Solving ICSE Class 10 Hindi Previous Year Question Papers ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2022 Semester 2 is the best way to boost your preparation for the board exams.

ICSE Class 10 Hindi Question Paper 2022 Solved Semester 2

Maximum Marks :40
Time allowed: One and a half hours

General Instructions

  • Answers to this Paper must be written on the paper provided separately.
  • You will not be allowed to write during the first 10 minutes.
  • This time is to be spent in reading the question paper.
  • The time given at the head of this Paper is the time allowed for writing the answers. Section A is Compulsory
  • Section B – Answer questions from any two books that you have studied.
  • The intended marks for questions or parts of questions are given in brackets [].

Section – A
(Attempt all questions)

Question 1.
Write a short composition in Hindi in approximately 200 words on any one of the following topics :-

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 200 शब्दों में निबंध लिखिए : [12]

(i) आज विश्व के अधिकांश देश हमारी भारतीय संस्कृति के उपहार ‘योग’ को अपना चुके हैं। जीवन में योग की अनिवार्यता तथा उससे मिलने वाले लाभों का वर्णन करते हुए अपने विचार लिखिए।
(ii) वर्तमान समय में डिजिटल होना किसी वरदान से कम नहीं है। इसकी अच्छाइयाँ तथा बुराइयाँ बताते हुए एक प्रस्ताव लिखिए ।
(iii) यात्रा के दौरान कई बार कुछ ऐसे लोगों से मित्रता हो जाती है जो आजीवन स्मरणीय रहती है। ऐसी ही किसी सुखद यात्रा का वर्णन कीजिए जो आपकी यादों को आज भी सुख पहुँचाती है।
(iv) ईमानदारी बरगद के पेड़ की तरह होती है जिसका प्रभाव देर से पड़ता है, परन्तु चिरस्थायी होता है। उपर्युक्त कथन को स्पष्ट करते हुए ईमानदारी पर एक मौलिक कहानी लिखिए ।
(v) नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर उसका परिचय देते हुए कोई लेख, घटना अथवा कहानी लिखिए जिसका सीधा व स्पष्ट सम्बन्ध चित्र से होना चाहिए।
ICSE 2022 Hindi Question Paper Solved for Class 10 1
Answer :
(i) योग का महत्त्व
योग एक कला है, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है और हमें मज़बूत, शांतिपूर्ण तथा तनावरहित बनाता है। योग एक अभ्यास है, जो मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करता है । हमारे जीवन में योग का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह तनाव को कम करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है। यह सर्वविदित है कि एक स्वस्थ मन ही अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है। आज के व्यस्त व तनावपूर्ण जीवन में योग महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि योग का अभ्यास करके आप अनेक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

योग एक व्यक्ति में शांति के स्तर को बढ़ाता है और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है। योग का अभ्यास करने से आप अधिक सक्रिय रहते हैं, अपने आस-पास होने वाली चीज़ों के बारे में जागरूक रहते हैं और अपने काम को कुशलतापूर्वक करते हैं । योग का नियमित अभ्यास शरीर के हर प्रकार के दर्द और रोगों को दूर कर देता है। योग शरीर और नसों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर हृदय को अधिक कुशल बनाता है । यह शरीर को ऑक्सीजन युक्त रखने में मदद करता है। योग करने से तनाव कम होता है और व्यक्ति अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। यही कारण है कि बच्चों और किशोरों को योग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, क्योंकि यह उनकी पढ़ाई में बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है ।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि योग एक चमत्कार है। यदि इसका अभ्यास नियमित रूप से किया जाए, तो यह आपके पूरे जीवन का मार्गदर्शन करेगा। प्रतिदिन 20-30 मिनट योगाभ्यास करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर जीवन को पूर्णरूप से बदला जा सकता है।

ICSE 2022 Hindi Question Paper Solved Semester 2 for Class 10

(ii) डिजिटल
आज के आधुनिक युग में जिस देश ने विज्ञान और तकनीक को अपना लिया है, वह देश एक शक्तिशाली और महासत्ता बनकर उभरा है। इस अभियान के तहत भारत को भी विश्व के विकसित देशों की पंक्ति में ला खड़ा करने के लिए भारत सरकार ने भारत को डिजिटल रूप से मजबूत बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इसके अंतर्गत देश की ऑनलाइन व्यवस्था में सुधार होगा और सामान्य नागरिकों को आसान ऑनलाइन सरकारी सुविधा प्रदान होगी । लोग तेज़ी से इंटरनेट सेवा का लाभ उठाएँगे ।

