Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions Set 7 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 7 with Solutions
निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और ‘ख’। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/ वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘क’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 49 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘ख’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘क’
वस्तुपरक/बहुविकल्पीय प्रश्न (अंक : 40)
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।(1 × 5 = 5)
पुरुष और स्त्री एक-दूसरे के पूरक हैं। नर के बिना नारी का जीवन अधूरा है तथा नारी के बिना नर के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती। इसमें संदेह नहीं है कि सृष्टि के अस्तित्व के लिए दोनों का ही होना अनिवार्य है।
प्राचीन भारत के इतिहास में नारियों की गौरवमयी गाथाएँ भरी पड़ी हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों का कथन है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमते तत्र देवता।’ यहाँ पूजा से तात्पर्य नारी की मान-मर्यादा और अधिकारों की रक्षा करने से है। प्राचीन काल में नारी को लक्ष्मी और गृह-देवी के नाम से संबोधित किया जाता था। पुरुष के समान ही उन्हें भी शिक्षा मिलती थी। जीवन के बड़े-से-बड़े धार्मिक अनुष्ठान उनके बिना पूरे नहीं होते थे। देवासुर संग्राम में कैकेयी के अद्वितीय कौशल को देखकर दशरथ भी चकित रह गए थे। मैत्रेयी, शकुंतला, अनुसूया, दमयंती, सावित्री आदि स्त्रियाँ भी अपने आप में स्वयंसिद्ध उदाहरण हैं। समय परिवर्तनशील है। आज के समय में भारतीय समाज लड़की की अपेक्षा लड़के को अधिक महत्त्व देता है। ईश्वर ने पुरुष को नारी की अपेक्षा अधिक शक्ति प्रदान की है। वह स्वयं को नारी का संरक्षक मानता है। पुरुष प्रायः धन का अर्जन करता है तथा नारी घर का दायित्व सँभालती है। वर्तमान युग में भी पुरुष को नारी की अपेक्षा अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है। भारत में ही नहीं अपितु विश्व के विकसित देशों में भी नारी की स्थिति दयनीय है। उन्हें उचित सम्मान नहीं मिलता। जो देश जितना अधिक विकसित है वहाँ नारी की स्थिति उतनी ही दयनीय है। इसके पीछे कारण यह है कि उन देशों में नारी धन कमाने के लिए घर से बाहर निकलती है। बाहर निकलने का परिणाम यह होता है कि उसको पुरुषों के अहम् से पग-पग पर जूझना पड़ता है। हमारा समाज पुरुष प्रधान है। यहाँ जो भी नियम बनाए जाते हैं वे पुरुषों के द्वारा बनाए जाते हैं। अतः यह कैसे संभव होगा कि वे अपने विरुद्ध नियम बनाएँ। नारी उत्थान और पतन के पीछे भी पुरुष का ही हाथ होता है। नारी से संबंधित जो भी प्रश्न उठाए जाते हैं वे प्रायः पुरुष वर्ग से ही उठते हैं। अतः नारी की हमारे समाज में क्या स्थिति है यह स्वयं ही परिभाषित है। भारत के गांवों में आज भी स्त्रियों को पिता, पति अथवा पुत्र के अधीन रहना पड़ता है। ग्रामीण स्त्रियाँ प्रायः तंगी का शिकार होती हैं। उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के विषयों पर भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता।
(क) सृष्टि के अस्तित्व के लिए क्या आवश्यक है?
(i) वनस्पति
(ii) पेड़-पौधे
(iii) पुरुष और स्त्री
(iv) प्रकृति
उत्तर:
(iii) पुरुष और स्त्री।
व्याख्यात्मक हल:
सृष्टि का अस्तित्व पुरुष और स्त्री पर ही निर्भर करता है क्योंकि इनसे ही संतान जन्म लेकर सृष्टि को आगे बढ़ाती है।
(ख) नारी की पूजा का क्या अर्थ है?
(i) नारी को पूजना
(ii) नारी के अधिकारों की रक्षा करना
(iii) नारी को भगवान मानना
(iv) ईश्वर को पूजना
उत्तर:
(ii) नारी के अधिकारों की रक्षा करना
(ग) हमारा समाज पुरुष प्रधान क्यों है?
(i) क्योंकि यहाँ सभी नियम पुरुषों द्वारा बनाए जाते हैं।
(ii) क्योंकि यहाँ पुरुष ही पुरुष निवास करते हैं।
(iii) क्योंकि यहाँ स्त्रियों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
(iv) क्योंकि स्त्री को नियम बनाने नहीं आते।
उत्तर:
(i) क्योंकि यहाँ सभी नियम पुरुषों द्वारा बनाए जाते हैं।
(घ) देवासुर संग्राम में दशरथ किसके साहस के सामने चकित रह गए थे?
(i) कैकेयी के
(ii) शकुंतला के
(ii) अनुसूया के
(iv) दमयंती के
उत्तर:
(i) कैकेयी के।
(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिएकथन (A) : पुरुष स्वयं को नारी का संरक्षक मानता है।
कारण (R):समाज के पुरुष प्रधान होने के कारण जहाँ जो भी नियम बनाए जाते हैं, वे पुरुषों द्वारा बनाए जाते
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं हैं
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
व्याख्यात्मक हल:
पुरुष प्रधान समाज होने के कारण वह स्वयं को नारी के भाग्य का विधाता मानता है इसलिए वह स्वयं को नारी का संरक्षक मानता है।
प्रश्न 2.
