Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 8 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 8 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
इस संसार को कर्मक्षेत्र कहा गया है। सारी सृष्टि कर्मरत है। छोटे-से-छोटा प्राणी भी कर्म का शाश्वत संदेश दे रहा है। प्रकृति के साम्राज्य में कहीं भी अकर्मण्यता के दर्शन नहीं हो रहे हैं। सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी, ग्रह-नक्षत्रादि निरंतर गतिशील हैं। नियमानुकूल सूर्योदय होता है और सूर्यास्त तक किरणें प्रकाश बिखेरती रहती हैं। रात्रिकालीन आकाश में तारावली तथा नक्षत्रावली का सौन्दर्य विहँस उठता है। क्रमशः बढ़ती-घटती चन्द्रकला के दर्शन होते हैं। इसी तरह विभिन्न ऋतुओं का चक्र अपना धुरी पर चलता रहता है। नदियाँ अविरल गति से बहती रहती हैं। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सबके जीवन में सक्रियता है। वस्तुतः कर्म से परे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है। मनुष्य का जन्म पाकर हाथ-पैर तो हिलाने ही होंगे। हमारे प्राचीन ऋषियों ने शताशु होने की किन्तु कर्म करते हुए जीने की इच्छा प्रकट की थी। इतिहास साक्षी है कि कितने ही भारतीय युवकों ने कर्मशक्ति के बल पर चन्द्रगुप्त की भाँति शक्तिशाली साम्राज्यों की स्थापना की। आधुनिक युग में भारत जैसे विशाल जनतंत्र की स्थापना करने वाले गाँधी, नेहरू, पटेल आदि कर्मपथ पर दृढ़ता के ही प्रतिरूप थे। दूसरी ओर इतिहास उन सम्राटों को भी रेखांकित करता है जिनकी अकर्मण्यता के कारण महान् साम्राज्य नष्ट हो गए। वेद, उपनिषद्, कुरान्, बाइबिल, आदि सारे धर्म-ग्रंथ कर्मठ मनीषियों की ही उपलब्धियाँ हैं। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की गौरव-गरिमा उन वैज्ञानिकों की देन है जिन्होंने साधना की बलि-वेदी पर अपनी हर साँस समर्पित कर दी। विज्ञान कर्म का साक्षात् प्रतीक है। सुख-समृद्धि के शिखर पर आसीन प्रत्येक जाति कर्म-शक्ति का परिचय देती है।
(i) किस के साम्राज्य में कहीं भी अकर्मण्यता के दर्शन नहीं होते?
(क) सम्राट के
(ख) प्रकृति के
(ग) ईश्वर के
(घ) लोगों के
उत्तर:
(ख) प्रकृति के
व्याख्या : प्रकृति के साम्राज्य में कहीं भी अकर्मण्यता के दर्शन नहीं हो रहे हैं। सूर्य, चन्द्र पृथ्वी, ग्रह-नक्षत्रादि निरंतर गतिशील हैं। नियमानुकूल सूर्योदय होता है और सूर्यास्त तक किरणें प्रकाश बिखेरती रहती हैं।
(ii) सूर्य, चंद्रमा आदि कैसे ग्रह हैं?
(क) ठहरे हुए
(ख) पथभ्रष्ट
(ग) गतिशील
(घ) रात्रिकालीन
उत्तर:
(ग) गतिशील
(iii) किसका चक्र चलता रहता है?
(क) ऋतुओं का
(ख) सूर्य का
(ग) धर्म का
(घ) समाज का
उत्तर:
(क) ऋतुओं का
(iv) हमारे ऋषियों ने कैसे होकर जीने की इच्छा प्रकट की है?
(क) दृढ़निश्चयी
(ख) शतायु
(ग) कर्मवीर
(घ) शक्तिहीन
उत्तर:
(ग) कर्मवीर
व्याख्या : हमारे प्राचीन ऋषियों ने शतायु होने की किन्तु कर्म करते हुए जीने की इच्छा प्रकट की थी। भारतीय युवकों ने कर्मशक्ति के बल पर चन्द्रगुप्त की भाँति शक्तिशाली साम्राज्यों की स्थापना की। आधुनिक युग में भारत जैसे विशाल जनतंत्र की स्थापना करने वाले गांधी, नेहरू, पटेल आदि भी कर्मपथ पर दृढ़ता के ही प्रतिरूप थे।
(v) भारतीय युवकों ने कर्मशक्ति के बल पर किस की भाँति साम्राज्यों की स्थापना की?
(क) कृष्णदेवराय
(ख) अकबर
(ग) महामना
(घ) चन्द्रगुप्त मौर्य
उत्तर:
(घ) चन्द्रगुप्त मौर्य
(vi) गाँधी, नेहरू किस के प्रतिरूप थे?
(क) कर्मपथ
(ख) भाग्य के
(ग) आत्मा के
(घ) परमात्मा के
उत्तर:
(क) कर्मपथ
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) कर्म का साक्षात् रूप ज्ञान है।
(II) कर्म का साक्षात् रूप विज्ञान है।
(III) कर्म का साक्षात् रूप इतिहास है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और II
(ख) केवल II
(ग) केवल I
(घ) केवल III
उत्तर:
(ख) केवल II
व्याख्या : आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की गौरव-गरिमा उन वैज्ञानिकों की देन है जिन्होंने साधना की बलि-वेदी पर अपनी हर सांस समर्पित कर दी। विज्ञान कर्म का साक्षात् प्रतीक है।
(viii) वेद, कुरान उपनिषद् किस की उपलब्धियाँ हैं?
