Solving ICSE Class 10 Hindi Previous Year Question Papers ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2013 is the best way to boost your preparation for the board exams.

ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2013 Solved

Section – A (40 Marks)

Question 1.
Write a short composition in Hindi of approximately 250 words on any one of the following topics :- [15]

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर हिंदी में लगभग 250 शब्दों में संक्षिप्त लेख लिखिए :

(i) अपने परिवार के किसी ऐसे सदस्य का वर्णन कीजिए, जिसने आपको प्रभावित किया हो । बताइए कि उस व्यक्ति के प्रभाव ने आपके जीवन को किस प्रकार परिवर्तित किया है ? आपके गुणों को निखारने में और अवगुणों को दूर करने में उस व्यक्ति ने आपकी किस प्रकार सहायता की ?
(ii) त्योहार हमें उमंग एवं उल्लास से भरकर अपनी संस्कृति से जोड़े रखते हैं। आजकल लोगों में त्योहारों को मनाने के प्रति उत्साह एवं आस्था का अभाव देखा जाता है ? लोगों की इस मानसिकता के कारण बताते हुए जीवन में त्योहारों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
(iii) वर्तमान युग में इंटरनेट अपनी उपयोगिता के कारण एक आवश्यकता बनता जा रहा है। इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए और बताइए कि इंटरनेट जीवन में सुविधा के साथ-साथ मुसीबत किस प्रकार बन जाता है ।
(iv) एक कहानी लिखिए जिसका आधार निम्नलिखित उक्ति हो:-
” परिश्रम ही सफलता का सोपान है।
(v) आगे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर वर्णन कीजिए अथवा कहानी लिखिए, जिसका सीधा व स्पष्ट संबंध चित्र से होना चाहिए।
ICSE 2013 Hindi Question Paper Solved for Class 10 1
Answer :
(i) ” परिवार का ऐसा सदस्य जिससे मैं प्रभावित हुआ”
घर-परिवार का वातावरण बालक की प्रथम पाठशाला है और माता उसकी प्रथम गुरु होती है। वह जिस प्रकार से बालक का पालन-पोषण करती है । वह उसी रूप में विकसित होकर समाज के समक्ष आता है। मेरे जीवन में भी मेरी माता की अहम् भूमिका है । परिवार के अन्य लोगों से भी मेरी अधिक समीपता नहीं थी ।
परंतु मेरी माता मेरे साथ परछाईं की तरह रहती थीं । अतः मैं उनके आचरण से ही बहुत प्रभावित हुआ ।

प्रातः काल जल्दी उठना, ईश्वर वन्दना, परिवार के बड़े लोगों को प्रणाम करना, पुनः अपनी नियमित दिनचर्या का पालन करना मुझे मेरी माता ने सिखाया। प्रत्येक कार्य समय पर और ठीक ढंग से करना चाहिए, तभी पूर्ण फल की प्राप्ति होती है ऐसा मेरी माँ कहती थीं। जीवन में सदैव सच्चाई व ईमानदारी का पालन करना मैंने अपनी माँ से ही सीखा। असहाय, दीन-दुःखी जन की सहायता व सेवा करना मैंने अपनी माँ से सीखा। अपनी माता को प्रातः काल से रात तक निरंतर परिश्रम करते देख मुझमें परिश्रमी बनने की भावना का विकास हुआ। किसी भी कार्य को पूरी ईमानदारी, लगन और परिश्रम से करता हूँ।

मेरी माता ने सदैव ईश्वर में आस्था रखने की शिक्षा दी। मैं प्रतिदिन विद्यालय जाने से पूर्व देवालय में पूर्ण श्रद्धा से ईश्वर के समक्ष अपना मस्तक झुकाता हूँ। मेरी माता की शिक्षा का ही परिणाम है कि मैं अपना प्रत्येक कार्य समय से करता हूँ । अतः मेरा कोई कार्य अधूरा नहीं रहता है । स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क रहता है । यह मंत्र मुझे मेरी माता ने दिया, फलस्वरूप मैं नियमित व्यायाम करके स्वयं को स्वस्थ रखता हूँ। समय से प्रातः काल जागना और समय पर रात को सोना जीवन को सफल बनाता है। इससे आप सदैव स्फूर्तियुक्त रहते हैं। यही कारण है कि मुझमें आलस्य लेशमात्र भी नहीं है।

