Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 9 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 9 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
- खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
गत दशकों में पश्चिम का अनुकरण करके विज्ञान और शिल्पीय विकास की उपलब्धियों से लाभ उठाकर हमने अपने देश को आगे बढ़ाने का जी-जान से प्रयत्न किया है, परन्तु दूसरी ओर हमारी असली बुनियाद को धक्का लग रहा है-इस बात की ओर हमारा ध्यान जाना चाहिए। मानव-जीवन का आधार कोरी दाल-रोटी नहीं, मानसिक सुख-शान्ति है। “सादगी और उच्च विचार” के आदर्श की जगह ‘खाओ-पियो-मौज करो’ का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। स्वतंत्रता, उच्छृखलता का पर्याय बनती जा रही है, घूसखोरी, नशेबाजी, भोग-लिप्सा बढ़ती जा रही है, कुछ अराजकता-जैसी स्थिति बनती जा रही है। उदार शिक्षण से, सामाजिक संपर्क की सुगमता से, जहाँ भावनाएँ उदार और व्यापक बनती जा रही हैं वहाँ व्यक्तिगत जीवन में हम अपने आदर्शों से गिरते नज़र आ रहे हैं। बुद्धिवाद हमें संवेदनहीन बना रहा है, मानवता से पशुता की ओर धकेल रहा है। हम विज्ञान का सहारा लेकर मानवीय मूल्यों का अवमूल्यन करते दिखाई पड़ रहे हैं। विज्ञान और अध्यात्म वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं- दोनों सत्य शोधक जगत् हैं। एक भौतिक, व्यक्त जगत् में शोध करता है, सत्य का पता लगाता है दूसरा आत्मिक, अव्यय जगत् हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, परन्तु हम इनके टुकड़े-टुकड़े करके स्वयं टुकड़े-टुकड़े हुए जा रहे हैं। हमारे बड़ों ने स्वार्थ और परमार्थ दोनों की सिद्धि का आदर्श हमारे सामने रखकर जीवन में एक संतुलन बनाने का प्रयास किया था। यह संतुलन राष्ट्रीय या भावनात्मक एकता का भी पर्याय है। विभिन्न प्रान्तों, भाषाओं, स्वार्थों में संतुलन बैठाना ही हमारा लक्ष्य और कर्त्तव्य होना चाहिए। इस संतुलन से ही सामाजिक, सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में नैतिकता और सदाचार की प्रतिष्ठा होगी।
(i) भारतीयों ने पिछले दशकों में पश्चिम का अनुकरण करके किस प्रकार की उपलब्धियों को प्राप्त किया है?
(क) वेदों-उपवेदों
(ख) विज्ञान और शिल्पीय
(ग) ज्ञान-विज्ञान
(घ) कला विज्ञान
उत्तर:
(ख) विज्ञान और शिल्पीय
व्याख्या : पश्चिम का अनुकरण करके विज्ञान और शिल्पीय विकास की उपलब्धियों से लाभ उठाकर हमने अपने देश को आगे बढ़ाने का जी-जान से प्रयत्न किया है।
(ii) मानव जीवन का असली सुख किस में हैं?
(क) मानसिक शांति में
(ख) दैहिक
(ग) कर्म में
(घ) अहंकार में
उत्तर:
(क) मानसिक शांति में
(iii) ‘लोगों में …….. का आकर्षण बढ़ता जा रहा है।’ रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) खाओ पियो मौज करो ।
(ख) जीओ और जीने दो
(ग) ओमशांति
(घ) सर्वजन हिताय
उत्तर:
(क) खाओ पियो मौज करो ।
(iv) भोग लिप्सा के कारण कैसी स्थिति बनती है?
(क) अराजकता
(ख) पराजय
(ग) विजय
(घ) सुगमता
उत्तर:
(क) अराजकता
(v) हमारे संवेदनहीन होने का कारण क्या है?
(क) समाजवाद
(ख) सांसारिक मतभेद
(ग) बुद्धिवाद
(घ) प्रगतिवाद
उत्तर:
(ग) बुद्धिवाद
(vi) विज्ञान के सहारे किस का अवमूल्यन हो रहा है?
(क) आत्मा का
(ख) हृदय का
(ग) प्रेरणा
(घ) मानवीय मूल्यों का
उत्तर:
(घ) मानवीय मूल्यों का
व्याख्या : समाज की बढ़ती व्यापकता से मानव अपने आदर्शों से गिरता जा रहा है इस कारण हमारा जीवन संवेदनहीन बनता जा रहा है।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) बड़ों ने निस्वार्थ को आदर्श बनाया।
(II) बड़ों ने परमार्थ और स्वार्थ को आदर्श बनाया।
(III) बड़ों ने लालच को आदर्श बनाया।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और III
(ख) केवल III
(ग) केवल I
(घ) केवल II
उत्तर:
(घ) केवल II
(viii) उदार शिक्षण और सम्पर्क की सुगमता से क्या परिणाम दिखाई पड़ रहे हैं?