नीचे 2 पद्यांश दिए गए हैं। किसी 1 पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के अतर दीजिए। (1 × 5 = 5)
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं। किस भाँति जीना चाहिए किस भाँति मरना चाहिए, सो सब हमें निज पूर्वजों से याद करना चाहिए। पूर्व-चिह्न उनके यत्नपूर्वक खोज लेना चाहिए, निज पूर्व-गौरव-दीप को बुझने न देना चाहिए, आओ मिलें सब देश-बांधव हार बनकर देश के, साधक बनें सब प्रेम से सुख-शांतिमय उद्देश्य के। क्या सांप्रदायिक भेद से है, ऐक्य मिट सकता अहो, बनती नहीं क्या एक माला विविध सुमनों की कहो॥ प्राचीन हों कि नवीन, छोड़ो रूढ़ियाँ जो हों बुरी, बनकर विवेकी तुम दिखाओ हंस जैसी चातुरी, प्राचीन बातें ही भली हैं, यह विचार अलीक है जैसी अवस्था हो जहाँ, वैसी व्यवस्था ठीक है, मुख से न होकर चित्त से देशानुरागी हो सदा। देकर उन्हें साहाय्य भरसक सब विपत्ति व्यथा हरो, निज दुःख से ही दूसरों के दुःख का अनुभव करो।।
(क) पद्यांश में कौन-से गौरव दीपक को नहीं बुझने देने की बात हो रही है?
(i) निज पूर्वजों के
(ii) स्वजनों के
(iii) दुखीजनों के
(iv) रोशनी को
उत्तर:
(i) निज पूर्वजों के।
(ख) पद्यांश में कवि ने क्या त्यागने की बात कही है?
(i) पुरानी बातों को?
(ii) अच्छाइयों को
(iii) बुराइयों को
(iv) गुणों को
उत्तर:
(iii) बुराइयों को।
(ग) ‘हृदय में स्वदेश के प्रति अनुराग होना’ ये अर्थ काव्यांश की किस पंक्ति से प्रकट हो रहा है?
(i) आओ मिलें सब देश-बांधव
(ii) साधक बने सब प्रेम से
(iii) बनती नहीं क्या एक माला
(iv) चित्त से देशानुरागी हो सदा
उत्तर:
(iv) चित्त से देशानुरागी हो सदा।
(घ) विभिन्न सम्प्रदायों को काव्यांश में किसे समान बताया गया है?
(i) विभिन्न पुष्पों के
(ii) विभिन्न धर्मों के
(iii) विभिन्न जातियों के
(iv) विभिन्न मतों के
उत्तर:
(i) विभिन्न पुष्पों के।
(ङ) ‘किस भांति जीना चाहिए, किस भांति मरना चाहिए सो सब हमें निज पूर्वजों से याद करना चाहिए’ – पंक्ति का भाव है
(I) जीवन जीने का सही अर्थ अपने पूर्वजों से सीखना चाहिए।
(II) अपने पूर्वजों के पद चिह्न पर चलना चाहिए।
(III) अपने पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यों का अनुसरण करना चाहिए।
(IV) अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए।
(i) कथन (II) सही है
(ii) कथन (I), (II) व (III) सही हैं
(iii) कथन (I), (II) व (IV) सही हैं
(iv) कथन (I), (II), (III) व (IV) सही हैं
उत्तर:
(ii) कथन (I), (II) व (III) सही हैं।
अथवा
यदि आप इस पद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर-पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए पद्यांश-II पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!
वह उठी आंधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा,
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भांति घेरा,
रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आई और काली,
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा
रात के उत्पात भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किन्तु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!
(क) ‘छा गया सहसा अँधेरा’ पंक्ति का भाव है
(i) सहसा बादलों का छा जाना
(ii) सहसा धुल भरी आंधी चलना
(iii) सहसा जीवन में कष्टों का आगमन
(iv) सहसा बिजली का चले जाना
उत्तर:
(iii) सहसा जीवन में कष्टों का आगमन।
(ख) रात में आने पर कवि को किस बात का डर लगा
(i) रास्ता भटकने का डर
ii) मुसीबतें समाप्त न होने का डर
(iii) रात में अकेले होने का डर
(iv) रात न समाप्त होने का डर
उत्तर:
(ii) मुसीबतें समाप्त न होने का डर।
(ग) उषा की मोहिनी मुस्कान क्या संदेश देती है?
(i) सवेरा होने पर अँधेरा दूर होने का
(ii) सवेरे सबका मन मोह लेने का
(iii) सवेरे सभी का काम में लग जाना
(iv) दुःख के बाद सुख के आगमन का
उत्तर:
(iv) दु:ख के बाद सुख का आगमन होता है।
(घ) कवि नीड़ का पुनर्निर्माण क्यों करना चाहता है?