अंत में मैं यही कहूँगा कि मेरी माता गुणों की खान हैं और वे सारे गुण उसने मुझमें उड़ेल कर मेरा हित किया है ताकि मैं एक संपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में उभर कर सामने आऊँ और जीवन के किसी भी मोड़ पर किसी भी संकट का सामना साहस से कर सकूँ ।

(ii) “त्योहारों का महत्त्व बताते हुए उसके प्रति उत्साह एवं आस्था का अभाव ”
भारत में त्योहारों का जाल – सा बिछा हुआ है। इन त्योहारों का संबंध विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, रीति-रिवाज़ों, सामाजिक परंपराओं, किंवदंतियों तथा मान्यताओं से होता है ।

यदि समय-समय आने वाले ये त्योहार न हों, तो हमारा जीवन सूना-सूना तथा शुष्क प्रतीत होगा। ये त्योहार हमारे जीवन में प्रसन्नता तथा उत्साह का संचार करते हैं । परंतु आजकल त्योहारों के प्रति आस्था का अभाव देखा जा सकता है। वर्तमान भाग- दौड़ के जीवन तथा पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से लोग इन्हें परंपरागत ढंग से मनाने में उत्साह का प्रदर्शन नहीं करते। वे केवल औपचारिकताएँ निभाने में ही अपने कर्तव्य की इति – श्री मान लेते हैं। उदाहरण के लिए होली पर परस्पर गले मिलना, पुरानी शत्रुता को विस्मृत कर देना जैसी बातों का अभाव हो गया है। दीपावली का पर्व एक दूसरे के घर उपहारों के आदान-प्रदान तक सिमट कर रहा गया है तथा केवल पटाखों के शोर में लुप्त होता दिखाई दे रहा है।

इसी प्रकार रक्षा बंधन के त्योहार पर भाई अपनी बहनों को कुछ धनराशि देकर ही संतुष्टि का अनुभव कर लेते हैं । अन्य त्योहारों पर पहले जैसा उत्साह दिखाई नहीं पड़ता । कुछ लोग तो इन त्योहारों के प्रति इतने उदासीन हो जाते हैं कि इन्हें पारंपरिक ढंग से मनाने को ढोंग या दिखावा की संज्ञा दे देते हैं ।

सभी त्योहार अपना-अपना महत्त्व रखते हैं तथा जीवन के सूनेपन को दूर कर हमें नैतिक मूल्यों से जोड़े रखते हैं। ये सभी त्योहार हमें अपनी सांस्कृतिक परंपराओं, रीति-रिवाज़ों, मान्यताओं, जीवन-दर्शन तथा भारतीय संस्कृति के उच्चादर्शों से जोड़े रखते हैं। त्योहार चाहे किसी भी धर्म से जुड़े हों वे हमारे जीवन को उल्लास, उमंग, स्फूर्ति, नव चेतना, सद्भाव, स्नेह, मैत्री तथा सांप्रदायिक सद्भाव से भर देते हैं। त्योहारों को मनाने का कारण चाहे कुछ भी हो, उनसे कोई-न-कोई प्रेरणा अवश्य प्राप्त होती है। ये देश की एकता और अखंडता को मज़बूत करते हैं । ये त्योहार हमें धर्म, न्याय तथा सच्चाई के मार्ग पर ले जाते हैं । यही नहीं स्थिति तो यह है कि इन त्योहारों पर धार्मिक सद्भाव के दर्शन भी होते हैं। दीपावली पर आतिशबाज़ी बनाने वाले कारीगर मुसलमान होते हैं, इसी तरह गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा पर मूर्तियाँ बनाने वाले लोग भी अन्य धर्मों से जुड़े होते हैं।