(क) भावनाओं का अनोखा होना
(ख) भावनाओं का उदार और व्यापक होना
(ग) निराश्रित जीवन जीना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) भावनाओं का उदार और व्यापक होना
व्याख्या : उदार शिक्षण और सम्पर्क की सुगमता से भावनाएँ उदार और व्यापक बनती जा रही हैं और हम अपने आदर्शों से गिरते जा रहे हैं।
(ix) मानसिक शब्द में मूल शब्द पहचानिए।
(क) मान
(ख) मन
(ग) मानस
(घ) मानसी
उत्तर:
(ख) मन
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): गद्यांश का उचित शीर्षक विज्ञान और अध्यात्म होगा।
कारण (R): गद्यांश का उचित शीर्षक बुद्धिवाद है।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
‘मस्त योगी है कि हम देखकर सबका सुखी हैं,
कुछ अजब मन है कि हम देखकर सबका दुःखी हैं।
तुम हमारी चोटियों की बर्फ को यो मत कुरेदो,
दहकता लावा हृदय में है कि हम ज्वालामुखी हैं।
लास्य भी हमने किए हैं और ताण्डव भी किए हैं,
वंश मीरा और शिव के, विष पिया है और जिए हैं।
दूध माँ का या कि चन्दन का कि केसर जो समझ लो,
यह हमारे देश की रज है कि हम इसके लिए हैं।
(i) इस काव्यांश में किस देश के वासियों का वर्णन है?
(क) विदेश के
(ख) भारत के
(ग) जापान के
(घ) इंग्लैंड के
उत्तर:
(ख) भारत के
(ii) भारतीयों के हृदय में क्या दहकता है?
(क) लावा
(ख) आग
(ग) ज्वाला
(घ) रोशनी
उत्तर:
(क) लावा
(iii) ताण्डव किस के द्वारा किया नृत्य है?
(क) नर्तकी
(ख) नट
(ग) शिव
(घ) समाज
उत्तर:
(ग) शिव
(iv) चंदन और केसर की तुलना किस से की है?
(क) भारतीयों से
(ख) देश की रज से
(ग) शक्ति से
(घ) पवित्रता से
उत्तर:
(ख) देश की रज से
व्याख्या : चंदन और केसर की तुलना देश की रज से की गई है।
(v) काव्यांश का उचित शीर्षक बताइए।
(क) सफल भारत
(ख) सुंदर भारत
(ग) सामर्थ्यवान भारत
(घ) निराला भारत
उत्तर:
(ग) सामर्थ्यवान भारत
अथवा
कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो
तू जिस जगह जागा सबेरे, उस जगह से बढ़ के सो
जैसा उठा वैसा गिरा जाकर बिछौने पर
तिफल जैसा प्यार यह जीवन खिलौने पर
बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना
एक ज़िद को जकड़ लेकर ठेलते जाना
गलत है, बेसूद है, कुछ रच के सो, कुछ गढ़ के सो
तू जिस जगह जागा सबेरे, उस जगह से बढ़ के सो
दिन भर इबारत पेड़-पत्ती और पानी की
बंद घर की, खुले-फैले खेतधानी की
हवा की, बरसात की हर खुश्क की, तर की
गुजरती दिन भर रही जो आप की, पर की
उस इबादत के सुनहरे वर्क से मन मढ़ के सो
(i) कवि ने किसे बेसुध कहा है?
(क) बेहोश को
(ख) व्यर्थ कार्य करने वालों को
(ग) कुछ कार्य न करने वालों को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) व्यर्थ कार्य करने वालों को
व्याख्या : कवि ने उस व्यक्ति को बेसुध कहा है जो बिना कुछ कार्य किए समय बिताता है या बिना-सोचे-समझे निरर्थक कार्य करता है।
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) मन मढ़के सो में अनुप्रास अलंकार है।
(II) मन मढ़के सो में रूपक अलंकार है।
(III) मन मढ़के सो में यमक अलंकार है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) I और II
(ग) II और III
(घ) केवल III
उत्तर:
(क) केवल I
(iii) ‘जैसा उठा वैसा गिरा’ का क्या अर्थ है?
(क) जैसा था वैसा ही है
(ख) काम ना करने वाले लोगों के लिए
(ग) सामान्य व्यवहार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) काम ना करने वाले लोगों के लिए
व्याख्या : कवि ने मनुष्य की अकर्मण्यता के विषय में कहा है। अकर्मण्य व्यक्ति जैसे निष्क्रिय भाव से जागता है वैसे ही दिनभर कोई प्रयास किए बिना शाम को सो जाता है।
(iv) इबारत को किससे मढ़ना है?
(क) लकड़ी से
(ख) शीशे से
(ग) सुनहरी वर्क से
(घ) ताँबे से
उत्तर:
(ग) सुनहरी वर्क से
(v) काव्यांश का शीर्षक लिखिए
(क) परिश्रम
(ख) कार्य और मेहनत
(ग) परिश्रम का महत्त्व
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ग) परिश्रम का महत्त्व
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
(i) अखबारों और पत्रिकाओं में कितने शब्दों तक के फीचर छपते हैं?
(क) 300 से 3000 तक
(ख) 250 से 2000 तक
(ग) 350 से 3000 तक
(घ) 550 से 3500 तक
उत्तर:
(ख) 250 से 2000 तक
(ii) विचारपरक लेखन का प्रमुख रूप क्या होता है?