(i) क्योंकि वह घोंसला बनाना जानता है
(ii) क्योंकि वह पक्षियों को आश्रय देना चाहता
(iii) क्योंकि वह आशावादी है
(iv) क्योंकि वह दुखी रहता है
उत्तर:
(iii) क्योंकि वह आशावादी है।
(ङ) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिएकथन (A) : मनुष्य को कष्टों से घबराना नहीं चाहिए।
कारण (R) : जीवन में आशावादी मनुष्य ही आगे बढ़ सकता है।
(i) कथन (A) गलत है किन्तु कारण (R) सही
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है
(iv) कथन (A) सही है किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) “यद्यपि वह बीमार था तथापि मेहनत करता रहा”- वाक्य का सरल वाक्य में रूप होगा
(i) बीमार होने पर भी वह मेहनत करता रहा।
(ii) वह बीमार था लेकिन फिर भी मेहनत करता रहा।
(iii) वह बीमार था इसलिए मेहनत करता रहा।
(iv) मेहनत करने के कारण वह बीमार हो गया।
उत्तर:
(i) बीमार होने पर भी वह मेहनत करता रहा।
व्याख्यात्मक हल:
सरल वाक्य में एक उद्देश्य और एक क्रिया होते हैं। अतः यही सही उत्तर है।
(ख) हमारे घर पहुँचकर फुटबॉल खेलने लगा। रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए।
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) प्रधान उपवाक्य
उत्तर:
(i) सरल वाक्य।
व्याख्यात्मक हल:
सरल वाक्य में एक उद्देश्य और एक क्रिया होते हैं। अतः यही सही उत्तर है।
(ग) जो लोग ईमानदार होते हैं, उनका सर्वत्र आदर होता है। रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए।
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) आश्रित उपवाक्य
उत्तर:
(iii) मिश्र वाक्य।
व्याख्यात्मक हल:
मिश्र वाक्य में एक वाक्य प्रधान और दूसरा आश्रित उपवाक्य होता है। इस वाक्य में ‘जो लोग ईमानदार होते हैं’ उपवाक्य है।
(घ) उसे घर जाना था इसलिए वह चला गया रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) संज्ञा उपवाक्य
उत्तर:
(ii) संयुक्त वाक्य।
व्याख्यात्मक हल:
संयुक्त वाक्य में दो सरल वाक्य होते हैं जो अपनेआप में पूर्ण अर्थ को व्यक्त करते हैं। यहाँ पहला वाक्य ‘उसे घर जाना था’ और दूसरा वाक्य ‘वह चला गया’ स्वतंत्र वाक्य हैं जो आपस में ‘इसलिए’ योजक द्वारा जुड़े हुए हैं।
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. यह वही छात्र है जिसने | (I) संज्ञा आश्रित प्रथम स्थान प्राप्त किया उपवाक्य था। |
2. श्यामा ने कहा था कि वह आज जल्दी जाएगी। | (II) क्रियाविशेषण उपवाक्य |
3. जब तुम जाओगे तभी मैं उपवाक्य | (III) विशेषण जाऊँगा। |
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ii) 1-(II), 2-(III), 3-(I)
(iii) 1-(I), 2-(II), 3-(III)
(iv) 1-(III), 2-(II), 3-(I)
उत्तर:
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) सरला बहुत मधुर गीत गाती है। वाक्य का कर्मवाच्य में रूप होगा
(i) सरला के द्वारा मधुर गीत गाया जाता है।
(ii) सरला ने मधुर गीत गाया।
(iii) मधुर गीत गाया जाता है सरला के द्वारा।
(iv) गीत गाया मधुर सरला ने
उत्तर:
(i) सरला के द्वारा मधुर गीत गाया जाता है।
व्याख्यात्मक हल:
कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय कर्ता के साथ ‘से’ या ‘द्वारा’ लगाया जाता है और क्रिया को कर्म के अनुसार परिवर्तित किया जाता है।
(ख) मीरा द्वारा आज बहुत लम्बी कविता सुनाई गई। वाक्य का कर्तृवाच्य में रूप होगा
(i) मीरा ने आज बहुत लम्बी कविता सुनाई।
(ii) मीरा से बहुत लम्बी कविता सुनाई गई।
(iii) लम्बी कविता मीरा के द्वारा सुनाई गई।
(iv) लम्बी कविता मीरा ने सुनाई।
उत्तर:
(i) मीरा ने आज बहुत लम्बी कविता सुनाई।
व्याख्यात्मक हल:
कृतवाच्य में वाक्य की क्रिया कर्ता के अनुसार परिवर्तित होती है और यहाँ कर्ता के साथ लगे हुए ‘द्वारा’ को हटा दिया जाता है।
(ग) सीमा समझाने पर भी नहीं समझती। वाक्य का भाववाच्य में रूप होगा
(i) सीमा से समझाने पर भी नहीं समझा गया।
(ii) समझाने पर भी सीमा से नहीं समझा गया।
(iii) नहीं समझा जाता सीमा से।
(iv) नहीं समझती सीमा
उत्तर:
(ii) समझाने पर भी सीमा से नहीं समझा गया।
व्याख्यात्मक हल:
भाववाच्य में परिवर्तित करते समय क्रिया को एकवचन, पुल्लिग में परिवर्तित कर दिया जाता है और भाव की प्रधानता रखी जाती है।
(घ) मैं कल आपके लिए उपहार लाऊँगा। वाक्य का कर्मवाच्य रूप होगा
(i) कल उपहार लाया जाएगा मेरे द्वारा।
(iiमैं उपहार लाऊँगा कल आपके लिए।
(iii) मेरे द्वारा कल आपके लिए उपहार लाया जाएगा।
(iv) उपहार लाया कल मैं
उत्तर:
(iii) मेरे द्वारा कल आपके लिए उपहार लाया जाएगा।
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. यह लेख मेरी माँ के द्वारा लिखा गया है। | (I) कर्तृवाच्य |
2. उसने भगत को दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था। | (II) भाववाच्य |
3. अब मुझसे सहा नहीं जाता। | (III) कर्मवाच्य |
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
(ii) 1-(II), 2-(III), 3-(I)
(iii) 1-(I), 2-(II), 3-(III)
(iv) 1-(III), 2-(II), 3-(I)
उत्तर:
(i) 1-(III), 2-(I), 3-(II)
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 4 = 4)
(क) हम राहुल के घर गए परन्तु वह वहाँ नहीं मिला। वाक्य में रेखांकित वाक्य के लिए उचित पद परिचय होगा
(i) समुच्चयबोधक अव्यय।
(ii) क्रियाविशेषण।
(iii) संबंधबोधक अव्यय।
(iv) विस्मयादिबोधक अव्यय।
उत्तर:
(i) समुच्चयबोधक अव्यय।
(ख) जो अपना सामान नहीं सँभालता, वह पछताता है। वाक्य में रेखांकित वाक्य के लिए उचित पद परिचय होगा
(i) निश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, एकवचन।
(ii) अनिश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, एकवचन।
(iii) निश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, बहुवचन।
(iv) निश्चयवाचक सर्वनाम, स्त्रीलिंग, एकवचन।
उत्तर:
(ii) अनिश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन।
(ग) मैं वहाँ आठवीं मंजिल पर रहता हूँ। वाक्य में रेखांकित वाक्य के लिए उचित पद परिचय होगा
(i) परिमाणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य ‘कक्षा’।