वर्तमान के इस आधुनिक युग को हम डिजिटल युग भी कह सकते हैं, क्योंकि आज हमारे आस-पास हर काम इलैक्ट्रॉनिक्स से ही हो रहा है । इस अभियान से हर घर में फोन और इंटरनेट की सुविधा होने से सरकार की सभी योजनाओं की खबरें पहुँचेगी। इस प्रकार डिजिटल होने से भ्रष्टाचार में काफी हद तक कमी हो जाएगी। हर ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट की सुविधा होगी, जिससे विद्यार्थियों को भी कंप्यूटर और इंटरनेट की शिक्षा मिलेगी । सभी काम ऑनलाइन हो जाएँगे। इसके साथ-साथ पैसों का लेन-देन और भुगतान भी ऑनलाइन हो जाएगा। इससे कोई भी व्यक्ति टैक्स चोरी, कालाबाज़ारी और भ्रष्टाचार नहीं कर सकेगा। भ्रष्टाचार कम होने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाएगी । ऑनलाइन की प्रक्रिया के कारण पैन कार्ड, राशन कार्ड, बैंकिंग सुविधाओं और सरकारी कार्यालयों के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े होने की जरूरत नहीं होगी। इससे देश का विकास तेज़ी से होगा। इससे रोज़गार के नए अवसर प्रदान होंगे।

यद्यपि डिजिटल होने से बड़े पैमाने पर नुकसान देखने को नहीं मिलता, लेकिन इस अभियान का नुकसान देश के गरीब, पिछड़े हुए और कम पढ़े-लिखे लोगों को होगा। इन लोगों के पास स्मार्टफोन खरीदने की क्षमता नहीं होती अथवा साक्षर न होने के कारण स्मार्टफोन की नई तकनीकों को समझने में वक्त लगता है । यही कारण है कि हमारा देश आज भी डिजिटल अक्षम है। डिजिटलीकरण ने मनुष्य को सामाजिक रूप से दूर किया है। इससे अपराध को बढ़ावा मिला है। इन सबके बावजूद डिजिटल अभियान बहुत तेज़ी से सफलता के कदम छूएगा।

(iii) यात्रा
यह कई वर्ष पहले की बात है, जब मोबाइल फोन नहीं होते थे और न ही इंटरनेट। हमें गर्मी की छुट्टियाँ हुई तो हमने अपनी दादी जी से मिलने के लिए उनके गाँव जाने का प्रोग्राम बनाया । हमारे शहर से गाँव तक का रास्ता छह घंटे का था । हम रास्ते के लिए जानबूझकर खाना नहीं लेकर गए, क्योंकि रास्ते में एक पड़ाव पर बस रुकती थी और हमने वहाँ के एक प्रसिद्ध होटल में खाना खाने का प्रोग्राम बनाया। हम सब तैयार होकर बस में बैठ गए। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था। एक-दूसरे से बातें करते हुए और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेते हुए हमारा सफर कटने लगा। यह देखकर हैरान थे कि मार्ग में आने वाले होटल, रेस्तराँ और दुकानें बंद क्यों हैं ? परंतु हमने इस ओर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया। बस में हमारे साथ वाली सीट पर एक दंपत्ति भी सफर कर रहा था, जो हम सब के साथ बहुत घुल-मिल गया था। तीन घंटे के सफर के बाद हमें भूख लग गई थी। तभी बस अपने उस पड़ाव पर रुक गई, जहाँ अधिकतर यात्री भोजन करते थे। वहाँ पहुँचकर हमने देखा कि वहाँ के सभी रेस्तराँ, होटल आदि सब बंद हैं।

