : सुकरात द्वारा दर्पण देखने की बात का रहस्य जानकर शिष्य श्रद्धा से नतमस्तक हो गया।

(ix) मुस्कुराहट शब्द में प्रत्यय है
(क) हट
(ख) अट
(ग) आहट
(घ) राहत
उत्तर:
(ग) आहट

(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक सुकरात की शिक्षा है।
कारण (R): सुकरात की तुलना ईश्वर से की है।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
उत्तर:
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।

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2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)

क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-घन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।
मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुस्काता नव आशा के दीप लिए
फिर मुझकों क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान पतन
मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत् डगर मेरी संबल
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल
आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन।
मुझे डरा पाए कब अंधड़ ज्वालामुखियों के कम्पन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं अग्निशिखाओं के नर्तन,
मैं बढ़ता अविराम निरन्तर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।

(i) काव्यांश में आए प्रलयकारी मेघ, विद्युत, सागर के गर्जन आदि किसका प्रतीक हैं?
(क) जीवन में आने वाली बाधाओं का
(ख) ज़ोरदार वर्षा करने वाले मेघों का
(ग) सागर की गर्जना का
(घ) ज्वालामुखी का
उत्तर:
(क) जीवन में आने वाली बाधाओं का

व्याख्या : काव्यांश में आए प्रलयकारी मेघ, विद्युत, सागर के गर्जन आदि प्राकृतिक आपदाओं को जीवन में आने वाली बाधाओं का प्रतीक माना गया है।

(ii) कवि विपदाओं में भी क्या करता रहा?
(क) पछताता
(ख) डरता
(ग) शर्माता
(घ) मुस्काता
उत्तर:
(घ) मुस्काता

(iii) ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने चयन’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(क) काँटों के बदले फूलों को चुना
(ख) दु:ख के स्थान पर कभी सुख का चयन नहीं किया
(ग) मुसीबतों से भागना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) दु:ख के स्थान पर कभी सुख का चयन नहीं किया

व्याख्या : ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन’ पंक्ति का भाव यह है कि दु:ख के स्थान पर कवि ने कभी सुख का चयन नहीं किया। वह दुःख देखकर कभी हताश नहीं हुआ। विपत्तियों का सामना उसने धैर्यपूर्वक किया।

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(iv) कवि जीवन में निरंतर क्या लिए बढ़ता रहा?
(क) उन्माद
(ख) विराम
(ग) विश्राम
(घ) शान
उत्तर:
(क) उन्माद

(v) प्रस्तुत काव्य में कवि क्या प्रेरणा दे रहा है?
(क) आसान रास्तों का चयन कर भाग्य को अपनाना
(ख) भाग्य में जो लिखा है उसी के आधार पर जीवन व्यतीत करना
(ग) बाधाओं का सामना कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना
(घ) फूलों और काँटों को चुनना
उत्तर:
(ग) बाधाओं का सामना कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना

व्याख्या : प्रस्तुत काव्य में कवि प्रेरणा दे रहा है कि साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति जीवन में आने वाली बाधाओं से कभी भी निराश नहीं होते। वे बाधाओं का सामना करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।

अथवा

एक तेरी ही नहीं सुनसान राहें और भी हैं,
कल सुबह के इंतज़ार में निगाहें और भी हैं।
और भी हैं ओठ जिन पर वेदना मुस्कान बनती,
नींद तेरी ही न केवल स्वप्न की पहचान बनती।
पूजना पत्थर अकेले एक तुझको ही नहीं ………
‘वाह बनने के लिए मजबूर आहें और भी हैं।
तू अकेला ही नहीं है जो अकेला चल रहा है।
और तलुवों के तले भी यह धरातल जल रहा है।
और हैं साथी जिन्हें तूने न देखा न जाना
सामने है एक ही, लेकिन दिशाएँ और भी हैं।

(i) कवि किसे अपनी बात कह रहा है?
(क) प्रसिद्धि चाहने वालों से
(ख) पत्थर पूजने वालों से
(ग) अकेले चलने वालों से
(घ) दिशाओं से
उत्तर:
(ग) अकेले चलने वालों से

व्याख्या : कवि प्रसिद्धि चाहने वालों से अपनी बात कह रहा है।

(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) पत्थर पूजना से कवि का आशय पूजा करने से है।
(II) पत्थर पूजना से कवि का आशय चापलूसी करने से है।
(II) पत्थर पूजना में कवि का आशय फूल चढ़ाने से है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) I और II
उत्तर:
(ख) केवल II

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(iii) काव्यांश में ‘नींद’ का स्वप्न की पहचान बनना’ क्या दर्शाता है?
(क) सपने में नींद लेना
(ख) प्रसिद्ध होने के सपने देखना
(ग) अच्छे सपने देखना
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) प्रसिद्ध होने के सपने देखना

व्याख्या : स्वप्न की पहचान बनना से तात्पर्य प्रसिद्धि प्राप्ति के लिए सपने देखना है,