(ii) गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य ‘कक्षा’।
(iii) संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य ‘कक्षा’।
(iv) निजवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य ‘कक्षा।
उत्तर:
(iii) संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य ‘मंजिल’।
(घ) वह प्रातः तेज चाल से चलता हुआ विद्यालय जाता है। वाक्य में रेखांकित वाक्य के लिए उचित पद परिचय होगा
(i) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण।
(ii) स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
(iii) गुणवाचक क्रियाविशेषण।
(iv) रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
उत्तर:
(iv) रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
(ङ) हम उस कस्बे से गुज़रे थे। वाक्य में रेखांकित वाक्य के लिए उचित पद परिचय होगा
(i) सर्वनाम, उत्तमपुरुष, बहुवचन, पुल्लिग।
(ii) सर्वनाम, मध्यमपुरुष, बहुवचन, पुल्लिग।
(iii) सर्वनाम, अन्यपुरुष, बहुवचन, पुल्लिग।
(iv) सर्वनाम , प्रश्नवाचक , बहुवचन, पुल्लिग।
उत्तर:
(i) सर्वनाम , उत्तमपुरुष, बहुवचन, पुल्लिंग।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए।. (1 × 4 = 4)
(क) ‘विधि के समान हैं, विमानीकृत राजहंस’ – पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(क) (i) श्लेष
व्याख्यात्मक हल:
यहाँ ‘विमानीकृत राजहंस’ के दो अर्थ है- पहला हंसों के राजा को अपना विमान बनाना और दूसरा बड़े-बड़े राजाओं को विमानीकृत करना अर्थात् उनका मान भंग करना।
(ख) ‘सिर फट गया उसका वहीं, मानों अरुण रंग का घड़ा’ – पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(i) उत्प्रेक्षा
व्याख्यात्मक हल:
यहाँ फटा हुआ सिर उपमेय पर लाल रंग के घड़े की संभावना की गई है अतः उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ग) ‘प्राण छूट प्रथमै रिपु के रघुनायक सायक छूट न पाए’ – पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(iv) अतिशयोक्ति
व्याख्यात्मक हल:
राम के बाण छूट भी नहीं पाते थे, उससे पहले ही शत्रु के प्राण छूट जाते थे। यह संभव नहीं हो सकता, अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
(घ) ‘यह हरा ठिगना चना, बांधे मुरैठा शीश पर’ पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(iii) मानवीकरण
व्याख्यात्मक हल:
यहाँ चने को मानव के समान व्यवहार करते हुए बताया गया है अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
(ङ) ‘मैं रति की प्रतिकृति लज्जा हूँ, शालीनता सिखाती हूँ’ – पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ii) मानवीकरण
व्याख्यात्मक हल:
यहाँ लज्जा का मानवीकरण हुआ है कि वह युवतियों को शालीनता की शिक्षा देती है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
गर्मियों में उनकी ‘संझा’ कितनी उमस भरी शाम को शीतल करती अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खंजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी मंडली उसे दुहराती तिहराती।
धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। उस ताल स्वर के चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खंजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे हैं और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठे हैं। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओत-प्रोत है। (क) भगत के गायन का श्रोताओं पर क्या प्रभाव पड़ता था?
(i) श्रोताओं के मन झूमने लगते।
(ii) लोग आँगन में जमा हो जाते।
(iii) लोग गाने लगते।
(iv) वे सो जाते थे।
उत्तर:
(i) श्रोताओं के मन झूमने लगते।
(ख) भगत और गाँववालों के द्वारा कौन-कौन से वाद्ययंत्र बजाए जाते थे?
(i) खंजड़ी और वीणा
(ii) करताल और ढोलक
(iii) खंजड़ी और करताल
(iv) ढोलक और खंजड़ी
उत्तर:
(iii) खंजड़ी और करताल।
(ग) सारा आँगन नृत्य और संगीत से कब ओत-प्रोत हो जाता
(i) जब गर्मी होती थी
(ii) जब भगत नाचने लगते
(iii) जब श्रोता गीत गाते
(iv) जब वर्षा होती थी
उत्तर:
(ii) जब भगत नाचने लगते।
(घ) गर्मियों में कौन उमस भरी हुई संझा को शीतल करता?
(i) भगत के गीत
(ii) गाँववालों का नाचना
(iii) दोनों सही हैं
(iv) लेखक
उत्तर:
(i) भगत के गीत।
(ङ) गद्यांश किस पाठ में से उद्धृत है?
(i) नेताजी का चश्मा
(ii) लखनवी अंदाज़
(iii) मानवीय करुणा की दिव्य चमक
(iv) बालगोबिन भगत
उत्तर:
(iv) बालगोबिन भगत।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 x 2 = 2)
(क) हालदार साहब के अनुसार देशभक्ति आजकल क्या होती जा रही है ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर बताइए।
(i) प्रेम की भावना
(ii) लगाव की भावना
(iii) मजाक की भावना
(iv) त्याग की भावना
उत्तर:
(iii) मज़ाक की भावना।
(ख) लेखक ने सेकण्ड क्लास का टिकट क्यों खरीदा? लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए।
(i) क्योंकि वे एकांत में नयी कहानी सोचना चाहते थे।
(ii) क्योंकि वे बहुत पैसे वाले थे।
(iii) क्योंकि वे नवाब साहब के साथ सफर करना चाहते थे।
(iv) क्योंकि वे इतने ही पैसे लाए थे।
उत्तर:
(i) क्योंकि वे एकांत में नई कहानी सोचना चाहते थे।
व्याख्यात्मक हल:
लेखक को लगा कि सेकण्ड क्लास में भीड़ तो होगी नहीं इसलिए प्राकृतिक दृश्य को देखते हुए वे आसानी से नयी कहानी के बारे में सोच लेंगे।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1×5=5)
मन की मन ही माँझ रही। कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही। अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही। अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही। चाहति हुतौ गुहारि जितहिं तैं, उत तें धार बही। ‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।
(क) किसके मन की बात मन में ही रह गई?
(i) उद्धव के
(ii) गोपियों के
(iii) सूरदास के
(iv) श्रीकृष्ण के
उत्तर:
(ii) गोपियों के।
व्याख्यात्मक हल:
कृष्ण के वापस न आने पर गोपियाँ उनसे रुष्ट हो गईं और अपने मन की बात लज्जावश वे उद्धव से नहीं कह पाईं।
(ख) गोपियाँ कौन-सी व्यथा सहन कर रही थीं?