पूछने पर पता चला कि किसी स्थानीय त्योहार के कारण सब दुकानें व होटल बंद हैं। परंतु हम सब तो भूख से बेहाल थे। हमारी करुण दशा को देखकर हमारे सहयात्री दंपत्ति ने अपना भोजन हमारे साथ साझा करने का प्रस्ताव रखा। हमारे बहुत मना करने पर भी उन्होंने बहुत प्रेम और आदर के साथ भोजन करने का आग्रह किया । तब हम उन्हें मना नहीं कर पाए । हमने उनके द्वारा बनाया बहुत ही स्वादिष्ट भोजन खाया और अगला सफर आरंभ हो गया। अब तो उस दंपत्ति के साथ हमारी गहरी मित्रता हो गई। बातों-बातों में उन्होंने बताया कि वे अपने बच्चों से मिलने हॉस्टल जा रहे हैं और वह उनके मनपसंद का भोजन था।

यह जानकर हमें बेहद अफसोस हुआ परंतु उन्होंने बड़े प्रेम से कहा कि तुम बच्चों ने खा लिया, तो हमारे बच्चों को भी मिल गया । आप सब लोग भी हमारे ही बच्चे हैं। उनकी बातें सुनकर हम सबका दिल भर आया । अनजान होने के बाद भी उन्होंने हमारी मदद कर हमारा सफर अत्यंत सुहाना बना दिया । यह यात्रा हमें आजीवन स्मरण रहेगी।

(iv) ईमानदारी
दो लड़के थे- महेश और रमेश । वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। उनके पास कोई काम नहीं था इसलिए वे दो दिन से भूखे थे । रमेश कमज़ोर दिल का व्यक्ति था और वह भूख से तड़प रहा था। महेश इस बात को समझता था कि जब तक उन्हें कोई काम नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें खाना कैसे मिल सकता है, परंतु उसका दोस्त इस बात को नहीं समझ रहा था ।

अगले दिन दोनों दोस्त काम की तलाश में निकलते हैं। तभी रमेश को रास्ते में गिरा एक पर्स दिखाई देता है । वह उसे झट से उठा लेता है और उसमें पड़े पाँच हजार रुपए देखकर उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता । वह अच्छे और स्वादिष्ट भोजन खाने के सपने लेने लगता है । मगर महेश को यह बात अच्छी नहीं लगती । वह रमेश से कहता है कि हम इन पैसों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि जिसका यह पर्स है, वह उसके लिए परेशान होता होगा और इन पैसों से हम कितने दिन खाना खा लेंगे। हमें कोई काम करके ही पैसे कमाने चाहिए।

महेश वह पर्स अपने हाथ में लेकर देखता है, तो उसमें उस आदमी का पता भी लिखा मिल जाता है । वे दोनों पर्स वापस करने के लिए उसके घर जाते हैं। जब वे उस पते पर पहुँचते हैं, तो पाते हैं कि वह बहुत अमीर आदमी था। महेश उसे पर्स को लौटाकर पूरी बात बता देता है। वह अमीर आदमी उनके हालात समझ जाता है और साथ ही उसे यह भी समझ आ जाती है कि वह बहुत ईमानदार लड़का है। वह उन दोनों को काम दे देता है और एडवांस में कुछ पैसे भी दे देता है।

रमेश यह सब देखकर बहुत हैरान रह जाता है । वह महेश से कहता है कि ईमानदारी में इतनी ताकत है कि हमें आज काम भी मिल गया और खाना खाने के लिए पैसे भी । महेश उसे समझाता है कि यदि हम ईमानदारी से काम करते हैं तो भले ही शुरू में मुश्किल सहनी पड़े, मगर बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है ।

(v) यह चित्र वृक्षारोपण का है। पर्यावरण के प्रति सजग एक छोटी बच्ची अपने घर के आँगन में एक पौधा लगा रही है। संभवतः पर्यावरण में बढ़ते ताप को महसूस कर यह बच्ची भी समझ गई है कि यदि हमें वैश्विक ताप से बचना है तो हमें अधिक-से- अधिक पौधे लगाने होंगे ।

यह कथन शत-प्रतिशत सही है कि पेड़-पौधे हैं तो भविष्य है । हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन का आरंभ तब से हुआ, जब छोटे-छोटे हरे पौधों ने प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाना आरंभ किया। आज भी प्राण वायु ऑक्सीजन हमें वृक्ष ही देते हैं। माँ के आँचल की भाँति वे हमें छाया देते हैं, माँ के पूत-पय की भाँति अमृतमयी जलधारा बरसाते हैं, भूमि की रक्षा कर हमें अन्न देते हैं, फल देते हैं ।