(क) फीचर लेखन
(ख) स्तंभ लेखन
(ग) आलेख लेखन
(घ) रिपोर्ट लेखन
उत्तर:
(ख) स्तंभ लेखन
व्याख्या : स्तम्भ लेखन विचारपरक लेखन का प्रमुख रूप है। कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान वाले होते हैं, ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर अखबार उन्हें नियमित स्तम्भ लिखने का जिम्मा देता है। स्तम्भ का विषय चुनने और उसमें विचार व्यक्त करने की उसे पूरी स्वतंत्रता रहती है।
(iii) जिसमें अनुपलब्ध तथ्यों को गहरी छानबीन कर सार्वजनिक किया जाता है वह रिपोर्ट क्या कहलाती है?
(क) इंडेप्थ रिपोर्ट
(ख) विवरणात्मक रिपोर्ट
(ग) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट
(घ) खोजी रिपोर्ट
उत्तर:
(ग) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कॉलम ‘ख’ |
(i) भारत में इंटरनेट का दूसरा दौर | (i) संवाद |
(ii) नाटक का सशक्त माध्यम | (ii) 2003 |
(iii) भारत का पहला छापाखाना | (iii) तीन |
(iv) उल्टा पिरामिड के हिस्से | (iv) गोवा |
(क) (ii), (i), (iv), (iii)
(ख) (ii), (iii), (iv), (i)
(ग) (i), (ii), (iii), (iv)
(घ) (iii), (iv), (i), (ii)
उत्तर:
(क) (ii), (i), (iv), (iii)
(v) एक अच्छे और रोचक फीचर के साथ क्या होना ज़रूरी है?
(क) फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि
(ख) कल्पनाओं की उड़ान
(ग) विचारों की गंभीरता
(घ) उपरोक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(क) फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ी मानेंगे,
एक और कोशिश
दकि
चीज़ रजिए
देखिए
हमें दोनों को एक संग रुलाने हैं।
आप और वह दोनों
कैमरा
इस को
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है,
अब मुसकुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई।)
धन्यवाद
(i) कार्यक्रम संचालक परदे पर फूली हुई आँख की तसवीर क्यों दिखाना चाहता है?
(क) उनके कष्टों को बताकर कार्यक्रम प्रभावी बनाना
(ख) उनके प्रति सहानुभूति दिखाना
(ग) अपाहिजों को समाज के सामने लाना
(घ) उनकी वास्तविकता बताना
उत्तर:
(क) उनके कष्टों को बताकर कार्यक्रम प्रभावी बनाना
व्याख्या : कार्यक्रम संचालक परदे पर फूली हुई आँख की बड़ी तसवीर इसलिए दिखाना चाहता है ताकि वह लोगों को इसके कष्ट के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बता सके। इससे जहाँ कार्यक्रम प्रभावी बनेगा, वहीं संचालक का वास्तविक उद्देश्य भी पूरा होगा।
(ii) ‘एक और कोशिश’ इस पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
(क) अपाहिज को समझाने की
(ख) उसके कष्टों को मिटाने की
(ग) उनसे मनमाना व्यवहार करवाने की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) उनसे मनमाना व्यवहार करवाने की
व्याख्या : ‘एक और कोशिश’ कैमरामैन व कार्यक्रम संचालक कर रहे हैं। वे अपाहिज को रोती मुद्रा में दिखाकर अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं, इस प्रकार वे अपाहिज से मनमाना व्यवहार करवाना चाहते हैं, जिसमें वे अभी तक सफल नहीं हो पाए।
(iii) कार्यक्रम-संचालक दोनों को एक साथ रुलाना चाहता है, यहाँ दोनों कौन हैं?
(क) कार्यक्रम संचालक व अपाहिज
(ख) अपाहिज व दर्शक
(ग) कार्यक्रम संचालक व दर्शक
(घ) कार्यक्रम संचालक व अपाहिज
उत्तर:
(ख) अपाहिज व दर्शक
व्याख्या : कार्यक्रम संचालक अपाहिज व दर्शकों-दोनों को एक साथ रुलाना चाहता था। ऐसा करने से उसके कार्यक्रम का सामाजिक उद्देश्य पूरा हो जाता तथा कार्यक्रम भी रोचक व लोकक्रिय हो जाता।
(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) फिर हम परदे – अनुप्रास अलंकार
(ख) फूली हुई आँख – उपमा अलंकार
(ग) उसके होंठों पर – उपमा अलंकार
(घ) आशा है आप उसे – अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(घ) आशा है आप उसे – अनुप्रास अलंकार
व्याख्या : संचालक कार्यक्रम खत्म होने पर मुस्कुराता है। उसे अपने कार्यक्रम के सफल होने की खुशी है। उसे अपाहिज की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं। इस मुस्कुराहट में मीडिया की संवेदनहीनता छिपी है। इसमें पीड़ित के प्रति सहानुभूति नहीं, बल्कि अपने व्यापार की सफ़लता छिपी है।
(v) ‘सामाजिक’ में प्रत्यय है
(क) आजिक
(ख) इक
(ग) ईक
(घ) अक
उत्तर:
(ख) इक
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)
फिर मेरी दृष्टि में आदर्श समाज क्या है? ठीक है, यदि ऐसा पूछेगे, तो मेरा उत्तर होगा कि मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा? क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविधि हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध-पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है, और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है।