(i) कृष्ण वियोग की
(ii) उद्धव के आने की
(iii) प्रेम में डूबने की
(iv) योग की
उत्तर:
(i) कृष्ण वियोग की।
(ग) किसे सुनकर गोपियों की विरहाग्नि बढ़ गई?
(i) भ्रमर के गुंजन को सुनकर
(ii) सूरदास के गीतों को सुनकर
(iii) कृष्ण के योग संदेश को सुनकर
(iv) स्वयं की आवाज सुनकर
उत्तर:
(iii) कृष्ण के योग संदेश को सुनकर।
(घ) गोपियाँ किस आशा में तन-मन की व्यथा को सहन कर रही थीं?
(i) उद्धव के संदेश को सुनने की
(ii) कृष्ण के आगमन की
(iii) दोनों सही हैं
(iv) उद्धव के आने की
उत्तर:
(ii) कृष्ण के आगमन की।
(ङ) काव्यांश में गोपियाँ कृष्ण को क्या उलाहना दे रही हैं?
(i) योग संदेश भेजने का
(ii) स्वयं न आने का
(iii) प्रेम की मर्यादा का पालन न करने का
(iv) अपने प्रेम का
उत्तर:
(iii) प्रेम की मर्यादा का पालन न करने का।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 2 = 2)
(क) परशुराम के क्रोधित होने का क्या कारण था?
(i) राम का जनक सभा में आना
(ii) शिवधनुष का टूटना
(iii) लक्ष्मण का परशुराम से बात करना
(iv) राम का चुप रहना
उत्तर:
(ii) शिवधनुष का टूटना।
(ख) आत्मकथ्य कविता में कवि ने अपने जीवन को छोटा क्यों कहा है?
(i) क्योंकि उसके जीवन की कोई विशिष्ट उपलब्धि नहीं है
(ii) क्योंकि उसका जीवन छोटा-सा है
(iii) क्योंकि वह अभी छोटा है
(iv) विकल्प (i) व (ii) सही हैं
उत्तर:
(i) क्योंकि उसके जीवन की कोई विशिष्ट उपलब्धि नहीं हैं।
खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (अंक : 40)
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे बातचीत करने को तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?
उत्तर:
लेखक ने जब रेल-डिब्बे में प्रवेश किया तो नवाब साहब की आँखों में असन्तोष का भाव देखा। नवाब साहब लेखक की ओर देखे बिना खिड़की से बाहर की ओर देखते रहे। उन्होंने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया इसलिए वे बातचीत के लिए कतई उत्सुक नहीं लग रहे थे।
(ख) बालगोबिन भगत किन विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर:
बालगोबिन भगत कबीर की विचारधारा में विश्वास करते थे। वे गृहस्थ होते हुए भी साधु जैसा सीधा-सादा जीवन जीते थे। उन्हें सांसारिक वस्तुओं के प्रति मोह न था। अपने नियमों का वे बड़ी कठोरता से पालन करते थे। अपनी इन विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाए।
(ग) भाइयों की गतिविधियों का दायरा घर से बाहर और लेखिका का घर तक ही सीमित क्यों था ? ‘एक कहानी यह भी’ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
लेखिका मन्नू भंडारी के पिताजी लड़कियों को घर के बाहर निकलने की आजादी देने के पक्षधर नहीं थे। इसी कारण भाइयों की गतिविधियों का दायरा घर से बाहर तक था, क्योंकि वे लड़के थे और लेखिका का दायरा घर तक ही सीमित होने का कारण यह था कि वह एक लड़की थी। लड़का-लड़की में इसी अंतर के कारण वे मोहल्ले आदि से बाहर जाकर खेल सकते थे, परन्तु लेखिका नहीं।
(घ) मूर्ति के पास से गुजरते हुए अंत में हालदार साहब ‘ भावुक क्यों हो उठे थे?
उत्तर:
हालदार साहब ने अंत में जब मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ देखा तो वे ये सोच कर भावुक हो गए कि देश की युवा पीढी अभी भी देशभक्तों का आदर और सम्मान करती है। उनके मन में देशभक्ति की भावना है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नजर आता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गोपियों के अनुसार जब कृष्ण ब्रज में रहते थे तब सभी ग्वाल-बालों और गोपियों से मिलते-जुलते थे, उनके सखा थे। अब वे मथुरा जाकर राजकाज सँभालकर राजनीति के कुशल खिलाड़ी हो गए हैं। अब उनकी हर बात, हर कार्य में राजनीति झलकती है। उन्होंने हमारे पास उद्धव को योग-संदेश देकर भिजवाने में भी राजनीति की चाल चली। अब उनका व्यवहार राजनीतिज्ञों जैसे छलपूर्ण हो गया है। अब वे सरल हृदय वाले कृष्ण नहीं रहे।
(ख) लक्ष्मण के अनुसार योद्धाओं की क्या-क्या विशेषताएँ
उत्तर:
लक्ष्मण ने वीर योद्धाओं की विशेषताएँ बताते हुए कहा है कि वीर योद्धा स्वयं अपनी वीरता का बखान नहीं करते। वे युद्ध-स्थल में वीरता का प्रदर्शन करते हैं। वे शत्रु को सामने देखकर अपनी वीरता की डींगें नहीं हाँकते, अपशब्दों का प्रयोग नहीं करते, गाली नहीं देते। वीर योद्धा कभी क्रोध नहीं करते, अपितु धैर्य से काम लेते
(ग) मुस्कान के लिए कवि ने ‘दंतुरित’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर:
जब बच्चा मुस्कुराता है तो उसके नए-नए दांत देखकर किसी के भी मन में ममता का भाव फटने लगता है। उसकी मुस्कान जीवित व्यक्ति को तो प्रसन्नता से भर देती है साथ ही मृतक के शरीर में भी संजीवनी का काम करती है। बच्चे की सुंदर दंतावली देखकर उसकी मुस्कान का प्रभाव भी बढ़ जाता है। पाषाण हृदय भी उस मुस्कान को देखकर पिघल जाता है, इसलिए मुस्कान के लिए कवि ने ‘दंतुरित’ शब्द का प्रयोग किया है।
(घ) संगतकार की भूमिका का महत्व कब सामने आता है?