(iv) धरातल कहाँ जल रहा है?
(क) आकाश में
(ख) पाताल में
(ग) तलुवों के नीचे
(घ) गिरि पर
उत्तर:
(ग) तलुवों के नीचे

(v) काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(क) सपनों का संसार
(ख) नींद का महत्त्व
(ग) प्रसिद्धि की चाह
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) प्रसिद्धि की चाह

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

(i) समाचार लेखन में किस शैली का प्रयोग किया जाता है?
(क) सीधा पिरामिड शैली
(ख) उल्टा पिरामिड शैली
(ग) टेढ़ा पिरामिड
(घ) लिखित पिरामिड
उत्तर:
(ख) उल्टा पिरामिड शैली

(ii)शैली मीडिया की भाषा में ‘बीट’ किसे कहते हैं?
(क) टी.वी. और रेडियो चैनल में विशेष लेखन को
(ख) घटनाओं मुद्दों का विश्लेषण
(ग) संवाददाताओं के बीच उनके काम विभाजन व रुचि के क्षेत्र
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) संवाददाताओं के बीच उनके काम विभाजन व रुचि के क्षेत्र

व्याख्या : संवाददाताओं के बीच उनके काम विभाजन व उनकी रुचि को ध्यान में रखा जाता है। जिसे मीडिया की भाषा में बीट’ कहते हैं।

(iii) लेख लिखने की चुनौती सामने हो तो क्या फॉर्मूला होगा?
(क) चुनौती के दायरे में बंधा
(ख) साहित्य के नियमों से बंधा
(ग) चार फॉर्मूलों पर आधारित होता है
(घ) लेखन की रचनात्मकता स्वतंत्र होती है
उत्तर:
(घ) लेखन की रचनात्मकता स्वतंत्र होती है

व्याख्या : अचानक मिले किसी विषय पर उससे संबंधित सार्थक और सुसंगत विचार हमारे मन में आए, उन्हें व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।

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(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) पत्रकार के प्रकार (i) संपादक
(ii) समाचार संपादन करने वाला (ii) तीन
(iii) समाचार की आवाज़ (iii) उल्टा पिरामिड
(iv) समाचार लेखन की श्रेष्ठ शैली (iv) संपादकीय

(क) (i), (ii), (iii), (iv)
(ख) (ii), (i), (iv), (iii)
(ग) (iv), (iii), (ii), (i)
(घ) (iii), (i), (ii), (iv)
उत्तर:
(ख) (ii), (i), (iv), (iii)

(v) रेडियो क्षेत्र में जो मंच पर भी कामयाब हुए, वो नाटक है-
(क) अंधेर नगरी व महाभोज
(ख) अंधा युग व आषाढ़ का एक दिन
(ग) अंधा युग व आषाढ़ का एक दिन
(घ) कबीरा खड़ा बाज़ार में
उत्तर:
(ख) अंधा युग व आषाढ़ का एक दिन

व्याख्या : हिन्दी के कई नाटक जो बाद में मंच पर भी कामयाब रहे वो हैं-धर्मवीर भारती का ‘अंधा युग’ और मोहन राकेश का ‘आषाढ़ का एक दिन’ प्रमुख हैं।

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4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)

मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,
मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता,
जग जिस पृथ्वी पर जोड़ करता वैभव,
मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता !
मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ
हों जिस पर भूपों के प्रासाद निछावर
मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ।

(i) कवि और संसार के बीच क्या विरोधी स्थिति हैं?
(क) समानता की
(ख) दुश्मनी की
(ग) संग्रह वृति की
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) संग्रह वृति की

व्याख्या : कवि को सांसारिक आकर्षणों का मोह नहीं है। वह इन्हें ठुकराता है। इसके अलावा वह अपने अनुसार व्यवहार करता है, जबकि संसार में लोग अपार धन-संपत्ति एकत्रित करते हैं तथा सांसारिक नियमों के अनुरूप व्यवहार करते हैं।

(ii) ‘शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ’-से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) हाथ में मशाल लिए मुख से मधुर बोलना
(ख) मधुर वाणी के साथ आवाज़ में जोश बनाए रखना
(ग) समाज से विमुख होना
(घ) संसार के पीछे-पीछे चलना
उत्तर:
(ख) मधुर वाणी के साथ आवाज़ में जोश बनाए रखना

व्याख्या : ‘शीतल वाणी में’ आग लिए फिरता हूँ- से तात्पर्य यह है कि कवि अपनी शीतल व मधुर आवाज़ में भी जोश, आत्मविश्वास, साहस, दृढता जैसी भावनाएँ बनाए रखता है ताकि वह दूसरों को भी जाग्रत कर सके।

(iii) कवि के पास ऐसा क्या है जिस पर बड़े-बड़े राजा न्योछावर हो जाते है?
(क) आवेग
(ख) जोश
(ग) प्रेम
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) प्रेम

व्याख्या : कवि के पास प्रेम महल के खंडहर का अवशेष है। संसार के बड़े-बड़े राजा प्रेम के आवेग में राजगद्दी भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।