(i) लेखक ने किन विशेषताओं को आदर्श समाज की धुरी माना है
(क) स्वतंत्रता
(ख) समानता
(ग) भाईचारा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(i) विकल्प (घ) सही है।
व्याख्या : लेखक उस समाज को आदर्श मानता है जिसमें स्वतंत्रता, समानता व भाईचारा हो। उसमें इतनी गतिशीलता हो कि सभी लोग एक साथ सभी परिवर्तनों को ग्रहण कर सकें। ऐसे समाज में सभी के सामूहिक हित होने चाहिए तथा सबकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।
(ii) भ्रातृता के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
(क) भाई
(ख) भाई का रिश्ता
(ग) भाईचारे की भावना
(घ) पारिवारिक रिश्ता
उत्तर:
(ग) भाईचारे की भावना
व्याख्या : ‘भ्रातृता’ का अर्थ है-भाईचारा। लेखक ऐसा भाईचारा चाहता है जिसमें बाधा न हो। सभी सामूहिक रूप से एक-दूसरे के हितों को समझें तथा एक-दूसरे की रक्षा करें।
(iii) ‘अबाध संपर्क’ से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(क) मिलना-जुलना
(ख) सभी में उठना बैठना
(ग) बिना बाधा से मिलना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) बिना बाधा से मिलना
व्याख्या : ‘अबाध संपर्क’ का अर्थ है-बिना बाधा के संपर्क। इन संपर्कों में साधन व अवसर सबको मिलने चाहिए।
(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप भाईचारे को कहा गया है।
कारण (R): क्योंकि लोकतंत्र में जनता का शासन नहीं है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(घ) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
व्याख्या-लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप भाईचारा है। यह दूध-पानी के मिश्रण की तरह होता है। इसमें उदारता होती है।
(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) गतिशील का विलोम शब्द रुकावट है।
(II) गतिशील का विलोम बाधा है।
(III) गतिशील का विलोम गतिहीन है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल III
(ख) केवल II
(ग) केवल I
(घ) I और II
उत्तर:
(क) केवल III
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(i) यशोधर पंत काम के प्रति कैसे व्यक्ति थे?
(क) ईमानदार
(ख) मिलनसार
(ग) झगड़ालू
(घ) क और ख दोनों
उत्तर:
(घ) क और ख दोनों
(ii) दफ्तर की घड़ी में कितना समय होने पर कर्मचारियों की सुस्ती पर कटाक्ष करते हैं?
(क) 5.25 पर
(ख) 4.00 पर
(ग) 5.00 पर
(घ) 4.30 पर
उत्तर:
(क) 5.25 पर
(iii) ‘जूझ’ उपन्यास को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला था?
(क) सन् 1980 में
(ख) सन् 1985 में
(ग) सन् 1990 में
(घ) सन् 1975 में
उत्तर:
(ग) सन् 1990 में
(iv) ‘जूझ’ उपन्यास में किसका वर्णन किया गया है?
(क) महात्मा गांधी का
(ख) आनंद यादव का
(ग) रघुवीर सहाय का
(घ) जवाहरलाल नेहरू का
उत्तर:
(ख) आनंद यादव का
(v) राखलदास बनर्जी मुअनजो-दड़ो कब आए थे?
(क) सन् 1915 में
(ख) सन् 1920 में
(ग) सन् 1922 में
(घ) सन् 1925 में
उत्तर:
(ग) सन् 1922 में
(vi) मुहनजो-दड़ो नगर की सभ्यता किस राज्य की सभ्यता से मिलती जुलती है।
(क) राजस्थान की
(ख) गुजरात की
(ग) महाराष्ट्र की
(घ) पंजाब की
उत्तर:
(क) राजस्थान की
व्याख्या : मुअनजो-दड़ो की गलियों में घरों को देखकर लेखक को राजस्थान याद आता है और ज्वार, बाजरे की खेती व, बेर भी समानता के कारण हैं।
(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) यशोधर बाबू के अनुसार परम्परागत विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
(II) यशोधर बाबू के अनुसार पाश्चात्य विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
(III) यशोधर बाबू के अनुसार आधुनिक विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
(IV) यशोधर बाबू के अनुसार सामाजिक विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल III
(ग) IV और III
(घ) I, II और III
उत्तर:
(घ) I, II और III
(viii) ‘हम लोगों के यहाँ सिल्वर वेडिंग कब से होने लगी है?’ यह कथन किसके द्वारा कहा गया है
(क) चंदा के द्वारा
(ख) भूषण के द्वारा
(ग) मोहन के द्वारा
(घ) यशोधर बाबू के द्वारा
उत्तर:
(ग) मोहन के द्वारा
(ix) कुंड की सीढ़ियाँ किस दिशा में उतरती हैं?
(क) उत्तर-दक्षिण
(ख) दक्षिण-पूर्व
(ग) पूर्व-पश्चिम
(घ) उत्तर-पूर्व
उत्तर:
(ग) पूर्व-पश्चिम
(x) सिंधु घाटी के लोग अन्न का क्या करते थे?