उत्तर:
संगतकार की भूमिका का महत्व तब सामने आता है, जब वह मुख्य गायक के स्वर में स्वर मिलाकर उसके स्वरों को संभालता है। जब मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है, तब उसका स्वर भटकने लगता है। उसका उत्साह कम होने लगता है। ऐसे में संगतकार अपने मद्धिम सुर को उसके स्वर में मिलाकर उसे सहारा देता है। उसके ऊँचे स्वर में खोने पर संगतकार ही स्थायी को संभाले रहता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) ‘कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।’ ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के इस कथन में निहित जीवन मूल्यों को स्पष्ट कीजिए और बताइए कि देश के विकास में आम नागरिक की क्या भूमिका है?
उत्तर:
‘कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं’ यह कथन लेखिका मन-ही-मन गुनती है। यह कथन पर्वतीय क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं की दुर्दशा को भी झलकाता है। यहाँ काम करने वाली स्त्रियाँ मजदूरी के रूप में अपर्याप्त पाती हैं, पर बदले में हमें बहुत कुछ देती हैं। इन्हीं के परिश्रम के बल पर पर्यटन स्थलों का सौन्दर्य बना रहता है। इन्होंने ही पर्वतीय स्थलों को काटकर रास्ते बनाए हैं। ये प्रकृति का संतुलन बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। देश की प्रगति में आम नागरिकों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो सकती है। सबसे पहले तो उन्हें अपने देश पर गर्व करना होगा। देश के प्रत्येक भाग को स्वच्छ बनाना होगा। पर्यावरण की रक्षा करनी होगी। देश में अधिकाधिक वृक्ष लगाना तथा उनका संरक्षण करना होगा। किसी भी काम को छोटा नहीं समझना होगा। बनाई जाने वाली नीतियाँ आम जनता के हाथों ही सफल हो सकती हैं।
(ख) ‘मैं क्यों लिखता हूँ, पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक को लिखने की प्रेरणा कहाँ से प्राप्त होती
उत्तर:
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के अनुसार लेखक अपनी आन्तरिक विवशता को प्रकट करने के लिए लिखते हैं। वे तटस्थ होकर देखना चाहते हैं कि उनका मन क्या सोचता है। वे लिखकर अपने मन की बेचैनी और उसकी छटपटाहट से मुक्ति पाने के लिए लिखते हैं। वे स्वयं को जानने और समझने के लिए लिखते हैं। वे यह भी मानते हैं कि कई बार कुछ लेखक आर्थिक कारणों से भी लिखते हैं या कुछ संपादक के दबाव और प्रसिद्धि की कामना के लिए भी लिखते हैं।
(ग) ‘माता का अंचल’ पाठ में निहित जीवन-मूल्यों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
‘माता का अंचल’ पाठ वात्सल्यता से परिपूर्ण है। सबसे बड़ा जीवन मूल्य तो इसमें माता-पिता का बच्चे के प्रति दर्शाया गया प्रेम है। अपने बच्चे को पालने-पोसने में एक माँ अपने सारे सुख न्योछावर कर देती है और पिता उसे आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनाने के लिए अपना सारा प्यार उस पर लुटा देता है। माता-पिता बच्चे के सुख में सुखी होते हैं और उसके दुःख में दुखी। ये सब माता-पिता के वात्सल्य, प्रेम, त्याग और तपस्या पर आधारित होता है जो आगे चलकर बच्चों को अपने माता-पिता की सेवा के लिए तैयार करता हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) मन की एकाग्रता-सफलता का मूल मंत्र
- मन की एकाग्रता क्या और क्यों?
- सफलता की कुंजी
- सतत् अभ्यास।
अथवा
(ख) पश्चिम का आकर्षण पश्चिम की चमक-दमक आकर्षण के कारण उपाय।
अथवा
(ग) इण्टरनेट और उसके प्रभाव इण्टरनेट क्या है? (6)
- मानव मन पर प्रभाव
- सुझाव।
उत्तर:
(क) मन की एकाग्रता-सफलता का मूल मंत्र
मन की एकाग्रता का क्या अर्थ है? मन को सर्वाधि क चंचल माना गया है। मन में अनेक प्रकार के विचार आते रहते हैं। मन को पूर्णतः स्थिर करके तो नहीं रखा जा सकता, पर उस पर नियंत्रण का प्रयास अवश्य किया जा सकता है। मन पर यह नियंत्रण ही मन की एकाग्रता कहलाता है। जब हम अपने मन को किसी एक दिशा या एक बिन्दु पर टिका देते हैं, तब मन एकाग्र हो जाता है। ऐसी मनःस्थिति में हम किसी एक विचार पर ही अपना पूरा ध्यान देते हैं। उस समय हमें इधर-उधर की बातें नहीं सूझती। यह स्थिति ध्यान लगाने जैसी है। ध्यान लगाना अर्थात् मन को टिकाना आवश्यक है क्योंकि चाहे वह आत्म-चिंतन के लिए हो या किसी काम में सफल होने के लिए, इसके लिए सतत् अभ्यास की आवश्यकता होती है। ध्यान लगाने में अभ्यास आवश्यक है। मन की एकाग्रता को प्रायः साधु-सन्तों, योगियों, महात्माओं का विषय माना जाता है. पर जब से योग-प्राणायाम- ध्यान की ओर सामान्य लोगों का ध्यान गया है, तब से मन की एकाग्रता पर भी ध्यान जाने लगा है। ध्यान लगाने से मन एक बिन्दु पर टिक जाता है। जब हम अपने मन को एकाग्र कर लेते हैं तब विषय विशेष पर गहराई से सोच पाते हैं और सोचे हुए काम में