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(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) रोदन में राग – विरोधाभास
(ख) और जग और – वृत्यानुप्रास
(ग) पृथ्वी को ठुकराता – उत्प्रेक्षा
(घ) शीतल वाणी में – उपमा
उत्तर:
(क) रोदन में राग – विरोधाभास

व्याख्या : ‘रोदन में राग’ और ‘शीतल वाणी में आग’ में विरोधाभास अलंकार तथा ‘बना-बना’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

(v) निछावर शब्द का अर्थ है-
(क) न्योछावर
(ख) राजा का छत्र
(ग) बिछाना
(घ) कुर्बान
उत्तर:
(घ) कुर्बान

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)

सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी में भुन-भुन कर त्राहिमाम कर रहे होते, जेठ के दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता, पर क्षितिज पर कहीं बादल की रेखा भी नहीं दिखती होती, कुएँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को, मानो खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए वहाँ खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती, लू ऐसी कि चलते चलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर गिर पड़े। ढोर ढंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना। वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकली, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए।

(i) लोगों की परेशानी का क्या कारण था?
(क) अत्यधिक गर्मी
(ख) गली मुहल्लों का शोर
(ग) पूजा-पाठ का ढोंग
(घ) पानी की कमी
उत्तर:
(घ) पानी की कमी

व्याख्या : आषाढ़ के पंद्रह दिन बीत चुके होते थे तथा बादलों का नामोनिशान नहीं दिखाई देता था। कुओं का पानी सूख रहा होता था। नलों में पानी नहीं आता। यदि आता भी था तो वह बेहद गरम होता था इसी कारण लोगों को परेशानी होती थी।

(ii) गाँव में लोगों की क्या दशा होती थी?
(क) लू से लोग बेसुध होकर गिर जाते
(ख) बारिश का इंतज़ार करते रहते
(ग) इन्द्र की तपस्या में लीन रहते
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) पानी की कमी

(iii) गाँव वाले बारिश के लिए उपाय करते थे?
(क) इन्द्र देव से प्रार्थना
(ख) इन्द्र देवता की पूजा-अर्चना
(ग) कीचड़ में लथपथ हो वर्षा की गुहार
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) इन्द्र देव से प्रार्थना

व्याख्या : गाँव में बारिश न होने से हालत अधिक खराब होती थी। खेतों में जहाँ जुताई होनी चाहिए, वहाँ की मिट्टी सूखकर-पत्थर बन जाती थी, फिर उसमें पपड़ी पड़ जाती थी और ज़मीन फटने लगती थी। लू के कारण लोग चलते-चलते गिर जाते थे। पशु प्यास के कारण मरने लगे थे।

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(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-

कथन (A): इंदर सेना से तात्पर्य लोगों का झुंड है।
कारण (R): इंदर सेना स्वर्ग के लोग हैं।
(क) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं
उत्तर:
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।

व्याख्या : इंदर सेना उन किशोरों का झुंड होता था जो भगवान इंद्र से वर्षा माँगने के लिए गली-गली घूमकर लोगों से पानी माँगते थे। वे लोगों से मिले पानी में नहाते थे, उछलते-कूदते थे तथा कीचड़ में लथपथ होकर मेघों से पानी माँगते थे।

(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) पखवारा का अर्थ चार दिन का समय है।
(II) पखवारा का अर्थ सात दिन का समय है।
(III) पखवारा का अर्थ तीन दिन का समय है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल II
(ख) केवल III
(ग) I और II
(घ) II और III
उत्तर:
(क) केवल II

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

(i) सिल्वर वेडिंग किसके द्वारा रचित कहानी है?
(क) राजेंद्र प्रसाद
(ख) मनोहर श्याम जोशी
(ग) मुंशी प्रेमचंद
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(ख) मनोहर श्याम जोशी

(ii) सिल्वर वेडिंग रचना में किस के चरित्र का वर्णन किया गया है?
(क) यशोधर पंत का
(ख) मनोहर पंथ का
(ग) माखनलाल का
(घ) गिरधर प्रसाद का
उत्तर:
(क) यशोधर पंत का

(iii) यशोधर पंत सचिवालय में किस पद पर विराजमान है?
(क) सूचना अधिकारी के पद पर
(ख) सेक्शन ऑफिसर के पद पर
(ग) लिपिक के पद पर
(घ) ऑडिटर के पद पर
उत्तर:
(घ) ऑडिटर के पद पर

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(iv) किस उम्र के बच्चों के साथ बैठना आनंदा को बुरा लग रहा था?
(क) अपनी उम्र से छोटे
(ख) अपनी उम्र से बड़े
(ग) अपनी साथ की उम्र के
(घ) उपरोक्त सभी के साथ
उत्तर:
(क) अपनी उम्र से छोटे

(v) मास्टर जी के अनुसार कविता को सुंदर कौन-से तत्त्व बना देते हैं?
(क) भाषा
(ख) छंद
(ग) अलंकार
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी

(vi) ‘जूझ’ उपन्यास किस शैली में लिखा गया?
(क) आत्मकथात्मक शैली में
(ख) विचारात्मक शैली में
(ग) भावात्मक शैली में
(घ) व्यंग्यात्मक शैली में
उत्तर:
(क) आत्मकथात्मक शैली में

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) सिन्धु घाटी सभ्यता का केन्द्र राजस्थान है।
(II) सिन्धु घाटी सभ्यता का केन्द्र मुअनजो-दड़ो है।
(III) सिन्धु घाटी सभ्यता का केन्द्र महाराष्ट्र है।
(IV) सिन्धु घाटी सभ्यता का केन्द्र बंगाल है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) केवल IV
उत्तर:
(ख) केवल II

(viii) पाँच हजार साल पहले मुअनजो-दड़ो नगर की आबादी कितनी थी?
(क) अस्सी हज़ार
(ख) पचास हज़ार
(ग) पिचासी हज़ार
(घ) साठ हज़ार
उत्तर:
(ग) पिचासी हज़ार

(ix) मुअनजो-दड़ो शब्द का क्या अर्थ है?
(क) घास का टीला
(ख) मिट्टी का टीला
(ग) रेत का टीला
(घ) मुर्दो का टीला
उत्तर:
(घ) मुर्दो का टीला

व्याख्या : मुअनजो-दड़ो शब्द का अर्थ है-मुर्दो का टीला। सिन्धु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की नगरयोजना सबसे प्राचीन है। मुअनजो-दड़ो की खोज 1921 में राखाल दास बनर्जी ने की थी।

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(x) मुअनजो-दड़ो नगर की एक सड़क की चौड़ाई कितने फीट है?
(क) 11 फीट
(ख) 22 फीट
(ग) 33 फीट
(घ) 44 फीट
उत्तर:
(ग) 33 फीट

व्याख्या : सिन्दु सभ्यता नगरों में चौड़ी-चौड़ी सड़कें, पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर थीं। ये सड़कें एक दूसरे को प्रायः समकोण पर काटती थीं। इस प्रकार प्रत्येक नगर अनेक खण्डों (मुहल्लों) में बँट जाता था। एक सड़क 33 फीट चौड़ी थी।

रखण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)

(क) बचपन का हननः बाल मजदूरी
(ख) विश्व की शान-भारत
(ग) आज की आवश्यकता-संयुक्त परिवार
(घ) विज्ञान की अद्भुत खोज़ः मोबाइल फ़ोन
उत्तर:
(क) बचपन का हननः बाल मजदूरी

किसी छोटे बच्चे को मजदूरी करते हुए देखकर हम संवेदनशील हो उठते हैं, तुरंत ही हमारा मस्तिष्क कहता है इस छोटी-सी उम्र में इस नन्हें से बालक को यह कार्य नहीं करना चाहिए। यह उम्र इस बच्चे की पढ़ने और खेलने-कूदने की है। परिवार का या स्वयं का भरण-पोषण करने की नहीं, किंतु बाल मजदूरी एक ऐसा कड़वा सच है जिससे भारत ही नहीं पूरी दुनिया त्रस्त है। आज भी देश में लाखों बच्चे बाल-श्रम की चपेट में हैं। उन्हें बचपन में किताबें व खिलौने से खेलने के स्थान पर मजदूरी करनी पड़ रही है।

ऐसे बाल-श्रमिक घरों, कारखानों, होटलों, ढाबों, दुकानों पर मजदूरी करते देखे जा सकते हैं। इन बाल-श्रमिकों को सुबह से लेकर रात तक कठोर परिश्रम करना पड़ता है। कई प्रकार की डाँट-फटकार सहनी पड़ती है। विषम परिस्थितियों में काम करने से इनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन इन्हें विवश होकर ये सब सहना पड़ता है। भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखानों, दुकानों, रेस्तरां, होटल, कोयला खदान, पटाखे के कारखानों आदि जगहों पर कार्य करवाना बाल श्रम कहलाता है।

बालश्रम में बच्चों का शोषण भी शामिल होता है बाल-शोषण से आशय बच्चों से ऐसे कार्य करवाने से है जिसके लिए वे मानसिक रूप से तैयार न हों। भारतीय संविधान बच्चों को वे सभी अधिकार देता है जो कि आम नागरिक के होते हैं तो फिर क्यों वे बच्चे पढ़ना-लिखना, खेलना-कूदना छोड़कर मजदूरी करने को विवश हैं। जिन हाथों में कलम पकड़ना था वे क्यों ब्रश और पॉलिश पकड़े हुए हैं। जिन हाथों से वह अपना भविष्य सुदृढ़ बना सकता है उन हाथों से उसे जूता पॉलिश क्यों करना पड़ रहा है? उनकी नन्हीं आँखों में तैरते सपनों को तोड़ने का ज़िम्मेदार कौन है? हमें यह समझना होगा क्योंकि बच्चे देश का भविष्य हैं और देश के भविष्य को सँवारने, सँभालने की ज़िम्मेदारी भी संपूर्ण देश की है जिसमें सरकार ही नहीं आम नागरिक भी शामिल हैं।