ईद पर हिंदू तथा सिक्ख भाई भी मुसलमानों को ईद की बधाई देते देखे जा सकते हैं। होली के अवसर पर इस प्रकार का भेदभाव प्रायः मिट जाता है कि जिस पर रंग डाला जा रहा है, वह किस धर्म को मानता है । क्रिसमस पर सभी धर्मों के लोग खुशियाँ मनाते हैं । इस प्रकार ये सभी त्योहार सांप्रदायिक सद्भाव को पुष्ट करते हैं । राष्ट्रीय त्योहार हममें देशभक्ति, त्याग और बलिदान की भावना भरते हैं । हमारा कर्तव्य है कि हम त्योहारों को सच्ची आस्था, श्रद्धा एवं विश्वास से मनाएँ तथा उनसे मिलने वाले संदेशों को अपने जीवन में उतारें।

ICSE 2013 Hindi Question Paper Solved for Class 10

(iii)” इंटरनेट का अभूतपूर्व योगदान व हानि ”
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह कथन इंटरनेट के संदर्भ में सही साबित होता है। आधुनिक समय में जहाँ समय का मूल्य बढ़ गया है वहीं इंटरनेट की उपयोगिता महत्त्वपूर्ण हो गई है। आधुनिक समय में इंटरनेट बहुत शक्तिशाली है । कम समय में जटिल से जटिल कार्य इनके द्वारा किया जा सकता है। इस समय इंटरनेट का प्रयोग जीवन के सभी क्षेत्रों में हो रहा है। सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों के अलावा अब इसका व्यापक रूप से प्रयोग उद्योग, उत्पादन, वाणिज्य, वितरण व परिवार आदि सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। बाजार भाव उठने – गिरने का संकेत भी इंटरनेट द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।

बैंकों के लिए इंटरनेट का अभूतपूर्व योगदान है। बड़े-बड़े खातों के रख-रखाव और पैसों के लेन-देन की माथापच्ची से जहाँ एक ओर बैंक कर्मचारियों को फुर्सत मिलती है वहीं सभी संस्थानों, प्रतिष्ठानों में बिल भी कंप्यूटर में इंटरनेट होने से भुगतान किये जा सकते हैं। आजकल बैंकों में रिजर्व बैंक तथा व्यापारिक बैंकों में इंटरनेट का प्रयोग अधिकाधिक होने लगा है। जीवन बीमा निगम के जटिल कार्यों से निपटने के लिए इसी का प्रयोग किया जाता है।

हमारी अंतरिक्ष यात्राएँ इंटरनेट पर आधारित हैं। इसके अभाव में न तो रॉकेट व उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए जा सकते हैं और न ही उनका निरीक्षण किया जा सकता है । अंतरिक्षीय यात्राओं का निर्देशन इंटरनेट के माध्यम से ही संभव है साथ ही अंतरिक्ष से प्रेषित चित्रों का विश्लेषण भी इंटरनेट से ही किया जा सकता है ।

अब आई. आर. सी. टी. सी की वेबसाइट के माध्यम से घर बैठे ही किसी भी गन्तव्य के लिए रेलवे टिकट इंटरनेट से बुक किए सकते हैं । हवाई टिकट, बस यात्रा की टिकट अब घर बैठे इंटरनेट से प्राप्त की जा सकती है। गैस सिलेण्डर की बुकिंग व बिल अदायगी सब कुछ इंटरनेट से संभव है। इंटरनेट की सहायता से हम चलचित्र का आनंद भी ले सकते हैं ।

सभी राष्ट्रों में शिक्षण कार्य में जटिल समस्याओं के समाधान में, अपराध निराकरण आदि में इंटरनेट बहुत सहायक है। इंटरनेट से विवाह कराने तथा ज्योतिष आदि में भी बहुत सहायता मिलती है । हम घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से आमने-सामने बातचीत कर सकते हैं।