(क) निर्यात
(ख) आयात
(ग) खाद्यान्नों में
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ख) आयात
रखण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न
7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) मिट्टी तेरे रूप अनेक
(ख) सबको भाए मधुर वाणी
(ग) मर्यादित जीवन का आधार:सादा जीवन उच्च विचार
(घ) पर्वतीय स्थल की यात्रा का रोमांच
उत्तर:
(क) मिट्टी तेरे रूप अनेक
प्रायः जब किसी वस्तु को अत्यंत तुच्छ बताना होता है तो लोग कह उठते हैं कि यह तो मिट्टी के भाव मिल जाएगी। लोगों की धारणा मिट्टी के प्रति भले ही ऐसी हो परंतु तनिक-सी गहराई से विचार करने पर यह धारणा गलत साबित हो जाती है। समस्त जीवधारियों को यहाँ तक कि पेड़-पौधों को भी मिट्टी शरण देती है। आध्यात्मवादियों का तो यहाँ तक मानना है कि मानव शरीर के निर्माण के लिए जिन तत्त्वों का प्रयोग हुआ है उनमें मिट्टी भी एक है। जब तक शरीर जिन्दा रहता है तब तक मिट्टी उसे शांति और चैन देती है और फिर मृत शरीर को अपनी गोद में समाहित कर लेती है।
पृथ्वी पर जीवन का आधार यही मिट्टी है, जिसमें नाना प्रकार के फल, फ़सल और अन्य खाद्य वस्तुएँ पैदा होती हैं, जिसे खाकर मनुष्य एवं अन्य प्राणी जीवित एवं हष्ट-पुष्ट रहते हैं। यह मिट्टी कीड़े-मकोड़े और छोटे जीवों का घर भी है। यह मिट्टी विविध रूपों में मनुष्य और अन्य जीवों का कल्याण करती है। विभिन्न देवालयों को नवजीवन से भरकर कल्याणकारी रूप दिखाती है। मिट्टी का बच्चों से तो अटूट संबंध हैं। इसी मिट्टी में लोटकर, खेल-कूदकर वे बड़े होते हैं और बलिष्ठ बनते हैं। मिट्टी के खिलौनों से खेलकर वे अपना मनोरंजन करते हैं। वास्तव में मिट्टी हमारे लिए विविध रूपों में नाना ढंग से उपयोगी है।
(ख) सबको भाए मधुर वाणी
कोयल काको दुःख हरे, कागा काको देय। मीठे वचन सुनाए के, जग अपनो करि लेय।। यूँ तो कोयल और कौआ दोनों ही देखने में एक-से होते हैं परंतु वाणी के कारण दोनों में जमीन आसमान का अंतर हो जाता है। दोनों पक्षी किसी को न कुछ देते हैं और न कुछ लेते हैं परंतु कोयल अपनी मधुर वाणी से जग को अपना बना लेती है और कौआ अपनी कर्कश वाणी के कारण भगाया जाता है। कोयल की मधुर वाणी कर्ण प्रिय लगती है और उसे सब सुनने को इच्छुक रहते हैं। यही स्थिति समाज की है।
समाज में वे लोग सभी के प्रिय बन जाते हैं जो मधुर बोलते हैं जबकि कटु बोलने वालों से सभी बचकर रहना चाहते हैं। मधुर वाणी औषधि के समान होती है जो सुनने वालों के तन और मन को शीतल कर देती है। इससे लोगों को सुखानुभूति होती है। इसके विपरीत कटुवाणी उस तीखे तीर की भाँति होती है जो कानों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करती है और पूरे शरीर को कष्ट पहुँचाती है। कड़वी बोली जहाँ लोगों को ज़ख्म देती है वही मधुर वाणी वर्षा से हुए मन के घाव को भर देती है।
मधुर वाणी किसी वरदान के समान होती है जो सुनने वाले को मित्र बना देती है। मधुर वाणी सुनकर शत्रु भी अपनी शत्रुता खो बैठते हैं। इसके अलावा जो मधुर वाणी बोलते हैं उन्हें खुद को संतुष्टि और सुख की अनुभूति होती है। इससे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावी एवं आकर्षक बन जाता है। इससे व्यक्ति के बिगड़े काम तक बन जाते हैं।
(ग) मर्यादित जीवन का आधार : सादा जीवन उच्च विचार
भारतीय संस्कृति को समृद्धशाली और लोकप्रिय बनाने में जिन तत्त्वों का योगदान है उनमें एक है-सादा जीवन उच्च विचार। सादा जीवन उच्च विचार रहन-सहन की एक शैली है जिससे भारतीय ही नहीं विदेशी तक प्रभावित हुए हैं। प्राचीनकाल में हमारे देश के ऋषि मुनि भी इसी जीवन शैली को अपनाते थे। भारतीयों को प्राचीनकाल से ही सरल और सादगीपूर्ण जीवन पसंद रहा है।