(क) विद्वानों की
(ख) मनीषियों की
(ग) वैज्ञानिकों की
(घ) गुरुओं की
उत्तर:
(ख) मनीषियों की
(ix) गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए
(क) भारतीय युवकों का कार्य
(ख) कर्म का महत्त्व
(ग) धर्म का गुणगान
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) कर्म का महत्त्व
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): कर्म शब्द के पर्यायवाची शब्द काम, कार्य और काज हैं।
कारण (R): कर्म सदैव निष्क्रिय होता है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
मनमोहनी प्रकृति की गोद में बसा है।
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है, वह देश कौन-सा है?
जिसके चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय, वह देश कौन-सा है?
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना, वह देश कौन-सा है?
सींचा हुआ सोना, वह देश कौन-सा है ?
जिसके बड़े रसीले फल कंद, नाज, मेवे ।
सब अंग में सजे हैं, वह देश कौन सा है ?
सिरमौर जो धरा का संस्कृति बड़ी निराली ।
सबको करे समाहित वह देश कौन-सा है ?
दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन-सा है ?
मैदान, गिरि, वनों में, हरियालियाँ महकतीं ।
आनंदमय जहाँ है, वह देश कौन-सा है ?
जिसकी अनंत वन से धरती भरी पड़ी है।
संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है ?
सबसे प्रथम जगत में, जो सभ्य था यशस्वी ।
जगदीश का दुलारा, वह देश कौन-सा है ?
(i) ‘जिसके चरण निरन्तर रत्नेश धो रहा है’ इस पंक्ति का भाव है
(क) राजा ऋषियों के चरण धो रहा है।
(ख) सागर के लहरों के उमड़ने की बात की गई है।
(ग) भारत देश को मानप्रतिष्ठा देने के लिए ही समुद्र बार-बार उसके चरणों को स्पर्श कर रहा है।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) राजा ऋषियों के चरण धो रहा है।
व्याख्या : ‘जिसका चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है’ से कवि का आशय है भारत देश विश्व का ऐसा महान् देश है, जिसकी महानता को प्रकृति भी स्वीकारती है। उसको मानप्रतिष्ठा देने के लिए ही समुद्र बार-बार उसके चरणों को स्पर्श कर फूले नहीं समाता है।
(ii) कवि ने इस देश की नदियों के जल की क्या विशेषता बताई है ?
(क) नदियाँ अमृत की धारा के समान
(ख) नदियों के जल का साफ़ होना
(ग) नदियों के कलकल की मधुर ध्वनि होना
(घ) नदियों का जल शीतल होता है ।
उत्तर:
(ग) नदियों के कलकल की मधुर ध्वनि होना
व्याख्या : हमारे देश की नदियों में अमृत की धारा निरंतर बहती है जिससे फ़सलों की सिंचाई होती है। इसी कारण यहाँ पैदा होने वाले फल बड़े रसीले और कंद, मूल, मेवे आदि पर्याप्त मात्रा में पैदा होते हैं। इससे यहाँ हरियाली एवं खुशहाली छाई रहती है।
(iii) ‘सुख स्वर्ग – सा’ में अलंकार है-
(क) यमक
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) उत्प्रेक्षा
उत्तर:
(ख) उपमा
(iv) ‘संसार के शिरोमणि’ की संज्ञा किस देश को दी गई है ?
(क) भारत
(ख) जापान
(ग) इंग्लैण्ड
(घ) श्रीलंका
उत्तर:
(क) भारत
व्याख्या : भारत देश को विश्व का शिरोमणि और पहला देश कहा है क्योंकि इसके अनंत वन से धरती भरी पड़ी है।
(v) भाई शब्द का तत्सम रूप लिखिए ।
(क) भैया
(ख) भाईसाहब
(ग) भाया
(घ) भ्राता
उत्तर:
(घ) भ्राता
अथवा
जब भी
भूख से लड़ने
कोई खड़ा हो जाता है
सुन्दर दिखने लगता है ।
झपटता बाज़
फन उठाए साँप
दो पैरों पर खड़ी
काँटों से नन्हीं पत्तियाँ खाती बकरी,
दबे पाँव झाड़ियों में चलता चीता,
डाल पर उल्टा लटक
फल कुतरता तोता
या इन सबकी जगह
आदमी होता।
जब भी
भूख से लड़ने
कोई खड़ा हो जाता है।
सुंदर दिखने लगता है।
(i) चीता कैसे चलता है?
(क) कूदता
(ख) दबे पाँव
(ग) नाचता
(घ) चिल्लाता
उत्तर:
(ख) दबे पाँव
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) चिड़िया उल्टी लटक सकती है।
(II) तोता उल्टा लटक सकता है।
(III) कौआ उल्टा लटक सकता है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) I और III
(घ) II और I
उत्तर:
(ख) केवल II
(iii) इस कविता से क्या प्रेरणा मिलती है?
(क) भूख लगने पर नहीं चिल्लाना
(ख) विषम परिस्थितियों से लड़ना
(ग) पक्षियों की तरह खाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) विषम परिस्थितियों से लड़ना
(iv) इस पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(क) भूख का अंत
(ख) भूख का शोर
(ग) भूख पर चर्चा
(घ) बड़ी भूख
उत्तर:
(ग) भूख पर चर्चा
(v) कब कोई सुंदर दिखने लगता है?