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। एक ओर यदि इंटरनेट के अनेक लाभ हैं तो वहीं अनेक हानियाँ भी हैं । इंटरनेट हिंसा को जन्म देता है। इंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता व धोखेबाजी के अनेक मामले सामने आए हैं। भोली-भाली लड़कियों को चैटिंग द्वारा फँसाकर, उनकी ब्ल्यू फिल्म बनाना इंटरनेट के खतरनाक खेल हैं। इंटरनेट द्वारा बहुत से लोग गलत कार्यों को अंजाम देते हैं। आजकल इंटरनेट अपराधी प्रवृत्ति को तेज रफ्तार से जन्म दे रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण साइबर क्राइम है । लोग इंटरनेट के द्वारा दूसरे लोगों के क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि का पासवर्ड चुराकर उनके खाते में से पैसे उड़ा देते हैं। इंटरनेट को बहुत-सी “सोशल नेटवर्किंग साइट” से जोड़कर लोगों को गलत काम में फँसा दिया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि इंटरनेट जितना लाभकारी है उसके दुरुपयोग से होने वाले परिणाम उससे अधिक घातक हैं।

(iv) ” परिश्रम ही सफलता का सोपान है”
एक किसान के चार पुत्र थे। चारों मेहनत करने से बचते थे । यही कारण था कि उनका मन खेती के कार्यों में नहीं लगता था । इस बात से किसान बहुत दुखी और परेशान रहता था ।
एक बार किसान बीमार पड़ गया। उसे लगा कि उसकी जाने की घड़ी निकट आ गई है। उसने अपने चारों पुत्रों को बुलाया और कहा कि मैंने अपना सारा धन खेतों में गाड़ दिया है । मेरी मृत्यु के बाद तुम खेत खोदकर धन निकाल लेना और आपस में बराबर-बराबर बाँट लेना ।

किसान की मृत्यु के पश्चात् चारों ने सोचा क्यों न गड़ा हुआ धन निकाल लिया जाए । यह सोचकर चारों ने खेतों की खुदाई प्रारंभ कर दी। वे दिन भर खेतों की खुदाई करते रहे । उन्होंने खेत का कोना-कोना खोद डाला पर कहीं भी उन्हें गड़ा हुआ धन न मिला। चारों निराश होकर वहीं बैठ गए।

तभी उधर से पंडित दीनानाथ निकले। किसान के बेटों को उदास देखकर उन्होंने उसका कारण पूछा। उन्होंने सारी बातें सच-सच बता दीं। पंडित जी कुछ सोचने लगे और फिर मुसकराकर बोले, ‘जब खुदाई कर ही दी है तो तुम खेतों में बीज बो दो ।” चारों भाइयों ने उनकी बात मानकर बीज बो दिए। थोड़े दिन बाद उनसे छोटे-छोटे पौधे निकल आए। देखते-देखते फसलें लहलहा उठीं। फ़सल पकने पर सबने मिलकर फ़सल काटी और बाज़ार में बेच दी। इससे उन्हें खूब आमदनी हुई। जब वे वापस आ रहे थे तो रास्ते में उन्हें फिर पंडित दीनानाथ मिले। उन्होंने चारों से पूछा, ‘क्या बात है ? तुम सब बहुत प्रसन्न नज़र आ रहे हो ।”

किसान का एक बेटा बोला, “श्रीमान हमें खेतों में गड़ा धन तो नहीं मिला परंतु आपकी सलाह ने हमें बहुत लाभ पहुँचाया। आपकी सलाह ने हमें फ़सल के रूप में काफ़ी धन दे दिया । पंडित दीनानाथ मुसकराते हुए बोले, “तुम्हारे पिता ने ठीक कहा था कि खेतों में धन गड़ा हुआ है। तुमने परिश्रम किया और तुम्हें वह मिल गया । सदा याद रखो परिश्रम ही सफलता का सोपान है, परिश्रम के बिना जीवन में कुछ नहीं मिलता । ”