इनके आचरण में त्याग, दया, सहानुभूति, करुणा, स्नेह उदारता, परोपकार की भावना आदि गुण विद्यमान हैं। मनुष्य के सादगीपूर्ण जीवन के लिए इन गुणों की प्रगाढ़ता आवश्यक है। भारतीयों का जीवन किसी तप से कम नहीं रहा है क्योंकि उनके विचारों में महानता और जीवन में सादगी रही है। प्राचीनकाल से ही यह नियम बना दिया गया था कि जीवन के आरंभिक 25 वर्ष को ब्रह्मचर्य जीवन के रूप में बिताया जाए। इस काल में बालक गुरुकुलों में रहकर सादगी और नियम का पाठ सीख जाता था।
इनका जीवन ऐशो-आराम और विलासिता से कोसों दूर हुआ करता था। यही बाद में भारतीयों के जीवन का आधार बन जाता था। महात्मा गांधी, सरदार पटेल आदि का जीवन सादगी का दूसरा नाम था। वे एक धोती में जिस सादगी से रहते थे वह दूसरों के लिए आदर्श बन गया। वे दूसरों के लिए अनुकरणीय बन गए। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन भी सादगीपूर्ण जीवन बिताते थे। दुर्भाग्य से आज लोगों की सोच में बदलाव आ गया है। अब सादा जीवन जीने वालों को गरीबी और पिछड़ेपन का प्रतीक माना जाने लगा है। अब लोगों की पहचान उनके कपड़ों से है। लोग उपभोग को ही सुख मान बैठे हैं। सुख एकत्र करने की चाहत में अब जीवन तनावपूर्ण बनता जा रहा है।
(घ) पर्वतीय स्थल की यात्रा का रोमांच
मनुष्य के मन में यात्रा करने का विचार जोर मारता रहता है। उसे बस मौके की तलाश रहती है। मुझे भी यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। आखिर मुझे अक्टूबर के महीने में यह मौका मिल ही गया जब पिता जी ने बताया कि हम सभी वैष्णो देवी जाएँगे। वैष्णों देवी का नाम सुनते ही मन बल्लियों उछलने लगा और मैं तैयारी में जुट गया। उधर माँ भी आवश्यक तैयारियाँ करने के क्रम में कपड़े, चादर और खाने के लिए नमकीन बिस्कुट आदि पैक करने लगी।
आखिर नियत समय पर हम प्रातः तीन बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँचे और स्वराज एक्सप्रेस से जम्मू के लिए चल पड़े। लगभग आधे घंटे बाद हम दिल्ली की सीमा पार करते हुए सोनीपत पहुँचे। अब तक सवेरा हो चुका था। दोनों ओर दूर तक हरे-भरे खेत दिखाई देने लेगे। इसी बीच पूरब से भगवान भास्कर का उदय हुआ। उनका यह रूप मैं दिल्ली में नहीं देख सका था। दस बजे तक तो मैं जागता रहा पर उसके बाद चक्की बैंक पहुँचने पर मेरी नींद खुली। उससे आगे जाने पर हमें एक ओर पहाड़ नज़र आ रहे थे।
वहाँ से कटरा जाकर हमने पैदल चढ़ाई की। पर्वतों को इतने निकट से देखने का यह मेरा पहला अवसर था। इनकी ऊँचाई और महानता देखकर अपनी लघुता का अहसास हो रहा था। अब मुझे समझ में आया कि ‘अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे’ मुहावरा क्यों कहा गया होगा। वैष्णों देवी पहुँचकर वहाँ का पर्वतीय सौंदर्य हमारे दिलों-दिमाग पर अंकित हो गया। वहाँ से भैरव मंदिर पहुँचकर जिस सौंदर्य के दर्शन हुए वह आजीवन भुलाए नहीं भूलेगा।
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) कहानी के नाटय रूप में दृश्य विभाजन कैसे करते हैं?
उत्तर:
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन निम्न प्रकार करते हैं-
(i) कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके दृश्य बनाए जाते हैं।
(ii) प्रत्येक दृश्य कथानक के अनुसार बनाया जाता है।
(iii) एक स्थान और समय पर घट रही घटना को एक दृश्य में लिया जाता है।
(iv) दूसरे स्थान और समय पर घट रही घटना को अलग दृश्यों में बाँटा जाता है।
(v) दृश्य विभाजन करते समय कथाक्रम और विकास का भी ध्यान रखा जाता है।
(ख) रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या सीमित क्यों होती है?
उत्तर:
रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या 5-6 से अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसमें श्रोता केवल ध्वनि के सहारे ही पात्रों को याद रख पाता है। यदि रेडियो नाटक में अधिक पात्र होंगे तो श्रोता उन्हें याद नहीं रख सकेंगे और नाटक से उनकी रुचि हटने लगेगी इसलिए रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या सीमित होनी चाहिए।
(ग) रचनात्मक लेखन कैसे लिखते हैं ?