(क) भूखा रहने वाला
(ख) प्यासा रहने वाला
(ग) भागता रहने वाला
(घ) भूख से लड़ने वाला
उत्तर:
(घ) भूख से लड़ने वाला
व्याख्या : भूख से लड़ने वाला व्यक्ति ही सुंदर लगता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
(i) पेज थी पत्रकारिता में किसके जीवन के बारे में बताया जाता है?
(क) फैशन
(ख) अमीरों की पार्टियों
(ग) महफिलों
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी
(ii) एडवोकेसी पत्रकारिता का दूसरा नाम है
(क) पक्षधर
(ख) पीत
(ग) पेज थ्री
(घ) वाचडॉग
उत्तर:
(क) पक्षधर
(iii) जो पत्रकार किसी संस्था से जुड़े नहीं होते हुए कौन-से पत्रकार कहलाते हैं?
(क) पूर्णकालिक पत्रकार
(ख) अंशकालिक पत्रकार
(ग) स्वतंत्र पत्रकार
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ग) स्वतंत्र पत्रकार
व्याख्या : ऐसे स्वतंत्र पत्रकार का संबंध किसी विशेष समाचार संस्था या संगठन से नहीं होता, बल्कि यह अलग-अलग अखबारों के लिए भुगतान के आधार पर लिखता है।
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) समाचार लेखक के ककार | (i) तीन या चार |
(ii) इंट्रो में ककार | (ii) छः |
(iii) फीचर | (iii) साक्षात्कार |
(iv) पत्रकारीय लेखन के लिए कच्चा माल | (iv) सृजनात्मक |
(क) (i), (iii), (ii), (i)
(ख) (i), (ii), (iii), (iv)
(ग) (ii), (i), (iv), (iii)
(घ) (iii), (ii), (i), (iv)
उत्तर:
(ग) (ii), (i), (iv), (iii)
(v) एक सुव्यवस्थित सृजनात्मक और आत्म निष्ठ लेखन क्या कहलाता है?
(क) फीचर लेखन
(ख) स्तंभ लेखन
(ग) आलेख लेखन
(घ) रिपोर्ट लेखन
उत्तर:
(क) फीचर लेखन
व्याख्या : फ़ीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है। फ़ीचर समाचार की तरह पाठकों को तात्कालिक घटनाक्रम से अवगत नहीं कराता।
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं।
अपने रंध्रों के सहारे
अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।
पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है।
उनके बेचैन पैरों के पास।
(i) सुनहले सूरज के सामने आने से कवि का क्या आशय है?
(क) सूरज की धूप से जलना
(ख) सूरज के समान तेजमय होना
(ग) सूरज की तरह घूमना
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(ख) सूरज के समान तेजमय होना
व्याख्या : सुनहले सूरज के सामने आने का आशय है-सूरज के समान तेज़मय होकर क्रियाशील होना तथा बालसुलभ क्रियाओं जैसे-खेलना-कूदना, ऊधम मचाना, भागदौड़ करना आदि में शामिल हो जाना।
(ii) गिरकर बचने पर बच्चों में क्या प्रतिक्रिया होती है?
(क) निडर होना
(ख) भय मुक्त होना
(ग) निर्भीक होना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या : गिरकर बचने के बाद बच्चों की यह प्रतिक्रिया होती है कि उनका भय समाप्त हो जाता है और वे निडर हो जाते हैं। अब उन्हें तपते सूरज के सामने आने से डर नहीं लगता अर्थात् वे विपत्ति और कष्ट का सामना निडरतापूर्वक करने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
(iii) पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं-
(क) पक्षी
(ख) विपत्तियाँ
(ग) बच्चे
(घ) लोग
उत्तर:
(ग) बच्चे
व्याख्या : पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं का आशय है बच्चे खुद भी पतंगों के सहारे कल्पना के आकाश में पतंगों जैसी ही ऊँची उड़ान भरना चाहते हैं। जिस प्रकार पतंगें ऊपर-नीचे उड़ती हैं, उसी प्रकार उनकी कल्पनाएँ भी ऊँची-नीची उड़ान भरती हैं जो मन की डोरी से बँधी होती हैं।
(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) साथ-साथ वे भी – पुनरूक्ति प्रकाश
(ख) अगर वे कभी गिरते – अनुप्रास
(ग) और बच जाते – उत्प्रेक्षा
(घ) पृथ्वी और भी तेज़ – उपमा
उत्तर:
(क) साथ-साथ वे भी – पुनरूक्ति प्रकाश
(v) ‘सूरज’ का तत्सम रूप है
(क) सूर्य
(ख) भास्कर
(ग) रवि
(घ) दिवाकर
उत्तर:
(क) सूर्य
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)
यहाँ एक अंतर चिन्ह लेना बहुत ज़रूरी है। मन खाली नहीं रहना चाहिए, इसका मतबल यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए। जो बंद हो जाएगा, वह शून्य हो जाएगा। शून्य होने का अधिकार बस परमात्मा का है जो सनातन भाव से संपूर्ण है। शेष सब अपूर्ण है। इससे मन बंद नहीं रह सकता। सभी इच्छाओं का निरोध कर लोगे, यह झूठ है और अगर ‘इच्छानिरोधस्तपः’ का ऐसा ही नकारात्मक अर्थ हो तो यह तप झूठ है। वैसे तप की राह रेगिस्तान को जाती होगी, मोक्ष की राह वह नहीं है। ठाठ देकर मन को बंद कर रखना जड़ता है।
(i) ‘मन खाली होने’ तथा ‘मन बंद होने’ में क्या अंतर है?