(v) चित्र प्रस्ताव
प्रस्तुत चित्र में सेना के चार अफसर दिखाई दे रहे हैं । वे सेना की वर्दी पहने हुए हैं। उनके पीछे दो नवयुवक खड़े हुए हैं जो सेना के जवान अर्थात् अफसरों के सहायक प्रतीत होते हैं । बीच में खड़े दो अफसरों की बाँहों में एक बच्चा है जो तौलिया में लिपटा हुआ है । वे सब बड़े प्यार से उस बच्चे को देख रहे हैं । एक बार की बात है कि भारतीय सीमा रेखा पर अचानक आतंकवादियों ने हमला कर दिया। संयोग की बात तो यह थी कि हमारे जवान सावधान थे अतः उनके आक्रमण का मुँह तोड़ जबाव दिया गया। दोनों तरफ से गोलियों की धाँय – धाँय सुनाई दे रही थी। बड़ी भयंकर परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी ।

हमारी सेना के अफसरों व जवानों ने बड़ी कुशलता से उन पर काबू पाने का प्रयास किया। जब वे धीरे-धीरे भागने की कोशिश कर रहे थे तभी हमारे जवानों ने उनके कई जवान ढेर कर दिए। उसी समय मेज़र पौरुष को खबर मिली कि रामवीर नामक जवान की पत्नी गर्भावस्था में प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। उन्होंने तुरंत उसे पास ही सैनिक अस्पताल में भर्ती करने का आदेश दिया।

लगभग दो घंटे की मशक्कत के पश्चात् उस नारी ने एक कन्या को जन्म दिया। तब तक सारा युद्ध समाप्त हो चुका था और सभी अफसर और जवान सीमा से वापस आ चुके थे। लौटने के पश्चात् उन्हें जब यह शुभ समाचार मिला तो वे बहुत खुश हुए बच्ची को तौलिया में लपेटकर उनके पास लाया गया उन अफसरों ने बच्ची को अपनी बाँहों में उठाया और ईश्वर को धन्यवाद दिया कि हे प्रभु तूने ऐसे कठिन समय में जब आतंकवादियों के हमले के समय अफरा-तफरी मच गई थी तब दो जानों को जिंदगी दी। अपनी इस सफलता पर उन्हें हर्ष हुआ और उन्होंने उस बच्ची का नाम वीरा रखा उसकी माँ के पास वापस भेज दिया।

Question 2.
Write a letter in Hindi in approximately 120 words on any one of the topics given below- [7]

निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर हिंदी में लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए:-
(i) आपके क्षेत्र में सड़कों पर बहुत अधिक पानी जमा हो जाता है, क्योंकि अधिकांश सड़कें टूटी हुई हैं। जगह-जगह ‘स्पीड ब्रेकर’ यातायात में सहायक न होकर बाधक बन गए हैं। परिस्थिति की पूर्ण जानकारी देते हुए नगर-निगम के अधिकारी को शिकायती पत्र लिखिए ।
(ii) आपके विद्यालय में कुछ अतिथि आए थे, जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी आपको सौंपी गई थी। अपनी माताजी को पत्र लिखकर बताइए कि वे अतिथि विद्यालय में क्यों आए थे और आपने उनके लिए क्या-क्या किया ?
Answer :
(i) सेवा में,
श्रीमान् स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर निगम इलाहाबाद ।
विषय – सड़कें टूटी होने के कारण जल भराव एवं स्पीड ब्रेकर से होने वाली यातायात असुविधा ।
माननीय महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं इलाहाबाद नगर निगम अधिकारियों का ध्यान अपने क्षेत्र महावीर चौक की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ जहाँ टूटी-फूटी सड़कों के कारण पानी भर जाता है. और कीचड़ हो जाती है । फलस्वरूप यहाँ गंदगी का साम्राज्य है। घरों में रहना व वहाँ से निकलना दूभर हो गया है। दुर्गंध से मक्खी-मच्छर पनपते हैं तथा सांस लेना दूभर हो जाता है । वहीं एक समस्या स्पीड ब्रेकर की है। एक तो सँकरा रास्ता, दूसरे कीचड़ और तीसरे खतरनाक स्पीड ब्रेकर । ऐसा प्रतीत होता है मानो वहाँ से निकलना एक बहुत बड़ा दण्डनीय अपराध है । वहाँ रहने वालों का जीवन नर्क बन गया है।
महोदय, आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारे क्षेत्र की समस्या का समाधान कराने हेतु संबंधित अधिकारी को निर्देश प्रदान करें। ताकि हमें इस परेशानी से छुटकारा मिल सके। आशा है कि आप शीघ्रातिशीघ्र हमें इस समस्या से मुक्त कराएँगे ।
सधन्यवाद ।
भवदीय,
सुधांशु शर्मा
105, नया बाजार कॉलोनी,
रमन वाटिका,
इलाहाबाद ।
दिनांक : 12-04-20….