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(ख) विश्व की शान-भारत

सौभाग्य से दुनिया के जिस भू-भाग पर मुझे जन्म लेने का अवसर मिला दुनिया उसे भारत के नाम से जानती है। हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित है। यह देश तीन ओर समुद्र से घिरा है। इसके उत्तर में पर्वतराज हिमालय है, जिसके चरण सागर पखारता है। इसके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। चीन, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि इसके पड़ोसी देश हैं। हमारे देश का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। हिमालय की बर्फ से ढंकी सफेद चोटियाँ भारत के सिर पर रखे मुकुट में जड़े हीरे-सी प्रतीत होती हैं। यहाँ बहने वाली गंगा-यमुना, घाघरा, ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ इसके सीने पर धवल हार जैसी लगती हैं।

चारों ओर लहराती हरी-भरी फ़सलें और वृक्ष इसका परिधान प्रतीत होते हैं। यहाँ के जंगलों में हरियाली का साम्राज्य है। भारत में नाना प्रकार की विविधता दृष्टिगोचर होती हैं। यहाँ विभिन्न जाति-धर्म के अनेक भाषा-भाषी रहते हैं। यहाँ के परिधान, त्योहार मनाने के ढंग और खान-पान व रहन-सहन में खूब विविधता मिलती है। यहाँ की जलवायु में भी विविधता का बोलबाला है, फिर भी इस विविधता के मूल में एकता छिपी है। देश पर कोई संकट आते ही सभी भारतीय एकजुट हो जाते हैं। हमारे देश की संस्कृति अत्यंत प्राचीन और समृद्धिशाली है। परस्पर एकता, प्रेम, सहयोग और सद्भाव से रहना भारतीयों की विशेषता रही है। ‘अतिथि देवो भवः’ और वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना भारतीय संस्कृतिक का आधार है। हमारा देश भारत विश्व की शान है जो अपनी अलग पहचान रखता है। हमें अपने देश पर गर्व है।

(ग) आज की आवश्यकता-संयुक्त परिवार

समय सतत् परिवर्तनशील है। इसका उदाहरण है-प्राचीनकाल से चली आ रही संयुक्त परिवार की परिपाटी का टूटना और एकल परिवार का चलन बढ़ते जाना। शहरीकरण, बढ़ती महँगाई, नौकरी की चाहत, उच्च शिक्षा, विदेशों में बसने की प्रवृत्ति के कारण एकल परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा बढ़ती स्वार्थ वृत्ति भी बराबर की जिम्मेदार है। इन एकल परिवारों के कारण आज बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, पालन-पोषण, माता-पिता के लिए दुष्कर होता जाता है। जिस एकल परिवार में बढ़ते क्रेज़ और उनमें पलते बच्चे इसका जीता जागता उदाहरण हैं।

समाज में बढ़ते क्रेज़ और उनमें पलते बच्चे इसका जीता जागता उदाहरण हैं। प्राचीनकाल में यह काम संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा-चाची, ताई, बुआ इतनी सरलता से कर देती थीं कि बच्चे कब बड़े हो गए पता ही नहीं चल पाता था। संयुक्त परिवार हर काल में समाज की ज़रूरत थे और रहेंगे। भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार और भी महत्त्वपूर्ण हैं। बच्चों और युवा पीढ़ी को रिश्तों का ज्ञान संयुक्त परिवार में ही हो पाता है। यही सामूहिकता की भावना, मिल-जुलकर काम करने की भावना पनपती और फलती-फूलती है।

एक-दूसरे के सुख-दुःख में काम आने की भावना संयुक्त परिवार में ही पनपती है। संयुक्त परिवार बुजुर्ग सदस्यों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। परिवार के अन्य सदस्य उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं जिससे उन्हें बुढ़ापा कष्टकारी नहीं लगता है। संयुक्त परिवार व्यक्ति को अकेलेपन का शिकार नहीं होते देते हैं। आपसी सुख-दुःख बाँटने, हँसी-मज़ाक करने के साथी संयुक्त परिवार स्वतः उपलब्ध कराते हैं। इससे लोग स्वस्थ, प्रसन्न और हँसमुख रहते हैं।

(घ) विज्ञान की अद्भुत खोजः मोबाइल फ़ोन

विज्ञान ने मानव जीवन को विविध रूपों में प्रभावित किया है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ विज्ञान ने हस्तक्षेप न किया हो। समय-समय पर हुए आश्चर्यजनक आविष्कारों ने मानव जीवन को बदलकर रख दिया है। विज्ञान की इन्हीं अद्भुत खोजों में एक है मोबाइल फ़ोन जिससे मनुष्य इतना प्रभावित हुआ कि आज हर किशोर ही नहीं हर आयु वर्ग के लोग इसका प्रयोग करते देखे जा सकते हैं। वास्तव में मोबाइल फ़ोन इतना उपयोगी और सुविधापूर्ण साधन है कि हर व्यक्ति इसे अपने पास रखना चाहता है और इसका विभिन्न रूपों में प्रयोग भी कर रहा है।