वनों को मानव के लिए चिर-मित्र कहा जाए तो युक्तिसंगत होगा । इनके लाभों को गिनना संभव ही नहीं है। ये धरती के जीवन-रक्षक हैं। अपने भोजन को बनाते हुए प्राणघातक कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को लेकर हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन देते हैं। अपना भोजन बनाते हैं, लेकिन फल रूप में उसे संचित कर हमें लौटा देते हैं । हमारी भूमि को अपनी जड़ों से पकड़कर खेती योग्य भूमि की हानि होने से बचाते हैं। इनकी पत्तियाँ झड़कर, सड़कर भी पुनः खाद के रूप में उपयोग होती हैं। हमारे पारिस्थितिक तंत्र को ये वृक्ष ही संतुलित करते हैं।

वृक्षों की कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। तथा मौसम में अनियमित बदलाव देखने को मिलते हैं। अनेक प्राकृतिक विपदाएँ वृक्षों की अनियंत्रित कटाई के कारण ही उत्पन्न हुई हैं। वन्य पशुओं की अनेक दुर्लभ प्रजातियाँ लुप्त हो गई हैं। वृक्षों के संरक्षण के संबंध में समाज में जागृति लाना अति आवश्यक है। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि अधिक-से- अधिक वृक्ष लगाए तथा हरे-भरे पेड़ों को कभी न काटे । ‘प्राकृतिक संपदा के कोष तथा नैसर्गिक सुषमा के आगार’ – वृक्षों के संरक्षण की आज नितांत आवश्यकता है।

ICSE 2022 Hindi Question Paper Solved Semester 2 for Class 10

Question 2.
Write a letter in Hindi in approximately 120 words on any one of the topics given below:

निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए: [8]

(i) एक दिन आप किसी होटल में गए। वहाँ आपने बालश्रम होते हुए देखा। इसकी शिकायत करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री को पत्र लिखिए ।
अथवा
(ii) आपकी बड़ी बहन डॉक्टर बनना चाहती है जिसके लिए वह जोरों शोरों से तैयारी कर रही है। उस परीक्षा में वह सफल हो जाए, ऐसी कामना करते हुए अपनी बड़ी बहन को पत्र लिखिए।
Answer:
(i) सेवा में
अध्यक्ष,
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय,
दिल्ली ।
विषय : बालश्रम समस्या हेतु ।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान एक होटल में हो रहे बाल-श्रम की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ । दिल्ली के क. ख. ग. होटल में 14 वर्ष से कम आयु के कम-से- – कम आठ लड़के कार्यरत हैं। वे बर्तन धोने व सफाई का काम करते हैं। सरकार बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए काफी प्रयासरत है, परंतु इनके वास्तविक समाधान की ओर ध्यान नहीं देती है । बाल-श्रम निषेध एवं विनियमन कानून की सार्थकता तभी पूर्ण होगी, जब मज़दूर बने इन बच्चों को विषम परिस्थितियों से निकालकर उन्हें एक सहज एवं स्वस्थ बचपन लौटाया जा सके। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस संबंध में कड़े कानून बनवाएँ और बाल-श्रम की समस्या के समाधान के लिए स्वयंसेवकों को शामिल करके मुहिम में तेजी लाई जाए, परिणामस्वरूप बाल-श्रम की समस्या जड़ से समाप्त हो जाए ।
सधन्यवाद।
भवदीय
रमेश