(ii) 68 लाजपत नगर,
शांति बिहार,
जयपुर।
दिनांक : 18-03-20…
पूजनीय माताजी,
सादर चरण स्पर्श |
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और आप सभी की कुशलता की कामना करता हूँ । माँ ! मैं आपको पत्र यह बताने के लिए लिख रहा हूँ कि मेरे विद्यालय में एक बहुत बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसके निर्णायक के रूप में लगभग दस लोगों को बाहर से आमंत्रित किया गया था। मेरे प्रधानाचार्य जी ने उनके आदर-सत्कार से लेकर उनके ठहरने, खाने-पीने आदि की व्यवस्था का उत्तरदायित्व मुझे ही सौंपा। पहले तो मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी, परंतु फिर मैंने हिम्मत से काम करने का निश्चय किया। सबसे पहले तो मैंने अपने विद्यालय के पास के होटल में उनके रहने, खाने आदि की व्यवस्था की और एक मित्र के पिता की सहायता से एक कार का प्रबंध करवा दिया जिससे अतिथिगणों को आने-जाने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो। यह प्रतियोगिता पाँच दिन चली। पाँचवें दिन जब प्रतियोगिता का समापन समारोह हुआ तब सभी अतिथियों ने मेरे प्रधानाचार्य जी से मेरी बहुत प्रशंसा की। माँ यह सुनकर मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई कि मैं प्रभु की कृपा से इस उत्तरदायित्व का बखूबी पालन कर सका। शेष सब कुशल है, पिताजी को मेरा चरण स्पर्श कहिए एवं छोटी बहन को ढेर सारा प्यार ।
पत्र की प्रतीक्षा में,
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
शुभम जैन

ICSE 2013 Hindi Question Paper Solved for Class 10

Question 3.
Read the passage given below and answer in Hindi the questions that follow, using your own words as far as possible :-
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए। उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए:-
नामू की माँ ने अपने बेटे से कहा, “जा कुल्हाड़ी लेकर पलाश के पेड़ से कुछ छाल उतार ला ।”

” अभी लाया माँ” कहकर नामू ने कुल्हाड़ी उठाई और जंगल की ओर निकल गया । वहाँ उसने पलाश के पेड़ की छाल उतारी और फिर घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में विचार करने लगा कि जब मैं कुल्हाड़ी से पेड़ पर प्रहार करता था, तो एक आवाज़ पेड़ से निकलती थी, कहीं वह आवाज़ पेड़ की कराह तो नहीं थी ? जब मैं कुल्हाड़ी से पेड़ पर प्रहार करता होऊँगा, तो पेड़ को पीड़ा भी तो होती होगी। नामू ने घर आकर पलाश की छाल माँ को सौंप दी और स्वयं घर से दूर कुल्हाड़ी लेकर जा बैठा। वहाँ बैठकर उसने कुल्हाड़ी से अपना पैर रगड़ना शुरू किया। रगड़ के साथ पाँव में पीड़ा भी होती थी, खून था और नाम के मुँह से हल्की-हल्की चीखें भी निकलती थीं। यह सब उसने पेड़ की पीड़ा का अनुभव करने के लिए किया था । कुछ देर बाद वह घर लौट आया और माँ से खाना माँगा । उसके चेहरे पर पीड़ा की स्पष्ट रेखाएँ उभर आई थीं, मगर वह चुप था । माँ ने देखा, लेकिन कुछ समझी नहीं । एकाएक माँ की दृष्टि उसके कपड़ों पर पड़ी, जो खून से लाल हो चुके थे। माँ ने घबराकर पूछा, या क्या हुआ, नामू ?”
“कुछ नहीं माँ, तुम चिंता मत करो। ”