उत्तर:
लिखने के लिए जो भी विषय चुनें, उसके बारे में पूरी जानकारी हो, तथ्यों की सत्यता जाँचने के बाद ही उनका प्रयोग करें। विषय की अधिक जानकारी, आपकी सोच और शब्द चयन, लेखन को प्रभावशाली और रचनात्मक बना देते हैं। जब भी कुछ लिखना चाहते हैं, और अचानक से कोई विचार मन में आता है, तो उसे तुरंत लिख लेना चाहिए। जिससे हमारे लेखन में खास प्रस्तुतीकरण हो।
9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) साक्षात्कार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
समाचार माध्यमों में साक्षात्कर का बहुत महत्त्व है। पत्रकार एक तरह से साक्षात्कार के ज़रिये ही समाचार, फ़ीचर, विशेष रिपोर्ट और अन्य कई तरह के पत्रकारीय लेखन के लिए कच्चा माल इकट्ठा करते हैं। पत्रकारीय साक्षात्कार और सामान्य बातचीत में यह फ़र्क होता है कि साक्षात्कार से एक पत्रकार किसी अन्य व्यक्ति के तथ्य, उसकी राय और भावनाएँ जानने के लिए सवाल पूछता है। साक्षात्कार का एक स्पष्ट मकसद उसका ढाँचा होता है।
एक सफ़ल साक्षात्कार के लिए आपके पास न सिर्फ ज्ञान होना चाहिए बल्कि आपमें संवेदनशीलता, कूटनीति, धैर्य और साहस जैसे गुण भी होने चाहिए। एक अच्छे और सफ़ल साक्षात्कार के लिए यह ज़रूरी है कि आप जिस विषय पर और जिस व्यक्ति के साथ साक्षात्कार करने जा रहे हैं, उसके बारे में आपके पास पर्याप्त जानकारी हो। दूसरे आप साक्षात्कार से क्या निकालना चाहते हैं, इसके बारे में स्पष्ट रहना बहुत ज़रूरी है। आपको वे सवाल पूछने चाहिए जो किसी अख़बार के एक आम पाठक के मन में हो सकते हैं। साक्षात्कार को अगर रिकॉर्ड करना संभव हो तो बेहतर है, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो साक्षात्कार के दौरान नोट्स तैयार करते रहें।
(ख) अख़बार के लिए प्रयुक्त भाषा में ध्यान रखने वाली बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अख़बार और पत्रिका के लिए लिखने वाले लेखक और पत्रकार को यह हमेशा याद रखना चाहिए कि वह विशाल समुदाय के लिए लिख रहा है जिसमें एक विश्वविद्यालय के कुलपति सरीखे विद्वान से लेकर कम पढ़ा-लिखा मज़दूर और किसान सभी शामिल हैं। इसलिए उसकी लेखन शैली, भाषा और गूढ़ से गूढ़ विषय की प्रस्तुति ऐसी सहज, सरल और रोचक होनी चाहिए कि वह आसानी से सबकी समझ में आ जाए। पत्रकारीय लेखन में अलंकारिक-संस्कृतनिष्ठ भाषा-शैली के बजाय आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।
(ग) पत्रकारीय लेखन का रूप समझाइए।
उत्तर:
अख़बार या अन्य समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक सूचना पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं। इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं और इसके कई रूप हैं। पत्रकार तीन तरह के होते हैं- पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र। पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन में काम करनेवाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी होता है, जबकि अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर) किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करनेवाला पत्रकार है, लेकिन फ्रीलांसर पत्रकार का संबंध किसी खास अख़बार से नहीं होता है, बल्कि वे भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए लिखता है।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) मनुष्य संसार में कष्टों को सहते हुए ही खुश और मस्त कैसे रह सकता है? समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इस नाते उसे समाज के हर संबंध का निर्वाह करना पड़ता है। जीवन में हर तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। सुख और दु:ख तो मानव जीवन का अभिन्न अंग है। सुख है तो दुःख आएगा और यदि दु:ख है तो सुख अवश्य है। सुख और दुःख इन्हीं दो आधारों पर मानव का जीवन चलता है। संसार में कष्ट सहना प्रत्येक मानव की नियति है। चाहे व्यक्ति अमीर हो या गरीब सभी को सुख-दुःख झेलने पड़ते हैं। जीवनरूपी गाड़ी इन्हीं दो पहियों पर चलती है।
जिस प्रकार रात के बाद सवेरा होता है ठीक उसी प्रकार दु:ख के बाद सुख आता है। व्यक्ति इन दुःखों में भी खुशी और मस्ती का जीवन जी सकता है। वह दुःखों में ज्यादा दुःखी न हो उसे ऐसे समझना चाहिए कि यह तो नियति है। यही मानव जीवन है। बिना दुःखों के सुखों की सच्ची अनुभूति नहीं की जा सकती अर्थात् दुःख ही सुख की कसौटी है। यदि व्यक्ति ऐसा सोच ले तो वह दुःख की स्थिति में भी खुश रहेगा तो उसका जीवन मस्ती से भरपूर होगा। सुख में अधिक सुखी न होना और दु:ख में अधिक दुःखी न होना ही मानव जीवन को व्यवस्थित कर देता है। जो व्यक्ति इन दोनों में सामंजस्य बनाकर चलता है वह दुःख में भी खुश और मस्त रहता है।
(ख) ‘बात सीधी थी पर’ कविता में छुपे भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता ‘बात सीधी थी पर’ कुँवर नारायण जी के कविता संग्रह में संकलित है। कविता में कथ्य और माध्यम के द्वंद्व उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता हैं। अब तक जिन शब्दों को हम एक-दूसरे को पर्याय के रूप में जानते रहे हैं उन सब के भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या अतिरिक्त मेहनत की ज़रूरत नहीं होती वह सहूलियत के साथ हो जाता है।
(ग) छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना क्यों कहा गया है?