(क) निश्चित लक्ष्य न होना
(ख) इच्छाओं का समाप्त होना
(ग) मन में कोई भाव ना होना
(घ) कुछ समझ ना आना
उत्तर:
(क) निश्चित लक्ष्य न होना
(ii) मन बंद होने से क्या होगा?
(क) मन कार्य करना बंद कर देगा
(ख) मन दिमाग के विपरीत चलने लगेगा
(ग) मनुष्य की इच्छाएँ समाप्त हो जाएँगी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) मनुष्य की इच्छाएँ समाप्त हो जाएँगी
व्याख्या : मन बंद होने से मनुष्य की इच्छाएँ समाप्त हो जाएँगी। वह शून्य हो जाएगा और शून्य होने का अधिकार परमात्मा का है। वह सनातन भाव से संपूर्ण है, शेष सब अपूर्ण है।
(iii) परमात्मा व मनुष्य की प्रकृति में क्या अंतर है?
(क) परमात्मा संपूर्ण, मनुष्य अपूर्ण
(ख) परमात्मा सरल, मनुष्य सहज
(ग) परमात्मा सर्वत्र, मनुष्य अन्यत्र
(घ) परमात्मा मंदिर में, मनुष्य शौक में
उत्तर:
(क) परमात्मा संपूर्ण, मनुष्य अपूर्ण
व्याख्या : परमात्मा संपूर्ण है। वह शून्य होने का अधिकार रखता है, परन्तु मनुष्य अपूर्ण है। इसमें इच्छा बनी रहती है।
(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): लेखक इच्छा-निरोध को झूठ बताता है।
कारण (R): इच्छारूपी कार्य की पूर्ति झूठ द्वारा की जाती है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
व्याख्या : मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं का निरोध कर लेने की बात को लेखक झूठ बताता है। कुछ लोग इच्छा-निरोध को तप मानते हैं। किन्तु इस तप को लेखक झूठ मानता है।
(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) नकारात्मक शब्द का विलोम सकारात्मक है।
(II) नकारात्मक शब्द का विलोम अकारात्मक है।
(III) नकारात्मक शब्द का विलोम निकारात्मक है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल III
(ख) केवल I
(ग) केवल II
(घ) I और III
उत्तर:
(ख) केवल I
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(i) यशोधर बाबू अपने ऑफिस में फाइल को कैसे फीते से बाँधते हैं?
(क) पीला
(ख) नीला
(ग) लाल
(घ) हरा
उत्तर:
(ग) लाल
(ii) प्रस्तुत कहानी में किन परिस्थितियों को दर्शाने का प्रयास किया गया है?
(क) राजनीतिक परिस्थितियों को
(ख) सामाजिक परिस्थितियों को
(ग) पारिवारिक परिस्थितियों को
(घ) धार्मिक परिस्थितियों को
उत्तर:
(ग) पारिवारिक परिस्थितियों को
व्याख्या : इस कहानी में नई व पुरानी पीढ़ी का उल्लेख है, परिवार के मुखिया अपनी संतान के लिए सब कुछ करते हैं वहीं संतान जब बड़ी हो जाती है तो वह न तो परिवार के मुखिया को अपना मानती है और न ही उनकी बात मानती है।
(iii) यशोधर पंत अपने कर्मचारियों की थकान दूर करने के लिए क्या करते हैं?
(क) गाना गाते हैं
(ख) नाचते हैं
(ग) मनोरंजक बातें करते हैं ।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) मनोरंजक बातें करते हैं ।
(iv) ‘जूझ’ कहानी के लेखक कौन हैं?
(क) माधव प्रसाद
(ख) हजारी प्रसाद
(ग) आनंद यादव
(घ) जैनेंद्र प्रसाद
उत्तर:
(ग) आनंद यादव
(v) आनंद यादव द्वारा रचित ‘जूझ’ किस विधा की रचना है?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) कविता
(घ) दोहा
उत्तर:
(ख) उपन्यास
(vi) ‘जूझ’ उपन्यास को कौन-से पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ख) इंदिरा गांधी पुरस्कार
(ग) भारतेंदु पुरस्कार
(घ) भारत भारती पुरस्कार
उत्तर:
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) अतीत के दबे पांव की रचना राजेन्द्र प्रसाद ने की है।
(II) अतीत के दबे पांव की रचना ओम थानवी ने की है।
(III) अतीत के दबे पांव की रचना विष्णु खरे ने की है।
(IV) अतीत के दबे पांव की रचना प्रेमचन्द्र ने की है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) केवल IV
उत्तर:
(ख) केवल II
(viii) ताम्रकार के शहरों में सबसे बड़ा शहर कौन-सा है?
(क) मुअनजो-दड़ो
(ख) लोथल
(ग) राखीगढ़ी
(घ) हड़प्पा
उत्तर:
(क) मुअनजो-दड़ो
(ix) मोअनजो-दड़ों नगर की खुदाई के समय कौन-कौन सी वस्तुएँ मिली थीं?
(क) चाक पर बने चित्रित भांडे
(ख) सड़कें
(ग) क और ख दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) क और ख दोनों
व्याख्या : मुअनजो-दड़ो नगर की खुदाई के समय में मिलने वाली वस्तुएँ गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य यंत्र, चाक पर बने बड़े-बड़े मिट्टी के मटके, ताँबे का शीशा, दो पाटों वाली चक्की, माप-तोल के पत्थर, चौपड़ की गोटियाँ, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे मनके आदि प्रमुख हैं।
(x) खुदाई से प्राप्त हुआ गेहूँ का रंग कैसा है?