माँ और अधिक घबराकर बोली, “चिंता कैसे न करूँ बेटा, तेरे शरीर का खून देखकर मैं चिंता नहीं करूँगी, तो फिर और कौन चिंता करेगा ?” नामू कहने लगा, “माँ तुमने पलाश की छाल मँगवाई थी, तो कुल्हाड़ी से छाल उतारते हुए, मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि पेड़ कराह रहा है और जैसे उसे पीड़ा हो रही है। अपने पाँव पर कुल्हाड़ी की रगड़ से मैं यह जानना चाहता था कि क्या सभी को एक-सी पीड़ा होती है ?” बेटे की बात सुनकर, माँ का हृदय भर आया। माँ की आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली। उसने नामू को गले लगाते हुए कहा, “लगता है, मेरे पुत्र के रूप में किसी संत ने जन्म लिया है। बेटे, तू पराये दुःख से दुःखी होकर, उस दुःख का अनुभव करना चाहता था, पराया दुःख भी पेड़ का, जिसमें तुझे प्राण दिखाई दिए । अवश्य ही, तू एक दिन बड़ा संत बनेगा ।” इस प्रकार माँ ने उसे संत बनने का आशीर्वाद दिया । आगे चलकर यह ‘नामू’ नामदेव के नाम से महाराष्ट्र का प्रसिद्ध संत हुआ।

वास्तव में दया, धर्म का भाव रखना और दूसरे के दुःख को महसूस करना संतों का स्वभाव होता है। आज अपने पर्यावरण को बचाने के लिए नामदेव जैसे संतों की आवश्यकता है, जिनके मन में न केवल जीवों के प्रति ही दया की भावना हो, बल्कि पेड़, पौधों के लिए भी अपनेपन का भाव हो । आज के स्वार्थी मानव ने प्रकृति के प्रति जिस प्रकार का व्यवहार किया है, वह निंदनीय है क्योंकि मानव के लोभ धरती के अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया है।

(i) नामू को माँ ने क्या आदेश दिया था ? माँ के आदेश का पालन करते समय उसने क्या विचार किया ? [2]
(ii) घर आकर नामू ने क्या किया और क्यों ? [2]
(iii) माँ क्या देखकर चिंतित हुई ? उसका हृदय क्यों भर आया ? [2]
(iv) संत के स्वभाव की क्या विशेषता होती है ? आगे चलकर नामू किस रूप में प्रसिद्ध हुआ ? [2]
(v) आपको इस गद्यांश से क्या शिक्षा मिली ? पेड़-पौधों की सुरक्षा क्यों आवश्यक है ? [2]
Answer:
(i) माँ ने नामू को यह आदेश दिया कि वह पलाश के पेड़ से थोड़ी-सी छाल कुल्हाड़ी से काटकर ले आये। जब वह माँ की आज्ञानुसार पेड़ से छाल काट रहा था तब उसे कुल्हाड़ी की चोट से पेड़ में एक प्रकार की पीड़ा की अनुभूति प्रतीत हो रही थी ।

(ii) घर आकर नामू ने कुल्हाड़ी की चोट से पेड़ की पीड़ा की अनुभूति का अहसास करने के लिए कुल्हाड़ी से अपना पैर रगड़ना शुरू किया क्योंकि वह यह जानना चाहता था कि यदि उसे कुल्हाड़ी की रगड़ से दर्द होता है तो निश्चित रूप से पेड़ को भी कुल्हाड़ी के प्रहार से पीड़ा होती होगी।