अथवा

(ii) परीक्षा भवन
—— शहर ।
15 जनवरी, 20…
प्रिय दीदी,
यहाँ सब कुशल मंगल है, आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ कुशलतापूर्वक होंगी। आप तो डॉक्टरी की प्रवेश – परीक्षा की तैयारी में बहुत व्यस्त होंगी। बारहवीं कक्षा की पढ़ाई के साथ- साथ प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग कक्षाओं में भी उपस्थित होना पड़ता है। मैं जानता हूँ कि डॉक्टरी की प्रवेश – परीक्षा कोई आसान काम नहीं है, इसके लिए दिन-रात एक करना पड़ता है और आपकी मेहनत पर भी मुझे विश्वास है । आपके जीवन का लक्ष्य ही डॉक्टर बनना है और आप जोर-शोर से इसके लिए तैयारी कर रही हैं। जब व्यक्ति किसी कार्य को पूरा करने का दृढ़ निश्चय कर लेता है, तो ईश्वर भी उसका साथ देता है। मुझे विश्वास है कि आप अपने इस लक्ष्य में अवश्य सफलता प्राप्त करेंगी। मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह आपको इस प्रवेश- परीक्षा में सफलता प्रदान करें। माता जी एवं पिताजी भी आपकी
सफलता की कामना करते हैं।
शुभकामनाओं के साथ।
आपका भाई,
क. ख. ग.

Section – B
(Answer questions from any two books that you have studied.)
साहित्य सागर
(संक्षिप्त कहानियाँ)

Question 3.
Answer the following questions:

(i) ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ में जब लाल बिहारी घर छोड़कर जा रहा था तब आनंदी द्वारा उसे रोकना उसकी समझदारी तथा दूरदर्शिता कैसे थी ? समझाइए। [2]
(ii) ‘भीड़ में खोया आदमी’ पाठ में लेखक के मित्र ने छोटे से घर में रहने का क्या कारण बताया था ? उनके कितने बच्चे थे ? [2]
(iii) ‘भेड़ और भेड़िये’ पाठ का उद्देश्य लिखिए। [3]
(iv) चित्रा की चित्रकारी के विषय में अरुणा के क्या विचार थे ? क्या आप अरुणा के विचारों से सहमत हैं ? [3]
Answer :
(i) ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ की बहू आनंदी स्वभाव से दयालु थी। अपने पति से लाल बिहारी की शिकायत करते समय उसे इस बात का तनिक भी अनुमान नहीं था कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी। जब उसने लाल बिहारी सिंह की आँखों में आँसू देखे और उसे घर छोड़कर जाने को तैयार देखा, तो उसका क्रोध जाता रहा। वह नहीं चाहती थी कि भाई अलग हो जाएँ और परिवार टूटकर बिखर जाए। उसने न केवल लाल बिहारी सिंह को जाने से रोक लिया अपितु अपने पति के क्रोध को भी शांत किया।

(ii) लेखक जब अपने मित्र के घर पहुँचता है, तो छोटे-से मकान में भरे हुए सामान और बच्चों की भीड़ देखकर लेखक का दम घुटने लगता है। लेखक जब अपने मित्र से पूछता है कि क्या तुम्हारे पास यही दो कमरे हैं, तो मित्र अपनी बेबसी के बारे में बताते हुए कहता है कि वे इस शहर में दो वर्ष पहले आ थे। तभी से मकान की तलाश में भटक रहे हैं। पूरे शहर का चक्कर काट-काटकर उनके जूते भी घिस गए हैं, परंतु कोई अच्छा मकान नहीं मिला। अंत में जब निराश होकर थक गए, तो मकान के नाम पर सिर छिपाने के लिए गली के अंदर यह मकान ले लिया। उनके सात बच्चे थे, चार बेटे व तीन बेटियाँ ।

(iii) प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य प्रजातंत्र में धोखेबाजी, झूठे, ढोंगी तथा चालाक राजनेताओं की पोल खोलने के लिए भेड़ों और भेड़िए की इस कथा को माध्यम बनाया गया है । भेड़ें सीधे-सादे व्यक्तियों का प्रतीक हैं, जो चालाक, स्वार्थी और धोखेबाज राजनेताओं के बहकावे में आकर उनको सुनते हैं तथा चुने जाने पर भेड़िए रूपी ये राजनेता अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं तथा भोली-भाली जनता का शोषण करते हैं । इस कहानी के माध्यम से ऐसे राजनेताओं की पोल खोली गई है।