(क) हरा
(ख) पीला
(ग) काला
(घ) नीला
उत्तर:
(ग) काला
रखण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) जल : आज की विकट समस्या
(ख) मनोरंजन का बदलता स्वरूप
(ग) मानव मन को सम्मोहित करते विज्ञापन
(घ) परहित सरसि धर्म नहिं भाई
उत्तर:
(क) जलः आज की विकट समस्या
जल संकट आज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। हम सभी जानते हैं कि जल के बिना मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतु पेड़-पौधों का भी जीवन संकट में पड़ गया है। आज महानगरों से लेकर गाँवों, कस्बों तक की जनता पानी के लिए मारा-मारी से जूझ रही है। कई स्थानों पर महिलाएँ और पुरुष पानी के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगे हुए दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को टैंकर से आए पानी की प्रतीक्षा होती है तो कुछ लोग इलाके में एक-दो हैंड पंप होने के कारण अपनी बारी की प्रतीक्षा में लंबी-लंबी लाइनों में लगे दिखाई देते हैं। महिलाएँ तो कई बार अपने बर्तन लेकर वहीं घंटों प्रतीक्षा करती बैठी रहती हैं।
जब कभी लोगों का धैर्य जवाब दे जाता है तो लड़ाई-झगड़े की भी नौबत आ जाती है। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को प्रात:काल से ही दूर-दराज़ के क्षेत्रों में पानी लेने जाना पड़ता है। कई क्षेत्रों में गरीब और लाचार जनता गंदा पानी पीने के लिए भी विवश है। भारत में असंख्य नदियाँ होने के बावजूद जल का ज़बर्दस्त अभाव पैदा हो गया है। इस प्राकृतिक संपदा की वाहक नदियाँ भी सूखी और मैली हो गई हैं। नलकूपों का जलस्तर नीचे जा चुका है। जल की समस्या से भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व त्रस्त है।
प्राकृतिक असंतुलन के कारण उत्पन्न हुए इस जल संकट से उबरने का कोई रास्ता अभी तक नहीं निकाला जा सका है, किंतु मनुष्य में अभी भी जागरूकता का अभाव है। इसी कारण वह अभी भी कल-कारखानों और गंदे नालों की गंदगी को जलाशयों और नदियों में गिरने से नहीं बचाते जबकि जल-संकट की गंभीरता को देखते हुए हमें तुरंत ही इसकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए। लगातार हो रही वृक्षों की कटाई से बढ़ता प्रदूषण और वर्षा की कमी तथा भूमिगत जल के दोहन से जल संकट अधिक गहराने लगा है। समय रहते हमें संचेत होने की आवश्यकता है।
प्रशासनिक स्तर पर जल-संचय हेतु बड़े-बड़े बैराजों का निर्माण होना चाहिए जिससे जनता की जल-आवश्यकता की पूर्ति की जा सके तथा सभी को जल संकट से उबारा जा सके। बच्चों, बड़ों सभी को जल की उपयोगिता एवं जल संकट से बचने हेतु विभिन्न तरीकों को जानने-समझने की आवश्यकता है तभी हम भविष्य में इस प्राण-घातक संकट का सामना करने में सक्षम हो सकेंगे तथा अपनी भावी पीढ़ी को इन लंबी-लंबी लाइनों और इसके फलस्वरूप होने वाली समस्याओं से बचा सकेंगे।
(ख) मनोरंजन का बदलता स्वरूप
मनुष्य श्रमशील प्राणी है। वह आदिकाल से श्रम करता रहा है। इस श्रम के उपरांत थकान उत्पन्न होना स्वाभाविक है। पहले वह भोजन की तलाश एवं जंगली जानवरों से बचने के लिए श्रम करता था। बाद में उसकी आवश्यकता बढ़ी अब वह मानसिक और शारीरिक श्रम करने लगा। श्रम की थकान उतारने एवं ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता महसूस हुई। इसके लिए उसने विभिन्न साधन अपनाए। प्राचीन काल में मनुष्य पशु-पक्षियों के माध्यम से अपना मनोरंजन करता था।
वह पक्षी और जानवर पालता था। उनकी बोलियों और उनकी लड़ाई से वह मनोरंजन करता था। इसके अलावा शिकार करना भी उसके मनोरंजन का साधन था। इसके बाद ज्यों-ज्यों समय में बदलाव आया, उसके मनोरंजन के साधन भी बढ़ते गए। मध्यकाल तक मनुष्य ने नृत्य और गीत का सहारा लेना शुरू किया। नाटक, गायन, वादन, नौटंकी, प्रहसन काव्य पाठ आदि के माध्यम से वह आनंदित होने लगा। खेल तो हर काल में मनोरंजन का साधन रहे हैं। आज मनोरंजन के साधनों में भरपूर वृद्धि हुई है।
अब तो मोबाइल फ़ोन पर गाने सुनना, फ़िल्म देखना, सिनेमा जाना, देशाटन करना, कंप्यूटर का उपयोग करना, चित्रकारी करना, सरकस देखना, पर्यटन स्थलों का भ्रमण करना उसके मनोरंजन में शामिल हो गया है। मनोरंजन के आधुनिक साधन घर बैठे बिठाए व्यक्ति का मनोरंजन तो करते हैं पर व्यक्ति में मोटापा, रक्तचाप की समस्या, आलस्य, एकांतप्रियता और समाज से अलग-थलग रहने की प्रवृत्ति उत्पन्न कर देते हैं।
(ग) मानव मन को सम्मोहित करते विज्ञापन