सफलता अवश्य मिल जाती है। ऐसी मनोदशा में हमारे सारे प्रयत्न एक दिशा में लग जाते हैं। तब हम इधर-उधर अपना मन भटकने नहीं देते। मन में एक ही विचार आना तथा उसी को क्रियान्वित करना और उसमें अपनी पूरी शक्ति लगा देना ही मन की एकाग्रता है। मन की एकाग्रता कार्य में सफलता दिखाती है। इसे हम सफलता का मूल मंत्र भी कह सकते हैं। यह मंत्र हमारे पास है। हम जब चाहें तभी इसे घुमा सकते हैं। हमारा अपने मन पर नियंत्रण होना चाहिए। इस एकाग्रता को अभ्यास के द्वारा पाया जा सकता है। सफलता पाने का मूल मंत्र मन की एकाग्रता ही है। चंचल मन डगमगाती नाव की तरह है जिस पर सवार व्यक्ति कभी भी डूब सकता है। यदि पार उतरना है तो नाव रूपी मन को स्थिर करना ही होगा।
अथवा
(ख) पश्चिम का आकर्षण
एक पुरानी उक्ति है-दूर के ढोल सुहावने। यह बात आज के सन्दर्भ में भी उतनी ही सही है। वर्तमान समय में लोगों का पश्चिम की ओर आकर्षण निरन्तर बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी जगत की चकाचौंध हमें आकर्षित करती है। वहाँ का रहन-सहन, खान-पान, स्वच्छता एवं सुविधाओं से भरपूर जीवन हमें लुभाता है। पाश्चात्य जगत के प्रति हमारे आकर्षण के पीछे अनेक कारण निहित हैं। पश्चिमी देश सम्पन्न हैं। वहाँ के निवासियों को रहने-सहने और कार्य करने की बेहतर सुविधायें उपलब्ध हैं। उनका जीवन स्तर हमसे कहीं बेहतर है, जबकि भारत 70 साल के उपरांत भी सभी को आवास, भोजन, वस्त्र और चिकित्सा जैसी मूलभूत आवश्यकतायें पूरी नहीं कर पाया है। पश्चिमी देशों में समृद्धि है, वे विकसित हैं तथा वहाँ विज्ञान के नवीनतम उपकरण उपलब्ध हैं, वहाँ काम की कद्र है। इसलिए भारत के प्रतिभावान डॉक्टर, इंजीनियर, आई. टी. क्षेत्र के विशेषज्ञ वहाँ जाकर बसने की आकांक्षा मन में पाले रहते हैं। यह एक प्रकार का प्रतिभा पलायन है। जब तक हमारा देश ये सुविधायें नहीं दे पाता, तब तक उनके लिए पश्चिमी देशों का आकर्षण बना रहेगा। इस प्रतिभा पलायन को रोकना मुश्किल बना रहेगा। न केवल उच्च शिक्षित लोगों के ही कदम पश्चिमी देशों की ओर बढ़ रहे हैं, अपितु छोटे-मोटे कामगार भी वहाँ जाकर काम करना चाहते हैं। वहाँ इनकी आवश्यकता है तथा छोटे कामगारों का सम्मान भी है। वहाँ उन्हें काम के बदले भरपूर वेतन मिलता है। कुछ कुशल उद्योगपतियों ने पश्चिमी देशों में अपना उद्योग भी जमा लिया है। अपने नागरिकों को इस पश्चिमी सभ्यता के आकर्षण से बचाने के लिए भारत को भी विकास की प्रक्रिया में तेजी से आगे बढना होगा। पिछले 3.4 वर्षों में भारत निरन्तर विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
अथवा
(ग) इण्टरनेट और उसके प्रभाव
कम्प्यूटर और इण्टरनेट के सहयोग से आज का मानव विश्व के किसी भी भाग से किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त कर सकता है। आज की सूचना प्रौद्योगिकी कम्प्यूटर और इण्टरनेट पर आधारित है। अब दफ्तरों में फाइलों का ढेर रखने की आवश्यकता नहीं रह गई है, इसके लिए एक छोटी-सी फ्लॉपी ही पर्याप्त है। अब संदर्भ ग्रन्थों से भरी आलमारियों की आवश्यकता नहीं है। कहीं की टिकट बुक करानी हो, कोई बिल जमा करवाना हो, बैंक से लेन-देन करना हो अथवा मनचाही सूचना पानी हो तो इण्टरनेट का सहारा लेना ही काफी होता है। यह मात्र तकनीक होते हुए भी जीवन्त शक्ति, मित्र व सहयोगी प्रतीत होती है। हम इसके माध्यम से सूचना, मनोरंजन, ज्ञान और व्यक्तिगत तथा सामाजिक विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अब इण्टरनेट पत्रकारिता का युग है। इण्टरनेट का प्रयोग खबरों के सम्प्रेषण के लिए किया जा रहा है। इण्टरनेट ने शोध का काम बहुत आसान कर दिया है। इण्टरनेट का ‘ब्राउजर’ वह औजार है जिसके जरिए हम विश्वव्यापी जाल में गोते लगा सकते हैं। इण्टरनेट के जहाँ अनेक लाभ हैं, वहीं इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखने में आ रहे हैं। इण्टरनेट अश्लीलता, दुष्प्रचार और गन्दगी फैलाने का माध्यम बनता जा रहा है, किन्तु यह कमी उस तकनीक की नहीं, अपितु मानव मस्तिष्क की है जो उसका दुरुपयोग कर रहा है। इण्टरनेट जनसंचार का सबसे नया तथा लोकप्रिय माध्यम है। यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें प्रिण्ट मीडिया, टेलीविजन, पुस्तक, सिनेमा तथा पुस्तकालय के सभी गुण विद्यमान हैं। इसकी पहुँच दुनिया के कोने-कोने तक है। यह अनेक माध्यमों का संगम है। इण्टरनेट पर बैठकर आप देश-विदेश में वार्तालाप कर सकते हैं, मन के मुताबिक ब्लॉग बना सकते हैं। इसकी सहायता से किसी भी वार्ता में भाग लिया जा सकता है। व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर आदि ने परस्पर सम्पर्कों को नया आयाम दिया है। यह एक अंतर क्रियात्मक माध्यम है। हम मक दर्शक बनकर नहीं बैठते, अपितु बहस के सूत्रधार हो सकते हैं।
प्रश्न 15.