(iv) चित्रा धनी पिता की इकलौटी बेटी थी। उसका शौक चित्रकला था। उसके चित्रों का संबंध जीवन से न होकर केवल कला से था। अरुणा के जीवन का उद्देश्य समाज के निर्धन, असहाय और शोषित वर्ग की सहायता करके उनके जीवन को बेहतर बनाना है । अरुणा के अनुसार चित्रा की कला किसी काम की नहीं, जो आदमी को आदमी न रहने दे। उसे केवल कल्पना में खोए रहकर चित्र बनाने में संलग्न नहीं रहना चाहिए, वरन् दीन-दुखियों की चिंता भी करनी चाहिए । अरुणा के विचारों से हम सहमत हैं क्योंकि कला और कलाकार वही सार्थक है, जो अरुणा की तरह संवेदना से भरा हो, चित्रा जैसा भौतिकवादी कलाकार मानवता के लिए व्यर्थ है ।

साहित्य सागर – (पद्य)

Question 4.
Answer the following questions :

(i) ‘मेघ आए’ कविता में बूढ़े पीपल और लता को किस-किस का प्रतीक बताया गया है ? [2]
(ii) सूरदास जी ने अपने पद में यशोदा माता द्वारा कृष्ण को सुलाने का वर्णन किस प्रकार से किया है ? [2]
(iii) तुलसीदास जी की भक्ति किस प्रकार की थी ? उन्होंने अपने राम की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं और क्यों ? [3]
(iv) ‘चलना हमारा काम है’ कविता का उद्देश्य लिखते हुए ‘अवरुद्ध’ तथा ‘अभिराम’ शब्दों का अर्थ भी लिखिए। [3]
Answer :
(i) कविता में ‘बूढ़े पीपल’ को घर के बड़े बुजुर्ग के समान बताया है। जिस प्रकार गाँव में कोई मेहमान आता है, तो घर का बड़ा- बुजुर्ग उसका स्वागत करता है, उसी प्रकार बूढ़े पीपल ने भी आगे बढ़कर आदर के साथ झुककर बादलों का स्वागत किया । लता को ऐसी पत्नी के रूप में दिखाया गया है, जिसका पति एक वर्ष के बाद उससे मिलने आया हो, इसलिए वह किवाड़ की ओट में खड़ी होकर उसे उलाहना देती है।

(ii) यशोदा माता बालक कृष्ण को पालने में सुलाने के लिए उसे हिला – डुला रही है, प्यार कर रही है और कुछ-कुछ गा भी रही हैं। बालक कृष्ण कभी तो पलकें मूँद लेते हैं और धुन में कभी होंठ फड़काने लगते हैं । श्रीकृष्ण को सोता हुआ जानकर यशोदा आँखों के संकेत से सबको चुप कराने का संकेत कर रही है। जो सुख देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है, वही सुख नंद की पत्नी यशोदा पा रही है ।

(iii) तुलसीदास राम के अनन्य भक्त थे । उन्होंने विष्णु के अवतार भगवान राम की दास्य – भक्ति की थी। उन्होंने श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया है । श्रीराम बिना सेवा के ही दीन-दुखियों पर द्रवित हो जाते हैं। बड़े-बड़े ज्ञानी, मुनि योग और वैराग्य आदि से भी जिस परम गति को नहीं पा सकते, वही गति श्रीराम ने गीध (जटायु) और शबरी को दे दी। जिस संपत्ति को रावण ने शिवजी को अपने दसों सिर चढ़ाकर प्राप्त किया था, वही संपत्ति श्रीराम ने अत्यंत संकोच के साथ विभीषण को दे दी। इस प्रकार श्रीराम का भजन सब प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए, सभी प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए परमावश्यक है ।

ICSE 2022 Hindi Question Paper Solved Semester 2 for Class 10

(iv) कवि शिवमंगल ‘सुमन’ ने मनुष्य के जीवन को अपूर्ण कहा है। जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं । कभी कुछ मिल जाता है तो कभी कुछ खो जाता है। आशा-निराशा निरंतर सक्रिय रहती है। अपने दुखों और निराशा के लिए विधाता को दोष देना उचित नहीं है, क्योंकि दृढ़ता से अविचल भाव से पथ की बाधाओं को दूर करना ही जीवन है। जो राही अपने पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहेगा, उसी को सफलता प्राप्त होती है । अवरुद्ध—रुकना अभिराम — सुंदर