ज्ञापन में ‘वि’ उपसर्ग लगाने से विज्ञापन शब्द बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-सूचना या जानकारी देना। दुर्भाग्य से आज विज्ञापन का अर्थ सिमट कर वस्तुओं की बिक्री बढ़ाकर लाभ कमाने तक ही सीमित रह गया है। वर्तमान समय में विज्ञापन का प्रचार-प्रसार इतना बढ़ गया है कि अब तो कहीं भी विज्ञापन देखे जा सकते हैं। इस कारण से वर्तमान समय को विज्ञापनों का युग कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। विज्ञापनों की भाषा अत्यंत लुभावनी और आकर्षक होती है।
इनके माध्यम से कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक अभिव्यक्ति का प्रयास किया जाता है। विज्ञापन की भाषा सरल एवं सटीक होती है, जिसे विशेष रूप से तैयार करके प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। दूरदर्शन और अन्य चलचित्रों के माध्यम से दिखाए जाने वाले विज्ञापनों की भाषा और भी प्रभावी बन जाती है। विज्ञापन मानव मन पर गहरा असर डालते हैं। बच्चे और किशोर इन विज्ञापनों के प्रभाव में आसानी से आ जाते हैं।
विज्ञापनों का प्रस्तुतीकरण, उनमें प्रयुक्त नारी देह का दर्शन, उनके हाव-भाव और अभिनय मानव मन पर जादू-सा असर कर सम्मोहित कर लेते हैं। यह विज्ञापनों का असर है कि हम विज्ञापित वस्तुएँ खरीदने का लाभ संवरण नहीं कर पाते हैं। विज्ञापन उत्पादक और उपभोक्ता ता दोनों के लिए लाभदायी हैं। इसके माध्यम से हमारे सामने चुनाव का विकल्प, सुलभता, तुलनात्मक जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं तो विक्रेताओं को भी भरपूर लाभ होता है। विज्ञापन के कारण वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है। इनमें वस्तु के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है अतः हमें विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए।
(घ) परहित सरसि धर्म नहिं भाई
उपकार का अर्थ है-भलाई करना। इसी उपकार में ‘पर’ उपसर्ग लगाने से परोपकार बना है। इसका अर्थ है-दूसरों की भलाई करना। जब मनुष्य निस्स्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई मन, वाणी और कर्म से करता है, तब उसे परोपकार कहा जाता है। परोपकार का सर्वोत्तम उदाहरण हमें प्रकृति के कार्यों से मिलता है। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं, नदियाँ अपना पानी स्वयं नहीं पीती हैं। इसी प्रकार फूल दूसरों के लिए खिलते हैं और बादल जीवों के कल्याण के लिए अपना अस्तित्व तक नष्ट कर देते हैं।
परोपकार मनुष्य का सर्वोत्तम गुण हैं। हमारे ऋषि-मुनि तो अपना जीवन परोपकार में अर्पित कर देते थे। उनके कार्य हमें परोपकार की प्रेरणा देते हैं। कहा भी गया है कि ‘वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’ परोपकार से व्यक्ति को सुख-शांति की अनुभूति होती है तथा जिसकी भलाई की जाती है उसे अपनी दीन-हीन स्थिति से मुक्ति मिल जाती है। परोपकर व्यक्ति को आदर्श जीवन की राह दिखाते हैं। इससे व्यक्ति को मनुष्य बनने की पूर्णता प्राप्त होती है। वास्तव में परोपकार में ही जीवन की सार्थकता है।
परोपकार से व्यक्ति को सच्चा आनंद प्राप्त होता है। इसी आनंद के वशीभूत होकर व्यक्ति अपना तन-मन और धन देकर भी परोपकार करता है। महर्षि दधीचि ने अपनी हड्डियाँ देकर मानवता का कल्याण किया तो शिवि ने अपने शरीर का मांस देकर कबूतर की जान बचाई। हमें भी परोपकार का अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) रेडियो माध्यम के विषय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रेडियो श्रव्य माध्यम है। इसमें सब कुछ ध्वनि, स्वर और शब्दों का खेल है। इन सब वजहों से रेडियो को श्रोताओं से संचालित माध्यम माना जाता है। रेडियो पत्रकारों को अपने श्रोताओं का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इसकी वजह यह है कि अखबार के पाठकों को यह सुविधा उपलब्ध रहती है कि वे अपनी पसंद और इच्छा से कभी भी और कहीं से भी पढ़ सकते अगर किसी समाचार/लेख या फ़ीचर को पढ़ते हुए कोई बात समझ में नहीं आई तो पाठक उसे फिर से पढ़ सकता है या शब्द कोश में उसका अर्थ देख सकता है या किसी से पूछ सकता है, लेकिन रेडियो के श्रोता को यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती। वह अखबार की तरह रेडियो समाचार बुलेटिन को कभी भी और कहीं से भी नहीं सुन सकता है। उसे बुलेटिन के प्रसारण समय का इंतज़ार करना होगा और फिर शुरू से लेकर अंत तक बारी-बारी से एक के बाद दूसरा समाचार सुनना होगा। इस बीच, वह इधर-उधर नहीं आ-जा सकता और न ही उसके पास किसी गूढ़ शब्द या वाक्यांश के आने पर शब्दकोश का सहारा लेने का समय होता है।
(ख) सिनेमा रंगमंच और रेडियो नाटक में क्या-क्या असमानताएँ हैं?