संचार की दुनिया में फ़ोन का आविष्कार एक क्रांति थी। तारों के माध्यम से जुड़े फोन पर अपने प्रियजनों से बातें करना एक रोमांचक अनुभव था। शुरू में फ़ोन महँगे और कई उपकरणों का मेल हुआ करते थे। इन्हें लाना-ले-जाना संभव न था। हमें बातें करने के लिए इनके पास जाना पड़ता था पर मोबाइल फ़ोन जेब में रखकर कहीं भी लाया-ले जाया जा सकता है। अब यह सर्वसुलभ भी बन गया है। वास्तव में मोबाइल फ़ोन का आविष्कार संचार के क्षेत्र में क्रांति से कम नहीं है।

आज मोबाइल फ़ोन पर बातें करने के अलावा फ़ोटो खींचना, गणनाएँ करना, फाइलें सुरक्षित रखना जैसे बहुत से काम किए जा रहे हैं क्योंकि यह जेब का कंप्यूटर बन गया है। कुछ लोग इसका दुरुपयोग करने से नहीं चूकते हैं। असमय फोन करके दूसरों को परेशान करना, अवांछित फोटो खींचना जैसे कार्य करके इसका दुरुयोग करते हैं। इसके कारण छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा है। इसका आवश्यकतानुरूप ही प्रयोग करना चाहिए।

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8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) नाटक में स्वीकार एवं अधिकार की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
नाटक में स्वीकार के स्थान पर अस्वीकार का अधिक महत्त्व होता है नाटक में स्वीकार तत्त्वों के आ जाने से नाटक सशक्त हो जाता है। कोई भी दो चरित्र जब आपस में मिलते हैं तो विचारों के आदान-प्रदान में टकराहट पैदा होना स्वाभाविक है। रंगमंच में कभी भी यथास्थिति को स्वीकार नहीं किया जाता। वर्तमान स्थिति के प्रति और संतुष्टि छटपटाहट प्रतिरोध और अधिकार जैसे नकारात्मक तत्त्वों के समावेश से ही नाटक सशक्त बनता है। यही कारण है कि हमारे नाटककारों को राम की अपेक्षा रावण और प्रहलाद की अपेक्षा कश्यप का चरित्र अधिक आकर्षित करता है। इसके विपरीत जब-जब किसी विचार व्यवस्था या तत्कालिक समस्या को किसी नाटक में सहज स्वीकार किया गया है वह नाटक अधिक सशक्त और लोगों के आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाया है।

(ख) कहानी के महत्त्वपूर्ण घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
रोचकता, प्रभाव तथा वक्ता एवं श्रोता या कहानीकार एवं पाठक के बीच यथोचित सम्बद्धता बनाए रखने के लिए सभी प्रकार की कहानियों में निम्नलिखित घटक महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। कथावस्तु, पात्र चरित्र-चित्रण, कथोपकथन, देशकाल वातावरण, भाषा-शैली तथा उद्देश्य।

(ग) समाचार पत्रों में विशेष लेखन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी सामान्य विषय से हटकर विशेष विषय पर लिखे गए लेखों को विशेष लेखन कहते हैं। कृषि, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, मनोरंजन, प्रौद्योगिकी, कानून आदि विशेष लेखन के अंतर्गत माने जाते हैं। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में इन विषयों पर विशेष लेखन लिखे जाते हैं। समाचार पत्रों में विशेष लेखन के लिए एक अलग-स्थान अथवा बॉक्स निश्चित होता है। विशेष लेखन विषय से संबंधित विशेषज्ञों द्वारा लिखे जाते हैं।

9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)

(क) रेडियो के द्वारा प्रसारित समाचारों की तुलना मुद्रण माध्यमों से कीजिए।
उत्तर:
मुद्रित समाचारों की विशेषताएँ निम्न हैं-

  1. यह स्थायी होता है।
  2. इसमें क्रमिकता की आवश्यकता नहीं होती।
  3. इसके लिए पढ़ना आना चाहिए।
  4. इसमें व्याकरण और वर्तनी शुद्ध चाहिए।
  5. इसका माध्यम शब्द है।
  6. यह सुनते ही विलीन हो जाता है।
  7. यह अपने क्रम में ही सुना जा सकता है।
  8. यह सुनने से ही समझ आ सकता है।
  9. इसमें सुने जाने की स्पष्टता ही पर्याप्त है।
  10. इसका माध्यम शब्द और आवाज़ है इसलिए इसे श्रव्यमाध्यम कहा जाता है।