प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के बारे में किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखकर अपने सुझाव दीजिए।
अथवा
रचित आपका मित्र है और उसने राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया है, उसे बधाई देते हुए पत्र लिखिए। (5)
उत्तर:
सम्पादक महोदय,
नव निर्माण समाचार-पत्र
नई दिल्ली।
विषय-प्लास्टिक की हानियाँ बताते हुए उसे रोकने हेतु सुझाव।
महोदय,
मैं नव निर्माण समाचार-पत्र की एक नियमित पाठिका रही हूँ। आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के बारे में लोगों को सावधान करना चाहती हूँ। आशा है आप जनहित में मेरा पत्र अवश्य प्रकाशित करेंगे।
प्लास्टिक कभी भी मूल रूप को नहीं छोड़ता। वह अपघटित होकर जहरीली गैसें छोड़ता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। प्लास्टिक की थैलियाँ नालियों को अवरुद्ध कर देती हैं। इसे पशु खा जाते हैं तथा उनके लिए यह अत्यधिक हानिकारक सिद्ध होती है। प्लास्टिक भूमि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। पर्वतीय स्थलों पर भी प्लास्टिक के अवशेष जमा होते जा रहे हैं। सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, पर उसका असर तभी नजर आएगा जब जनता इसमें सहयोग देगी। केवल योजनायें बनना पर्याप्त नहीं हो सकता, हम सबको मिलकर इसे सफल बनाना है।
भवदीया,
क ख ग
संयोजिका, स्वच्छ भारत अभियान, नई दिल्ली।
दिनांक……………………….
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक…………………………
प्रिय मित्र, सप्रेम नमस्ते। मुझे समाचार-पत्र में यह पढ़कर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि मेरे मित्र ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त करके अपना, अपने परिवार तथा पूरे देश का नाम रोशन कर दिया है। इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं जानता हूँ कि इस सफलता के पीछे तुम्हारी कड़ी मेहनत व संघर्ष छिपा है। आज तुम्हारा वर्षों का सपना पूरा हुआ है। तुमने इस सफलता से हमारे प्रदेश का मस्तक गर्व से ऊँचा किया है। वास्तव में हमें तुम पर गर्व है। एक बार पुनः बधाई।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क ख ग।
प्रश्न 16.
आप दुर्गापुर निवासी हेमलता जैन हैं। आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर के पद के लिए लगभग 80 शब्दों में स्ववृत्त तैयार कीजिए।
अथवा
यूनियन बैंक, महावीर नगर, जयपुर में आपका बचत खाता है। आपकी चैक बुक समाप्त हो गई है। बैंक के मैनेजर को नई चैक बुक जारी करने के लिए ई-मेल लिखिए। (5)
उत्तर:
सेवा में
अधिकारी महोदय
आंगनबाड़ी केंद्र,
दुर्गापुर, जयपुर
विषय-सुपरवाइजर पद के लिए आवेदन-पत्र।
महोदय,
आज दिनांक 12 अगस्त, 20XX को प्रकाशित दैनिक भास्कर में प्रकाशित समाचार-पत्र में आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर की आवश्यकता है। इस पद हेतु मैं अपना आवेदन प्रस्तुत कर रही हूँ। विज्ञापन में वर्णित सभी योग्यताओं को मैं पूरा करती हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
अतः श्रीमान से निवेदन है कि मुझे आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर के पद पर नियुक्त करने की कृपा करें।
धन्यवाद
निवेदक
हेमलता जैन
त्रिवेणी नगर चौराहा,
जयपुर
12 अगस्त, 20XX
मेरा स्ववृत्त आवेदन-पत्र के साथ संलग्न है।
स्ववृत्त
नामः हेमलता जैन
पिता का नामः राम प्रकाश जैन
माता का नामः संध्या जैन
जन्मतिथि: 06 अगस्त, 1994
वर्तमान पताः 3, त्रिवेणी नगर चौराहा, जयपुर
मोबाइलः 2XX0000546
ईमेल: [email protected]
शैक्षणिक योग्यता
अन्य योग्यताएँ
- कम्प्यूटर में 1 वर्ष का डिप्लोमा
- हिंदी, अंग्रेजी व स्थानीय स्पेनिश भाषा की जानकारी।
उपलिब्धयाँ
- विद्यालय स्तर पर लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार।
- राष्ट्रीय स्तर पर समाजसेवा हेतु चयन।
- अखिल भारतीय हिंदी भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ
हिंदी लेखन में विशेष रुचि।
सांस्कृतिक कार्यक्रम को आयोजन करने का अनुभव तथा रुचि
हस्ताक्षर
हेमलता जैन
दिनांक: X/XX/XXXX
अथवा
From : [email protected]
To : [email protected]
Cc: …………..
Bcc : ……
विषय : नई चैक बुक जारी करने हेतु महोदय निवेदन है कि आपके बैंक में मेरा बचत खाता है। इसका विवरण निम्नानुसार है
नामः रवि गुप्ता
पता: 12, महावीर नगर, जयपुर
खाता संख्या: 23455XXXX5
अतः आपसे अनुरोध है कि यथाशीघ्र 20 चैकों वाली एक नई चैक-बुक मेरे आवास पर भिजवाने की व्यवस्था करें।
धन्यवाद
भवदीय
क. ख. ग.
प्रश्न 17.
किसी दर्दनिवारक तेल के लिए लगभग 60 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
सभी प्रदेशवासियों को होली के शुभ अवसर पर लगभग 80 शब्दों में एक शुभकामना सन्देश तैयार कीजिए। (4)
उत्तर:
अथवा
शुभकामनाएँ होली के पवन पर्व पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ ! |