उत्तर:
सिनेमा रंगमंच और रेडियो नाटक में अनेक समानताएँ होते हुए भी कुछ असमानताएँ भी हैं जो इस प्रकार हैं-
सिनेमा और रंगमंच
(i) सिनेमा और रंगमंच दृश्य माध्यम है।
(ii) इनमें दृश्य होते हैं।
(iii) इनमें मंच सज्जा और वस्त्र सज्जा का बहुत महत्त्व है।
(iv) इनमें पात्रों की भावभंगिमाएँ विशेष महत्त्व रखती हैं।
रेडियो नाटक
(i) रेडियो नाटक एक श्रव्य माध्यम है।
(ii) इसमें दृश्य नहीं होते।
(iii) इसमें भाव भंगिमाओं की कोई आवश्यकता नहीं होती।
(iv) इसमें कहानी को ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से संप्रेषित किया जाता है।
(ग) रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का विशेष महत्त्व है जो इस प्रकार है-
(i) रेडियो नाटक में पात्रों से संबन्धित सभी जानकारियाँ संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
(ii) पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ संवादों के द्वारा ही उजागर होती हैं।
(iii) नाटक का पूरा कथानक संवादों पर ही आधारित होता है।
(iv) संवादों के द्वारा ही श्रोताओं को संदेश दिया जाता है।
(v) संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) भारत में इंटरनेट पत्रकारिता पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का अभी दूसरा दौर चल रहा है। भारत के लिए पहला दौर 1993 से शुरू माना जा सकता है, जबकि दूसरा दौर सन् 2003 से शुरू हुआ है। पहले दौर में हमारे यहाँ भी प्रयोग हुए। डॉटकॉम का तूफ़ान आया और बुलबुले की तरह फूट गया अंतत: वही टिके रह पाए जो मीडिया उद्योग में पहले से ही टिके हुए थे। आज पत्रकारिता की दृष्टि से ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’, हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, हिन्दू’, ‘ट्रिब्यून’, स्टेट्समैन’, ‘पॉयनियर’, ‘एनडीटी.वी’, ‘आईबीएन’, ‘जी न्यूज’, ‘आजतक’ और ‘आउटलुक’ की साइटें ही बेहतर हैं। ‘इंडिया टुडे’ जैसी कुछ साइटें भुगतान के बाद ही देखी जा सकती हैं। जो साइटें नियमित अपडेट होती हैं, उनमें ‘हिन्दू’, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘आउटलुक’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘एनडीटी.वी’, ‘आजतक’ और ‘जी न्यूज़’ प्रमुख हैं।
(ख) इंटरनेट को जनसंचार का नया माध्यम क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जिसमें प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविज़न, किताब, सिनेमा यहाँ तक कि पुस्तकालय के सारे गुण मौजूद है। इसकी पहुँच व रफ़्तार का कोई जवाब नहीं है। इसमें सारे माध्यमों का समागम है। यह एक अंतरक्रियात्मक माध्यम है यानी आप इसमें मूक दर्शक नहीं हैं। इसमें आप बहस कर सकते हैं, ब्लाग के जरिए अपनी बात कह सकते हैं। इसने विश्व को ग्राम में बदल दिया है। इसके बुरे प्रभाव भी हैं। इस पर अश्लील सामग्री भी बहुत अधिक है जिससे समाज की नैतिकता को खतरा है। दूसरे, इसका दुरुपयोग अधिक है तथा सामाजिकता कम होती जाती है।
(ग) मनुष्य तथा संचार का क्या संबंध है? समझाइए।
उत्तर:
संचार के बिना जीवन सम्भव नहीं है। मानव सभ्यता के विकास में संचार की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। हमें अपनी हर छोटी-छोटी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संचार की आवश्यकता पड़ती है। हम चाहें या न चाहें, अपने दैनिक जीवन में हम संचार के बिना नहीं रह सकते। जब तक मनुष्य जीवित रहता है संचार करता रहता है। यहाँ तक कि एक बच्चा भी रोकर या चिल्लाकर अपनी माँ का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता है, यह भी उसके द्वारा किया गया संचार है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित करने में उसकी संचार क्षमता की बड़ी भूमिका रही है। परिवार व समाज में, संचार के ज़रिए ही सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं।
मनुष्य ने चाहे भाषा का विकास किया हो या लिपि का या फिर छपाई का, इसके पीछे की मूल इच्छा संदेशों के आदान-प्रदान की ही थी। संदेशों के आदान-प्रदान में लगने वाले समय और दूरी को कम करने में संचार के माध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस प्रकार मनुष्य जब तक जीवित है, तब तक वह संचार करता रहता है। मनुष्य के जीवन में संचार का इतना महत्त्व है कि अगर उसके जीवन से संचार खत्म हो जाए तो इसे एक तरह से उसकी मृत्यु ही समझा जा सकता है अतः हम कह सकते हैं कि मनुष्य संचार के बिना नहीं रह सकता, उसके जीवन में संचार का बहुत महत्त्व है।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘परदे पर वक़्त की कीमत है’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है?