(ख) समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
समाचार माध्यमों के पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं-
(i) पूर्णकालिक पत्रकार- ये पत्रकार किसी विशेष समाचार-संगठन के लिए नियमित काम करने वाले वेतनभोगी पत्रकार होते हैं।
(ii) अंशकालिक पत्रकार-ये पत्रकार किसी समाचार-संगठन के लिए निश्चित मानदेय के आधार पर काम करते हैं। ये एक-से-अधिक पत्रों के लिए भी काम करते हैं।
(iii) फ्रीलांसर अथवा स्वतन्त्र पत्रकार-ये पत्रकार किसी विशेष समाचार-पत्र या संगठन के वेतनभोगी नहीं होते। ये भुगतान के आधार पर अलग-अलग समाचार-पत्रों के लिए काम करते हैं।

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(ग) संचार कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
संचार एक जटिल प्रक्रिया है अतः इसके कई रूप या प्रकार हैं-
(i) सांकेतिक संचार-संकेतों द्वारा संदेश पहुँचाना जैसे हाथ जोड़ना, पाँव छूना, सिगनल देना आदि सांकेतिक संचार है।
(ii) मौखिक संचार-मुख द्वारा व्यक्ति ध्वनियों के माध्यम से संदेश पहुँचाना। आपसी बातचीत, टेलीफोन आदि मौखिक संचार हैं।
(iii) अमौखिक संचार-मौखिक संचार के अतिरिक्त अन्य संचार साधन, जैसे सांकेतिक व लिखित संचार आदि अमौखिक संचार कहलाते हैं।
(iv) अंत:वैयक्तिक संचार-अकेले में स्वयं अपने साथ किसी विषय पर या मुद्दे पर विचार-मंथन करना, पूजा-इबादत-प्रार्थना करते वक्त ध्यान में रहना, आदि से स्वयं को व्यक्त करना इस संचार का बुनियादी रूप है।
(v) अंतर वैयक्तिक-जब दो व्यक्ति आपस में और आमने-सामने संचार करते हैं तो इसे अंतर वैयक्तिक संचार कहते हैं। इसमें फीडबैक भी तुरंत मिलता है।
(vi) समूह संचार-संचार का तीसरा प्रकार है-समूह संचार। इसमें एक समूह आपस में विचार-विमर्श या चर्चा करता है। समूह संचार का उपयोग समाज और देश के सामने उपस्थित समस्याओं को बातचीत और वाद-विवाद के ज़रिये हल करने के लिए होता है।
(vii) जनसंचार-जब हम व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के ज़रिये समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करने की कोशिश करते हैं तो इसे जनसंचार कहते हैं।

10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 x 2 = 6)

(क) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना। अस मम जिवन बंधु तोही। जो जड़ दैव जिआवै मोही।। पंक्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियाँ राम के विलाप से उद्धृत हैं। राम मूर्छित लक्ष्मण को गोद में लेकर विलाप कर रहे हैं कि तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जैसे पंखों के बिना पक्षी की, मणि के बिना साँप की और सैंड के बिना हाथी की स्थिति दयनीय हो जाती है। ऐसी स्थिति में मैं अक्षम व असहाय हो गया हूँ । यदि भाग्य ने तुम्हारे बिना मुझे जीवित रखा तो मेरा जीवन इसी तरह शक्तिहीन रहेगा। दूसरे शब्दों में, मेरे तेज़ व पराक्रम के पीछे तुम्हारी ही शक्ति कार्य करती रही है।

(ख) फ़िराक गोरखपुरी की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप की स्वाभाविकता और सात्विकता के अनूठे चित्र चित्रित हुए हैं-समझाइए।
उत्तर:
फ़िराक की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप का स्वाभाविक चित्रण मिलता है। माँ अपने शिशु को आँगन में लिए खड़ी है। वह उसे झुलाती है। बच्चे को नहलाने का दृश्य दिल को छूने वाला है। दीवाली व रक्षाबंधन पर जिस माहौल को चित्रित किया गया है वह आम जीवन से जुड़ा हुआ है। बच्चे का किसी वस्तु के लिए ज़िद करना तथा उसे किसी तरह बहलाने के दृश्य सभी परिवारों में पाए जाते हैं।

(ग) कवि ने अपनी कविता ‘छोटा मेरा खेत’ में कर्म को किस रूप में उकेरा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने कर्म को कृषक के कार्य के समान बताया है। किसान भी खेत में बीज बोता है, वह बीज अंकुरित होकर फ़सल बनता है और जनता का पेट भरता है। वह मनुष्य की दैहिक आवश्यकता को पूरी करता है। इसी तरह कवि भी कागज़ रूपी खेत पर अपने विचारों के बीज बोता है। कल्पना का आश्रय पाकर वह विचार विकसित होकर रचना का रूप धारण करता है। इस रचना के रस से मनुष्य की मानसिक ज़रूरत पूरी होती है।

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11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)