एकांकी संचय

Question 5.
Answer the following questions :·

(i) ‘सूखी डाली’ एकांकी में छोटी भाभी अपने घर के विषय में इन्दु से क्या-क्या कहती है ? [2]
(ii) ‘सूखी डाली’ नामक एकांकी में दादा जी प्रेम तथा घृणा विषय में क्या-क्या कहते हैं तथा कौन-सा उदाहरण देते हैं ? [2]
(iii) ‘दीपदान’ नामक एकांकी में पन्ना धाय कौन है ? वह उदय सिंह को उसके नाम के विषय में क्या कहकर बहलाती है ? [3]
(iv) ‘दीपदान’ एकांकी के शीर्षक की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए । [3]
Answer:
(i) छोटी बहू एक बड़े घर से आई है। वह अपने पिता की इकलौती बेटी है | लाड़-प्यार में पली है, बहुत पढ़ी-लिखी है । उसे सम्मिलित परिवार में रहने का कोई अनुभव नहीं है। उसके मायके में स्वच्छंदता का वातावरण था । वह अपने मायके के सामने किसी को कुछ नहीं समझती । हर समय अपने मायके की तारीफ करती रहती है । उसके मायके में अच्छे नौकर- चाकर हैं, यहाँ की मिश्रानी तो फूहड़ है । वहाँ खाना-पीना अच्छा है, उन्हें कपड़े पहनने का ढंग आता है। यहाँ के लोगों को खाना-पीना, पहनना – ओढ़ना कुछ भी नहीं आता । यहाँ के नौकर गँवार, पड़ोसी गँवार और लोग भी गँवार हैं ।

(ii) इस एकांकी में दादा जी परिवार के मुखिया हैं । उन्होंने बड़ी सूझ-बूझ और बुद्धिमानी से अपने परिवार को एक वट वृक्ष की भाँति एकता के सूत्र में बाँध कर रखा है, परंतु जब उन्हें पता चलता है कि छोटी बहू बेला के कारण परिवार में अशांति का वातावरण होने लगा है, तो वे घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाते हैं कि परिवार के सभी सदस्य पारस्परिक स्नेह, समस्त मेलजोल से रहें । ठूंठे वृक्ष के उदाहरण से दादा जी ने स्पष्ट किया कि कोई भी परिवार बड़ा होने से बड़ा नहीं हो जाता। परिवार का बड़प्पन इसी बात में है कि वह उसमें रहने वाले सभी सदस्यों को स्नेह दे, उनकी समस्याओं को शांति से संभाले और सबको प्रसन्न रखे। बड़प्पन तो मन का होना चाहिए। घृणा को घृणा से मिटाया नहीं जा सकता। लेकिन यदि व्यक्ति को घृणा के बदले स्नेह मिले, तो उसकी समस्त घृणा धुँधली पड़कर लुप्त हो जाएगी। ठूंठा वृक्ष आकाश को छूने पर भी अपनी महानता का सिक्का हमारे दिलों पर उस समय तक नहीं बैठा सकता, जब तक अपनी शाखाओं में वह ऐसे पत्ता नहीं लाता, जिनकी शीतल सुखद छाया मन के समस्त ताप को हर ले |

(iii) राजपुताने की वीरांगना पन्ना कुँवर उदय सिंह का संरक्षण करने वाली धाय है । वह चंदन की माँ भी है। पन्ना उदय सिंह को बताती है कि वह चित्तौड़ का सूरज है। सूरज की तरह उसका उदय हुआ था, इसीलिए उसका नाम कुँवर उदय सिंह रखा गया है। दिन में तो तुम चित्तौड़ के सूरज हो और रात में राजवंश के दीपक हो, महाराणा साँगा के कुल दीपक ।

ICSE 2022 Hindi Question Paper Solved Semester 2 for Class 10

(iv) प्रस्तुत एकांकी में राजपुताने की वीरांगना पन्ना धाय के अभूतपूर्व बलिदान का चित्रण किया गया है। यह एक ऐतिहासिक घटना पर आधारित है । इस एकांकी के द्वारा राष्ट्र-भक्ति तथा राष्ट्र- प्रेम का चित्रण किया गया है। अपने पुत्र का दान करके कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा करती है । जहाँ संपूर्ण चित्तौड़ उमंगित होकर तुलजा भवानी के समक्ष दीपदान कर रहा है, वहीं धाय माँ अपने साहस और त्याग का परिचय देती है और अपने चंदन को मातृभूमि के लिए दान कर देती है । इस प्रकार एकांकीकार की दृष्टि दीपदान शीर्षक पर ही केंद्रित रहती है ।