उत्तर:
कवि ने छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहा है। इससे कवि बताना चाहता है कि कवि-कर्म तथा खेती में बहुत समानता है। जिस प्रकार छोटा खेत चौकोर होता है, उसी प्रकार कागज़ का पन्ना भी चौकोर होता है। जिस प्रकार खेत में बीज़, जल, रसायन डालते हैं और उसमें अंकुर, फूल, फल आदि उगते हैं, उसी प्रकार कागज़ के पन्ने पर कवि अपने भाव के बीज बोता है तथा उसे कल्पना, भाषा आदि के ज़रिये रचना के रूप में फ़सल मिलती है। फ़सल एक निश्चित समय के बाद काट ली जाती है, परंतु कृति से हमेशा रस मिलता है।
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) ‘किशोर और युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं’- पतंग कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किशोर और युवा वर्ग में क्षमता व इच्छाशक्ति चरम सीमा पर होती है। वे स्वयं अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उसको पाने की हर संभव कोशिश करते हैं। इनकी आँखों में आसमान की ऊँचाइयों को पाने के सपने होते हैं। बड़ों की बच्चों की क्षमता व उनकी सलाह को भी ध्यान में रखना चाहिए।
(ख) स्त्री के प्रति तुलसी युग का दृष्टिकोण कैसा था?
उत्तर:
तुलसी का युग स्त्रियों के लिए बहुत कष्टदायी था। लोग स्त्री का घोर अपमान करते थे। पैसों के लिए वे बेटी तक को बेच देते थे। इस काल में स्त्रियों का हर प्रकार से शोषण होता था। नारी के बारे में लोगों की धारणा संकुचित थी। नारी केवल भोग की वस्तु थी। इसी कारण उसकी दशा दयनीय थी। वह शोषण की चक्की में पिसती जा रही थी।
(ग) रुबाइयाँ के आधार पर घर आँगन में दीवाली और राखी के दृश्य बिंब को अपने शब्दों में समझाइए।
उत्तर:
दीवाली के त्योहार पर पूरा घर रंगरोगन से पुता हुआ है। माँ अपने नन्हें बेटे को प्रसन्न करने के लिए चीनी मिट्टी के जगमगाते खिलौने लेकर आती है। वह बच्चों के घर में दीया जलाती है। इसी तरह राखी के समय आकाश में काले-काले बादलों की हल्की घटा छाई हुई है। छोटी बहन ने पाँवों में पाजेब पहनी हुई है जो बिजली की तरह चमक रही है।
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) दो कन्याएँ पैदा करने पर भक्तिन के साथ जेठानियों ने क्या किया?
उत्तर:
जब भक्तिन अर्थात् लछमिन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो ज़मीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफ़ल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
(ख) ‘बाज़ार दर्शन’ के लेखक ने भगत जी का उदाहरण क्यों दिया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक ने इस निबंध में भगत जी का उदाहरण दिया है जो बाज़ार से काला नमक व जीरा लाकर वापस लौटते हैं। इन पर बाज़ार का आकर्षण काम नहीं करता क्योंकि इन्हें अपनी ज़रूरत का ज्ञान है। इससे पता चलता है कि मन पर नियंत्रण वाले व्यक्ति पर बाज़ार का कोई प्रभाव नहीं होता। ऐसे व्यक्ति बाज़ार को सही सार्थकता प्रदान करते हैं। दूसरे, उनका यह रुख समाज में शांति पैदा करता है क्योंकि यह पैसे की पॉवर नहीं दिखाता। यह प्रतिस्पर्धा नहीं उत्पन्न करता।
(ग) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का संदेश बताइए।
उत्तर:
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में व्यवस्था के बदलने के साथ लोककला व इसके कलाकार के अप्रासांगिक हो जाने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एक दम नई व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकार के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हायतौबा करने वाली निरीहता की भूमि पर पटक देती है।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?
उत्तर:
गुड़धानी गुड़ व अनाज के मिश्रण से बने खाद्य पदार्थ को कहते हैं। बच्चे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करते हैं। पानी से प्यास बुझती है, साथ ही अच्छी वर्षा से ईख व धान भी उत्पन्न होता है, यहाँ ‘गुड़धानी’ से अभिप्राय अनाज से है। गाँव की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है जो वर्षा पर निर्भर है। अच्छी वर्षा से अच्छी फ़सल होती है जिससे लोगों का पेट भरता है और चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।
(ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के संदर्भ में महात्मा गाँधी का स्मरण क्यों किया है?
उत्तर:
‘हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!’-लेखक ने यहाँ महात्मा गांधी का स्मरण किया है। शिरीष भयंकर गर्मी व लू में भी सरस व फूलदार बना रहता है। गांधी जी अपने चारों ओर छाए अग्निकांड और खून-खच्चर के बीच स्नेही, अहिंसक व उदार दोनों एक समान कठिनाइयों में जीने वाले सरस व्यक्तित्व हैं।
(ग) ‘दासता’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लेखक के मत में ‘दासता’ से अभिप्राय केवल कानूनी पराधीनता नहीं है। दासता की व्यापक परिभाषा है-किसी व्यक्ति को अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता न देना। इसका सीधा अर्थ है-उसे दासता में जकड़कर रखना। इसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित व्यवहार व कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है।