(क) पृथ्वी का प्रत्येक कोना बच्चों के पास अपने आप कैसे आ जाता है?
उत्तर:
बच्चे पतंग उड़ाते हुए चाहते हैं कि उनकी पतंग सबसे ऊँची जाए अर्थात् वे पतंग के माध्यम से सारे ब्रह्मांड में घूम लेना चाहते हैं। वे कल्पना की रंगीन दुनिया में खो जाते हैं इसलिए उनके लिए पृथ्वी का प्रत्येक कोना अपने आप चला आता है अर्थात् पतंग उड़ाने के लिए बच्चों को जमीन की कमी पड़ जाती है।

(ख) ‘बात’ के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती करने पर क्या हुआ?
उत्तर:
कवि ने जब भावों को भाषा के दायरे में बाँधने की कोशिश की तो बात का प्रभाव समाप्त हो गया। वह शब्दों के चमत्कार में खो गई और असरहीन हो गई।

(ग) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कवि ने कहाँ छुपी क्रूरता का जिक्र किया है?
उत्तर:
कवि ने इस कविता के माध्यम से मानवीय क्रूरता का चित्रण किया है। वह क्रूरता जो करुणा के मुखौटे में छिपी है। यही मुखोटे ओढ़कर टी.वी. वाले अपाहिज तक का मजाक उड़ाते हैं। उससे झूठी सहानुभूति रखते हैं। उससे ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछते हैं कि मानवीयता भी शर्मसार हो जाए।

12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) बाज़ार का जादू चढ़ने और उतरने से मनुष्य कैसे प्रभावित होता है?
उत्तर:
बाज़ार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं-
(i) बाज़ार में आकर्षक वस्तुएँ देखकर मनुष्य उनके जादू में बँध जाता है।
(ii) उसे उन वस्तुओं की कमी खलने लगती है।
(iii) वह उन वस्तुओं को ज़रूरत न होने पर भी खरीदने के लिए विवश होता है।
(iv) वस्तुएँ खरीदने पर उसका अह संतुष्ट हो जाता है।
(v) खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि जो चीजें आराम के लिए खरीदी थीं वे खलल डालती हैं।
(vi) उसे खरीदी हुई वस्तुएँ अनावश्यक लगती हैं।

(ख) कहानीकार ने गाँव में फैली बीमारी से उत्पन्न हुई गाँव की दशा का चित्रण किस प्रकार किया है?
उत्तर:
गाँव में महामारी ने पाँव पसार लिए थे। चारों ओर मौत का भयानक तांडव फैला था। ‘रेणु’ लिखते हैं कि सियारों का क्रंदन और चेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़ ‘हरे राम’ हे भगवान! की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे।

(ग) “शिरीष के फूल’ पाठ में जीवन शक्ति का संदेश छिपा हुआ है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
द्विवेदी जी ने इस निबंध में फूलों के द्वारा जीवन शक्ति की ओर संकेत किया है। लेखक बताता है कि शिरीष का फूल हर हाल में स्वयं के अस्तित्व को बनाए रखता है। इस पर गर्मी-लू आदि का कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि इसमें जीवन जीने की लालसा है। इसमें आशा का संचार होता रहता है। यह फूल तो समय को जीतने की क्षमता रखता है।

विपरीत पस्थितियों में जो जीना सीख ले उसी का जीवन सार्थक है। शिरीष के फूलों की जीवन शक्ति की ओर संकेत करते हुए निबंधकार ने लिखा है- “फूल है शिरीष। वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गयो तो भरे भादों में भी निर्यात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है।” इस प्रकार निबंधकार ने शिरीष के फूल के माध्यम से जीवन को हर हाल में जीने की प्रेरणा दी है।

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13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)

(क) बारिश के लिए किए गए प्रयत्न किस कोटि के हैं?
उत्तर:
बच्चों द्वारा बारिश के लिए किए गए प्रयत्न विश्वास के अंतर्गत आते हैं। भोले बच्चे बारिश लाने के लिए हर तरह के प्रयत्न करते हैं। वे नहीं जानते कि वह विश्वास है या अंधविश्वास। वे तो चाहते हैं कि बारिश हो जाए। चाहे इंद्र को प्रसन्न करने के लिए कोई भी कार्य करना पड़े।

(ख) भक्तिन का स्वभाव कैसा था?
उत्तर:
भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे और रुपए उठा लेती। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।

(ग) डॉ. भीमराव आंबेडकर ने मनुष्य की क्षमता के बारे में क्या बताया है?
उत्तर:
मनुष्य की क्षमता तीन बातों पर निर्भर करती है-
(i) शारीरिक वंश परंपरा
(ii) सामाजिक उत्तराधिकार अर्थात् सामाजिक परंपरा के रूप में माता-पिता की कल्याण कामना शिक्षा तथा वैज्ञानिक ज्ञानार्जन आदि सभी उपलब्धियाँ जिसके कारण सभ्य समाज, जंगली लोगों की अपेक्षा विशिष्ट शिक्षा प्राप्त करता है।
(iii) मनुष्य के अपने प्रयत्न।