नया रास्ता (उपन्यास)

Question 6.
Answer the following questions :

(i) मीनू ने विदेश जाकर बसने वाले भारतीय बुद्धिजीवियों के बारे में क्या-क्या विचार व्यक्त किए थे आप उन विचारों से कहाँ तक सहमत हैं ? [2]
(ii) अमित के एक्सीडेंट की बात सुनकर मीनू की मन:स्थिति का वर्णन कीजिए। [2]
(iii) अमित का परिचय देते हुए उसके चरित्र की दो विशेषताएँ भी लिखिए । [3]
(iv) मनोहर कौन है ? उसे क्या हो गया था ? उसकी यह स्थिति कैसे हुई थी ? [3]
Answer :
(i) जब मीनू की सहेली नीलिमा ने उसे बताया कि उसका बड़ा भाई अशोक आगे पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गया हुआ है। मीनू कहती है कि वह इस पक्ष में बिल्कुल नहीं है कि भारतीय बुद्धिजीवी विदेश चले जाएँ । सरकार छात्रों की पढ़ाई पर कितना खर्च करती है और पढ़-लिखकर यही छात्र विदेशों में जाकर बस जाते हैं । चंद रुपयों की खातिर ऐसा करना बिल्कुल भी उचित नहीं है । यदि सभी बुद्धिजीवी विदेशों में जाकर बस जाएँगे, तो हमारा देश प्रगति कैसे करेगा ?
मेरे विचार में यह बिल्कुल ही उचित नहीं है । देश के युवा छात्र-छात्राओं को पढ़-लिखकर अपने देश में ही रहकर देश के विकास में योगदान देना चाहिए, तभी देश और समाज का विकास होगा।

(ii) जब नीलिमा ने मीनू को अमित के एक्सीडेंट के बारे में बताया तो मीनू बहुत परेशान हो गई । उसकी आँखों से नींद गायब हो गई थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि चार महीने पहले तक अमित के प्रति उसके मन में केवल घृणा थी, लेकिन आज उसे न जाने क्या हो गया था। उसके मन के किसी कोने में अमित के लिए स्नेह के भाव उत्पन्न हो गए थे । उसका दिल बेचैन हो उठा। बार-बार अमित का चेहरा उसकी आँखों के आगे घूम जाता, जैसे कि उसकी आँखें अपनी मौन भाषा में मीनू से कुछ कहना चाहती हों। मीनू इसी तरह बेचैनी में करवटें बदलती रही। वह रात भर सो नहीं सकी।

(iii) अमित मध्यमवर्गीय परिवार का सबसे बड़ा बेटा है, पढ़ा-लिखा तथा एक फैक्ट्री का मालिक है । वह देखने में आकर्षक है तथा व्यवहारकुशल भी है। वह अपने माता-पिता का बहुत सम्मान करता है । वह एक आज्ञाकारी युवक है । उसमें अच्छे-बुरे की भी समझ है, इसीलिए वह रंग-रूप के प्रति आकर्षित न होकर गुणों को महत्त्व देता है। वह मीनू से प्रभावित होकर उसे अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहता है । सरिता के पिताजी धनीमल जी द्वारा पाँच लाख रुपयों का दहेज दिए जाने पर भी वह इस रिश्ते की ओर आकर्षित नहीं होता। मीनू के दिल को चोट पहुँचाकर वह कभी भी स्वयं को माफ़ नहीं कर पाया, इसीलिए वह अब तक मीनू की प्रतीक्षा कर रहा है।

विशेषताएँ :

1. वह समझदार व दूरदर्शी है।
2. वह दिखावे और रुपये की चमक-दमक से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता ।

(iv) मनोहर एक किशोर उम्र का लड़का है, जो राजो का चचेरा भाई है । मनोहर को एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई थी। वह अपने आपको खुशनसीब समझ रहा था कि इतनी कम उम्र में उसे नौकरी मिल गई। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन काम करते-करते उसका पैर मशीन में आ गया, जिससे उसका एक पैर कट गया। साथ ही सीधे हाथ की दो उँगलियाँ भी कट गई थीं।