उत्तर:
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति व्यावसायिक नज़रिया प्रस्तुत किया है। परदे पर जो कार्यक्रम दिखाया जाता है, उसकी कीमत समय के अनुसार होती है। दूरदर्शन व कार्यक्रम संचालक को जनता के हित या पीड़ा से कोई मतलब नहीं होता। वे अपने कार्यक्रम को कम-से-कम समय में लोकप्रिय करना चाहते हैं। अपंग की पीड़ा को कम करने की बजाए अधिक करके दिखाया जाता है ताकि करुणा को ‘नकदी’ में बदला जा सके। संचालकों की सहानुभूति भी बनावटी होती है।
(ख) नभ की तुलना किससे की गई है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उषा कविता में प्रात:कालीन नभ की तुलना राख से लीपे गए गीले चौके से की है। इस समय आकाश नम तथा धुंधला होता है। इसका रंग राख से लिपे चूल्हे जैसा मटमैला होता है। जिस प्रकार चूल्हा चौका सूखकर साफ़ हो जाता है, उसी प्रकार कुछ देर बाद आकाश भी स्वच्छ एवं निर्मल हो जाता है।
(ग) ‘बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों के बहाने क्रांति का आहवान किया है। कैसे?
उत्तर:
‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है-क्रांति का स्वर । क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छीने गए होते हैं। क्रांति में शोषक वर्ग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं। आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं। उनकी दरिद्रता दूर होती है अतः क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है।
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) तुलसीदास की अलंकार योजना समझाइए।
उत्तर:
तुलसीदास के काव्य में कई अलंकारों का प्रयोग हुआ है। उन्होंने मुख्य रूप से उपमा, अनुप्रास, रूपक, अतिश्योक्ति, वीरता आदि अलंकारों का प्रयोग किया है। इन अलंकारों के प्रयोग से भाषा में चमत्कार उत्पन्न हुआ है। वह अधिक प्रभावी बन गई है।
(ख) माँ बच्चे को किस प्रकार तैयार करती है?
उत्तर:
माँ अपने बच्चे को साफ़-स्वच्छ पानी से नहला कर उसके उलझे बालों में कंघी कर उन्हें सुलझाती है और फिर उसे अपने घुटनों के बीच खड़ाकर कपड़े पहनाती है।
(ग) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता लुटने पर भी क्यों नहीं मिटती?
उत्तर:
जब कवि की कविता पाठकों तक पहुँचती है, तो वह खत्म नहीं हो जाती, बल्कि उसका महत्त्व और अधिक बढ़ता जाता है। ज्यों-ज्यों वह पाठकों के पास पहुँचती जाती है, वह और अधिक विकसित होती जाती है। यहाँ ‘लुटने से’ आशय बाँटने से है।
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) जाति और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर क्या है?
उत्तर:
जाति और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर यह है कि जाति के नियामक विशिष्ट वर्ग के लोग हैं। जाति वाले व्यक्तियों की इसमें कोई भूमिका नहीं है। ब्राह्मणवादी व्यवस्थापक अपने हितों के अनुरूप जाति व उसका कार्य निर्धारित करते हैं। वे उस पेशे को विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं बदलने देते, भले ही लोग भूखे मर गए। श्रम विभाजन में कोई व्यवस्थापक नहीं होता। यह वस्तु की माँग, तकनीकी विकास या सरकारी फैसलों पर आधारित होता है। इसमें व्यक्ति अपना पेशा बदल सकता है।
(ख) हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:
परवर्ती कवि ये समझते रहे कि शिरीष के फूलों में सब कुछ कोमल है अर्थात् वह तो कोमलता का आगार हैं लेकिन द्विवेदी जी कहते हैं कि शिरीष के फूलों में कोमलता तो होती है लकिन उनका व्यवहार बहुत कठोर होता है अर्थात् वह हृदय से तो कोमल है किन्तु व्यवहार से कठोर है इसलिए हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार का कठोर होना अनिवार्य हो
जाता है।
(ग) ढोलक की थाप से मृत गाँव में कैसी समानता दर्शायी गई है? कला से जीवन के सम्बन्ध को ध्यान रखते हुए चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कला और जीवन का गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। कला जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना रहे इसके लिए कला बहुत ज़रूरी है। यह कई रूपों में हमारे सामने आती है; जैसे नृत्य कला, संगीत कला, चित्रकला आदि। कला जीवन की प्राण शक्ति है। कला के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी लगता है।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ निबंधों की किस श्रेणी का है?
उत्तर:
निबंध प्रकार की दृष्टि से बाजार दर्शन को वर्णनात्मक निबंध कहा जा सकता है। निबंधकार ने हर स्थिति, घटाने का वर्णन किया है। प्रत्येक बात को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। वर्णनात्मकता के कारण निबंध में रोचकता और स्पष्टता दोनों आ गए हैं। वर्णनात्मक निबंध प्रायः उलझन पैदा करते हैं लेकिन इस निबंध में यह कमी नहीं है।
(ख) “शिरीष के फूल’ की तुलना किससे की गई है?
उत्तर:
शिरीष की तुलना कबीरदास जी से की है क्योंकि संत कबीर बहुत कुछ शिरीष के फूल के समान ही थे। वे मस्त और बेपरवाह थे लेकिन इसके साथ-साथ वे सरस एवं मादक भी थे।
(ग) धर्मवीर भारती मेंढक मंडली पर पानी डालना क्यों व्यर्थ मानते थे?
उत्तर:
धर्मवीर भारती मेंढक मंडली पर पानी डालना व्यर्थ मानते थे क्योंकि इस समय पानी की भारी कमी है। लोगों ने कठिनता से पीने के लिए बाल्टी भर पानी इकट्ठा कर रखा है। उसे इस मेंढक मंडली पर फेंकना पानी की घोर बरबादी है। इससे देश व समाज की क्षति होती है। वह पानी को इस तरह फेंकने के सिवाय अंधविश्वास को कुछ नहीं मानता।