(iii) नामू के वस्त्रों पर लगे खून को देखकर माँ चिंतित हो गई। माँ ने वस्त्रों पर रक्त लगने का जब कारण पूछा तब नामू ने बताया कि कुल्हाड़ी से पलाश की छाल उतारते समय उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे पेड़ कराह रहा है। इस सत्य को जानने के लिए ही नामू ने अपने पाँव पर कुल्हाड़ी रगड़ी, जिससे उसे दर्द भी हुआ और खून भी निकला। वह माँ को यह बताना चाहता था कि जिस प्रकार कुल्हाड़ी से पैर को रगड़ने से नामू को पीड़ा हुई उसी प्रकार कुल्हाड़ी के प्रहार से पलाश का पेड़ भी कराहता होगा। यह सुनकर माँ का हृदय द्रवित हो गया।

(iv) संत स्वभाव से दयालु होते हैं । वे दूसरों के दुःख में भी अपने समान दुःख की अनुभूति करते हैं । वे जड़ व चेतन दोनों में ही सजीव अनुभूतियों का अनुभव करते हैं । वे परोपकारी एवं सबसे प्रेम करने वाले होते हैं। आगे चलकर यह ‘नामू’ नामदेव के नाम से महाराष्ट्र का प्रसिद्ध संत हुआ।

(v) यह गद्यांश ” अहिंसा परमोधर्मः ” की शिक्षा प्रदान करता है ।
हमारे पर्यावरण की सुरक्षा हेतु वृक्षों का महत्त्वपूर्ण योगदान है क्योंकि इनकी सुरक्षा में ही हमारा जीवन सुरक्षित हैं । इसलिए हम सबको इनके संरक्षण एवं संवर्द्धन में सहयोग देना चाहिए ।

Question 4.
Answer the following questions according to the instructions given :-

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए:-

(i) निम्न शब्दों से विशेषण बनाइए :-
नीति, साहित्य | [1]
(ii) निम्न शब्दों में से किसी एक शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:-
मार्ग, माता। [1]
(iii) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए :-
निर्दोष, शांत, पतन, अंत । [1]
(iv) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक की सहायता से वाक्य बनाइए :-
आँखों पर पर्दा पड़ना, घुटने टेकना । [1]
(v) भाववाचक संज्ञा बनाइए :-
ईश्वर, उत्तम । [1]
(vi) कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार वाक्यों में परिवर्तन कीजिए :-
(a) असफल हो जाने पर, उसे भारी दुःख हुआ ।
(वाक्य शुद्ध कीजिए) [1]
(b) परिश्रमी व्यक्ति विपत्तियों से नहीं घबराता है।
(वचन बदलिए) [1]
(c) जीवन-भर मैं इसी आचरण का पालन करता आया हूँ। [1]
(रेखांकित शब्दों के लिए एक शब्द लिखकर वाक्य को पुनः लिखिए)
Answer :
(i) नीति – नैतिक, साहित्य – साहित्यिक

(ii) मार्ग – पथ, रास्ता, माता – जननी, अंबा ।

(iii) निर्दोष – दोषी, शांत – अशांत ।
पतन – उत्थान, अंत आदि ।

(iv) आँखों पर पर्दा पड़ना – रोहन की आँखों पर पर्दा पड़ गया है। परीक्षा के दिनों में भी देर रात तक मोबाइल पर गेम खेलता रहता है।
घुटने टेकना – भारतीय सैनिकों के सामने आतंकवादियों ने घुटने टेक दिए ।

(v) ईश्वर – ईश्वरत्व, उत्तम – उत्तमता ।

(vi) (a) असफल हो जाने पर, उसे बहुत दुःख हुआ ।
(b) परिश्रमी व्यक्ति विपत्तियों से नहीं घबराते हैं ।
(c) आजीवन मैं इसी आचरण का पालन करता आया हूँ ।

Section B is not given due to change in present syllabus.